सोमवार, 28 सितंबर 2020

राज्यसभा: चीन सीमा विवाद मुद्दे पर सरकार व सेना के साथ सभी दल

शांतिपूर्ण ढंग से हल के लिए प्रतिबद्ध भारत, पर चीन को उसकी भाषा में जवाब को तैयार है सेना

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उच्च सदन में बयान देकर चीन को दिया कड़ा संदेश

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

भारत-चीन सीमा पर हालात के बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को राज्‍यसभा को जानकारी दी। राजनाथ ने अपने बयान में चीन को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि भारत शांतिपूर्ण ढंग से विवाद के हल का पक्षधर है, लेकिन यथास्थिति में चीन के एकतरफा ढंग से बदलाव को कतई स्वीकार नहीं करेगा और भारतीय सेना चीन को उसकी भाषा में जवाब देने को तैयार हैं। राजनाथ के बयान के बाद सदन में कांग्रेस समेत तमाम राजनितिक दल एक सुर में बोले कि देश की एकता और अखंडता के लिए इस मुद्दें पर वे सरकार और सेना के साथ खड़े हैं।

संसद के मानसून में चीन के साथ सीमा विवाद पर लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र में चीन की सेना के साथ जारी गतिरोध पर विपक्ष की लगातार मांग के बीच गुरुवार को राज्यसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मौजूदा हालात के बारे जानकारी देते हुए भारत शांतिपूर्ण तरीके से सीमा मुद्दे के हल के लिए प्रतिबद्ध है और हमने राजनयिक एवं कूटनीतिक माध्यम से पड़ोसी देश को दो टूक शब्दों में बता दिया है कि यथास्थिति में एकतरफा ढंग से बदलाव का कोई भी प्रयास अस्वीकार्य होगा। उन्होंने कहा कि हम पूर्वी लद्दाख में चुनौती का सामना कर रहे हैं और हमारे सशस्त्र बल देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए डटकर खड़े हैं। यही नहीं भारतीय सेना चीन को उसकी भाषा में मुहंतोड़ जवाब देने को भी तैयार है और लगातार दिया भी जा रहा है। सिंह ने कहा कि चीन ने सीमा पर जवानों की भारी तैनाती की है और गोला-बारूद जुटाए हैं। भारतीय सेना ने भी काउंटर डिप्‍लॉयमेंट्स किए हैं। उन्‍होंने चीन को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि भारत की सुरक्षा के लिए चाहे जितना कड़ा कदम उठाना पड़े, हम उठाने को तैयार हैं।

38 हजार वर्ग किमी जमीन पर अवैध कब्‍जा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन को जानकारी दी कि चीन ने लद्दाख में भारत की करीब 38 हजार वर्ग किलोमीटर भूमि पर अनधिकृत कब्जा कर रखा है। इसके अलावा 1963 में एक तथाकथित सीमा समझौते के तहत, पाकिस्तान ने पीओके की 5,180 वर्ग किमी भारतीय जमीन अवैध रूप से चीन को सौंप दी है। सिंह ने कहा कि चीन अरुणाचल प्रदेश में 90 हजार वर्ग किलोमीटर भूमि पर भी दावा करता है। राजनाथ ने अप्रैल के बाद से पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध के हालात और सीमा पर शांति के लिए कूटनीतिक तथा सैन्य स्तर पर हुए प्रयासों का भी उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों पक्ष मानते हैं कि सीमा जटिल मुद्दा है तथा शांतिपूर्ण बातचीत के जरिये इसका समाधान निकाला जाना चाहिए। रक्षा मंत्री ने कहा कि 1993 और 1996 के समझौते में इस बात का जिक्र है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास दोनों देश अपनी अपनी सेनाओं के सैनिकों की संख्या कम से कम रखेंगे। समझौते में यह भी शामिल है कि जब तक सीमा मुद्दे का पूर्ण समाधान नहीं हो जाता है, तब तक वास्तविक नियंत्रण रेखा का सख्ती से सम्मान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह बात विदित है कि भारत और चीन सीमा का प्रश्न अभी तक अनसुलझा है। भारत और चीन की बाउंड्री का कस्टमरी और ट्रेडिशनल अलाइनमेंट चीन नहीं मानता है। यह सीमा रेखा अच्छे से स्थापित भौगोलिक सिद्धांतों पर आधारित है।

चीन की करनी और कथनी में अंतर

राजनाथ सिंह ने साफ किया कि चीन के साथ रिश्‍ते बढ़ाए जा सकते हैं और सीमा विवाद पर भी साथ में बात हो सकती है, लेकिन सीमा पर तनाव का असर रिश्‍तों पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि बातचीत के बावजूद चीन की तरफ से 29-30 अगस्‍त को भड़काने वाली रहुई कार्रवाई गतिविधियों से साफ है कि उसकी कथनी और करनी में कितना अंतर है। इसलिए भारत सतर्क है और हम किसी भी कीमत पर देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से समझौता नहीं करेंगे और न ही भारत के सिर को झुकने देंगे। इसलिए अखंडता की रक्षा को लेकर किसी को हमारी प्रतिबद्धता पर रत्ती भर भी संदेह नहीं होना चाहिए।

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चीन विवाद पर क्या बोला विपक्ष

उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि देश की एकता और अखंडता के मुद्दे पर हम सब एक हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी चीन के साथ विवाद के मुद्दे पर पूरी तरह से सरकार के साथ खड़ी है। लेकिन देश की सुरक्षा से कोई समझौतानहीं होना चाहिएकांग्रेस के ही आनंद शर्मा ने कहा कि इस बारे में कोई शंका नहीं रहनी चाहिए, कि भारत में एकता नहीं रहेगी और हमें अपनी सेना पर गर्व है। जदयू आरसीपी सिंह ने कहा कि चीन एक एहसान फरामोश देश रहा है, जिस पर विश्वास करना देशहित में नहीं होगा। कांग्रेस नेता एके एंटनी ने गलवान घाटी में शहीद हुए 20 जवानों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि सरकार से कहा कि सीमा पर गश्त प्रणाली में बदलाव नहीं होना चाहिए। शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि हम पूरी तरह से जवानों के साथ खडे हैं और संयम, शौर्य हमारी परंपरा रही है, लेकिन चीन की परंपरा विश्वासघात की रही है और हमें सावधान रहना होगा। आप के संजय सिंह ने कहा कि इस मुद्दे पर हम पूरी तरह से सरकार और सेना के साथ खड़े हैं। इस मामले पर चर्चा में राजद के प्रेमचंद गुप्ता, डीएमके के पी विल्सन, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, बीजेडी के प्रसन्न आचार्य, बीएसपी के वीर सिंह ने भी एक सुर में देश की रक्षा मुद्दे पर सभी सेना तथा सरकार के साथ खड़े रहने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

 

राज्यसभा में उठी कोरोना योद्धाओं को वीरता पुरस्कार देने की मांग

अन्य देशों की तरह दी जाए प्रोत्साहन राशि व बीमा सुविधाएं

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

राज्यसभा में जहां कोरोना वायरस के मुद्दे पर हुई चर्चा का केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्षवर्धन ने बयान दिया, वहीं शून्यकला के दौरान सदस्यों द्वारा कोरोना महामारी से निपटने के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़े योद्धाओं को वीरता पुरस्कार देने की मांग की गई।

संसद के मानसून सत्र के चौथे दिन गुरुवार को सुबह नौ बजे शुरू हुई राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान सभापति एम. वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेजों को सदन के पटल पर रखवाने के बाद शून्यकाल के दौरान सदस्यों को लोक महत्व के मुद्दे उठाने का मौका दिया। इस मौके पर हरियाणा से भाजपा सांसद

डी पी वत्स ने सरकार से मांग की  है कि कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए अग्रणी पंक्ति के योद्धाओं की मेहनत एवं उनके समर्पण को प्रोत्साहन देना चाहिए, जिसके लिए अपनी जान जोखिम में डालने वाले ऐसे योद्धाओं को वीरता पदक से सम्मानित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि अग्रणी पंक्ति के कोरोना योद्धा महामारी के इस दौर में अपनी जान की परवाह किये बिना अपने दायित्वों का निर्वाह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सक, नर्स एवं अर्द्धचिकित्सा कर्मी जहां अस्पतालों में पूरे धैर्य के साथ अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। इसी प्रकार सफाई कर्मी साफ-सफाई के दायित्व निर्वहन में जुटे हैं। वत्स ने कहा कि ऑपरेशन थिएटर, आईसीयू, आइसोलेशन वार्ड और प्रसूति कक्ष में काम कर रहे डॉक्टर, नर्स और अर्द्धचिकित्सा कर्मी उन सैनिकों की तरह हैं, जो अपनी सुरक्षा को खतरे में डालते हैं तथा गोलाबारूद की परवाह नहीं करते। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में कोरोना योद्धाओं की मृत्यु दर अत्यधिक है और भारत कोई अपवाद नहीं है। दूसरे कई देशों में कोरोना योद्धाओं को प्रोत्साहन राशि तथा बीमा कवर आदि की सुविधा दी जा रही है। वत्स ने केंद्र सरकार से अनुरोध है कि सेना और पुलिस सेवाओं की तरह ही कोरोना योद्धाओं को भी सेवा या वीरता शांति पदक से सम्मानित किया जाए,  जिस प्रकार एयर होस्टेस नीरजा भनोट को सम्मानित किया गया था।

पिछड़ा वर्ग कोटे की रिक्तियों का मामला

राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान ही समाजवादी पार्टी के सांसद विश्वंभर प्रसाद निषाद ने सवाल किया कि केंद्र सरकार की नौकरियां में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पदों की रिक्तियों को कब तक भरा जाएगा? निषाद ने कहा कि केंद्र सरकार में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पदों की रिक्तियों को लंबे समय से नहीं भरा गया है जिससे पिछड़ा वर्ग के युवाओं में गंभीर रोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में पिछड़ा वर्ग के लिए तय 27 फीसदी कोटे की रिक्तियों पर लंबे समय से भर्ती नहीं हुई है। निषाद ने दावा किया कि 1994 से अब तक केवल 10 फीसदी रिक्तियां ही भरी गई हैं। निषाद ने इन रिक्तियों पर अब तक भर्ती नहीं होने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग भी की। इसके समर्थन में अन्नाद्रमुक के एन गोकुल कृष्णन ने कहा कि केंद्र सरकार के कार्यालयों और मेडिकल क्षेत्र में नौकरियों को लेकर समाज के पिछड़े वर्ग के लोगों में अनिश्चितता और असुरक्षा की भावना बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू हुए 20 साल हो गए हैं लेकिन ये सिफारिशें अभी कागज पर ही हैं और केंद्रीय सेक्टर के कर्मचारियों में पिछड़ा वर्ग के कर्मियों की संख्या मुश्किल से पांच फीसदी ही है। 

कांग्रेस ने जलाई कृषि संबंधी विधेयकों की प्रतियां 

संसद परिसर में गुरुवार को पंजाब राज्य से कांग्रेस के लोकसभा सांसदों ने कृषि से संबंधित विधेयकों की प्रतियां जलाईं और इनको वापस लेने की मांग की। ऐसे कांग्रेस सांसदों में गुरजीत सिंह औजला, डॉक्टर अमर सिंह, रवनीत बिट्टू और जसबीर गिल ने संसद परिसर में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 की प्रतियां जलाईं। गौरतलब है कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मानसून सत्र के पहले दिन ये विधेयक लोकसभा में पेश किए थे। कांग्रेस सांसद अमर सिंह ने इन अध्यादेशों को किसान विरोधी करार देते हुए इन्हें तत्काल वापस लेने की मांग की। इस दौरान कांग्रेस सांसदों ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी करके प्रदर्शन भी किया।

18Sep-2020


 

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