बुधवार, 2 सितंबर 2020

हरियाणा-पंजाब के बीच सतलुज यमुना लिंक नहर विवाद सुझलने के आसार

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री शेखावत की मध्यस्था में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच हुई वार्ता

सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को दोनों राज्यों को आपस में बातचीत से सुलझाने का दिया था निर्देश

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

पिछले चार दशक से ज्यादा समय से हरियाणा और पंजाब के बीच चले आ रहे सतलुज यमुना लिंक नहर विवाद सुलझने की राह पर है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री शेखावत की मौजूदगी में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मंगलवार का दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच हुई वार्ता में इस बात पर सहमति बनती नजर आई कि सतलुज यमुना लिंक नहर का निर्माण होना चाहिए। इस संतोषजनक बैठक के बाद अब दूसरे दौर की वार्ता एक सप्ताह के बाद होगी।

यहां नई दिल्ली के श्रमशक्ति भवन स्थित जल शक्ति मंत्रालय में मंगलवार को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह व पंजाब सरकार के अधिकारी भी शामिल हुए। यह बैठक सुप्रीम कोर्ट के पिछले महीने 28 जुलाई का सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश के बाद हुई जिसमें हरियाणा और पंजाब सरकार को आपस में तीन सप्ताह के भीतर बातचीत करके सतलुज यमुना लिंक नहर विवाद को सुलझाने को कहा गया था। इस मुद्दे पर हुई उच्चस्तरीय बैठक में सतलुज यमुना लिंक नहर के निर्माण के संदर्भ में गहनता से विचार-विमर्श हुआ। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वार्ता के दौरान खुले मन से सतलुज यमुना लिंक नहर के निर्माण होने पर बल दिया। दोनों राज्यों के साथ बातचीत के नतीजों की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौँपी जानी है।

मुद्दा सुलझने की उम्मीद

सतलुज यमुना लिंक नहर के मुद्दे पर इस बैठक के बारे में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि उनकी मौजूदगी में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच संतोषजनक बातचीत हुई है और इस विवाद को समाप्त करने के लिए इस सार्थक चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए एक सप्ताह के बाद दूसरे दौर की वार्ता होगी। उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस विवाद का समाधान जल्द ही निकल आएगा जिसके बाद सतलुज यमुना लिंक नहर के निर्माण का रास्ता प्रशस्त होने की प्रबल संभावना है। क्योंकि इस संबन्ध में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री कुछ हद तक सहमत होते नजर आए। शेखावत ने कहा कि इस मुद्दे पर दोनों राज्यों के बीच इस मुद्दे पर बनने वाली सहमति से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया जाना है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद इस पहले दौर की उच्चस्तरीय बैठक में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने दृष्टिकोण से अपने विचार व्यक्त करते हुए मुद्दे को सुलझाने पर सकारात्मक पहल करने पर बल दिया। नई दिल्ली में हुई इस उच्च स्तरीय बैठक में केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया के अलावा केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सचिव यू.पी. सिंह और हरियाणा के सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेन्द्र सिंह भी मौजूद रहे।

क्या है सतलुज यमुना लिंक नहर विवाद

यह विवाद करीब 44 साल पुराना है। मसलन 24 मार्च 1976 को केंद्र सरकार ने पंजाब के 7.2 एमएएफ यानी मिलियन एकड़ फीट पानी में से 3.5 एमएएफ हिस्सा हरियाणा को देने की अधिसूचना जारी की थीपूर्वी पीएम इंदिरा गांधी ने 8 अप्रैल 1982 को पंजाब के पटियाला जिले के कपूरई गांव में इस योजना का उद्घाटन किया था24 जुलाई 1985 को राजीव-लोंगोवाल समझौते को लागू किया गया था और पंजाब ने नहर के निर्माण के लिए अपनी सहमति दी थी, लेकिन समझौता के जमीन पर लागू नहीं होने के बाद हरियाणा ने 1996 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया थासुप्रीम कोर्ट ने 15 जनवरी, 2002 को याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब को एक साल के भीतर एसवाईएल नहर के निर्माण का निर्देश दिया थादिलचस्प बात यह है कि 2004 में तत्कालीन पंजाब सरकार ने सभी जल समझौतों को रद्द करने के लिए पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट एक्ट 2004 पारित कर दिया थाहरियाणा सरकार ने 20 अक्टूबर 2015 को शीर्ष कोर्ट से एक संवैधानिक पीठ गठित करने का अनुरोध किया, जिसने 26 नवंबर 2016 को हरियाणा के पक्ष में अपना फैसला सुनायाइसके बाद पंजाब ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और अपील दायर की और यह मामला अभी भी शीर्ष अदालत में लंबित है

19Au-2020


 

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