शनिवार, 31 अक्तूबर 2015

जल्द ही पड़ोसी देशों में दौड़ेंगे वाहन!


बीबीआईएन ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर पर दिसंबर में होगा ट्रायल
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
यूरोपीय संघ की तर्ज पर भारत ने दक्षिण एशियाई देशों में सीमा से लगे बांग्लादेश, भूटान और नेपाल के बीच सड़क यातायात के आवागमन को निर्बाध बनाने की कवायद तेज कर दी है। मसलन इन चारो देशों के बीच जल्द ही बीबीईएन मोटर वाहन करार के तहत ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर पूरा हो जाएगा, जिस पर दिसंबर में रन ट्रायल शुरू करने की तैयारी हो चुकी है।
मोदी सरकार ने अपनी विदेश नीति में दक्षिण एशियाई देशों के संबन्धों को ज्यादा मजबूत बनाने की कवायद में पडोसी देशों के साथ परिवहन को सुगम बनाने की पहल की है। इसके तहत बीबीआईएन यानि भारत, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान को आपस में सड़क मार्गो से जोड़ने की परियोजना अंतिम चरणों में है और बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल यानि बीबीआईएन का काम अक्टूबर-नवंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इन देशों के बीच आपस में सड़क के सफर को अंजाम देने के लिए बीबीआईएन परिवहन कॉरिडोर ट्रायल रन इस साल के अंत में होगा, लेकिन इससे पहले 15 दिसंबर को भारत, म्यांमार और थाइलैंड के बीच ट्रायल रन करने का निर्णय लिया गया है। इसका मकसद है कि इस ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर रूट को नियमित यात्री और कार्गो वाहनों के लिए म्यांमार होते हुए थाईलैंड तक पहुंचाना है। इस परियोजना के तहत इन चारों दशों के मालवाहक वाहनों के अलावा एक ड्राμट प्रोटोकोल के तहत यात्री वाहनों को भी इन देशों के विशेष मार्ग पर जाने की इजाजत दी जा रही है। इसके लिए इस कॉरिडोर पर सफर करने वाले वाहनों में जीपीएस सिस्टम को अनिवार्य बनाया गया है, ताकि किसी भी वाहन की दिशा और दशा जैसी मौजूदगी का पता लगाया जा सके। इनके अलावा भारत की योजना बीबीआईएन मोटर व्हीकल एग्रीमेंट को श्रीलंका तक फैलाने की है। पिछले दिनों ही सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने श्रीलंका का दौरा करके श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल श्रीयन विक्रम सिंघे के साथ दोनों देशों को जोड़ने वाली एक सड़क के बारे में चर्चा की थी। यह परिवहन कॉरिडोर ब्रिज-कम-सब मर्सिबल टनल के रूप में हो सकता है, जो तमिलनाडु के धनुषकोडी से होकर श्रीलंका की सरजमीं तक पहुंच सकता है।

शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2015

जल्द ही पड़ोसी देशों में दौड़ेंगे वाहन!

बीबीआईएन ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर पर दिसंबर में होगा ट्रायल
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
यूरोपीय संघ की तर्ज पर भारत ने दक्षिण एशियाई देशों में सीमा से लगे बांग्लादेश, भूटान और नेपाल के बीच सड़क यातायात के आवागमन को निर्बाध बनाने की कवायद तेज कर दी है। मसलन इन चारो देशों के बीच जल्द ही बीबीईएन मोटर वाहन करार के तहत ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर पूरा हो जाएगा, जिस पर दिसंबर में रन ट्रायल शुरू करने की तैयारी हो चुकी है।
मोदी सरकार ने अपनी विदेश नीति में दक्षिण एशियाई देशों के संबन्धों को ज्यादा मजबूत बनाने की कवायद में पडोसी देशों के साथ परिवहन को सुगम बनाने की पहल की है। इसके तहत बीबीआईएन यानि भारत, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान को आपस में सड़क मार्गो से जोड़ने की परियोजना अंतिम चरणों में है और बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल यानि बीबीआईएन का काम अक्टूबर-नवंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इन देशों के बीच आपस में सड़क के सफर को अंजाम देने के लिए बीबीआईएन परिवहन कॉरिडोर ट्रायल रन इस साल के अंत में होगा, लेकिन इससे पहले 15 दिसंबर को भारत, म्यांमार और थाइलैंड के बीच ट्रायल रन करने का निर्णय लिया गया है। इसका मकसद है कि इस ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर रूट को नियमित यात्री और कार्गो वाहनों के लिए म्यांमार होते हुए थाईलैंड तक पहुंचाना है। इस परियोजना के तहत इन चारों दशों के मालवाहक वाहनों के अलावा एक ड्राμट प्रोटोकोल के तहत यात्री वाहनों को भी इन देशों के विशेष मार्ग पर जाने की इजाजत दी जा रही है। इसके लिए इस कॉरिडोर पर सफर करने वाले वाहनों में जीपीएस सिस्टम को अनिवार्य बनाया गया है, ताकि किसी भी वाहन की दिशा और दशा जैसी मौजूदगी का पता लगाया जा सके। इनके अलावा भारत की योजना बीबीआईएन मोटर व्हीकल एग्रीमेंट को श्रीलंका तक फैलाने की है। पिछले दिनों ही सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने श्रीलंका का दौरा करके श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल श्रीयन विक्रम सिंघे के साथ दोनों देशों को जोड़ने वाली एक सड़क के बारे में चर्चा की थी। यह परिवहन कॉरिडोर ब्रिज-कम-सब मर्सिबल टनल के रूप में हो सकता है, जो तमिलनाडु के धनुषकोडी से होकर श्रीलंका की सरजमीं तक पहुंच सकता है।

गुरुवार, 29 अक्तूबर 2015

अब नहीं मिलेगी विदेशियों को किराए की कोख!

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया शपथपत्र
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र देकर स्पष्ट कर दिया है कि वह विदेशियों के लिए किराए पर कोख यानि सरोगेसी के कारोबार पर रोक लगाना चाहती है। इसके लिए सरकार जल्द की संसद में एक विधेयक भी लेकर आएगी।
केंद्र सरकार ने सरोगेसी के कानूनी नियमों को सख्त बनाकर ऐसे प्रावधान लागू करने के लिए जल्द ही एक विधेयक को संसद में पेश करके उसे पारित कराने की पूरी तैयारी कर ली है। केंद्र सरकार का मकसद सरोगेसी के लिए कानूनी नियमों को सख्त करके किराये की कोख के दुरुपयोग रोकना है। इस काननू के लागू होने पर किसी भी विदेशी नागरिक का भारत में किराये की कोख लेना नामुमकिन ही नहीं, बल्कि असंभव हो जाएगा। सूत्रों के अनुसार नये ‘असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन बिल’ में ऐसे प्रावधान किए जा रहे हैं जिससे सरोगेसी के मामलों में बहुत हद दुरुपयोग को रोका जा सकेगा।
भारतीयों पर मान्य होगी सेरोगेसी 
केंद्र सरकार ने शपथपत्र में कहा है कि वह विदेशियों के लिए व्यावसायिक तौर पर होने वाली सरोगेसी को प्रतिबंधित करेगा। वहीं सरोगेसी केवल भारतीय दंपती के लिए मान्य रहेगी। सरकार ने कहा है कि इस संबंध में कानून लाने में थोड़ा वक्त लगेगा। सूत्रों के अनुसार सरकार ने इस नए विधेयक में ओवरसीज सिटिजंस आॅफ इंडिया, भारतीय मूल के लोग, नॉन रेजिडेंट इंडियंस और भारतीय नागरिक से विवाह करने वाले किसी भी विदेशी को पहले की तरह यह सुविधा देने का प्रावधान भी रखा है। इसी प्रकार भारतीय महिला से शादी रचाने वाले विदेशी नागरिक को शादी के दो साल बाद ही सरोगेट मदर का लाभ उठाने का मौका मिल सकेगा, लेकिन इसके लिए उन्हें अपने देश की आथॉरिटी से लिखित में यह देना होगा कि उनकी पत्नी मां नहीं बन सकती।

बुधवार, 28 अक्तूबर 2015

भारत-अफ्रीका सम्मेलन पर मंडराया आतंकी साया

आईएस व बोको हरम के हमले की आशंका पर सुरक्षा मुस्तैद
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चल रहे भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन में आईएस और बोको हरम के हमले की आशंका जताई गई है। खुफिया एजेंसियों द्वाराजताई गई इस आशंका से सम्मेलन और दिल्ली में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्थाओं को और भी ज्यादा मुस्तैद कर दिया गया है।
यहां इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में चल रहे भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन के मद्देनजर हालांकि पहले से ही कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किये गये हैं, जिसमें 54 अफ्रीकी देशों के राष्ट्राध्यक्ष और प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। खुफिया तंत्र के अलर्ट के बाद इस सुरक्षा को और भी वेरी हाई अलर्ट करने का दावा करते हुए केंद्र सरकार ने हर स्थिति से निपटने की व्यवस्था का दावा किया है। दरअसल इस सम्मेलन में नाईजीरिया भी हिस्सा ले रहा है, जहां आतंकी संगठन बोको हरम पूरी तरह से सक्रिय दल के रूप में पैर पसारे हुए है, जिसका साथ इस्लामिक आतंकी संगठन आईएस भी देता आ रहा है। दूसरा कारण यह भी बताया जा रहा है कि आईएस भारतीय उपमाद्वीप में अपनी मौजूदगी दिखाने का प्रयास लगातार कर रहा है, क्योंकि भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में भी हुए कुछ हमलों में आईएस ने अपना हाथ होने की बात को स्वीकार कर लिया है। वहीं पंजाब में पवित्र ग्रंथ के अपमान में भी आईएस का हाथ होने की बात सामने आ रही है। सूत्रों के अनुसार इतना ही नही भारत की खुफिया एजेंसियों के पास कुछ ऐसे लोगो के नाम की सूची भी है जिनका आईएस ने माईन्ड वॉश करने की काशिश की गई थी।  भारत-अफ्रीकी सम्मेलन स्थल पर ऐसी चाक चौबंद सुरक्षा के इंतजाम देखने को मिले कि उसके लिए अधिकृत पास धारकों को भी सम्मेलन में आने-जाने के लिए कई सुरक्षा चक्रों से गुजरने को मजबूर होना पड़ रहा है। इस इलाके के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात किये गये हैं। दिल्ली में सम्मेलन स्थल से विदेशी मेहमानों के होटलों तक गुजरने वाले मार्गो पर भी कई श्रेणी में सुरक्षा को बढ़ाया गया है और होटलों व उनके आसपास छावनी जैसा माहौल बना हुआ है। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार आईएस व बोको हरम सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे प्रतिनिधियों के होटलों पर भी हमला हो सकता है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सुरक्षा की दृष्टि से दिल्ली पुलिस पिछले एक हμते में आए हुए अफ्रीकी नागरिकों पर पैनी नजर रखे हुए है। 
25 हजार जवानो का सुरक्षा चक्र
दिल्ली में अफ्रीकी सुरक्षा बलों के साथ दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों के करीब 25 हजार जवान नई दिल्ली और सैंट्रल दिल्ली में सम्मेलन में सुरक्षा के लिए तैनात है। गौरतलब है कि 29 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित देश विदेश से प्रमुख इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में सम्मेलन का हिस्सा बनेंगे। इस सम्मेलन के लिए कड़ी सुरक्षा का ध्यान रखा जा रहा है।

मंगलवार, 27 अक्तूबर 2015

बिहार चुनाव-सभी दलों ने लगाया दागियों पर दावं

बिहार विधानसभा चुनाव: तीसरा चरण
छह जिलों की 50 सीटो पर कल होगा मतदान
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
बिहार विधानसभा की 50 सीटों के लिए 28 अक्टूबर को होने वाले तीसरे चरण के चुनाव में जिन 808 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा, उनमें 215 यानि 27 प्रतिशत प्रत्याशियों पर आपराधिक दाग है। जबकि 458 यानि 57 प्रतिशत प्रत्याशी करोड़पतियों की फेहरिस्त में शामिल है।
देश में चुनाव सुधार का समर्थन करते हुए भले ही सभी राजनीतिक दल राजनीति के आपराधीकरण को खत्म करने की दुहाई देते आ रहे हों, लेकिन उसके विपरीत कोई भी राजनीतिक दल ऐसा नहीं है जो चुनाव में आपराधियों को गले न लगाता हो। मसलन एसोसिएशन फॉर डेमोके्रटिक रिफार्म्स यानि एडीआर द्वारा बिहार में तीसरे चरण में 50 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने सियासी मैदान में उतरे 808 उम्मीदवारों की खंगाली गई पृष्ठभूमि में जो खुलासा किया गया है उसके अनुसार इस चरण में 215 प्रत्याशी ऐसे हैं जिनके खिलाफ अदालतों में आपराधिक मामले लंबित हैं, इनमें 162 यानि 20 प्रतिशत उम्मीदवार तो ऐसे हैं, जिनके खिलाफ हत्या, डकैती, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध और सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने जैसे गंभीर मामले चल रहे हैं। इनमें 31 प्रत्याशियों के खिलाफ हत्या के मामले दर्ज हैं, जिनमें कुम्हरार सीट से निर्दलीय प्रत्याशी अजय कुमार के खिलाफ आठ मामले हैं। जबकि दीघा सीट से समरस समाज पार्टी के प्रत्याशी राजीव रंजन सिंह के खिलाफ सात हत्या के मामले लंबित हैं। तीसरे पायदान पर दुमराव सीट से बसपा प्रत्याशी प्रदीप कुमार और मोकामा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी अनंत कुमार सिंह के खिलाफ पांच-पांच हत्या के मामले लंबित हैं। हत्या के आरोपी वाले मामले के अन्य प्रत्याशियों में भाजपा के पांच, सीपीआईएम के तीन, जदयू, राजद,सीपीआई के दो प्रत्याशी, सपा व शिवसेना के एक-एक प्रत्याशी पर हत्या के मामले दर्ज हैं। इसी प्रकार हत्या के प्रयास करने वाले 57 प्रत्याशी लिप्त रहे, जबकि महिलाओं के खिलाफ अपराध में 12, डकैती व लूट में 13 प्रत्याशियों के खिलाफ मुकदमे लंबित हैं। 13 प्रत्याशियों के खिलाफ अपहरण तथा चार के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा फैलाने का भी आरोप है।

सोमवार, 26 अक्तूबर 2015

रेलवे क्रासिंगों पर दुर्घटना रोकने की कवायद!

सभी रेलवे फाटको पर लगेगी नई चेतावनी प्रणाली
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार की देश में सड़क व रेल मार्गो पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ठोस उपायों के साथ योजनाएं बनाई जा रही है। ऐसी ही योजना में फाटक रहित क्रासिंग पर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे द्वारा विकसित की गई प्रणाणी को लागू किया जाएगा।
देश की सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए केंद्रीय सड़क परिहवन एवं राजमार्ग मंत्रालय परियोजनाओं का खाका तैयार कर रहा है, तो उसी तर्ज पर रेल मंत्रालय ने भी खासकर मानव और फाटक रहित रेलवे क्रासिंग के अलावा देश में बढ़ रही रेल दुर्घटनाओं को रोकने की नई तकनीक वाली कई परियोजनाओं का रोड़मैप तैयार किया है। पिछले दिनों ही रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा था कि कमान, नियंत्रण और संचार प्रणाली में नई प्रगति भारतीय रेलवे में सुरक्षित और सुनिश्चित संचालन वातावरण विकसित करने की तैयारी हो रही है। इसके लिए रेलवे की अनुसंधान इकाई अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन यानि आरडीएसओ की मदद से भारतीय रेलवे के अनुकूल वैश्विक मानकों वाली सस्ती प्रणालियां घरेलू स्तर पर विकसित कर रहा है। रेल मंत्रालय के सूत्रों का दावा है कि कि इस प्रणाली की विशेषताओं को अंतिम रूप देने वाली रेलवे की अनुसंधान इकाई अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन ने सभी क्षेत्रीय रेलवे कार्यालयों से सिफारिश की है कि वे अपने-अपने संबंधित क्षेत्रों में दुर्घटनाओं को रोकने के प्रयास के तहत चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिए कदम उठाएं। आरडीएसओ ने रेलवे बोर्ड को लिखे एक पत्र में यह भी सिफारिश की है कि बड़े पैमाने पर प्रणाली विकसित करने से पहले प्रत्येक रेलवे जोन को फील्ड परीक्षणों के लिए एक या दो प्रणाली स्थापित करने की सलाह दी जा सकती है।

रविवार, 25 अक्तूबर 2015

राग दरबार-प्यार बढ़ाती मधुशाला..!

इंसानियत की मधुशाला
बैर बढ़ाते मंदिर-मस्जिद-प्यार बढ़ाती मधुशाला..। हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला से निकलते इन शब्दों से तो इसी दौलतखाने की सच्च्चाई का पता चलता है। यही नहीं एक फिल्म में ओमपुरी का यह डायलॉग ‘इंसान मजहब के लिए नहीं, बल्कि मजहब इंसानों के लिए बना है’ भी धर्मनिरपेक्षता की सियासत करने वालों को ऐसी ही नसीहत देती है। इसके बावजूद बीफ और जातियों के नाम पर बांटने की सियासत के परिपेक्ष्य में अपने आपको सेक्युलर बताने वाले स्यापाबाजों की एक-दूसरे के खिलाफ बदजुबानी देश व समाज में जिस तानेबाने को बुनने का प्रयास कर रही है। उसे देखते हुए कुछ बुद्धिजीवियों ने हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला की याद ताजा कर दी और मयखाने को ही तथाकथित सेक्युलर स्यापाबाजों की बस्ती से बेहतर करार दे दिया, जहां कम से कम इन्सान और इंसानियत तो देखने को मिलती है। देश की सियायत में धर्मनिरेपक्षता को चोला ओढ़कर इंसानियत की दुहाई देने वाले स्यापाबाज सेक्युलरिस्ट जब गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं, तो ऐसे में मधुशाला ही इस सांप्रदायिकता के रंग से दूर मोहब्बत का पैगाम देती है,जहां कम से कम हिंदू-मुसलमान नहीं, बल्कि इन्सान तो मिलते हैं, जो मिलजुल कर खर्च उठाते हैं और ठहाके के साथ गम भी भुलाते हैं। मसलन सबका प्याला एक, मगर प्यास अलग जरूर है, पर गजब की मोहब्बत है रिंदों में।

अब राजमार्गो का श्रेय नहीं ले पाएंगे राज्य!

केंद्रीय मंत्री ही करेंगे हाइवे का शिलान्यास व उद्घाटन
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में केंद्रीय परियोजनाओं का श्रेय शायद अब राज्य या राज्य स्तर के नेता नहीं ले पाएंगे। मसलन देश के विकास पर सियासत करने की इस परंपरा पर अंकुश लााने के प्रयास में ही केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ऐसा निर्देश जारी किया है, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के भूमि पूजन, शिलान्यास या फिर उद्घाटन करने की इजाजत केंद्रीय मंत्री के अलावा किसी अन्य को नहीं होगी।
दरअसल केंद्र सरकार की सड़क परियोजना में यूपी में बरेली-बहेडी तक 540 करोड़ रुपए की लागत से पीपीपी मॉडल पर 54 किमी लंबे हाइवे बनकर तैयार हुआ, तो इसका लोकार्पण राज्य के मुख्यमत्री अखिलेश यादव ने करते हुए अपनी सरकार को पूरा श्रेय देने का प्रयास किया। शायद विकास पर होने वाली ऐसी सियासत पर लगाम लगाने की दिशा में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राज्य मंत्री नितिश गड़करी को मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों को निर्देश के रूप में एक पत्र लिखकर पहले से ही तय मानदंडों का अनुपालन करने की नसीहत दी। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार के राज्यों में होने वाले काम का श्रेय राज्य के नेता लेते आ रहे हैं, जबकि खासकर केंद्रीय परियोजनाओं के मामले में ऐसे मानक बने हैं जिसमें राज्य सरकारों को मानकों व नियमों की सीमाएं लांघना नहीं चाहिए। इसलिए मंत्रालय ने ऐसे नियमों व मानकों का पालन सुनिश्चित कराने वाले पत्र में राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेशों के लोकनिर्माण विभाग के प्रधान सचिव, सचिव, मुख्य अभियंताओं के साथ एनएचएआई के अध्यक्ष राघव चन्द्रा और सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक को पूर्ववर्ती यूपीए सरकार द्वारा दिसंबर 2001 में जारी सरकुलर का संज्ञान लेने को भी कहा गया है। इस पत्र की प्रतियां एनएचएआई के सीजीएम वीके शर्मा व एनएचएआई के सदस्य(वित्त) सतीश चन्द्रा को भी भेजी गई है।

शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2015

ओवरलोडिंग वाहनों पर ऐसे लगेगी लगाम!

टोल प्लाजा के निकट ‘वेट इन मोशन’ सिस्टम लगाने की तैयारी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
भविष्य में राष्ट्रीय राजमार्गो पर क्षमता से अधिक वजन लेकर चलने वाले भारी वाहनों की खैर नहीं है। मसलन केंद्र सरकार ने सड़को पर सुरक्षित सफर को वरीयता देते हुए ओवरलोडिंग वाहनों पर शिकंजा कसने के लिए हाईवे पर टोल प्लाजा के निकट ‘वेट इन मोशन’ सिस्टम लगाने की तैयारी कर ली है, जिसके लिए सरकार ने स्टेंडर्ड स्पेसिफिकेशन का ड्राफ्ट जारी कर दिया है।
केंद्र सरकार की सड़क परियोजनाओं में सुरक्षित सफर बनाने की पहली प्राथमिकता है, जिसमें कई अलग योजनाओं का खाका तैयार किया गया है। सरकार के इन्हीं कदमों में क्षमता से ज्यादा वजन ले जाने वाले वाहनों पर शिकंजा कसने की तैयारी में एक मसौदा तैयार किया है, जिसमें ओवरलोड़िंग गाड़ियों पर लगाम लगाई जा सकेगी। मसलन सरकार ने हाईवे पर टोल प्लाजा के निकट दोनों ओर चलती गाड़ी का वजन तौलने वाले सिस्टम ‘वेट इन मोशन’ लगाने की तैयारी कर ली है। इस प्रणाली को लागू करने चलती गाड़ियों के वजन की जानकारी टोल प्लाजा के कर्मचारियों को स्वत: ही मिल जाएगी। मसौदे के अनुसार ऐसी ओवरलोडेड गाड़ियों को मौके पर ही न केवल खाली करवाया जाएगा, बल्कि ट्रांसपोर्टर्स से टोल दर से 10 गुणा अधिक राशि वसूली जाएगी। मंत्रालय ने इस सिस्टम को देशभर में अपनाने के मकसद से स्टेंडर्ड स्पेसिफिकेशन का ड्राफ्ट भी जारी किया है। इस मसौदे के अनुसार किस तरह से इक्यूपमेंट, डिवाइस, सॉफ्टवेयर और सिस्टम अपनाया जाएगा, जो पूरे देश में एक समान होगा।

गुरुवार, 22 अक्तूबर 2015

तीन माह में शुरु होगा मेडिकल कालेज!

ओपीडी की शुरूआत, बदायूं जिला व रूहेलखंड को मिलेगा लाभ
ओ.पी. पाल. बदायूं (उ.प्र.)
उत्तर प्रदेश के बदायूं व उसके आसपास के जिलों समेत रूहेलखंड की जनता को अब इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा और न ही उच्च स्तरीय इलाज के लिए अपनी जमीने बेचनी पड़ेंगी। इस समस्या को यूपी सरकार ने बदांयू में बनाए जा रहे राजकीय मेडिकल कालेज में ही इस इलाके की जनता के बेहतर स्वास्थ्य की देखभाल के लिए मेडिकल कालेज की ओपीडी शुरू हो गई है।
राजकीय मेडिकल कालेज में ओपीडी का शुभारम्भ के बाद आयोजित एक जनसभा में बोलते हुए बदायूं के सांसद धर्मेन्द्र यादव ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में बदायूं का नाम देश के नक्शे पर होगा, जहां देशभर के विभिन्न इलाकों के छात्र यहां मेडिकल की शिक्षा हासिल करेंगे। वहीं इस मेडिकल कालेज में सभी स्वास्थ्य सेवाएं शुरू होने के कारण इस इलाके के लोगों को अन्य जगहों पर न तो भटकना पड़ेगा और न ही यहां की जनता को इलाज के लिए गरीब लोगों को किसी से कर्ज लेने की जरूरत पड़ेगी। जिले के 224 किसानों ने मेडिकल कालेज को स्वेच्छा से भूमि उपलब्ध कराकर न सिर्फ पुण्य का कार्य किया है बल्कि जब तक यहां स्वास्थ्य सेवाओं से अवाम लाभान्वित होती रहेगी, जमीन देने वाले किसानों को भी याद किया जाता रहेगा। उन्होंने कहा कि जमीन देने वाले किसानों के एहसान को भुलाया नहीं जा सकता, जिनकी आजीविका के लिए सरकार के स्तर पर भी ठोस कदम अवश्य उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने गरीबों, किसानों, मजदूरों तथा महिलाओं के लिए विभिन्न शासकीय योजनाएं चलाकर लाभान्वित किया है। सांसद ने कहा कि सूखे, अतिवृष्टि को ध्यान में रखते हुए साढ़े सात हजार करोड़ से अधिक की आर्थिक सहायता किसानों को उपलब्ध कराई जा चुकी है। गौरतलब है कि वर्ष 2014 में प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा मुलायम सिंह यादव ने 46.85 करोड़ की लागत वाले इस मेडिकल कालेज का शिलान्यास किया था, जिसके बाद तेजी के साथ निर्माण कार्य जारी है और ओपीडी शुरू करके स्वास्थ्य सेवाएं शुरू कर दी गई हैं।

बुधवार, 21 अक्तूबर 2015

सेहत को लेकर गंभीर नहीं है भारत!

खर्च में कंजूसी बरतने में 164वें पायदान पर
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में भले केंद्र की सरकारे बड़ी-बड़ी परियोजनाएं बनाकर स्वास्थ्य के ढांचे को मजबूत बनाने का दावा करती रही हो, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रिपोर्ट में दुनियाभर में स्वास्थ्य पर खर्च करने के मामले में भारत 164वें पायदान पर है। मसलन सेहत को लेकर भारत गंभीर नहीं है।
देश में स्वास्थ्य को लेकर केंद्र प्रायोजित योजनाओं के बजट में सरकार हर साल बढ़ोतरी करती देखी गई है और विभिन्न स्वास्थ्य परियोजनाओं को भी कार्यान्वित करने का दावा किया जाता रहा है। इसके विपरीत विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में किये गये खुलासे के अनुसार देश में बिगड़ती सेहत का प्रमुख कारण केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा खर्च में कंजूसी बरतना है। डब्लयूएचओ की इस रिपोर्ट में भारत दुनिया के ऐसे देशों में शामिल दिखाया गया है, जहां बहुत सारी स्वास्थ्य योजनाएं अपने लक्ष्य को पूरी तरह से अंजाम नहीं दे रही है, यही कारण है स्वास्थ्य पर खर्च करने के मामले में दुनिया के 191 देशों में भारत 164वें पायदान पर रखा गया है। यूपीए के शासनकाल में योजना आयोग द्वारा बनाए गये यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज के उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समूह ने नवंबर 2011 में  2022 के लिए रिपोर्ट दी थी। इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य फाइनेंस, स्वास्थ्य ढांचे, स्वास्थ्य सेवा शर्तें, कुशल कामगारों, दवाओं और वैक्सीन तक पहुंच, प्रबंधकीय और संस्थागत सुधार और सामुदायिक भागेदारी जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने की बात कही गई थी। आयोग के अनुमान के मुताबिक 12वीं योजना के तहत 2012 से 2017 के दौरान 3.30 करोड़ खर्च किए जाने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन आयोग के सूत्रों के अनुसार देश 12वीं पंचवर्षीय योजना के तीसरे साल में प्रवेश कर चुके हैं और ऐसी रिपोर्ट के मद्देनजर स्वास्थ्य क्षेत्र में और भी बजट की दरकार है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ

सोमवार, 19 अक्तूबर 2015

रार में फंसी है सैकड़ो जजों की नियुक्तियां!

सरकार और सुप्रीम कोर्ट की खींचतान
बहाल हुई कॉलेजियम प्रणाली से होंगी नियुक्तियां
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा एनजेएसी को असंवैधानिक करार देने और पुरानी कॉलेजियम प्रणाली को बहाल करने के फैसले ने केंद्र सरकार के देश में की जा रही न्यायिक सुधार की कवायद को झटका दिया है। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में जजो की नियुक्तियों को लेकर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच कथित रार के बीच चार सौ जजों की नियुक्तियां फंसी हुई है।
केंद्र सरकार द्वारा जजो की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के गठन की प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट ने असंविधानिक करार देकर फिर से कॉलेजियम प्रणाली को बहाल कर दिया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार आमने सामने हैं। ऐसे में अभी यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि क्या देश में सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में जजों की रिक्तियों को भरने के लिए केंद्र सरकार अगला कदम बढ़ाएगी या फिर पुराने कॉलेजियम प्रणाली के तहत ही जजों की नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू होगी। केंद्र सरकार को भी कोलेजियम द्वारा पेश की गई लगभग उन 120 सिफारिशों पर फैसला करने की चुनौती है, जो कोलेजियम व्यवस्था हटाए जाने से पहले की हैं। इस व्यवस्था को गत 13 अप्रैल को राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून के जरिए हटाया गया था। देश के 24 न्यायालयों में 406 रिक्त जजों की नियुक्तियों को भरने की चुनौतियां बढ़ती नजर आ रही हैं। विधि और न्याय मंत्रालय के ताजा आंकड़ो पर नजर डाले तो देशभर में सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली अदालतों तक मौजूदा स्थिति के मुताबिक करीब पांच हजार जजों व न्यायिक अधिकारियों के रिक्त पदों को भरने की भी चुनौती है। वहीं इसी साल सैकड़ो जज सेवानिवृत्ति के मोड़ पर हैं। मसलन सुप्रीम कोर्ट में प्रमुख न्यायाधीश एचएल दत्तू समेत फिलहाल 29 न्यायाधीश कार्यरत हैं, जिनमें दिसंबर महीने में जस्टिस दत्तू और विक्रमजीत सेन सेवानिवृत्त हो जाएंगे।

अयोग्‍य सांसद-विधायक नपेंगे !

चुनाव आयोग ने तत्काल अधिसूचना जारी करने के दिये निर्देश
ओ.पी. पाल .
नई दिल्ली।
अदालत से दोषसिद्ध होते ही अयोग्य ठहराये जाने वाले सांसदों और विधायकों पर तत्काल कार्रवाही सुनिश्चित करने की दिशा में चुनाव आयोग सख्त होता नजर आ रहा है। संसद और राज्य की विधानसभाओं को जारी निर्देश में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अनुपालन में ऐसे जनप्रतिनिधियों की अयोग्यता की तत्काल अधिसूचना जारी करने को कहा गया है।
केंद्रीय चुनाव आयोग के प्रवक्ता के अनुसार उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए लोकसभा,राज्यसभा और सभी राज्यों की विधानसभा सचिवालयों को दिशानिर्देश जारी किये हैं। चुनाव आयोग के इन निर्देशों के मुताबिक संसद और विधानसभाओं में ऐसे व्यवस्था बनाने को कहा गया है कि जैसे ही अदालत से किसी निर्वाचित जनप्रतिनिधि को दोषी करार दिया जाता है तो वैसे ही उनके अयोग्य ठहराए जाने की बिना किसी भेदभाव के तत्काल अधिसूचना जारी की जाए। चुनाव आयोग ने यह दिशानिर्देश उच्चतम न्यायालय के गत 10 जुलाई 2013 को दिये गये उस फैसले के आधार पर जारी किये हैं, जिसमें शीर्ष अदालत ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 की उपधारा 4 को रद्द कर दिया था। इसके बाद अदालत से दोषी करार सांसद या विधायक अपने बचाव में अपील भी नहीं कर सकता, जो इस अधिनियम के तहत प्रावधान का लाभ उठाकर जनप्रतिधि सुरक्षित हो जाता था।

रविवार, 18 अक्तूबर 2015

एक माह में पूरा होगा विमानन कंपनियों का पुन: प्रमाण!

चौदह में दस कंपनियों ने पूरी कराई प्रक्रिया
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
सरकार द्वारा हवाई यात्रा को सुरक्षित बनाने की दिशा में उठाये जा रहे कदमों के तहत नियमित उड़ान सेवाए देने वाली विमानन कंपनियों की हर साल होने वाली पुन: प्रमाणन की प्रक्रिया एक माह में पूरी की जाएगी।
नागर विमानन महानिदेशालय यानि डीजीसीए की महानिदेशक श्रीमती एम.सतियावती ने यह दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि सभी नियमित विमानन कंपनियों के पुन: प्रमाणन का काम अगले महीने पूरा हो जाएगा। डीजीसीए के अनुसार नियमित उड़ान सेवाएं देने वाली विमानन कंपनियों के लिए पुन: प्रमाणन की प्रक्रिया इस साल की शुरूआत में प्रारंभ कर दी गई थी, जिसमें अभी तक 10 विमानन कंपनियों का ही पुन: प्रमाणन किया जा चुका है, जिन्हें अपनी सेवाएं जारी रखने की अनुमति को बरकरार रखा गया है। यहां 14 विमानन कंपनियों में से अब केवल चार कंपनियां बची हैं, जिन्हें एक माह के भीतर इस प्रक्रिया को पूरा करने को कहा गया है। गौरतलब है कि विमानन क्षेत्र में पुन: प्रमाणन की प्रक्रिया का काम यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि विमानन कंपनियां वैश्विक मानकों को पूरा कर रही हैं या नहीं। वहीं डीजीसीए का मकसद हवाई यात्राओं की सुरक्षा और यात्रियों की सुविधाओं पर खरा उतरना भी विनियामकों का प्रावधान है।

ई -मोड़ में बदलेगी देश की परिवहन प्रणाली!

संसद के आगामी सत्र में रखा जाएगा प्रस्ताव
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में बढ़ते र्इंधन के खर्च और प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने एक मेगा योजना का खाका तैयार किया है, जिसमें देशभर में चलने वाली डीजल और पेट्रोल चलित वाहनों को दो साल में इलेक्ट्रिक मोड पर लाने का लक्ष्य रखा गया है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की हरित राजमार्ग नीति का मकसद यही है कि देशभर के राष्ट्रीय राजमार्गो एवं अन्य सड़कों को हराभरा बनाकर पर्यावरण को बढ़ावा दिया जाए। इसी के साथ सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों को भी वैकल्पिक र्इंधन से जोड़ने की मेगा योजना में निर्णय लिया गया है कि दो साल के भीतर देशभर में डीजल व पेट्रोल से चलने वाले लाखों वाहनों को इलेक्ट्रिक यानि ई-वाहनों में तब्दील कर दिया जाए, जिससे प्रदूषण की समस्या से निपटा जा सकेगा और वहीं र्इंधन पर होने वाले खर्च की लागत भी कम हो सकेगी। मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने इस योजना के तहत इसरो के साथ करार को भी अंतिम रूप दे दिया है, जो लिथियम इओन बैटरी तैयार करेगा, जो वैज्ञानिक पद्धति पर चार्ज होगी और इसे कनवर्ट करके हर प्रकार के परिवहन वाहन में इस्तेमाल की जा सकेगी। मंत्रालय का अनुमान है कि ऐसे ई-वाहन की लागत भी कम हो जाएगी। सरकार को उम्मीद है कि दो साल के भीतर कम से कम 1.5 लाख बसों जैसे वाहनों को इलेक्ट्रिक मोड पर लाने की तैयारी है और इसमें सफलता मिल जाएगी। गडकरी ने पहले भी इस परिवहन प्रणाली को लागू करने पर कुछ अन्य मंत्रालयों से भी विचार-विमर्श किया है, जिसके लिए मंत्रालय में एक मसौदा भी तैयार किया जा रहा है। इस मसौदे को एक प्रस्ताव के रूप में संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में संसद में अन्य दलों से भी सुझाव लेने के लिए चर्चा कराने की तैयारी की जा रही है।

राग दरबार-साहित्‍यकारों की भेडा चाल..

राजनीति के फेर में साहित्य
देश में भेड़ा चाल..सदियों पुरानी कहावत परिचलित है, जो साहित्य पुरस्कारों को लौटाने पर भी फिलहाल बड़े ही जोरोशोरो से चरितार्थ होती दिख रही है। मसलन साहित्य के भी होते राजनीतिकरण की आहट में पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकार इस भेड़ चाल के तेजी से शिकार होते नजर आ रहे हैं। साहित्य के राजनीतिकरण का तात्पर्य इसी अर्थ में कहा जा रहा है कि इन पुरस्कारों के लौटाने पर राजनीतिक लोग टकराव यानि नकारात्मक संदेश दे रहे हैं। एक भी ऐसा बोल सामने नहीं आया कि जिसमें सकारात्मक भाव विद्यमान हो। राजनीतिक गलियारों में तो यही चर्चा है कि पुरस्कारों को लौटाने की धार और दादरी के बिसाहड़ा में गोमांस की अफवाह पर अखलाख को पीट-पीट कर मार डालने वाली भीड़ में कोई अंतर नहीं है। यानि उधर अफवाह और इधर खुद का पैदा किया गया अंदेशा। इन दिनों पुरस्कार लौटा कर सुर्खियों में आए साहित्यकार ज्यादातर वह है, जिनका भाजपा विरोध का अपना एजेंडा है। सांप्रदायिक टकराव आजादी से पहले से ही किसी न किसी रूप में रहा है, लेकिन आम हिंदुस्तानी सहिष्णु है। पुरस्कार लौटाने वाले प्रधानमंत्री को बदनाम करने पर तुले हैं और होशियारी से यह साबित करना चाहते हैं कि स्वायत्त साहित्य अकादमी सरकार नियंत्रित है। वैसे पुरस्कारों को लेकर राजनीति की बात हमेशा चलती रहती है। पुरस्कार हासिल करने की यदि कोई राजनीति है तो उसे वापस करना भी राजनीति ही है।
मुलायम के बोल
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव कब क्या बात कहकर सियासी गर्मी पैदा कर दें कोई कह नहीं सकता। नेताजी ने कुछ दिन पहले बयान दिया कि बिहार में भाजपा गठबंधन जीत हासिल कर रहा था, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत अगर आरक्षण को लेकर बयान नहीं देते तो। मुलायम के इस बयान से नीतीश और लालू तो हक्के-बक्के रह गये। दोनोंको लगता था कि नेताजी भले ही उनसे नाराज होकर अलग से चुनाव लड़ रहें हो पर भाजपा के लिए तो कोई नरमी नहीं रखते हैं। मुलायम भी भाजपा को जबतब निशाने पर लेते रहते हैं पर इस बार उनको राजद और जदयू से हिसाब चुकता करना था। चर्चा है कि अपने उम्मीदवारों को बिहार में विजय हासिल न करते देख ही मुलायम ने भाजपा की जीत को लेकर बयान दिया ताकि उनके समर्थक इशारा समझकर वोट डालने जाए। हालांकि कयास यह भी लग रहे हैं कि नेताजी ने भाजपा के प्रति अपना लहजा इसलिए नरम किया है ताकि यादव सिंह के मामले से बचा जा सके। यादव सिंह को सीबीआई दबोचे हुए है और मुलायम सिंह नहीं चाहते कि इस मामले की आंच उनके कुनबे तक पहुंचे। इसलिए थोड़ा संभल कर बोल रहे हैं नेताजी।
मंत्रीजी के ज्योतिषी
केंद्र सरकार के एक अहम महकमे में जूनियर मंत्री इन दिनों बिहार विधान सभा चुनाव में पूरी शिद्दत से जुटे हुए हैं। वह अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में लगातार रैलियां और सभाएं कर रहे हैं। मंत्रीजी का ज्योतिष पर भी पूरा भरोसा है। लिहाजा, वह ग्रह, दशा व मुहूर्त के हिसाब से ही प्रचार कार्यक्रम तय कराते हैं। इसमें उनकी मदद उनके एक सलाहकार कर रहे हैं। दरअसल, ये सलाहकार महोदय ही मंत्रीजी के विश्वस्त ज्योतिषी हैं। लोकसभा चुनाव सं पहले ही सलाहकार ने ये भविष्यवाणी कर दी थी कि उन्हें मंत्री पद मिलेगा। हुआ भी वैसा ही। तब से मंत्रीजी आंख मूंद कर अपने ज्योतिष सलाहकार पर भरोसा करते हां। अब चर्चा है कि मंत्रीजी के सलाहकार ने उने मुख्यमंत्री बनने की संभावना जताई है। इस भविष्यवाणी के बाद से ही ये मंत्रीजी काफी उत्साहित हैं और जमकर मेहनत कर रहे हैं। हालांकि, मंत्रीजी की पार्टी के हिस्से में जितनी सीटें आईं हैं उसके मुताबिक तो मुख्यमंत्री बनने की दूर तक कोई संभावना नजर नही आती. . लेकिन उनके ज्योतिषी ने जो ख्वाब दिखाए हैं उसके चलते मंत्रीजी के धुआंधार चुनाव प्रचार से पार्टी के खाते में जरूर कुछ सीटें आ सकती हैं।
आलीशान तो है मंत्री जी का नया कमरा
करीब डेढ़ साल पुरानी सरकार के मुखिया यानि प्रधानमंत्री जहां कामकाज को प्राथमिक्ता देते हैं तो वहीं उनके कैबिनेट के मंत्री काम को छोड़कर अन्य गैरजरूरी चीजों को अपनी प्रायोरिटी लिस्ट में नंबर वन बनाए हुए हैं। प्रायोरिटी भी देखिए किसी और चीज की नहीं बल्कि मंत्रालय में बैठने के लिए एक अदद आलीशान कमरे में बैठने की ख्वाहिश की है। यहां बात मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री रामशंकर कठेरिया की हो रही है। मंत्री बनने के बाद जो कमरा शास्त्री भवन स्थित एचआरडी मंत्रालय में इन्हें दिया गया था। वो मंत्री जी को अपने पद के हिसाब से बहुत छोटा लग रहा था। कमरा छोटा होने के चलते कठेरिया कई महीनों तक मंत्रालयी कामकाज अपने सरकारी आवास से ही निपटाते रहे यानि मंत्रालय में एबसेंट रहे। मंत्री जी का ये रूख देखकर उनके लिए तुरंत मंत्रालय में एक बड़े कमरे की व्यवस्था की गई। काम शुरू हुआ और कुछ महीनों में ही नया और आलीशान कमरा चकाचक बनकर तैयार हो गया है। कमरा बनते ही मंत्री जी भी बिना लाग लपेट के आ गए अपने नए नवेले आलीशान कमरे में और शुरू हो गया काम। इसे देखकर तो यही कहेंगे कि मंत्री जी को अपनी जिम्मेदारियों से ज्यादा प्यारा और बड़ा उनका कमरा है।
18Oct-2015

शनिवार, 17 अक्तूबर 2015

अमेरिकी विमानन कंपनी-बोइंग भारत में बनाएगी विमान!

मेक इन इंडिया से जुड़ने पर जताई सहमति
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
दुनियाभर में दिग्गज विमान निर्माता कंपनियों में शुमार अमेरिकी बोइंग विमानन कंपनी ने मोदी सरकार के मेक इन इंडिया अभियान से जुड़ने पर सहमति जताई है, जिसके तहत यह कंपनी भारत में अपाचे लडाकू हेलीकाप्टर या चिनूक हैवी लिफ्ट हेलीकाप्टर का निर्माण कर सकती है।
नागर विमानन मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि अमेरिकी विमानन कंपनी बोइंग के चेयरमैन जेम्स मैकनर्नी ने मेक इन इंडिया अभियान के साथ सहमति जताते हुए कहा कि उनकी कंपनी अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर या चिनूक चॉपर को भारत में ही असेम्बल करने पर विचार कर रही है। इस सहमति से फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे में बदलाव के बाद अब अचानक दुनिया की सबसे बड़ी विमान निमार्ता कंपनी बोईंग ने अत्याधुनिक लड़ाकू विमान का भारत में निर्माण करने की योजना का खुलासा किया। बोईंग के चेयरमैन जेम्स मैकनर्नी का यहां तक कहना है कि उनकी कंपनी भारत में लड़ाकू विमान का निर्माण करने के लिए तैयार है, और उससे भारत को भी वह तकनीक मिल जाएगी, जिसका निर्माण के क्षेत्र में कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। मैकनर्नी ने कहा कि भारत के लिए 'मेक इन इंडिया' बेहद महत्वपूर्ण पहल है। दरअसल बोईंग ने एफ-18 हॉरनेट जैसे लड़ाकू विमान बनाए हैं, जो राफेल का सौदा पक्का होने से पहले भारत द्वारा पसंद किए जाने वाले विमानों की दौड़ में शामिल थे। भारत का मानना है कि अब भारतीय वायुसेना को बहुत-से ऐसे विमानों की जरूरत है, जिनमें इंटरसेप्शन, जमीनी हमले तथा हवाई सुरक्षा से जुड़ी तकनीक मौजूद हों। ऐसे में बोइंग के मेक इन इंडिया से जुड़ने से इन जरूरतों को पूरा करना आसान हो सकता है। मैकनर्नी ने यह भी कहा कि वह भारत के साथ अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में भी साझीदारी करना चाहते हैं। उनका मानना है कि बहुत-से क्षेत्रों में भारत से साझीदारी के विकल्प उस समय काफी बढ़ गए थे, जब भारत और अमेरिका के बीच नागरिक परमाणु समझौता हुआ था। गौरतलब है कि पिछले माह ही बोईंग को भारत की ओर से 37 सैन्य हेलीकॉप्टरों जिनमें 22 अपाचे और 15 चिनूक हेलीकॉप्टर शामिल है की आपूर्ति का तीन अरब अमेरिकी डॉलर का आॅर्डर मिला है।
हेलीकाप्टर उद्योग को बढ़ावा देगी सरकार!
नई विमानन नीति में शामिल होगी मेगा योजना
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार द्वारा हवाई सेवाओं की आम आदमी तक पहुंच बनाने की दिशा में नई नागर विमानन नीति में ऐसी मेगा योजना को भी शामिल करने करने का निर्णय लिया है, जिसके जरिए देश में हेलीकाप्टर उद्योग को बढ़ावा मिल सके। सरकार का मकसद है कि खासकर पूर्वोत्तर राज्यों के पहाड़ी इलाकों में हेलीकाप्टर सेवाओं का आवागमन सहजता से बढ़ाया जा सके।

शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2015

जल्द घट जाएगा दिल्ली-जयपुर का सफर!

राजस्थान में शुरू होंगी 20 हजार करोड़ की परियोजनाएं
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने दिल्ली-जयपुर के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग के विकास कार्य की बाधाएं दूर करने का दावा किया है। केंद्र सरकार ने अधूरे पड़े राजमार्ग के काम को जल्द से जल्द पूरा करके जयपुर से दिल्ली के सफर को बेहद आसान बनाने की योजना को अंतिम रूप दे दिया है। मसलन मार्च तक इन दोनों शहरों का सफर मात्र तीन घंटे का रह जाएगा।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार राजस्थान में 20 हजार करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाओं को हरी झंडी देने के बाद गुरुवार को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बस में सवार होकर दिल्ली से जयपुर राजमार्ग का जायजा लिया। गड़करी ने स्थलीय निरीक्षण के बाद कहा कि राजस्थान की राजधानी जयपुर और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग का फिलहाल चल रहा चार घंटे का सफर आगामी मार्च 2016 तक तीन घंटे का ही रह जाएगा। इस राजमार्ग के खराब होने के कारण बढ़ रही दुर्घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए गडकरी ने इसके लिए पूर्ववर्ती सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने तर्क दिया कि यह परियोजना वर्ष 2011 में पूरी हो जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने विवाद में फंसे राजमार्ग के काम की सभी बाधाओं को दूर कर लिया है और इस महत्वपूर्ण राजमार्ग परियोजना में तीन कामों को छोड़कर फ्लाई ओवरों सहित 57 ढांचों का निर्माण दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। उस समय जब इस परियोजना का उद्घाटन होगा। केंद्र सरकार के लिए पिंक सिटी एक्सप्रेसवे परियोजना पूरी करना प्राथमिकता में रही है।

गुरुवार, 15 अक्तूबर 2015

लंबित सड़क परियोजनाओं पर आगे बढ़ी सरकार!


सुस्त पड़ी परियोजनाओं को मिलेगी एकमुश्त राशि
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने उन लंबित सड़क परियोजनाओं को भी पूरा करने के लिए कमर कस ली है, जिनके लिए अभी तक किसी न किसी बाधा के कारण संघर्ष करना पड़ा रहा था। ऐसी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार ने एकमुश्त राशि देने का फैसला किया है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बताया कि बुधवार को ही केंद्र सरकार द्वारा अधर में लटकी और सुस्त पड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने और उसके पूरा करने के लिए एकमुश्त राशि को मंजूरी प्रदान की है। यह यह मंजूरी बीओटी (टोल) परियोजनाओं से लेकर बीओटी (वार्षिकी) के लिए उपलब्ध प्रावधानों के विस्तार के तहत की गई है। इस निर्णय से इस वर्ष जून में एनएचएआई द्वारा बीओटी (टोल) परियोजना को विस्तृत करने के लिए एकमुश्त राशि देने पर जारी नीति परिपत्र के प्रावधानों को बीओटी (वार्षिकी) तक विस्तृत करने की अनुमित मिल जाएगी। मंत्रालय के अनुसार इस निर्णय के बाद 50 प्रतिशत काम पूरा होने के बावजूद एक नवंबर 2014 से लटकी पड़ी इस तरह की परियोजनाओं के लिए धन का एकमुश्त राशि के तौर पर वितरण किया जाएगा। इस तरह के सभी मामले और प्रत्येक मामले में जरूरी धनराशि प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत की जाएगी। प्रस्ताव के अनुसार राजमार्ग क्षेत्र 3.8 लाख करोड़ रुपये की लटकी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहा है, लेकिन कई मामलों में निर्माण एजेंसी इसमें रुचि नहीं दिखा पा रही थी। सरकार के इस निर्णय से देश में लटकी पड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में एक बार फिर से जान आएगी। इससे देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति और बेहतर होगी। वहीं इस नीति को अपनाने से पीपीपी व्यवस्था में सभी प्रमुख हितधारकों प्राधिकरण, ऋणदाता और डेवलपर, रियायतग्राहियों को फायदा होगा। इस क्षेत्र के पुनर्जीवित होने से इस क्षेत्र में नागरिक और यात्रियों को राहत मिलेगी और इससे आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी। इसके लिए वित्तपोषण करने वाली एजेंसी, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण तथा बिल्डर के बीच त्रिपक्षीय करार किया जाएगा।

बुधवार, 14 अक्तूबर 2015

देश में हर चार मिनट में हो रही एक मौत

सड़क हादसों पर जल्द अंकुश न लगा तो बढ़ेंगी मौतें!
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
भले ही केंद्र सरकार ने सड़कों पर होने वाले हादसों पर काबू पाने के मकसद से सड़क सुरक्षा योजना में कई कदम उठाने का दावा किया है, लेकिन यदि जल्द ही सडक हादसों पर अंकुश न लगा तो आने वाले पांच सालों में हर तीन मिनट में एक मौत सामने होगी, जो फिलहाल चार मिनट में एक मौत का आंकड़ा है।
देश में सड़क सुरक्षा पर काम करने वाली एक गैर सरकारी संगठन इंडियन फॉर रोड सेफ्टी की जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश में होने वाले सड़क हादसों में हर चार मिनट में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। संस्था ने ऐसी दुर्घटनाओं पर 3.8 लाख करोड़ रुपए या जीडीपी का तीन प्रतिशत खर्च होने का अनुमान भी लगाया है। वहीं यह भी आशंका जताई है कि यदि देश में सड़क हादसों और इनके कारण होने वाली मौतों पर जल्द ही अंकुश नहीं लगया गया तो वर्ष 2020 तक हर तीन मिनट में एक व्यक्ति की मौत हो सकती है। मसलन ऐसे में दुर्घटनाओं पर होने वाले खर्च का बढ़ना भी स्वाभाविक है। संस्था ने इस चौंकाने वाले आंकड़ों का खुलासा यहां ‘टैकलिंग द चैलेंजेज आॅफ अनसेफ वेहिकिल आॅन इंडियन रोड्स’ विषय पर आयोजित एक सेमिनार में किया है। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि देश में 'कैसे रुकेंगे सड़क हादसे? जबकि भारत में हर मिनट एक सड़क दुर्घटना होती है और उसके कारण हर चार मिनट में एक जान गंवानी पड़ रही है। यह तथ्य भी सामने आए हैं कि सड़कों पर मरने वालों में एक तिहाई 15 से 25 साल की उम्र के नौजवान होते हैं। इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (इंडिया चैप्टर) से जुड़े एनके सिन्हा की माने तो सड़कों पर स्पीड कॉमिंग मैजर (गतिशमन उपाय) लगे होने चाहिए, ताकि लोग अपनी गाड़ी की रफ़्तार कम करने को मजबूर हों। स्पीड ब्रेकर, उठे हुए जेबरा क्रासिंग और राउंड अबाउट जैसे उपाय हादसों को कम करने में काफी कारगर हो सकते है। यातायात क्षेत्र में सजा व जुमार्ना बढ़ाने,या ट्रैफिक एजुकेशन देने अथवा बोर्ड लगाने से खास फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है।

राग दरबार-बीप के ब्रांड एम्बेसडर

सियासी पर्यटन और इंटरटेनमेंट
बिहार विधानसभा चुनाव विश्व राजनीतिक पर्यटन का फिलहाल एक महत्वपूर्ण डेस्टिनेशन है। जिसे देखो उसका रुख पटना की ओर है। देशी चैनलों के पत्रकारों का बड़ा दल इन दिनों पटना से पोलिटकल-शो ऐसे आॅन-एयर कर रहे हैं जैसे एयर में और कुछ है ही नहीं। विदेशी पत्रकार जो भारत में पोस्टेड •ाी नहीं वे भी अमेरिका, जापान और आॅस्ट्रेलिया जैसे देशों से आकर बिहार विधानसभा चुनाव 2015 की रिपोर्टिंग कर रहे हैं। मानो कोई बड़ा सियासी जलसा चल रहा हो। ऐसे देश जिन्हें भारत में बड़ा निवेश करना है वे भी बिहार चुनाव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ताकतवर होने को अनोन्याश्रय संबंध मानकर डेरा डाले बैठे हैें। वोटर कन्μयूज्ड है।
इतना हो-हल्ला पहले कभी किसी चुनाव में नहीं हुआ। इतनी ताकत। इतना पैसा। इतने दल। और इतने चुनाव चिन्ह। सपा सहित चार दलों के पास साइकिल चिन्ह है। तीर जदयू का चुनाव चिन्ह है तो तीर कमान लेकर शिवसेना और झामुमो के प्रत्याशी तैनात हैं। मुख्य रूप से चुनाव भाजपा के राजग गठबंधन और जदयू महागठबंधन के बीच है। मगर, वोटरों को वोटिंग मशीन पर चुनाव चिन्ह के रूप में आइस्क्रीम, गुड्डा, गुड़िया, बैट, हॉकी, बॉल, रेडियो समेत मनोरंजन के तमाम साधन मिलेंगे।
बीप के ब्रांड एम्बेसडर
देश की सियासत ही अजीब है, वह जो कर दे वही थोड़ा सा ही लगता है। मसलन हर कोई सियासी नुमाइंदा सांप्रदायिक सौहार्द्र की दुहाई देने में तो पीछे नहीं है, लेकिन बिगड़ते सौहार्द्र को राजनीतिक मुद्दा बनाने में भी किसी को हिचक नहीं। बीप को लेकर दादरी कांड में ऐसा ही देखा जा सकता है कि जहां कमंडल वाले बाबाओं ने आजम खान जैसे मंडल के ध्वजवाहक को ही गौ मांस(बीप) का ब्रांड एम्बेसडर ही बना दिया है, जिसने पाकिस्तान की तर्ज पर यूएन जाने की रट लगा रखी है। मुद्दे का हाथ से निकलता देख ओवैसी साहब भी आजम को आड़े हाथ लेकर राष्टÑवादी किरदार में नजर आने लगे। ओवैसी के इस किरदार में ऐसे ख्यालात सामने आए कि आजम खान साहब को संयुक्त राष्ट्र संघ जरूर जाना चाहिए, लेकिन उन्हें वीजा में नाम के साथ खान पढ़ते ही अमेरिकी एयरपोर्ट पर ही सुरक्षा एजेंसियां उन्हें घेरकर घंटों पूछताछ के साथ जामा तलाशी लेकर ही पिंड छुडाना पड़ेगा यह भी उन्हें ध्यान में रखना चाहिए। ऐसे में सवाल उठे कि तुनकमिजाज रामपुरिया खान गुस्से में क्या तत्काल ही भारत नहीं लौट आएंगे? ऐसा वह पहले भी भुगत चुके हैं। राजनीति गलियारे में इस मुद्दे पर यही चर्चा है कि ऐसा करने के बाद आजम कहां अमेरिकी एयरपोर्ट से ही भारतीय मुसलमानों के बेइज्जत करने पर बयान देने के अलावा कुछ भी नहीं कर पाएंगे और उन्हें यह भी अहसास हो जाना चाहिए कि भारत में ही मुसलमान कितने सम्मान और सुरक्षा के माहौल में जी सकता है।
ये किस जीत का जश्न है मेरे भाई......
किसी भी कार्य के सफल होने के बाद उसकी खुशी में जश्न मनाना तो आम इंसानी फितरत होती है। लेकिन बिना कार्य सिद्धी के नाचना-कूदना हास्यास्पद सा जान पड़ता है। हो कुछ भी क्या फर्क पड़ता है जश्न तो मनाया ही जाएगा वो भी पूरे लाव लश्कर और गाजे-बाजे के साथ। यहां बात 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की हो रही है, जिसे भारत ने जीता या पाकिस्तान ने कोई स्पष्ट प्रमाण किसी के पास नहीं है। लेकिन जैसे ही इस साल युद्ध के 50 साल पूरे हुए यानि स्वर्ण जयंती आई तो दोनों देशों की मानो बल्ले-बल्ले हो गई। दोनों ओर युद्ध जीत लेने का जश्न मनना शुरू हो गया। एक कहता कि हमने दूसरे को पटका तो दूसरा कहता मैंने उसे नाको चने चबवा दिए। ऐसी निराधार जीत का क्या कीजे जनाब जिसका दूर-दूर तक कोई अता पता नहीं। ऐसे जश्न पर तो लोग ये ही कहेंगे कि ये किस जीत का जश्न है मेरे भाई।
--हरिभूमि ब्यूरो
11Oct-2015

शनिवार, 10 अक्तूबर 2015

फ्लाई ओवर भी नहीं दे पाए जाम से राहत!

दिल्ली में हर साल स्वाह हो जाती है अरबो की रकम
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने देश में सड़क परिवहन को आसान बनाने के लिए भले ही कई सड़क परियोजनाओं को पटरी पर उतारा हो, लेकिन यह किसी से छिपा नहीं कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में समय-समय पर बनाए गये फ्लाई ओवर और मेट्रो का परिचालन भी दिल्ली की सड़कों पर जाम से राहत नहीं दे पा रहा है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि हर साल पांच सौ अरब से भी ज्यादा की रकम दिल्ली की सड़कों पर वाहनों के जाम के तामझाम में ही स्वाह हो जाती है।
सड़क परिवहन से जुडे विशेषज्ञों के आकलन पर गौर करें तो दिल्ली की सड़कों पर जगह-जगह लगने वाले जाम के कारण उसमें फंसे वाहनों के कारण समय की बर्बादी तो होती ही है, वहीं वाहन के र्इंधन का खर्च भी जाम लगने के दौरान जेब को खाली करता नजर आता है। धन की बर्बादी के कारण में यदि पैट्रोल चालित एक कार का रोज 20 किमी सफर हो और उसका माईलेज 15 किमी प्रति लीटर होने के बावजूद उसके र्इंधन की लागत का खर्च 25 से 30 फीसदी जाम के कारण स्वत: ही बढ़ जाता है। इसी प्रकार दुपहिया वाहन की बात की जाए तो औसतन 50 किमी प्रति लीटर माइलेज के बावजूद उसका सफर सिकुड जाता है। यही हाल अन्य वाहनों का है। एक सर्वे के आंकड़ों में इसी प्रकार जाम के कारण दिल्ली में हर साल पांच सौ अरब से ज्यादा रुपयों के नुकसान का आकलन सामने आया है। एक डीटीसी बस ब्रेक डाउन होती है तो चार घंटे बसों के हाइड्रोलिक होने के कारण यातायात प्रभावित होता है। देश की राजधानी में जाम का आलम तो यह है कि लुटियन जोन भी इससे अछूता नहीं है, जहां वाहन चालकों को घंटों तक जाम का शिकार होना पड़ता है। राजधनी के हर इलाके में लगने वाले जाम के पीछे वजहें भी अलग-अलग सामने हैं। धरना-प्रदर्शनों के कारण भी दिल्ली जाम होती देखी गई है। एक आकलन के मुताबिक वर्ष 2014 के दौरान दिल्ली में 2409 प्रदर्शन, 361 रैलियां, 4170 धरने व हड़ताल, 342 त्यौहार संबंधी कार्यक्रमों के कारण भी जाम की स्थिति बनी है। बारिश होने पर तो जाम की स्थिति और भी ज्यादा विकराल रूप लेती देखी गई है। एक आंकड़े के मुताबिक बारिश के मौसम में दिल्ली की ऐसी 152 जगह चिन्हित हैं जहां जलभराव होता है, जिसके लिए दिल्ली यातायात पुलिस भी सिविक एजेंसियों को चेता चुकी है, क्योंकि तेज बारिश के कारण ट्रैफिक सिग्नल काम नहीं करने से वाहनों की लंबी लाइन सड़कों पर लग जाती है।

गुरुवार, 8 अक्तूबर 2015

दिल्ली में वाहनों की भीड़ घटाने की तैयारी!

जल्द पूरी होगी सड़क परियोजनाओं के टेंडर प्रक्रिया 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
दिल्ली में वाहनों के बोझ को कम करने के लिए सरकार की ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए जल्द ही काम शुरू कर दिया जाएगा। इस परियोजना के पूरा होते ही दिल्ली में घुसे बिना वाहन यूपी से हरियाणा और अन्य रास्तों पर जा सकेंगे। इसी एक अन्य परियोजना में दिल्ली से मेरठ तक बनाए जा रहे एक्सप्रेस वे के टेंडर जारी कर दिये गये हैं।
केंद्र सरकार ने अगले छह महीनो में राष्ट्रीय राजमार्ग के नेटवर्क में करीब 50 हजार किलोमीटर सड़क का इजाफा करने का लक्ष्य रखा है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का दावा है कि यूपीए के दस साल के कार्यकाल में कुल करीब 18 हजार किमी राजमार्ग का निर्माण हुआ है, जबकि राजग सरकार ने 15 सितंबर के बाद अभी तक करीब 7.5 हजार किमी राजमार्ग का निर्माण पूरा किया है, जो सरकार की सड़क निर्माण में तेजी दर्शाता है। ऐसी ही परियोजना में दिल्ली के बाहर हरियाणा से होते हुए यूपी को जोड़ते हुए हरियाणा के सोनीपत तक बनने वाले 135 किमी लंबे ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे के निर्माण का कार्य भी जल्दी शुरू कर दिया जाएगा, जिसके लिए इसी महीने टेंडर जारी करने की योजना है। मंत्रालय के अनुसार इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने पिछले महीने ही 7558 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत को मंजूरी दी थी। इसी प्रकार दिल्ली से गाजियाबाद के रास्ते हापुड़ और मेरठ के सफर को आसान बनाने के लिए नेशनल हाइवे अथॉरिटी आॅफ इंडिया ने निजामुद्दीन पुल से लेकर डासना तक एनएच-24 की 28 किमी. सड़क को 14 लेन का बनाने के लिए टेंडर जारी कर दिया है, जिसका विस्तार पिछले सात साल से अधर में लटका हुआ था। इसके अलावा डासना से हापुड़ के बीच 22 किमी. सड़क को छह लेन करने के लिए भी टेंडर इसी महीने जारी किये जाने हैं।

बुधवार, 7 अक्तूबर 2015

नहीं घटेगा जेलों में कैदियों का बोझ!

देशभर की जेलों में बंद हैं 68 फीसदी विचाराधीन कैदी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में जेल आधुनिकीकरण और उनकी क्षमता बढ़ाने जैसी सुधार योजनाओं को भी अंजाम तक पहुंचाने के प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन जेलों पर क्षमता से अधिक कैदियों का बोझ बरकरार है। इसका कारण जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की भरमार होना भी माना जा रहा है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय भी स्वीकार कर रही है कि देश की ज्यादातर जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार देश की 1391 जेलों में 3,47,859 कैदियों की क्षमता के विपरीत 4,18,536 कैदी बंद हैं, जिनमें 54.5 प्रतिशत कैदी उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के ताजे आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत की जेलों में बंद इन कैदियों में 2,31,962 यानि 68 प्रतिशत विचाराधीन यानि अंडर ट्रायल कैदी अपनी किस्मत का इंतजार कर रहे हैं। आंकड़े के अनुसार विचाराधीन कैदियों में 69,225 यानि 27.3 प्रतिशत हत्या के आरोप में सलाखों के पीछे हैं। यही नहीं जेलों में सभी विचाराधीन कैदियों में ऐसे 40 प्रतिशत कैदी छह माह से अधिक समय से बंद हैं, जिन्हें जमानत पर रिहा किया जाना है। तीन माह से अधिक समय से जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। जबकि वर्ष 2013 में यह आंकड़ा 62 प्रतिशत था। ऐसे विचाराधीन कैदियों में 3540 कैदी तो पिछले पांच साल से अधिक समय से जेल में बंद है, जबकि 5394 मानसिक रूप से बीमार बताए जा रहे हैं। मसलन कि ज्यादातर ऐसे कैदी जेलों में बंद है जिन्हें जमानत मिल सकती है, लेकिन अदालतों में चलने वाली तारीख पर तारीख भी जेलों में कैदियों की बढ़ती संख्या का बड़ा कारण माना जा रहा है।

मंगलवार, 6 अक्तूबर 2015

चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के टूटे रिकार्ड!

पहले चरण के मतदान से पहले ही 1413 मामले दर्ज
करोड़ों की नकदी, हथियार व शराब जब्त
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
बिहार में पांच चरणों में कराए जा रहे विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से अभी तक राज्य में चुनाव आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के पिछले सभी रिकार्ड भंग हो गये हैं। राज्य में अभी पहले चरण का मतदान भी नहीं हो पाया, लेकिन राज्य में अबतक 1413 मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
केंद्रीय चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने राज्य चुनाव आयोग के हवाले से आई रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि सोमवार को बिहार में इससे पहले वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 1059 और 2010 में विधानसभा चुनाव में 1185 मामले दर्ज किए गए थे। निर्वाचन आयोग के अनुसार चुनाव आयोग के निर्देश पर सभी जिलों में चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत सार्वजनिक एवं निजी संपत्तियों पर लगाए गए पोस्टर एवं दीवार लेखन के सर्वाधिक मामले दर्ज किए गए हैं। बिना अनुमति के लगे पोस्टर को हटाने की कार्रवाई भी चुनाव आयोग कर रहा है। चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक नामांकन दाखिल करने के दौरान निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय में अधिकतम पांच समर्थक प्रवेश कर सकते हैं, लेकिन कोई भी दल या प्रत्याशी इस नियम का पालन करने में नाकाम हैं, इस संबन्ध में भी ज्यादातर जिलों में मामले दर्ज किये गये हैं। यही नहीं चुनाव आयोग की टीमें की जारी निगरानी में कई स्थानों पर तीन से अधिक वाहन लेकर नामांकन केंद्र पर पहुंचने को भी आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए मामले दर्ज हुए हैं। चुनाव आयोग के अनुसार आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज मामलों की पुलिस जांच करके अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश करेगी, जिसमें अंतिम निर्णय चुनाव आयोग के बजाए अदालतों का होगा। अभी तक 520 लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किये जा चुके हैं।

सोमवार, 5 अक्तूबर 2015

विदेशियों को नहीं मिलेगी किराये की कोख!

सरकार सख्त कानून बनाने के लिए लाएगी विधेयक
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
भविष्य में विदेशियों के लिए भारत में किराये की कोख लेना बेहद मुश्किल हो जाएगा। मसलन केंद्र सरकार देश में किराये की कोख यानि सरोगेसी के कानूनी नियमों को सख्त बनाकर ऐसे प्रावधान लागू करने के लिए जल्द ही एक विधेयक लाने की तैयारी में है। जिसके बाद भारत में कोई भी विदेशी किसी महिला को सरोगेट मदर बनने की पेशकश नहीं कर सकेगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार का सरोगेसी के लिए कानूनी नियमों को सख्त करने का मकसद किराये की कोख के दुरुपयोग रोकना है। सरकार ने ऐसे कानून के लिए संसद में एक नया विधयेक लाने के लिए मसौदा भी तैयार करा लिया है, ताकि सरोगेसी को ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सके। यानि इस काननू के लागू होने पर किसी भी विदेशी नागरिक का भारत में किराये की कोख लेना नामुमकिन ही नहीं, बल्कि असंभव हो जाएगा। सूत्रों के अनुसार नये ‘असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन बिल’ में ऐसे प्रावधान किए जा रहे हैं जिससे सरोगेसी के मामलों में बहुत हद दुरुपयोग को रोका जा सकेगा। दरअसल सरकार का पूरा ध्यान सरोगेसी के कानूनी पहलू को दुरुस्त करने के अलावा इसे सुरक्षित बनाने पर है। क्योंकि भारत में नियम-कानून को ताक पर रखकर कई जगहों पर ऐसे क्लिनिक चलाए जाने की शिकायते रही हैं, जहां सरोगेसी को लेकर उत्पीड़न होता है। वहीं किराये की कोख लेने के लिए विदेशियों को मोटी राशि चुकानी पड़ती है। सूत्रों के अनुसार 2.5 से 6 लाख रुपये तक या उससे भी अधिक रकम किराये की कोख के लिए वसूलने के मामले सामने आए हैं। हालांकि विदेशी नागरिकों का भारत से किराये की कोख लेना कोई नई बात नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक करीब 10 हजार विदेशी प्रत्येक साल भारत का दौरा किराये की कोख के लिए करते हैं। इनमें से 30 फीसदी सिंगल या होमोसेक्सुअल होते हैं।

पहले चरण में 30 फीसदी दागी उम्मीदवार!

बिहार विधानसभा चुनाव
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
बिहार विधानसभा की 49 सीटों के लिए 12 अक्टूबर को होने वाले पहले चरण के चुनाव में जिन 583 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा, उनमें 174 यानि 30 प्रतिशत प्रत्याशियों पर आपराधिक दाग है। जबकि 146 प्रत्याशी करोड़पतियों की फेहरिस्त में शामिल है।
देश में चुनाव सुधार के लिए उठाए जा रहे कदमों का समर्थन करते हुए भले ही सभी राजनीतिक दल राजनीति के आपराधीकरण को खत्म करने की दुहाई देते आ रहे हों, लेकिन उसके विपरीत कोई भी राजनीतिक दल ऐसा नहीं है जो चुनाव में आपराधियों को गले न लगाता हो। मसलन एसोसिएशन फॉर डेमोके्रटिक रिफार्म्स यानि एडीआर द्वारा बिहार में पहले चरण में 49 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने सियासी मैदान में उतरे 583 उम्मीदवारों की खंगाली गई पृष्ठभूमि में जो खुलासा किया गया है उसके अनुसार इस चरण में 174 प्रत्याशी ऐसे हैं जिनके खिलाफ अदालतों में आपराधिक मामले लंबित हैं, इनमें 130 यानि 22 प्रतिशत उम्मीदवार तो ऐसे हैं, जिनके खिलाफ हत्या, डकैती, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध और सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने जैसे गंभीर मामले चल रहे हैं। इनमें 16 प्रत्याशियों के खिलाफ हत्या के मामले दर्ज हैं, जिनमें जदयू के प्रदीप कुमार के खिलाफ चार मामले हैं। जबकि सात अन्य निर्दलीय प्रत्याशियों पर भी हत्या के मामले दर्ज हैं। इसी प्रकार हत्या के प्रयास करने वाले 37 प्रत्याशी, 11 के खिलाफ महिलाओं के खिलाफ अपराध, पांच के खिलाफ डकैती व लूट, नौ के खिलाफ अपहरण तथा दो के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा फैलाने का भी आरोप है। इन दागी प्रत्याशियों में भाजपा व सीपीआई के सर्वाधिक 14-14, बसपा के 11, जदयू के 11, सपा के नौ, लोजपा, राजद, बसपा व सीपीएम के 8-8,कांग्रेस के छह तथा 45 निर्दलीय प्रत्याशी शामिल हैं। संगीन अपराध में भाजपा के सबसे ज्यादा दस तथा जदयू के नौ प्रत्याशी शामिल हैं।

रविवार, 4 अक्तूबर 2015

राग दरबार- सावधान! चमकेश बहादुरों...

हरित राजमार्ग नीति
भ्रष्टाचार..शब्द देश के सिस्टम से बाहर होगा या नहीं! यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन शायद मोदी सरकार सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकने पर सतर्क है। शायद इसी मकसद से देश में राष्टÑीय राजमार्गो को हरा-भरा करने के लिए जारी हुई हरित राजमार्ग नीति में ऐसे भ्रष्टाचार या धांधलियों की बू को सरकार ने पहचानने का प्रयास किया है। इसी लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस नीति के कार्यान्वयन में स्थानीय लोगों, एनजीओ और इस क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को शामिल करने की योजना तो बनाई है, लेकिन इस नीति के जरिए रोजगार को बढ़ावा देने के साथ ही मुस्कराते हुए मंत्री जी ने स्पष्ट कर दिया है कि सड़को के किनारे लगने वाले पेड़ों की मानिटरिंग के बाद ही भुगतान होगा, इसलिए वे लोग उनकी योजना से न जुड़े जो सरकारी धन को हड़पने के लिए नापते ज्यादा हैं और काटते कम हैं। मंत्री जी ने सरकार की नजरों में चढ़ने और पुरस्कार पाने की चाह वाले लोगों को चमकेश बहादुर की संज्ञा देने में भी कोई हिचक नहीं की, जिनसे परहेज करने का फैसला किया है। हरित भारत की कल्पना में ऐसी योजनाओं की निगरानी के लिए बनाए जाने वाले निगरानी तंत्रों की टेढ़ी नजरे होंंगी चमकेश बहादुरो पर...।
जूनियर से हलकान मंत्री
सियासत भी अजीब खेल है। अमूमन तो माना जाता है कि इस खेल में बड़ा खिलाड़ी छोटे खिलाड़ी को तकलीफ देता है या शोषण करता है। लेकिन, कई बार मामला उल्टा भी पड़ जाता है। अब ये वाक्या तो कम से कम इस बात की तस्दीक करता ही है। दरअसल, एक केंद्रीय मंत्री अपने जूनियर मंत्री से खासा खफा रहती हैं। कारण, काम तो वो कर रही पर मीडिया में उनके जूनियर मंत्री उस काम को जमकर भूना लेते हैं। इतना ही नही, मैडम जूनियर मंत्री से इस बात से भी तनिक रूष्ट रहती हैं कि उनके बारे में नकारात्मक खबरें जो पूर्व में मीडिया में आई उसके पीछे हो न हो छोटे मंत्री का हाथ रहा है। उनके मन की बात एक दिन सामने भी आ गईं। हुआ यूं कि कुछ पत्रकारों ने उनसे कोई जानकारी लेनी चाही । मैडम ने जानकारी तो न दी पर इशारों में ही कह दिया कि, जहां से दूसरी खबरें लेते हो उसी सूत्र से पूछो. .बेहतर जानकारी मिलेगी। इतना कह वे मुस्कुरा कर चल दी।. . मैडम के जाते ही एक पत्रकार ने उनके सलाहकार से तंज कसते हुए कहा कि जब मैडम बोलेंगी नही तो सूत्र के पास जाना ही होगा।
अजब था ईरानी के संस्कृत प्रेम का नजारा
अपनी बेहतरीन वाक शैली के लिए जानी जाने वाली केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी हिंदी और अंग्रेजी में बहुत अच्छा बोलती हैं ये सभी जानते हैं। लेकिन वो देश की प्राचीन भाषा संस्कृत को भी निबार्ध गति से बोल सकती हैं ये शायद किसी ने नहीं सोचा होगा। लेकिन हुआ तो कुछ ऐसा ही है। हाल ही में राजधानी में आयोजित संस्कृत के एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने न सिर्फ अपना संबोधन संस्कृत में दिया बल्कि इस पुरातन भाषा को स्पष्ट उच्चारण के साथ सबके सामने रखा। उनका ये संस्कृत अवतार देखकर श्रोता मानो एक पल को आवाक रह गए। लेकिन मंत्री जी की संस्कृत में दी गई इस बेहतरीन स्टेज परर्फाॅमेंस के पीछे उनके द्वारा बैक स्टेज में की गई कड़ी मेहनत ने काफी अहम रोल निभाया था। संस्कृत में भाषण देने से ठीक एक दिन पहले ईरानी ने अपने एचआरडी मंत्रालय स्थित कार्यालय में संस्कृत के एक विद्वान के साथ शब्दों के उच्चारण की कड़ी रिहर्सल की। पूरा भाषण तैयार किया। उनकी इसी मेहनत और संस्कृत प्रेम का अजब नजारा कार्यक्रम में मंच पर भी देखने को मिला। वास्तव में अजब नजर आया ईरानी का संस्कृत प्रेम।
सहमे हुए है आप विधायक
आम आदमी पार्टी के विधायक सहमे हुए हैं। उनको लगता है कि मुसीबत में कोई दुश्मन भले ही काम आ जाए पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कोई साथ नहीं देने वाले। सोमनाथ भारती का मामला इस बात की ताजी मिसाल है। भारती को पूरा विश्वास था कि उनकी पत्नी के साथ चल रहे पुलिस केस में पूरी पार्टी उनके पीछे लामबंद हो जाएगी। इसी खुशफहमी में दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री कानून को ठेंगा दिखाने की जुगत में थे। पुलिस और कोर्ट के साथ लुकाछिप्पी के बीच में केजरीवाल ने जब कहा कि भारती पार्टी और परिवार दोनों को शर्मिंदा कर रहे हैं तो उनके पैंरों तले से जमीन खिसक गई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केजरीवाल से नाराज
भारती ने अपने वकील के जरिये उन्हें एक पत्र लिखवाया। चिट्ठी लिखी भले ही वकील साहब ने थी पर उसका मजमून सोमनाथ ने बताया था। केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा गया था कि मोदी मुसीबत और मुश्किल समय में अपनी पार्टी के नेताओं के साथ खड़े रहते हैं पर केजरीवाल नहीं। तोमर मामले में केजरीवाल देर तक साथ खड़े रहने का स्वाद चख चुके थे और वे भारती से तौबा करने में देर नहीं करना चाहते थे। सोमनाथ दुखी हैं। कोर्ट ने उनका रिमांड बढ़ाया तो आम आदमी पार्टी को लगा कि अब सोमनाथ का थोड़ा बहुत साथ देना चाहिए, वरना विधायकों में गलत मैसज जाएगा। लिहाजा अब आम आदमी पार्टी अपने रूख को थोड़ा लचीला कर रही हैं।

04Oct-2015

शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2015

नई तकनीक से बिछेगा देश में सड़कों का जाल!


सरकार रोजना बनाना चाहती है 100 किमी सड़क
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार सड़क सुरक्षा की प्राथमिकता के साथ देशभर में सड़कों के निर्माण में नई तकनीक के जरिए तेजी लाने की कवायद में जुटी है। केंद्र सरकार देशभर में सड़कों का जाल बिछाने के लिए रोजाना 100 किमी सड़कों का निर्माण का लक्ष्य तय करने की तैयारी में है।
देश में सड़कों पर हादसों को लेकर चिंतित केंद्र सरकार सड़कों के डिजाइन बदलने के साथ नई तकनीक के जरिए सुरक्षित एवं नए निर्माण को आगे बढ़ाने की तैयारी में है। इसी योजना के खाके में सरकार अगले साल सड़क निर्माण के नए लक्ष्य में रोजना 100 किमी सड़क निर्माण का लक्ष्य तय करने का मन बना रही है, जो अभी तक राजग शासनकाल ने इस साल के अंत तक 30 किमी के लक्ष्य को साधने के 18 किमी तक पहुंचा दिया है। देश में दुनियाभर के देशों की अपेक्षा सबसे ज्यादा होने वाले सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने सड़कों के डिजाइन बदलने, सड़कों का चौड़ीकरण करने और नए सड़क निर्माण के लिए तकनीकी प्रणाली को अपनाने का निर्णय लिया है। शायद इसी मकसद को लेकर गुरुवार को राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए सड़क परिसंपत्ति प्रबंधन प्रणाली यानि आरएएमएस पर आयोजित कार्यशाला में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सरकार की भावी योजना को स्पष्ट किया है। नितिन गडकरी ने देश में सड़क क्षेत्र का तेजी से विकास करने की जरूरत पर विशेष देते हुए कहा कि देश की सड़कों पर बढ़ते यातायात के दबाव और दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या के मद्देनजर उनका मंत्रालय एक्सप्रेस हाईवे नेटवर्कों समेत नई सड़कों के निर्माण और मौजूदा सड़कों को चौड़ा करने तथा उनके रख-रखाव एवं मरम्मत की गति को निश्चित तौर पर तेज करने की तैयारी में है। इसके लिए तकनीक को इस्तेमाल में लाया जाएगा।
क्या होगी नई तकनीक
मंत्रालय के अनुसार सुरक्षित सड़क निर्माण के लिए आरएएमएस जैसी एक आधुनिक एवं डिजिटल परिसंपत्ति प्रबंधन प्रणाली के बिना राष्ट्रीय राजमार्गों को विकसित करना संभवन नहीं होगा। यह प्रणाली एक आधुनिक प्रबंधन प्रणाली है, जो सड़क परिसंपत्तियों के 360 डिग्री वाला नक्शा तैयार करने के लिए ‘गगन’ और ‘भुवन’ उपग्रह प्रणालियों का इस्तेमाल करेगा। इससे समय पर सड़कों की मरम्मत करने और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में आसानी होगी। इस तकनीकी परियोजना से एकत्रित जानकारी परिवहन मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, राज्य पीडब्लूडी, पुलिस विभाग, आर्थिक सहायता एजेंसियों, डेवलपर्स और नागरिकों के लिए उपयोगी हो जाएगा।
इसरो से होगा करार
सड़कों के निर्माण में ‘गगन’ और ‘भुवन’ उपग्रह प्रणालियों का इस्तेमाल करने के लिए एनएचएआई जल्द ही इसरों के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करके समझौता करेगा। यह बात एनएचएआई के चेयरमैन राघव चन्द्र ने कहा कि राजमार्गों के कारगर नियोजन, निर्माण, रख-रखाव और वित्तीय प्रबंधन के लिए आरएएमएस वक्त की मांग है। उन्होंने कहा कि हमारी परिसंपत्तियों का समुचित मानचित्रण करने और सभी हितधारकों के साथ इसे साझा करने में गगन (जीपीएस सहायता युक्त भू संवर्धित नैविगेशन)काफी उपयोगी साबित होगा।

गुरुवार, 1 अक्तूबर 2015

आखिर नियमों व मानकों के शिकंजे में आए वाहन!

हरियाणा समेत सात राज्यों में लागू होगा बीएस-4 मानक
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में दौड़ते वाहनों के प्रदूषण पर लगाम लगाने की चली आ रही कवायद में कल यानि एक अक्टूबर से केंद्र सरकार द्वारा संशोधित किये गये मोटर वाहन नियमों को लागू किया जा रहा है। मसलन नियमों का सहारा लेकर सरकार ने वायु प्रदूषण के साथ सड़क सुरक्षा जैसे मुद्दो पर स्पीड गवर्नर प्रणाली को भी लागू कर दिया है।
देश में बढ़ती प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए गंभीर हुई केंद्र सरकार ने एक अक्टूबर से सबसे पहले वाहनों में इस्तेमाल किये जा रहे र्इंधन के कारण होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने की शुरूआत की है। इसके लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने अगस्त में ही हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के अलावा लेह व कारगिल को छोड़कर समूचे जम्मू-कश्मीर में एक अक्टूबर से बीएस-4 मानक लागू करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी थी। इस अधिसूचना के मुताबिक इन सात राज्यों के 23 जिलों में एक अक्टूबर से बीएस-4 मानकों वाले वाहनों का ही पंजीकरण होगा। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की प्रदूषण नियंत्रण के लिए की गई इस पहल के तहत इन राज्यों में उन चार पहिया वाहनों की बिक्री और पंजीकरण पर कल से रोक लग जाएगी, जो भारत स्टेज यानि बीएस-4 उत्सर्जन मानक पर खरे नहीं उतरते। मंत्रालय के अनुसार एक अक्टूबर से इन सभी जिलों में पेट्रोल पंपों पर यूरो-4 यानि बीएस-4 मानक के पेट्रोल व डीजल की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। हालांकि यूरो-4 या भारत-4 मानक के पेट्रोल व डीजल की आपूर्ति दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद और लखनऊ जैसे 26 शहरों में पहले से शुरू कराई जा चुकी है। सरकार का लक्ष्य है कि इस साल के अंत तक देश में एक दर्जन से अधिक राज्यों के 50 से ज्यादा प्रमुख शहरों में वाहनों के प्रदूषण नियंत्रण के लिए यूरो-4 यानि बीएस-4 मानक के पेट्रोल व डीजल की आपूर्ति शुरू कर दी जाए।