देशभर की जेलों में बंद हैं 68 फीसदी विचाराधीन कैदी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश
में जेल आधुनिकीकरण और उनकी क्षमता बढ़ाने जैसी सुधार योजनाओं को भी अंजाम
तक पहुंचाने के प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन जेलों पर क्षमता से अधिक
कैदियों का बोझ बरकरार है। इसका कारण जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की
भरमार होना भी माना जा रहा है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय भी स्वीकार
कर रही है कि देश की ज्यादातर जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं।
मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार देश की 1391 जेलों में 3,47,859 कैदियों की
क्षमता के विपरीत 4,18,536 कैदी बंद हैं, जिनमें 54.5 प्रतिशत कैदी उम्र
कैद की सजा काट रहे हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के ताजे आंकड़ों पर
नजर डालें तो भारत की जेलों में बंद इन कैदियों में 2,31,962 यानि 68
प्रतिशत विचाराधीन यानि अंडर ट्रायल कैदी अपनी किस्मत का इंतजार कर रहे
हैं। आंकड़े के अनुसार विचाराधीन कैदियों में 69,225 यानि 27.3 प्रतिशत
हत्या के आरोप में सलाखों के पीछे हैं। यही नहीं जेलों में सभी विचाराधीन
कैदियों में ऐसे 40 प्रतिशत कैदी छह माह से अधिक समय से बंद हैं, जिन्हें
जमानत पर रिहा किया जाना है। तीन माह से अधिक समय से जेलों में बंद
विचाराधीन कैदियों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। जबकि वर्ष 2013 में यह
आंकड़ा 62 प्रतिशत था। ऐसे विचाराधीन कैदियों में 3540 कैदी तो पिछले पांच
साल से अधिक समय से जेल में बंद है, जबकि 5394 मानसिक रूप से बीमार बताए जा
रहे हैं। मसलन कि ज्यादातर ऐसे कैदी जेलों में बंद है जिन्हें जमानत मिल
सकती है, लेकिन अदालतों में चलने वाली तारीख पर तारीख भी जेलों में कैदियों
की बढ़ती संख्या का बड़ा कारण माना जा रहा है।
छत्तीसगढ़ पहले पायदान पर

07Oct-2015
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