सोमवार, 21 फ़रवरी 2022

मंडे स्पेशल: दबे पांव जानलेवा बन रहा कैंसर

प्रदेश पर शिकंजा कस रहा कैंसर! 
रोहतक, गुरुग्राम, झज्जर, हिसार, जींद कैथल में सबसे ज्यादा मरीज पिछले पांच साल में आए डेढ़ लाख से ज्यादा मरीज, 50 हजार से ज्यादा मौंतें 
ओ.पी. पाल.रोहतक। कैंसर रुपी फन धीरे-धीरे पूरे प्रदेश को शिकंजे में ले रहा है। इस जानलेवा बीमारी के शिकार पीडितों की तादात वर्ष दर वर्ष बढ़ रही है। पुरुषों से ज्यादा महिलाएं इसकी चपेट में आ रही है। प्रदेश के कई जिले तो ऐसे है जहां बीमारी का प्रसार मानक से कहीं ज्यादा है। रोहतक जिले में एक लाख में से 143.9 और गुरुग्राम में 124 लोग कैंसर का शिकार हुए हैं। झज्जर, हिसार, जींद और कैथल जिले में भी यह बीमारी बहुत तेजी से पांव पसार रही है। हालात यह है कि राज्य सरकार ने कैंसर मरीजों को राहत देने के इरादे से 25 हजार पीडितों को प्रति मरीज 2250 रूपये प्रति माह पेंशन का ऐलान किया था, लेकिन महज पांच सालों में ही डेढ़ लाख से ज्यादा लोग कैंसर की चपेट में आ चंके हैं। अकेले साल 2021 में ऐसे मरीजों का आंकडा 30 हजार को पार दर्ज किया गया। हालांकि अभी विशेषज्ञ इसके कारणों को लेकर एक मत नहीं है। कुछ कीटनाशक तो कुछ फास्ट फूड, आधुनिक जीवन शैली को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं, लेकिन लगातार बढ रहे मरीजों की संख्या दहशत को कारण बनती जा रही है। 
देश में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के फैलते जाल में हरियाणा का भी बड़ा हिस्सा शामिल है। प्रदेश में हर साल कैंसर का दायरा बढ़ रहा है। मसलन पिछले पांच साल में हरियाणा में जहां 1.50 लाख से ज्यादा कैंसर के मामले सामने आए हैं, वहीं इन 5 सालों में 54 हजार से ज्यादा कैंसर के काल का ग्रास बन चुके हैं। हालात यहां तक पहुंच गये हैं कि जहां साल 2013 में प्रदेश में कैंसर के 11,717 मामले थे, वहीं साल 2021 में 30015 मामले दर्ज किए गए हैं। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि साल 2013 में कैंसर के कारण 1845 मौत हुई थी, वहीं साल 2020 में मौत का यह आंकड़ा बढ़कर 16109 पहुंच गया है। इसी माह विश्व कैंसर दिवस पर देश के जारी आंकड़े चौंकाने वाले रहे, जिसमें हरियाणा के आंकड़ो ने ज्यादा चिंता इसलिए बढ़ाई, कि राज्य में महिलाओं में कैंसर तेजी से घात कर रहा है। प्रदेश का कोई भी जिला ऐसा नहीं है, जहां कैंसर का शिकंजा न कसा हो, लेकिन प्रदेश के रोहतक जिला सबसे ज्यादा (143.9) कैंसर प्रभावित है। इसके बाद गुरुग्राम (124.8), झज्जर (109.9), हिसार (105.3), जींद (104.7) और सोनीपत(101.4) में कैंसर का अधिक प्रकोप देखा गया है। गुरुग्राम, झज्जर, हिसार, जींद और सोनीपत ऐसे जिलों में शुमार हैं, जहां एक लाख में से 100 से ज्यादा कैंसर के मरीज हैं। सबसे कम प्रभावित जिलों में पलवल व नूहूं(मेवात) हैं। हिसार समेत कई जिलों में बच्चों को भी कैंसर अपना शिकार बना रहा है। 
रोगियों को सरकार देगी पेंशन 
हरियाणा सरकार ने राज्य में वृद्धावस्था पेंशन की तर्ज पर कैंसर मरीजों को 2250 रुपये की प्रति माह पेंशन देने की योजना लागू कर रही है। सरकार ने इस योजना के पहले चरण में कैंसर, किडनी तथा एचआईवी के 25 हजार रोगियों को इस पेंशन का लाभ देने का ऐलान किया है। इसके लिए राज्य सरकार ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से इस सम्बंध में आंकड़ो के साथ एक रिपोर्ट मांगी है। इसके अलावा पंजीकरण के आधार पर सरकार ने पहले ही हरियाणा रोडवेज की बसों में कैंसर रोगियों के साथ केयर टेकर को फ्री बस पास की सुविधा दे रखी है। इस योजना का लाभ ऐसे मरीज और तीमारदारों को मिलता है जो हरियाणा रोडवेज की बस से मरीज का इलाज अथवा जांच कराने के लिए अस्पताल तक जाते हैं। यही नहीं कैंसर रोगियों को विशेष छूट की श्रेणी में रखते हुए रेल मंत्रालय स्लीपर और एसी-3 टियर में फ्री में सफर करने की सुविधा दे रहा है। हालाकिं विशेष परिस्थितियों में कैंसर रागियों के लिए फ‌र्स्ट क्लास, एसी चेयर और सेकंड श्रेणी कोच में भी सीट आरक्षित करने का नियम बनाया है।
कैंसर रोगियों को सुविधाएं 
प्रदेश में कैंसर रोगियों को बेहतर इलाज की सुविधा के लिए जिला स्तर पर आधुनिक हेल्प डेस्क बनाने की योजना है। जहां कैंसर रोगियों की मदद के लिए टोल फ्री नंबर भी जारी किए जाने की योजना पर काम शुरू हो चुका है। इसके लिए शीर्ष स्तर पर स्वास्थ्य विभाग तैयारियों में जुटा है। राज्य के कई नागरिक अस्पतालों में मरीजों की जांच से लेकर इलाज करने के लिए मैमोग्राफी मशीन, हाई एनर्जी लीनियर एक्सलीरेटर, ब्रेकी थैरेपी और सीटी स्ट्यूमूलेटर जैसी आधुनिक मशीनें भी मुहैया कराई जा तही है। 
मुख्यमंत्री राहत कोष का गठन
हरियाणा में कैंसर रोगियों के इलाज के खर्च को वहन करने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष बनाया गया है। इस कोष से कैंसर रोगियों के इलाज पर आने वाले खर्च की अनुमाति धनराशि सीधे मरीज अथवा संबंधित अस्पताल के खाते में भेजी जाती है। इसके लिए सिविल सर्जन कार्यालय के माध्यम से उपायुक्त की संस्तुति पर अनुदान की फाइल मुख्यमंत्री राहत कोष से लाभार्थी को भेजी जाती है। 
इसलिए ज्यादा प्रभावित महिलाएं 
प्रदेश में जागरूकता की कमी और सामाजिक कलंक महिलाओं को समय पर निदान के लिए डॉक्टरों से संपर्क करने से रोक रहे हैं। यानी सामाजिक और हरियाणवी सांस्कृति तथा अपनी सांस्कारिक कारणों की वजह से महिलाओं को खुलकर सामने आने और स्तन कैंसर के बारे में चर्चा करने या खुद को निदान कराने में मुश्किल होती है। चिंता और कैंसर के रूप में निदान होने के डर के अलावा उपस्थिति में बदलाव और किसी के शरीर के बारे में अच्छा महसूस न करना भी तनावपूर्ण कारक हैं। यही कमी या संकोच एक संभावित रोगी को मनोवैज्ञानिक रूप से उसे चेक-अप के लिए आने से रोकती है। कैंसर के उपचार के विकल्प कभी-कभी महंगे होते हैं और यह समय पर उपचार के लिए जाने में एक सीमा के रूप में भी कार्य करता है। इसलिए राज्य सरकार बीमारी और उपचार के विकल्पों के बारे में जागरूकता दूर-दूर तक फैलाने की जरूरत पर बल दे रही है। विशेषज्ञों के अनुसार स्तन कैंसर के मामले पांच वर्ष पहले तक 40 से 60 साल की महिलाओं में ही आते थे, लेकिन अब कुंवारी लड़कियों भी इसकी जकड़ में आती जा रही है। खासकर ऐसी लड़कियां जिनकी शादी 30 वर्ष तक नहीं होती।
तीन साल में 11,144 महिलाओं की मौत 
प्रदेश में स्तन कैंसर में कैंसर के मामलों का बहुमत है और गैर-संचारी रोग से पीड़ित महिलाओं में मृत्यु का प्रमुख कारण है। मसलन साल 2018 से 2020 तक तीन साल के दौरान कैंसर से हुई महिलाओं की मौतों मे 11,144 महिलाएं स्तन,गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के कारण अपनी जान गंवा चुकी हैं। इनमे स्तन कैंसर से 4716, गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से 1964 सर्वाइकल कैंसर से 4464 महिलाएं प्रभावित थी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार स्तन कैंसर के सभी मामलों में 10 प्रतिशत हिस्सा होता है। ब्रेस्ट, गर्भाशय और सर्वाइकल कैंसर से ज्यादातर मौतें होती हैं। कैंसर से मरने वाले लोगों में महिलाओं का प्रतिशत पुरुषों से अधिक है। 
तंबाकू से ओरल कैंसर 
विशेषज्ञों के अनुसार मुंह के कैंसर के मामलों और इससे होने वाली लोगों की मृत्यु का कारण तंबाकू है। इसके सेवन से पुरुषों में होने वाले 5 मुख्य कैंसर ओरल केविटि, फेफड़े, गला, खाने की नली का कैंसर शामिल है। खासतौर पर इन कैंसर में 40 फीसद कैंसर तंबाकू के अत्याधिक इस्तेमाल के कारण होता है। इसलिए तंबाकू पर प्रभावी नियंत्रण से इन सभी कैंसर से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। 
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हरियाणा में कैंसर का फैलता मकड़जाल 
वर्ष      मरीज      मौतें 
2013  11,717    1845 
2014  11,776    2715 
2015  13,697   3317 
2016  16,180   3668 
2017  19,385   3987 
2018  27665   15255 
2019  28453   15684 
2020  29219   16109 
2021  30015    -----
21Feb-2022

शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2022

साक्षात्कार:साहित्य पढ़कर ही समय की नब्ज़ पर हाथ रखना संभव: डा. दिनेश दधीचि

कविता संग्रह, बाल कविता संग्रह और गजल संग्रह चर्चाओं में रहना उनकी लेखन विधा की कहानी के गवाह --ओ.पी. पाल 
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: डॉ. दिनेश दधीचि 
जन्म: 15 दिसंबर 1954 
जन्म स्थान: कुरुक्षेत्र (हरियाणा) 
शिक्षा: बीए(ऑनर्स अंग्रेजी), एमए, एम.फिल, पीएचडी, उर्दू में सर्टिफिकेट कोर्स (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और पत्राचार माध्यम से (जामिया मिलिया इस्लामिया) संप्रत्ति:पूर्व प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष, अंग्रेज़ी विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र। 
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हरियाणा के सुप्रसिद्ध साहित्यकारों में शुमार लेखक एवं कवि, गजलकार और कहानीकार जैसी विधाओं में सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. दिनेश दधीचि एक ऐसे व्यक्तित्व व कृतित्व के धनी रचनाकार है, जिन्होंने हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में विभिन्न विधाओं में साहित्यिक पुस्तकें लिखकर सामाजिक सरोकारों को छुआ है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष एवं प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त डॉ. दिनेश दधीचि को हरियाणा साहित्य अकादमी ने वर्ष 2017 के लिए बाबू बालमुकुंद गुप्त सम्मान के पुरस्कार से नवाजा है। साहित्य क्षेत्र के कवि, गजलकार, कहानीकार और निबंधकार लेखक डा. दिनेश दधीचि ने अपने रचना संसार के सफर के अनछुए पहलुओं को विस्तार से हरिभूमि संवाददाता के साथ हुई बातचीत में साझा किया है। प्रदेश के कुरुक्षेत्र में 15 दिसंबर 1954 को जन्मे डा. दिनेश दधीचि के पिता डॉ. मदनलाल वर्मा भी एक शिक्षक और विद्वान लेखक और हिंदी व संस्कृत के गीतकार रहे हैं। मसलन उन्हें साहित्यिक एवं सांस्कृतिक तथा लेखन की विधाएं विरासत में मिली हैं, जो आज उन्हें एक सुप्रसिद्ध साहित्यकार की पहचान दे रहा है। डा. दिनेश दधीचि का कहना है कि उनका एक शिक्षक और साहित्यकार के रूप में युवाओं, विशेष रूप से युवा साहित्यकारों से जीवनभर जुड़ाव रहा है और इसी अनुभव के आधार पर वे युवा पीढ़ी को लेकर बहुत आशान्वित है, कि उनमें भरपूर उत्साह और प्रतिभा की भी कोई कमी नहीं है। लेकिन फिर भी समाज को नई दिशा देने के लिए उनके लिए कुछ बाते महत्वपूर्ण हैं, जिसमें एक तो किसी भी क्षेत्र में किसी तरह के शॉर्टकट को अपनाना ठीक नहीं होता। दूसरे, आज की स्थिति में बहुआयामी जटिल यथार्थ को परत-दर-परत समझने के साथ-साथ अच्छा साहित्य ख़ूब पढ़ने के बाद ही समय की नब्ज़ पर हाथ रखा जा सकता है। लेखन में सुधार ज़्यादा पढ़ने से होगा, जिसमें चिंतन स्पष्ट होना चाहिए। अभिव्यक्ति की गुणवत्ता पर भी युवा पीढ़ी के कई साहित्यकारों का ध्यान कुछ कम रहता है। कहने का तात्पर्य, सामाजिक सोद्देश्यता और सार्थक जीवन मूल्यों तथा आदर्शों के लिए प्रतिबद्धता से ही उनके व्यक्तित्व का और उनकी प्रतिभा एवं सृजनशीलता का विकास होगा। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से 2014 में अंग्रेज़ी विभाग के अध्यक्ष एवं प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त हुए प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ० दिनेश दधीचि परिवारिक संस्कारों के कारण ही बौद्धिक गतिविधियां उन्हें बचपन से सक्रीय करती रही। इसी का परिणाम रहा कि उन्होंने विद्यार्थी जीवन में प्रत्येक परीक्षा में सर्वोच्च स्थान लेकर अनेक पदक व पुरस्कार हासिल किये। यही नहीं उच्च शिक्षा में भी उन्होंने अव्वल रहते हुए अनेक पुरस्कार हासिल किये। डा. दधीचि ने साहित्य के क्षेत्र में अपनी लेखन की विभिन्न विधाओं में हिंदी में ही नहीं, बल्कि अंग्रेजी में भी कई पुस्तके लिखी हैं। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित उनकी आइडियाज एलो (निबंध के संकलन का संपादन) अंग्रेजी भाषा में लिखी गई पुस्तक तो हरियाणा के तीन विश्वविद्यालयों के बी.ए. प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम में शामिल है। इसके अलावा उनकी कई रचनाएं हरियाणा विश्वविद्यालयों में स्नातक छात्रों के पाठ्यक्रम का हिस्सा है। डॉ० दधीचि के व्यक्तित्व व कृतित्व के विषय में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में एक एमफ़िल छात्रा ने डॉ० रामपत यादव के निर्देशन में शोध कार्य भी किया है। उनके लिखे गये कविता संग्रह, बाल कविता संग्रह और गजल संग्रह चर्चाओं में रहना उनकी लेखन विधा की कहानी के गवाह हैं। डा. दिनेश दधीचि की ग़ज़लों में समसामयिक, व्यवस्था व राजनीति पर तीखा प्रहार, सामाजिक सरोकार भी हैं और उन्होंने समस्याओं तथा शोषण का चित्रण बड़े ही कलात्मक ढंग से हुआ है। अन्य कई विद्वान साहित्यकारों द्वारा संपादित काव्य संकलनों में भी डा. दधीचि की कविताएं शामिल की गई हैं, तो वहीं राष्ट्रकवि स्वर्गीय सोहन लाल द्विवेदी ने भी इनकी ‘प्रखर प्रतिभा तथा सहज सर्जना’ की सराहना की है। हरियाणा साहित्य अकादमी के कविता, कहानी एवं निबंध संकलनों में भी इनकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। हरियाणा प्रादेशिक हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा 'कहूँ कहानी' में संकलित कहानी के आधार पर इन्हें सर्वश्रेष्ठ कहानीकार के रूप में पुरस्कृत किया गया। 
प्रकाशित पुस्तकें 
प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि एवं लेखक डॉ. दिनेश दधीचि की हिंदी के अलावा अंग्रेजी में खासी पकड़ है और उनकी प्रकाशित पुस्तकों में कई किताबे अंग्रेजी भाषा में भी प्रकाशित हुई हैं। उनकी अंग्रेजी भाषा में लिखी प्रमुख पुस्तकों में ट्रीटमेंट ऑफ आइडियाज इन द नॉवेल्स ऑफ सॉल बेलो (1993), आइडियाज एलो (निबंध के संकलन का संपादन 2004), द सिक्रेट ऑफ हेल्थ (योगा गुरु प्रो. भीम एस. दहिया की अंग्रेज़ी पुस्तक का अनुवाद(1993), हरियाणा विश्वविद्यालयो में स्नातक छात्रों के लिए अंग्रेजी में अनुवादित ‘गोदान’(1996), संपादित कविता की एक पाठ्यपुस्तक ‘सुगंध’(2015) और वन-एक्ट प्ले की एक पाठ्यपुस्तक ‘सेंटर स्टेज’ (2016) शामिल हैं। इसके अलावा कॉपी एडिट पैरेबल इंटरनेशनल इंग्लिश-हिंदी डिक्शनरी (2017), डॉ० सरूप सिंह: साहित्य और सियासत के बीच (प्रो. भीम एस. दहिया की अंग्रेज़ी पुस्तक का अनुवाद-2007) भी शामिल है। जबकि हिंदी भाषा में कविताओं व गजलों की इबारत हाशिए की 1983), कविता संग्रह बर्फ़ के ख़िलाफ़ (1996), बाल कविताओं पर फुहार (2004), लघु कविताएं मारीच बहुत हैं (2008) एवं काश! देख पाते हम (2015), हास्य व्यंग्य निबंध नींबू-पानी (1993) के अलावा गजल संग्रह शेष कुशल है (2019) सुर्खियों में हैं। 
पुरस्कार सम्मान 
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2017 के लिए दो लाख रुपये के बाबू बाल मुकुन्द गुप्त सम्मान हासिल करने वाले साहित्यकार डॉ. दिनेश दधीचि को इससे पहले डॉ.जे.एस. यादव मैमोरियल अवार्ड (2016), पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के सर्वश्रेष्ठ कहानीकार के रूप में प्रेमचंद पदक (1971-72), उदय भानु हंस कविता पुरस्कार (2006), हरियाणा प्रादेशिक हिंदी साहित्य सम्मेलन का बलदेव कौशिक सम्मान (2009), फ़ोकस हरियाणा टीवी चैनल द्वारा 'फ़ोकस हीरो' का सम्मान, साहित्य सभा कैथल तथा कुरुक्षेत्र ज़िला प्रशासन से भी सृजनात्मक लेखन की उपलब्धियों का सम्मान मिल चुका है। डा. दधीचि ने हिन्दी विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र में एमफ़िल की उपाधि के लिए स्वीकृत शोधप्रबंध, विषय: डॉ० दिनेश दधीचि: व्यक्तित्व एवं कृतित्व। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलगीत की शब्द-रचना (संयुक्त) जैसी उपलब्धियों का भी सम्मान हासिल किया है। इसके अलावा काव्य मंचों एवं अन्य साहित्यिक संस्थाओं द्वारा भी अनेक सम्मान देकर पुरस्कृत किया है। 
संपर्क:  ईमेल: dk.english@gmail.com
मोबाइल: +919354145291
ब्लॉग: www.burfkekhilaf.blogspot.com
31Jan-2022

मंडे स्पेशल: बीस लाख गरीब परिवारों को मुख्यधारा में लाने का खाका तैयार

 

हुनर के साथ मिलेगा विभिन्न योजनाओं का लाभ 
प्रदेश में मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना को सिरे चढ़ाने जुटी सरकार 
गरीबों को सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा देगी सरकारी योजनाएं 
ओ.पी. पाल.रोहतक। प्रदेश सरकार ने करीब 20 लाख परिवरों को गरीबी से निकालकर मुख्यधारा में शामिल करने की तैयारी पूरी कर ली है। राज्यभर में शिविर लगाकर ऐसे गरीब परिवारों की पहचान की गई है। सरकार की अब इनकी आय बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री परिवर समृद्धि योजना जैसी अलग-अलग सरकारी योजनाओं से इन्हें लाभ पहुंचाने की योजना है। सबसे पहले इन परिवारों में कोरोना संक्रमण के कारण किसी सदस्य का निधन हो गया है, तो आश्रितों को दो लाख रुपये दिये जाएंगे, ताकि वे अपना काम शुरू कर सकें। सरकार ऐसे परिवारों को हुनरमंद बनने के लिए कौशल विकास विभाग की भी सहायता ले रही है। इसका मकसद इन्हें काम सीखकर रोजगार शुरू करवाना है। जिला स्तर पर उपायुक्तों को भी सख्त हिदायत दी गई है कि ऐसे परिवारों के उत्थान मे कोई कोताही सहन नहीं होगी। आदेश दिये गये हैं कि जो परिवार जिस सरकारी योजना से सहायता का हकदार है उसे वह देकर मुख्यधारा में शामिल किया जाए। 
रियाणा सरकार ने वैसे तो प्रदेश में आर्थिक संकट से जूझते गरीब परिवारों को सामाजिक और वित्तीय सुरक्षा देने के लिए अनेक सरकारी योजनाओं को पटरी पर उतारा है, लेकिन इनमें पिछले साल अगस्त में लांच की गई संशोधित मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना एक ऐसी अनूठी पहल है, जिसमें ‘समृद्ध परिवार-सुरक्षित परिवार-सशक्त परिवार’ की थीम पर गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के अलावा गरीब किसान, खेतिहर मजदूर, श्रमिक, दस्तकार, छोटे गरीब दुकानदारों के साथ ही उस हर परिवार को सामाजिक संरक्षण के दायरे में शामिल किया है, जो आर्थिक रूप से कमजोर है। सबसे खास बात ये है कि सरकार ने इस योजना के साथ केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा, प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा बीमा, प्रधानमंत्री फसल बीमा, प्रधानमंत्री किसान मानधन, प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन तथा प्रधानमंत्री लघु व्यापारी मानधन योजना जैसी आधा दर्जन योजनाओं का का भी विलय किया है, ताकि गरीब परिवारों की आमदनी में इजाफा किया जा सके। इसके अलावा सरकार ने हरियाणा मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना के लाभार्थियों को भी फैमिली प्रोविडेंट फंड की सुविधा प्रदान करने का भी फैसला किया है। 
योजना के मानक का आधार 
मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना का लाभ ऐसे परिवारों को दिया जा रहा है जिनकी सालाना आय 1.80 लाख से कम है और इस योजना में ऐसे किसानों को भी शामिल किया गया है, जिनके पास पांच एकड़ से कम जमीन है। इस योजना में सरकार ऐसे परिवारों को गरीबी के कुचक्र से निकालने के लिए छह हजार रुपये सालाना देगी। सरकार ने हरियाण में समाज के वंचित क्षेत्रों के भविष्य को सुरक्षित करने और जीवन को सुनिश्चित करके सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा की दिशा में इस योजना का विस्तार करते हुए 1500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। वहीं कोरोना महामारी के दौरान ऐसे परिवारों में संक्रमण से किसी सदस्य की मौत हो जाने पर राज्य सरकार ने उस परिवार के आश्रितों को दो लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया, जिसमें सरकार ने एक मार्च 2021 से 31 मई 2021 तक कोरोना के कारण हुई मौत से बदहाल अनेक परिवारों को आर्थिक मदद भी दी है। यदि मौत प्राकृतिक कारण से होती है तो उस परिवार को दो लाख रुपये का मुआवजा हरियाणा मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना तथा प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत दिया जाएगा। 
दो वर्गो में विभाजित की योजना 
प्रदेश में चल रही मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना में केंद्रीय योजनाओं का विलय करने की वजह से राज्य सरकार ने इस योजना को दो श्रेणी में शुरू करने का फैसला किया, जिसमें हरेक श्रेणी में विकल्प चुनने का भी मौका दिया गया है। मसलन पहली श्रेणी में 18 से 40 वर्ष आयु वाले परिवारों को दो विकल्प दिये हैं, जिसमें ऐसे परिवार पहले विकल्प में छह हजार रुपये की राशि सालाना या दूसरे विकल्प में दो-दो हजार रुपये की राशि तिमाही ले सकता है। जबकि दूसरी श्रेणी मे 41 से 60 वर्ष आयु वाले लाभार्थी इस विकल्प नहीं चुनते तो उनके लिए प्रधानमंत्री श्रमिक पेंशन योजना, पीएम जीवन ज्योति योजना व पीएम सुरक्षा बीमा योजना का विकल्प दिया गया है, जिसमें उनके प्रीमियम का भुगतान सरकार वहन करेगी। ऐसे लाभार्थियों का प्रीमियम भरने के बाद आर्थिक मदद की बकाया राशि को समृद्धि योजना के तहत उम्र के मुताबिक हर पांच साल में 15 से 30 हजार रुपये का लाभार्थी को भुगतान किया जाएगा। हालांकि 40 से 60 साल आयु वर्ग की श्रेणी मे भी सालाना छह हजार रुपये का लाभ दिया जाएगा। यदि इस राशि को लेने के बजाए इस राशि को समृद्धि योजना में जमा कराता है तो उसे हर पांच साल में 36 हजार रुपये की राशि मिलेगी। सरकार इस योजना में 60 साल से अधिक आयु वालों के लिए भी ऐसी योजना का प्रारूप तैयार कर रही है। 
कोरोनाकाल में दी गरीबों को मदद 
हरियाणा सरकार ने जहां सुभाष बराला समिति की सिफारिश को आधार मानकर कर्ज में डूबे किसानों को आर्थिक रुप से मजबूत करने के लिए बीपीएल परिवारों की तर्ज पर उन्हें भी हर महीने 500 रुपये समृद्धि योजना के तहत देने का निर्णय लिया है। वहीं कोरोनाकाल के दौरान लॉकडाउन के कारण आर्थिक तंगी से घिरे गरीब परिवारों को कामधंधे के लिए एकमुश्त पांच-पांच हजार रुपये की आर्थिक मदद दी, जिसके लिए 1200 करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज जारी करके मजदूरों, रिक्शा चालकों, स्ट्रीट वेंडरों, दैनिक वेतन भोगी और दिहाड़ी मजदूरों समेत बीपीएल परिवारों को आर्थिक मदद दी गई। वहीं बीपीएल परिवार के किसी सदस्य के संक्रमित होने पर हर दिन पांच हजार रुपये के हिसाब से सात दिन इलाज के लिए 35-35 हजार रुपये की सहायता राशि दी है। वहीं गरीबों के लिए मुफ्त कोरोना रोधी वैक्सीन लगवाने की सुविधा प्रदान की। इसके अलावा सरकार ने राज्य के सभी ईडब्ल्यूएस के लिए दुर्घटना बीमा और हरियाणा के किसानों और असंगठित श्रमिक के लिए सुनिश्चित पेंशन और पारिवारिक भविष्य निधि को भी इस योजना हिस्सा बनाया है। 
प्रदेश सरकार भरेगी प्रीमियम 
केंद्रीय योजनाओं में प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में प्रदेश के गरीब परिवार के 18 से 50 वर्ष तक के सभी सदस्यों को दो लाख रुपये की जीवन बीमा योजना में प्रत्येक की 330 रुपये प्रीमियम की वार्षिक राशि हरियाणा सरकार देगी। इसी प्रकार दो लाख रुये की प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा बीमा योजना के लिए 18 से 70 वर्ष तक परिवार के सभी सदस्यों का प्रीमियम की वार्षिक राशि का भी सरकार देगी। जबकि 18 से 40 वर्ष तक की आयु वालों के लिए प्रधानमंत्री किसान मानधन, श्रम योगी मानधन व लघु व्यापारी मानधन योजना के प्रीमियम का 55 से 200 रुपये मासिक का खर्च भी हरियाणा सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। इन योजनाओं में 60 वर्ष की आयु के बाद सभी पात्र सदस्यों को तीन हजार रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी। सरकार की इस योजना के तहत बीमा व पेंशन के प्रीमियम मिलाकर 6 हजार रुपए सालाना आर्थिक सहायता परिवार को मिल सकेगी। योजना के लाभ के लिए परिवार का पहचान पत्र और बीमित सदस्य का बैंक खाता अनिवार्य किया गया है। 
परिवार का मुख्य होगा योजना का पात्र 
हरियाणा मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना 2022 में सरकार ने सिर्फ घर या परिवार के मुखिया को ही छह हजार रुपये सालाना की मदद के लिए पात्र लाभार्थी माना है। हां यदि योजना में पंजीकृत परिवार के मुखिया की किसी कारणवश घर के मुखिया की मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार वालो को दो लाख रुपये की राशि मुआवज के रूप में दी जाएगी। जबकि इसके समृद्धि योजना के तहत वर्ष 18-40 आयु तक के पात्र आयु वर्ग के सभी सदस्यों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के माध्यम से दुर्घटना बीमा की राशि पर हर साल 12 रुपये का भुगतान करना होगा। 
31Jan-2022