सोमवार, 24 जनवरी 2022

मंडे स्पेशल: हरियाणा मेें दस्तावेजों का विकल्प होगा ‘परिवार पहचान पत्र’

सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में फर्जीवाड़े पर लगेगा अंकुश 
आमजन को अब अलग अलग दस्तावेज रखने की नहीं पड़ेगी जरुरत 
ओ.पी. पाल.रोहतक। देश में हरियाणा ऐसा पहला राज्य बन गया है, जहां सभी परिवारों को मेरा परिवार-मेरी पहचान योजना के तहत परिवार पहचान पत्र बनाकर देने का काम तेजी से जारी है। इस प्रकार हरियाणा के प्रत्येक परिवार की पहचान भी अब सिंगापुर और ब्राजील की तरह होगी? यानि प्रदेश के लोगो को सरकारी योजनाओ का लाभ हासिल करने के लिए अलग अलग दस्तावेजों की जरुरत नहीं पड़ेगी। इसी मकसद से सभी दस्तावेजों के विकल्प के रूप में सरकार सूबे के हर परिवार के लिए परिवार पहचान पत्र जारी करने का काम तेजी से कर रही है। सबसे खास बात ये है कि इस परिवार पहचान पत्र के जरिए सरकारी योजनाओं का लाभ योग्य एवं पात्र लोगों को ही मिल सकेगा यानि फर्जीवाड़े की गुंजाइश खत्म हो जाएगी। सरकार का मकसद भी सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता लाना और भ्रष्टाचार जैसी कुपथा को समाप्त करके आमजन को सहूलियतें प्रदान करना है। सरकार का दावा है कि इस परिवार पहचान पत्र बनवाने के लिए अब तक 67 लाख परिवारों ने पंजीकरण करा लिया है, जिनके दायरे में करीब 2.76 करोड़ से ज्यादा की आबादी शामिल है। परिवार के पंजीकरण के बाद इस पहचान पत्र को जारी करने से पहले परिवारों द्वारा दी गई जानकारियों का सत्यापन किया जाएगा और फिर उनमें गरीब परिवारों की पहचान करके उन्हें अंत्योदय जैसी कल्याणकारी योजनाओं में शामिल किया जाना है। सरकार की इस योजना के धरातल पर आते ही जन्म से लेकर मृत्यु प्रमाण पत्र तक के लिए आमजन को इधर उधर भटकने से छुटकारा मिलेगा, क्योंकि परिवार पहचान पत्र एक यूनिक आईडी के रूप में तैयार की जा रही है, जिसमें स्वत: ही संशोधन हो जाएगा। पीपीपी के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में इस योजना को कानूनी अमलीजामा पहनाने के बाद सरकार ने दावा है कि राशन आपूर्ति से लेकर कालेज प्रवेश तक के लिए जल्द ही परिवार पहचान पत्र की अनिवार्यता को लागू कर दिया जाएगा। प्रदेश में परिवार पहचान पत्र बनाने की पहल देश के अन्य राज्यों के लिए मिसाल बनती नजर आ रही है। कई राज्यों ने हरियाणा के इस मॉडल को अपनाने के लिए विचार कर रहे हैं। हरियाणा सरकार ने हालांकि इस योजना का ऐलान जनवरी 2019 में किया था, लेकिन राज्य में चुनाव के बाद योजना के लिए पंजीकरण प्रक्रिया के बावजूद इसे शुरू नहीं किया जा सका। इसके बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 4 अगस्त 2020 को पंचकूला में एक विशिष्ट पहचान पत्र के रूप में 'परिवार पहचान पत्र' (पीपीपी) लॉन्च किया, ताकि राज्य भर में प्रत्येक परिवार को राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर शुरू की गई कई नागरिक-केंद्रित सेवाओं को सुचारू और स्वचालित रूप से डिलीवरी के लिए सक्षम बनाया जा सके। राज्य के हर परिवार के लिए अनिवार्य किये गये पीपीपी के तहत प्रत्येक परिवार को एक एकल इकाई मानकर 8 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या आवंटित करने का निर्णय लिया गया। 
ऐसे सिरे चढ़ी पीपीपी योजना 
प्रदेश सरकार ने 24 अप्रैल 2020 को मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना को सिरे चढ़ाने के लिए एक नये विभाग के रुप में नागरिक संसाधन सूचना विभाग की स्थापना को मंजूरी दी, जिसके लिए 26 अप्रैल 2020 को राज्यपाल द्वारा मुहर लगाकर अधिसूचना जारी कर दी। यह विभाग पीपीपी योजना के लिए हर जिले में काम कर रहा है। परिवार कार्ड के दुरुपयोग को रोकने के लिए राज्य सरकार ने राज्य विधानसभा में 24 अगस्त 2021 को हरियाणा परिवार पहचान विधेयक-2021 पारित करा लिया, जिसकी अधिसूचना 26 अगस्त को जारी कर दी गई। वर्तमान में मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना, वृद्धावस्था सम्मान भत्ता योजना, दिव्यांग जन पेंशन योजना और विधवा एवं निराश्रित महिला पेंशन योजना को ‘परिवार पहचान पत्र' के साथ एकीकृत किया गया है। सरकार ने परिवार पहचान पत्र राज्य के सभी नागरिको के लिए बनाना अनिवार्य कर दिया गया हैं। इसका मकसद राज्य में गरीब व कमजोर वर्ग के लोगो के सही आंकड़ों का पता लगाना और उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के साथ फर्जी दस्तावेज बनाकर सरकारी योजनाओं का लाभ हासिल करने वालों पर अंकुश लगाना है।
गरीब परिवारों की पहचान 
सरकार की इस योजना के तहत अभी तक लगभग 67 लाख परिवार यानी 2 करोड़ 76 लाख लोग रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। पंजीकरण कराने वाले परिवारों के ब्यौरे की जांच के लिए प्रदेशभर में जिला व ब्लाक स्तर पर गठित टीमें जांच कर रही है। इस योजना के तीन चरण पूरे होने के बाद परिवार पहचान पत्र को अंतिम रूप देने का काम तेजी चल रहा है। इस जाचं के दौरान अभी तक 50 हजार से ज्यादा ऐसे परिवारों की पहचान की गई है, जिनकी सालाना आय एक लाख रुपये से भी कम है, जिनमें 30 हजार परिवार ऐसे भी हैं, जिनकी सालाना आय 50 हजार से भी कम पायी गई है। हरियाणा सरकार ने निर्णय लिया है कि चालू वर्ष में कम से कम एक लाख ऐसे परिवारों की पहचान की जानी है जिनकी सालाना आय बढ़ाकर एक लाख रुपये तक की जा सके। पंजीकृत परिवारों की जानकारियों का सत्यापन करने के लिए टीमों का सर्वे भी तेजी से चल रहा है। अब तक प्रदेश में 50 फीसदी से ज्यादा पीपीपी बनाये जा चुके हैं। 
इसलिए अनिवार्य होगा पीपीपी 
प्रदेश सरकार की करीब 440 योजना और सेवाएं जनता के लिए कार्यान्वित की जा रही हैं। इन सभी योजनाओं का लाभ लेने के लिए परिवार पहचान पत्र को इसलिए अनिवार्य किया गया है, क्योंकि नागरिक संसाधन सूचना विभाग द्वारा परिवार का ब्यौरे के ऑटोमैटिक अपडेशन को सुनिश्चित करने के लिए फैमिली आईडी को बर्थ, डेथ और मैरेज रिकॉर्ड से जोड़ा जा रहा है। फैमिली आईडी छात्रवृत्ति, सब्सिडी और पेंशन जैसी मौजूदा, स्वतंत्र योजनाओं को जोड़ेगी, ताकि स्थिरता और विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सके। यही नहीं जन्म, आय, मृत्यु, जाति, मूल निवास जैसे प्रमाण पत्र बनवाने के लि पीपीपी बनवाना जरुरी है। इन सभी दस्तावेजों को परिवार पहचान पत्र से जोड़ने का काम किया जा रहा है, ताकि पीपीपी डेटाबेस में डेटा प्रमाणित और सत्यापित हो जाने के बाद किसी को भी को कोई और दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। सरकार की ओर से जल्द ही आरसी व ड्राइविंग लाइसेंस के लिए भी परिवार पहचान पत्र को जरूरी दस्तावेज में शामिल करने पर विचार कर रही है। जब कि नियम 134ए के तहत प्राइवेट स्कूलों में आवेदन करने वाले बच्चों को अब अपना परिवार पहचान पत्र देनेच के संबंध में हरियाणा शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर दिया है। 
दो प्रकार के कार्ड 
सरकार की इस योजना में उन परिवारों को स्थायी परिवार पहचान पत्र दिये जा रहे हैं, जो स्थाई रूप से हरियाणा में रह रहे हैं और उनके लिए हरियाणा परिवार पहचान पत्र बनवाना अनिवार्य है, जिन्हें एक स्थायी 8 अंकों की पारिवारिक आईडी जारी की जा रही है। इसके अलाव वे सभी परिवार जो हरियाणा के बाहर रह रहे हैं, लेकिन राज्य की किसी सेवा या योजना के लिए आवेदन करना चाहते हैं। उनको भी परिवार पहचान पत्र बनवाना अनिवार्य है। ऐसे सभी अस्थाई परिवारों को 9 अंकों की पारिवारिक आईडी जारी की जाएगी। 
प्राधिकरण का होगा गठन 
प्रदेश में परिवार पहचान पत्र को कानूनी दायरे में लाने के बाद संवैधानिक रुप से हरियाणा परिवार पहचान पत्र प्राधिकरण का गठन होना है, जिसके लिए सरकार अलग से अधिसूचना जारी करेगी। प्राधिकरण इस योजना में प्रत्येक परिवार के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या देने और उनका डेटाबेस तैयार करने की प्रक्रिया में नियमों को अधिसूचित करने का काम करेगा। 
कोर्ट ने भी लगाई मुहर 
हरियाणा सरकार की पीपपी योजना को जहां अन्य राज्य भी एक आदर्श योजना के रूप में देख रहे हैं, वहीं इसके लिए कानून बनाने का विरोध करके विपक्षी दलों ने पीपीपी के दुरुपयोग की संभावना और निजता का उल्लंघन बताकर योजना का विरोध किया, तो ऐसे ही विरोध के साथ गुरुग्राम के आदित्य गुप्ता ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें इसके लिए गठित नए विभाग नागरिक संसाधन सूचना विभाग और पीपीपी की अनिवार्यता के लिए जारी अधिसूचना को रद्द करने की मांग करते हुए योजना को चुनौती दी थी। अदालत ने इस याचिका को खारिज करते हुए इस योजना को हरी झंडी दी है। उधर सरकार ने भी सभी आशंकाओं को लेकर स्पष्ट किया है कि परिवार पहचान पत्र के लिए सरकार की ओर से जुटाया जा रहा डाटा पूरी तरह सुरक्षित है, जो परिवारों ने अपनी आय और परिवार का ब्यौरा स्वयं घोषित किया है और सरकार सरकार स्तर पर उसका सत्यापन भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि डाटा का उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जाएगा, न किसी निजी एजेंसी के साथ साझा होगा। डाटा को सरकारी क्लाउड पर सुरक्षित रूप से संग्रहित किया जा रहा है। परिवार पहचान पत्र के तहत नया डेटाबेस तैयार होगा। इसमें भविष्य में नया डाटा जुड़ता रहेगा और यह निरंतर अपडेट होता रहेगा। 
24Jan-2022

चौपाल: गरीबी भी नहीं डिगा सकी कलाकार का हौंसला

हरियाणवी संस्कृति को आगे बढ़ाने में जुटे छाजू राम 
-ओ.पी. पाल 
हरियाणवी संस्कृति और सभ्यता को अपने गीतों और भजन गायकी के जरिए आगे बढ़ा रहे ग्रामीण परिवेश में रहने वाले साधारण व्यक्तित्व वाले लोक गायक छाजूराम जमालपुरिया की कला पर भले ही गरीबी भारी पड़ रही है। इसके बावजूद यह कलाकार अपनी कला के बीच गरीबी को आड़े नहीं आने दे रहा है और गांव-गांव जाकर आमजन को अपने गीतो, कविता, भजनो और रागणियों के जरिए हरियाणवी संस्कृति को पुनर्जीवित करने और साक्षारता अभियान को आगे बढ़ाने में जुटा हुआ है। पिछले करीब पांच दशक से अपनी कला का जो प्रदर्शन किया है उसके सफर को लेकर लोक कलाकार छाजूराम जमालपुरिया ने हरिभूमि संवाददाता से बातचीत में अपने गरीबी के मर्म और कला की विधाओं को विस्तार से साझा किया। 
प्रदेश के फतेहाबाद जिले की तहसील टोहाना के जमालपुर शेखा गांव में दस दिसंबर 1939 में जन्में छाजूराम जमालपुरिया ने बताया कि उसकी शिक्षा भले ही आठवीं तक हो पाई हो, लेकिन व अपने भजन, कविताओं और गीतों से प्रदेश के गांव गांव जाकर साक्षरता मिशन अभियान में प्रचार कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने शिक्षा आधारित नाटक भी वह खुद तैयार करता है, जिसमें शिक्षा, संस्कृति, अध्यात्मिकता, रीति रिवाज और सामाजिक सभ्यता की अलख जगाने के मकसद से वह नाटकों के मंचन में खुद भी हिस्सेदारी करता है। उन्होंने बताया कि भजन लाल, हरपाल सिंह, हनुमान सिंह, सुभाष बराला और मंगतराम खबड़ा जैसे सूबे के कई कद्दावर नेताओं और मंत्रियों ने चुनाव के लिए लिखे और गाये जाने वाले गीतों को सराहा और तारीफ भी की। बकौल कलाकार विविध कलाओं में अपनी गायकी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाले इस लोक गायक का कद चुनावी मौसम में जरुर बढ़ जाता है, जब सूबे में लोकसभा और विधानसभा के प्रत्याशियों के लिए नेताओं के चुनाव प्रचार के लिए उसके गीतों की कैसेट चलाते हैं। मसलन कद्दावर नेता उसके गीत सुनने के बाद उसकी सराहना तो करते हैं, लेकिन उसकी कला को मान्यता देने के लिए आश्वासन के अलावा कुछ और नहीं मिला है। यही कारण है कि उसकी कला पर भारी पड़ती गरीबी का साया उसे अन्य कलाकारों की तरह सुर्खियों में लाने से रोक रहा है या कुछ यूं कह सकते हैं कि उसकी कला लुप्त होने के कगार पर है और वह उसे जबरन जीवंत रखने के लिए हौंसला खोना नहीं चाहता। वर्तमान में हालात ये हैं कि अपने परिवार की आजीविका चलाने के लिए यह कलाकार गांव में ही एक कापी किताबों की दुकान चलाकर अपने परिवार में आठ सदस्यों का पालन पोषण कर रहा है। छाजूराम को इस बात का मलाल है कि चुनावों के समय जिन मंत्रियों और नेताओं के लिए उसने गीत लिखे और अपनी कला में गाये हैं और उन्होंने उसकी कला को सराहते हुए अनेकों आश्वासन भी दिये, लेकिन आज तक उसकी कला को मान्यता देना तो दूर की बात रही, बल्कि राज्य के कला संस्कृति मंत्रालय से कोई आर्थिक मदद तक नहीं मिल सकी है। 
  लेखन व गायकी की कला 
छाजूराम की गायकी एवं लेखन की शुरूआत साल 1972 में हुई। इसके बाद उन्होंने राजकला नामक हरियाणवी किताब लिखी, जबकि उनकी दूसरी किताब ‘मॉं की महिमा’ प्रकाशित हुई। इसके अलावा उन्होंने कलिया सरपंच और अनपढ़ मानस पशु बराबर जैसे नाटक भी लिखे हैं। साल 1994 के बाद छाजू राम के गीतों और भजनों की कैसेट भी जारी हुई, जिनमें कॉलेज रॉंडा का, नजरा साड़ी का, बॉर्डर पर पीली दारू, जय बाबा जगन्नाथ, प्रणाम शहीदा नु, साइबर दर्शन पाऊं पंजाबी और चलो डांगरा धाम शामिल हैं। यही नहीं साक्षरता अभियान में गांव गांव में शिक्षा का प्रचार करने के अलावा उन्होंने जमालपुर शेखा गांव में ही आयोजित नाटकों महाराजा हरिचन्द्र, अमर सिंह राठौर, पूर्ण भगत, शाही लकड़हारा, सत्यवान सावित्री जैसे नाटकों में अभिनय भी किया। छाजूराम को उसके नाटकों के मंचन में सहरानीय भूमिका को देखते हुए रामलीलाओं के मंचन में राम का अभिनय करने का भी मौका मिला है, जिसको लोगों ने सराहा भी और उसे प्रोत्साहन व सहयोग भी दिया। उन्होंने बताया कि बॉर्डर पर पीली शराब पर गीत की कैसेट उन्होंने शराबबंदी पर निकाली, जबकि जय बाबा जगन्नाथ गीत की कैसेट भक्ति रस रोहतक में जारी हुई। 
24Jan-2022

सोमवार, 17 जनवरी 2022

मंडे स्पेशल: हरियाणा में एक साल में लगी पौने चार करोड़ से ज्यादा डोज

कोरोना की तीसरी लहर के खिलाफ बड़ा हथियार वैक्सीनेशन 
राज्य के 61.43 लाख लोगों को है कोरोना सुरक्षा कवच पहने का इंतजार 
ओ.पी. पाल.रोहतक। कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में कोरोना रोधी वैक्सीन सबसे बड़ा हथियार बनकर सामने आया। देशभर में टीकाकरण अभियान के एक साल पूरा होने पर हरियाणा भी पीछे नहीं रहा और इस दौरान प्रदेश में करीब 3.80 करोड़ डोज लगाई गई। नए साल के पिछले एक पखवाड़े में प्रदेश में करीब 36 लाख वैक्सीन की डोज दी गई, जिनमें 15-18 आयु वर्ग के किशोरों के अलावा बूस्टर डोज भी शामिल है। हालांकि अभी तक प्रदेश में अभी तक प्रदेश में करीब 61.43 लाख लोगों को कोरोना सुरक्षा कवच पहनने यानी दूसरी डोज का इंतजार है। कोरोना की तीसरी लहर पीक पर है और इसके लिए टीकाकरण अभियान की रफ्तार को युद्धस्तर पर तेज करना होगा। ऐसे में सवाल भी उठता है कि प्रदेश में टीकाकरण का लक्ष्य कब तक पूरा होगा? हरियाणा सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर में ही तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों का दावा किया था। इसके लिए वैक्सीन को सबसे बड़ा हथियार मानते हुए वैक्सीनेशन केंद्रों की संख्या को दोगुना भी किया। इसके कारण वैक्सीन की डोज लेने वालों का आंकड़ा तो बढ़ा। नतीजन पिछले साल ही सितंबर में प्रदेश में दो करोड और 13 दिसंबर को तीन करोड़ डोज का आंकड़ा पार हो गया। लेकिन तीसरी लहर में टीकाकरण की यह रफ्तार पिछले साल जैसी नजर नहीं आई। यदि आंकड़ो पर गौर करें तो 31 दिसंबर को प्रदेश में 3.43 करोड़ डोज लगाई जा चुकी थी, जिसके बाद नए साल में ऐसे समय गति कम हुई, जब किशोरों के अलावा बूस्टर डोज देने का अभियान भी शुरू हो गया।
टीकाकरण 3.79 करोड़ के पार 
प्रदेश में अब तक लगाई गई 3,79,45,566 वैक्सीन की डोज में से 2,20,14,533 पहली और 1,58,71,774 दूसरी डोज के अलावा 59,259 बूस्टर डोज भी शामिल है। इसमें 15-17 आयु वर्ग को 7.90 लाख से ज्यादा डोज दी जा चुकी है। इसके अलावा 18-44 आयु वर्ग में 2.41 करोड़, 45-60 आयु वर्ग में 77.65 हजार और 60 साल से ज्यादा बुजुर्गो को 54 हजार डोज दी जा चुकी हैं। जबकि वैक्सीनेशन कराने वालों में 2.08 करोड़ पुरुष, 1.71 करोड़ महिलाएं तथा 8199 थर्डजेंडर भी शामिल हैं। 
योगदिवस पर बना था रिकार्ड 
 प्रदेश में 21 जून को विश्व योग दिवस के दिन में 6,27,136 डोज लगाई गई थीं। जबकि 17 सितंबर को मेगा वैक्सीन डे पर 5,69,871 डोज लगाई गई, 3,63,556 लोगों ने पहली तो 2,06,315 लोगों ने दूसरी डोज ली थी। प्रदेश में इससे ज्यादा टीका इसके बाद किसी भी दिन नहीं हो सका। सरकार का दावा है कि प्रदेश में पहली डोज का लक्ष्य पूरा हो गया है, जबकि 77 प्रतिशत लक्ष्य दूसरी डोज का हासिल किया गया है। हालांकि प्रदेश में 18+ को सबसे ज्यादा डोज दी गई, जिसका अभियान पिछले साल मई में शुरू हुआ था। 
किशोरों में उत्साह हुआ कम 
प्रदेश में तीन जनवरी से शुरू हुए 14-17 आयु वर्ग के किशोरों में पहले दिन ही 70 हजार से ज्यादा डोज लगी, सबसे 1,43,382 ज्यादा छह जनवरी को लगाई गई, लेकिन पिछले एक सप्ताह से हर दिन ढाई हजार का आंकड़ा भी पार नहीं हो पा रहा है। जबकि सरकार ने स्कूलों में भी इस आयुवर्ग के किशोरों को डोज देने की व्यवस्था की हुई है। सरकार का इस आयु वर्ग के 15.79 लाख किशोरों का वैक्सीनेशन करने का लक्ष्य है, जो अभी करीब 60 फीसदी यानि 7.90 लाख के पार पहुंच पाया है। 
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प्रदेश में एक साल के टीकाकरण अभियान में किस जिले में कितनी लगी डोज 
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जिला    अनुमानित आबादी   कुल डोज      पहली डोज      दूसरी डोज     बूस्टर डोज 
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गुरुगाम         17,26,452      46,42,325       25,64,630    20,64,442    13,031 
फरीदाबाद    20,63,096       34,50,493      19,94,514     14,50,115     5,804 
करनाल       17,16,069       21,18,514       12,29,118     8,85,769       3,627 
हिसार         19,88,081       21,12,003      12,65,011     8,42,754       4,238 
सोनीपत     16,53,001       20,46,176     12,15,363      8,28,823       1,990 
अंबाला       12,86,319       19,07,123      9,99,154      9,04,550        3,419 
पानीपत    13,74,198        17,83,643     10,80,675     7,00,964        2,004 
सिरसा      14,76,515        17,62,858     10,34,776      7,26,573       1,509 
यमुनानगर 13,84,194      16,37,611      9,51,130       6,83,657       2,824 
भिवानी     18,63,267       15,86,473      8,72,151        7,12,541       1,781 
जींद         15,20,933        14,99,316     9,08,537        5,89,704        1,075 
कैथल      12,24,707        14,80,969     8,66,632        6,12,750        1,587 
रोहतक    12,09,773        14,46,358     8,56,609       5,87,964        1,785 
झज्जर    10,92,582       14,10,683      8,19,513       5,89,941        1,229 
रेवाड़ी      10,26,378       14,01,813      7,85,770       6,13,120        2,923 
पलवल     11,88,687      13,07,233      7,87,766      5,18,714        0,753 
कुरुक्षेत्र    10,99,707      12,74,183       7,43,977      5,28,810       1,396 
महेन्द्रगढ़ 10,51,180      12,06,876       6,94,277     5,10,824       1,775 
फतेहाबाद 10,73,893      11,16,974       6,78,276    4,38,185       0,513 
नूहूं(मेवात) 12,41,760     9,92,576       7,13,246     2,78,846        0,484 
पंचकूला   6,39,874        9,87,994         5,36,595     4,47,036       4,363 
चरखी दादरी 7,02,276    7,73,372        4,16,753        3,55,470     1,149 
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  कुल  2,89,00,667      3,79,45,566    2,20,14,533    1,58,71,774    59,259
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17Jan-2022

कोरोना: तीसरी लहर से जंग के लिए कितने तैयार हम!

प्रदेश में दवाओं, ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा सुविधाओं की फिलहाल कमी नहीं इस बार नहीं होंगे मजबूर
खानपुर, अग्रोहा मेडिकल समेत सभी जिलों में तैयारी भरपूर 
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प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इस बार कोरोना से निपटने के लिए हमारी पूरी तैयारी है। हम किसी भी हाल में मजबूर नहीं होंगे। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि फिलहाल प्रदेश में दवाओं और चिकित्सा सुविधाओं की कोई कमी नहीं है। ऑक्सीजन भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद है। ऐसे हम दूसरी लहर की तरह मजबूर नहीं होंगे। रोहतक पीजीआई, चंडीगढ़ पीजीआई, खानपुर मेडिकल, करनाल में कल्पना चावला मेडिकल, मुलाना मेडिकल, अग्रोहा मेडिकल और सभी जिला अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए सभी सुविधाएं मौजूद हैं। हमें किसी भी हाल में घबराना नहीं है। पेश प्रदेश में कोरोना से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग क्या-क्या दावे कर रहा है और उनमें क्या सच्चाई है? इसका आकलन पेश कर रहे हैं प्रदेश के विभिन्न जिलों के हरिभूमि के संवाददाता। 
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हरिभूमि टीम: हरियाणा।
सोनीपत में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। ओमिक्रोन के छह केस आ चुके हैं। पिछले साल कोरोना ने मौत का जैसा तांडव मचाया था, इस बार ऐसा नहीं होगा। बढ़ती बीमारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से हर जरूरी कदम उठाएं जा रहे हैं। जिले के महिला मेडिकल कॉलेज अस्पताल खानपुर, नागरिक अस्पताल सोनीपत, गोहाना नागरिक अस्पताल सहित सीएचसी और पीएचसी सेंटरों पर ऑक्सीजन बेड तैयार हैं। सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में कुल 1525 बेड तय किए हैं। जिनपर 24 घंटे ऑक्सीजन की सुविधा है। 
अग्रोहा मेडिकल के चालीस डॉक्टर संक्रमित 
हिसार। कोरोना की तीसरी लहर में कोरोना संक्रमित 21 से 30 साल के युवाओं की संख्या 300 के पार हो चली है। स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े करीब 100 लोगों को कोरोना चपेट में ले चुका है। अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में अब तक 40 से ज्यादा डाक्टर, एमबीबीएस स्टूडेंट्स और स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हो चुके हैं। नागरिक अस्पताल में भी डाक्टरों व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना पाजिटिव होने का आंकड़ा 20 के करीब पहुंच चुका है। हिसार में तीसरी लहर में 1031 से ज्यादा संक्रमित मरीजों की संख्या पहुंचने पर भी विभिन्न अस्पतालों में दहाई के आंकड़ें में मरीज भर्ती हैं। 
अग्रोहा मेडिकल कॉलेज की स्थिति 
कुल बेड 200, खाली 192, आईसीयू बेड, 100 खाली 96, आक्सीजन बेड 60, खाली 60, नोट: अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में सभी बेड आक्सीजन व ऑक्सीमीटर युक्त हैं। 
बच्चों के कोविड बेड का सूरत-ए-हाल- बेड 161 (सभी खाली), ऑक्सीजन बेड 161 (सभी खाली), आईसीयू बेड 252, खाली 245, आईसीयू वेंटीलेटर बेड 41 (सभी खाली)।
महिला मेडिकल कॉलेज खानपुर 
बीपीएस राजकीय महिला मेडिकल कॉलेज खानपुर में 500 बेड के अस्पताल को विशेष कोविड अस्पताल घोषित किया गया है। पहले यहां केवल 180 बेड पर ही ऑक्सीजन की सुविधा थी। लेकिन दूसरी लहर से सबक लेते हुए यहां तीन एक-एक हजार एलएनपी क्षमता के ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए हैं। सभी 500 बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा शुरू कर दी गई है।
सोनीपत में 5 तो खानपुर में 15 मरीज भर्ती 
नागरिक अस्पताल सोनीपत में मौजूदा समय में 200 बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध हैं। विभाग की तरफ से 20 बेड आईसीयू के लिए तैयार किए गए हैं। वहीं, महिला मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में कोरोना के मरीजों के लिए 250 सामान्य व आईसीयू के 50 निर्धारित किए हैं। इनमें 30 बेड बच्चों के भी शामिल हैं। यहां फिलहाल 15 मरीजों का ही इलाज चल रहा है। 
टीकाकरण भी तेज 
अलग-अलग 98 स्थानों पर हर रोज टीकाकरण किया जाता है। 14 जनवरी तक जिले में 20 लाख 33 हजार 359 जिला में 12 लाख 09 हजार 164 को लगी पहली व 08 लाख 22 हजार 580 को लगी दूसरी डोज लगाई जा चुकी है। इसके अलावा 1615 लोगों को बूस्टर डोज लगाई जा चुकी है।
 ज्यादा मरीज नहीं-अभी ज्यादा मरीज नहीं आ रहे हैं। थर्ड वेव में दो दिन पहले तक कुल 7 पेंशट अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए, 4 संक्रमितों के रिकवर होने पर उन्हें छुट्टी दे दी गई। -डॉ. राजीव चौहान, कोविड इंचार्ज, अग्रोहा मेडिकल कॉलेज। 
झज्जर: 19 कोविड अस्पताल तैयार 
ऑक्सीजन बेड 646, निजी अस्पताल में बेड 580, आईसीयू बेड 318, बच्चों के लिए आरक्षित 134,  वेटिंलेटर 76,  ऑक्सीजन कसंट्रेटर 321, ऑक्सीजन सिलेंडर 1141, ऑक्सीजन प्लांट 2।
भिवानी: बेड और ऑक्सीजन पर्याप्त कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने जिले मे जो तांडव मचाया था उसी अभी तक लोग भूले नहीं है। वहीं जिले में दूसरी लहर की अपेक्षा तीसरी लहर के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इस बार ऑक्सीजन और बेड की व्यवस्था पर विशेष फोकस किया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले में 909 बेड की व्यवस्था की है । इसक साथ साथ सामान्य अस्पताल में 230 बेड पर सेंट्रल पाइप लाइन आक्सीजन शुरू हो चुकी है जो निर्बाध रूप से आक्सीजन सप्लाई करती रहेगी। 
नारनौल: स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार नारनौल: महेंद्रगढ़ जिला की करीब 13 लाख आबादी है, लेकिन आबादी अनुपात के हिसाब से स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर फिलहाल कमी है। हां, जिस प्रकार से पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार हुआ है, उससे भविष्य जरूर बेहतर नजर आने लगा है। नारनौल शहर से करीब चार किलोमीटर दूर गांव कोरियावास में नया मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल भवन तैयार हो रहा है। जिला के एकमात्र इस मेडिकल कॉलेज की शुरुआत अगले साल 2023 में शुरू होने की आस है। वहीं नारनौल के जिला स्तरीय सरकारी अस्पताल को 50 के दशक में उस समय बनाया गया था, जब पंजाब को पैप्सू कहा जाता था। कई दशक बीते, लेकिन जिला स्तरीय अस्पताल आज भी जटिल बीमारियों के विशेषज्ञ चिकित्सकों एवं जांच सुविधाओं का मोहताज ही बना हुआ है। 
जींद में ऐसी तैयारी 
जिला मुख्यालय स्थित सामान्य अस्पताल 200 बेड का है।कोविड-19 के लिए यहां दो स्पेशल वार्ड बनाए गए हैं। जिनकी क्षमता 80 बेडों की है। अगर जरूरत पड़ी तो यहां 150 बेडों को बढ़ाया जा सकता है। बच्चों के लिए 40 बेडों का निक्कु वार्ड बनाया गया है। सभी बेड पर ऑक्सीजन की सप्लाई उपलब्ध है। यहां चिकित्सकों के 58 पद स्वीकृत हैं लेकिन 22 चिकित्सक ही कार्यरत हैं। इनमें भी स्पेशलिस्ट चिकित्सकों की भारी कमी है। नर्सिंग स्टाफ में 90 पद स्वीकृत हैं। जबकि 60 ही नर्सिंग स्टाफ कार्यरत है। सामान्य अस्पताल के एसएमओ डा. गोपाल गोयल ने बताया कि अस्पताल में स्पेशलिस्ट चिकित्सकों की कमी है। 
कुरुक्षेत्र 611 बेड के साथ तैयार
स्वास्थ्य विभाग हाईअलर्ट पर है। मरीजों को काेई परेशानी नहीं हो इसके लिए सभी तैयारियां की जा चुकी हैं। जिले में सरकारी और निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए 611 बेड की व्यवस्था की गई है। जिनमें आईसीयू विद वेंटिलेटर के 103 बेड हैं। कोरोना से निपटने को 8 टीमें गठित की गई हैं। ये टीमें सैंपलिंग, कांटेक्ट ट्रेसिंग, बुलेटिन जारी करना, मोल्युकुलर लैब सहित अन्य कार्य संभाल रही हैं। अभी कोविड मरीजों के लिए किसी भी अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी नहीं है। सभी मरीजों का अच्छी तरह से इलाज किया जा रहा है। तमाम वेंटिलेटर, कंसंट्रेटर, गैस सिलिंडर के साथ मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले तमाम उपकरणों की व्यवस्था कर ली गई है। -सीएमओ, डॉ. सुखबीर सिंह 
यमुनानगर में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट 
कोविड-19 की तीसरी लहर से निपटने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट है। तेजली खेल परिसर समेत आधा दर्जन स्थानों पर आइसोलेशन सेंटर बनाए गए हैं। निजी अस्पतालों में बेड आरक्षित हैं। कोविड अस्पतालों व आइसोलेनशन सेंटरों में आठ सौ बेड की व्यवस्था है। जगाधरी सामान्य अस्पताल, ईएसआई अस्पताल व शहर के समामन्य अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा चुके हैं। सीएमओ डॉ. विजय दहिया ने बताया कि जिले में कोविड की तीसरी लहर से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजाम हैं। टीकाकरण के लिए 114 केंद्र बनाए गए हैं। जिले में अभी कोरोना के 641 एक्टिव मरीज हैं।
हिसार के अस्पतालों में स्थिति.- बेड 1400-खाली 1315,  आक्सीजन बेड 967-खाली 945, आईसीयू बेड 252- खाली 242, आईसीयू वेंटिलेटर बेड 213- खाली 211।
कैथल में ऑक्सीजन की नहीं होगी कमी 
जिले में इस बार मरीजों को कोई परेशानी नहीं आएगी। ऑक्सीजन के प्लांट तैयार हो चुके हैं। इसलिए ऑक्सीजन की भी कोई कमी नहीं होगी। हालांकि नागरिकअस्पताल सहित कई प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वीकृत पदों के अनुसार पूरे डॉक्टर नहीं है। इसलिए मरीज ज्यादा बढ़े तो बाहर से डॉक्टर बुलाने पड़ सकते हैं।
यह है स्थिति :जिला नागरिक अस्पताल में डाक्टरों के स्वीकृत 55पद में से केवल 22 नियुक्त डॉक्टर।:नर्सों के स्वीकृत 90 में से 45 पद खाली। :एसएमओ के 5 में से 1, ऑपरेशन थियेटर असिस्टेंट के 10 में से 5, नसिंर्ग सिस्टर के 10 में से 9 व लैब टेक्निशियन के 14 में से 7 पद खाली पड़े हैं। :अन्य सहायक कर्मचारियों के भी काफी पद खाली हैं। :सरकारी और निजी अस्पतालों में 212 ऑक्सीजन बेड।
17Jan-2022

साक्षात्कार: साहित्यिक सेवा में निहित है समाज हित: विकेश निझावन

हिंदी साहित्य और हिंदी की समृद्धि के लिए न्यौछावर किया जीवन 
---ओ.पी. पाल 
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: विकेश निझावन 
जन्म: 7 अक्टूबर 1949 
जन्म स्थान: अम्बाला शहर (हरियाणा) 
शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी) पंजाब विश्वविद्यालय, दो वर्ष का फारमेसी में डिप्लोमा, पत्रकारिता एवं एक वर्ष का सॉयन्टालोजी का कोर्स। 
संप्रत्ति: 15 वर्षों का दवा विक्रेता 'कैमिस्ट' का अनुभव।557-बी, सिविल लाइन्स, अम्बाला शहर। 
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रियाणा साहित्य अकादमी द्वारा साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए वर्ष 2017 के लाला देशबन्धु गुप्त सम्मान से नवाजे गये साहित्यकार, पत्रकार एवं लेखक विकेश निझावन एक ऐसे साहित्यकार हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन हिंदी साहित्य और हिंदी की समृद्धि के लिए न्यौछावर कर दिया। हाल ही में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने उन्हें पत्रकारिता मानव सभ्यता में प्रमुख योगदान के लिए फैलोशिप दी है। संगीत के क्षेत्र में गहन पकड़ रखने वाले निझावन चित्रकारी में भी निपुण हैं, जिन्होंने साहित्य क्षेत्र की विभिन्न विधाओं में समाज को दिशा देने के लिए अपनी लेखनी के जरिए देश विदेश में ख्याति हासिल की है। समाज हित के लिए साहित्यिक सेवा करने में जुटे अपनी बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रसिद्ध साहित्यकार विकेश निझावन ने हरिभूमि संवाददाता के साथ हुई खास बातचीत के दौरान अपने साहित्यिक और स्वतंत्रत पत्रकारिता के सफर के अनझुए पहलुओं को साझा किया। रियाणा के अंबाला शहर रेलवे रोड के मूल निवासी डॉ. श्याम सुंदर निझावन के घर में 7 अक्टूबर 1949 को जन्मे विकेश निझावन का व्यक्तित्व बचपन से ही गंभीर प्रवृत्ति का रहा और बचपन से ही उनकी साहित्य, कला और बागवानी के क्षेत्र में गहरी रुचि इस बात का प्रमाण है कि 12 साल की उम्र में ही उन्होंने कविता लेखन से साहित्य जगत में कदम रखा। बातचीत के दौरान लेखक एवं साहित्यकार विकेश निझावन ने बताया कि वह कक्षा 7 से ही कविता लिखने लगे और 15 वर्ष की उम्र 1973 में उनकी पहली कहानी ‘जाने और लौट आने के बीच’ तत्कालीन अग्रणी पत्रिका सारिका में प्रकाशित हुई, जिसका अंग्रेजी, गुजराती, मलयालम, तेलगू, पंजाबी और उर्दू जैसी देश की लगभग हर क्षेत्रीय भाषा में अनुवाद भी हुआ। उन्होंने उच्च शिक्षा लेकर फार्मेसी में डिप्लोमा किया और रोजगार की दृष्टि से केमिस्ट शॉप का संचालन किया। साथ ही उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से हिंदी साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएशन भी कर लिया। साहित्यिक सफर में निझावन की रचित 200 से भी ज्यादा कहानियां देश के अखबरों व पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। विकेश निझावन की कहानियों व कविताओं में विभिन्न प्रकार की मानवीय कुंण्ठाओं, संत्रास, सामाजिक यथार्थ मध्यवर्गी य जीवन और मानवीय सम्बन्धों आदि विविधता का समावेश नजर आता है। एक लब्ध कथाकार एवं लेखक निझावन ने अपने साहित्यिक रचना संसार में व्यक्ति की भावनाओं और संवेदनाओं का बहुत ही सहज चित्रण किया है। उनकी चित्रकारी की कला जहां उनकी लिखित पुस्तकों में रेखा चित्रों में विद्यमान हैं तो अन्य साहित्यकारों ने भी अपनी रचनाओं में उनके बनाए गये रेखा चित्रों को जगह दी है। हिन्दी के अलावा पंजाबी तथा अंग्रेजी भाषा तथा साहित्य का तो उन्होंने गहन, सूक्ष्म एवं सर्वांगीण अध्ययन-मनन,विवेचन-विश्लेषण किया है। निझावन ने बताया कि वे पिछले 12 साल से पुष्पगंधा के नाम से एक ऐसी कथा पत्रिका का संचालन कर रहे हैं, जिसकी ख्याति देश-विदेश में भी है। उन्होंने बताया कि उनकी रचनों का पिछले करीब साढ़े तीन दशक से आकाशवाणी रोहतक एवं आकाशवाणी कुरुक्षेत्र से नियमित प्रसारण हो रहा है। वहीं कहानियां एक टुकड़ा ज़िंदगी, ऊदबिलाव एवं 'न चाहते हुए' का दूरदर्शन एवं जी चैनल पर नाट्य-रूपान्तर और जालन्धर दूरदर्शन तथा हिसार से अनेक कार्यक्रम एवं चर्चा परिचर्चा में शामिल होना भी उनके लिए किसी उपलब्धियों से कम नहीं है। उनके साहित्य के दायरे इतना विस्तृत रहा कि उन्होंने तीन माह की 'इंग्लैंड' की यात्रा की, जहां उन्होंने विभिन्न स्थलों के बारे में जाना और उस यात्रांत कहानी की लेखनी का विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई। 
पुस्तकों का प्रकाशन 
साहित्यकार विकेश निझावन की अब तक प्रकाशित करीब दो दर्जन पुस्तकों में 12 कहानी संग्रह हैं, जिनमें हर छत का अपना दुःख, महादान, अब दिन नहीं निकलेगा, आखिरी पड़ाव, महासागर, मेरी चुनिंदा कहानियाँ, गठरी, कोई एक कोना, कथापर्व, छुअन तथा अन्य कहानियाँ, सिलवटें और विकेश निझावन की 31 संकलित कहानियां शामिल हैँ। जबकि उपन्यासों में मुखतारनामा और कितने कब्रिस्तान(प्रकाशनाधीन) के अलावा लघुकथा संग्रह में दुपट्टा और कितनी आवाजें (लघुकथा संकलन-सम्पादन) भी चर्चा में है। जबकि छह कविता संग्रह में मेरी कोख का पांडव, एक खामोश विद्रोह, एक टुकड़ा आकाश, शेष को मत देखो, बाल कविताएं प्यारा बचपन (दो भाग) और बचपन के गीत (दो भाग) शामिल है। वहीं पर्यावरण हमारा दोस्त शीर्षक से निबंध के प्रकाशन के अलावा निझावन के अनेक संकलनों में कहानियां एवं कविताएं भी शामिल है। यहीं नहीं 'पेंगुइन' द्वारा प्रकाशित संकलन 'गदर के 150साल' में उनके आलेख भी संकलित हैं। वहीं उन्होंने साहित्यिक पत्रिका 'पुष्पगंधा', 'शुभ तारिका' एवं 'रूपा की चिट्ठी' के अलावा 'दीपशिखा' पत्रिका के 'लोककथा' अंक, 'कितनी आवाजें लघुकथा संकलन का भी संपादन किया है। विकेश निझावन की उपलब्धियों में अंगेज़ी, गुजराती, मलयालम, उर्दू, तेलगु, पंजाबी आदि भाषाओं में अनेक कहानियाँ अनूदित करना है। वहीं 'छुअन तथा अन्य कहानियां' के अलावा पुस्तक महादान का मराठी में अनुवाद करना भी शामिल है। भारत सरकार के निमंत्रण पर महान साहित्यकार मोहन राकेश जी पर शोध का कार्य किया, जिसे सरकार की ओर से पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया। कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी की छात्रा डॉक्टर सोनिया राणा द्वारा उनके जीवन साहित्य पर रिसर्च की गई, जिसे ‘विकेश निझावन जीवन और साहित्य’ के रूप में प्रकाशित किया गया। 
पुरस्कार एवं सम्मान
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा साहित्यकार विकेश निझावन को वर्ष 2017 के लिए दो लाख रुपये के लाला देशबन्धु गुप्त सम्मान से नवाजा है। इससे पहले हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा उनके कहानी संग्रह 'अब दिन नहीं निकलेगा' और कविता संग्रह ‘एक टुकड़ा आकाश' के अलावा दो कहानियों 'माँ' 'छुअन तथा अन्य कहानियों में महादान को पुरस्कृत किया जा चुका है। हरियाणा साहित्य अकादमी एवं साहित्य कला संगम' से उदयभानू हंस कविता पुरस्कार-2011 का सम्मान और विश्व हिन्दी सहस्त्राब्दी सम्मान लेने का गौरव भी उन्हें हासिल है। उनके उपन्यास 'मुखतारनामा' ने ‘पलाश कहानी प्रतियोगिता' राष्ट्रीय स्तर पर राजस्थान में प्रथम पुरस्कार लिया, जिसके लिए उन्हें जैनेन्द्र व हिमांशु जोशी ने सम्मानित किया। पंजाब में प्रेमचंद प्रतियोगिता में उनकी कहानी ‘उसकी मौत' और दिल्ली की साहित्यिक संस्था से कहानी 'हर छत का अपना दुःख' पुरस्कृत हुई। इसके अलावा साहित्यिक संस्था प्रज्ञा रोहतक, कहानी लेखन महाविद्यालय-अम्बाला के कुरुक्षेत्र शिविर, साहित्य सभा कैथल, रिंजा-शिलां, राष्ट्रभाषा विचार मंच-अम्बाला, सिरसा, फतेहाबाद एवं कुछ अन्य संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है। मासिक पत्रिका 'कादम्बिनी से राष्ट्रीय स्तर पर कहानी 'पुल के दूसरी ओर' पुरस्कृत की गई। तरंगिनी आदरा, मुम्बई द्वारा 'साहित्य शिरोमणि' पुरस्कार से 2015 में सम्मानित किया गया है। सिनेमेटिक टूरिज्म कांफ्रेंस में हिन्दी लेखन के लिए पंजाब सरकार द्वारा सम्मानित करने के लिए विभिन्न संस्थाएं भी निझावन को सम्मानित कर चुकी हैं। 
स्थायी पता: विकेश निझावन, 557-बी, सिविल लाइन्स, आई. टी. आई. बस स्टॉप के सामने, अम्बाला शहर-
134003 (हरियाणा), मोंब-9896100557/8168724620
17Jan-2022

बुधवार, 12 जनवरी 2022

मंडे स्पेशल: कोरोना की तीसरी लहर बन सकती है बड़ा खतरा!

पहली लहर पर भ्रारी पड़ी थी दूसरी लहर, तीसरी लहर की रफ्तार सन्न करने वाली प्रदेश में सरकार के प्रबंधों की भी होगी कड़ी परीक्षा 
ओ.पी. पाल.रोहतक। देशभर में कोरोना की तीसरी लहर ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। हरियाणा भी इससे दो चार हो रहा है और इसकी वजह साफ है, क्योंकि प्रदेश में कोरोना महामारी की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर संक्रमण और उसके कारण हुई मौतों के मामले में घातक साबित हुई है। इन दो लहरों का दंश झेलने वाले हरियाणा में तीसरी लहर की रफ्तार से आम आदमी के साथ साथ प्रशासन में भी भय का माहौल है। हालांकि अभी के संक्रमण में दूसरी लहर जैसी चुनौतियों नजर नहीं आ रही है। अगर केस और बढ़ते है तो हालात विकट हो सकते हैं? इसी आशंका को देखते हुए सरकार ने टीकाकरण की रफ्तार तेज करने के साथ ही प्रबंधों को भी मजबूत करना शुरू कर दिया है। खासकर किशारों को संक्रमण से बचाने के लिए 15 लाख 79 हजार को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश में अब तक 6.04 लाख से ज्यादा किशारों को टीका लगाया जा चुका है। वहीं प्रदेश में अब तक टीकाकरण की संख्या 3.68 करोड़ से ज्यादा पहुंच गई है। राज्य में पहली दो लहरों में 7,73,788 लोग संक्रमण के शिकार हो चुके हैं। जिनसे 98.51 फीसदी यानी 7,62,284 ठीक होकर घर जा चुके हैं। अब सरकार का लक्ष्य तीसरी लहर के दौरान न केवल लोगों को संक्रमण से बचाने का है, बल्कि संक्रमण के दौरान मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध करवाना भी है।
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रियाणा में पहली व दूसरी लहर से सबक लेकर सरकार की इसी तैयारी के तहत सभी अस्पतालों, पीएचसी व सीएचसी में पर्याप्त ऑक्सीजन, वेंटिलेंटर, आईसीयू बेड, वेंटिलेंटर बेड सहित अन्य उपकरणों का रखरखाव करना शुरू कर दिया है। वहीं सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को कोविड एंटीवायरल ड्रग और अन्य आवश्यक दवाइयां खरीद के लिए विशेष रूप से निर्देश दिये हैं। इसके बावजूद सवाल ये है कि आमजन को तीसरी लहर के संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने जैसे प्रबंधों की मजबूती के लिए आमजन में कैसे विश्वास पैदा होगा? क्योंकि पिछली दो लहरों के दौरान स्वास्थ्य के क्षेत्र में सामने आए अनुभवों को लेकर लोगों में भय बना हुआ है। प्रदेशभर में भले ही हर रोज कोरोना जांच और बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन भले ही चल रहा हो, लेकिन बढ़ते संक्रमण से निपटने के लिए सरकार के प्रबंधों की भी अग्नि परीक्षा होना तय है? इसके विपरीत प्रदेश में बढ़ते कोरोना और नए वैरिएंट के प्रति सावधानी के बजाए बाजारों और रोजमर्रा की जिंदगी में आमजन बेपरवाह नजर आ रहे हैं, हालांकि हर दिन जिला प्रशासन स्तर पर कोरोना नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी बादस्तूर जारी है। वहीं ओमिक्रॉन और कोरोना संक्रमण बढ़ने से भयभीत लोगों में कोरोना रोधी वैक्सीन लगवाने की होड़ भी लगी हुई है। 
पहली लहर पर भारी थी दूसरी लहर 
हरियाणा की कोरोना की तीसरी लहर में संक्रमण के बढ़ते आंकड़ो को चिंता जायज है, जिसके सामने पहली दो लहरों के अनुभव का सबक किसी चुनौती से कम नहीं है, जिससे निपटने के लिए सरकार लोगों को सुरक्षित रखने के लिए तमाम इंतजाम करने में लगी है। प्रदेश में दूसरी लहर की तबाही का मंजर के आंकड़े गवाह है। मसलन पहली लहर में जहां प्रतिदिन आठ मरीजों की मौत का औसत रहा, वहीं दूसरी लहर में रोजाना औसतन 44 मरीजों की जान गई। हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर में 5662 मरीजों की मौत हुई, जिसमें मई माह में प्रतिदिन भयावह 127 मौतों के औसत से सर्वाधिक 3962 मरीजों की संक्रमण से मौत हुई। जबकि इससे पहले मार्च 2021 में 105 और अप्रैल में 1052 मरीजों की मौत हुई थी। इस दूसरी लहर की तुलना यदि पहली लहर यानि वर्ष 2020 से की जाए तो उस साल कोरोना से 3050 लोगों की जान गई थी। इसी प्रकार यदि पिछले साल एक मार्च से दूसरी लहर की शुरूआत मानी जाए तो चार माह में ही प्रदेश में 4.91 लाख लोग हुए कोराना संक्रमित हुए थे। जबकि इससे पहले प्रदेश में यह संख्या करीब 2.71 लाख थी। यानी दूसरी लहर में संक्रमण इतनी तेजी से फैला कि चार माह में ही प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 7,62,291 हो गई थी, जिनमें अकेले मई में ही 2,55,069 लोग संक्रमित हुए थे। यही नहीं यह दूसरी लहर का ही समय था, जब अस्पताल और मेडिकल कॉलेजों में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की मांग को लेकर हा हाकार मचता देखा गया। अब तीसरी लहर में रविवार नौ जनवरी को प्रदेश में 5166 नए मामले आए, जबकि 29 दिसंबर को तीन अंकों में 126 केस आए थे। इससे पहले नए मामलों का पांच हजार से ज्यादा आंकड़ा पिछले साल 22 मई को दर्ज किया गया था। 
नए साल में बढ़ सकती हैं मुश्किलें 
प्रदेश में ओमिक्रॉन की दस्तक के बाद नए साल के पहले आठ दिन में जिस प्रकार कोरोना संक्रमण का कहर लगातार बढ़ रहा है, वह आने वाले समय में आम लोगों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। यदि कोरोना संक्रमण के आंकड़ो पर गौर करें तो प्रदेश में 31 दिसंबर को कोरोना 1417 कोरोना मरीज थे, जिनकी संख्या नए साल के पहले नौ दिन में रविवार तक करीब 16,881 संक्रमित बढ़कर 18,298 पहुंच गई है। दिसंबर के अंतिम सप्ताह से तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामले सैकड़ा पार करते हुए अब तक चार अंकों तक पहुंच गये हैं। प्रदेश में हालांकि ठीक होने वालों की दर भी घटकर 96.42 प्रतिशत रह गई है। मसलन प्रदेश में अब तक 7,94 लाख से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, लेकिन करीब 7.66 लाख लोगों ने कोरोना को मात देकर जंग जीती भी है। जबकि संक्रमण के कारण 10,073 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि संक्रमण की दर इसी रफ्तार बढ़ती गई तो नया साल लोगों के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी करके खतरा पैदा कर सकता है। प्रदेश में ओमिक्रॉन के भी 136 मामलों की पुष्टि की गई है। 
वैक्सीनेशन की रफ्तार भी बढ़ी 
हरियाणा में अब तक 3.68 करोड़ से ज्यादा लोगों ने कोरोना रोधी वैक्सीन लेकर अपने आपको सुरक्षित कर लिया है, जिसमें 1.53 करोड़ से ज्यादा लोग दोनो डोज लेकर सुरक्षा कवच पहन चुके हैं। जबकि 2.15 लोगों को पहली डोज के बाद दूसरी वैक्सीन लेने का इंतजार है। दूसरी लहर के दौरान पिछले साल जून से 18 से 44 साल तक के 2.33 करोड़ से ज्यादा लोग भी टीकाकरण करा चुके हैं। वहीं नए साल में तीन जनवरी से शुरू हुए 15-17 साल के किशोरों के शुरू हुए वैक्कसीनेशन में उत्साह है और पिछले छह दिन में 6.04 लाख का टीकाकरण हो चुका है। जबकि अब तक 45-60 साल आयु वालों का प्रदेश मे अभी तक 76.25 लाख से अधिक वैक्सीन की डोज लगाई जा चुकी है। इसी प्रकार 60 साल से ज्यादा उम्र के 52.13 लाख लोगों ने टीकाकरण करा लिया है। कोरोना कवच पहने वालों में करीब 2.02 करोड़ पुरुष और 1.67 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। वहीं 7,782 थर्डजेंडर ने भी वैक्सीनेशन करा लिया है। 
ग्रामीण इलाको में भी बनेंगे कोविड केयर सेंटर 
कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए सरकार ने प्रदेश शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड केयर एवं आइसोलेशन केंद्र बनाने के निर्देश दिये हैं। सरकार के दिशानिर्देशों के तहत प्रदेश के सभी जिलों के उपायुक्तों ने अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट, ऑक्सीजन और आवश्यक दवाओं की उपलब्धता बनाए रखने के लिए समीक्षा करके ऑक्सीजन और दवाईयों की उपलब्धता की निरंतरता के लिए योजना बनाना शुरु कर दिया है। 
पंचकूला में भी लगेगी जीनोम सिक्वेसिंग मशीन 
हरियाणा में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामलों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने रोहतक में काम कर रही जीनोम सिक्वेसिंग मशीन के बाद अब पंचकुला में भी नई जीनोम सिक्वेसिंग लैब स्थापित करने की तैयारी कर ली है। सरकार का प्रयास है कि संक्रमण पर काबू पाने के लिए रोजाना कम से कम 50 हजार लोगों के नमूने जांच के लिए एकत्र किये जाएं। वहीं प्रदेश के सभी जिलों में आरटीपीसीआर लैब स्थापित की गई हैं। 
अस्पतालों में 138 पीएसए प्लांट चालू 
कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए सरकार ने खासकर दूसरी लहर में ऑक्सीजन की परेशानी के मद्देनजर प्रदेश में 50 बेड से ऊपर वाले 84 सरकारी व 54 प्राइवेट अस्पतालों में पीएसए प्लांट स्थापित कराकर चालू करा दिये हैं। वहीं आइसोलेशन बेड, आक्सीजन बेड, आईसीयू, वेंटीलेटर और बहुत बड़ी संख्या में ऑक्सीजन कंसटरेटर के अलावा कोरोना मरीज के इलाज हेतु सभी दवाईयों पर्याप्त स्टॉक के साथ व्यापक प्रबंध किये गये हैं। 
एंडीबॉडी में मजबूत प्रदेश 
सरकार ने प्रदेश में अब तक तीन कोविड-19 सीरो सर्वेक्षण कराए हैं, जिसकी तीसरी रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के लोगों में एंटीबॉडी बनने की दर औसतन 76.3 प्रतिशत पाई गई है। इसमें शहरी क्षेत्र में 78.1 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र 75.1 प्रतिशत पाई गई। जबकि पहले सीरो सर्वेक्षण में 8 प्रतिशत तथा दूसरे सर्वेक्षण में लोगों में 14.8 प्रतिशत एंडीबॉडी की दर पाई गई थी। सर्वेक्षण रिपोर्ट पर गौर की जाए तो सीरो सर्वें के तीसरे चरण में पुरषों में 75.3 प्रतिशत, महिलाओं में 77.1 प्रतिशत, 6 से 9 वर्ष के बच्चों में 69.8 प्रतिशत, 10 से 17 वर्ष के बच्चों 73.2 प्रतिशत की एंटीबॉडी पाई गई। तीसरे सर्वे में लोगों एंटीबॉडी की ज्यादा दर टीकाकरण के बाद 81.6 प्रतिशत तथा बिना वैक्सीनेशन लगे यानि प्राकृतिक रूप से लोगों में एंटीबॉडी की 75.5 प्रतिशत की दर पाई गई। वहीं पहली डोज वालों में 79.5 प्रतिशत और दोनों डोज लेने वाले लोगों में 84 प्रतिशत एंटीबॉडी बनी है। 
10Jan-2022

मंगलवार, 4 जनवरी 2022

साक्षात्कार: लेखन के लिए साहित्यिक पुस्तकें पढ़ना जरुरी: गुलशन मदान

मुम्बई में रहकर फिल्म गीत लेखन, पटकथा एवं संवाद लेखन में व्यस्त
-ओ.पी. पाल 
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व्यक्तिगत परिचय 
नाम: गुलशन मदान 
जन्म: 18 जनवरी 1961 
जन्म स्थल: कैथल (हरियाणा)। 
शिक्षा: कला स्नातक, आर.के.एस.डी. कॉलेज कैथल(हरियाणा)।
संप्रत्ति: भारतीय स्टेट बैंक मुंबई से अधिकारी पद से सेवानिवृत्त। 
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हरियाणा के प्रसिद्ध साहित्यकारों में शामिल ग़ज़ल के सशक्त हस्ताक्षर गुलशन मदान की लेखन क्षमता विभिन्न विधाओं में बॉलीवुड तक सुर्खियों में हैं,जो लघु कथा, कविता, क्षणिकायें, दोहे और गजलें लिखकर एक विविध आयामी प्रतिभा के धनी साबित हो रहे हैं। खासतौर से ग़ज़ल के क्षेत्र में उन्होंने जो प्रसिद्धि अर्जित की है उससे ग़ज़ल के क्षेत्र में नए आयाम तो पाठकों और श्रोताओं के सामने मुखर हुए, वहीं वे बॉलीवुड क्षेत्र में भी अपनी लेखनी से मुम्बई में रहकर फिल्म गीत लेखन, पटकथा एवं संवाद लेखन में व्यस्त हैं। यही नहीं वे कई फिल्मों और टीवी सीरियलों में एक चरित्र अभिनेता के रूप में नजर आ रहे हैं, जो उनकी विविध आयाम की कला का परिचायक है। एक बैंक अधिकारी से सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने देश व समाज की सेवा में साहित्य के क्षेत्र के साथ एक कलाकार, संगीतकार और पटकथा और गीत लेखन के कार्य में सक्रीय हैं। अपने साहित्य क्षेत्र के साथ फिल्मी पर्दो तक के सफर में उन्होंने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में जिन पहलुओं को छुआ है, वह हरियाणा ही नहीं, बल्कि देश और समाज को युग बोध का अहसास कराता है। 
प्रदेश के कैथल में 18 जनवरी 1961 को जन्मे गुलशन मदान ने अपनी कला स्नातक तक की शिक्षा कैथल में हासिल की है। इसके बाद वे नौकरी के सिलसिले में कैथल, करनाल, पानीपत और मुम्बई में रहे। भारतीय स्टेट बैंक में चालीस वर्षों तक सेवा करने के बाद मुम्बई से एक अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त होने पर वह अन्ततः वहीं बस गए। अपने साहित्यिक जीवन के बारे में प्रसिद्ध लेखक एवं गजलकार गुलशन मदान ने बताया कि आजकल वह मुंबई में ही साहित्य लेखन के साथ एक कलाकार, संगीतकार, स्क्रीप्ट लेखक में व्यस्त होकर देश व समाज की सेवा में जुटे हुए हैं। उन्होंने विज्ञापनों में मॉडलिंग के अलावा करीब आधा दर्जन टीवी सीरियलों में विभिन्न चरित्रों के किरदार में अभिनय भी किया हैं। नई पीढ़ी के लिए उनका कहना है कि मोबाइल और इंटरनेट पर व्यस्त होने के बजाए अच्छा साहित्य पढ़े और जो भी कुछ वे लिखना चाहते हैं उसके लिए उन्हें अच्छे साहित्य और अन्य ज्ञानवर्धक पुस्तकों को पढ़कर अध्ययन करना भी जरुरी है, तभी वे इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया या अखबार की सुर्खियां बनकर प्ररेणा ले सकते हैं। 
रियाणा के गुलशन मदान एक ऐसे युग प्रेरक साहित्यकार है जिनकी ग़ज़लों में युग-विशेष (प्रेरक) साफतौर से नजर आता है और अपनी वाणी युग से बंधे होने के बावजूद कालजयी है। अपने युग के प्रत्येक पहलु सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, धार्मिक, सांस्कृतिक सभी पर अपनी लेखनी चलाई है। अपनी ग़ज़लों में धार्मिक रूढ़ियों एवं प्रदर्शन के वर्णन में भी उन्होंने संस्कृति और सभ्यता जैसे शब्दों का प्रयोग किया है। गुलशन मदान के छः ग़ज़ल सग्रहों में मनोवैज्ञानिक,सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, समाज से जुडे़ अनेक मुद्दों को उठाने का प्रयास किया है। यही नहीं उनकी गजलों में गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, आदि का वर्णन आर्थिक युग बोध के अन्तर्गत किया गया है। मसलन सामाजिक युगबोध में गांव से नगरों का पलायन, संयुक्त परिवारों के विघटन, दाम्पत्य सम्बन्धों के बदलते प्रतिमान, नारी की स्थिति में परिवर्तन, युवा पीढ़ी सामाजिका के दोहरे मानदण्ड जैसे विभिन्न विषयों को भी उठाने में प्रेरक बने। गुलाशन मदान की ग़ज़लों में कुण्ठा, निराशा, आन्तरिक द्वन्द्व, अजनबीपन, नशा, अराजकता, उभोक्तावाद, गरीबी, महंगाई, निराशा, आन्तरिक बेराजगारी, न्यायापालिका आदि अनेक मुद्दों के अलावा साक्षात रूप से युग बोध समाज की अनेक समस्याओं का समावेश रहा है। 
प्रकाशित पुस्तकें 
प्रसिद्ध साहित्यकार एवं लेखक गुलशन मदान की ग़ज़ल, कहानी, लघुकथा, उपन्यास, दोहा संग्रह, हास्य व्यंग्य, बाल गीत एवं अनुवाद कृतियों सहित करीब सभी विधाओं में 19 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं और हाल ही में ऐमाज़ॉन पर भी उनकी दो ई-पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। उनकी प्रमुख पुस्तकों में गजलों की धूप के इश्तिहार, कुछ कदम फुटपाथ पर, सुलगती रेत पर, क़तरे में समन्दर, अधखुली खिड़कियाँ, कागज की नाव, गुलशन की चर्चित ग़ज़लें के अलावा ग़ज़ल के आईने में गुलशन (लेखक की ग़ज़लों पर शोध प्रकाशित) शामिल है। हाल ही में ऐमाज़ॉन पर भी उनकी दो ई-पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। जबकि कहानी संग्रह में एलबम, साये के साथ साथ और एक बार फिर से के साथ बाल गीत पर फुलवारी और ये प्यारे त्यौहार हमारे, लघुकथा संग्रह-दरअसल, हास्य व्यंग्य-ॐ श्री पुरस्काराय नमः, दो दोहा संग्रह-लाख टके की बात, हिंदी मे काव्यानुवाद-बुल्लेशाह की काफ़ियाँ, स्कन्द पुराण के श्लोकों का हिन्दी काव्यानुवाद-गुरुगीता के अलावा एक उपन्यास-अपने अपने बनवास पाठकों के बीच सुर्खियां बनी हुई हैं। साहित्यकार गुलशन मदान की रचनाओं पर दो बार एम.फिल और एक बार पीएचडी भी हो चुकी है। ग़ज़ल, कहानी, लघुकथा, उपन्यास, दोहा संग्रह, हास्य व्यंग्य, बाल गीत एवं अनुवाद कृतियों सहित करीब सभी विधाओं में उनकी 19 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। 
पुरस्कार व सम्मान 
हरियाणा के बहु आयामी साहित्यकार गुलशन मदान को हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति हेतु पुरस्कृत एवं वर्ष 2019 के लिए दो लाख रुपये क बाबू बालमुकुंद गुप्त सम्मान से नवाजा गया है। इसके अलावा हाल ही में उन्हें मुंबई में एकता मंच द्वारा उनके उत्कृष्ट काव्य लेखन के लिए वर्ष 2021 के गऊ भारत भारतीय सर्वोत्तम सम्मान से पुरस्कृत किया गया है। अपने काव्य लेखन एवं कला के क्षेत्र में समाज के लिए उत्कृष्ट कार्य करने के लिए अनेक संस्थाओं द्वारा सैकड़ों पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं। दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के लिए प्रसार भारती द्वारा मान्यता प्राप्त यानि एप्रूड शायर भी बने और राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्रों व काव्य संग्रहों में अनेकानेक रचनाएँ भी प्रकाशित हुई। अनेक कवि सम्मेलन और मुशायरों में मंच संचालन के साथ साथ काव्य पाठ भी करते रहे और खूब सराहे गए। 
बॉलीवुड में भी बड़े लेखक 
सुपार्श्व गायक भूपिंदर और मीताली की एलबम 'तू साथ चल' व 'कुछ इंतज़ार है' (यूनिवर्सल कंपनी) एवं फ़िल्म सुपार्श्व गायिका साधना सरगम की एलबम 'मेरे नाम लिखना' (टी सीरीज़) में उनकी गज़लें रिलीज़ हुई हैं। आजकल कई टीवी सीरियल और फिल्मों में चरित्र अभिनेता के रूप में दिखाई देते हैं और मुम्बई में ही फिल्म गीत लेखन, पटकथा एवं संवाद लेखन में व्यस्त हैं। शीघ्र रिलीज़ फ़िल्म 'ए काश के हम' एवं 'काके' के लिए दो-दो यानि उनके चार गीत उनके लिखे हुए रिकॉर्ड हुए हैं। आकाशवाणी के रोहतक केन्द्र और दूरदर्शन केन्द्र जालंधर से साहित्यकार मदान की ग़ज़लों का गायन प्रसारित हुआ है और इन ग़ज़लों को अकाशवाणी व दूरदर्शन के कलाकारों ने भी गाया है। 
संपर्क :1002, लक्ष्मी केलिस्टा, प्लॉट 283, जवाहर नगर , गोरेगांव (वेस्ट) मुंबई – 400104 मोबाइल: 9729799988/9896199988 
03Jan-2022

मंडे स्पेशल: हरियाणा में ओमिक्रोन वैरिएंट के साथ बढ़ा कोरोरा का खतरा

सरकार की सख्ती के बावजूद बेखौफ आमजन विचरण बन सकता है खतरा 
नए साल से पाबंदियों के ऐलान होते ही प्रदेश में तेजी से बढ़ा वैक्सीनेशन 
ओ.पी. पाल.रोहतक। सरकार की सख्ती और ओमिक्रोन की आहट ने वैक्सीनेशन की रफ्तार में तेजी ला दी है। प्रदेश सरकार ने बिना कोरोना टीका लगाए विचरण करने वाले लोगों पर लगाम कसने के उद्देश्य से सभी सरकारी दफ्तरों, ट्रेनों व बसों में यात्रा पर प्रतिबंध लगाने के बाद आम आदमी वैक्सीनेशन के प्रति जागरूक तो हुआ। वहीं कुछ रफ्तार कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के कारण भी बढ़ी है। प्रदेशभर में अभी भी कोरोना को लेकर सररकार द्वारा बार-बार जारी की जा रही कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं हो पा रहा है। आम आदमी द्वारा न तो मास्क में नजर आ रहा और न ही दो गज की दूरी का पालन किया जा रहा है। बाजारों में यहां तक कि सरकारी दफ्तरों में भी बिना मास्क लगाए लोग विचरण करते देखे जा सकते हैं। आम आदमी के मन में ओमिक्रोन को लेकर भय तो जरुर है लेकिन सुरक्षा उपयों को अभी भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है और इधर उधर घूमते नजर आ रहे हैं। 
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देशभर में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के साथ कोरोना संक्रमण का ग्राफ तेजी से बढ़ता नजर आ रहा है। लिहाजा केंद्र सरकार को सभी राज्यों को पत्र लिखकर अस्थायी अस्पताल बनाने का निर्देश जारी करने पड़े और यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि इन सभी अस्पतालों को अस्पतालों में और बिस्तर जोड़ने, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को बढ़ाने, ऑक्सीजन उपलब्धता के अलावा सभी तरह की सतर्कता सावधानी बरती जाए। हालांकि हरियाणा सरकार ने ओमिक्रोन की आहट आते ही अलर्ट जारी करने के साथ कोरोना संक्रमण के बचाव के उपायों में सख्त दिशानिर्देश जारी कर दिये थे। वैक्सीनेशन को लेकर भी सरकार ने नए साल से नई गाइडलाइन जारी करके ऐसे प्रतिबंध लगाए हैं कि आमजन को बिना वैक्सीनेशन के ट्रेन, बस, कार, रिक्शा या अन्य वाहन में सफर करना मुश्किल हो रहा है। सरकार की इसी सख्ती और ओमिक्रोन के भय से प्रदेशभर में कोरोना रोधी वैक्सीन के टीकाकरण अभियान को तेज रफ्तार मिली। ऐसी ही पाबंदी सरकारी व निजी कार्यालयों, अस्पतालों, होटलों, रेंस्तरों, रेस्टोरेंट या अन्य किसी भी सार्वजनिक जगहों के लिए की गई है, जिसके लिए वैक्सीन की डोज अनिवार्य होगी। इसके अलावा प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्रालय के ओमिक्रोन के खतरे को लेकर जारी अलर्ट के बाद स्वास्थ्य विभाग पहले की गई तैयारियों का विस्तार करने में जुटा हुआ है। सरकारी और निजी अस्पतालों के 500 बेड को कोरोना और ओमिक्रोन के संभावित मरीजों के लिए रिजर्व रखने के निर्देश दिए हैं। इसका मकसद ये है कि आपात स्थिति में अस्पताल के इन बेडों पर ओमिक्रोन के मरीजों का भी इलाज किया जा सकेगा। चिंता की बात ये है कि सरकार की सख्ती का असर आमजन पर अभी तक नजर नहीं आया और लोग बेखौफ होकर शहरों, बाजारों व सड़कों पर बिना किसी सुरक्षा उपायों के इधर उधर घूमते नजर आ रहे हैं। 
दस गुना से ज्यादा बढ़ा वैक्सीनेशन 
कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन की आहट आते ही जैसे ही 24 दिसंबर को नए साल से लागू खासतौर से बिना वैक्सीन लगे लोगों पर सख्त पाबदिंयों का ऐलान हुआ तो प्रदेश के हर जिले में वैक्सीनेशन की रफ्तार औसतन दस गुणा नजर आने लगी। इसे सरकार की सख्ती या ओमिक्रोन का भय भी माना जा सकता है। हालांकि सरकार की इस सख्ती का पालन कराने में प्रशासनिक टीमें अभी तक असरदार नजर नहीं आ रही है। जबकि प्रदेश में वैक्सीनेशन बढ़ने के साथ कोरोना संक्रमण भी बेकाबू नजर आ रहा है। तीन जनवरी यानि सोमवार से प्रदेश में 15 से 18 साल तक के युवाओं को भी कोरोना रोधी डोज देने का अभियान शुरू किया जा रहा है। 
वैक्सीनेशन 3.47 करोड़ के पार 
प्रदेश में बीते साल के अंतिम सप्ताह में जिस रफ्तार से हुआ उसके बाद दो जनवरी रविवार की शाम आठ बजे तक पूरे प्रदेश में 3,46,61,242 डोज दी जा चुकी हैं, जिसमें 2,01,31,542 पहली डोज और 1,45,29,700 दूसरी डोज लगाई जा चुकी हैं। रविवार को ही प्रदेश के 1,271 केंद्रों पर लोगों को 96,921 डोज लगाई गई। जबकि साल के पहले दिन प्रदेश के 2122 केंद्रों पर 1,37,796 डोज लगाई गई थी। अब तक लगाई गई वैक्सीन में गुरुग्राम में सबसे ज्यादा 42,90,652 वैक्सीन दी जा चुकी है, जबकि 31,55,210 डोज के साथ फरीदाबाद दूसरे पायदान पर है। सबसे कम 7,19,090 डोज चरखी दादरी जिले में लगाई गई हैं। बाकी जिलों में इससे ज्यादा 20 लाख से कम डोज दी गई है। 
‘नो मास्क-नो सर्विस’ पर सख्ती 
प्रदेश सरकार ने राज्य में ‘नो मास्क-नो सर्विस’ के पालन के लिए सख्ती बढ़ा दी है। सभी जिलों में उपायुक्तों द्वारा गठित समितियां पूरे प्रदेश में जिला, ब्लाक स्तर औचक निरीक्षण करके कोरोना उपायों के दिशा निर्देशों का पालन कराएंगी। कोरोना हिदायतों का पालन कराने के मकसद से सरकार ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने पर जुर्माना लगाने का भी सख्त कदम उठाया है। यानी मास्कक और सोशल डिस्टेंसिंग आदि का पालन नहीं करने वालों पर 500 रुपये का जुर्माना लगेगा। वहीं यदि कोई संस्थान नियमों का पालन नहीं करता है, तो उसके लिए पांच हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान लागू किया गया है। 
पांच जिलों में पाबंदी में इजाफा 
प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार बढ़ते देख रविवार से सरकार ने गुरुग्राम, फरीदाबाद, अंबाला, पंचकूला और सोनीपत जिलों में सिनेमाघरों, मल्टीप्लेक्स और खेल परिसरों को बंद करने का आदेश जारी किया और वहीं इन जिलों में होने वाले शादी समारोह में 100 और अंतिम संस्कारर में 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति रहेगी। वहीं कोरोना और ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलें के बीच प्रदेश में सभी निजी और सरकारी स्कूल, कॉलेज, आईटीआई, कोचिंग सेंटर, आंगनबाड़ी और क्रेच 12 जनवरी तक बंद कर दिए हैं। 
तीन आईपीएस संक्रमित 
नए साल की पूर्व संध्या पर सीएम आवास पर हर साल आईएएस आफिसर एसोसिएशन की तरफ से यह लंच को इसलिए स्थगित करना पड़ा कि एक डीजी रैंक और दो एडीजीपी रैंक के आईपीएस अधिकारी संक्रमित पाए गए। इस कार्यक्रम में राज्यपाल, मुख्यमंत्री और सारे आईएएस और आईपीएस अधिकारी शिरकत करते हैं। इसका नतीजा ये हुआ कि सीएम आवास पर होने वाले सभी कार्यक्रमों पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। वहीं कार्यकर्ताओं को भी सीएम आवास पर न आने की सलाह जारी की गई है। 
ओमिक्रोन के 63 मामले 
रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के साथ हुई बैठक के बाद हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने ओमिक्रोन के साथ संक्रमण के मामलों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने की तैयारियों को लेकर सभी जिला प्रशासन को कोरोना की स्थिति, ऑमिक्रॉन, टीकाकरण, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर, बच्चों के टीकाकरण, ऑक्सीजन जैसी सभी तैयारियों को पुख्ता रखने के लिए आवश्यक दिशानिर्देश जारी किये हैं। हरियाणा में अभी तक कोरोना के नए वैरिएंट के 63 मामलों की पुष्टि की गई है। 03Jan-2022