सोमवार, 24 जनवरी 2022

मंडे स्पेशल: हरियाणा मेें दस्तावेजों का विकल्प होगा ‘परिवार पहचान पत्र’

सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में फर्जीवाड़े पर लगेगा अंकुश 
आमजन को अब अलग अलग दस्तावेज रखने की नहीं पड़ेगी जरुरत 
ओ.पी. पाल.रोहतक। देश में हरियाणा ऐसा पहला राज्य बन गया है, जहां सभी परिवारों को मेरा परिवार-मेरी पहचान योजना के तहत परिवार पहचान पत्र बनाकर देने का काम तेजी से जारी है। इस प्रकार हरियाणा के प्रत्येक परिवार की पहचान भी अब सिंगापुर और ब्राजील की तरह होगी? यानि प्रदेश के लोगो को सरकारी योजनाओ का लाभ हासिल करने के लिए अलग अलग दस्तावेजों की जरुरत नहीं पड़ेगी। इसी मकसद से सभी दस्तावेजों के विकल्प के रूप में सरकार सूबे के हर परिवार के लिए परिवार पहचान पत्र जारी करने का काम तेजी से कर रही है। सबसे खास बात ये है कि इस परिवार पहचान पत्र के जरिए सरकारी योजनाओं का लाभ योग्य एवं पात्र लोगों को ही मिल सकेगा यानि फर्जीवाड़े की गुंजाइश खत्म हो जाएगी। सरकार का मकसद भी सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता लाना और भ्रष्टाचार जैसी कुपथा को समाप्त करके आमजन को सहूलियतें प्रदान करना है। सरकार का दावा है कि इस परिवार पहचान पत्र बनवाने के लिए अब तक 67 लाख परिवारों ने पंजीकरण करा लिया है, जिनके दायरे में करीब 2.76 करोड़ से ज्यादा की आबादी शामिल है। परिवार के पंजीकरण के बाद इस पहचान पत्र को जारी करने से पहले परिवारों द्वारा दी गई जानकारियों का सत्यापन किया जाएगा और फिर उनमें गरीब परिवारों की पहचान करके उन्हें अंत्योदय जैसी कल्याणकारी योजनाओं में शामिल किया जाना है। सरकार की इस योजना के धरातल पर आते ही जन्म से लेकर मृत्यु प्रमाण पत्र तक के लिए आमजन को इधर उधर भटकने से छुटकारा मिलेगा, क्योंकि परिवार पहचान पत्र एक यूनिक आईडी के रूप में तैयार की जा रही है, जिसमें स्वत: ही संशोधन हो जाएगा। पीपीपी के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में इस योजना को कानूनी अमलीजामा पहनाने के बाद सरकार ने दावा है कि राशन आपूर्ति से लेकर कालेज प्रवेश तक के लिए जल्द ही परिवार पहचान पत्र की अनिवार्यता को लागू कर दिया जाएगा। प्रदेश में परिवार पहचान पत्र बनाने की पहल देश के अन्य राज्यों के लिए मिसाल बनती नजर आ रही है। कई राज्यों ने हरियाणा के इस मॉडल को अपनाने के लिए विचार कर रहे हैं। हरियाणा सरकार ने हालांकि इस योजना का ऐलान जनवरी 2019 में किया था, लेकिन राज्य में चुनाव के बाद योजना के लिए पंजीकरण प्रक्रिया के बावजूद इसे शुरू नहीं किया जा सका। इसके बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 4 अगस्त 2020 को पंचकूला में एक विशिष्ट पहचान पत्र के रूप में 'परिवार पहचान पत्र' (पीपीपी) लॉन्च किया, ताकि राज्य भर में प्रत्येक परिवार को राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर शुरू की गई कई नागरिक-केंद्रित सेवाओं को सुचारू और स्वचालित रूप से डिलीवरी के लिए सक्षम बनाया जा सके। राज्य के हर परिवार के लिए अनिवार्य किये गये पीपीपी के तहत प्रत्येक परिवार को एक एकल इकाई मानकर 8 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या आवंटित करने का निर्णय लिया गया। 
ऐसे सिरे चढ़ी पीपीपी योजना 
प्रदेश सरकार ने 24 अप्रैल 2020 को मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना को सिरे चढ़ाने के लिए एक नये विभाग के रुप में नागरिक संसाधन सूचना विभाग की स्थापना को मंजूरी दी, जिसके लिए 26 अप्रैल 2020 को राज्यपाल द्वारा मुहर लगाकर अधिसूचना जारी कर दी। यह विभाग पीपीपी योजना के लिए हर जिले में काम कर रहा है। परिवार कार्ड के दुरुपयोग को रोकने के लिए राज्य सरकार ने राज्य विधानसभा में 24 अगस्त 2021 को हरियाणा परिवार पहचान विधेयक-2021 पारित करा लिया, जिसकी अधिसूचना 26 अगस्त को जारी कर दी गई। वर्तमान में मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना, वृद्धावस्था सम्मान भत्ता योजना, दिव्यांग जन पेंशन योजना और विधवा एवं निराश्रित महिला पेंशन योजना को ‘परिवार पहचान पत्र' के साथ एकीकृत किया गया है। सरकार ने परिवार पहचान पत्र राज्य के सभी नागरिको के लिए बनाना अनिवार्य कर दिया गया हैं। इसका मकसद राज्य में गरीब व कमजोर वर्ग के लोगो के सही आंकड़ों का पता लगाना और उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के साथ फर्जी दस्तावेज बनाकर सरकारी योजनाओं का लाभ हासिल करने वालों पर अंकुश लगाना है।
गरीब परिवारों की पहचान 
सरकार की इस योजना के तहत अभी तक लगभग 67 लाख परिवार यानी 2 करोड़ 76 लाख लोग रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। पंजीकरण कराने वाले परिवारों के ब्यौरे की जांच के लिए प्रदेशभर में जिला व ब्लाक स्तर पर गठित टीमें जांच कर रही है। इस योजना के तीन चरण पूरे होने के बाद परिवार पहचान पत्र को अंतिम रूप देने का काम तेजी चल रहा है। इस जाचं के दौरान अभी तक 50 हजार से ज्यादा ऐसे परिवारों की पहचान की गई है, जिनकी सालाना आय एक लाख रुपये से भी कम है, जिनमें 30 हजार परिवार ऐसे भी हैं, जिनकी सालाना आय 50 हजार से भी कम पायी गई है। हरियाणा सरकार ने निर्णय लिया है कि चालू वर्ष में कम से कम एक लाख ऐसे परिवारों की पहचान की जानी है जिनकी सालाना आय बढ़ाकर एक लाख रुपये तक की जा सके। पंजीकृत परिवारों की जानकारियों का सत्यापन करने के लिए टीमों का सर्वे भी तेजी से चल रहा है। अब तक प्रदेश में 50 फीसदी से ज्यादा पीपीपी बनाये जा चुके हैं। 
इसलिए अनिवार्य होगा पीपीपी 
प्रदेश सरकार की करीब 440 योजना और सेवाएं जनता के लिए कार्यान्वित की जा रही हैं। इन सभी योजनाओं का लाभ लेने के लिए परिवार पहचान पत्र को इसलिए अनिवार्य किया गया है, क्योंकि नागरिक संसाधन सूचना विभाग द्वारा परिवार का ब्यौरे के ऑटोमैटिक अपडेशन को सुनिश्चित करने के लिए फैमिली आईडी को बर्थ, डेथ और मैरेज रिकॉर्ड से जोड़ा जा रहा है। फैमिली आईडी छात्रवृत्ति, सब्सिडी और पेंशन जैसी मौजूदा, स्वतंत्र योजनाओं को जोड़ेगी, ताकि स्थिरता और विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सके। यही नहीं जन्म, आय, मृत्यु, जाति, मूल निवास जैसे प्रमाण पत्र बनवाने के लि पीपीपी बनवाना जरुरी है। इन सभी दस्तावेजों को परिवार पहचान पत्र से जोड़ने का काम किया जा रहा है, ताकि पीपीपी डेटाबेस में डेटा प्रमाणित और सत्यापित हो जाने के बाद किसी को भी को कोई और दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। सरकार की ओर से जल्द ही आरसी व ड्राइविंग लाइसेंस के लिए भी परिवार पहचान पत्र को जरूरी दस्तावेज में शामिल करने पर विचार कर रही है। जब कि नियम 134ए के तहत प्राइवेट स्कूलों में आवेदन करने वाले बच्चों को अब अपना परिवार पहचान पत्र देनेच के संबंध में हरियाणा शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर दिया है। 
दो प्रकार के कार्ड 
सरकार की इस योजना में उन परिवारों को स्थायी परिवार पहचान पत्र दिये जा रहे हैं, जो स्थाई रूप से हरियाणा में रह रहे हैं और उनके लिए हरियाणा परिवार पहचान पत्र बनवाना अनिवार्य है, जिन्हें एक स्थायी 8 अंकों की पारिवारिक आईडी जारी की जा रही है। इसके अलाव वे सभी परिवार जो हरियाणा के बाहर रह रहे हैं, लेकिन राज्य की किसी सेवा या योजना के लिए आवेदन करना चाहते हैं। उनको भी परिवार पहचान पत्र बनवाना अनिवार्य है। ऐसे सभी अस्थाई परिवारों को 9 अंकों की पारिवारिक आईडी जारी की जाएगी। 
प्राधिकरण का होगा गठन 
प्रदेश में परिवार पहचान पत्र को कानूनी दायरे में लाने के बाद संवैधानिक रुप से हरियाणा परिवार पहचान पत्र प्राधिकरण का गठन होना है, जिसके लिए सरकार अलग से अधिसूचना जारी करेगी। प्राधिकरण इस योजना में प्रत्येक परिवार के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या देने और उनका डेटाबेस तैयार करने की प्रक्रिया में नियमों को अधिसूचित करने का काम करेगा। 
कोर्ट ने भी लगाई मुहर 
हरियाणा सरकार की पीपपी योजना को जहां अन्य राज्य भी एक आदर्श योजना के रूप में देख रहे हैं, वहीं इसके लिए कानून बनाने का विरोध करके विपक्षी दलों ने पीपीपी के दुरुपयोग की संभावना और निजता का उल्लंघन बताकर योजना का विरोध किया, तो ऐसे ही विरोध के साथ गुरुग्राम के आदित्य गुप्ता ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें इसके लिए गठित नए विभाग नागरिक संसाधन सूचना विभाग और पीपीपी की अनिवार्यता के लिए जारी अधिसूचना को रद्द करने की मांग करते हुए योजना को चुनौती दी थी। अदालत ने इस याचिका को खारिज करते हुए इस योजना को हरी झंडी दी है। उधर सरकार ने भी सभी आशंकाओं को लेकर स्पष्ट किया है कि परिवार पहचान पत्र के लिए सरकार की ओर से जुटाया जा रहा डाटा पूरी तरह सुरक्षित है, जो परिवारों ने अपनी आय और परिवार का ब्यौरा स्वयं घोषित किया है और सरकार सरकार स्तर पर उसका सत्यापन भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि डाटा का उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जाएगा, न किसी निजी एजेंसी के साथ साझा होगा। डाटा को सरकारी क्लाउड पर सुरक्षित रूप से संग्रहित किया जा रहा है। परिवार पहचान पत्र के तहत नया डेटाबेस तैयार होगा। इसमें भविष्य में नया डाटा जुड़ता रहेगा और यह निरंतर अपडेट होता रहेगा। 
24Jan-2022

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