गुरुवार, 30 दिसंबर 2021

करोड़पतियों से सरोबार है हरियाणा मंत्रिमंडल!

उच्च शिक्षित मंत्रियों का है सरकार में वर्चस्व 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। 
 दो दिन पहले मंगलवार को ही हरियाणा सरकार के मंत्रिमंडल में भाजपा के डा. कमल गुप्ता और जजपा के देवेन्द्र सिंह बबली को शामिल किया गया है। अब मुख्यमंत्री मनोहरलाल समेत हरियाणा मंत्रिमंडल के सदस्यों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है। मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद हरियाणा मंत्रिमंडल के सदस्यों की घोषित वित्तीय, आपराधिक, शिक्षा, लिंग और अन्य विवरण को लेकर एडीआर के विश्लेषण किया है। इस रिपोर्ट के तथ्यों के आधार पर जो तथ्य सामने आए हैं उसमें एक दिलचस्प पहलू ये है कि देश में शायद हरियाणा मंत्रिमंडल ही ऐसा है जिसमें कोई आपराधिक दाग नहीं है। इन तथ्यों में यह भी है कि मंत्रिमंडल के सभी सदस्य करोड़पतियों की फेहरिस्त में शामिल हैं। हरियाणा सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल की टीम में 14 सदस्य शामिल हो गये हैँ, जिनमें दस भाजपा, तीन जजपा व एक निर्दलीय मंत्री हैं। एक महिला समेत मनोहर लाल के मंत्रिमंडल की टीम का हरेक सदस्य करोड़पति है, जिनकी औसत संपत्ति 17.73 करोड़ रुपये की दर्ज की गई है। यह खुलासा हरियाणा मंत्रिमंडल के एक दिन पहले हुए विस्तार के बाद मंत्रियों द्वारा घोषित शपथ पत्रों का अध्ययन करने के बाद गैर सरकार संस्था एडीआर ने विश्लेशण के बाद एक रिपोर्ट में किया है। हरियाणा के नवनिर्वाचित विधायकों में करोड़पति विधायकों की संख्या 84 यानि 93 फीसदी है। इस रिपोर्ट के अनुसार मंत्रिमंडल के सदस्यों में भिवानी जिले की लोहारू विधानसभा से निर्वाचित जय प्रकाश दलाल सबसे ज्यादा 76.75 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ टॉप पर हैं, जबकि सबसे कम 1.17 करोड़ रुपये की संपत्ति वाले मंत्रियों में अंबाला कैंट से निर्वाचित विधायक अनिल विज हैं। इनके अलावा उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला 74 करोड़ की संपत्ति के साथ दूसरे पायदान पर है। जबकि हरियाणा के मुख्यमंत्री सवा करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ मंत्रिमंडल के करोड़पतियों में 11वें स्थान पर हैं। मंत्रिमंडल के सदस्यों द्वारा घोषित वित्तीय विवरण के अनुसार मुख्यमंत्री मनोहर लाल को छोड़कर सभी 13 मंत्रियों ने देनदारी भी घोषित की है, जिसमें सबसे ज्यादा छह करोड़ की देनदारी जेपी दलाल के ऊपर है। जबकि दुष्यंत चौटाला ने 5 करोड़ रुपये की देनदारी की जानकारी दी है। इसके अलावा बाकी मंत्रियों ने एक लाख से 62 लाख रुपये तक की देनदारी घोषित की है। मौजादा विधानसभा में दाखिल हुए करोड़पति विधायकों में भाजपा के 40 विधायकों में से 37, कांग्रेस के 31 में 29 और जननायक जनता पार्टी के 10, इनेलो व हरियाणा लोकहित पार्टी का एक-एक के अलावा निर्दलीय सात में से छह विधायक इस फेहरिस्त में शामिल हैं। 
साफ सुथरा मंत्रिमंडल 
देश की केंद्र या किसी भी राज्य सरकार का मंत्रिमंडल ऐसा नहीं है जिसमें आपराधिकि छवि वाला सदस्य न हो। लेकिन हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री समेत सभी 14 मंत्रिमंडल के सदस्यों में किसी के खिलाफ आपराधिक दाग नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार हालांकि वर्ष 2019 में हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में नवनिर्वाचत विधायकों में 12 विधायक ऐसे सामने आए थे, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। ऐसे विधायकों में सबसे ज्यादा कांग्रेस के चार, भाजपा के दो, जजपा, इनेलो व एचएलपी का एक-एक विधायक शामिल रहा। जबकि इनके अलावा तीन निर्दलीय विधायकों पर भी अपराधिक दाग सामने आया था। हालांकि इस चुनावी जंग में 117 अपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। निर्वाचित एक दर्जन दागियों में सात ऐसे दागी विधानसभा में हैं जिनके खिलाफ हत्या जैसे संगीन गंभीर मामले लंबित है। 
पूर्णत: शिक्षित मंत्रि परिषद 
हरियाणा विधानसभा में 90 विधायकों में से 62 विधायक उच्च शिक्षा धारक हैं, जिनमें 27 स्नातक, 19 प्रोफेशनल स्नातक, 14 स्नातकोत्तर और दो डॉक्टर शामिल हैं। इनके अलावा 14 इंटरमिडिएट, 10 हाईस्कूल पास, 2 आठवीं पास और एक पांचवी पास विधायक निर्वाचित हुए हैं। जब एक विधायक ऐसा है, जो अनपढ़ है। जबकि मनोहर लाल मंत्रिमंडल में 11 यानि 79 फीसदी मंत्रियों की शैक्षिक योग्यता स्नातक या उससे ज्यादा है। उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, मूलचंद शर्मा व डा. कमल गुप्ता पोस्ट ग्रेज्युएट तथा मुख्यमंत्री समेत आठ ग्रेज्युएट तथा बाकी तीन यानि 21 फीसदी मंत्री ही ऐसे हैं जिनकी शैक्षिक योग्यता इंटरमिडिएट है। 
दस फीसदी महिला निर्वाचित 
हरियाणा विधानसभा में इस बार महिला विधायकों की संख्या में कमी आई है यानि 90 विधायकों में केवल नौ महिलाओं ने ही जीत हासिल की है। जबकि वर्ष 2014 के चुनाव में 13 महिलाएं निर्वाचित होकर विधानसभा में दाखिल हुई थी। इस बार चुनाव में 104 महिलाओं ने अपनी किस्मत आजमाई थी। जबकि विधानसभा में 27-27 युवा एवं बुजुर्ग विधायक दाखिल हुए है, जबकि 36 विधायकों की संख्या 50 से 60 आयुवर्ग के हैं। इसमें 31 से 50 आयु वर्ग के 27 और 60 से 80 आयु वर्ग के विधायक विधानसभा में अपने अनुभव को साझा करेंगे। 
30Dec-2021

सोमवार, 27 दिसंबर 2021

चौपाल: हरियाणवी संस्कृति में सामाजिक प्रेरणास्रोत बने संगीतकार सतीश वत्स

अध्यात्म की धारा से संस्कृति को कर रहे समृद्ध 
-ओ.पी. पाल 
हरियाणवी संस्कृति को अपनी विविध कलाओं के जरिए संजोने में लगे कलाकारों में सतीश वत्स एक ऐसा नाम है, जो आध्यात्मिक संगीत की कला से हरियाणवी संस्कृति के परोधा के रूप में अपनी अलग ही पहचान बना चुके हैं। यही नहीं उन्होंने प्रशासनिक क्षमता को भी अपनी ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा के साथ निभाकर एक मिसाल कायम की है। इसी प्रशासनिक क्षमता और कला के हुनर ने उन्हें सात समुंदर पार तक ऐसी पहचान दी, जिसमें संयुक्त राष्ट्र का अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार लेने वाले वे हरियाणा के अकेले कलाकार हैं। हरियाणा संस्कृति को अपनी संगीत कला के माध्यम भजनों का प्रसार व प्रचार करने में जुटे सतीश वत्स ने संगीत कला को पूरे विश्व में गुंजायमान करने वाले उस्ताद अमीर खां व उमराव सिंह निर्दोश जैसे अनेक ऐसे हरियाणवी संगीतकारों को भी तलाशकर वृत्त चित्र तैयार करके उन्हें समाज के सामने परिचित कराया है, जिनके बारे में आमजनो को उनकी हरियाणवी होने की जानकारी तक नहीं थी। संगीत कला और एक कुशल प्रशासन की ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ सामाजिक सेवा करने वाले कलाकार एवं आकाशवाणी केंद्र रोहतक के निदेशक सतीश वत्स ने हरिभूमि संवाददाता के साथ हुई खास बातचीत में कई ऐसे पहलुओं को उजागर किया है, जो समाज को प्ररेणा भी देते हैं। 
नैतिक मूल्यों की जरुरत 
प्रदेश के आकाशवाणी केंद्र रोहतक के निदेशक सतीश वत्स एक प्रशासनिक अधिकारी होने के साथ संगीत कला के हुनर से परिपूर्ण कलाकार है, जो हरियाणवी संस्कृति को पुनर्जीवित करने में जुटे हुए हैं। मूल रूप से करनाल जिले के कुंजपुरा गांव के परिवार से ताल्लुक रखने वाले सतीश वत्स का जन्म एक जुलाई 1962 को महाराष्ट्र के नासिक शहर में हुआ, जहां उनके पिता आर्मी में सिक्योरिटी प्रेस में तैनात रहे। उन्होंने बीए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, एमए महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक तथा एमफिल दिल्ली विश्वविद्यालय से की है। वत्स ने बताया कि वह दस साल के थे तो जींद में रामलीला के मंच पर वे श्रीराम का अभिनय करते थे और आठवीं कक्षा में उनकी कला को उनके अध्यापक बलबीर सैनी ने पहचाना तथा रोहतक रेडियो को चिठ्ठी लिखकर मुझे छोटा सा रेडियो सिंगर बनने का मौका मिला। इसी प्रकार फिल्मी सितारों की शाम कार्यक्रम में जींद में उन्होंने किसी बड़े मंच पर पहला हास्य गीत गाते हुए सबको आकर्षित किया। संगीत की कला को बेहतर बनाने के लिए वह गुडगांव में शास्त्री संगीत के अध्यापक के पास भी गये। उनके संगीत की कला को हौंसला मिला और वह अध्यात्मिक भजनों और गजलों के जरिए हरियाणवी संस्कृति को नई दिशा देने में जुट गये। 
विदेशों में बिखेरा रंग 
सतीश वत्स का मानना है कि नई पीढ़ी को नैतिक मूल्यों की आवश्यकता है, जिसके लिए भजनों का प्रसार प्रचार बेहद जरुरी है। अध्यात्मिक विचारधारा में विश्वास रखने वाले सतीश वत्स का कहना है कि भगवान श्रीराम की तुलसीकृत रामायण एक ग्रंथ नहीं, बल्कि सभी धर्मो का प्रमाण है। वे अतीत में कतई विश्वास नहीं करते और वर्तमान में यकीन रखने वाले सतीश जी ने यूरोपीय कई देशों में भी अपनी संगीत कला के रंग बिखेरे हैं, जिन्हें ऑडिशन बोर्ड दिल्ली ने भी ए-श्रेणी के संगीतकार की मान्यता दी है। भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान पुणे से भी सतीश चन्द्र वत्स को मूलभूत दूरदर्शन निर्माण तथा तकनीकी प्रचालन पाठ्यक्रम के कार्य निष्पादन का प्रमाण पत्र मिला। वहीं उन्हें वर्ष 1995 में संयुक्त राष्ट्र से अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार के रूप में वर्ल्ड फूड डे अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। 
कला के प्रति जागरूकता 
प्रसार भारतीय में प्रशासनिक सेवा में रहते हुए भी सतीश वत्स ने समाज सेवा और हरियाणवी संस्कृति को सर्वोपरि रखा। उन्होंने भारतीय शास्त्री संगीत के पुरोधा तानसेन पर कार्य करने के मकसद से मध्य प्रदेश में उनके गांव बेहट तक गये, जहां उनका खंडहर महल है। तानसेन पर वृत्तचित्र तैयार करके उन्होंने आमजन को सदभावना का वह संदेश दिया, जहां तानसेन की इच्छा अनुसार मोहम्मद गौस के मकबरे के समीप तानसेन की समाधि बनी हुई है। उन्होंने पोप गायक दिलेर मेहंदी जैसे कई कलाकारों पर वृत्तचित्र तैयार करके प्रसारित कराए हैं। उन्होंने संगीत के क्षेत्र में हरियाणा के ऐसे कलाकारों व संगीतकारों को भी तलाशकर उन पर कार्यक्रम तैयार किये हैं, जिनके बारे में लागों को उनका हरियाणवी होने की जानकारी तक नहीं थी। संगीत के उस्ताद अमीर खान रोहतक के कलानौर के थे, जिनके पुत्र शबाज खान टीवी सीरियल टीपू सुल्सान में हैदर अली की भूमिका निभाई है। इसी प्रकार हरिओम शरण द्वारा गाये गये ‘तेरा राम जी करेगा बेडा पार’….गीत के लेखक उमराव सिंह निर्दोश के नाम से भी समाज को परिचित कराया जो सांपला के रहने वाले थे। उमराव ने अनेक भक्ति गीत लिखे हैं, जिसके बारे में साहित्यकार मधुकांत ने काम करके उन्हें गुमनामी से बाहर किया। सतीश वत्स ऐसे गुमनाम हरियाणवी पुराधाओं पर काम करने और करने वालों को सौभाग्य मानते हैं। उनका कहना है कि ऐसे कलाकारों के नाम से उनके गृह स्थलों पर उनकी तर्ज पर कार्यक्रम कराने की परंपरा शुरू होनी चाहिए। 
हिसार दूरदर्शन केंद्र को दी नई दिशा 
संघ लोकसेवा आयोग से 1988 बैच से दिल्ली दूरर्शन में हरियाणा कार्यक्रम के लिए चयनित सतीश वत्स ने एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी के रूप में अपनी अहम भूमिका निभाई। उनकी पहली नियुक्त रोहतक रेडियो स्टेशन में हुई। दिल्ली दूरदर्शन केंद्र से जब उन्हें 1 नवंबर 2002 से शुरू हुए दूरदर्शन केंद्र हिसार में मार्च 2015 में निदेशक के रूप में नियुक्ति मिली तो वहां देखा गया कि इस केंद्र से पिछले 13 साल तक कार्यक्रमों का प्रसारण दैनिक आधार पर नहीं किया गया। उन्होंने इस केंद्र को क्षेत्रीय चैनल के रूप में विस्तार देने के प्रयास शुरु किये और केंद्र सरकार से बिना कोई बजट मांगे एक नवंबर 2015 दूरदर्शन केंद्र हिसार को प्रदेश का पूर्ण क्षेत्रीय चैनल के रूप में अपग्रेड किया गया, जो उनकी बड़ी उपलब्धि थी। अब यह केंद्र सोमवार से शनिवार को दोपहर 3.00 बजे से शाम 7.00 बजे तक और रविवार को शाम 6.30 से 7.00 बजे तक प्रसारित करता आ रहा है। 
कोरोनाकाल में बने मिसाल 
हरियाणा के संगीतकार सतीश वत्स अपनी कला के जरिए समाज को नई दिशा देने में जुटे हुए हैं। प्रसार भारती के अधिकारी ने सामाजिक जागरूकता के लिए जिस तरह से अपनी परवाह किये बिना अहम भूमिका निभाई, वह एक मिसाल बनी। जनता कर्फ्यू से लेकर लॉकडाउन के बावजूद हिसार दूरदर्शन केंद्र के निदेशक सतीश वत्स ने बिना स्टाफ और बिना किसी सरकारी सहयोग के निरंतर गतिशीलता बनाए रखी। अपने बलबूते पर लॉकडाउन के विभिन्न चरणों में बरतने वाली सावधानियां, सरकारी नीतियां, आत्मनिर्भर अभियान, कोरोना योद्धाओं की दूरदर्शन के माध्यम से हौंसला अफजाई की और समय समय पर केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा पारित किये गये विभिन्न आदेशों, सुझावों और क्रियाओं को केंद्र में रखते हुए दूरदर्शन हिसार हेतु अनेक जनजागरण कार्यक्रम न कवेल तैयार किये, बल्कि उन्हें समय मांग के अनुसार बारंबार प्रसारित भी किया। इस दौरान दूरदर्शन पर प्रसारित करने के लिए हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज का साक्षात्कार खुद के वाहन से अंबाला जाकर लिया। यही नहीं अनेक प्रतिष्ठित राजनीतिज्ञों, विश्वविद्यालयों के कुलपितयों, कई जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों, खिलाड़ियों और योग जैसे विशेषज्ञों के साक्षात्कार अपने बल पर लेकर उनका समाज की जागरूकता और आशा के नवदीप दिखाने के लिए किया। मसलन दूरदर्शन केंद्र हिसार के कोरोना महामारी जैसे संकट में सर्वाधिक कार्यक्रम पूरे भारतवर्ष में दूरदर्शन केंद्र हिसार से प्रसारित किये गये। खास बात ये भी है कि ये सभी कार्यक्रम उन्होंने अपने आवास के एक कमरे को स्टूडियों के रूप में सीमित संसाधनों एवं कैमरे सहित विभिन्न आवश्यक उपकरण जुटाकर विधिवत तैयार किये। उनका यह संघर्ष जारी रहा, जबकि वे खुद कोरोना संक्रमित होकर रोहतक के एक अस्पताल में भर्ती रहे।
27Dec-2021

मंडे स्पेशल: कोरोना के नए वैरिएंट ओमिकॉन से दहशत में प्रदेश!

थोडी भी लापरवाहीं हर किसी के लिए पड़ सकती है महंगी 
ओ.पी. पाल. रोहतक। कोरोना की तीसरी लहर की चर्चाएं जोरों पर हैं। ओमिक्रॉन के रूप में कोरोना महामारी का नया वैरिएंट तेजी से पांव पसार रहा है। इससे निपटने के लिए प्रदेश सरकार चौकस दिखती है और रात्रि कफर्यू समेत कइ उपयों का ऐलान कर दिया है। बाजार भी सुनवान होने लगे हैं और आम आदमी का कोरोना का भय भी स्पष्ट दिखाई देने लगा है। लेकिन धरातल पर अभी भी वो व्यवस्थाएं नजर नहीं आती, जिनकी कमी दूसरी लहर के दौरान खली थी। हालांकि सरकार ने अनेक आक्सीजन प्लांट शुरू कर दिये हैं, लेकिन सरकार ढांचागत अस्पतालों की परिस्थितियों में बदलाव दिखाई नहीं दे रहा है। दूसरी लहर के दौरान पानीपत व हिसार में बनाए गये अस्थाई अस्पताल अफसरों की कार्यप्रणाली को दर्शाते हैं यानी पानीपत में तो कोरोना मरीजों के लिए बनाए गये अस्पताल का पूरा टैंट ही गायब हो चुका है। जबकि हिसार में टैंट तो है ल किन सुविधाओं का कुछ अता-पता नहीं है। राजकीय अस्पतालों में आक्सीजन व दवाईयां तो हैं लेकिन कर्मचारियों का रवैया देखकर डर लगता है कि कहीं तीसरी लहर में हालात वैसे डरावने न हो जाएं जैसे दूसरी लहर क दौरान थे।
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विश्वभर में दहशत फैला रहे कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने भारत के कई राज्यों के साथ हरियाणा में चार मरीजों के साथ दस्तक भी दे दी है। प्रदेश सरकार ने ओमिक्रॉन से निपटने के लिए सभी जिला प्रशासन को निर्देश देते हुए कई उपायों का ऐलान कर दिया है। रात्रि कफर्यू के अलावा सार्वजनिक स्थानों पर ऐसे आमजनों का आवागमन प्रतिबंधित कर दिया है, जिन्होंने कोरोना रोधी वैक्सीन नहीं ली है। यही नहीं किसी सरकारी या गैर सरकारी संस्थानों, व्यवसायिक संस्थानों और किसी भी वाहन में वैक्सीन की डोज लिए के बिना सफर तक करने से वंचित रहना पड़ सकता है। देखने में आ रहा है कि लोगों में ओमिक्रोन का भय तो है, लेकिन वे बचाव के उपायों या सरकार के महामारी बचाव के लिए जारी हिदायतों को नजरअंदाज करते दिख रहे हैं। प्रदेश सरकार ओमिक्रॉन से निपटने के लिए टीकाकरण अभियान को तेज कर दिया है, लेकिन प्रशासन की लगतार अपील के बावजूद भी आमजन सतर्कता बरतते नजर नहीं आ रहे हैं। ओमिक्रॉन को लेकर सरकार को उम्मीद है कि तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए पहले ही प्रदेशभर में स्वास्थ्य विभाग द्वारा त्वरित तौर पर सक्रिय करने को लेकर की गई तैयारियों से ऐसे समय में विभिन्न कमियों को दूर करना मुश्किल नहीं होगा। जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग सभी अस्पतालों में व्यवस्था का जायजा लेकर उन्हें दुरस्त करने में जुटे हुए हैं। 
नए साल से बढ़ेगी मुसीबतें 
प्रदेश में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से निपटने के लिए रात्रि कर्फ्यू लागू करने के अलावा एक जनवरी यानि नए साल से दूसरी लहर से भी ज्यादा सख्त उपायों का ऐलान किया है। मसलन नए साल से रिक्शा, कार, बस, ट्रेन या अन्य किसी वाहन में वहीं सफर कर सकेगा, जिसने कोरोना रोधी वैक्सीन की डोज लगवा रखी होगी। इसी प्रकार की पाबंदी, सरकारी व निजी कार्यालयों, अस्पतालों, होटलों, रेंस्तरों, रेस्टोरेंट या अन्य किसी भी सार्वजनिक जगहों पर प्रवेश करने के लिए अनिवार्य की गई है। नए साल से शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए भी 18 साल से ज्यादा उम्र वाले विद्यार्थियों को वैक्सीन की डोज लिए बिना प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा। 
तैयारी के बावजूद बड़ी चुनौती 
प्रदेश में भले ही सरकार के निर्देश पर कोरोना के नए वैरिएंट से निपटने की तैयारी की जा रही है, लेकिन प्रदेश हर जिले में स्वास्थ्य विभागों में लैब टेक्नीशियनों और अन्य तकनीकी पदों की हजारों की संख्या में कमी बड़ी चुनौती बन सकती है। हालांकि तीसरी लहर से निपटने के लिए पूर्व में की गई तैयारियों के तहत सरकारी डॉक्टरों को वेंटिलेटर ऑपरेट करने, स्टाफ नर्सों को ऑक्सीजन कंसट्रेटर ऑपरेट करने और स्टाफ को लगातार संक्रमण कंट्रोल करने का प्रशिक्षण देने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया गया। निजी डिप्लोमाधारियों को भी सरकार इस प्रकार का प्रशिक्षण देने का दावा कर रही है। 
ऑक्सीजन की कमी नहीं 
हरियाणा सरकार के कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की आहट देखते ही जारी हुए आदेश के बाद राज्य में सभी 90 ऑक्सीजन प्लांटों को संचालित कर दिया गया है। प्रदेशभर के अस्पतालों में भी आक्सीजन और दवाईयों की कोई कमी नहीं है, लेकिन सरकारी अस्पतलों के कर्मचारियों के दूसरी लहर के दौरान देखे गये रवैये और निजी अस्पतालों के मनमानी वसूली को लेकर आम लोगों में ओमिक्रॉन वैरिएंट का भय बना हुआ है। हालांकि सरकार का दावा है कि कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की जांच के लिए जीनोम सिक्वेंस की आवश्यकता को पूरा करने के लिए रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में भेंट की गई एक मशीन का संचालन भी शुरू हो गया है और इस मशीन के मार्फत जीनोम सिक्वेंसिंग का काम शुरू हो गया है। मसलन अब जीनोम सिक्वेंस के लिए कोरोना जांच के नमूने दिल्ली भेजने की जरुरत नहीं पड़ेगी। सरकार ने तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए पहले ही प्रदेशभर में स्वास्थ्य विभाग को पूरी तरह से त्वरित तौर पर सक्रिय करने के लिए विभिन्न कमियों को दूर किया जा रहा है। 
अस्थाई अस्पतालों के उखड़े तंबू 
प्रदेश सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मची तबाही के मद्देनजर जहां ऑक्सीजन प्लांटों को दुरस्त कराया था, वहीं पानीपत में रिफायनरी के निकट ही प्रदेश में सबसे बड़े कोरोना केयर सेंटर के रूप में 504 बेड वाला अस्थाई अस्पताल इसलिए बनाया था, कि तीसरी लहर आने पर मरीजों के लिए व्यवस्था दुरस्त रह सके, लेकिन ओमिक्रॉन के प्रदेश में दस्तक के बाद देखा गया कि जहां यह अस्पताल बनाया गया था, वहां पूरा अस्पताल समतल मैदान बना हुआ है। इसी प्रकार दूसरा अस्थाई अस्पताल हिसार जिला मुख्यालय में बनाया गया था, जिसका ढांचा तो है, लेकिन उसमें की गई सुविधाएं गायब हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ओमिक्रॉन वैरिएंट को देखते हुए इस अस्पताल को फिर से बहाल करने का प्रयास कर रहा है। 
पानीपत में प्रशासन सतर्क 
प्रदेश सरकार के आदेश के बाद पानीपत जिला प्रशासन कोरोना के नए वैरिएंट के प्रति सतर्क होकर तैयारियों में जुटा हुआ है। जिल में स्वास्थ्य विभाग ने प्रशासन के साथ मिलकर ऑक्सीजन प्लांट, सरकारी अस्पताल में 47 वेंटिलेटर, 687 ऑक्सीजन बेड, 569 नॉन ऑक्सीजन बेड, 150 आईसीयू बेड की व्यवस्था पूरी कर ली है। सभी सरकारी डॉक्टरों को वेंटिलेटर ऑपरेट करने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। स्टाफ नर्सों को ऑक्सीजन कंसट्रेटर ऑपरेट की भी ट्रेनिंग दी जा रही है। स्टाफ को लगातार संक्रमण कंट्रोल करने का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वहीं 75 ऑक्सीजन कंसट्रेटर मशीने संचालन में हैं और 28 बेड का आइसोलेशन वार्ड भी तैयार है, 60 का बनना है। 10 एपिड्यूरल इन्फ्यूजन पंप (दवा को सही मात्रा में पहुंचाने का एक सिस्टम), 10 मल्टी पैरामीटर(ब्लड प्रेशर, धड़कन, आक्सीजन लेवल बताने वाला सिस्टम), 30 नेजल प्रान, 16 नेबुलाइजर हैं। 
बेहद खतरनाक है ओमिक्रॉन 
विशेषज्ञों का कहना है कि ओमिक्रॉन ओमिक्रॉन कितना खतरनाक इसकी जानकारी स्वास्थ्य ऐजेंसियों को होना आवश्यक है। इससे पहले कोरोना वायरस का नया रूप डेल्टा आया, इसमें 13 म्यूटेशन थे, जिसने सीधे फेफड़ों पर असर किया। अब ओमिक्रॉन में 50 म्यूटेशन हैं। इसलिए ये तेजी से फैलेगा। ओमिक्रॉन वैरिएंट में 50 म्यूटेशन हैं, जिसकी वजह यह तेजी से फैलेगा। इस वैंरिएंट को लेकर वैज्ञानिक इस बात का अध्ययन करने में जुटे है कि इससे संक्रमित होने वलों को कितना नुकसान होगा और इसके बचाव के लिए कौन सी दवाई असरदार होगी? इस संबन्ध में पीजीआई में कोवैक्सीन ट्रायल के इन्वेस्टीगेटर और कम्यूनिटी मेडीसन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. रमेश वर्मा का कहना है कि इससे घबराने की जरुरत नहीं है, जिसने कोरोनारोधी वैक्सीन की डोज ले ली है, उसके लिए इस वैरिएंट का खतरा बेहद कम है। यदि ऐसा व्यक्ति इससे संक्रमित हो भी जाता है तो उसके लिए अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति नहीं आएगी। लेकिन बच्चों के लिए यह ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है, जो ज्यादा चिंता पैदा करता है। हालांकि बच्चों को ज्यादा नुकसान नहीं होगा। 
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आयुर्वेद में ये इलाज 
ओमिक्रॉन वायरस से बचने के लिए हर व्यक्ति को शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने के लगातार प्रयास करना चाहिए। विटामिन-सी के रूप में आंवला, गिलोय खाने के अलावा एक चम्मच का चौथा हिस्सा हल्दी सबसे लाभकारी होगी। संक्रमित और स्वस्थ्य व्यक्ति दोनों ही इसे कर सकते हैं। फेफड़ों को बचाने के लिए बनस्पा का चूर्ण लें, खांसी हो तो मुलहैटी या शीतोप्लादी लें। च्यवनप्राश का सेवन करें, ये एंटी ऑक्सीडेट होता है। सबसे महत्वपूर्ण गर्म पानी की भाप जरूर लें। योग और व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करें। डॉ. संजय जाखड़, आयुर्वेद विशेषज्ञ 27Dec-2021

सोमवार, 20 दिसंबर 2021

साक्षात्कार. साहित्य दर्पण नहीं, दीपक की रोशनी है: अशोक बत्रा

हिंदी व्याकरण पर पुस्तकें लिखकर पाया सर्वश्रेष्ठ लेखक का सम्मान 
-ओ.पी. पाल 

व्यक्तिगत परिचय 

नाम:डॉ अशोक बत्रा 
जन्म: 2 अक्टूबर 1956 
जन्म स्थल: सोनीपत 
शिक्षा: एम.ए.(हिंदी) हिंदू कॉलेज सोनीपत, एम.फिल (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय), पीएचडी(रोहतक विश्वविद्यालय) 
संप्रत्ति: पूर्व प्राचार्य, श्री लालनाथ हिंदू कॉलेज रोहतक। 
रियाणा साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2019 के लिए दो लाख रुपये के आदित्य अल्हड़ हास्य सम्मान से सम्मानित किये गये प्रख्यात लेखक एवं कवि डा. अशोक बत्रा ने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपनी लेखनी के जरिए साहित्य का प्रसार करते हुए अब तक हजारों निबंध, आलेख, सैकड़ो लघु कथाएं, सैकड़ो कविताएं लिखकर हजारों लाखो पाठकों और कवि सम्मेलनों के मंच से अपनी कविताओं श्रोताओं के दिलों में तो अपनी खास जगह बना चुके हैं। वहीं हिंदी साहित्य के क्षेत्र में वे ऐसे साहित्यकारों की फेहरिस्त में शामिल हैं, जिन्होंने हिंदी व्याकरण पर पुस्तकें लिखकर सर्वश्रेष्ठ लेखक का सम्मान प्राप्त किया हैं। वे एनसीईआरटी द्वारा हिंदी व्याकरण लेखन के लिए गठित लेखक मंडल के भी सदस्य हैं, जिनकी हिंदी व्याकरण एवं रचना पुस्तकें पाठ्यक्रमों में शामिल हैं। मसलन हिंदी और साहित्य का प्रसार करके उन्होंने श्रेष्ठ साहित्य के लेख और प्रसारण को कहीं अधिक महत्व दिया है। हरियाणा के प्रसिद्ध साहित्यकार एवं कवि डॉ. अशोक बत्रा ने हरिभूमि संवाददाता से हुई खास बातचीत में अपने हिंदी साहित्य क्षेत्र के सफर के अनुछुए पहुलओं को बेबाक साझा किया। 
प्रदेश के सोनीपत निवासी प्रसिद्ध कवि, लेखक एवं प्रसिद्ध भाषाविद् डा. अशोक बत्रा का मानना है कि हिंदी साहित्य की अलग अलग सभी विधाएं समाज को दिशा देने का काम करती हैं। वे साहित्य को दर्पण नहीं, बल्कि दीपक मानते है। उनका कहना है कि सच्चा साहित्यकार तुलसी, सूर और दिनकर जैसे हैं जो अंधेरे को अंधेरा कहकर संतुष्ट नहीं होते, बल्कि दीये की रोशनी बनकर अंधेर को छांटते हुए नई राह तलाशते हैं और प्रेरणा और गति के संदेश देते हैं। उनका प्रयास यही रहता है कि हिंदी की श्रेष्ठ कविताएं देश की युवा पीढ़ी के हृदय में कैसे रचे बसें, श्रेष्ठ कहानियों को पढ़ने का शौंक कैसे जगे, भारत के श्रेष्ठतम साहित्य का जन जन के हृदय तक प्रसार कैसे हो, इसके लिए उन्होंने पिछले करीब दो दशक के दौरान दिनकर काव्य पाठ ,रामायण महाभारत प्रश्नोत्तरी, श्रीराम काव्य पाठ प्रतियोगिता, विवेकानंद प्रश्नोत्तरी, काव्य अंताक्षरी, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम पर राष्ट्रीय स्पर्धा, कहानी एवं कविता प्रश्नोत्तरी के अलावा अपने साहित्यक प्रतियोगितांए आयोजित करवाई हैं। हिंदी समीक्षा पर उनकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और काव्य मंचों पर 500 से अधिक के कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ किया है। साहित्य लेखन की प्रेरणा उनमें विद्यार्थी अवस्था से ही जगी हुई है, जो निबंध लेखन प्रतियोगिताओं में हमेशा अव्वल ही रहे हैं। अनेक अखिल भारतीय निबंध प्रतियोगिताएं जीतकर डा. अशोक बत्रा ने हिंदी साहित्य को गति देते हुए समाज को नई दिशा देने का काम किया है। 
डा. अशोक बत्रा ने राजकीय कालेज महेन्द्रगढ़ में सेवा कार्य करने के अलावा 33 वर्ष तक हिंदू कॉलेज सोनीपत में अध्यापन का कार्य किया और ढ़ाई साल हिंदू कॉलेज रोहतक में प्राचार्य के रूप में सेवाएं दी हैं। साहित्य लेखन की प्रेरणा उनमें विद्यार्थी अवस्था से ही जगी है और वे निबंध लेखन प्रतियोगिताओं में हमेशा अव्वल ही रहे हैं। अनेक अखिल भारतीय निबंध प्रतियोगिताएं जीतकर डा. अशोक बत्रा ने हिंदी साहित्य को गति देते हुए समाज को नई दिशा देने का काम किया है। पिछले चार दशक से वे प्रतिष्ठित शैक्षणिक प्रकाशक लक्ष्मी पब्लिकेशंस के लिए निरंतर लेखन कार्य करते आ रहे हैं। उन्होंने एनसीईआरटी तथा अन्य प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा आयोजित हिंदी भाषा सम्मेलनों में शताधिक बार व्याकरण विशेषज्ञ के रूप में वक्तव्य प्रसारण भी किया। कविता के क्षेत्र में 500 से अधिक कवि सम्मेलनों में काव्यपाठ कर श्रोताओं को अपनी ओर आकर्षित किया। टीवी सीरियल 'वाह वाह क्या बात है' में दो बार काव्य-प्रस्तुति कर चुके डा. अशोक बत्रा ने कहा कि जहां तक उनकी निजी काव्य-प्रेरणा है, तै जहां जहां पीडा, असंतोष या अन्याय देखते हैं, लेखनी की तलवार उठा लेते हैं और जहां करूणा और प्रेम सद्भाव देखते हैं वहां लेखनी को निर्झर बना लेते हैं। जहां होठों की मुस्कान बनने और चेहरों की लाली बनने के लिए हास्य के ताब खोदने लगता हूं, जिसमें मुझे चेहरे नहाकर मुस्करा दे। 
प्रकाशित पुस्तकें 
डा. अशोक बत्रा की व्याकरण पर आधारित पुस्तकों में नवयुग हिंदी व्याकरण, आधुनिक हिंदी व्याकरण और तीन भागों में विशेष हिंदी व्याकरण पुस्तकें विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन कर रही हैं। देशभर में कक्षा छह से बारहवीं कक्षा तक उनकी हिंदी व्याकरण एवं रचना की करीब 50 पुस्तकें पाठ्यक्रम में शामिल हैं। उनकी अन्य पुस्तकों में आधुनिक हिंदी मीडिया लेखन(संचार की विधाएं) एवं हिंदी रचना, सन सत्तावन, तेजपुंज विवेकानंद, प्रेरणापुंज विवेकानंद, रामचंद्र शुक्ल के दो निबंध, रामचंद्र शुक्ल के निबंध(व्यक्तित्व एवं कृतित्व) भी प्रचलन में हैं। वहीं उन्होंने अपनी धर्मपत्नी संतोष बत्रा के साथ सुरभि हिंदी पाठ्यक्रम पुस्तक, सुरभि हिंदी पाठ्यक्रम पुस्तक(प्रवेशिका), जवाहर नवोदय विद्यालय(इंग्लिश मीडियम) व सरल हिंदी व्याकरण तथा रचना भी लिखी हैं। इसके अलावा उनकी संपादित पुस्तकें भी पाठकों के बीच हैं, जिनमें कुछ शिक्षक कवि (2 भाग), हिंदी की सर्वश्रेष्ठ 25 कहानियाँ भी सुर्खियों में हैं। उन्होंने कुबेरनाथ राय के ललित निबंध पर शोध कार्य भी किया। राष्ट्रीय कवि संगम नामक संस्था का राष्ट्रीय महामंत्री एवं भाषा-संस्कार नामक संस्था का अध्यक्ष डा. अशोक बत्रा हिंदी साहित्य में किसी पहचान के मोहताज नहीं है। उनके निर्देशन अनेक शोधार्थियों ने एम फिल, अनुवाद तथा पी.एच.डी. की है। 
पुरस्कार व सम्मान 
एनसीईआरटी के लेखक, शिक्षाविद् एवं भाषाविद् डा. अशोक बत्रा को हरियाणा साहित्य अकादमी ने वर्ष 2019 के लिए दो लाख रुपये के आदित्य अल्हड़ हास्य सम्मान से नवाजा है। फेडरेशन ऑफ एजुकेशनल पब्लिशर्स इन इंडिया (एफईपीआई) द्वारा उन्हें उत्कृष्ट व्याकरण लेखन के लिए वर्ष 2005 का विशिष्ट लेखक सम्मान दिया गया है। संस्कार भारती और सांस्कृतिक विभाग पंचकूला द्वारा कला विभूति सम्मान, हिंदी साहित्य संगम द्वारा हिंदी साहित्यश्री सम्मान, पंडित महेन्द्र प्रता स्मृति काव्य पुरस्कार (देहरादून) के अलावा उन्हें गंभीर साहित्य से अधिक हास्य कविताओं के लिए असंख्य ख्याति और पुरस्कार मिले और अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जाता रहा है। 
नए कीर्तिमान की राह पर 
राष्ट्रीय कवि संगम का राष्ट्रीय महामंत्री होने के नाते डा. अशोक आगामी एक मार्च 2022 महाशिवरात्रि को श्रीलंका से चलकर देश के 252 स्थानों को छूते हुए 40 प्रमुख श्रीराम विचरण स्थलों पर विराट कवि सम्मेलन करते हुए 10 अप्रैल 2022 को रामनवमी पर अयोध्या पहुंचेंगे, जहां भारत की सभी 22 भाषाओं और हंदि की सभी बोलियों के 600 कवि दिन रात काव्य पाठ करते हुए 130 घंटे लंबे काव्यपाठ का विश्व कीर्तिमान बनाएंगे। वह इस प्रतियोगिता की योजना के सूत्रधारों में से एक हैं, जिसे वे एक सौभाग्य मानते हुए अपने जीवन की सार्थकता करार देते हैं। 
संपर्क:847,सेक्टर14,सोनीपत(हरियाणा)-131001,ईमेल-ashokbatra.ashok@gmail.com,
मोबाइल-+918168115258 
20Dec-2021

मंडे स्पेशल: शीत लहर के बावजूद हरियाणा के रैन बसेरों में बेसहरा लोगों का टोटा!

कड़ाके की ठंड में दानियों के इंतजार में सड़कों पर सोने के मजबूर हैं लोग 
प्रदेश में रैन बसेरों में सभी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने में जुटी संस्थाएं 
ओ.पी. पाल.रोहतक। लगातार हो रही बर्फबारी के चलते पूरा उत्तरी भारत शीत लहर की चपेट में है। कड़ाके की ठंड के कारण हरियाणा में भी पिछले पांच दिनों से हाड़ फोड़ सर्दी कहर बरपा रही है। इसके चलते लोग अपने घरों में दुबकने को मजबूर हैं। बाजार सुनसान हैं और सड़कों पर इक्का दुक्का वाहन ही नजर आ रहे हैं। सबसे बेहाल वे लोग हैं जिनके पास अपना आसियाना नहीं है। प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं ने हर जिला मुख्यालय और शहरों में रैन बसेरों को इंतजाम किया है। लेकिन इसके बावजूद लोग सड़को के किनारे फुटपाथों पर सोने को मजबूर हैं। एक तरफ तो प्रशासन का कहना है कि लोग रैन बसेरों में नहीं आ रहे हैं। दूसरी ओर आमजन को रैन बसरों की जानकारी ही नहीं है। प्रदेश के कई शहरों में रैन बसेरों में बहुत ही बेहतर व्यवस्थाएं की गई हैं, लेकिन आमजन के न पहुंचने के कारण ये व्यवस्थाएं बेकार साबित हो रही हैँ। यही कारण है कि लोग सड़कों पर सोते व ठंड से कहराते दिखाई दे रहे हैं। सड़को पर सो रहे लोग रैन बसेरों की जानकारी न हो ने की बात कहते हैं, वहीं दूसरी तरफ सामाजिक संस्थाओं का कहना है कि लोग रैन बसेरों में आना नहीं चाहते और कड़ाके की ठंड में भी सड़कों पर दानी लोगों के आने का इंतजार करते रहते हैं ताकि वे आए और उन्हें कुछ दे जाएं। इसलिए लोग रैन बसेरों में नहीं आ रहे हैं। 
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प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सर्दी बढ़ने और शीत लहर की संभावना के मद्देनजर 30 नवंबर को ही सभी जिला प्रशासन को निर्देश दिये थे कि शहरों में जरूरत के मुताबिक रैन बसेरों का निर्माण करना सुनिश्चित किया जाए और कोई व्यक्ति खुले आसामन के नीचे सोता मिले तो उन्हें रैन बसेरा में पहुंचाने की व्यवस्था की जाए। हालांकि प्रदेश के सभी शहरी क्षेत्रों में पहले से ही लाखों की लागत से अनेक स्थायी रैन बसेरा बने हुए हैं, जिनमें गद्दे, रजाई और खान पान जैसी सुविधाएं मुहैया कराने के इंतजाम भी किये गये हैं। वहीं बढ़ती सर्दी व ठंड में अस्थायी रैन बसेरा बनाने और उनका संचालन कर रहे प्रशासन, नगर निगम और रेडक्रास सोसाइटी, हरियाणा रोडवेज, सामाजिक संस्थाएं व धार्मिक संस्थाएं लोगों को ठंड से बचाने की तैयारियों में जुटी हुई हैं। प्रदेशभर के शहरों में हरिभूमि संवाददाताओं ने रात्रि के समय शहरों का भ्रमण करके कड़ाके की इस ठंड में रैन बसेरों के अलावा जो हालात देखे, उसमें कई शहरों में रैन बसेरों में तमाम सुविधाओं के बावजूद आमजनों के पहुंचने का टोटा दिख रहा है जबकि रात्रि के समय सड़को के किनारे सोते लोग ज्यादा नजर आ रहे हैं। मसलन प्रदेश के ज्यादातर शहरों में बनाए गये रैन बसेरों में बेसहारा लोगों और रात्रि विश्राम के लिए मुसाफिरों के आने का इंतजार किया जा रहा है।
रैन बसेरों का निरीक्षण करने में जुटे अधिकारी 
प्रदेश के जिलों व शहरों में बनाए गये रैन बसेरों में की गई व्यवस्था का जायजा लेने के लिए प्रशासनिक अधिकारी, नगर निगम, नगर परिषद, जिला रेडक्रास सोसाइटी के पदाधिकारी लगातार निरीक्षण कर रहे हैं। कई रैन बसेरा में सुविधाओं को मुहैया कराने की व्यवस्था कराने की कार्यवाही कर रहे हैं। कई शहरों में तो निरीक्षण के दौरान रैन बसेरा में ताला जड़ा हुआ मिला, तो किसी जगह सफाई व्यवस्था चरमाई मिली। कई शहरों में निरीक्षण के दौरान यह भी पाया गया कि नगर परिषद ने सर्दी का समय नजदीक आने पर कुछ महीने पहले उसकी सफाई तो करवाई, लेकिन रैन बसेरे में अभी तक कोई कर्मचारी नियुक्त नहीं किया गया है। ऐसे में अधिकारी संबन्धित कर्मचारियों को चेतावनी तक भी दी जा रही है, ताकि रैन बसेरा में लोगों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जा सके। इसी कारण शहर में रात्रि के समय लोग दुकानों के नीचे बने छज्जे तथा फुटपाथ का सहारा लेने को मजबूर हैं। 
रेलवे स्टेशनों व बस स्टैंड पर रैन बसेरा 
प्रदेश के हरेक शहरों में रेलवे स्टेशनों व बस स्टैंड और इनके आसपास रैन बसेरों का इंतजाम है, जिनमें ज्यादातर वे मुसाफिर रात्रि को ठंड से बचने के लिए विश्राम करते हैं, जिन्हें आगे का सफर करना होता है। दूसरी ओर इन रैन बसेरों में सुविधाओं के अभाव में बेसहारा लोग आने से कतरा रहे हैं और वे सड़कों पर सोने को मजबूर है, जिसमें उनका स्वार्थ भी है, क्योंकि ऐसी सर्द रातों में सामाजिक संस्थाएं और दानी लोग गरीबों को कंबल, गर्म वस्त्र और अन्य मदद के लिए सक्रीय हो जाते हैं। रेलवे स्टेशनों में ओवर ब्रिज या प्लेटफार्म पर भी रात्रि में लोग सो रहे हैं, जहां सक्रीय सामाजिक संस्थाएं कंबल और गर्म कपड़ो को वितरण करने में जुटी हैं वहीं खाद्य सामग्री की सुविधा भी दी जा रही है। 
रैन बसेरा बनेंगी रोडवेज बसें 
प्रदेश के कई शहरों में यह भी देखा गया है कि हरियाणा रोड़वेज बस स्टैंड पर रैन बसेरा के रूप में पोर्टा कैबिन संचालित किये जा रहे हैं। रोहतक समेत कई जिलों में हरियाणा रोड़वेज परिवहन ने लोगों को ठंड से बचाने की इस मुहिम में यह भी फैसला किया है कि यदि आवश्यकता पड़ी तो स्टैंड पर खराब खड़ी रोडवेज बसों का इस्तेमाल भी रैन बसेरा के रूप में किया जाएगा। हालांकि कई शहरों में यह भी देखा गया है कि बस स्टैंड या सड़क पर खड़ी बसों में भी ठंड से बचने के लिए लोग सो रहे हैं। 
जागरूकता का अभाव 
प्रदेश में सभी जिला प्रशासन विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से लोगों को इस कड़ाके की ठंड से राहत देने के प्रयास में जुटा है, लेकिन प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं का मानना है कि संचालित किये जा रहे रैन बसेरों में आश्रय लेने वालों की कमी के पीछे जागरूकता का अभाव भी हो सकता है। इसके पीछे यह कारण भी सामने आया है कि रैन बसेरों की दूरी को लेकर भी लोग ठंड के कारण आसपास धर्मशालाओं या कुछ लोगों द्वारा मामूली दाम पर चारपाई व बिस्तर मुहैया कराने वालों के यहां रात गुजारना पसंद करते हैं। 
20Dec-2021

मंडे स्पेशल: कर्ज के दलदल में फंसे हरियाणा के लाखों किसान

45 लाख धरतीपुत्रों पर 79 हजार करोड की देनदारी 
हर साल 2.5 लाख हो रहे हैं बैंक डिफाल्टर, आढ़ती का कर्जा इससे अलग 
ओ.पी. पाल.रोहतक। सरकार ने अन्नदाता के उत्थान के लिए दर्जनों योजनाएं शुरू कीं, लाखों जतन किए गए, हर संभव प्रयास हुआ। इसके बावजूद किसानों का कर्ज कम होना तो दूर लगातार बढ़ता जा रहा है। किसानों के लिए सरकार की बीज, खाद, कृषि यंत्रों, पशुधन, मत्स्यपालन, बागवानी और वैकल्पिक फसलों व सिंचाई के लिए अनुदान, सब्सिडी और फसल बीमा योजना जैसी कोशिशें ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही हैं। हालात ये हैं कि प्रदेश के 44,95,805 किसानों पर 78,311.43 हजार करोड़ से भी ज्यादा का कर्ज का बोझ है। धरतीपुत्र कर्ज के दलदल में ऐसा फंसा है कि निकलने की कोई राह नजर नहीं आ रही। कर्ज का ये आंकडा केवल बैंकों का है। आढ़तियों की भारी भरकम देनदारी का तो कोई हिसाब किताब ही नहीं है। कर्ज में करहा रहे धरतीपुत्रों की हालत ये हो गई है कि हर साल 2.5 लाख किसान बैंक डिफाल्टर हो रहे हैं। प्रदेश में अब तक डिफाल्टर हो चुके किसानों की तादात 88 फीसदी से भी ज्यादा हो गई है। प्राइवेट बैंक तो पहले से ही किसानों से मुंह मोड़ चुके हैं, अगर यूं ही चलता रहा तो सरकारी संस्थान भी इन्हें कर्ज देने से इनकार कर देंगे।
प्रदेश में किसानों की आय को दो गुना करने की ऐसी सभी कोशिशों के बावजूद पांच साल पहले किसानों पर यह कर्ज करीब 56,336 करोड़ कर्ज था। इनमें करीब 8.75 लाख किसान ऐसे हैं, जिन्होंने कॉमर्शियल बैंक, भूमि विकास बैंक, सहकारी समितियों से भी कर्ज ले रखा है। हालात यहां तक हैं कि प्रदेश के करीब 75 फीसदी किसानों की जमीन बैंकों और सहकारी समितयों के पास गिरवी रखी हुई है। जहां तक सहकारी क्षेत्र का किसानों पर कर्ज का सवाल है, उसमें सहकारी बैंकों और समितियों से साल 2014 में 7.38 लाख किसानों ने 3681.26 करोड़ का कर्ज लिया था, जिसका ब्याज की राशि 2894.49 करोड हो गई। ऐसे में सभी किसानों का ओवरड्यू कर्ज बढ़कर 6575.75 करोड़ हो गया, जिसका समय से न चुकाने के कारण साल 2017 तक इन किसानों पर कर्ज बढ़ते हुए 8659 करोड़ हो गया था। ये सभी 7.38 लाख किसान ओवरड्यू कर्ज की राशि 6575.75 करोड़ होने पर डिफाल्टर हो गये। नियम के अनुसार यदि एक किसान समय पर लोन की किस्त जमा नहीं करवा पाता है तो उसे 14 फीसदी ब्याज के साथ पैसा चुकाना पड़ता है और इस तरह लोन की राशि बढ़ती चली जाती है। सहकारी बैंकों का 5 एकड़ तक जमीन वाले किसानों पर अभी भी 3909.73 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। 
इस जिले 95 फीसदी कर्जदार 
फतेहाबाद जिला और जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से भले ही बहुत ही छोटा जिला हो, लेकिन यहां के 95 फीसदी से ज्यादा किसानों ने बैंकों से कर्जा लिया हुआ है। इनमें से कई किसान तो ऐसे हैं जिन्होंने सरकारी समिति बैंकों से भी कर्ज लिया हुआ है। यानी इन किसानों ने दो दो जगहों से कर्जा लिया हुआ है, लेकिन सहकारी समिति बैंक के साथ लैंड मॉर्गेज बैंक के 70 फीसदी से ज्यादा किसान डिफाल्टर घोषित हो चुके हैं। दरअसल एक आंकड़े के अनुसार इस जिले के 97 हजार से ज्यादा किसान कर्ज तले दबे हुए हैं। इनमें से 82 हजार किसानों ने राष्ट्रीय एकीकृत बैंकों से एक से दस लाख रुपये कीमत तक के किसान कार्ड बनवाए हुए हैं। वहीं 25हजार किसान केंद्रीय सहकारी समिति सोसायटी व लैंड मॉर्गेज बैंक के कर्जदार हैं। वहीं अनेक किसानों ने दोनो जगहों से ही कर्ज ले रखा है। 
किसानों पर चौतरफा मार 
हरियाणा का किसान जहां पहले से ही कर्ज में दबा हुआ है, वहीं अब एनजीटी ने उनके दस साल पुराने ट्रैक्टर बंद करने के आदेश देकर उनकी मुसीबतों को बढ़ा दिया है। ऐसे में सवाल है कि कर्ज के बोझ तले दबा किसान नया ट्रैक्टर कैसे खरीदेगा। हालांकि इसके लिए सरकार भी मदद करने को अपनी लागू योजनाओं का लाभ देगी, लेकिन इसका बोझ सीधे किसानों की आर्थिक व्यवस्था को कमजोर करेगा। यही नहीं इस साल कुदरत के कहर ने भी किसानों मेहनत पर जमकर पानी फेरा है यानी इस साल भारी बारिश और ओले से किसानों की फसल बर्बाद हो गई। दूसरे के पेट भरने वाले अन्नदाता अपना पेट काटकर चौतरफा मुसीबतों का ही सामना करने को मजबूर है। 
ब्याज माफी बेमानी 
प्रदेश सरकार ने 1 सितंबर 2019 से शुरू की अपनी एक खास एकमुश्त निपटान योजना के जरिए किसानों के पास कर्ज के रूप में दबा अपना करोड़ों रुपये निकलवा भी लिया है। भले ही इसमें सरकार को ब्याज राशि का खासा नुकसान हुआ है। मगर इस योजना के तहत सरकार ने ब्याज माफी का ये लाभ किसानों को देते हुए तीनों सहकारी बैंकों की कुल 149.856 करोड़ की मूल राशि जरूर रिकवर कर ली है। यह योजना 31 जनवरी को समाप्त हो चुकी है। इस पांच महीने की योजना के दौरान प्रदेश के 4,18,212 किसानों 1439.97 करोड़ का ब्याज माफी किया जा चुका है। 
अपमान भी सहने को मजबूर 
प्रदेश के किसानों की बिगड़ती आर्थिक स्थिति में उन्हें अपमान भी सहने को मजबूर होना पड़ रहा है। मसलन इसी साल जहां यूपी सरकार ने किसानों के कर्ज माफी का ऐलान किया तो वहीं हरियाणा में सहकारी बैंकों से फसली ऋण लेने वाले लाखों किसान कर्ज न चुकाने के कारण डिफॉल्टर होने के कगार पर आ गये है, जिन पर बकाया कर्ज के साथ किसानों की फोटो अखबारों में प्रकाशित कराई जा रही है, वहीं वैंक शाखाओं में ऐसे डिफाल्टर होने वाले किसानों के पोस्टर लगाए जा रहे हैं। 
सरकार का किसानों की मदद का दावा 
हरियाणा की मनोहरलाल सरकार ने किसानों के लिए सरकारी खजाना खोलते हुए 42 लाख किसानों को करीब 11 हजार करोड़ रुपये का लाभ देने का दावा किया है। किसानों को यह लाभ प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना, फसल बीमा योजना, भावांतर भरपाई योजना या फिर प्राकृतिक आपदा से खराब होने वाली फसल का मुआवजा देने के रूप दिया गया। ऐसी आधा दर्जन से अधिक योजनाओं में राज्य के 42 लाख किसानों को अब तक 10,673 करोड़ रुपये की सहायता देने का दावा किया गया है। 
इन योजनाओं का मिला लाभ 
राज्य सरकार के दावे पर गौर करें तो 42 लाख किसानों को अब तक 10,673 करोड़ की मदद में सरकार ने 19.42 लाख किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 2595 करोड़ रुपये की मदद दी है। जबकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत राज्य के 18.15 लाख किसानों को 3961 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया। इसी प्रकार प्राकृतिक आपदा से फसल खराब होने की स्थिति में सरकार ने 2765 करोड़ रुपये का मुआवजा प्रभावित किसानों को देने का दावा किया है। सरकार ने भावांतर भरपाई योजना के तहत 4184 किसानों को 10.12 करोड़ रुपये की राहत राशि प्रदान की है। जबकि एकमुश्त निपटान योजना के तहत सहकारी ऋणों के कर्जदार 4.10 लाख किसानों को 1315 करोड़ रुपये की राहत दी गई। इसी प्रकार सरचार्ज माफी योजना में शामिल 1,12,300 किसानों को 24 करोड़ रुपये का लाभ मिला है। जबकि भूमिगत पाइप लाइन स्कीम के तहत 1957 किसानों को 8.34 करोड़ रुपये की राहत प्रदान की गई है। 
06Dec-2021

साक्षात्कार: सात समंदर पार बिखरे हैं कवि मनजीत के हास्य के रंग

हिंदी साहित्य के बहुआयामी प्रतिभाग के धनी हैं कवि 
-ओ.पी. पाल
व्यक्तिगत परिचय
नाम: मनजीत सिंह 
जन्म तिथि: 26 जुलाई 1957
जन्म स्थान: नारनौल(हरियाणा) 
शिक्षा: एमए (अंग्रेजी), पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातक, जनसम्पर्क एवं विज्ञापन में डिप्लोमा। सम्प्रति: सेवानिवृत्त उप जिला शिक्षा अधिकारी ,हरियाणा सरकार। पूर्व प्राचार्य, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, भूपानी, फरीदाबाद (हरियाणा) 
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हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा आदित्य अल्हड़ हास्य सम्मान से नवाजे गये प्रख्यात हास्य कवि सरदार मनजीत सिंह हिंदी साहित्य के ऐसे बहुआयामी प्रतिभाग के धनी है, जिन्होंने देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में अपनी हास्य व्यंग्यात्मक शैली की पहचान बनाई है। मसलन आवाम को हंसाने के लिए उनकी कविताओं में व्यंग्य व रस का समावेश तो है, वहीं उन्होंने सामयिक राष्ट्रीय समस्याओं को भी अपनी व्यंग्य शैली का हिस्सा बनाया है। गुम हुए जीवन मूल्यों को तलाशकर व्यंग्य का रूप देकर उनकी वाणी से आवाम के लिए अपनी हंसी को रोक पाना आसान नहीं है। ऐसे ही हास्य व्यंग्य के जरिए हिंदी साहित्य की मशाल जलाते आ रहे मनजीत सिंह ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में अपने अनुभवों को विस्तार से साझा किया। हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले के मुख्यालय नारनौल में सरदार हरनाम सिंह के परिवार में जन्में मनजीत सिंह अपने काव्य के रंग देश के अलावा अन्य 48 देशों में भी बिखेर चुके हैं। आज के आधुनिक युग में युवा पीढ़ी को संदेश में भी उन्होंने व्यंग्यत्मक शैली का भाव दर्शाया। इंटरनेट और सोशल मीडिया के युग में कम उम्र में ही बढ़ती बीमारियों से किताबे ही ही निजात दिला सकती है। उनका कहना है कि समय बदलता है तो सामाजिक परिवेश में भी परिवर्तन संभव है, लेकिन किताबे ही वापस लौटकर आएंगी। हास्य कवि के रूप में बुलंदियां छू रहे मनजीत सिंह ने कहा कि जब वह कक्षा 11 में थे, तो स्कूल के विदाई समारोह में उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी, जिसके बाद उनका यह सिलसिला चलता रहा और लोग उनकी हास्य व व्यंग के रूप में लिखी या सुनाई गई कविताएं पसंद करते रहे। उन्होंने आतंकवाद और अन्य राष्ट्रीय समस्याओं पर भी कविताएं लिखी। उनकी मातृभाषा पंजाबी है, लेकिन उन्होंने एमए अंग्रेजी भाषा में की और लिखने के लिए हिंदी भाषा को अपनाया। प्रसिद्ध हास्य कवि सरदार मनजीत सिंह ने 18 साल तक प्रवक्ता और फिर प्राचार्य पद पर अध्यापन का कार्य किया। यही नहीं उनके पास हरियाणा सरकार में उप जिला शिक्षा अधिकारी के रूप में भी 13 वर्ष 3 माह का प्रशासनिक अनुभव है। उन्होंने इस दौरान सरकारी सेवा में मिली किसी भी प्रोन्नति को स्वीकार नहीं किया। अब सेवानिवृत्ति के बाद वे अपने साहित्यक क्षेत्र को विस्तार देने में जुटे हुए हैं। साहित्य क्षेत्र में समाज समाज को दिशा देने वाले मनजीत सिंह ने काव्य संग्रह के साथ उन्होंने व्यंग्य लेख और व्यंग्य कविताओं से परिपूर्ण किताबे भी लिखी हैं। 
प्रकाशित पुस्तकें 
साहित्यकार एवं कवि मनजीत सिंह ने अपनी लिखी 8 पुस्तकों में भी हास्य का रंग बिखेरा है। इनमें सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है और आठवीं पुस्तक फिफ्टी-फिफ्टी जल्द ही पाठकों के बीच आने की संभावना है। उनकी प्रमुख प्रकाशित पुस्तकों में शाकाहारी मक्खियां(1993), मेरी शवयात्राएँ(1999), रॉन्ग नम्बर (2003),मॉडर्न पंचतंत्र (2004), बच के रहना (2012),उफ़! ये कम उम्र आंटियां(2014) और नेता जी का पेट(2017) सुर्खियों में हैं। सरदार मनजीत सिंह के काव्य पाठ करने का विस्तार क्षेत्र हैं, जो दूरदर्शन के विभिन्न केंद्रों, सब टीवी, ज़ीटीवी, महुआ टीवी जैसे चैनलों पर भी काव्य पाठ करके लोगों के दिल में जगह बनाए हुए हैं। यही नहीं लाल किला एवं देश के सभी प्रतिष्ठित कवि सम्मेलन में उन्हें काव्य पाठ के लिए आमंत्रित किया जाता है। उनकी कविताएं देश की विभिन्न राष्ट्रीय पत्र और पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती आ रही हैं। 
पुरस्कार एवं सम्मान 
देश विदेश में अपनी पहचान बनाने वाले हरियाणा के प्रसिद्ध हास्य कवि सरदार मनजीत सिंह को उनकी समाज में साहित्य साधना को देखते हुए हरियाणा साहित्य अकादमी ने उन्हें दो लाख रुपये के वर्ष 2017 के आदित्य-अल्हड़ सम्मान से नवाजा है। पिछले माह नवंबर में उन्हें प्यारेलाल भवन दिल्ली में आयोजित एक समारोह में काका हाथरसी ट्रस्ट ने वर्ष 2019 के लिए एक लाख रुपये के ‘काका हाथरसी हास्य रत्न सम्मान’ से सम्मानित किया। इसके लिए उन्हें सम्मान पत्र, एक लाख रुपये की राशि का चेक, शॉल और स्मृति चिह्न भेंट किया गया। इससे पूर्व वर्ष 2009 भारतीय कॉन्सुलेट जनरल न्यूयॉर्क द्वारा सम्मान दिया गया। जबकि उन्हें वर्ष 2015 में भारतीय कॉन्सुलेट जनरल वैंकूवर,कैनाडा, वर्ष 2018 में भारतीय कॉन्सुलेट जनरल दुबई, यू.ए.ई., वर्ष 2010 में अखिल विश्व हिन्दी समिति न्यूयॉर्क, हिंदी साहित्य सभा टोरोंटो में कैनेडियन हिन्दू कल्चरल सोसाइटी ऑफ कैम्ब्रिज एंड गुएल्फ और अखिल विश्व हिंदी समिति टोरोंटो, कैनाडा द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। इससे पहले वर्ष 2004 में इंडिया क्लब मस्कट, ओमान द्वारा सम्मान हासिल करने वाले मनजीत सिंह को वर्ष 2005 में युवा अट्टहास, लखनऊ सम्मान मिला, तो वहीं जूनियर चैंबर्स, सिलीगुड़ी बागडोगरा में विनोद वरिधर सम्मान और राष्ट्रीय आत्मा स्मारक समिति कानपुर द्वारा पं-गंगा सेवा-विंध्यवासिनी पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें लायंस क्लब दिल्ली तथा यूथ फार डवलपमेंट, नई दिल्ली विभिन्न कवि सम्मेलनों और समरोह में वे अनेक सम्मान से पुरस्कृत किये जा चुके हैं। 
विदेशों में भी छोड़ी छाप 
देश के प्रसिद्ध हास्य कवि सरदार मनजीत सिंह के काव्य पाठ इतने गुदगुदाने और हंसाने वाले हैं कि उन्हें विदेशों के कार्यक्रमों में भी आमंत्रित किया जाता है। इसके लिए कई दर्जन साहित्यक एवं सांस्कृति विदेश यात्राएं कर चुके हैं। मसलन वे सबसे ज्यादा 2003 से 2018 तक काव्य पाठ हेतु संयुक्त अरब अमीरात के दुबई की यात्राएं कर चुके मनजीत सिंह ने कुवैत में भी काव्य पाठ करके वहां के लोगों के दिलों में जगह बनाई हैं। कुवैत में भी अमेरिका की एक दर्जन यात्राएं करके उन्होंने विभिन्न शहरों में आयोजित विचार गोष्ठियों और काव्य गोष्ठियों में भागीदारी की है। कैनाडा की चार साहित्यक यात्राओं में उन्होंने विभिन्न शहरों में काव्य पाठ किया। थाईलैंड की तीन काव्य यात्राओं के अलावा मस्कट ओमान में दो बार काव्य पाठ किया। जबकि इंडोनेशिया की यात्राओं में उन्होंने जकार्ता और पूर्वकर्ता में आयोजित साहित्यक आयोजनों में हिस्सा लिया। 
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06Dec-2021