मंगलवार, 31 जुलाई 2018

राज्यसभा में गूंजा महिला सुरक्षा का मुद्दा


सैलजा व जया बच्चन ने की सख्ती से निपटने की मांग
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली। 
राज्यसभा में विपक्षी दलों ने देश में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों और महिलाओं के यौन उत्पीड़न का मामला उठाया गया, जिसमें केंद्र सरकार से एसे मामलों से निपटने के लिए कानून को सख्ती लागू करते हुए निपटने की मांगब की।
दरअसल बुधवार को उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद शून्यकाल के दौरान कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा तथा सपा सांसद जया बच्चन ने जोरशोर से उठाया। इस दौरान महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामलों में बढ़ोतरी पर चिंता जताते हुए कांग्रेस की कुमारी सैलजा ने कहा कि संसद के हर सत्र में महिलाओं के यौन उत्पीड़न का मुद्दा उठाया जाता है और भारत में यह मामला अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी उठता है, जो देश के लिए बेहद दुख और शर्मनाक भी है। सैलजा ने हाल में हरियाणा के मोरनी गांव में एक महिला से हुए कथित बलात्कार, बिहार में बालिका गृह की बच्चियों से बलात्कार की घटनाओं के उदाहरण देते हुए कहा कि पीडिताओं को न्याय देने और उनकी सुनवाई करने के बजाए पुलिस भी कानूनों का उल्लंघन कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि ऐसे मामलों में कानून को सख्ती से पालन कराना सुनिश्चित किया जाए, ताकि अपराधियों में खौफ का माहौल पैदा हो। ऐसा नहीं है कि देश में कठोर कानून नहीं है, लेकिन विडम्बना यह है कि उसका सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा है जिसके कारण अपराधी छूट जाते हैं और महिलाओं की सुरक्षा को ज्यादा खतरा बन जाता है।
मुद्दे पर की चर्चा कराने की मांग
राज्यसभा में सपा सांसद जया बच्चन ने भी महिलाओं की सुरक्षा के मामले को उठाते हुए कहा कि वह संसद में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बात करती हैं, लेकिन महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बनाए जा रहे कानूनों के बावजूद आए दिन बलात्कार जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं। उन्होंने सदन में बोलते हुए सुझाव दिया कि ऐसे जघन्य मामलों में लिप्त अपराधियों के अभिभावकों को सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा किया जाना चाहिए, ताकि ऐसे मामले दबाए न जा सके। जया बच्चन ने इस मामले पर सदन में चर्चा कराने की भी मांग की।
सभापति ने जताई सहमति
महिला सांसदों द्वारा उठाए गये मामलों को गंभीर करार देते हुए सभापति वेंकैया नायडू ने इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा की मांग पर सहमति जताते हुए कहा कि यह बेहद गंभीर मुद्दा है, जिसके लिए हमें सोचना होगा कि क्या कानून में कोई कमी है? क्या समाज की सोच में बदलाव लाना होगा? हालांकि नायडू ने कहा कि ऐसे मामले कानून के कार्यान्वयन से नहीं, बल्कि इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रशासनिक कुशलता की जरूरत है जिससे इस सामाजिक बुराई का खात्मा किया जा सके।
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दिग्विजय ने की नर्मदा संरक्षण पर कानून की मांग
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने नर्मदा नदी की निर्मलता बहाल करने और इसकी पैदल परिक्रमा का मार्ग सुनिश्चित करने की मांग की। वहीं उन्होंने केंद्र सरकार से इस पवित्र नदी के संरक्षण के लिए समन्वित तरीके से एक कानून बनाने की मांग की। गौरतलब है कि पिछले दिनों ही दिग्विजय सिंह ने नर्मदा नदी की परिक्रमा पूरी की थी। उन्होंने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि नर्मदा नदी मध्यप्रदेश और गुजरात के लोगों के लिए जीवन रेखा है, लेकिन नर्मदा के पूरे केचमेंट एरिया में जंगल काट दिए गए और नदी पर जगह-जगह बांध बना दिये गये गये हैं। वहीं मशीनों से अवैध तरीके से रेत खनन तथा उद्योगों के खतरनाक अपशिष्ट ने इस नदी की दुर्दशा कर दी है, जिसके कारण नर्मदा का बहाव बहुत ही कम हो, जिससे उसके जल स्तर में भी कमी आई है। दिग्विजय सिंह ने नर्मदा नदी के उत्तर तट और दक्षिण तट पर जेट्टी बनाने तथा नर्मदा में नौकायन कराने के लिए नावों पर लाइफ जैकेट मुहैया कराने की मांग करते हुए केंद्र सरकार से नर्मदा के संरक्षण के लिए एक समन्वित कानून बनाने पर बल दिया। 
26July-2018                       



लोकसभा चुनाव से पहले मुहैया होंगी वीपीपीएटी


तैयारियों के लिए नवंबर में मिलेंगी मशीनें: आयोग
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्रीय चुनाव आयोग आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व अपनी तैयारियों में जुट गया है, जिसमें वीवीपीएटी मशीने इसी साल नवंबर तक मुहैया करा ली जाएंगी और सभी राज्यों में उनकी आपूर्ति कर दी जाएगी।
यह जानकारी देते हुए चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि लोकसभा चुनाव-2019 में वीवीपीएटी मशीनों का इस्तेमाल होगा, जिसके लिए चुनाव आयोग के आर्डर पर तैयार की जा रही सभी 16.15 लाख वीवीपीएट से युक्त ईवीएम आयोग को नवंबर 2018 तक मिल जाएंगी। मसलन लोकसभा चुनाव-2019 के लिए आवश्यक ईवीएम की अतिरिक्त संख्या जिनमें 13.95 लाख बैलट इकाई और 9.3 लाख कंट्रोल इकाई शामिल है का उत्पादन सितंबर 2018 तक और वीवीपीएटी का उत्पादन नवंबर 2018 से पहले पूरा कर लिया जाएगा। इसके आधार पर आयोग ने भविष्य में आम चुनाव के अलावा लोकसभा और विधानसभाओं के उपचुनाव शत प्रतिशत वीवीपीएटी युक्त ईवीएम से कराने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। आयोग का कहना है कि इन मशीनों की डिलीवरी हालांकि सितंबर 2018 तक होनी थी, लेकिन विशेषज्ञों की गठित समिति के सुझाव पर इन वीवीपीएटी मशीनों में बेहतर सुधार करने की दिशा में कुछ देरी होगी, लेकिन आयोग को चुनाव पूर्व तैयारियों के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। मसलन इन मशीनों की आपूर्ति सभी राज्यों में कर दी जाएगी। आयोग द्वारा वीवीपीएटी मशीनों के बारे में जारी बयान में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की बेंगलुरु स्थित कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (बीईएल) और हैदराबाद स्थित इलैक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) को मई 2017 में 16.15 लाख मशीनें बनाने का आर्डर दिया गया था, जिनमें से 5.88 लाख मशीनों की आपूर्ति अब तक हो चुकी है, जिसमें बीईएल द्वारा तैयार की गई 4.36 लाख मशीनें शामिल हैं। आयोग ने कहा कि दोनों कंपनियों ने शेष 10.27 लाख मशीनों का निर्माण और सभी राज्यों को इनकी आपूर्ति इस साल नवंबर से पहले करने के लिए आश्वस्त किया है। आयोग के अनुसार भारतीय निर्वाचन आयोग को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 से लेकर 329 के तहत कानून के अनुसार चुनावों के संचालन के लिए इनकी देख-रेख, निर्देश एवं नियंत्रण प्रदान करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। इसमें किसी भी तरह की अटकलबाजी या बहस में पड़ने की गुंजाइश नहीं रहती है। आयोग के अनुसार लोकसभा चुनाव-2019 के लिए आवश्यक ईवीएम की अतिरिक्त संख्या (13.95 लाख बैलट इकाई और 9.3 लाख कंट्रोल इकाई ) का उत्पादन सितंबर 2018 तक और वीवीपीएटी का उत्पादन नवंबर 2018 से पहले पूरा कर लिया जाएगा।
26July-2018


स्विस बैंक में जमा भारतीय रकम में आई कमी

राज्यसभा में उठे सवाल पर बोली सरकार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने दावा किया कि विदेशों में जमा काले धन पर रोक लगाने के‍ लिए उठाए गये कदमों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। इन्हीं कदमों का परिणाम है कि वर्ष 2013 से 2017 के बीच भारतीयों के स्विस गैर बैंक ऋणों और जमा राशि में 80.2 प्रतिशत की कमी आयी है।
यह बात मंगलवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान हरियाणा से इनेलो सांसद राम कुमार कश्यप और अन्य पूरक प्रश्नों के जवाब देते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कही है। गोयल ने उन खबरों को भ्रामक बताते हुए खारिज किया, जिसमें स्विस बैंक में जमा भारतीय राशि में 50 फीसदी बढ़ोतरी बताई जा रही है। वित्त मंत्री गोयल ने ने सदन में जानकारी दी कि वर्ष 2016 के मुकाबले 2017 में स्विस बैंक में भारतीयों के पैसों में 34 प्रतिशत की गिरावट आई है, यही नहीं वर्ष 2013 से 2017 तक यानि मौजूदा सरकार के कार्यकाल के दौरान स्विस बैंक में भारतीयों की तरफ से नॉन बैंकिंग लोन और डिपॉजिट में 80.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। यह जानकारी गोयल ने बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट के आंकड़ों का हवाला देते हुए दी है। उनका कहना है कि स्विस बैंक में भारतीयों का जितना काला धन होता था, उसका लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा नॉन बैंकिंग लोन और डिपॉजिट के जरिए ही जमा किया जाता था।
सरकार ने क्या किये उपाय
वित्त मंत्री ने कहा कि कालेधन पर लगाम कसने की दिशा में मोदी सरकार द्वारा उठाए गये कदमों के तहत वित्तीय सूचनाओं को साझा करने के लिए एक बहुपक्षीय व्‍यवस्‍था बनाने के प्रयासों में भारत अग्रणी रहा है। इसके तहत सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान की व्‍यवस्‍था (एईओआई) की गई है। सामान्य रिपोर्टिंग मानक (सीआरएस) पर आधारित यह व्‍यवस्‍था कर चोरी के मामलों से निपटने के वैश्विक प्रयासों में बहुत मददगार साबित हुई है। जिसमें सरकार को अन्य देशों में बसे भारतीयों के वि‍त्‍तीय खातों की जानकारी मिलती है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने कई विदेशी सरकारों के साथ दोहरी कराधान निवारण संधि, कर सूचनाओं के आदान-प्रदान से जुड़ी संधि करों से जुड़े मामलों में प्रशासनिक सहयोग से जुड़े बहुपक्षीय समझौतों तथा दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन से जुड़े बहुस्‍तरीय समझौते करने के मामलों में पहल की है। ऐसी ही संधि भारत और स्विजरलैंड के बीच दोहरा कराधान निवारण संधि के रूप में की गई है। इसके तहत भारत सरकार स्विजरलैंड के बैंकों में खाता रखने वालों के बारे में जानकारी हासिल कर सकती है। वहीं भारत ने विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम (फाटका) के तहत अमरीका के साथ वित्‍तीय जानकारी साझा करने का समझौता किया है।
सत्ता संभालते ही बनाया जांच दल
राज्यसभा में रामकुमार कश्यप के सवाल के लिखित जवाब में वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि काले धन का पता लगाने के लिए भारत सरकार की ओर से मई 2014 में एक विशेष जांच दल का गठन किया गया। यह दल काले धन और कर चोरी के मामलों की सख्त निगरानी कर रहा है। वहीं काले धन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने 2015 में काला धन (अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्तियां) तथा कराधान कानून गत एक जुलाई 2015से प्रभावी है। उन्होंने दावा किया कि विदेशों में जमा काले धन से जुड़े किसी भी मामले में प्रामाणिक जानकारी मिलने पर सरकार द्वारा तुरंत कार्रवाई की जा रही है। 
25July-2018

गुरुवार, 26 जुलाई 2018

संसद में विपक्ष का हंगामें के बावजूद हुआ कामकाज

दोनों सदनों शोर शराबे के कारण कुछ देर बाधित हुई कार्यवाही
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद में पिछले सप्ताह अविश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद विपक्ष धीरे-धीरे सरकार को घेरने की रणनीति अपनाता नजर आया। दोनों सदनों में सोमवार को आंध्र प्रदेश, मॉब लांचिंग व अन्य मुद्दों पर विपक्षी दलों ने हंगामा किया, जिसके कारण शून्यकाल के दौरान दोनों सदनों की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। हालांकि बाकी समय में दोनों सदनों में कामकाज हुआ और बिलों पर चर्चा और कुछ बिल पारित भी कराए गये। 
उच्च सदन की सोमवार को शुरू हुई कार्यवाही के दौरान सीपीआई सांसद डी. राजा ने अलवर लिंचिंग पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस देकर चर्चा की मांग उठाई। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने भ्रष्टाचार निवारण बिल का मुद्दा उठाते हुए जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के मामले को उठाया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसियों जैसे कि सीबीआई, ईडी को संविधान के अंतर्गत कार्य करना चाहिए। वह किसी राजनीतिक पार्टी का प्रतिशोध या वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों पर अत्याचार करने का काम नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह संस्थाएं डर का माहौल बना रही हैं। अभी सदन की कार्यवाही चलते 20 मिनट ही हुए थे कि तेदेपा सांसद वाईएस चौधरी और सीएम रमेश ने शून्यकाल के दौरान सदन आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का मुद्दा सदन में उठाया, तो सभापति ने उनकी ओर से दिये गये नोटिस को नियम 176 के तहत स्वीकार करने की बात बताई और कहा कि इस नियम के तहत इस मुद्दे पर मंगलवार को अल्पकालिक चर्चा होगी। इसके बावजूद तेदेपा तत्काल चर्चा कराने की मांग को लेकर शोरशराबा करते हुए आसन के करीब आ गये, जिसके कारण सभापति को सदन की कार्यवाही को करीब 11.22 बजे दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दिया गया।
सदन नहीं प्रसारण हुआ स्थगित
राज्यसभा में सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान जब तेदेपा  व वाईएसआर कांग्रेस के सांसद आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते हुए  हंगामा करते हुए आसन के करीब आने लगे, जिनकी मांग की थी कि उनके मुद्दे पर मत विभाजन के प्रावधान वाले नियम 168 के तहत चर्चा तत्काल चर्चा कराई जाए, जिसे अस्वीकार करते हुए सभापति एम. वेंकैया नायडू ने राज्यसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण ही स्थगित यानि बंद करा दिया, जिसके कारण जारी प्रश्नकाल की कार्यवाही करीब 15 मिनट तक प्रसारित नहीं हो सकी।
लोकसभा में भी हंगामा
लोकसभा में सोमवार को शून्यकाल के दौरान दौरान कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कठुआ-उन्नाव मामला उठाते हुए एनसीआरबी रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि देश में लगातार बलात्कार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। हालांकि लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने बीच में ही उनकी बात काटते हुए कहा लात्कार को राजनीतिक रंग मत दीजिए, वह भी एक महिला हैं। लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि राजस्थान पुलिस की कार्रवाई मेरे लिए आश्चर्यजनक नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्थान पुलिस गाय के नाम पर हिंसा करने वालों का साथ दे रही है। यह गौ रक्षक और पुलिस इसमें साथ है। वहीं सदन में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ऑफिसर गैलरी में एक अधिकारी पर विपक्षी दलों की निगरानी करने का आरोप लगाया। खड़गे ने कहा कि वह चुपचाप हमारे सांसदों की गिनती कर रहा है जबकि उसे उस गैलरी में बैठने का हक नहीं है। भाजपा सांसदों ने कांग्रेस की इस आपत्ति को खारिज कर दिया।
संसद परिसर में प्रदर्शन
संसद परिसर में महात्मा गांधी की मूर्ति के सामने टीडीपी सांसदों ने सोमवार को आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए विरोध प्रदर्शन किया। वह आंध्र के पुनर्गठन अधिनियम को लागू करने की मांग कर रहे हैं।
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अब माननीय ऑनलाइन भी दे सकेंगे नोटिस
राज्यसभा: लिखित नोटिस की व्यवस्था भी रहेगी जारी
अब राज्यसभा के सदस्य शून्य काल कार्य में प्रश्न उठाने तथा स्थगन प्रस्ताव एवं अल्पकालिक चर्चा की मांग को लेकर अपनी नोटिस ऑनलाइन भी दे सकेंगे।  सभापति एम वेंकैया नायडू ने आज राज्यसभा में सदस्यों को बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए अब सदस्य अपनी नोटिस ऑन लाइन भी भेज सकते हैं लेकिन कोई सदस्य यदि लिखित तौर पर यह नोटिस भेजना चाहता है तो यह व्यवस्था भी जारी रहेगी।
नायडू ने की सदस्यों से शांति बनाए रखने की अपील
नायडू ने यह भी कहा कि कई बार सदस्य उनसे अपनी नोटिस के बारे में व्यक्तिगत तौर पर पूछताछ भी करते रहते हैं इसलिए वह उन्हें यह सलाह देते हैं कि बेहतर होगा कि वे इस बारे में अपनी पूछताछ राज्यसभा सचिवालय से करें लेकिन अगर वे उनसे ही जानना चाहते हैं तो कार्यालय में मिलकर अपनी नोटिस के संबंध में जानकारी हासिल कर सकते हैं। नायडू ने आशा व्यक्त की कि सदस्यों को सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने और ऑन लाइन नोटिस भेजने से उन्हें ही सुविधा होगी। उन्होंने सदस्यों को सदन में विलंब से आने और कार्यवाही के दौरान सदन से बाहर जाने के दौरान शांति बनाए रखने की अपील की।
24July-2018

ट्रेनों में होगा हाइब्रिड टॉयलेट सिस्टम



बायो-टॉयलेट्स में फिट होंगी वैक्यूम वाली फ्लश यूनिट  
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भारतीय रेलवे द्वारा ट्रेनों के सवारी कोचों में लगाए जा रहे बायो टॉयलेट लगाने के कार्य को मार्च 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा। रेलवे की बायो-टॉयलेट में वैक्यूम वाली फ्लश यूनिट फिट करके हाइब्रिड टॉयलेट सिस्टम लागू करने की योजना है।
रेल मंत्रालय के अनुसार रेलवे ने ट्रेनों के सवारी कोचों में तेजी के साथ लगाए जा रहे बायो टॉयलेट वाले मौजूदा शौचालयों में वैक्यूम टॉयलेट की यूनिट फिट करके इस टॉयलेट सिस्टम को हाइब्रिड बनाने की योजना बनाई जा रही है। ऐसी जानकारी पिछले सप्ताह तीन दिन पहले राज्यसभा में इस संबन्ध में उठाए गये सवालों के जवाब में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने देते हुए साफ कहा था कि रेलवे में बायो टॉयलेट को वैक्यूम बायो टॉयलेट में तब्दील करने के बजाय रैट्रोफिटिंग के जरिए हाइब्रिड सिस्टम के रूप में बदलाव किया जा रहा है। इस प्रणाली को लागू करने के लिए ट्रेनों के सवारी डिब्बों में लगाए जा रहे बायो टॉयलेट सिस्टम में मानव अपशिष्ट को इकट्ठा करने के लिए प्रत्येक टॉयलेट के नीचे एक बायो-डायजेस्ट कर टैंक फिट किया जा रहा है। रेलवे के अनुसार इन बायो टैंक में सेल्फ सस्टेनिंग एरोबिक बैक्टीरिया डाले जाते हैं, जो मानव अपशिष्ट को डाइजेस्ट करते हैं और इस अपशिष्टप को पानी और बायो गैस (मुख्यतः मीथेन सीएच4 और कार्बन डाइऑक्साइड सीओ2) में बदल देते हैं। गैसें वातावरण में समा जाती हैं और गंदे पानी को रोगाणुमुक्त् करने के बाद बहा दिया जाता है। इस प्रकार मानव अपशिष्ट रेल पटरियों पर नहीं गिरता है। इससे रेलपथों और रेलवे स्टेशन परिसरों की स्वच्छता को भी बनाए रखा जा सकेगा। मसलन हवाई जहाजों में लागू टॉयलेट् सिस्टम की तर्ज पर रेलवे की टॉयलेट सिस्टम को भी हाइब्रिड किया जाएगा। इस सिस्टम को लागू करने का मकसद फ्लशिंग सिस्टम में उपयोग किए जा रहे पानी और अन्य संसाधनों की खपत में कमी लाने के अलावा सबसे महत्वपूर्ण स्वच्छता का वातावरण तैयार करना है। इस सिटस्टम के तहत प्रत्येक उपकरण एक विशिष्ट और अर्थपूर्ण कार्य करेगा, जिसके कारण इस हाईब्रिड टॉयलेट सिस्टम में सवारी डिब्बों के शौचालयों में फिट किए गए बायो-डायजेस्टर, ऑन-बोर्ड डाइजेशन से पहले और अपशिष्ट पदार्थ के निपटान के बाद तक लगातार काम करते रहेंगे। रेलवे के अनुसार रेलवे टॉयलेट का यह हाइब्रिड सिस्टम सभी श्रेणी की ट्रेनों में लागू होगा। 
23July-2018