बुधवार, 26 मई 2021

बच्चों को कोरोना से सुरक्षित करने पर गंभीर प्रशासन

बाल देखरेख संस्थानों को दिये बच्चों की जांच कराने के आदेश हरिभूमि न्यूज.रोहतक। कोरोना महामारी के मद्देनजर बाल देखरेख संस्थानों में रह रहे बच्चों को कोरोना महामारी से बचाव के लिए उपायों एवं सुरक्षा को लेकर विचार-विमर्श किया गया। इसके लिए बच्चों की जांच कराने के आदेश दिये गये हैं जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने शुक्रवार को बच्चों की सुरक्षा हेतू कोविड-19 महामारी से बचाव हेतू किए जा रहे उपायों एवं सुविधाओं हेतू अधिकारियों की एक बैठक ली। इस बैठक में बाल देखरेख संस्थानों में रह रहे बच्चों को कोरोना महामारी से बचाव के लिए उपायों एवं सुरक्षा को लेकर विचार-विमर्श के बाद सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गये कि सभी बच्चों को मास्क, सेनेटाइजर भी समय-समय पर वितरित किए जाए। उपायुक्त ने सभी बच्चों की कोविड जांच करवाने के लिए भी आदेश दिये। इस संबन्ध में सीएमओ को निर्देश दिए गये कि वह तत्काल प्रभाव से सभी बच्चों की कोरोना जांच करना सुनिश्चित करें। उन्होंने महिला आश्रम व आगंनवाडीयों में पर्याप्त राशन पहुचानें के निर्देश जिला कार्यक्रम अधिकारी को दिए ताकि किसी भी परिवार को कोई परेशानी न हो। ---------- जिले के तीन केंद्रों में 70 बच्चे------------ बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी बिमलेश कुमारी ने कहा कि जिले में कुल तीन बाल देखरेख संस्थाएं जगन्नाथ आश्रम, बाल भवन, चौ. लखीराम आर्य जगन्नाथ आश्रम व जन सेवा संस्थान कार्य कर रही हैं। इन तीनों संस्थाओं में कुल 70 बच्चे रह रहे हैं, जिनमें से 7 लडकियां 18 से कम उम्र की जगन्नाथ आश्रम बाल भवन में रह रही हैं। प्रत्येक संस्थान का साप्ताहिक निरीक्षण अधिकारियो की ओर से किया जाता है। यदि कोई बच्चा कोरोना से संक्रमित पाया जाता है तो उसके लिए सभी संस्थाओं में पूर्ण तैयारी कर ली गई है। जिसके तहत हर संस्थान में एक कोविड वार्ड तैयार किया गया है। जिसमें बच्चों की संख्या के अनुसार बेड लगाए गए है और उनमें रोशनी एवं पंखों की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई हैं। यदि किसी भी बच्चे को जिसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है वह चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर फोन करके अपनी सुरक्षा की मांग कर सकता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि संस्थाओं में विभाग की ओर से भेजी जा रही प्रचार सामग्री को भी सही समय पर संस्थाओं में भेजकर बच्चों को जागरूक किया जाए।इस दौरान सीडब्ल्यूसी की चेयरपर्सन आशा, बाल भवन की अधीक्षक शीला, सरंक्षण अधिकारी पूनम एवं बाल भवन से जिला बाल कल्याण अधिकारी सोमदत उपस्थित थे। 15May-2021

कोरोना नियंत्रण में टी-थ्री पॉलिसी पर सख्त प्रशासन

स्वास्थ्य जांच प्रकिया की निगरानी करेगी समिति हरिभूमि न्यूज.रोहतक। जिला में कोरोना संक्रमण को रोकने की दिशा में कोविड प्रबंधन को दुरस्त बनाए रखने की दिशा में जिला प्रशासन लगातार एक्शन मोड पर है। मसलन जिला प्रशासन ने जहां आम लोगों की स्वस्थ्य एवं कोरोना लक्षणों की जांच प्रक्रिया में टी-थ्री पॉलिसी की अनिवार्यता को सुनिश्चित करने के लिए उनकी निगरानी के लिए समितियों का गठन किया है। उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने कोविड परिदृश्य के मद्देनजर कोरोना लक्षणों की जांच में अनिवार्य किये गये टी-थ्री पॉलिसी अर्थात टॉक, टेस्ट एवं ट्रीट अपनाने की दिशा में एक और सख्त कदम उठाया है। इसके लिए उपायुक्त ने बुधवार को हरियाणा विलेजिज जनरल हैल्थ चैकअप स्कीम के क्रियान्वयन के लिए गठित समिति में जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है, जबकि सिविल सर्जन समिति के सदस्य सचिव होंगे। यह समिति योजना के प्रावधान के अनुसार कार्य करके 12 घंटों में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। रोहतक, महम व सांपला के उपमंडलाधीश तथा जिला में तैनात सभी खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी इस योजना के क्रियान्वयन की निगरानी करेंगे। उपायुक्त ने कहा कि कि इस समिति का गठन करने का उद्देश्य यह है कि वर्तमान में केवल कोविड महामारी की जांच करना ही काफी नहीं होगा, बल्कि सभी ग्रामवासियों की सामान्य जांच करनी होगी। दानदाताओं से संपर्क करेगी समिति जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने जिला राजस्व अधिकारी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति गठित करने के आदेश जारी किये है। यह समिति कोविड-19 के दौरान विभिन्न राहत सामग्री, पल्स ऑक्सीमीटर एवं कोविड दवाईयां खरीदने के लिए दान देने वाली संस्थाओं और व्यक्तियों से सम्पर्क करेगी, ताकि टी-थ्री पोलिसी को अनिवार्य किया जा सके। उपायुक्त द्वारा गठित समिति में जिला उद्योग केंद्र के संयुक्त निदेशक सदस्य सचिव, जिला रैडक्रास सोसायटी के सचिव तथा उप सिविल सर्जन समिति के सदस्य होंगे। दान में प्राप्त होने वाली राशि को जिला रैडक्रास सोसायटी द्वारा संचालित जिला कल्याण सोसायटी के खाते में जमा किया जायेगा। कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए दान में आने वाली राशि का कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए कोविड दवाईयां, पल्स ऑक्सीमीटर तथा अन्य आवश्यक राहत सामग्री खरीदने में इस्तेमाल किया जाएगा। 13May-2021

अब खाद्य पदार्थो के दामों से ज्यादा वसूलने वालों की खैर नहीं!

जिला प्रशासन ने आवश्यक पदार्थों के निर्धारित की दरें हरिभूमि न्यूज.रोहतक। जिला में कोरोना काल के इस संकट में आवश्यक खाद्य पदार्थो की निर्धारित दरों से ज्यादा वसूलने या तौल घटती करने वाले दुकानदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जिला प्रशासन ने खासतौर से कम से कम 22 खाद्य पदार्थो के दामों को निर्धारित करने के आदेश जारी किये हैं। जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने कोरोना महामारी के मद्देनजर जनहित में आवश्यक खाद्य पदार्थों की दरे निर्धारित करने के आदेश जारी किये हैं। इन जारी आदेशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की जायेगी। मसलन यदि कोई कोई दुकानदार उपभोक्ता से किसी वस्तु की निर्धारित दरों से अधिक दरें वसूलता है या किसी वस्तु का वजन कम देता है, तो उपभोक्ता की शिकायत मिलने पर उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इसके लिए जारी आदेशों के तहत रोहतक के सहायक खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी के मोबाइल नम्बर 9992328482, महम के सहायक खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी के नम्बर 9992674548 तथा रोहतक के विधिक मापतौल विभाग के निरीक्षक के मोबाइल नम्बर 8837786243 पर अपनी शिकायत की जा सकती है। जिला में आवश्यक खाद्य पदार्थो की निर्धारित दरें इस प्रकार हैं:- खाद्य वस्तु का नाम थोक रेट परचून रेट रू. प्रति क्विंटल/लीटर प्रति किलोग्राम/लीटर चावल (परमल)- 2850 रुपये 30-32 रुपये गेंहू (पीबीडब्ल्यू-343) 2000 रुपये 21-22 रुपये गेंहू का आटा(खुला) 2200-2300 रुपये 23-25 रुपये चना दाल (सूखा) 6800 रुपये 70-72 रुपये मूंग साबुत 8500-10000 रुपये 90-102 रुपये उड़द दाल 9000-10000 रुपये 95-102 रुपये तुर/अरहर दाल 9500-10500 रुपये 100-107 रुपये मसूर साबुत(खजाना) 8000-8500 रुपये 85-90 रुपये चीनी (एम-30) 3700 रुपये 38-39 रुपये मूंगफली तेल(गिनी) 2700 रुपये 180 रुपये सोया तेल (गिनी) 2325 रुपये 155 रुपये सरसों तेल (शहनाई) 2200-2300 रुपये 155-160 रुपये सूरजमुखी तेल(फोच्र्यून) 2450-2500 रुपये 163-167 रुपये वनस्पति (गगन) 1950-2000 रुपये 133-135 रुपये पाम ऑयल (गिनी) 2000 रुपये 130 रुपये चाय (खुली) 26000-30000 रुपये 280-310 रुपये आलू (स्थानीय) 1200-1400 रुपये 14-16 रुपये टमाटर (देशी) 1400-1600 रुपये 15-17 रुपये प्याज (स्थानीय) 1600-1700 रुपये 17-20 रुपये नमक (आयोडिन पैक्ड) 1800-1900 रुपये 20 रुपये गुड़ (देशी) 3600-3700 रुपये 38-39 रुपये दूध (वीटा) 5400 रुपये 56 रुपये ----------------------------------------------------- 12May-2021

बच्चों के सपनों को पंख लगाएगी बाल कल्याण परिषद

17 मई से शुरू होगा राज्य बाल कल्याण परिषद का ऑनलाइन शिविर हरिभूमि न्यूज.रोहतक। हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद प्रदेश में बाल कल्याण की दिशा में जल्द ही एक ऑनलाइन ग्रीष्मकालीन शिविर आयोजित कर रही है, जिसमें कोरोना महामारी के संकट के दौर में अपने घरो में कैद बच्चों को एक ऐसा मंच मिलेगा, जिसमें बच्चे अकेलापन महसूस करने के बजाए अपने सपनों को नया आयाम दे सकेंगे। परिषद के मानद महासचिव प्रवीण अत्री ने सभी मंडल बाल कल्याण अधिकारियों और जिला बाल कल्याण अधिकारियों की ऑनलाइन मीटिंग में सभी अधिकारियों से सुझाव लिए और सभी अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। प्रदेश में कोरोना संकट के दौरान जब हर कोई अपने घरों में रहने को मजबूर है और बच्चे घरों में अकेलापन महसूस कर रहे हैं। ऐसे में हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद बाल कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए बच्चों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से बड़ा मंच प्रदान करने का निर्णय लिया है। इस बैठक में 17 मई से 6 जून के बीच ऑनलाइन ग्रीष्मकालीन शिविर 2021 का आयोजन करने की कार्ययोजना पर चर्चा हुई। परिषद के मानद महासचिव प्रवीण अत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण परिषद द्वारा आयोजित किया जा रहा ग्रीष्मकालीन शिविर 2021 का आयोजन ऑनलाइन होगा। इसके माध्यम से विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ बच्चों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाएगा और सप्ताहांत में उन्हीं विषयों को लेकर बच्चों की विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। उन्होंने कहा कि इस दौरान बच्चों को विभिन्न प्रतियोगिताओं के साथ साथ शारीरिक रूप से मजबूती के लिए ऑनलाइन माध्यम के द्वारा ही सूर्य नमस्कार का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा और प्रतियोगिता भी करवाई जाएगी। इसीलिए ऑनलाइन प्रतियोगिताओं के माध्यम से बच्चे अपनी प्रतिभा को निखार सकेंगे और उन्हें परिषद ऑनलाइन माध्यम से बच्चों के सपनों को उड़ान देने के लिए बड़ा मंच प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि परिषद संकट की इस स्थिति के दौरान स्लम बस्तियों में सेफ्टी किट वितरित करेगी और लोगों को कोरोना महामारी से बचाव के लिए जागरूक करेगी। उन्होंने कहा कि परिषद का उद्देश्य बाल कल्याण के कार्य व गतिविधियों को प्रदेश के हर उस बच्चे तक पहुंचाना है, जिसमें प्रतिभा है लेकिन वह संसाधनों के अभाव में अपनी प्रतिभा नहीं दिखा पाता। मसलन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए बच्चे विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से घर बैठे अपने प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकेंगे। ऑनलाइन ग्रीष्मकालीन शिविर में विशेषज्ञ बच्चों को कोविड-19 में सकारात्मक विचारों की जागरूकता, कोविड-19 वैक्सीन लगवाने की जागरूकता, कोरोना वॉरियर्स का सम्मान बढ़ाने वाले जागरूकता समेत अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर प्रशिक्षित करेंगे और प्रशिक्षण उपरांत बच्चे विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग ले सकेंगे। इन प्रतियोगिताओं में पेंटिंग, स्केचिंग, एकल लोकगीत, एकल लोक नृत्य, एकल देशभक्ति गीत ब्लॉग व अन्य गतिविधियों के माध्यम से बच्चे ऑनलाइन अपनी प्रस्तुतियां परिषद द्वारा जारी पोर्टल लिंक summervacationcamp.in पर अपलोड की जा सकेंगी, जोकि परिषद की वेबसाइट www.childwelfareharyana.com पर उपलब्ध रहेगा। 12May-2021

मंडे स्पेशल: लॉकडाउन के बावजूद सामने आया मौतों मंजर

एक सप्ताह में संक्रमण से हुई मौतों ने बीते अप्रैल माह को पछाड़ा प्रदेश के हरेक गांव तक संक्रमण की दस्तक से बने भयावह हालात ओ.पी. पाल. रोहतक। प्रदेश में कोरोना संक्रमण की नई लहर ने बीते अप्रैल माह की तुलना में मई के एक हफ्ते में ही कहीं अधिक मौतों का मंजर दिखाते हुए भयावह हालात पैदा कर दिये हैं। लॉकडाउन लागू होने के बावजूद संक्रमण का प्रदेश पर मजबूत होता शिकंजा शायद आमजन की लापरवाही का परिणाम हो सकता है। मसलन पिछले साल राष्ट्रीय लॉकडाउन और आम आदमी की सतर्कता के चलते जहां संक्रमण की रफ्तार कुछ कम थी, लेकिन इस साल अप्रैल माह से कहीं ज्यादा मई माह में लापरवाही के चलते संक्रमण ने प्रदेश को अपने शिकंजे में जकड़ लिया है। हरियाणा में पिछले साल पहला कोरोना केस 17 मार्च को आया था और कोरोना संक्रमण से पहली मौत दो अप्रैल को हुई थी। पिछले साल के मुकाबले इस साल अब तक कोरोना संक्रमण के मामलों के साथ होने वाली मौतों की संख्या में हजारों गुणा इजाफा हो चुका है। चिंताजनक बात ये है कि प्रदेश में शायद ही कोई ऐसा गांव होगा, जहां कोरोना संक्रमण का केस सामने न आया हो। हरियाणा में कोरोना संक्रमण की लगातार बढ़ती रफ्तार के कारण लॉकडाउन लागू है, लेकिन पिछले साल के मुकाबले इस बार लॉकडाउन में वह सख्ती कहीं तक नजर नहीं आ रही है। शायद यही कारण है कि आमजन संक्रमण के प्रति सतर्क होने के बजाए लापरवाही बरत रहे है, जिसका कारण पिछले साल के मुकाबले इस साल अप्रैल-मई में कोरोना के दैनिक मामलों और मौतों में तीन से चार अंक गुणा बढ़ोतरी सामने आ रही है। शहरी क्षेत्र के साथ प्रदेश के ग्रामीण इलाकों तक पहुंची कोरोना संक्रमण की आंच ने चिंता को बढ़ा दिया है। रोहतक के टिटौली और भिवानी जिले के मुंढाल खुर्द, मुंढाल कला व पड़ोसी गांव में एक सप्ताह 30 लोगों और रोहतक के टिटौली गांव में करीब 40 ग्रामीणों की कोरोना से मौत ने भय का माहौल पैदा कर दिया। ------------- अप्रैल महीने पर भारी मई का पहला हफ्ता ----------- बीते साल अप्रैल तक जहां कोरोना के केवल 319 मामले आए और तीन लोगों की मौत हुई थी। वहीं इस साल अप्रैल में 1.97 लाख 178 मामले सामने और और 1061 लोगों को कोरोना संक्रमण की वजह से अपनी जान गंवानी पड़ी। जहां तक पिछले साल मई के पहले एक सप्ताह में कोरोना 286 संक्रमित आए और छह लोगों की मौत हुई थी, वहीं इस साल मई के पहले सप्ताह में 99,704 संक्रमण के मामले और 1,083 लोगों की मौत हुई यानि हर दिन औसतन 155 लोगों की मौत हो रही है। जबकि पिछले माह अप्रैल में रोजना का औसत 35 मौत का था। पिछले माह की तुलना में मई में अब तक दैनिक कोरोना मामलों में भी दोगुणा से ज्यादा बढ़ोतरी देखी जा रही है। ------ इस साल अप्रैल का कहर ------- प्रदेश में पिछले एक अप्रैल तक 29 मामले थे और एक भी मौत का मामला सामने नहीं आया था। 15 अप्रैल को यह संक्रमितों की संख्या बढ़कर 190 होने के साथ दो लोगों की मौत सामने आई थी। जबकि 30 अप्रैल को प्रदेशभर में 343 संक्रमित और 03 मौतों का आंकड़ा सामने आया था। इसके मुकाबले प्रदेश में इस साल एक अप्रैल संक्रमितों की संख्या 2,92,409 तक पहुंच गई और मौतों का आंकड़ा 3,164 तक पहुंच चुका था, जो बढ़कर 30 अप्रैल को तेजी से बढ़कर 487978 संक्रमितों और 4216 मौतों तक जा पहुंचा। -------------- प्रदेश में अब तक 5605 मौतें -------------- प्रदेश में आज रविवार को 13,548 नए मामलों के बाद कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या 6,15,897 हो गई है। जबकि कोरोना से रविवार को मौत का शिकार हुए 151 लोगों की मौत के बाद प्रदेश में यह आंकड़ा बढ़कर 5,605 हो गया है। पिछले 24 घंटे में 12,639 मरीजों के ठीक होने के बाद प्रदेश में कोरोना को मात देने वालों की संख्या बढ़कर 4,93,425 हो गई है। जबकि 758 सक्रीय मरीज आने के बाद उनकी संख्या 1,16,867 पहुंच गई है। प्रदेश में अब तक 1223 मरीज ऑक्सीजन और 272 मरीज वेंटिलेटर के सहारे सांसे गिन रहे हैं। वहीं प्रदेश में अब तक 43,60,128 ने कोरोना बचाव के लिए कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण कराया है। ________________________________________________________________ पिछले साल अप्रैल-मई की तुलना में इस साल के अप्रैल-मई का कहर कोरोना संक्रमण मई 2021(सात दिन)- मई2020(सात दिन) अप्रैल 2021 अप्रैल 2020 कोराना मामले 99,704 286 1,97,178 314 मौतें 1,083 06 1,061 03 ---------------------------------------------------------------------------------- मई 2020 के पहले सप्ताह में कोरोना संक्रमण दिनांक नए मरीज मौतें 01 मई- 19 0 02 मई- 40 02 03 मई- 50 01 04 मई- 78 01 05 मई- 22 00 06 मई- 44 01 07 मई- 32 01 ----------------- कुल 286 06 -------------------------- मई 2021 के पहले सप्ताह में कोरोना संक्रमण दिनांक नए मरीज मौतें 01 मई 13,588 125 02 मई 13,322 145 03 मई 12,885 140 04 मई 15,786 153 05 मई 15416 181 06 मई 14,840 177 06 मई 14,840 177 07 मई 13,867 162 ------------------------ कुल-99,704 1,083 --------------------------------- नोट: मई 2021 के पहले सप्ताह में औसतन प्रतिदिन 14,244 कोरोना मामले आए और मौतें हुई - --------------------------------------- मई का पहला सप्ताह बनाम अप्रैल के 30 दिल ------------- -कोरोना संक्रमण मई(सात दिन) अप्रैल(30 दिन) - कुल मामले 99,704 1,97,178 -कुल मौतें 1,083 1061 -ठीक हुए कुल मामले 80,220 108281 -कुल सक्रीय मरीज 18,401 87,836 -नए मामले प्रतिदिन 14,244 6,573 - प्रतिदिन औसतन मौत 155 35 -प्रतिदिन ठीक हुए मरीज 1,460 3,609 -औसतन प्रतिदिन सक्रीय 2,629 2,928 -------------------- 11May-2021

अब होम आईसेलेट मरीजों की होगी निगरानी

बीडीपीओ को समितियां व उप समितियां गठित करने के आदेश कोरोना प्रोटोकॉल के पालन का सर्वेक्षण करने के निर्देश एचसीएस अधिकारी दीपक कुमार होंगे नोडल अधिकारी नियुक्त हरिभूमि न्यूज.रोहतक। कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए जिला प्रशासन ने पूरी तरह से कमर कस ली है, जिसमें घरों में आईसोलेट कोरोना संक्रमित मरीजों की निगरानी के लिए समितयों और उप समितियों का गठन किया जा रहा है, जो होम आईसोलेट मरीजों का सर्वेक्षण करेंगी कि वे घरों में एकांतवास में रहकर कोविड प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं या नहीं। इसके लिये तैयार की गई योजना में एचसीएस अधिकारी दीपक कुमार को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। जिला में कोरोना पॉजिटिव केसों की संख्या बढ़ रही है, जिन्हें नियंत्रण करने के लिए घरों में ऐसे मरीजों की निगरानी करने के लिए समितियां और उप समितियों के जरिए सर्वेक्षण करने का फैसला किया गया है। इसके लिए रोहतक जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में हरियाणा महामारी अधिनियम, कोविड-19 रेगुलेशन 2020, वैश्विक महामारी अधिनियम 1897 एवं आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत प्राप्त शक्तियों का उपयोग करते हुए जिला के सभी खंड विकास एवं पंचायत अधिकारियों को आदेश दिये जारी किये है, कि वे घरों में आईसोलेट कोविड पॉजिटिव मरीजों के सर्वेक्षण के लिए समितियां एवं उप-समितियां गठित करें। इन आदेशों के तहत संबंधित उपमंडलाधीश द्वारा अपने क्षेत्रों में इस सर्वेक्षण को सम्पूर्ण करवाया जायेगा। इसमें जिला राजस्व अधिकारी, सिविल सर्जन अथवा उनका प्रतिनिधि, जिला आयुर्वेद अधिकारी तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी उन्हें इस कार्य में मदद करेंगे। -----जिले में 90 फीसदी मरीज होम आईसोलेट----- जिला में आईसोलेट करीब 90 प्रतिशत मरीज संक्रमण मुक्त हो रहे है। इस ऐसे मरीज घरों में एकांतवास में रहकर कोविड प्रोटोकॉल का पालन कर रहे है या नहीं इसके लिए सर्वेक्षण करने के लिए उनकी निगरानी की जाएगगी। इसमें जिला प्रशासन के लिए हर व्यक्ति का जीवन महत्वपूर्ण है, इसलिए घरों में एकांतवास में इलाज ले रहे कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों के स्वास्थ्य की निगरानी जरूरी है। कोविड-19 का परिदृश्य में बदलाव हुआ है तथा अब बड़े शहरों की बजाय ग्रामीण क्षेत्र से ज्यादा मरीज सामने आ रहे है। इसलिए मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए ऐसी योजना तैयार की गई है। ---फोन पर लेंगे मरीजों के स्वास्थ्य की जानकारी---- जिलाधीश कैप्टन मनोज कुमार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि जिला प्रशासन द्वारा स्थापित किये गये नियंत्रण कक्ष के माध्यम से एचसीएस अधिकारी दीपक कुमार (99136-00097) घरों में आईसोलेट पॉजिटिव मरीजों से फोन के माध्यम से उनके स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए ओवर ऑल इंचार्ज होंगे। डीआईओ द्वारा कॉलिंग सिस्टम सेटअप किया जायेगा तथा इलैक्ट्रोनिक उपकरण उपलब्ध करवाये जायेंगे। जिला खेल एवं युवा कार्यक्रम अधिकारी द्वारा इस कार्य के लिए नेहरू युवा केंद्र के वॉलंटियर्स की सूची सौंपी जायेगी तथा प्रशिक्षण में मदद करेंगे। सिविल सर्जन द्वारा कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों की सूची उपलब्ध करवाई जायेगी। यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू हो गये है तथा इन आदेशों की उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धाराओं 51 से 60 के तहत सख्त कार्रवाई की जायेगी। 11May92021

आजकल: चुनावी नतीजों का राष्ट्रीय राजनीति पर नहीं पड़ेगा असर

------डा. संजय कुमार---- देश में पश्चिम बंगाल समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों ने देश के क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के लिए भविष्य की राष्ट्रीय राजनीति में नई उम्मीद जगी है। लेकिन इन राज्यों के इन चुनावी नतीजों का राष्ट्रीय राजनीति पर कोई भी सीधा असर पड़ने वाला नहीं है। इसकी मुख्य वजह यही है कि विधानसभा चुनाव राज्य और स्थानीय स्तर के मुद्दों पर लड़ा जाता है और क्षेत्रीय दलों का प्रभाव अपने अपने राज्यों तक ही सीमित है, जिनमें राष्ट्रीय नेतृत्व का अभाव है। दूसरा बड़ा कारण यह भी है कि देश का राजनीतिक इतिहास इस बात का गवाह है कि तीसरा मोर्चा खड़ा करने के नाम पर विपक्षी दलों का एकजुट होने की दूर तक संभावनाएं नजर नहीं आती। यह इसलिए भी मुश्किल डगर है कि क्षेत्रीय दलों की एकजुटता में राष्ट्रीय स्तर के नेतृत्व को लेकर आम सहमति नहीं बन पाती है, क्योंसभी क्षत्रपों में अपने दलों का नेतृत्व कर रहे सभी नेता राष्ट्रीय नेतृत्व की अपेक्षा रखते हैं। इसके विपरीत यदि एक या दो राज्यों में कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन और उसकी जीत सामने आती तो राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में परिवर्तन की उम्मीद की जा सकती थी, लेकिन इन चुनावों में कांग्रेस का खराब प्रदर्शन मनोबल गिरता नजर आ रहा है। इसलिए पांचों राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद विपक्षी दलों की राष्ट्रीय राजनीति में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को पीएम मोदी का विकल्प बनाने की उम्मीदों को जगाने वाली व्यापक रूप से चर्चा इसलिए बेमाने है, क्योंकि देश का नेतृत्व करने के लिए कार्यकर्ताओं की एक मजबूत टीम का होना जरूरी है। यदि ममता बनर्जी की ही बात की जाए तो वह बंगाल में तो मजबूत और लोकप्रिय है, लेकिन बंगाल से ही लगे हुए राज्य झारखंड और बिहार में ममता की कोई लोकप्रियता नहीं है। वैसे भी राष्ट्रीय स्तर की राजनीति संख्याबल के आधार पर आंकी जाती है, जिसमें किसी भी क्षेत्रीय दल की संख्या 30-40 तक भी नहीं है, जबकि कम से कम 70-80 होनी चाहिए। इसलिए राज्यों में सत्ता संभाल रहे किसी भी क्षेत्रीय दल की लोकसभा में 20-22 से ज्यादा नहीं है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पीएम मोदी का विकल्प बन सकती थी, लेकिन उसका राज्य विधानसभा चुनाव में लगातार प्रदर्शन खराब हो रहा है। राष्ट्रीय स्तर की राजनीति पर इन चुनावी नतीजों का असर इसलिए भी पड़ने वाला है कि यदि पश्चिम बंगाल के चुनाव नतीजों की बात की जाए तो उसमें भाजपा ने जो अपेक्षा की थी, उसकी तुलना में उसका प्रदर्शन खराब रहा। इसके बावजूद भाजपा का जो प्रदर्शन रहा उसमें उसने 2016 में तीन सीटों को बढ़ाकर 77 तक प्रमुख विपक्षी दल का दर्जा हासिल कर लिया। यही नहीं बंगाल के इस प्रदर्शन के सहारे भाजपा राज्यसभा में भी मजबूत होगी। जबकि तृणमूल कांग्रेस का नेतृत्व ममता बनर्जी कर रही थी, जिनका असर अपने राज्य तक ही सीमित है। टीएमसी के बेहतर प्रदर्शन के सहारे यह कहना कि वे राष्ट्रीय नेतृत्व करके पीएम मोदी को भविष्य में चुनौती देंगी, ऐसा कतई संभव नहीं है। इसी प्रकार तमिलनाडु, केरल, पुडूचेरी में जो दल बहुमत में आए उनका अपने राज्य में प्रभाव रहा। असम में चूंकि पहले से ही भाजपा की सत्ता थी, तो राज्यस्तर के मुद्दों में उसे ही दोबारा बहुमत मिला है। इसलिए राष्ट्रीय राजनीति में विपक्षी दलों को केवल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजों को आधार बनाकर गैर भाजपा गठबंधन की उम्मीद करने का कोई औचित्य नहीं है। --------- राष्ट्रीय दलों के सामने चुनौती--- पांच राज्यों के चुनावी नतीजों ने खासतौर से पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल को लेकर नई राजनीतिक तस्वीर पेश की है, जो क्षेत्रीय दलों की भाषा, कार्यकलाप और ढांचा राष्ट्रीय दरलों के लिए चुनौतीपूर्ण है। इससे आने वाले समय में राष्ट्रीय स्तर पर नया समीकरण बनेगा, जो क्षेत्रीय दलों के लिए नई उम्मीद दर्शाता है। इन चुनावी नतीजों ने उन अटकलों को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा जा रहा था कि क्षेत्रीय दलों की राजनीति खत्म हो रही है, लेकिन इन चुनावी नतीजों से ऐसा नहीं लगता, बल्कि राष्ट्रीय दलों के लिए क्षेत्रीय दल चुनौती साबित होंगे। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, पुडूचेरी और असम के चुनावों में भाजपा खासकर पश्चिम बंगाल में अपनी पूरी ताकत झोंकने के बावजूद तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी को दूर तक भी नही पछाड़ सकी। भाजपा की इसी रणनीति के फोकस के कारण भविष्य में उसके सामने चुनौती खड़ी हो सकती है। मसलन यदि इस कोरोनाकाल में मोदी सरकार चिकित्सा सुविधाओं की बेहतर व्यवस्था भी कर देती तो भविष्य की राजनीतिक माहौल उसके पक्ष में जा सकता था। लेकिन इसके विपरीत ऐसा लग रहा है कि राष्ट्रीय राजनीति में भविष्य यह रणनीति उसके विरोध में जाती नजर आ रही है। इसलिए तमाम विपक्षी दलों को ताकत मिली है, जो राष्ट्रीय स्तरी की राजनीति का नया समीकरण का सबब बनेगी। राज्यों में ऐसे चुनावी नतीजों से क्षेत्रीय दलों के ताकतवर होने से इंकार नहीं किया जा सकता, तो भाजपा के सामने नई चुनौती खड़ा होना स्वाभाविक है। -प्रो. विवेक कुमार, जेएनयू -(ओ.पी.पाल से बातचीत पर आधारित) 09May-2021

रोहतक में लगेगा बड़ा ऑक्सीजन प्लांट

ईलाज व जांच के नाम पर मनमानी वसूली करने वालों पर कसेगा शिकंजा हरिभूमि न्यूज.रोहतक। कोरोना महामारी से निपटने के लिए जिला प्रशासन लगातार बेहतर प्रबंधों को अंजाम देने में जुटा है, जिसमें खासकर ऑक्सीजन की समस्या के समाधान करने का रोहतक के सांसद अरविंद शर्मा ने ऐलान किया है कि रोहतक में जल्द ही ऑक्सीजन का बड़ा प्लांट लगाया जा रहा है, जिससे जल्द ही लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। सांसद अरविंद शर्मा ने शुक्रवार को यह ऐलान यहां कोरोना महामारी के निपटने के लिए प्रशासन द्वारा किये गए प्रबंधों को लेकर वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए समीक्षा बैठक में की। उन्होंने अधिकारियों को बताया कि ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए जल्द ही रोहतक में ऑक्सीजन का बड़ा प्लांट लगाया जाएगा, ताकि भविष्य में इस तरह की कमी न रहें। इस प्लांट का जल्द ही इसका लाभ मिलना शुरु हो जाएगा। वहीं सांसद अरविंद शर्मा ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि ईलाज के नाम पर निर्धारित रेटों के अलावा अधिक रुपये वसूलने वालों के खिलाफ कड़ी कारवाई की जाएगी और निजी लैबों पर भी प्रशासन की नजर है। अगर इस संबंध में शिकायत मिली तो तुरंत कारवाई होगी। सांसद ने कहा कि कोरोना प्रबंधन में आ रही समस्याओं को लेकर वह मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से लगातार संपर्क में है। शर्मा ने कहा कि घरों में आईसोलेट मरीजों को ऑक्सीजन मुहैया करवाने के लिए प्रशासन जुटा हुआ है ओर जल्द ही लोगों को राहत वाली खबर मिलेगी। हालांकि एक-एक मरीज की जान बचाने के लिए पूरा प्रशासन दिन-रात लगा हुआ है और सांसद ने रोहतक उपायुक्त व ईलाज में जुटे डाक्टरों की भी सराहना की। रोहतक में जिला प्रशासन के साथ समीक्षा बैठक में रोहतक के विधायक भारत भूषण बतरा, मेयर मनमोहन गोयल, उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार, सीएमओ अनिल बिराल सहित कई अधिकारियों ने हिस्सा लिया और कोरोना महामारी को रोकने के लिए अपने-अपने सुझाव दिये। --------हैल्प लाइन नंबर काल को नजरअंदाज न करें अधिकार-----------ी सांसद अरविंद शर्मा ने समीक्षा बैठक के दौरान कहा कि लोगों की मद्द के लिए जो भी हैल्प नंबर जारी किये गए है, उनका अनदेखा न किया जाए और हैल्प नंबर नंबर पर अधिकारी ह संभव मदद करें। महामारी का समय है, प्रत्येक अधिकारी व कर्मचारी का फर्ज बनता है कि सहयोग करें। सांसद ने लोगों से अपील की गांव में बढ़ रहे कोरोना के मामले को देखते हुए सरकार की हिदायतों का पालन सुनिश्चित करें। ----------हर वार्ड में सेनेटाइजेशन करने का सुझाव---------- विधायक भारत भूषण बतरा ने सुझाव देते हुए कहा कि जरूरतमंद मरीजों को अगर घर पर ऑक्सीजन उपलब्ध करवा दी जाए तो अस्पतालों पर दबाव कम किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि समाजसेवी संस्थाएं ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध करवाए तो सिविल सर्जन के माध्यम से उन्हें घरों पर जरूरतमंद लोगों को दिया जा सकता है। विधायक बत्रा ने पार्षदों के माध्यम से हर वार्ड में युद्ध स्तर पर सैनिटाइजेशन का कार्य करने का सुझाव भी दिया। उन्होंने महामारी से बचाव के लिए चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान के बारे में भी सुझाव दिया। वहीं मेयर मनमोहन गोयल ने सुझाव देते हुए कहा कि गांव पर भी ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हर जरूरतमंद व मरीज को ऑक्सीजन मिलनी चाहिए। ---------नियंत्रण में है महामारी: उपायुक्त---------- जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने कहा कि राहत की बात यह है कि पिछले कुछ दिनों में मृत्यु व पॉजिटिविटी मामलों में कमी आई है। उन्होंने कहा कि वे स्वयं जिले का दौरा कर रहे हैं और सामने आया है कि 80 से 90 लोग मास्किंग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि लोगों को उनके घर द्वार पर ऑक्सीजन उपलब्ध करवाई जाए। उपायुक्त ने कहा कि फोन सुनने के लिए जिला प्रशासन ने दो अधिकारियों की तैनाती कर दी है। उन्होंने कहा कि स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है। ऑक्सीजन का वितरण पारदर्शी तरीके से हो रहा है। रेमडेसिविर व दवाईयों आदि का पूरा डाटा प्रशासन के पास है। उन्होंने कहा कि कोविड से संबंधित हर एक प्रबंध के लिए अलग-अलग कमेटियों का गठन किया गया है। बैठक में नगर निगम आयुक्त प्रदीप गोदारा, जिला पुलिस अधीक्षक राहुल शर्मा सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे। 08May-2021

कोरोना संक्रमण को लेकर ग्रामीण इलाकों ज्यादा फोकस

ऑक्सीजन की निगरानी के लिए गठित होगी समिति सीएम के साथ समीक्षा बैठक में शामिल हुए जिला उपायुक्त व अधिकारी हरिभूमि न्यूज.रोहतक। कोरोना नियंत्रण को लेकर समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देशों के तहत रोहतक जिला प्रशासन ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति की निगरानी करेगा। जबकि ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाले टैंकर और ऑक्सीजन की मांग की निगरानी के लिए समिति का गठन भी किया जाएगा। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण के नियंत्रण पर फोकस किया जाएगा। दरअसल गुरुवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के जिला उपायुक्तों व अन्य प्रशासनिक उच्चाधिकारियों के साथ कोविड-19 के संक्रमण से निपटने के लिए किये गये प्रबंधों की समीक्षा की। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने खासतौर से सभी जिला उपायुक्तों को ऑक्सीजन टैंकर्स को बॉटलिंग प्लांट पर अनलोड करवाते समय इस बात को ध्यान रखने को कहा है कि इस प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब न हो, ताकि अस्पतालों तक ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित न हो सके। ऑक्सीजन की गंतव्य तक निर्बाध आपूर्ति के लिए ऑक्सीजन टैंकरों के साथ पुलिस के वाहन चलाने को भी कहा गया है। ऑक्सीजन की उपलब्धता और उसकी अस्पतालों तक समय से आपूर्ति को लेकर गंभीर राज्य सरकार ने निर्देश दिये हैं कि आक्सीजन की मांग और आपूर्ति की निगरानी उपायुक्त स्वयं करें और अस्पतालों को सप्लाई की जा रही ऑक्सीजन की स्वयं निगरानी करें। मुख्यमंत्री के निर्देश पर रोहतक जिला प्रशासन ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाले टैंकर और ऑक्सीजन की मांग की निगरानी के लिए समिति का गठन भी करेगा। हालांकि कोरोना प्रबंधन को और ज्यादा बेहतर बनाने की दिशा में जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने पहले से ही निगरानी समितियां गठित की हुई हैं, जो कोरोना अस्पतालों का निरीक्षण करके वहां दी जा रही सुविधाओं और व्यवस्थाओं का लगातार निरीक्षण कर रही हैं। --------ग्रामीण क्षेत्रों में जांच शिविर---------- समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार शहरी क्षेत्रों के अलावा कोरोना वायरस को नियंत्रण करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य जांच कैंप लगाकर ग्रामीणों को कोरोना जांच और वैक्सीन के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। इसका मकसद कोविड-19 के संक्रमण का जल्दी पता लगाकर उस पर नियंत्रण करना है। कोरोना से बचाव के लिए ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को जागरूक किया जाएगा, जिसमें मास्क लगाना, दो गज की सामाजिक दूरी का पालन करना, हाथों को बार-बार साबुन व हेंड सेनिटाइजर से साफ करना जैसी जानकारियां दी जाएंगी और उन्हें कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए भी प्रोत्सहित किया जाएगा। यही नहीं हालातों को देखते हुए रेपिड, एंटीजन एवं आरटीपीसीआर टैस्ट भी करवाएं जाएंगे। जागरूकता अभियान के दौरान गांवों में कोविड-19 से बचाव के संदर्भ में साहित्य भी वितरित करके ग्रामीणों में विश्वास बहाली का कार्य किया जायेगा, इसमें प्रशासन पंचायत के पूर्व जनप्रतिनिधियों को भी भागीदार बनाएगा। ------------- रोजाना तीन हजार टेस्ट: उपायुक्त-------------- मुख्यमंत्री के साथ समीक्षा बैठक में जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने कहा कि जिला में निगरानी समितियां गठित की गई है। ऑक्सीजन व आवश्यक दवाईयों की निगरानी के लिए भी समिति गठित की गई है। वहीं अस्पतालों के ऑडिट के लिए भी निगरानी समिति बनाई गई है। जिला में प्रतिदिन लगभग 3 हजार टैस्ट किये जा रहे है। जिला का रिकवरी रेट 89 प्रतिशत है। जिला में मृत्युदर एवं पॉजिटिविटी दर में कमी दर्ज की गई है। जिला प्रशासन द्वारा कंटेनमेंट जोन घोषित करने के साथ-साथ टिटौली गांव को सेनिटाइज कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिले में टैस्टिंग के साथ मरीजों को दवाएं भी उपलब्ध करवाई जा रही है। प्रशासन ने जिला में एम्बुलेंस के रेट निर्धारित किये गये है। ------------बैठक में ये रहे शामिल----------- कोरोना को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ वीडियो कांफ्रेंसिक के जरिए समीक्षा बैठक में रोहतक जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार के अलावा अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं जिला के प्रभारी आनंद मोहन शरण, नगर निगम के आयुक्त प्रदीप गोदारा, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी आनंद शर्मा, पुलिस अधीक्षक राहुल शर्मा, अतिरिक्त उपायुक्त महेंद्रपाल, उपमंडलाधीश राकेश कुमार सैनी, मेजर गायत्री अहलावत व श्वेता सुहाग, पीजीआईएमएस के अतिरिक्त निदेशक सुरेंद्र सिंह, नगराधीश ज्योति मित्तल, जिला में तैनात एचसीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार, सिविल सर्जन डॉ. अनिल बिरला, पीजीआई की सीएमओ डॉ. सुषमा सहित अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद रहे। 07May-2021

ऑक्सीजन की निगरानी के लिए गठित होगी समिति

कोरोना संक्रमण को लेकर ग्रामीण इलाकों ज्यादा फोकस सीएम के साथ समीक्षा बैठक में शामिल हुए जिला उपायुक्त व अधिकारी हरिभूमि न्यूज.रोहतक। कोरोना नियंत्रण को लेकर समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देशों के तहत रोहतक जिला प्रशासन ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति की निगरानी करेगा। जबकि ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाले टैंकर और ऑक्सीजन की मांग की निगरानी के लिए समिति का गठन भी किया जाएगा। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण के नियंत्रण पर फोकस किया जाएगा। दरअसल गुरुवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के जिला उपायुक्तों व अन्य प्रशासनिक उच्चाधिकारियों के साथ कोविड-19 के संक्रमण से निपटने के लिए किये गये प्रबंधों की समीक्षा की। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने खासतौर से सभी जिला उपायुक्तों को ऑक्सीजन टैंकर्स को बॉटलिंग प्लांट पर अनलोड करवाते समय इस बात को ध्यान रखने को कहा है कि इस प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब न हो, ताकि अस्पतालों तक ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित न हो सके। ऑक्सीजन की गंतव्य तक निर्बाध आपूर्ति के लिए ऑक्सीजन टैंकरों के साथ पुलिस के वाहन चलाने को भी कहा गया है। ऑक्सीजन की उपलब्धता और उसकी अस्पतालों तक समय से आपूर्ति को लेकर गंभीर राज्य सरकार ने निर्देश दिये हैं कि आक्सीजन की मांग और आपूर्ति की निगरानी उपायुक्त स्वयं करें और अस्पतालों को सप्लाई की जा रही ऑक्सीजन की स्वयं निगरानी करें। मुख्यमंत्री के निर्देश पर रोहतक जिला प्रशासन ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाले टैंकर और ऑक्सीजन की मांग की निगरानी के लिए समिति का गठन भी करेगा। हालांकि कोरोना प्रबंधन को और ज्यादा बेहतर बनाने की दिशा में जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने पहले से ही निगरानी समितियां गठित की हुई हैं, जो कोरोना अस्पतालों का निरीक्षण करके वहां दी जा रही सुविधाओं और व्यवस्थाओं का लगातार निरीक्षण कर रही हैं। ------------ग्रामीण क्षेत्रों में जांच शिविर---------- समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार शहरी क्षेत्रों के अलावा कोरोना वायरस को नियंत्रण करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य जांच कैंप लगाकर ग्रामीणों को कोरोना जांच और वैक्सीन के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। इसका मकसद कोविड-19 के संक्रमण का जल्दी पता लगाकर उस पर नियंत्रण करना है। कोरोना से बचाव के लिए ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को जागरूक किया जाएगा, जिसमें मास्क लगाना, दो गज की सामाजिक दूरी का पालन करना, हाथों को बार-बार साबुन व हेंड सेनिटाइजर से साफ करना जैसी जानकारियां दी जाएंगी और उन्हें कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए भी प्रोत्सहित किया जाएगा। यही नहीं हालातों को देखते हुए रेपिड, एंटीजन एवं आरटीपीसीआर टैस्ट भी करवाएं जाएंगे। जागरूकता अभियान के दौरान गांवों में कोविड-19 से बचाव के संदर्भ में साहित्य भी वितरित करके ग्रामीणों में विश्वास बहाली का कार्य किया जायेगा, इसमें प्रशासन पंचायत के पूर्व जनप्रतिनिधियों को भी भागीदार बनाएगा। ------------ रोजाना तीन हजार टेस्ट: उपायुक्त---------- मुख्यमंत्री के साथ समीक्षा बैठक में जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने कहा कि जिला में निगरानी समितियां गठित की गई है। ऑक्सीजन व आवश्यक दवाईयों की निगरानी के लिए भी समिति गठित की गई है। वहीं अस्पतालों के ऑडिट के लिए भी निगरानी समिति बनाई गई है। जिला में प्रतिदिन लगभग 3 हजार टैस्ट किये जा रहे है। जिला का रिकवरी रेट 89 प्रतिशत है। जिला में मृत्युदर एवं पॉजिटिविटी दर में कमी दर्ज की गई है। जिला प्रशासन द्वारा कंटेनमेंट जोन घोषित करने के साथ-साथ टिटौली गांव को सेनिटाइज कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिले में टैस्टिंग के साथ मरीजों को दवाएं भी उपलब्ध करवाई जा रही है। प्रशासन ने जिला में एम्बुलेंस के रेट निर्धारित किये गये है। ----------बैठक में ये रहे शामिल--------- कोरोना को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ वीडियो कांफ्रेंसिक के जरिए समीक्षा बैठक में रोहतक जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार के अलावा अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं जिला के प्रभारी आनंद मोहन शरण, नगर निगम के आयुक्त प्रदीप गोदारा, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी आनंद शर्मा, पुलिस अधीक्षक राहुल शर्मा, अतिरिक्त उपायुक्त महेंद्रपाल, उपमंडलाधीश राकेश कुमार सैनी, मेजर गायत्री अहलावत व श्वेता सुहाग, पीजीआईएमएस के अतिरिक्त निदेशक सुरेंद्र सिंह, नगराधीश ज्योति मित्तल, जिला में तैनात एचसीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार, सिविल सर्जन डॉ. अनिल बिरला, पीजीआई की सीएमओ डॉ. सुषमा सहित अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद रहे। 07May-

बुधवार, 5 मई 2021

जिला प्रशासन ने कोरोना की जंग के खिलाफ कसी कमर

आज से अस्पताल खंगालेगी समितियां कोरोना अस्पतालों में सुविधाओं की निगरानी करेंगी समितियां हरिभूमि न्यूज.रोहतक। कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ी जा रही जंग में बेहतर प्रबंधन की दिशा में गठित की गई समितियां कल बुधवार से कोविड अस्पतालों का दौरा करके वहां सुविधाओं और व्यवस्थाओं का जायजा लेना शुरू करेंगी। कोरोना महामारी से बेहतर प्रबंधन के साथ निपटने की दिशा में रोहतक जिला प्रशासन ने गठित की गई समितियों को कोरोना अस्पतालों में सुविधाओं और वहां व्यवस्थाओं की निगरानी के लिए सक्रीय कर दिया गया है। ये समितयां आवंटित किये गये अस्पतालों का बुधवार से दौरा करके वहां कोरोना मरीजों के लिए की गई सुविधाओं और व्यवस्थाओं का जायजा लेना शुरू करेंगी। कोविड अस्पतालों की निगरानी के लिए गठित इन समितयों में प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सदस्यों, नगर निगम व पुलिस के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है। इन समितयों को गठित करने का मुख्य उद्देश्य है कोविड-19 अस्पतालों को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करवाना है, ताकि उपचाराधीन मरीजों को किसी भी तरह की परेशानी ना हो। मसलन अस्पतालों में मरीजों को ठीक से उपचार मिले और अस्पतालों को सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा सके। दरअसल आनंद मोहन शरण ने मंगलवार का स्थानीय लघु सचिवालय के सभागार में जिला प्रशासन द्वारा अस्पतालों में सुविधाओं की निगरानी के लिए गठित की गई समितियों के अधिकारियों व सहायक अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में उन्होंने दिशा निर्देशों देते हुए कहा कि सभी समिति के सदस्य आवंटित किये गये कोरोना अस्पतालों का दौरे में अस्पताल संचालकों से बातचीत करके सुविधाओं का आकलन करें। शरण ने सभी टीमों से आपसी तालमेल स्थापित करते हुए अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने और फीडबैक के साथ अपनी रिपोर्ट निर्धारित समय पर नोडल अधिकारी एसीयूटी आनंद शर्मा को पेश करने को कहा है। उन्होंनें स्पष्ट किया कि ये समिति कोरोना अस्पतालों के साथ तालमेल करने और सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए बनाई गई है। इन समितयों को अस्पतालों का ऑडिट करके जिला प्रशासन द्वारा प्रदान की जा रही व्यवस्थाओं को अवगत कराते हुए अस्पताल संचालकों की मदद की जा सके। राज्य में कोरोना के बढ़ते प्रकोप से निपटने के लिए राज्य सरकार ने रोहतक जिला में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी आनंद मोहन शरण को तैनात किया है। ------------डीसी ने भी बताई टीमों की जिम्मेदारी----------- इस दौरान उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने समिति के सदस्यों को उनकी जिम्मेदारियों के बारे में अवगत कराया और कहा कि उन्हें अस्पताल में किस तरह का कार्य करना है। उपायुक्त ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा गठित कमेटी की सभी टीमें उन्हें अलॉट किए गए अस्पतालों का कल से ही दौरा शुरू करें। यह सभी टीमें अस्पताल संचालकों की मदद करें तथा अस्पतालों का ऑडिट कर प्रशासन द्वारा की जा रही व्यवस्थाओं के बारे में भी अवगत कराएं। इस बैठक में नगर निगम के आयुक्त प्रदीप गोदारा, पुलिस अधीक्षक राहुल शर्मा, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी (एसीयूटी) आनंद शर्मा, नगराधीश ज्योति मित्तल, पीजीआईएमएस के अतिरिक्त निदेशक सुरेंद्र सिंह, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रतिनिधि, सिविल सर्जन डॉ अनिल बिरला सहित सभी टीमों को अधिकारी व सहायक अधिकारी मौजूद रहे। ------------ गर्भवती महिला व 50+ कर्मचारियों को घर से कार्य करने की छूट---------- जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए गर्भवती महिला कर्मचारियों के अलावा विभिन्न गंभीर बीमारियों से ग्रसित 50 वर्ष या इससे अधिक आयु के कर्मचारियों तथा नियमित एवं अनुबंध, आउट सोर्स, दैनिक वेतन भोगी व एडहोक पर कार्यरत कर्मचारियों को घर से कार्य करने की छूट देने के आदेश जारी किए है। इन आदेशों में यह भी कहा गया कि 50 या इससे अधिक आयु के ऐसे कर्मचारी जो तनाव, उक्त रक्तचाप, हृदय अथवा फैफड़ों की बिमारी से ग्रस्त, कैंसर व अन्य गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों को कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा है। 05May-2021

मंडे स्पेशल: प्रदेश में साढ़े पांच लाख से ज्यादा लोगों पर बंधा कोरोना सुरक्षा चक्र!

सवा 32 लाख को दूसरा टीका लगना बाकी एक करोड़ से ज्यादा युवाओं को वैक्सीकरण का है इंतजार ओ.पी. पाल.रोहतक।--- प्रदेश में कोरोना महामारी के खिलाफ जंग जीतने के लिए चल रहे कोरोना के टीकाकरण अभियान में अभी तक करीब 38 लाख लोगों का वैक्सीकरण किया जा चुका है, जिनमें 5.66 लाख से ज्यादा लोगों ने दोनो वैक्सीन लगवाकर कोरोना सुरक्षा का कवच पहन लिया है, जबकि पहली वैक्सीन लगवाकर 32.26 लाख से ज्यादा लोगों को दूसरा और अंतिम टीका लगना बाकी है। इसके अलावा मई में 18 से 44 साल तक के लोगों के लिए शुरू हो रहे अभियान में एक करोड़ से ज्यादा लोगों को कोरोना सुरक्षा कवच के दायरे में आने का इंतजार है। हरियाणा में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कहर ने जिस तरह से लोगों में भय का माहौल पैदा कर दिया है, उसे देखते हुए कोराना वैक्सीकरण के लिए लोगों में होड़ लगी हुई है। राज्य में 625 केंद्रों पर कोराना वैक्सीन के टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें 583 सरकारी अस्पतालों और 42 निजी अस्पतालों में अभियान जारी है। अब तक प्रदेश में 37,93,116 लोगों को कोरोना टीका लगाया जा चुका है, जिसमें 33,21,939 कोविशिल्ड तथा 471177 को-वैक्सीन लगाई गई हैं। इस टीकाकरण में 1560621 महिलाओं व 434 थर्डजेंडर समेत 32,26,987 लोग कोरोना टीका लगवा चुके है,जबकि 5,66,121 लोग दोनों टीका लगवाने के बाद कोरोना सुरक्षा चक्र बंधवा चुके हैं। इसके अलवा प्रदेश में इस माह 18+ के लिए चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान में सरकार ने 1.10 करोड़ का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए केंद्र सरकार से राज्य को 66 लाख वैक्सीन का आवंटन किया जा चुका है। हालांकि अब तक हुए टीकाकरण में राज्य लक्ष्य से काफी पिछड़ा है, क्योंकि राज्य सरकार का दावा था कि 30 अप्रैल तक 45 लाख तथा 31 मई तक 45 साल से ऊपर के सभी लोगों का टीकाकरण पूरा कर लिया जाएगा। --------------18+के टीकारण पर 660 करोड़ का खर्च----------- कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ी जा रही जंग के तहत मई में 18 से 44 साल तक के लिए टीकाकरण के लिए शुरू हो रहे अभियान में हरियाणा राज्य में करीब एक करोड़ दस लाख लोगों का टीकाकरण करने का लक्ष्य है। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में एक टीकाकरण पर प्रति व्यक्ति खर्च होने वाले 300 रुपये सरकार देगी यानि सरकार द्वारा करीब 660 करोड़ रुपये का खर्च वहन करेगी। मसलन सरकारी अस्पतालों में युवाओं का मुफ्त टीकाकरण होगा। जबकि निजी अस्पताल वैक्सीनेशन के लिए 600 रुपये स्वयं वहन किये जाने हैं। इस चरण के लिए 28 अप्रैल से ‘कोविन’ पोर्टल पर पंजीकरण तेजी के साथ शुरू किया जा चुका है। ------------------- राज्य के पास बची 2.39 लाख डोज---------- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजे आंकड़े के अनुसार हरियाणा राज्य को अब तक मिल चुकी 42,02,220 वैक्सीन में से जारी अभियान के बीच 2,38,288 वैक्सीन शेष है। इसमें से राज्य में 5.72 प्रतिशत वैक्सीन बर्बाद हुई। जबकि मई में 18+ के लिए टीकाकरण के लिए 66 लाख वैक्सीन का आवंटन किया गया है, जो अलग-अलग फेज में दी जाएंगी। जबकि राज्य सरकार ने केवल 50 लाख डोज का आर्डर दिया था। केंद्र ने मई के पहले पखवाड़े के लिए हरियाणा को 5,63,580 वैक्सीन का कोटा जारी कर दिया है, जिसमें 4,23,890 कोविशिल्ड तथा 1,39,690 कोवैक्सीन शामिल हैं। इस अभियान में पहले चरण की वैक्सीन अलग-अलग जिलों में भेज दी गई है, जिसके तहत 18+ के लिए टीकाकरण जल्द शुरू होगा। सरकारी आंकड़े के मुताबिक हरियाणा के लिए तीन लाख डोज फिलहाल पाइप लाइन में हैं। -------------------------------- हरियाणा में वैक्सीनेशन अब तक कुल वैक्सीनेशन-37,93,116 –कोविशिल्ड:33,21,939 कोवैक्सीन:4,70,177 पहली डोज-3226987:- पुरुष-16,65,932, महिला-15,60,621, थर्डजेंडर-434 दूसरी डोज-5,66,121:- पुरुष-1,14,963, महिला-1,06,743, थर्डजेंडर-46 --------------- वैक्सीनेशन आयु वर्ग 18-30 1,05,548 30-45 2,07,510 45-60 13,81,015 60 से ऊपर 15,31,422 हरियाणा में अब तक वैक्सीनेशन अंबाला 2,75,322 भिवानी 1,43,906 चरखी दादरी 88,826 फरीदाबाद 3,47,498 फतेहाबाद 1,03,245 गुरुगाम 4,98,369 हिसार 1,70,425 झज्जर 1,40,336 जींद 1,13,146 कैथल 1,05,662 करनाल 2,23,568 कुरुक्षेत्र 1,35,144 महेन्द्रगढ़ 1,34,385 नूहं 41,968 पलवल 1,16,398 पंचकूला 1,45,866 पानीपत 1,32,433 रेवाडी ,48,948 रोहतक 1,36,305 सिरसा 1,93,404 सोनीपत 2,19,701 यमुनानगर 1,78,61 ---------------------------- अप्रैल माह में मचा कोरोना कोहराम दिनांक नए मामले मौतें 1 अप्रैल 1609 9 2 अप्रैल 1861 10 3 अप्रैल 1959 10 4 अप्रैल 1904 07 5 अप्रैल 2040 8 6 अप्रैल 2099 09 7 अप्रैल 2366 11 8 अप्रैल 2872 10 9 अप्रैल 2994 11 10 अप्रैल 2937 12 11 अप्रैल 3440 16 12 अप्रैल 3818 14 13 अप्रैल 3845 16 14 अप्रैल 5398 18 15 अप्रैल 5858 18 16 अप्रैल 6277 20 17 अप्रैल 7717 32 18 अप्रैल 7177 29 19 अप्रैल 6842 33 20 अप्रैल 7811 35 21 अप्रैल 9623 45 22 अप्रैल 9742 55 23 अप्रैल 11854 60 24अप्रैल 10491 60 25 अप्रैल 10985 64 26 अप्रैल 11504 75 27 अप्रैल 11931 84 28 अप्रैल 12444 95 29 अप्रैल 13947 97 30 अप्रैल 13833 98 01 ------------------------ कुल-197178 1061 ---------------------- (30 अप्रैल 2021 तक) कुल मामले सक्रीय मरीज ठीक हुए मौतें आक्सीजन पर वेल्टीनेटर पर वैक्सीनेशन 4,87,978 97,562 3,86,200 4,216 1082 207 38,13,274 +13,833 +4,387 9,348 +98 +15 +7 +29,674 ----------- अप्रैल 2021 का कहर 1,97,178 87,836 108281 1061 953 178 22,21,675 प्रतिदिन औसत 6572.6 2928 3609.366 35.37 32 6 74,056 -------------- अप्रैल बनाम पिछले 13 महीने ------------- -कोरोना संक्रमण अप्रैल पिछले 13 माह - कुल मामले 1,97,178 2,90,800 -कुल मौतें 1061 3,155 -नए मामले प्रतिदिन 6573 734 - प्रतिदिन औसतन मौत 35 8 -प्रतिदिन ठीक हुए मरीज 3609 702 -औसतन प्रतिदिन सक्रीय 2928 25 -------------------- प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव दर 6.63 प्रतिशत रिकवरी दर 79.14 प्रतिशत मृत्यु दर 0.86 प्रतिशत ------- -------------- पिछले पांच दिन 63659 23314 39896 449 -360 -20 1,96,080 ------- (25 अप्रैल तक ये थी स्थिति) कुल मामले सक्रीय मरीज ठीक हो गए मौतें आक्सीजन पर वेल्टीनेटर पर वैक्सीनेशन 4,24,3319 74,248 3,46,304 3,767 1412 187 36,17,194 +10,491 +4864 6,057 +64 +135 +46 =133,519 64,522 68,385 612 1,640 197 ------------------- हरियाणा (31 मार्च 2021 तक कोरोना काल)-------- कुल मामले सक्रीय मरीज ठीक हो गए मौतें आक्सीजन वेल्टीनेटर वैक्सीनेशन 2,90,800 9726 2,77,919 3,155 129 29 15,91,599 ---------------------------- 03May-2021

आजकल:जल्द दुरस्त होगी ऑक्सीजन की व्यवस्था

--डॉ. वी.के. पॉल, सदस्य (स्वास्थ्य), नीति आयोग--- देश में जब से कोरोना की नई लहर शुरू हुई है, तो अचानक कोरोना संक्रमितों की संख्या में तेजी के साथ बढ़ोतरी होने लगी। इस नई लहर में किसी भी अन्य लक्षण की तुलना में ज्यादातर मरीजों को सांस की तकलीफ का सामना करना पड़ा है, जिससे ऑक्सीजन की अधिक आवश्यकता पड़ने लगी, तो अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी होना स्वाभाविक था। हालांकि सरकार की और से कोराना प्रबंधन के तहत इस दिशा में तेजी के साथ कदम उठाए, जिसमें हेल्थ बजट में भारीभरकम बढ़ोतरी की है। सरकार की इसी नीति के तहत कोरोना की नई लहर में सांस लेने में परेशानी जैसे नए लक्षण में ऑक्सीजन की कमी को दूर करने की दिशा में देश में प्लांटों में ऑक्सीजन के उत्पादन और उसकी आपूर्ति में तेजी लाने के लिए ठोस कदम उठाए। कोरोना प्रबंधन के तहत सरकार ने पिछले साल से ही कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में संक्रमण के बचाव के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं, जिसमें कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण को तेजी के साथ चलाया गया। इसी बीच नए स्ट्रेन के साथ कोरोना की नई लहर ने जिस प्रकार संक्रमण के स्वरुप को बदला तो कोरोना मरीजो की संख्या तेजी के साथ बढ़ी और अस्पतालों मे जीवन रक्षक के रूप में ऑक्सीजन की मांग बढ़ी, तो ऑक्सीजन की ज्यादा जरुरत को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने कई फैसले लिये हैं। राज्यों द्वारा ऑक्सीजन की कमी को लेकर उठाई जा रही मांग को नियंत्रण में रखना चाहिए, क्योंकि डिमांड-साइड मैनेजमेंट उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना सप्लाई-साइड मैनेजमेंट। ऑक्सीजन के मुद्दे पर सरकार द्वारा जिस प्रकार के कदम उठाए गये हैं उसमें इसके उत्पादन और आपूर्ति में आई तेजी को देखते हुए जल्द ही ऐसे हालातों में सुधार नजर आएगा। इसलिए कोरोना प्रबन्धन या इसके किसी तंत्र में कमी बताना उचित नहीं होगा। हम मरीजों के जीवन बचाने के लिए बेहतर से बेहतर उसी तरह के फैसले ले रहे हैँ, जिस प्रकार से कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण के लिए उठाए हैं। कोरोना की इस नई लहर में ही ऑक्सीजन की कमी से पहले इसी तरह कुछ क्षेत्रों से रेमडेसिविर की कमी पड़ने के मद्देनजर इसके निर्यात को प्रतिबंधित किया गया। ऐसा भी नहीं है कि इस दवा की देश में कमी है, बल्कि यह दवा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। इसलिए ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की कमी को जगजाहिर करना एक प्रकार से गलत संदेश दे रहा है। क्योंकि कोविड-19 के लिए क्लीनिकल प्रबंधन प्रोटोकॉल में अनुसंधानात्मक उपचार के तौर पर इसे कोरोना वायरस से संक्रमित गंभीर रोगियों पर उपयोग के लिए सूचीबद्ध किया गया है। कोरोना पीडितों में प्रयोगात्मक थेरेपी के लिए रेमडेसिविर नेशनल प्रोटोकॉल का हिस्सा है। मेरा यह भी मानना है कि चिकित्सकों को अस्पताल में भर्ती रोगियों पर वैक्सीन व रेमडेसिविर जैसी दवाईयां अथवा ऑक्सीजन तर्कसंगत, सही और विवेकपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करना चाहिए। क्योंकि लगातार तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमितों की संख्या को देखते हुए ऑक्सीजन और रेमडेसिविर जैसी दवाईयों की मांग काफी बढ़ गई है। दरअसल पिछले साल शुरू हुई कोरोना की पहली लहर के दौरान 30 वर्ष से कम आयु वर्ग के 31 फीसदी मरीज थे, इस बार आई कोरोना की दूसरी लहर में इस आयु वर्ग के 32 फीसदी से ज्यादा लोग पीड़ित हैं और खासतौर से इस साल मार्च-अप्रैल में 47.5 फीसदी मरीजों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है, जिसके कारण ऑक्सीजन की मांग तेजी के साथ बढ़ी है, जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। ------------------------------ ऐसे तैयार होती है ऑक्सीजन----------- ऑक्सीजन को तैयार करने वाले निर्माताओं के अनुसार मानव जीवन में शरीर का रक्त शुद्ध करने में इस्तेमाल एक संजीवनी का काम करती है। इसलिए मरीजों के लिए अस्पितालों में प्रयोग किए जाने वाले ऑक्सीमजन को एक प्लांरट में तैयार किया जाता है। इसकी पूरी एक प्रक्रिया है, इसे क्रायोजेनिक डिस्टिलेशन प्रोसेस कहा जाता है। चूंकि वायुमंडल में सभी गैसों का मिश्रण होता है। इस प्रक्रिया के तहत हवा में मौजूद पानी के कण, कार्बन डाई ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन अलग हो जाते हैं। प्लांीट में हवा से ऑक्सीोजन को अलग किया जाता है। इस प्रक्रिया में यूनिक एयर सेपरेशन की तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इसके तहत हवा को कम्प्रे स किया जाता है, ताकि हवा को फिल्टर करके उससे अन्य गैसों को अलग किया जा सके। इस तकनीक के जरिए हवा से सारी अशुद्धिेयां को निकाल दिया जाता है। इसके बाद फ‍िल्ट र की गई हवा को ठंडा किया जाता है। फिर इस हवा को डिस्टिल किया जाता है। ऑक्सीैजन को बाकी गैसों से अलग किया जाता है। इसके बाद ऑक्सीोजन को लिक्विड फॉर्म में एकत्र किया जाता है। मौजूदा समय में इसे एक पोर्टेबल मशीन के द्वारा हवा से ऑक्सीिजन को अलग करके मरीज तक पहुंचाया जाता है। ---------(ओ.पी. पाल से बातचीत पर आधारित)---------- 25Apr-2021

हरियाणा में कहर बनकर टूट रही है कोरोना महामारी

बच्चों और युवाओं के लिए खतरा बना कोरोना वायरस प्रदेश के कई जिलों में संक्रमितों में 50 फीसदी से ज्यादा युवा शामिल पानीपत में गर्भ में हीं संक्रमित होकर दुनिया में आया नवजात ओ.पी. पाल. रोहतक। प्रदेश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर बच्चों और युवा वर्ग पर जिस प्रकार कहर बनकर टूट रही है, उसे देखते हुए युवा वर्ग को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि उन्हें संक्रमण का असर नहीं होगा और होगा तो ठीक हो जाएगा? अभी तक जहां बुजुर्गो पर कोरोना संक्रमण का प्रभाव देखा गया था, वहीं अब अस्पतालों में आने वाले कोरोना संक्रमितों की 50 फीसदी से ज्यादा बच्चों व युवाओं की है। यही नहीं नवजात शिशुओं पर भी कोरोना संक्रमण हमला कर रहा है। इसके पीछे कोरोना के बचाव के लिए कोरोना महामारी के दिशानिर्देशों को नजरअंदाज करके लापरवाही सबसे बड़ा कारण माना जा रह है। हरियाणा में तेजी के साथ बढ़ते कोरोना वायरस के कहर में फंसे संक्रमितों के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि पिछले साल जहां बुजुर्गो पर कोरोना संक्रमण कहर बनकर टूट रहा था, तो वायरस की दूसरी लहर बच्चों और युवाओं को संक्रमण का शिकार बना रही है, जो युवाओं के मुगालते को भी तोड़ रहा है। हाल ही में प्रदेश के रोहतक, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर और चरखी दादरी में नए कोरोना संक्रमितरें में बच्चों व युवाओं के ज्यादा आंकडे बेहद चिंताजन माने जा रहे हैं। बच्चों में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण की पुष्टि करते हुए खुद आल इंडिया मेडिकल एवं अनुसंधान दिल्ली यानि एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी की है कि कोरोना की इस दूसरी लहर में बच्चे भी बड़ी संख्या में प्रभिवत हो रहे हैं। देश में बच्चों में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बारे में डॉ. गुलेरिया का मानना है कि स्कूल खुल जाने के बाद जाहिर सी बात है कि बच्चे एक-दूसरे से बात करने में सावधानियों पर ध्यान नहीं देते, जिसके कारण कोरोना वायरस के नए वैरिएंट्स उन्हें प्रभावित कर रहा है। ------------------------ किसी को नहीं पहचान रहा है कोरोना-------- कोरोना की दूसरी लहर को लेकर विशेषज्ञों के उन दावों की पुष्टि प्रदेश में साफ देखी जा रही है, जहां खुद चिकित्सक भी इस कहर से अपने आपको नहीं बचा पा रहे हैं। मसलन राज्य में चिकित्सकों, नर्सो एवं स्वास्थ्यकर्मियों के अलावा कालेजों के प्रोफेसर, स्कूल अध्यापक, इंजीनियर, सुरक्षा अधिकारी व कर्मचारी, अधिवक्ता, बिजनेसमैन, सेवानिवृत्त अधिकारी, दुकानदार, गृहणी, निजी संस्थानों के कर्मचारी, चालक, ठेकेदार, मेड, बेरोजगार जैसी श्रेणी के लोग संक्रमण की चपेट में नजर आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर बेहद चिंताजनक है, जिसमे कोरोना की पहली लहर में 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग अधिक संक्रमित हुए थे, जबकि दूसरी लहर में स्थिति ठीक उलट है। इस बार महज 15 प्रतिशत मरीज 60 साल से ज्यादा उम्र के हैं, बाकी 85 प्रतिशत मरीजों में बच्चे, युवा और 59 साल से कम उम्र के मरीज शामिल हैं। -------------- बच्चे व महिलाएं भी दूर नहीं--------- हरियाणा में पिछले सप्ताह शनिवार को रोहतक में 70 संक्रमितों में 50 कोरोना मरीज 45 साल से कम आयु वाले सामने आए। जबकि इससे पहले बुधवार 14 अप्रैल को अकेले रोहतक जिले के संक्रमितों में 50 फीसदी से ज्यादा 45 साल से कम आयु वर्ग के युवाओं की संख्या रही, जिनमें आधी संख्या महिलाओं की थी। यही नहीं नवजात शिशु और दो साल की बच्ची भी संक्रमण से दूर नहीं रह सकी। इस दिन रोहतक जिले में इन मरीजों में चार युवा चिकित्सकों समेत नौ संक्रमित तो मेडिकल परिसर से ही सामने आए। जबकि कम से कम 33 छात्र छात्राएं और शिक्षक तक संक्रमण का शिकार हुए। इसी प्रकार कुरुक्षेत्र की बात की जाए तो 15 से 17 अप्रैल यानि तीन दिन में 570 संक्रमितों में 314 मरीज 40 साल से कम आयुवर्ग के सामने आए। इसी प्रकार एक दिन में भिवानी में 13 छात्र छात्राएं, चार शिक्षक, भाजपा नेता, ईएसआई अस्पताल की चिकित्सक भी संक्रमण का शिकार हुए, तो वहीं चरखी दादरी में भी एक छात्रा संक्रमित पाई गई। यह आंकड़ा इस बात की गवाही दे रहा है कि राज्य में युवाओं पर कोरोना का ज्यादा असर है। यही नहीं एक आंकड़ा तो बेहत चिंताजनक है जिसमें हरियाणा में इस साल 15 मार्च से 11 अप्रैल तक यानि 27 दिन के भीतर राज्य में कुल 41,324 संक्रमण के मामलों मे 3,445 बच्चे यानि नवजात से लेकर 15 साल तक की आयुवर्ग के हैं, जो आठ प्रतिशत है। जबकि 45 साल से कम आयु वर्ग के संक्रमितों की संख्या करीब 48 फीसदी रही। ------------- संक्रमण लेकर दुनिया में आया नवजात------- प्रदेश के पानीपत में 13 अप्रैल को एक नवजात कोरोना संक्रमण के साथ ही दुनिया में आया। दरअसल पति के कोरोना संक्रमित होने के बाद संक्रमित पत्नी यानि नवजात को जन्म देने वाली मां के गर्भ में पल रहे बच्चे तक संक्रमण पहुंचने के कारण ऐसा संभव हुआ। बताया जा रहा है कि जिस अस्पताल में महिला का शुरू से इलाज चल रहा था, उन्होंने डिलीवरी कराने से इनकार कर दिया। प्रसव की लास्ट स्टेज पर होने के कारण गर्भवती के परिजनों ने शहरभर के अस्पतालों के चक्कर काटे, लेकिन किसी ने डिलीवरी कराने की हां नहीं भरी। आखिर में आयुष्मान भव अस्पताल के डॉक्टरों ने विचार करने के बाद कोरोना पॉजिटिव महिला की डिलीवरी कराई। जन्म के बाद बच्चे का कोरोना टेस्ट किया गया तो उसकी रिपोर्ट भी पॉजिटिव मिली है। बच्चे को मां से अलग एनआईसी में रखा गया है। जहां उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। गुजरात में सूरत के बाद हरियाणा का यह ऐसा पहला मामला है। --------------- कुरुक्षेत्र में छात्रों पर संक्रमण की मार-------- हरियाणा के कुरुक्षेत्र में तो 864 संक्रमितों में केवल छात्र है। मसलन युवावर्ग में कोरोना संक्रमण किस कदर घर कर रहा है इसके बावजूद लोग संक्रमण के प्रति गंभीर नहीं हैं। कुरुक्षेत्र में जनवरी, फरवरी, मार्च और 11 अप्रैल तक के कोरोना संक्रमण के आकंडों पर गौर करें तो जिले में जनवरी माह में 238 पाजिटिव केसों में से 39 विद्यार्थी थे। फरवरी में 263 में से 61, मार्च में 1982 में से 392 तथा 11 अप्रैल तक 1570 में 372 छात्रों समेत जनवरी से 11 अप्रैल तक कुल 4053 केसों में से 864 पाजिटिव मामले विद्यार्थियों के है। इस प्रकार 21 प्रतिशत विद्यार्थी कोरोना से संक्रमित हुए है। कुरुक्षेत्र में विदेशों से आए 527 लोगों पर भी नजर रखी जा रही है, जिनमें कई संक्रमित पाए गये हैं। ------------------------ स्वच्छता में भी खतरा---------- हरियाणा में फिलहाल 77 फीसदी कोरोना संक्रमित अपने घरों में आइसोलेट हैं, लेकिन सरकार के मकसद के विपरीत घरों में लापरवाही देखने में आई है। मसलन घर घर कूडा उठाने वाले सफाईकर्मी कोरोना मरीजों के घरों का भी कूड़ा उठा रहे हैं, क्योंकि ऐसे घरों का कूड़ा उठाने की काई अलग से व्यवस्था नहीं है। सबसे चिंताजनक बात यह भी सामने आई है कि सफाईकर्मी ग्लब्स, पीपीई किट या मास्क या साइनेटाइजर का भी इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण का एक घर से दूसरे घर में पहुंचने की संभावना से कतई भी इंकार नहीं किया जा सकता? ------------- हर 20वां मरीज दस साल तक का बच्चा------- देश में किये गये एक सर्वे के अनसार कोरोना की इस भयावह दूसरी लहर में हर 20वां संक्रमित 10 साल का बच्चा है और कुल मरीजों में दस प्रतिशत 11 से 19 साल तक के मरीजों का हिस्सा है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के एक सर्वे के मुताबिक कोरोना के कुल मरीजों में से 4.42 फीसदी मरीज 10 साल से कम वाले हैं यानी बच्चें हैं। 11 साल के बच्चे से लेकर 20 साल के युवकों का कोरोना बीमारों में हिस्सा 9.79 फीसदी है। विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चे पहले एसिम्टोमैटिक थे, लेकिन उनमें कई लक्षण दिख रहे हैं। जैसे नाक बंद, पेट दर्द, दस्त, गले में दर्द, थकान और सिरदर्द। बच्चों की वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। -------------------- सरकार की गाइडलाइन------- हरियाणा में हर दिन जिस प्रकार से कोरोना संक्रमितों की रिकार्ड संख्या सामने आ रही है, उससे चिंतित राज्य सरकार ने रात्रि के कर्फ्यू लागू कर दिया है और राज्य में रात के सभी कार्यक्रमों पर पाबंदी लगा दी है। मसलन सभी शादियां, धार्मिक और अन्य आयोजन दिन में ही आयोजित किये जाएंगे, वह भी सीमतित संख्या के साथ। सरकार की जारी गाइडलाइन के अनुसार शादी समारोह में इनडोर कैंपस में 50 लोगों से ज्यादा लोगों की अनुमति नहीं होगी। जबकि आउटडोर में होने वाले समारोह में सिर्फ 200 लोगों तक ही शामिल हो सकते हैं। जबकि अंतिम संस्कार में 20 से ज्यादा लोग शामिल नहीं हो पाएंगे। ------------- किसान आंदोलन सबसे बड़ी चिंता---------- प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश और सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को खत्म करने की अपील की है, ताकि कोरोना वायरस के फैलाव होने से बचा जा सके। इससे पहले प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मद्देनजर गृह मंत्री अनिल विज ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर को एक पत्र लिखकर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए अनुरोध किया है कि वह केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ बातचीत फिर शुरू करें, क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमण के लगातार मंडरा रहे खतरे से बचा जा सके, क्योंकि आंदोलन कर रहे किसान कोविड संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करने में सक्षम नहीं हैं। देश भर में कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी के साथ हरियाणा में भी संक्रमण की विकराल होती स्थिति का हवाला देते हुए विज ने राज्य के भीतर टोल प्लाजाओं और दिल्ली से लगी राज्य की सीमा पर किसान आंदोलन को लेकर चिंता जताई है। -------------------------------------- पिछले 11 दिन में तीन गुणा से ज्यादा बढ़े मामले------ प्रदेश में पिछले 11 दिन में कोरोना के बढ़ते कहर के बीच संक्रमण के दैनिक मामलों में तीन गुणा से ज्यादा और संक्रमण की वजह से मौतों में दोगुणा से अधिक बढ़ोतरी देखी गई है। इनमें युवा और महिलाओं की भी हिस्सेदारी है। रोहतक पीजीआई में एक अप्रैल से 12 अप्रैल तक 27 कोरोना मरीजों की हुई मौतों में दस मौतें 45 साल से कम आयु वाले मरीजों की हुई हैं, जिनमें चार महिलाएं भी शामिल हैं। --------------- दिनांक नए मामले मौतें----- 6 अप्रैल 2099 09 7 अप्रैल 2366 11 8 अप्रैल 2872 11 9 अप्रैल 2994 11 10 अप्रैल 2937 12 11 अप्रैल 3440 16 12 अप्रैल 3818 14 13 अप्रैल 3845 16 14 अप्रैल 5398 18 15 अप्रैल 5858 18 16 अप्रैल 6277 20 ------------------ हरियाणा में आयु वर्ग के लोगों की मौत------ आयु वर्ग - 8 अप्रैल 2020 से 1 मार्च 2021 तक - 2 मार्च 2021 से 11 अप्रैल 2021 तक 10 वर्ष से कम 04 (0.36 फीसद) 00 (शून्य फीसद) 11-30 वर्ष 46 (4.22 फीसद) 02 (1.96 फीसद) 31-50 वर्ष 208 (19.08 फीसद) 20 (19.60 फीसद) 51-70 वर्ष 544 (49.90 फीसद) 64 (62.75 फीसद) 70 वर्ष से अधिक 288 (26.42 फीसद) 16 (15.68 फीसद) ------------------------------------------------------------------------------ बेहद खतरनाक दूसरी लहर----- पिछले साल 17 अप्रैल तक कोरोना संक्रमण के कारण केवल दो लोगों की मौत हुई थी, जो एक साल में बढ़कर 3360 से ज्यादा हो चुकी है। जबकि पिछले साल कुल संक्रमित लोगों की संख्या 14 इटालियन मरीज समेत 221 मात्र थी, जो इस साल इसी अवधि में यह संख्या इस साल 17 अप्रैल को 3.41 लाख से अधिक हो गई है। ========= एक साल पहले क्या थी कोरोना की स्थिति------- हरियाणा में कोरोना वायरस की दूसरी लहर में सबसे बड़ा खतरा युवाओं के लिए बढ़ गया है, जिसकी वजह से बुजुर्गो से ज्यादा कोरोना संक्रमण युवा वर्ग को प्रभावित कर रहा है। यही नहीं सात माह से लेकर 20 साल तक की आयु वर्ग में भी इस बार कोरोना संक्रमण पाये जाने की पुष्टि हो चुकी है। मसलन पिछले साल की तुलना में इस साल हजारों गुणा संक्रमण प्रदेश में फैल रहा है। ----------- बेहद खतरनाक दूसरी लहर------- पिछले साल 17 अप्रैल तक कोरोना संक्रमण के कारण केवल दो लोगों की मौत हुई थी, जो एक साल में बढ़कर 3360 से ज्यादा हो चुकी है। जबकि पिछले साल कुल संक्रमित लोगों की संख्या 14 इटालियन मरीज समेत 221 मात्र थी, जो इस साल इसी अवधि में यह संख्या इस साल 17 अप्रैल को 3.41 लाख से अधिक हो गई है। ------------ तब्लीगी जमात के 22 लोगों पर केस-------- सरकार की लाख गुहार के बावजूद छिपे बैठे 22 तब्लीगियों पर आइपीसी की धारा 307 के तहत केस दर्ज किया गया है। नूंह में तीन और यमुनानगर व पलवल में एक-एक केस दर्ज कर जमातियों पर हत्या के प्रयास की धारा लगाई गई है। कोरोना की आशंका में कुल 1614 तब्लीगी निगरानी में रखे गए थे, जिनमें 110 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। ---------- उल्लंघन पर कार्रवाई-------- पिछले अप्रैल में लॉकडाउन तोड़ने के मामलों में 7227 लोगों के खिलाफ 2746 एफआइआर दर्ज की गई हैं। इनमें 3917 को गिरफ्तार कर लिया गया। कुल 8406 वाहनों को जब्त या चालान कर 12 करोड़ रुपए वसूले गए। शराब तस्करी में 824 केस दर्ज कर 878 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। प्रदेश में अब तक 8796 नमूनों की जांच के लिए भेजा जा चुका है, इनमें 7094 नतीजे नकारात्मक रहे हैं और 1495 नमूनों की रिपोर्ट की प्रतीक्षा है। हरियाणा में सामने आए कुल मामलों में से 10 विदेशी नागरिक हैं जबकि 64 अन्य राज्यों से हैं। 19Apr-2021 ------------

साक्षात्कार: बच्चों के साहित्य को समर्पित घमंडीलाल अग्रवाल का जीवन

बाल साहित्य जगत में बनाई बड़ी पहचान 
व्यक्तिगत परिचय
नाम: घमंडीलाल अग्रवाल 
जन्म: 25 अक्टूबर 1954 
जन्म स्थान: पाड़ला, रेवाड़ी (हरियाणा) 
शिक्षा: एमए हिंदी, बीएड, पत्रकारिता में डिप्लोमा 
संप्रत्ति: राजकीय वरिष्ठ कन्या माध्यमिक विद्यालय जैकबपुरा में विज्ञान के अध्यापक रह चुके हैं।
साक्षात्कार-ओ.पी. पाल
आज के इस आधुनिक और वैज्ञानिक युग में देश और समाज को दिशा देने में साहित्य जगत का योगदान प्रासांगिक और प्रेरणादायक है। खासकर आज के दौर में बच्चों को हिंदी ज्ञान देना और उनके लिए लिखना एक कठिन चुनौती से कम नहीं है। इसके बावजूद पिछले पांच दशक से गुरुग्राम निवासी बाल साहित्यकार के रूप में डा. घमंडीलाल अग्रवाल ने अपना जीवन बच्चों के साहित्य को समर्पित किया हुआ है। हरियाणा में शायद घमंडी लाल अग्रवाल अकेले ऐसे साहित्यकार हैं जिन्हें बच्चों के साहित्य में योगदान देने के लिए अब तक भारत सरकार ही नहीं, बल्कि देश के ज्यादातर हिंदीभाषी राज्यों की सरकार और विभिन्न संस्थाओं द्वारा 165 से भी ज्यादा विभिन्न पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा गत फरवरी में साहित्यकार सम्मान योजना के तहत साल 2019 के बाबू बालमुकुंद गुप्त सम्मान के लिए गुरुग्राम निवासी डॉ. घमण्डीलाल अग्रवाल का चयन किया है। आज के इस युग में साहित्य से दूर होती नई पीढ़ी को साहित्य के प्रति कैसे प्रेरित किया जाए जैसे पहलुओं पर सुपरिचित बाल साहित्यकार डा. घमंडीलाल अग्रवाल ने हरिभूमि संवाददाता के साथ हुई खास बातचीत में अपने विचारों को साझा किया है। 
प्रख्यात बाल साहित्यकार डा. घमंडीलाल अग्रवाल अब तक बाल साहित्य पर 94 पुस्तकें लिख चुके है, जबकि प्रौढ़ साहित्य पर भी उनकी खोई-खोई गंध,नेह की परछाइयां, कितना समय कठिन, आस्था का सूरज और चांदनी की व्यथा जैसी 14 पुस्तकें लिख चुके हैं। इनमें बच्चों के लिए बाल साहित्य में बाल कविता, बाल कहानी, बाल नाटक, बाल जीवनी, बाल पहेलियां, बाल ज्ञान-विज्ञान के अलावा प्रौढ़ साहित्य में गजल, दोहा, मुक्तक, हाइकु, लघु कथा और व्यंग्य आधारित पुस्तकें शामिल हैं। डा. अग्रवाल ने बाल पत्रिकाओं और बाल साहित्य जगत में जो पहचान बनाई है उसके लिए उनका कहना है कि बच्चों को हिंदी सिखाना और वह भी साहित्य के आधार पर किसी चुनौती से कम नहीं है। मसलन इस बदलते युग और सामाजिक परिवेश में खत्म होते जा रहे साहित्यक माहौल बच्चों को हिंदी जैसी भाषा जो उन्हें समझ में आए, उनकी जुबान पर चढ़ जाए और सबसे मुश्किल उनकी तरह सोच पाना है। लेकिन उनका प्रयास है कि इस युग में अपनी रचनाओं, नाटक व कहानियों के जरिए बच्चों को प्रेरित किया जाता रहे। उनका प्रयास है कि ऐसे माहौल में नई पीढ़ी की साहित्य के प्रति जागरूक करके उन्हें भारतीय संस्कृति और सभ्यता की राह बनी रहे। वर्ष अक्टूबर 2012 में विज्ञान शिक्षक के अध्यापक के रूप में 31 वर्ष की सेवा के बाद सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंनें स्वतंत्ररूप से लेखन कार्य को तेजी से आगे बढ़ाने का काम किया है बाल साहित्य में योगदान के लिए डा. अग्रवाल को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा भारतेन्दु हरिशचन्द्र पुरस्कार और हिंदी अकादमी दिल्ली से बाल साहित्य से भी सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा अग्रवाल को सात बार हरियाणा साहित्य अकादमी पंचकूला कृति पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी है। हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार, पं. सोहनलाल द्विवेदी बाल साहित्यकार पुरस्कार, डा. राम कुमार वर्मा बाल नाटक पुरस्कार, शकुन्तला सिरोठिया बाल साहित्य पुरस्कार, इंडो-रसियान बाल साहित्य सम्मान, बाल नाटिका सृजन पुरस्कार, मायाश्री राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मान,हरप्रसार पाठक स्मृति बाल साहित्य सम्मान, चिल्ड्रेन बुक ट्रस्ट पुरस्कार समेत विभिन्न प्रदेशों में 165 से ज्यादा सम्मान और पुरस्कार हासिल कर डा. घमंडीलाल अग्रवाल ने जो उपलब्धियां हासिल की है, उनके लिए वह मानते हैं कि इससे उन्हें बच्चों व किशोरों को नई दिशा देने के लिए प्रोत्साहन मिल रहा है, जिसके लिए लगातार उनका प्रयास है कि उनके नए साहित्य में समस्याओं पर आधारित, जीव जंतुओं, उपयोगी वस्तुओं, शिक्षा प्रद, मनोरंजन प्रधान और जागरण गीत को और ज्यादा प्ररेणादायक रूप से शामिल किया जाए। हालांकि शिक्षाप्रद तो सभी कविताएं हैं। मगर हर विषय को अलग समूह में रखा है। कोशिश है कि बच्चे इसे हिंदी सीखे, अच्छी बातें सीखें और उन्हें कविताएं अच्छी भी लगे। 
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प्रमुख पुस्तकें
बाल साहित्य पर घंमडीलाल अग्रवाल की बाल कविताओं पर एक डाल के पंछी, जंगल की रेल, मन में गुलमोहर, सुन री सोनचिरैया, फूल गुलाब के, गीत विज्ञान, राही हैं हम, बगिया के फुल, शैतानी वाला बचपन, अम्मां देखो जरा चांद को, आओ पापा बात करें, बाल कवितांजलि, बाल गीतांजलि, मेरे प्रिय बाल गीत, गीतों के गुब्बारे, शिशु गीतांजलि, हैलो पापा, ऐसा देश हमारा, गीत ज्ञान-विज्ञान, खेल गीत, बालमन के रोचक गीत शामिल हैँ। जबकि बाल कहानी में अक्ल ठिकाने आई, वैज्ञानिक सोच, 51 नन्हीं कहानियां और नयी-निराली बाल कहानियां लिखी हैं तो वहीं बाल नाटक पापा-मम्मी पर मुकदमा, दादाजी ने पेड़ लगाया और सीख सिखाते बाल एकांकी। बच्चों को ज्ञान संबन्धी बाल विज्ञान पुस्तकों में विज्ञान को जानों, प्रश्नों में भौतिक विज्ञान, प्रश्नों में रसायन विज्ञान, प्रश्नों में जीव विज्ञान प्रश्नोत्तरी जैसी पुस्तकें शामिल हैं। राष्ट्रीय व राज्यों के पुस्तकालयों में ड. अग्रवाल लिखित रखी गई पुस्तकें-देशप्रेम की 15 श्रेष्ठ कहानियां, चरित्र निर्माण की 15 श्रेष्ठ कहानियां, राह दिखाती 15 श्रेष्ठ कहानियां, आज्ञापालन की 15 श्रेष्ठ कहानियां, नैतिक मूल्यों की 15 श्रेष्ठ कहानियां, मुहावरों की 15 श्रेष्ठ कहानियां, आविष्कारों की 15 श्रेष्ठ कहानियां, ज्ञान–विज्ञान की 15 श्रेष्ठ कहानियां, स्वच्छता की 15 श्रेष्ठ कहानियां, नैतिक मूल्यों की 15 श्रेष्ठ कहानियां भी बड़ी उपलब्धियों में शामिल हैं।
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ये भी बड़ी उपलब्धियां
बाल साहित्यकार डा. अग्रवाल आकाशवाणी रोहतक के अनुबंधित गीतकारों में शामिल हैं। इसके अलावा विद्या वाचस्पति एवं विद्यासागर मानद उपाधियों से नवाजे गये अग्रवाल विक्रमशीला हिंदी विद्यापीठ भागलपुर के विद्वत परिषद के सदस्य हैं, तो हिरयाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के शिक्षा पाठ्यक्रम में उनकी रचनाएं शामिल है। 19Apr-2021

अब हरियाणा में भी होगी डिजिटल खेती

कृषि मंत्रालय व माइक्रोसॉफ्ट के बीच हुआ करार हरिभूमि न्यूज.रोहतक। केंद्र सरकार की कृषि और किसानों की आमदनी में इजाफा करने के मकसद से खेती में तकनीकी इस्तेमाल पर बल देने के तहत अब हरियाणा में भी डिजिटल खेती होगी। भारतीय खेती-किसानी में आधुनिक तकनीक के उपयोग के माध्यम से किसानों को सुविधा और उनकी आमदनी बढ़ाने की दिशा में बुधवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की मौजूदगी में कृषि मंत्रालय व माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के बीच एक समझौता ज्ञापन यानि एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये हैं। इस करार के तहत हरियाणा व मध्य प्रदेश समेत छह राज्यों के दस जिलों में 100 गांवों फसलोपरांत प्रबंधन एवं वितरण सहित स्मा र्ट एवं सुव्यकवस्थि त कृषि के लिए किसान इंटरफेस विकसित करने हेतु माइक्रोसाफ्ट पायलेट प्रोजेक्ट शुरू करेगा। इस प्रोजेक्ट के लिए माइक्रोसॉफ्ट अपने स्थानीय भागीदार, क्रॉपडेटा के साथ शामिल हुआ है। कैबिनेट मंत्री तोमर ने इस मौके पर कहा कि यह प्रोजेक्ट एक वर्ष के लिए है व एमओयू करने वाले दोनों पक्षकार अपनी स्ववयं की लागत से इसका खर्च वहन करेंगे। इस प्रोजेक्ट से चयनित 100 गांवों में किसानों की बेहतरी के लिए विविध कार्य होंगे, जो उनकी आय बढ़ाएंगे। ये प्रोजेक्ट किसानों की आदान लागत को कम करेगा व खेती में आसानी सुनिश्चित करेगा। देश में वाइब्रेंट डिजिटल कृषि पारिस्थिवतिक प्रणाली बनाने के लिए अन्य सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के प्लेायरों के साथ इसी प्रकार के पायलेट प्रोजेक्ट शुरू करने का प्रस्ता्व है। तोमर ने कहा कि इस तकनीकी उपयोग से किसानों के लिए खेती मुनाफे का सौदा बनेगी और वहीं नई पीढ़ी भी कृषि की ओर आकर्षित होगी। केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि सरकार का उद्देश्य असंगत सूचना की समस्याे दूर करके किसानों की आय में वृद्धि करना है। इस लक्ष्यर को प्राप्तग करने के उद्देश्य से कई नई पहल शुरू की गई हैं। इस संबंध में एक प्रमुख पहल राष्ट्री य कृषक डेटाबेस पर आधारित कृषि-कोष बनाना है। सरकार देशभर से किसानों के भू-रिकार्डों को जोड़कर किसान डेटाबेस तैयार कर रही है। पीएम किसान, मृदा स्वास्थ्य कार्ड और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से संबंधित सरकार के पास उपलब्ध आंकड़े समेकित कर लिए गए हैं व अन्य आंकड़ों को जोड़ने की प्रक्रिया जारी है। कृषि मंत्रालय की सभी योजनाओं में जो भी परिसंपत्तियां निर्मित होगी, उसके जियो टैगिंग के लिए भी कृषि मंत्री तोमर ने निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि कृषि अर्थव्यवस्था हमारे देश की रीढ़ की तरह है। कृषि क्षेत्र ने कोरोना महामारी जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी देश की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान दिया है। कृषि का कोई भी नुकसान देश का ही नुकसान होता है, इसलिए प्रधानमंत्री ने अनेक कार्य हाथ में लिए हैं। एक के बाद एक योजनाओं का सृजन व क्रियान्वयन हो रहा है,ताकि छोटे किसानों के लिए खेती लाभप्रद बनें। 15Apr-2021

मंडे स्पेशल: रेलवे की खाली जमीनों पर अवैध कब्जा बना सिरदर्द

आमजन ने रेलवे संपत्ति को समझा ‘अब्बा का माल’ पक्के निर्माण करके दबाई अरबो की जमीन, महकमा पूरी तरह से बेबस ओ.पी. पाल.रोहतक।--- प्रदेश में शायद आमजनों ने रेलवे की संपत्ति को बाबा का माल समझ रखा है। जहां तहां अवैध कब्जे करके रेल महकमें की जमीन को दबाया जा रहा है। यहां तक कि बहुत से जिलों में अवैध कब्जा करने का तरीका भी नयाज है, जिसमें पहले मंदिर, मजार बनावाकर उसे आस्था का केंद्र बनाया जाता है और फिर उसे पक्का निर्माण करके जमीन हथिया ली जाती है। यहां तक कि रेलवे अधिकारी चाहकर भी अवैध कब्जों को हटवाने में बेबस हैं। कई जगह तो ऐसा भी देखने को मिल रहा है कि लोगों ने रेलवे प्लेट फार्म व रेलवे लाइन के पास ही पक्का निर्माण कर लिया है। ऐसा रोकने में लाख कोशिशों के बावजूद महकमा लाचार ही नजर आ रहा है। हरियाणा में कुल 163 रेलवे स्टेशन हैं, जिनमें 114 उत्तर रेलवे और 49 उत्तर पश्चिम रेलवे जोन के अंतर्गत हैं। प्रदेश में दस जंक्शन रेलवे स्टेशनों के अलावा 19 सब कटेगिरी के रेलवे स्टेशन शामिल हैं। ऐसा भी नहीं है कि केंद्र सरकार रेल बजट में हरियाणा के रेलवे विकास के लिए परियोजनाएं नहीं देती। प्रदेश में ऐसी कई बड़ी परियोजनाएं प्रदेश में चल रही है, लेकिन अधिकांश जगह रेलवे की भूमि पर अवैध कब्जों के कारण परियोजनाएं भी अधूरी रह जाती है। जबकि भारतीय रेलवे ने रेलवे की आर्थिक सहेत सुधारने की दिशा में देशभर में रेलवे स्टेशनों के पास और रेलवे लाइनों के दोनों और रेलवे की खाली पड़ी भूमि का इस्तेमाल वाणिज्यक यानि व्यवसायिक के रूप में करने का फैसला किया था। लेकिन देशभर में रेलवे की खाली पड़ी ज्यादातर जमीन पर अवैध कब्जे हैं। रेलवे की जमीन को अवैध कब्जों से मुक्त कराना रेलवे के लिए बड़ी चुनौती है। इस चुनौती से महकमें को हरियाणा में भी झेलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जबकि प्रदेश में रेलवे के विस्तार की परियोजनोओं को पूरा करने के लिए दो साल पहले ही हरियाणा सरकार और रेलवे मंत्रालय के संयुक्त उद्यम के रूप में हरियाणा रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड का गठन किया गया था, जो प्रदेश में रेलवे सुविधाओं के विकास और रेल सुविधा विस्तार को कार्यान्वित कर रहा है। --------------------------------- रेलवे लाइन के किनारे सर्वाधिक अतिक्रमण------------ प्रदेश में रेलवे की जमीनों पर करीब हर जिले में कई जगह अवैध अतिक्रमण है, लेकिन यह देखने में आया है कि रेलवे लाइन के किनारे सबसे ज्यादा जमीन पर कब्जा किया हुआ है। कई बार इन्हेंा हटाने के लिए अभियान भी चलाया जाता है, लेकिन कुछ दिन बाद फिर से कब्जा कर लिया जाता है। रेल प्रशासन खाली जमीन का नक्शा तैयार कर उसे डिजिटलाइज करने दावा भी कर रहा है, जिसमें रेलवे भूमि की जीपीएस सिस्टम से निगरानी करना शामिल है। अवैध कब्जों के हालातों को देखते हुए तो ऐसा लगता है कि यह योजना अभी धरातल से कोसो दूर है। रेलवे स्टेशनों के आसपास की जमीन भी सुरक्षित नहीं हैं, जहां पक्के मंदिर, पक्की मजार, कैफेटेरिया, पशुओं का तबेला, गोबर के उबले बनाने में गैरकानूनी रूप से कब्जा है। यही नहीं खासकर बाहर शहरी और ग्रामीण इलाकों में सैकड़ो की संख्या में रेलवे लाइन की तरफ लोगों ने अपने मकान के दरवाजे करके बाड़ तक बना रखी है। रेलवे स्टेशनों के पास रेलवे भूमि पर अवैध रूप से खोखे चलाए जा रहे है, जिन्हें समय समय पर रेलवे व प्रशान मिलकर हटाता भी है, लेकिन कुछ दिन बाद फिर कब्जा शुरू हो जाता है। --------------------- क्या है कानूनी प्रावधान--------- रेलवे की भूमि पर गैर कानूनी कब्जों को लेकर कानूनी प्रावधान भी हैं, जिनके तहत गैर कानूनी कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई अम में लाई जाती है। रेलवे के अनुसार इस बारे में रेलवे नियमित तौर पर रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण की रोकथाम व हटाने के लिए सर्वेक्षण करती है और भूमि को मुक्त कराने की कार्रवाई भी करती है। यदि अतिक्रमण झुग्गियों, झोंपड़ियो और अवैध आवास के रूप में अस्थाई रूप का हो तो उसे रेलवे सुरक्षा बल और स्थानीय प्रशासन के परामर्श करके हटवाया जाता है। ऐसे पुराने कब्जों के लिए समझाया भी जाता है। इसके लिए सरकारी स्थान अनधिकृत अधिभोगियों की बेदखली अधिनियम 1971 के तहत राज्य सरकार तथा पुलिस की मदद से बेदखली की कार्रवाई की जाती है। ----------------------- प्रदेश में कैसे पूरी होंगी परियोजनाएं--------- प्रदेश में रेलवे के विस्तार के लिए केंद्र से मंजूर परियोजनाओं की भी कमी नहीं है। केंद्रीय बजट में उत्तर रेलवे को आंवटित 15,818.49 करोड़ रुपये में हरियाणा राज्य में 13 प्रमुख रेल परियोजनाओं में को पूरा करने के 1,201 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है। उत्तर रेलवे के मुख्य जनंसपर्क अधिकारी दीपक कुमार ने महाप्रबंधक आशुतोष गंगल के हवाले से बताया कि रेलवे को वर्ष 2021-2022 के लिए मिले 15818.49 करोड़ रुपये के रेल बजट में हरियाणा में चालू परियोजनाओं के अलावा स्वीकृत नई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए इस आवंटित बजट से राज्य में 1,721 किलोमीटर लंबाई के लिए 19,555 करोड़ की योजना है, जिसमें कुछ परियोजनाएं प्रगति पर हैं और कुछ आंशिक रूप से पूरी हो चुकी है या अनुमोदन और निष्पादन स्तर पर हैं। हरियाणा की इन 13 रेल परियोजनाओं में 570 किमी लंबाई की सात नई रेल लाइन परियोजनाओं के लिए 8,145 करोड़ रुपये और 1151 किमी लंबाई रेलवे लाइन के दोहरीकरण की छह परियोजनाओं के लिए 11,410 करोड़ रुपये खर्च किये जाने हैं। -------------------- ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर-------- हरियाणा रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड यानि एचआरआईडीसी के निदेशक मंडल पलवल से सोहना-मानेसर-खरखौदा होते हुए सोनीपत तक ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर परियोजना शुरू कर रहा है। इस परियोजना के तहत पलवल से सोनीपत तक लगभग 130 किलोमीटर लंबे इस मार्ग की नई दोहरी रेल लाइन बिछाई जा रही है। इसकी पृथला में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर नेटवर्क से भी होगी, जिसमें न्यू पलवल, सिलानी, सोहना, धूलावतट, चंदला डूंगरवास, मानेसर, नया पाटली, बाढसा, देवरखाना, बादली, मंडोथी, जसौर खेड़ी, खरखौदा, तारकपुर के स्टेशन शामिल होंगे। इसके बाद दिल्ली-अम्बाला लाइन से हरसाना कलां से भी यह कॉरिडोर जुड जाएगा। इसके अलावा गुड़गांव, फरीदाबाद, बल्लभगढ़, पलवल, मानेसर और फारुखनगर इत्यादि के लिए सीधी रेल कनेक्टिविटी होगी और हरियाणा के पलवल, नूह, गुरुग्राम, झज्जार और सोनीपत जिले इस रेल लाइन से लाभान्वित होंगे। ---------------------------------- रेलवे के सामने कब्जा हटाना चुनौतीपूर्ण----------- रेल मंत्रालय के अनुसार रेलवे को अतिक्रमण हटाने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है, क्योंकि अधिकांश कब्जाधारी कार्रवाई से पहले ही अदालत पहुंच जाते हैं। जहां किसी एक स्थान पर बड़ी संख्या में अतिक्रमण होता है। वहां अतिक्रमण हटाने के दौरान ऐसे लोग विरोध करते हैं। जिसके परिणामस्वरुप कानून एवं व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इन समस्याओं के बावजूद रेलवे अपनी भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए सक्रिय रूप से कार्रवाई करता रहता है। इन्हीं प्रयासों के बीच पिछले तीन साल (2016 से 2018) के दौरान रेलवे ने 58.01 हेक्टेयर भूमि कब्जामुक्त कराई है। ----------------------- सबसे बड़ा जमींदार रेलवे------------ भारतीय रेलवे के पास 31 मार्च 2021 की स्थिति के अनुसार कुल 480875.4 हेक्टेयर भूमि है, जिसमें से करीब 871.46 हेक्टेयर यानि 0.17 फीसदी रेलवे भूमि मुकदमे बाजी के कारण अनाधिकृत कब्जा के अधीन है। हरियाणा में ज्यादातर रेलवे संपत्ति उत्तर रेलवे के क्षेत्राधिकार में है। मसलन उत्तर रेलवे जोन के पास कुल 44005.54 हेक्टेयर भूमि में से 183.10 हेक्टेयर भूमि पर अवैध रूप से कब्जा किया है, जिसमें हरियाणा में रेलवे की संपत्ति भी शामिल है। हालांकि रेलवे की खाली भूमि से अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने के मकसद से उसके वाणिज्यक विकास में रेल भूमि विकास प्राधिकरण की मार्फत भूमि मौद्रीकरण से आय अर्जित कर रहा है। ----------------------- जमीन के मौद्रीकरण से इनकम-------- रेल मंत्रालय के अनुसार मुकदमों की वजहों में अनधिकृत कब्जा, पट्टा और लाइसेंस करार की शर्तों का उल्लंघन और भूमि के स्वामित्व को लेकर विवाद शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए रेल भूमि विकास प्राधिकरण के जरिये से खाली भूमि का मौद्रीकरण किया जाता है। आरएलडीए की तरफ से साल 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में जमीन के मौद्रीकरण से क्रमशः 43 करोड़ रुपये, 83 करोड़ रुपये और 933 करोड़ रुपये की इनकम हुई। वहीं वित्त वर्ष 2019-20 में लीज पर जमीन देने आरएलडीए द्वारा रिकार्ड 1550 करोड़ रुपये की रेलवे जमीन लंबे समय के लिए लीज पर दी गई है। ------------------ अवैध कब्जा कराने में विभागीय जांच--------- रेलवे की भूमि पर कब्जे को लेकर यदि किसी रेलवे अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ शिकायत मिलती है ता उसकी जांच में संलिप्तता पाए जाने पर निर्धारित प्रक्रिया के तहत समुचित कार्रवाई की जाती है। ---------- वर्जन--- रेवाडी में रेलवे की डेढ़ एकड़ भूमि रेलवे का रेवाड़ी में अनउपयोग पड़ी अपनी भूमि पर कॉमर्शिलय एक्टिविटी शुरू करने का अभी कोई विचार नहीं है। रेवाड़ी में रेलवे कालोनी में करीब डेढ़ एकड़ का ग्राउंड, लोको शेड व क्वाटरों के पीछे भी जमीन पड़ी हुई है। कोसली में रेलवे की जमीन पर पार्क बनाया जा रहा है। इसके अलावा अन्य स्थानों पर भी कंडम क्वाटर व जमीन रेलवे की पड़ी हुई है। रेवाड़ी व जयपुर रेलवे अधिकारियों ने ऐसी जमीन की अधिकारिक डिटेल देने में तत्काल असमर्थता व्यक्त की है। -गौरव गौड़, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, उत्तर-पश्चिम रेलवे 12Apr-2021

आजकल: सामाजिक आर्थिक मुद्दों पर फोकस से होगा नक्सलवाद का समाधान

सामाजिक आर्थिक मुद्दों पर फोकस से होगा नक्सलवाद का समाधान -सुभाष गताडे, वरिष्ठ पत्रकार---------- छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलवादियों के साथ मुठभेड़ में सुरक्षाबलों के 22 जवानों की मौत के बाद बीजापुर से लेकर रायपुर तक ही नहीं, बल्कि दिल्ली के रायसीना हिल तक कई प्रकार के सवाल हवा में तैरना स्वाभाविक है। शायद पिछले नक्सली हमले से अभी तक कोई सबक नहीं लिया गया है। इस नक्सली हमले में सरकार की रणनीतिक चूक है या नहीं? यह तो सरकार ही जानती है। लेकिन इस हमले को लेकर जिस प्रकार की खबरे सामने आई हैं उसमें सरकार की ओर से निश्चत रूप से चूक है। यदि यह महत्वपूर्ण चूक है तो इससे पहले भी नक्सली हमलों में जवानों को शहीद होना पड़ा है, जिनके लिए जिम्मेदारी कौन लेगा। सवाल ऐसे भी उठ रहे हैं कि क्या यह रणनीतिक चूक थी या इसे खुफ़िया तंत्र की असफलता माना जाना चाहिये? क्या जवानों में आपसी तालमेल की कमी थी, जिसके कारण अत्याधुनिक हथियारों से लेस दो हज़ार जवान, सैकड़ो की संख्या में नक्सलवादियों का मुकाबला नहीं कर पाये? यह भी जानकारी सामने आई है कि इस बार जब पहली बार सुरक्षाबल नक्सलियों के इलाके में घुसे तो बीजापुर के बासागुड़ा रोड पर जगरगुंडा-तर्रेम का रास्ता राज्य बनने के पहले से बंद थे, जहां से वापस लौटते समय नक्सलियों के झुंडों ने सुरक्षाबलों को तीन तरफ से घेरकर हमला किया। नक्लवादियों के नेटवर्क का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि माओवादियों ने पहले से ही आसपास के जंगल में अपनी हमले के लिए अपनी रणनीति बना ली थी और पूरे गांव को भी खाली करवा लिया था, जिसके बाद योजनाबद्ध तरीके से सुरक्षाबलों के दलों को निशाना बनाया गया। इसका मतलब साफ है कि नक्सलवादियों के खिलाफ बनाई गई सरकार की रणनीति से कहीं ज्यादा नक्सलियों का खुफिया तंत्र हमेशा की तरह मजबूत नजर आया। हालांकि अलग-अलग स्तर पर इन सारे सवालों के अलग-अलग जवाब हो सकते हैं। वहीं इनका सच क्या है, इसे समझ पाना अभी इतना आसान नहीं है। फिर भी फौरीतौर पर यदि जिम्मेदारी की बात करें तो नक्सलवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में जुटे सुरक्षा बल केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधीन है, जिसे इस रणनीतिक चूक के साथ जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए। एक उदाहरण के लिए यूपीए शासनकाल में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में श्रंखलाबद्ध बम धमाकों के दौरान तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल को घटनास्थल के दौरे करने के घटना पर उठे सवालों के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं एक रेल हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अपने पद से इस्तीफा दिया था। इसके अलावा भी देश में नैतिक जिम्मेदारी स्वीकारने की कई मिसालें है। इसलिए बीजापुर की घटना के लिए भी जिम्मेदारी स्वीकारते हुए मुखिया का इस्तीफा होना चाहिए? नक्सली आगे क्यों बढ़ रहे हैं, उसका कारण भी सरकार को तलाशने की जरुरत है, लेकिन 50 साल के इस नक्सल आंदोलन का समाधान करने के लिए सरकार कानून और व्यवस्था यानि कानूनों का सहारा ले रही है, जबकि इस आंदोलन की जड़ों तक पहुंचकर उससे समाधान के रास्ते अपनाने की जरुरत है। हालांकि वर्ष 2011-12 के दौरान तत्कालीन केंद्र सरकार कमेटियां बनाई थी, जिसका मकसद नक्सलवाद क्यों बढ़ रहा है और इसकी मूल जड़ों मे क्या है जैसे तथ्यों का पता लगाकर उनका समाधान करना था, लेकिन लोगों हकों को छीना जाना है, खासकर छत्तीसगढ़ जैसे नक्सल प्रभावित राज्य में ग्राम सभा की भूमि लेने के लिए ग्राम पंचायत की सहमति न लेने जैसे जबरस्त असंतोष के पीछे नक्सलवाद है। इसलिए सरकार को चाहिए की कानून व्यवस्था के बजाए सामाजिक और आर्थिक पड़ताल करके उसके समाधान के रास्ते अपनाए, जहां नक्सल की मूल जड़े हैं। देश में हिंसा की घटनाओं को प्रमुखता या हाईलाइट करना कहीं तक भी उचित नहीं है, लेकिन हिंसा किसी भी तरह की हो और उसे हाईलाइट करने पर हम यह भूल जाते हैं कि सामाजिक और आर्थिक पड़ताल में ही समस्या का समाधान संभव है, लेकिन हम ऐसे समाधान के लिए कतई भी गंभीर नहीं हैं। सरकार की जिम्मेदारी है कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर गलत राह पकड़ने वालों को सही राह पर लाया जाए। -(ओ.पी. पाल से बातचीत पर आधारित) ------------------------------------------------------ लोगों की बुनियादी जरुरतों से खत्म होगा नक्सलवाद -शारदा प्रसाद, पूर्व पुलिस महानिदेशक, असम------------- नक्सलवाद की समस्या के समाधान के लिए हमें उन पहलुओं को चिन्हित करना होगा, जो नक्सलवाद की जड़ो को खाद पानी देने में अहम भूमिका रही है। नक्सलवाद के खिलाफ अभियान चलाना एक कानून व्यवस्था का हिस्सा हो सकता है, लेकिन इसके लिए नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए उनकी विचारधारा में बचे स्थानीय लोगों की मूलभूत जरुरतों की पहचान करके उन्हें विश्वास में लेने की जरुरत है। जल, जंगल और जमीन के बेसिक नारे के साथ शुरू हए नक्सल आंदोलन ने अपनी प्रकृति और उद्देश्य दोनों में महत्त्वपूर्ण रूप से बदलाव किया है। ऐसे में जहां एक ओर इस समस्या की वजह आर्थिक और सामाजिक विषमता है, वहीं दूसरी ओर इसे अब एक राजनीतिक समस्या भी समझा जाने लगा है। इस आंदोलन का यह नारा अपील करता है, कि पुलिस के अभियान से पहले स्थानीय लोगों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़कें और स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध हो सके। इसलिए जमीन के मामले में उनके हक मिले, वहीं किसी भी परियोजना में सरकार स्थानीय लोगों को ही रोजगार दे और उसके लिए ठेके की प्रक्रिया में भी स्थानीय लोगों को तरजीह दें, तो कहीं हद तक उनकी विचारधाराओं में बदलाव आएगा। इस प्रकार की रणनीति से सरकार गांग के लोगों की जरुरतों को पूरा कर सकेंगी और सरकार के प्रति उनका विश्वास बढ़ेगा। असम में इसी प्रकार की रणनीति बनाकर उल्फा की समस्या का समाधान किया गया है, जहां अब उल्फा का कोई नामलेवा भी नहीं है। यदि देश में रेड कॉरिडोर पर ग्रीन कॉरिडोर बिछाना है तो लोगों की बुनियादी जरुरतों को चिन्हित करके उनका समाधान करने की प्राथमिकता होनी चाहिए। ---------------------- सामाजिक बदलाव की जरुरत प्रशांत दीक्षित, विशेषज्ञ----- छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुई नक्सली हमले ने इस बात की पुष्टि की है कि नक्सलवाद के खात्मे के लिए जारी सरकार के प्रयास पूरे नहीं है। मसलन या तो ऐसी घटनाओं को दबा दिया जाता है या फिर नक्सलवाद हटाने के लिए रणनीतिक योजनाओं का कार्यान्वयन समुचित रूप से नहीं हो रहा है। सरकार को यदि नक्सलवाद की समस्या से निपटना है तो उसके लिए पुलिस बल के अभियान से ज्यादा सामाजिक व्यवस्था में बदलाव के लिए प्राथमिकता देना होगा। खासतौर पर छत्तीसगढ़ से लगे बिहार, झारखंड, ओडिशा व महाराष्ट्र की पहाड़ियों से जुड़ी सीमाओं पर नक्सलवाद की जड़ पनपती है, जहां कमजोर तबके के लोगों का हकों के बहाने नक्सलवाद को समर्थन मिल रहा है। यही कारण है पिछले साढ़े तीन दशक से ज्यादा समय से भारत सरकार के नक्सलवाद के खिलाफ तमाम प्रयासों का वह असर नहीं डाल पा रहे हैं जिसकी जरुरत है। ऐसे में मेरा दृष्टिकोण है कि सरकार अपने संदेशों को आम लोगों तक पहुंचाए। नक्सलवाद आज भी मोआवादी प्रभावित इलाकों के विकास में रोड़ा बना हुआ है। हालांकि पिछले दिनों में भारत सरकार की कुछ योजनाओं के कारण नक्सलवाद का अस्तित्व कम होता नजर आ रहा है, लेकिन ताजा घटना को देखते हुए सरकार के लिए यह जरुरी है कि वह नक्सलवाद के खिलाफ अपने अभियान में सुरक्षा बलों तथा सामाजिक बदलाव यानि दोनों पक्षों को शामिल करें। इसका कारण है कि नक्सलवाद ने उद्योगों से काफी धन वसूली करके अपनी आर्थिक ताकत बढ़ाई हुई है और नक्सली गरीब तबके को हर कदम पर मदद कर उनका समर्थन हासिल कर रहे है और सरकार के लिए इस नेटवर्क को तोड़े बिना इस समस्या का समाधान करना संभव नहीं होगा। ---(ओ.पी. पाल से बातचीत पर आधारित)--- 11Apr-2021

हरियाणा:ऐसे कैसे मिलेगा गरीबों आशियाना!

वर्ष 2022 तक ‘सबके लिए आवास’ मिशन की कछुआ चाल ओ.पी. पाल,रोहतक।--- प्रदेश में वर्ष 2022 तक ‘सबके लिए आवास’ मिशन के तहत गरीबों के लिए आवासों के निर्माण और उनके आंवटन को कछुआ चाल कहा जाए, तो शायद कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। वैसे भी प्रदेश में पीएमएवाई के तहत जितने आवासों के निर्माण की मंजूरी है, वह प्रदेश में गरीब परिवारों के हिसाब से एक तिहाई भी नहीं है। मसलन प्रदेश के शहरी व ग्रामीण अंचलों में गरीबों को मकानों का आवंटन हुआ भी है, तो ज्यादातर पात्र गरीब लोगों को तीन किस्तों में जारी होने वाली सहायता राशि के विलंब के कारण आशियाना मिलने का सपना अधूरा है। इसके विपरीत खासकर शहरी क्षेत्र में आवंटित हो चुके आवासों में खुद रहने के बजाए मालिक बन चुके लोगों ने उन्हें किराये पर देकर आमदनी का साधन भी बना लिया है। अंबाला में तो बीपीएल परिवारों के लिए बनाए गये डेढ़ हजार से ज्यादा फ्लैटों का आवंटन न होने के कारण उनकी खस्ताहाल है और वे खंडहर में बदल चुके हैं। हरियाणा में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों के लिए वर्ष 2022 तक 2.80 लाख से ज्यादा आवास बनाए जाने हैं। अभी तक 36,829 आवासों के निर्माण पूरा हुआ है और 72,831 आवासों के निर्माण कार्य अंतिम चरण में हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 51841 परिवार बेघर हैं, जिनमें 45.9 प्रतिशत शहरी और 54.1 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में हैं। जबकि पिछली जनगणना के मुताबिक झुग्गियों में रहने वाले परिवारों की संख्या करीब 3.32 लाख से ज्यादा है। जबकि वर्ष 2007 के सर्वे के अनुसार हरियाणा में 7,86,862 परिवार ऐसे थे, जिनके पास न तो अपनी जमीन थी और न ही मकान। पीएमएवाई योजना में प्रदेश में 2.81 आवासों को मंजूरी दी गई है। ऐसे में यह योजना भी ऊंट के मुहं में जीरा वाली साबित होती नजर आ रही है। वह भी योजना की कछुआ चाल के चलते गरीबों यानि बीपीएल परिवारों के लिए अगले साल यानि 2022 तक सभी को आशियाना देने का सपना कैसे पूरा होने पर सवालिया निशान लगाता नजर आ रहा है? हालांकि राज्य सरकार ने अंत्योदय-सरल योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए मकान मुहैया कराने हेतु हाउसिंग बोर्ड हरियाणा के फ्लैट और प्लाट देने की योजना चलाई है, जिसमें गरीबो के सिर पर छत का इंतजाम करने का लक्ष्य है। वहीं हाल ही में डा. बीआर अंबेडकर आवास नवीनीकरण योजना का लाभ अब सभी बीपीएल परिवारों को देने का ऐलान करते हुए मकानों की मरम्मत के लिए दी जाने वली वित्तीय सहायता को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 80 हजार रुपये करने का ऐलान किया है। अभी तक यह सहायता केवल अनुसूचित जाति के बीपीएल परिवारों को दी जा रही थी। वहीं पीएमएवाई के तहत बनाए जा रहे आवासों के निर्माण में तेजी लाने पर बल दिया गया है, ताकि गरीबों के मकानों का सपना पूरा किया जा सके। ------------------- पौने नौ लाख बीपीएल परिवार-------- हरियाणा के वर्ष 2021 के बीपीएल परिवारों के जारी आंकड़ो पर गौर करें तो ऐसे गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की संख्या 8,73,309 है। इनमें सबसे ज्यादा 61,480 परिवार हिसार जिले में हैं, जिसके बाद करनाल में 58,556 अंबाला में 57,036 और यमुनानगर में 53,989 परिवार हैं। इसके अलावा भिवानी में 48,853 जींद में 48,250 सोनीपत में 47,386, सिरसा मे 43,087, कैथल में 42,379, नूहं में 40615, पानीपत में 40586, कुरुक्षेत्र में 40168 परिवार हैं। सबसे कम 8,528 बीपीएल परिवार पंचकूला जिले में हैं। ---------------------------- प्रदेश में बनेंगे 2,80,898 आवास--------- हरियाणा में एक अप्रैल 2017 से अब तक 2,80,898 आवासों की मंजूरी दी जा चुकी है, जिसमें 8951 आवासों की मंजूरी बीते वित्तीय वर्ष 2020-21 में ही दी गई है। इस मंजूरी के तहत अब तक 36,829 आवासों के निर्माण का कार्य पूरा हो चुका है और 72,831 आवास निर्माणधीन चरण में है। इस योजना के तहत बीते वित्तीय वर्ष 2020-21 में कोरोना महामामरी के बावजूद सर्वाधिक 13,557 आवासों का निर्माण किया गया है। जबकि इससे पहले तीन वर्ष के दौरान यानि वित्तीय वर्ष 2017-18 में 2,093, वर्ष 2018-19 में 10,535 तथा वर्ष 2019-20 के दौरान 10,644 आवासों का निर्माण कार्य पूरा किया गया। --------------------------- प्रदेश में हुआ 52 फीसदी राशि का इस्तेमाल--------- पीएमएवाई-यू मिशन के तहत गरीबों के आवासों के निर्माण के लिए हरियाणा को पिछले पांच साल 2015-20 के दौरान केंद्रीय सहायता के रूप में 886.23 करोड़ रुपये की राशि मिली, लेकिन राज्य ने अभी तक इसमें से आवास निर्माण के लिए 461.45 करोड़ की राशि का ही उपयोग किया है। इससे पहले 2017-18 से 2019-20 तक केंद्रीय सहायता के रूप में हरियाणा को केंद्रीय सहायता के रूप में 766.84 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता दी गई थी, जिसमें 23272 आवासों के लिए 414.31 करोड़ की राशि का ही उपयोग किया गया था। ------------------------- किस जिले में कितने आवासों मंजूर--------- हरियाणा के 22 जिलों में फरीदाबाद जिले में सर्वाधिक 33608 तथा गुरुग्राम में 33537 आवासों के निर्माण की मंजूरी है। इसके अलावा अंबाला में 17,370, भिवानी में 8,452, चरखी दादरी में 1,912, फतेहाबाद में 6,803, हिसार में 20,286, झज्जर में 9,207, जींद में 9,732, कैथल में 10,817, करनाल में 16,873, कुरुक्षेत्र में 10,527, महेन्द्रगढ़ में 4,398, नूंह में 2,798, पलवल में 3,968, पंचकूला में 5,845, पानीपत में 14,743, रेवाडी में 6,102, रोहतक में 10,784, सिरसा में 8,792, सोनीपत में 13,764 और यमुनानगर में 14,510 आवासों के निर्माण की स्वीकृति है। इसके अलावा हरियाणा के छह शहरों में पीएमएवाई-यू मिशन के तहत स्लम पुनर्विकास घटक के तहत 3,593 आवास स्वीकृत किये गये हैं। -------------------------- हरियाणा में बेघर जनसंख्य------------ा हरियाणा में 51,841 परिवार बेघर यानि खुले आसमान के नीचे जीवन यापन कर रही है। इसमें 28,082 यानि 54.1 प्रतिशत ग्रामीण तथा 23,789 यानि 45.9 प्रतिशत शहरी परिवार है। भारत की जनगणना 2011 के अनुसार हरियाणा में झुग्गियों मे रहने वाले 3,32,697 स्लम परिवारों की 16,62,305 स्लम आबादी है। यह भी जाहिर है कि एक दशक में परिवारों में बढ़ोतरी के साथ आबादी का बढ़ना भी स्वाभाविक है। --------------------------------------- प्रदेश में बेघरों के लिए 50 आश्रय गृह सक्रीय------------- शहरी बेघरों समेत लोगों को आश्रय उपलब्ध कराने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। तथापि केंद्र सरकार राज्य सरकारों के माध्यम से शहरी बेघरों के लिए आश्रय उपलब्ध कराने में उनके प्रयास को सफल बनाने के मकस से दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन यानि डीएवाई-एनयूएलएम योजना के अंतर्गत शहरी बेघरों के लिए आश्रय(एसयूएच) योजना को प्रशासित कर रहा है। इस योजना में सर्वेक्षण के मुताबिक हरिया के 19,015 शहरी बेघरों के लिए आधारभूत सुविधाओं वाले 50 आश्रयगृह सक्रीय हैं। ------------------------ एससी/एसटी के लिए निर्मित आवास------------- हरियाणा में पीएमएवाई-यू मिशन के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए पिछले पांच साल से 24,030 आवास निर्मित किये जा रहे हैं, जिनमें गुरुग्राम में सर्वाधिक 6317 आवास स्वीकृत है। इसके बाद फरीदाबाद में 4205 तथा रोहतक में 1458 आवास बनाए जा रहे है। इसी प्रकार करनाल में 1315, हिसार में 1276, यमुनानगर में 1221, अंबाला में 1147, सोनीपत में 1101, कुरुक्षेत्र में 1027, रेवाडी में 947, पंचकूला में 789, जींद में 783, कैथल में 637, झज्जर में 602, पानीपत में 470, सिरसा में 179, भिवानी में 174, पलवल में 158, फतेहाबाद में 116, महेन्द्रगढ़ में 56, नूंह में 40 तथा चरखी दादरी में 12 आवास स्वीकृत हैं। ----------------------- क्या है केंद्र सरकार की योजन--------ा केंद्र सरकार के वर्ष 2022 तक ‘सबके लिए आवास’ के लक्ष्य के अनुसरण तक सभी पात्र शहरी परिवारों को सभी मौसम के अनुकूल पक्के आवास प्रदान करने हेतु राज्यों को केंद्रीय सहायता प्रदान करने के लिए 25 जून, 2015 से प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) मिशन का कार्यान्वयन कर रहा है। देशभर के 1.12 करोड़ आवास की वैध मांग की तुलना में पीएमएवाई-यू मिशन के चार संघटक के अंतर्गत अब तक 1,10,86,682 करोड़ आवासों की मंजूरी दी गई है। अब तक मंजूर किये गये आवासों में से 75,78,280 आवास निर्माण के विभिन्न चरणों में है और 43,54,855 आवास पूरे कर लिए गये हैं। जिनमें 1,78,082 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता शामिल है। इसमें से 90,782 करोड़ रुपये की राशि राज्यों व नोडल एजेंसियों को जारी किये जा चुके हैं। 05Apr-2021