शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

जल्द शुरू की जाएगी केन-बेतवा परियोजना


गडकरी ने एक घंटे में निपटाया यूपी-एमपी का विवाद 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में नदियों को आपस में जोड़ने वाली परियोजनाओं में केन-बेतवा परियोजना की शुरूआत में एनवक्त पर रोड़ा बने जिस मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उमा भारती मनाने में नाकाम रही, उन्हें नए जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने एक घंटे की बैठक में ही मनाकर इस परियोजना को शुरू करने का रास्ता प्रशस्त कर दिया है।
देश में सूखे और बाढ़ की समस्या से निपटने की दिशा में नदियों को आपस में जोड़ने वाली पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को केन-बेतवा परियोजना को जुलाई में ही शुरू करना था, लेकिन उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच जल बंटवारे को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने अनापत्ति पत्र नहीं सौंपा और इस परियोजना के पहले चरण में बदलाव की मांग करना शुरू कर दिया। इसके लिए तत्कालीन जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने पीएमओ का हस्तक्षेप करार शिवराज सिंह को मनाने को भरकश प्रयास किया, लेकिन एमपी सरकार टस से मस नहीं हुई। एक माह पहले ही मोदी कैबिनेट में हुए फेरबदल के तहत केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय का कार्यभार भी केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को सौंपा गया। कार्यभार ग्रहण करने के बाद ही गडकरी ने जल संबन्धी परियोजनाओं की समीक्षा बैठक में ऐलान कर दिया कि तीन माह में केन-बेतवा समेत नदियों को आपस में जोड़ने वाली तीन परियोजनाओं की शुरूआत कर दी जाएगी।
जल्द कैबिनेट में होगा प्रस्ताव
सूत्रों के अनुसार केन-बेतवा पर बरकरार यूपी व एमपी के जल बंटवारे के विवाद को निपटाने के लिए नितिन गडकरी ने प्रयास शुरू किये, तो इसी बीच नई दिल्ली में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों आदित्यनाथ योगी और शिवराज सिंह चौहान के साथ बैठक करके इस मुद्दे को सुलझान के प्रयास किये। बैठक के बाद गडकरी ने दोनों राज्यों के पक्षों को सुना और संकट में फंसी केन-बेतवा परियोजना को शुरू करने की राह आसान करने में कामयाबी हासिल की। इस संबन्ध में केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया है कि केन और बेतवा नदियों को जोड़ने की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर दोनों राज्यों के बीच कई सालों से चल रहे गतिरोध को सुलझा लिया गया है, जिसमें मध्य प्रदेश सरकार ने इस परियोजना के पहले चरण की योजना में बदलाव की मांग को वापस लेने का फैसला कर लिया है। उन्होंने बताया कि नदियों को आपस में जोड़ने के लिए मंत्रालय में इस साल तीन परियोजनाओं को शुरू करने के लक्ष्य के परियोजनाओं से संबन्धित छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की, जिसमें सबसे पहले शुरू की जाने वाली केन-बेतवा को दोनों राज्यों ने हरी झंडी दे दी है और उम्मीद है कि जल्द ही केन-बेतवा परियोजना को कैबिनेट में मंजूरी के लिए लाया जाएगा, जिसके बाद जल्द ही इसके पहले चरण की शुरूआत कर दी जाएगी।
क्या था विवाद
गौरतलब है कि इस परियोजना के तहत उत्तर प्रदेश को 1700 मिलियन क्यूबिक पानी देने का प्रावधान किया गया है, लेकिन मध्य प्रदेश यूपी को इससे कम पानी देने पर अड़ा हुआ था, जबकि उत्तर प्रदेश 2200 मिलियन क्यूबिक पानी देने की मांग करता रहा है। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने गत चार जुलाई को ही मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव और उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग के प्रधान सचिव ने इस परियोजना की स्थिति को लेकर हुई समीक्षा बैठक में यह प्रस्ताव पेश करके संकट खड़ा कर दिया था कि दूसरे चरण के हिस्से में शामिल कौथा बैराज, बीना काम्पलैक्स और निचले आर्रे बांध को भी परियोजना के पहले चरण में शामिल किया जाए। यही विवाद में इस परियोजना को आरंभ करने में विलंब का कारण बना रहा।  

आपदा से निपटने के एनडीएमए के फार्मूले का दुनिया ने माना लोहा



केंद्र सरकार एनडीएमए को और सशक्त करेगा:राजनाथ
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने देश में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में भी आपदा की स्थिति में बचाव का कार्य करते हुए अपना लोहा मनवाया है। इसी कारण एनडीएमए की सामूहिक तैयारी को बेहतर बनाने के लिए संयुक्त शहरी भूकम्प खोज व बचाव कार्य से संबंधित एक प्रस्ताव को शंघाई सहयोग संगठन ने भी एकमत से स्वीकार किया है।
यह बात गुरुवार को यहां विज्ञान भवन में ‘स्कूल संरक्षा’ थीम के साथ मनाए गये राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के 13वें स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन करते हुए कही और प्राधिकरण की सराहना करते हुए पीठ भी ठोकी है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इसे और भी सशक्त बनाने की योजना पर काम कर रहा है। राजनाथ सिंह ने कहा कि अपने 13 सालों के कार्यकाल में एनडीएमए ने लंबी यात्रा करते हुए पूरे विश्व में भारत की विश्वसनीयता स्थापित की है। उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए गौरव का क्षण रहा जब पिछले महीने किर्गिस्तान में आपदा प्रबंधन विषय पर हुए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ)में एनडीएमए के आपदा प्रबंधन की क्षमताओं का बढ़ाने के लिए बेहतर कार्यों के कारण भारत को प्रशंसा मिली। गृहमंत्री ने कहा कि उन्होंने सामूहिक तैयारी को बेहतर बनाने के लिए संयुक्त शहरी भूकम्प खोज व बचाव कार्य से संबंधित एक प्रस्ताव भी दिया था और इस प्रस्ताव को एससीओ के सभी सदस्यों ने एकमत से स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि भारत ने 2014 में नेपाल में आए भूकम्प में राहत के लिए सहायता प्रदान की थी और इसी प्रकार एनडीआरएफ टीम को मदद के लिए जापान भेजा गया था। राजनाथ सिंह ने कहा कि बाढ़ की विपदा-प्रबंधन के लिए राजनयिक प्रयासों की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि नदियों के जल विज्ञान संबंधी आंकड़े पड़ोसी देशों के साथ साझे किए जाने चाहिए। इस संबंध में एकमत होना आवश्यक है। अगले महीने बिम्सटेक आपदा प्रबंधन बैठक में इसकी शुरूआत की जा सकती है।
‘स्कूल संरक्षा’ सुरक्षित भारत का द्योतक
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस वर्ष के थीम ‘स्कूल संरक्षा’ पर एनडीएमए को बधाई देते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन के अंतर्गत बच्चों की संरक्षा को लाना प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि बच्चे इस क्षेत्र में अपना योगदान दे सकते हैं और उनकी ऊर्जा व कल्पना एनडीएमए के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती है। रूचि के अनुसार बच्चों को जोड़ा जाना चाहिए। आपदा संरक्षा के लिए एनडीएमए को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि यह संगठन ‘सुरक्षित भारत’ के स्वप्न को पूरा करेगा।

जल्द बढ़ेगी 700 ट्रेनों की रफ्तार

रेल संरक्षा के साथ रेलवे को हाईटेक बनाएगा इसरो
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के देश की लाइफ लाइन रेलवे को एक ऐसा इंजन बनाने के लक्ष्य को नया भारत के विजन के तहत भारतीय रेलवे में व्यापक बदलाव की दिशा में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं, जिसमें रेल सुरक्षा और संरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता की दृष्टि से भारतीय रेल को हाईटेक बनाने की योजना में इसरो की मदद ली जाएगी। वहीं रेलवे ने एक नवंबर से 700 ट्रेनों की गति सीमा बढ़ाने का भी निर्णय लिया है।
भारतीय रेल में बदलाव को लेकर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेल भवन में गुरुवार को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण निर्णयों का ऐलान किया है। उन्होंने पीएम मोदी के विजन ‘नया भारत’ को गति देने की दिशा में कहा कि रेलवे भारतीय यात्रियों के लिए सुरक्षा, गति एवं सेवा के उच्च मानक सुनिश्चित करने के साथ राष्‍ट्र के विकास में अहम योगदान देने के लिए भी प्रतिबद्ध है। गोयल ने कहा कि रेलवे के सफर को सुरक्षित बनाए रखने के लिए इसरो, रेल-टेक और भारतीय रेल सभी एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने जरूरी परिवर्तनकारी कदमों का ऐलान करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी के जरिये बदलाव के तहत सभी स्‍टेशनों एवं रेलगाडि़यों में हाई स्‍पीड वाई-फाई कनेक्टिविटी के साथ आगामी एक नवंबर से भारतीय रेलवे ने संरक्षा को रेलवे समय सारिणी से जोड़ते हुए नियमित ट्रैक अनुरक्षण हेतु स्थायी ब्लॉक देने के मकसद से करीब 700 ट्रेनों की गति बढ़ाने और आवागमन के समय में समायोजन करने का फैसला किया है। वहीं 48 ट्रेनों को मेल एक्‍सप्रेस के बजाय सुपरफास्ट एक्‍सप्रेस ट्रेन में तब्‍दील करने का भी फैसला किया। उन्होंने बताया कि अगले साल से आईसीएफ कोच के बजाय एलएचबी कोचों को इस्‍तेमाल में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसरो के जरिये सभी रेल परिसंपत्तियों के उपग्रह आधारित मानचित्रण में तेजी लाई जाएगी और वहीं ट्रेनों के आवागमन की जीपीएस आधारित रियल टाइम निगरानी से जुड़ी परियोजना को भी कारगर बनाया जाएगा। इस मौके पर रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी आदि प्रमुख रेलवे अधिकारी भी मौजूद थे।
यात्री सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया कि सुरक्षा को उच्च प्राथमिकता देते हुए नई लाइनों, आमान परिवर्तन, पटरियों के आवंटन के मुकाबले पटरी नवीकरण को प्राथमिकता देने पर जोर रहेगा, जिनका अधिकारियों द्वारा क्षेत्रीय निरीक्षण पर विशेष बल देते हुए रेलवे उनके रखरखाव ब्‍लॉकों को मंजूरी दिए जाने को उच्च प्राथमिकता देना पहला लक्ष्य होगा। रेलवे ने मैनुअल इंटरलॉकिंग के स्‍थान पर इलेक्‍ट्रॉनिक सिग्नल इंटरलॉकिंग की संख्‍या बढ़ाने का भी निर्णय लिया है और शेष 5 हजार मानव रहित लेवल क्रॉंसिंग को समयबद्ध ढंग से हटाने के काम में तेजी लाने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षा व्‍यवस्‍था बेहतर बनाने की दिशा में ट्रैक उन्नयन के साथ ही ट्रेन प्रोटेक्शन वार्निंग सिस्टम, मोबाइल ट्रेन रेडियो कम्युनिकेशन तथा अत्याधुनिक सिगनल प्रणाली के माध्यम से रेल दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के अलावा हर प्रमुख रेलवे स्टेशन, प्लेटफार्मो एवं ट्रेन के कोचों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के प्रावधान के जरिए सुरक्षा का पूरा प्रबंध किया जाएगा। वहीं उन्होंने कहा कि रेलवे में पारदर्शिता बनाए रखने की दिशा में आरपीएफ के जवानों और सभी टीटीई को अपनी यूनिफॉर्म में डियूटी करने के निर्देश दिये गये हैं।
रेलवे को हाईटेक बनाने की योजना
पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय रेलवे को हाईटेक बनाने की दिशा में मौजूदा सिग्नल प्रणाली को बेहतर करने के लिए टीपीडब्‍ल्‍यूएस (रेल सुरक्षा एवं चेतावनी प्रणाली और एमटीआरसी (मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार) का उपयोग किया जाएगा। उपनगरीय और लम्बी दूरी की रेलगा‍डि़यों में अत्‍या‍धुनिक सिग्नल प्रणाली लगाने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगले चार-पांच सालों में रेलवे लाइनों के विद्युतीकरण का कार्य पूरा किया जाएगा। वहीं रेलगाडि़यों, स्‍टेशनों, कार्यालय भवनों और आवासीय परिसरों में समयबद्ध ढंग से 100 फीसदी एलईडी लाइटिंग और कम ऊर्जा खपत वाले उपकरण जैसे कि पंखे, एसी इत्‍यादि लगाए जाएंगे। इसी प्रकार दिसंबर 2018 तक लगभग 20 स्‍टेशनों का आधुनिकी‍करण काफी तेजी से पूरा हो जाएगा, जहां बेहतर बुनियादी ढांचागत एवं यात्री सुविधाएं होंगी। इसके अलावा लोको चालकों के रनिंग रूम को वातानुकूलित किया जा रहा है।

गुरुवार, 28 सितंबर 2017

'अंब्रेला स्कीम' के जरिए होगा पुलिस आधुनिकीकरण



केंद्र सरकार ने दी 25,060 करोड़ रुपए की योजना को मंजूरी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में आतंरिक सुरक्षा को मजबूत बनाने की दिशा में केंद्र सरकार देशभर में 'अंब्रेला स्कीम' के तहत पुलिस के आधुनिकरण करेगी, जिसके लिए सरकार ने इस योजना के तहत राज्यों के साथ मिलकर 25,060 करोड़ रुपए खर्च करने का निर्णय लिया है। इस योजना में खर्च होने वाली धनराशि में केंद्र का 80 फीसदी और राज्यों को 20 फीसदी हिस्सा होगा।                         
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में पुलिस आधुनिकीकरण के लिए मंत्रालय की 'अंब्रेला स्कीम' को मंजूरी दी गई है, जिसमें देशभर में अगले तीन सालों के दौरान 25060 करोड़ रुपये खर्च किया जाएगा। इस अनुमानित बजट में केंद्र की 18636 करोड़ रुपये तथा राज्यों की 6424 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी तय की गई है। गृहमंत्री सिंह ने जानकारी दी कि इस स्कीम के तहत आंतरिक सुरक्षा, कानून-व्यवस्था, महिला सुरक्षा, हथियारों की खरीद, पुलिस बलों की गतिशीलता, पुलिस वायरलेस का उन्नयन, राष्‍ट्रीय स्‍टेलाइट नेटवर्क, सीसीटीएनएस परियोजना और हेलिकॉप्टरों का भाड़े का खर्चा वहन किया जाएगा। इस योजना के तहत जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर राज्यों और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए 11,300 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान किया गया है।
वामपंथी उग्रवाद पर फोकस
गृहमंत्रालय के सूत्रों ने मंजूर की गई 'अंब्रेला स्कीम' में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित 35 जिलों को इस बजट के अलावा तीन हजार करोड़ रुपये की विशेष केन्‍द्रीय सहायता (एससीए) का प्रावधान भी किया गया है। इससे वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्‍यों द्वारा सुरक्षा तथा विकास गतिविधियों के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों से वृद्धि हो सकेगी। इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्यों में पुलिस इंफ्रास्टक्चर अपग्रेडिंग ट्रेनिंग इंस्‍टीट्यूट इनवेस्‍टग्रेडिंग फेसेलेटिज़ के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। गृहमंत्री राजनाथ का मानना है कि  इस योजना के कार्यान्वयन से उग्रवाद द्वारा प्रभावित क्षेत्रों, जम्‍मू-कश्‍मीर और पूर्वोत्त्र क्षेत्रों जैसे विभिन्न राज्‍यों में चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने में सरकार को मदद मिलेगी और जीवन की गुणवत्‍ता में सुधार लाने के लिए विकास में आने वाले अवरोधों से पार पाया जा सकेगा और उसके साथ ही चुनौतियों से प्रभावी ढंग से लड़ने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त इस अम्‍ब्रेला योजना के तहत अमरावती, आंध्र प्रदेश में एक नई अत्‍याधुनिक विधि विज्ञान प्रयोगशाला की स्‍थापना और जयपुर में सरदार पटेल वैश्‍विक सुरक्षा केन्‍द्र का उन्ययन, आतंकवाद निरोधी एवं आतंकवादी गतिविधि रोकथाम केन्‍द्र और गांधीनगर, गुजरात में विधि विज्ञान विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना का भी प्रावधान है।

केंद्र सरकार ने चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाई



केंद्रीय कैबिनेट ने दी कई महत्वपूर्ण फैसलों को मंजूरी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों को प्रभावी बनाने की दिशा में विभिन्न विभागों के चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 साल करने का निर्णय लिया है। केंद्रीय कैबिनेट ने इस प्रस्ताव की मंजूरी देने के साथ कई अन्य महत्वपूर्ण फैसले भी लिये हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के फैसलों की जानकारी केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक संवाददाता सम्मेलन में देते हुए कहा कि कैबिनेट ने चिकित्‍सा सेवा के चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाकर 65 वर्ष करने वाले एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके दायरे में उच्चत्तर शिक्षा विभाग के तहत केंद्रीय विश्‍वविद्यालयों और आईआईटी जैसे स्‍वायत्त निकायों में कार्यरत चिकित्सकों के अलावा जहाजरानी मंत्रालय के तहत प्रमुख पत्तन न्‍यासों, आयुष चिकित्सक, सशस्‍त्र बल चिकित्‍सा सेवा महानिदेशक के अधीन सिविलियन चिकित्सक, रक्षा उत्‍पादन विभाग में भारतीय आयुध कारखानों की चिकित्सा सेवा के चिकित्‍सा अधिकारी, स्‍वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग के अधीन दंत चिकित्सक, रेल मंत्रालय के अधीन दंत चिकित्सक तथा तकनीकी संस्‍थानों में कार्यरत चिकित्सक के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन चिकित्‍सकों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी गई है।  इस प्रस्ताव में वे केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा के चिकित्सक शामिल नहीं है, जिनकी सेवा निवृत्ति की आयु पहले ही 31 मई, 2016 को 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी गई थी।
अब छावनियों में भी लगेंगे मोबाइल टावर
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने यह जानकारी दी है कि देश की सभी सैन्य छावनियों में टावरों को लगाने के एक प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंजूरी दी गई है। यह मंजूरी साझा संचार टावरों और संबद्ध बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए संचार ऑपरेटरों को रक्षा भूमि उपलब्ध कराने के लिए लागू नीति के क्रियान्यवन के अनुभव और दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा मोबाइल टावरों की स्‍थापना के लिए दी गई है।  प्रसाद का कहना है कि दूरसंचार कंपनियां लंबे समय से शिकायत करती रही हैं कि सैन्य छावनियों के आस-पास में उनके पास टावर लगाने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है जिसकी वजह से मोबाइल सिग्नल कमजोर होते हैं और इससे कॉल ड्रॉप की समस्या बढ़ती है। इससे पहले सरकार ने सरकारी इमारतों में मोबाइल टावर लगाने की अनुमति दी थी ताकि कनेक्टिविटी को बढ़ाया जा सके।
हवाई अड्डों से जुडेंगे आस-पास के गांव
मंत्रिमंडल ने राजमुंद्री हवाई अड्डे के इर्द-गिर्द के पड़ोसी गांवों के लिए सम्पर्कता मुहैया कराने हेतु सड़क निर्माण के लिए एएआई की 10.25 एकड़ भूमि की आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान की गई समतुल्य भूमि के साथ अदला-बदली करने से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दी। यह प्रस्ताव राजमुंद्री हवाई अड्डे के आसपास के गांवों के लिए सड़क संपर्कता मुहैया कराने के लिए है, ताकि क्षेत्र की आम जनता के लिए आवागमन की सुविधा प्रदान की जा सके। इसके अलावा कैबिनेट में लखनऊ मेट्रो रेल को चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे लखनऊ पर 1899 वर्गमीटर भूमि के स्थायी हस्तांतरण के लिए अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।

रेलवे सुरक्षा बल तलाशेगा लापता बच्चे



देश में 82 रेलवे स्टेशन पर चलेगा ‘ऑपरेशन मुस्‍कान’
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में लापता हो रहे बच्चों को तलाशने के लिए गृहमंत्रालय के ‘ऑपरेशन मुस्‍कान’ के तहत रेलवे सुरक्षा बल के चलाए जा रहे बाल सुरक्षा अभियान को अब देश के बड़े रेलवे स्टेशनों समेत 82 रेलवे स्टेशन पर चलाने का निर्णय लिया है।
रेल मंत्रालय ने रेलवे सुरक्षा बल के पिछले तीन साल से 35 रेलवे स्टेशनों पर चलाए जा रहे बाल सुरक्षा अभियान की सफलता को देखते हुए अब 47 अतिरिक्त रेलवे स्टशनों को भी अभियान में शामिल कर लिया है ,जिसमें देश के ए-1 श्रेणी के 75 बड़े रेलवे स्टेशन भी शामिल हैं। रेल मंत्रालय के अनुसार रेलवे सुरक्षा बल ने इस अभियान के तहत पिछले तीन सालों में 21 हजार बच्चों को तलाशकर उनका बचाव किया है। इसके लिए गृह मंत्रालय ने रेलवे सुरक्षा बल को पुरस्कृत भी किया है। इस अभियान को विस्तार देने का निर्णय लेते हुए रेल मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। रेल मंत्रालय के अनुसार  ‘ऑपरेशन मुस्‍कान’ लापता बच्‍चों के बचाव और पुनर्वास के लिए गृह मंत्रालय द्वारा चलाई गई एक प्रमुख पहल है, जिसमें पुलिस संगठन गुमशुदा बच्‍चों की खोज और बचाव के लिए विभिन्न कार्य योजनाओं को अंजाम देते हुए ऐसे बच्‍चों को उनके परिवार से मिलाते हैं। इसमें रेलवे पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल भी शामिल है जो रेल गाडि़यों और रेलवे परिसरों में ऐसे गुमशुदा बच्‍चों की सहायता करती है जिन्‍हें संरक्षा और सहायता की जरूरत होती है। रेलवे के अनुसार रेलवे सुरक्षा बल प्रतिदिन रेलों और रेल परिसरों से 20-25 ऐसे बच्‍चों को उनके माता-पिता, रिश्‍तेदारों अथवा स्‍वयंसेवी संगठनों के सुरक्षित हाथों में सौंप रही है। ये बच्‍चे कानून द्वारा स्‍थापित बाल कल्‍याण समितियों और कानूनी पुनर्वास संस्‍थानों को भी सौंपे जाते हैं। यह कल्‍याणकारी कार्य करके प्रति वर्ष रेलवे सुरक्षा बल के कर्मियों ने हजारों दुखी और हताश माता-पिता और रिश्‍तेदारों के चेहरे पर मुस्‍कान वापस दी है।
रेलवे स्टेशनों पर विशेष बूथ
मंत्रालय के अनुसर इस अभियान के तहत चिन्हित किये गये रेलवे स्‍टेशनों पर विशेष बूथ और बाल सहायता स्थल बनाए गये हैं। इन बूथों पर रेलवे सुरक्षा बल के कर्मचारियों की 24 घंटे तैनाती के अलावा अलावा महिला व बाल विकास मंत्रालय द्वारा नामांकित स्‍वयंसेवी संगठन और बाल सहायता से संबद्ध कर्मचारी की भी तैनाती की गई है। पिछले तीन सालों में बचाए गये करीब 21 हजार बच्चों में मानव तस्करी के शिकार 1,317 बच्‍चे भी शामिल रहे, जिनमें 944 लड़के और 373 लड़कियां शामिल थीं। इस साल के पहले आठ माह में रेलवे सुरक्षा बल ने 7,126 बच्‍चों को मुक्त कराया है, जिनमें 61 लड़कियों समेत 185 ऐसे बच्‍चे मानव तस्‍करी के जाल में फंसे हुए थे।

रविवार, 24 सितंबर 2017

पीएम मोदी ने दी यूपी को डेढ़ दर्जन परियोजनाओं की सौगात

वारणसी को रेल के जरिए बडोदरा तक जोड़ा, महामना एक्सप्रेस ट्रेन शुरू
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी के अपने दो दिवसीय दौरे की शुरूआत करते हुए जहां नमामि गंगे की एसटीपी परियोजना की आधारशिला रखी, वहीं उन्होंने वाराणसी से बडोदरा के बीच चलने वाली महामना एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया।
उत्तर प्रदेश में अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दो दिन के दौरे पर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन बजे वाराणसी गये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी एयरपोर्ट पहुंचे। एयरपोर्ट पर राज्यपाल रामनाईक, सीएम योगी आदित्यनाथ समेत कई भाजपा नेताओं ने मोदी का स्वागत किया। एयरपोर्ट से पीएम मोदी हैलिकॉप्टर से बड़ा लालपुर स्थित ट्रेड फेसिलिटेशन सेंटर पहुंचे। जहां उन्होंने इस सेंटर का उद्घाटन किया। अपने दौरे की शुरूआत मोदी ने बड़ा लालपुर के मंच से महामना एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखा कर वाराणसी से रवाना किया, जो वाराणसी से बडोदरा के बीच सप्ताह में एक दिन चलाई जाएगी।
नमामि गंगे की परियोजना का शिलान्यास
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को ही नमामि गंगे मिशन के तहत वाराणसी में वाराणसी के रमना में 50 एमएलडी क्षमता के 153.16 करोड़ की लागत वाले सीवेज परिशोधन संयंत्र (एसटीपी) की आधारशिला भी रखी। यह संयंत्र हाइब्रिड एन्यूटी-मॉडल पर आधारित है। सीवेज क्षेत्र में पहली बार हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल का उपयोग किया जा रहा है। नमामि गंगे मिशन के तहत पहले ही मंजूरी हो चुकी 153.16 करोड़ रुपये की लागत वाले इस संयंत्र के निर्माण, परिचालन व रख-रखाव का कार्य की परियोजना को एक कॉन्सोर्टियम को दिया गया है जिसकी अगुवायी एस्सेल इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड नामक कम्पनी कर रही है। वाराणसी में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत निर्मल गंगा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए यह एक बड़ा कदम होगा। जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल के तहत केन्द्र सरकार इस परियोजना का 100 प्रतिशत खर्च वहन करेगी। इस मॉडल के तहत एसटीपी का विकास, परिचालन और रख-रखाव स्थानीय स्तर पर बनाई गई एक स्पेशल पर्पज विह्कल (एसपीवी) करेगी। इस मॉडल के अनुसार लागत की 40 प्रतिशत राशि का भुगतान निर्माण के दौरान किया जाएगा और शेष 60 प्रतिशत राशि का भुगतान अगले 15 वर्षों के दौरान वार्षिक तौर पर किया जाएगा जिसमें परिचालन और रख-रखाव (ओ एंड एम) का खर्च भी शामिल होगा।

शुक्रवार, 22 सितंबर 2017

रेलवे ट्रेकों के विद्युतीकरण पर तेजी से होगा काम

डीजल इंजन के खर्च को बचाने की कवायद
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।  
देश में लगातार बेपटरी होती ट्रेनों को हादसे से बचाने की दिशा में रेल सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए रेलवे ने कई योजनाओं को शुरू करने का निर्णय लिया है। इसी दिशा में देशभर में रेलवे ट्रेकों का पूर्ण रूप से विद्युतीकरण करने के काम को तेजी शुरू करने के निर्देश दिये गये हैं।
यहां आयोजित भारतीय गुणवत्ता परिषद के 12वें राष्ट्रीय गुणवत्ता सम्मेलन के दौरान रेल मंत्री पीयूष गोयल ने देश में रेलवे के सुरक्षित और टिकाऊ परिचालन को लेकर कहा कि रेलवे के आर्थिक ढांचे में सुधार करने की दिशा में रेलवे ट्रैकों का विद्युतीकरण किया जाना जरूरी है, जिसे रेलवे को बड़े पैमाने पर धनराशि की बचत भी हो सकेगी। उन्होंने कहा कि डीजल इंजन पर रेलवे के परिचालन में रेलवे का सालाना लगभग 16 हजार करोड़ खर्च करने पड़ रहे हैं, लेकिन विद्युतीकरण के बाद इस खर्च में कम से कम 50 फीसदी की कमी की जा सकेगी और रेलवे का परिचालन में सुधार आना तय है। गोयल ने कहा कि रेलवे ट्रेकों के विद्युतीकरण की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए उनकी संबन्धित लोगों और महकमें से बातचीत चल रही है, जिसमें उपकरण और बुनियादी ढांचा की पर्याप्त उपलब्धता को देखना है। संपूर्ण रेलवे ट्रेक के विद्युतीकरण को अंतिम रूप से पूरी प्रक्रिया पर काम जारी है और जल्द ही इस बारे में निर्णय किया जाएगा।
आर्थिक बोझ तले रेलवे
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने स्वीकार किया है कि रेलवे पहले से ही घाटे में चल रहा है और अब सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों लागू होने से भारतीय रेलवे पर और भी आथिक बोझ बढ़ा है। गोयल ने कहा कि रेलवे ट्रैक के नवीनीकरण और उसके रखरखाव को लेकर 2004 और 2014 के बीच निवेश काफी कम हुआ है। इससे भारतीय रेलवे को काफी क्षति पहुंची है। उन्होंने कहा कि रेलवे के आर्थिक घाटे को पाटने के लिए भी सरकार ने कई ठोस उपाय किये है, जिसमें निवेश को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने के साथ नई तकनीकी और अन्य संसाधनों में सुधार करने की योजना पर भी विचार किया जा रहा है।

वीवीपेट ईवीएम से होंगे सभी राज्यों में चुनाव



सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चुनाव आयोग ने कसी कमर
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने भविष्य में लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनावों में वीवीपैट ईवीएम से कराने के लिए कमर कस ली है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में सभी राज्यों के चुनाव आयोगों को दिशानिर्देश जारी करके राज्यों में होने वाले चुनावों के लिए वीवीपैट ईवीएम की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को उच्चतम न्यायालय के आदेशों का हवाला देते हुए भेजे गये दिशानिर्देशों में लोकसभा या विधानसभा चुनाव के दौरान प्रत्येक मतदान केन्द्र पर वीवीपेट युक्त ईवीएम लगाने का काम चरणबद्ध तरीके से पूरा करने को कहा गया है। चुनाव आयोग में अवर सचिव मधुसूदन गुप्ता के अनुसार आयोग ने सभी राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को संबद्ध राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनाव पूरी तरह से वीवीपेट युक्त ईवीएम से कराने का निर्देश दिया है। अदालत के आदेश के अनुपालन में केंद्रीय चुनाव आयोग ने इसी लोकसभा की सात रिक्त सीटों पर उपचुनाव और इस साल के अंत में गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव को देखते हुए हरेक मतदान केंद्र के लिए प्रत्येक वोटिंग मशीन को वीवीपेट से लैस करने की अनिवार्य किया जा रहा है। यहीं नहीं आगामी 11 अक्टूबर को पंजाब की गुरदासपुर लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में भी प्रत्येक मतदान केंद्र पर वीवीपेट से लैस ईवीएम मशीन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है।
छग व मप्र में भी वीवीपेट से होंगे चुनाव
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार इसके बाद अगले साल छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आयोग ने प्रत्येक मतदान केन्द्र पर वीवीपेट युक्त ईवीएम लगाने के काम को जल्द से जल्द चरणबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए राज्यों के चुनाव आयोगों से कहा है। इसके लिए आयोग के पास पर्याप्त मात्रा में वीवीपेट मशीनें हैं और चुनाव आयोग पहले ही देश में वीवीपीएटी का विनिर्माण कंपनियों ईसीआईएल और बीईएल को 16.15 लाख वीवीपेट मशीनों का आर्डर दे चुका है, जिन्हें तैयार किया जा रहा है।
22Sep-2017

रेलवे कर्मचारियों को दिया 78 दिन के बोनस का तोहफा



केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में हुए कई अहम फैसले
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
कैबिनेट ने रेलवे के कर्मचारियों के बोनस के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए दीवाली से पहले ही रेल कर्मचारियों को 72 के बजाए 78 दिन की दीहाडी का बोनस देने का ऐलान किया है। कैबिनेट की बैठक में हुए अन्य महत्वपूर्ण निर्णयों के तहत आईटीडीसी के तीन और होटलों को राज्यों को सौंपने की मंजूरी दी है। वहीं सरकार ने खेलो इंडिया योजना के पुनरूद्धार को मंजूरी देते हुए खेल व खिलाड़यों को प्रोत्साहन देने का निर्णय लिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में गैर राजपत्रित रेल कर्मचारियों को 78 दिनों का बोनस देने का प्रस्ताव मंजूरी कर लिया गया, जिसके तहत रेलवे के करीब 12 लाख 30 हजार कर्मचारियों को दीवाली से पहले प्रोडक्टिविटी लिंक्ड बोनस के रूप में बड़ा तोहफा मिलेगा। एक संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में हुए फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि 6 साल पहले रेलकर्मियों को 78 दिनों का बोनस देने का फार्मूला था। इसीलिए सरकार ने इसी के तहत  बोनस देने का फैसला किया है जिसमें रेल कर्मचारियों को कुल रेल कर्मचारियों के लिए 78 दिनों का पीएलबी भुगतान करने में 2245.45 करोड़ रूपए के वित्तीय व्यय के खर्च अनुमान है। पीएलबी के भुगतान के लिए मजूरी की गणना करने की अधिकतम सीमा सात हजार रूपए प्रति माह निर्धारित है। प्रत्‍येक पात्र रेल कर्मचारी के लिए 78 दिनों की अधिकतम देय राशि 17,951 रुपये रूपए है।
तीन आईटीसी होटल राज्य सरकारों को सौंपे
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय पर्यटन विकास निगम लि. की यूनिट अशोक होटल जयपुर तथा ललिता महल पैलेस होटल मैसूर को क्रमशः राजस्थान सरकार एवं कर्नाटक सरकार को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया है। वहीं सरकार ने आईटीडीसी के डॉनई पोलो अशोक होटल कार्पोरेशन ईटानगर के 51 प्रतिशत इक्विटी शेयरों को अरूणाचल प्रदेश सरकार के पक्ष में विनिवेश को मंजूरी दे दी है। आईटीडीसी होटलों व संपत्तियों को उन राज्यों को जहां ये मौजूद हैं, पट्टे-उपपट्टे पर दे दिया जाए और जहां राज्य पट्टे-उपपट्टे पर इन्हें लेने के लिए सहमत न हो, वहां इन संपत्तियों को सरकारी मूल्यांकित कीमत पर राज्यों को वापस लौटा दिया जाए। इस नीति के तहत इससे पहले पर्यटन मंत्रालय ने होटल लेक व्यू अशोक भोपाल, होटल ब्रह्मपुत्र अशोक गुवाहाटी तथा होटल भरतपुर अशोक भरतपुर की संपत्तियों या यूनिटों को संबंधित राज्य सरकारों को हस्तांतरित किया था।
सरकारी प्रिटिंग प्रेसों का मर्जर
में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सरकार के 17 मुद्रणालयों (जीआईपी) व उनकी इकाइयों को युक्तिसंगत बनाने के मकसद से विलय एवं आधुनिकीकरण को मंजूरी दी है। इसके जरिये भारत सरकार के इन 17 मुद्रणालयों (जीआईपी) को पांच मुद्रणालयों में मर्जर करेगी। जिन पांच मुद्रणालयों में बाकी सभी प्रिटिंग प्रेसों में नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन, मिंटो रोड एवं मायापुरी के अलावा महाराष्ट्र के नासिक और पश्चिम बंगाल में कोलकाता में टेम्पल रोड स्थित मुद्रणालय शामिल हैं। सरकार का मानना है कि इन पांच मुद्रणालयों की अतिरिक्त भूमि को भुनाकर उनका आधुनिकीकरण और नए सिरे से विकास किया जाएगा। अन्य एकीकृत मुद्रणालयों की 468.08 एकड़ भूमि शहरी विकास मंत्रालय के भूमि एवं विकास कार्यालय को सौंप दी जाएगी। चंडीगढ़, भुवनेश्वर और मैसूर स्थित भारत सरकार पाठ्य पुस्तक मुद्रणालयों की 56.67 एकड़ भूमि संबंधित राज्य सरकारों को लौटा दी जाएगी।
स्टेडियमों के साथ खिलाडियों का निर्माण
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2017-18 से 2019-20 की अवधि के लिए 1,756 करोड़ रूपये के ‘खेलो इंडिया’ योजना के पुनरूद्धार को मंजूरी दी है। इस कार्यक्रम को व्‍यक्तिगत विकास, सामुदायिक विकास, आर्थिक विकास और राष्‍ट्रीय विकास के रूप में खेलों को मुख्य धारा से जोड़े जाने के फलस्‍वरूप भारतीय खेलों के इतिहास में यह एक उल्‍लेखनीय उपलब्‍धि का क्षण है। पुनरूद्धार किए गए कार्यक्रम का प्रभाव संरचना, सामुदायिक खेल, प्रतिभा की खोज, उत्‍कृष्‍टता के लिए कोचिंग, प्रतिस्‍पर्धागत ढांचा तथा खेल की अर्थव्‍यवस्‍था सहित सम्‍पूर्ण खेल प्रणाली पर पड़ेगा। केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि इस योजना के तहत ना सिर्फ स्टेडियम तैयार किए जाएंगे, बल्कि नए खिलाड़ियों का विकास किया जाएगा।

बुधवार, 20 सितंबर 2017

साइबर अपराधों पर नकेल कसेगी सरकार


राजनाथ ने की वित्तीय क्षेत्र में साइबर अपराधों की समीक्षा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार बढ़ते साइबर अपराधों खासकर वित्तीय क्षेत्र में धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए गंभीर है और इसके लिए सरकार ने कानूनी प्रावधान को सख्त करके निगरानी तंत्र को मजबूत बनाने पर बल दिया है।
देश में खासकर वित्‍तीय क्षेत्र में बढ़ते साइबर अपराधों की रोकथाम हेतु उठाए जा रहे विभिन्न कदमों की समीक्षा के लिए मंगलवार को यहां संबन्धित एजेंसियों और कुछ राज्यों के प्रतिनिधियों की बैठक हुई। इस समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश में विशेषकर स्मार्ट कार्डो और ई-वालेट के इस्तेमाल करके वित्‍तीय क्षेत्र में बढ़ती साइबर धोखाधडि़यों में हो रही व्‍यापक वृद्धि को चिंता का विषय है। केंद्रीय गृह मंत्री ने सभी संबंधित एजेंसियों को समयबद्ध ढंग से आवश्यक कदम उठाने का निर्देश जारी करते हुए कहा कि सभी संबंधित एजेंसियों के बीच समुचित तालमेल बैठाकर ऐसे साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाए। बैठक में वित्तीय साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए अपनाई जा रही रणनीतियों पर विस्‍तार से चर्चा करते हुए विभिन्न एजेंसियों के अधिकारियों ने अपनी-अपनी प्रस्‍तुतियां भी दीं और देश में वित्तीय साइबर अपराधों के मौजूदा हालातों के साथ ही इस चुनौती का सामना करने के लिए अपनी-अपनी एजेंसियों द्वारा उठाए जा रहे कदमों से गृह मंत्री राजनाथ को अवगत कराया। एजेंसियों ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस स्थिति से निपटने के लिए कानूनी एवं तकनीकी दोनों ही कदम उठाने की जरूरत है। पुलिस अधिकारियों, न्‍यायिक अधिकारियों और फॉरेंसिक वैज्ञानिकों के साथ-साथ बैंकिंग क्षेत्र जैसे विभिन्न हितधारकों के अधिकारियों के भी क्षमता निर्माण को इस दिशा में एक महत्‍वपूर्ण उपाय माना गया है। महत्‍वपूर्ण साइबर फॉरेंसिक उपकरण हासिल करने के उपाय के साथ इस दिशा में लक्ष्य प्राप्ति के लिए इन एजेंसियों में साइबर अपराध निवारण पहलों पर अमल में तेजी लाने का निर्णय लिया गया है।

शनिवार, 16 सितंबर 2017

परिवहन क्षेत्र में भुगतान को डिजिटल करने की तैयारी

अगले सप्ताह परिवहन विकास परिषद करेगी कई फैसले
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में सार्वजनिक परिवहन में सुधारों की दिशा में सुरक्षित सड़कों का निर्माण और खासकर सड़क हादसों पर रोक लगाने के अलावा परिवहन क्षेत्र में होने वाले भुगतान के डिजिटलकरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दो पर कार्य योजना बनाने की तैयारी की जा रही है। ऐसे मुद्दों पर मंथन करने के लिए 19 सितंबर को परिवहन विकास परिषद और राज्य परिवहन मंत्रियों की बैठक होगी।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि गुजरात के बडोदरा में होने वाली इस एक दिवसीय बैठक में निर्बाध परिवहन, भुगतानों का डिजिटलकरण समेत सार्वजिनक परिवहन सुधार की दिशा में अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर व्यापक चर्चा होगी। ऐसे मुद्दों में राष्ट्रीय परिवहन रजिस्टर के अंतर्गत आने वाले वाहन की स्थिति और सारथी स्थलों, राज्य के सीमाओं के बीच सहज परिवहन, ब्लैक स्पॉटों की पहचान, ड्राइविंग लाइसेंस की डिजिटल प्रक्रिया, निजी वाहनों का अंतर्राज्यीय हस्तांतरण और नागरिकों को बेहतर सुविधा देने के विषय भी शामिल हैं। यही नहीं परिषद की बैठक में राज्य परिवहन मंत्रियों को परिवहन क्षेत्र में नए और आगामी सुधारों पर निवेश प्राप्त करने और बस बंदरगाहों के बारे में भी आगे की राह पर चर्चा करना एजेंडे में शामिल है।
विशेषज्ञों से भी होगी चर्चा
मंत्रालय ने बताया कि इस बैठक के दौरान परिवन क्षेत्रों के विशेषज्ञों के अलावा लंदन के परिवहन विभाग के निदेशक भी वीडियो कॉन्फ्रेशिंग के जरिए इस चर्चा में भाग लेंगे। वहीं राज्यों के परिवहन मंत्री अत्याधुनिक वडोदरा बस टर्मिनल तथा वडोदरा ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक का भी दौरा करेंगे। इसका उद्देश्य इन आधुनिक तकनीक से राज्यों के परिवहन मंत्रियों को अवगत कराना है ताकि वे इसे अपने राज्यों में भी लागू कर सकें। इस बैठक में परिवहन मंत्री ऑल इंडिया टूरिस्ट बस परमिट के मुद्दे पर भी चर्चा करेंगे। मंत्रालय के अनुसार राजस्व के नुकसान के बारे में कुछ राज्यों द्वारा उठाए गए आशंका को देखते हुए यह निर्णय लिया गया कि इस मामले को राज्यों के परिवहन मंत्री समूह के समक्ष भी विचार के लिए रखा जाए।
जीएसटी लागू करने का मुद्दा
बैठक में परिवहन परिषद जीएसटी के तहत राज्य के सीमाओं के बीच परिवहन पर भी चर्चा करेगी। पूरे देश में सहज सड़क परिवहन संयोजकता हेतु एक ईको-सिस्टम बनाने के उपायों पर सुझाव देने के लिए जीएसटी परिषद द्वारा एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है। यह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के ‘वाहन’ मंच के साथ प्रस्तावित जीएसटी के ई-वे बिल सिस्टम के एकीकरण पर कार्य करेगा और सड़क परिवहन में उपलब्ध बाधाओं को कम करने में भी सहायता करेगा।

शुक्रवार, 15 सितंबर 2017

भाषाओं के बीच संपर्क का सेतु है हिंदी: कोविंद


हिंदी दिवस पर बांटे राजभाषा पुरस्कार

हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हिंदी को और ज्यादा लोकप्रिय बनाने पर बल देते हुए कहा कि हिंदी अन्य भाषाओं के बीच एक संपर्क सेतु का काम कर ती है, जिसकी तातक को हमारे महापुरुषों ने भी पहचाना और स्वतंत्रता के बाद हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया।
यह बात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा यहां विज्ञान भवन में आयोजित हिंदी दिवस समारोह के दौरान हिंदी भाषा के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले मंत्रालयों, विभागों और अन्य उपक्रमों को सर्वोच्च राजभाषा गौरव और राजभाषा कीर्ति पुरस्कार प्रदान करने के दौरान कही। उन्होंने कहा कि हमारी संविधान सूची में 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है और इन सभी के संदर्भ में निर्देश भी दिए गए हैं। हिंदी का अस्तित्व विकास गैर हिंदी भाषी लोगों के बोलने और समझने तथा उपयोग करने पर बढता है। यही नहीं विदेशी मूल के विद्वानों ने भी हिंदी की सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। रामनाथ कोविंद ने कहा कि हिंदी सभी भारतीय भाषाओं के बीच संपर्क भाषा की भूमिका निभाती है ओर यह हमारी राष्ट्रीय एकता को भी मजबूत करती है। उन्होंने भाषा नीति शिक्षा नीति में आपसी सहयोग और आदान-प्रदान के आधार पर बहुभाषिकता को बढ़ावा देने आम सहमति से हिन्दी को संपर्क भाषा के रूप में आगे बढ़ाने पर बल दिया। इस मौके पर उन्होंने राजभाषा विभाग द्वारा सी डैक के सहयोग से तैयार किये गये लर्निंग इंडियन लैंग्वेज विद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ (लीला) के मोबाइल एप का लोकार्पण भी किया। इस ऐप से देश भर में विभिन्न भाषाओं के माध्यम से जन सामान्य को हिंदी सीखने में सुविधा और सरलता होगी तथा हिंदी भाषा को समझना, सीखना तथा कार्य करना संभव हो सकेगा।
देश को जोड़ने वाली भाषा है हिंदी: राजनाथ
समारोह की अध्यक्षता कर रहे गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हिंदी देश को जोड़ने वाली भाषा है और इतिहास गवाह है कि जब-जब देश को एकजुट करने की आवश्यकता पडी, हिंदी भाषा ने हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। देश के स्वतंत्रता आंदोलन में हिंदी ने राष्ट्रप्रेम और स्वाभिमान की अद्भुत भावना जागृत करने में अहम भूमिका निभाई थी। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को साथ लाने में इस भाषा ने मदद दी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के एकीकरण के लिए सर्वमान्य भाषा से प्रभावशाली और बलशाली तत्व और कोई नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 351 के अनुसरण में क्षेत्रीय भाषाओं के प्रचलित एवं लोकप्रिय शब्दों को ग्रहण करके हिंदी के शब्द भंडार को निरंतर समृद्ध करने की आवश्यकता है। समारोह में गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू और  हंसराज गंगाराम अहीर ने भी हिंदी भाषा के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल पर जोर दिया।
एनएचपीसी को राजभाषा कीर्ति सम्मान
एनएचपीसी लिमिटेड को गृह मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016-17 के लिएश्रेणी में स्थित सार्वजनिक उपक्रमों के बीच उत्कृष्ट राजभाषा कार्यान्वयन के लिए सर्वोच्च राजभाषा कीर्ति पुरस्कार योजना के अंतर्गत प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के कर-कमलों से एनचपीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक रतीश कुमार ने ग्रहण किया। इसके अलावा संस्था की राजभाषा पत्रिका राजभाषा ज्योति को भी सर्वोच्च राजभाषा कीर्ति पुरस्कार (गृह पत्रिका) के अंतर्गतक्षेत्र में द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
15Sep-2017