बुधवार, 13 सितंबर 2017

इसी साल शुरू जाएंगी तीन नदी लिंक परियोजनाएं

केन-बेतवा होगी देश की पहली परियोजना
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में सूखे और बाढ़ की समस्या से निपटने की दिशा में नदियों को आपस में जोड़ने वाली पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को पंख लगने वाले हैं, जिनमें देश की सबसे पहली परियोजना के रूप में केन-बेतवा नदी को शुरू किया जाएगा और अगले तीन माह में तीन परियोजनाओं को शुरू करने का लक्ष्य तय किया गया है।
यह दावा हाल ही में जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्रालय की बागडौर संभालने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को यहां हुई राष्ट्रीय जल विकास एंजेसी सोसाइटी की 31वीं वार्षिक बैठक में हुई चर्चा के बाद किया है। मंत्रालय के अनुसार बैठक में उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय अगले तीन महीने के अंदर केन-बेतवा, दमनगंगा-पिंजाल तथा पार-तापी-नर्मदा संपर्क परियोजनाओं पर काम शुरू कर देगा। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड की पेयजल और सिंचाई जैसी जल समस्याओं के समाधान के लिए केन-बेतवा नदी परियोजना को गत जुलाई की शुरूआत में ही शुरू होनी थी, लेकिन एनवक्त पर मध्य प्रदेश के अनाप्पति पत्र देने से इंकार करने के कारण यह परियोजना अटक गई थी। अब नए जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने इन परियोजनाओं को गंभीरता से लेते हुए पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद पूरा रोडमैप तैयार कर लिया है। मोदी सरकार के सामने देशभर में ऐसी कुल 31 परियोजनाएं रडार पर हैं, जिसके बाद देश में सूखे व बाढ़ की समस्या खत्म होने की संभावना है। बैठक में जल संसाधन राज्यमंत्री डा. सत्यपाल सिंह व अर्जुनराम मेघवाल और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी महत्वपूर्ण जानकारी दी।
विवादों का भी होगा निपटान
बैठक के दौरान नितिन गडकरी ने अंतर्राज्यीय जल विवादों के निपटान की दिशा में जल्द ही संबन्धित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाकर चर्चा की जाएगी। हालांकि इस के लिए एक कानूनी विधेयक संसद में भी लंबित है जिसे जल्द पारित कराने का प्रयास किया जाएगा। वहीं कुछ मामले ट्रिब्यूनल के लिए भी विचाराधीन है ,लेकिन सरकार का प्रयास होगा कि राज्यों से आपसी बातचीत और सहमति से जल बंटवारे के विवादों को दूर किया जा सके।
समुद्र में जाने वाले पानी पर नियंत्रण
मंत्रालय के अनुसार देश के 13 सूखा प्रभावित और 7 बाढ़ प्रभावित क्षेत्र ऐसे हैं जहां के लोगों की दशा भयावह स्थिति में रहती है। इस पर चितां जताते हुए गडगरी ने उपलब्ध जल को संरक्षित करने और आवश्यकता से अधिक जल को आपस में साझा करने के लिए कारगर उपाय विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि समुद्र में गिरने वाले 60 से 70 प्रतिशत जल को बचाने के तरीके विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करते समय जल परियोजनाओं की सामाजिक-आर्थिक लागत को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

नदियों की गाद पर बनेगा नया कानून
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने इसके अलावा मंत्रालय की संसदीय परामर्श समिति की बैठक में हिस्सा लिया। उन्होंने नदियों की गाद निकालने के मुद्दे से निपटने के लिए एक नया व्यापक कानून बनाने पर बल दिया, जो मुद्दा नमामि गंगे परियोजना में एक चुनौती बना हुआ है। बैठक में संसद सदस्यों ने देश में बाढ़ प्रबंधन के लिए मंत्रालय द्वारा उठाए गए उपायों का समर्थन किया। वहीं सरकार को सुझाव दिया कि नदियों को जोड़ने की परियोजना पर पर अधिक बल दिया जाना चाहिए और बाढ़ को रोकने के लिए गंगा नदी के किनारे अधिक तटबंध का निर्माण करने पर बल दिया। बैठक में गडकरी ने कहा कि देश में बाढ़ के पूर्वानुमान करने वाले नेटवर्क को भी मजबूत करने और सुधारने पर जोर होगा। बाढ़ के पूर्वानुमान की मल्टी-मॉडल एन्सेबल (एमएमई) और वैश्विक पूर्वानुमान प्रणाली (जीएफएस) के तहत पूर्वानुमान का समय पांच से सात दिनों तक बढ़ाया जाने का प्रस्ताव है।
13Sep-2017

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