मंगलवार, 12 सितंबर 2017

नमामि गंगे: जल्द बनेगी राष्ट्रीय तलछट नीति!



नदियों में गाद की समस्या से निपटने की तैयारी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
मोदी सरकार की परियोजना नमामि गंगे के तहत नदियों में गाद की समस्या को लेकर बनी चुनौती से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय तलछट प्रबंधन नीति तैयार की जा रही है, जिसमें नदी तटों को मजबूत करने की जारी योजनाओं में तेजी लाने का निर्णय लिया गया है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार नमामि गंगे परियोजना में गंगा अन्य नदियों में गाद के कारण नदी स्वच्छता की योजना में चुनौती रही है। इस समस्या से निपटने के लिए मंत्रालय का कार्यभार संभालने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक राष्ट्रीय तलछट प्रबंधन नीति तैयार करने की पहल करने को कहा है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बताया कि इस संबन्ध में नदियों में गाद निकालने के संबन्ध में मंत्रालय की गठित की गई माधव चितले समिति ने भी केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण सिफारिश की थी। इसके अलावा नमामि गंगे के तहत नदियों के तटों को सुरक्षित रखने की दिशा में उन्हें सुदृढ़ करने और उनके आधुनिकीकरण के अलावा नदियों के किनारे तटों पर वृक्षारोपण करने जैसी योजनाओं को शुरू करने के लिए अध्ययन कराने का भी सुझाव दिया था। केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार के अनुसार नदी प्रबंधन एजेंसियों द्वारा किए जाने वाली सामान्य प्रथाओं का प्रदर्शन अब तक का तलछट प्रबंधन, सीमित वैज्ञानिक ज्ञान पर आधारित है। क्योंकि तलछट प्रबंधन के लिए एक अलग दृष्टिकोण वांछनीय है, जिसमें तलछट का ज्ञान और प्रबंधन भी शामिल हो और उपलब्ध वैज्ञानिक ज्ञान का व्यापक अनुप्रयोग होना भी जरूरी है। इसलिए केंद्रीय मंत्री गडकरी ने राष्ट्रीय तलछट प्रबंधन नीति तैयार करने की पहल की है। इस तैयारी में ऐसे सुझाव पर भी विचार किया जा रहा है कि नदी की गाद साफ करने के बाद उससे निकाली गई मिट्टी का उपयोग सड़क निर्माण में किया जाए।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
केंद्र सरकार की गठित समितियों में शामिल रहे विशेषज्ञों की माने तो नदियों में तलछट प्रबंधन के संबंध में एक समग्र नीति बनाने की आवश्यकता है क्योंकि अगर इसका प्रबंधन नहीं किया जायेगा, तो बाढ़ की गंभीर समस्याएं पैदा होंगी तथा पर्यावरण, नदी के प्रवाह और नौवहन पर असर पड़ेगा।  क्योंकि सरकार को चितले समिति की सौंपी जा चुकी रिपोर्ट में की गई सिफारिशों में कहा गया है कि गाद हटाने की प्रक्रिया का अध्ययन करना, पहले हटाई गई तलछट और गाद के बारे में रेत पंजीयन तैयार करना और तलछट बजट बनाने का कार्य एक तकनीकी संस्थान को सौंपने और बाढ़ प्रवाह का अध्ययन भी कराया जाए। विशेषज्ञों के अनुसार इस नीति में सबसे अधिक गाद वाले स्थान से गाद हटाने की आवश्यकता का निरीक्षण और पुष्टि करने पर विचार किया जाना शामिल है। हालांकि भूमि कटाव, तलछट की सफाई और गाद अति जटिल कार्य हैं। तलछट प्रबंधन और नियंत्रण के मामले में भौगोलिक, नदी नियंत्रण संरचनाएं, मृदा और जल संरक्षण उपाय, वृक्षों की संख्या, नदी के तट की भूमि का उपयोग या उसमें कृषि, खनन आदि फेरबदल जैसे स्थानीय कारकों का नदी पर काफी प्रभाव पड़ता है।
12Sep-2017

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