अब बांध
पुनर्वास व सुधार परियोजना में आएगी तेजी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार की नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना को आगे बढ़ाने के साथ देशभर के बांधों
के खतरों से निपटने के लिए बनाई गई बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना को तेजी से
चलाने के लिए कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया है।
केंद्रीय
जल संसाधन मंत्रालय के तहत केंद्रीय जल आयोग ने देश में अंग्रेजी हुकूमत के पुराने
बांधों के खतरे से निपटने के लिए बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना यानि डीआरआईपी
बनाई थी, जिसके लिए निरन्तर बांध सुरक्षा पहलों की कार्यान्वयन एजेंसियों को संस्थागत
स्तर पर मजबूत करने के साथ ही सात राज्यों में करीब 198 बड़ी बांध परियोजनाओं के पुनर्वास
को सरल बनाने पर काम शुरू कराया है। देश के बांधों की सुरक्षा को लेकर आयोग ने एक
कार्यशाला के दौरान बांधों की सुरक्षा के प्रति जागरूकता और आपात कार्य योजना को अंतिम
रूप दिया है। इस कार्य योजना के तहत राहत और बचाव कार्यों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन
प्राधिकरण, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भारतीय मौसम विभाग, राज्य स्वास्थ्य, दमकल,
पुलिस, राजस्व और सड़क विभाग तथा रेलवे की भागीदारी भी रहेगी। केन्द्रीय जल आयोग के
सदस्य एम.के. माथुर ने इस कार्य योजना के तहत देश प्रत्येक बांध के लिए ईएपी तैयार
करने और प्रभावी राहत और बचाव कार्य सुनिश्चित करने में सभी एजेंसियों की भागीदारी
तय की है। बांधों की सुरक्षा की परियोजनाओं में तेजी लाने के मकसद से इस कार्य
योजना के कार्यान्वयन हेतु एक मजबूत और सुरक्षित रखने योग्य ईएपी दस्तावेज तैयार किया
जाएगा, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों और तकनीक का इस्तेमाल होगा।
तकनीकी संस्थानों की मदद
मंत्रालय
के अनुसार केंद्रीय जल आयोग ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास एवं भारतीय विज्ञान
संस्थान बंगलूरू के साथ करार किया है। इस करार के तहत इन दोनों संस्थानों के साथ मिलकर
देश के बांधों की सुरक्षा और अधिक उन्नत बनाने की योजना को आगे बढ़ाने का निर्णय
लिया गया। इस करार के तहत आयोग को उन्नत एवं विशेष उपकरण एवं सॉफ्टवेयर की खरीद में
मदद मिलेगी, जो बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजनाओं के लिए मददगार साबित होगा। मंत्रालय
का मानना है कि विश्व बैंक द्वारा सहायता प्राप्त बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना
में इन चुनिंदा शैक्षिणक एवं शोध संस्थानों का चयन करने से देश के बांधों की सुरक्षा
सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयोगशालाओं के सुदृढ़िकरण और उनकी विश्लेषणात्मक क्षमता
में वृद्धि को मदद मिलेगी।
209 बांध सौ साल पुराने
मंत्रालय
के अनुसार देश में 5254 बड़े बांध काम कर रहे हैं और 447 बड़े बांध निर्माणाधीन हैं।
इस प्रकार बड़े बांधों के मामले में भारत का दुनिया में तीसरा स्थान है। इन बड़े बांधों
में से 209 एक सौ साल और 876 बांध 50 साल से ज्यादा पुराने हैं। मंत्रालय के
अनुसार बांधों की स्थिति और सुरक्षा के लिए निर्धारित वर्तमान मानकों को पूरा करने
में अधिकांश बांध खरे नहीं उतर पा रहे हैं। हालांकि फिर भी बांध क्षतिग्रस्त या
जर्जर भी नहीं हैं, लेकिन बांधों के क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में संपत्ति, पर्यावरण
को भारी नुकसान पहुंच सकता है और कभी-कभार लोग भी हताहत भी हो सकते हैं। ऐसी
आशंकाओं के मद्देनजर डीआरआईपी का महत्वपूर्ण कार्य सभी डीआरआईपी बांधों के लिए आपात
कार्य योजना तैयार की गई है।
खस्ताहाल 80 फीसदी बांध
सूत्रों के अनुसार देश में के बांधों के आकलन और सर्वे
के तहत नींव की अभियांत्रिकी संबंधी सामग्री अथवा बांधों का निर्माण करने के लिए उपयोग
में लायी गयी सामग्री भी समय के साथ नष्ट होने की संभावना बनी हुई है। इस आधार पर
सरकार ने देश के इन विशाल बांधों में 80 फीसदी बांधों को खस्ताहाल मानते हुए बांध पुनर्वास
और सुधार परियोजना को शुरू किया है, जिनके पुराने होने के कारण उनसे बाढ़ और भूकंप जैसी
आपदा के खतरे की आशंकाएं बनी रहती है। इसलिए सरकार ने इन बांधों को सुरक्षा के लिहाज
से मजबूत करने का फैसला किया है। इस योजना के तहत पुराने समय में प्रचलित डिजाइन की
कार्यप्रणालियां और सुरक्षा की स्थितियां भी डिजाइन के वर्तमान मानकों और सुरक्षा मानदंडों
से मेल नहीं खा रही हैं।
02Sep-2017
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