सोमवार, 30 अप्रैल 2018

कैराना लोस उपचुनाव में होगी गठबंधन की परीक्षा

रालोद जयंत चौधरी की उम्मीदवारी पर अड़ी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
यूपी में पिछले माह हुए दो लोकसभा सीटों के उपचुनाव में भाजपा के खिलाफ एकजुट हुए विपक्षी दलों के गठबंधन की असली परीक्षा 28 मई को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में होगी। कैराना सीट पर रालोद ने जयंत चौधरी की उम्मीदवारी का दावा करने से सपा-बसपा-कांग्रेस व रालोद बिखरने की राह पर नजर आ रहा है।
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे सियासी दलों ने भाजपा के खिलाफ विपक्ष की एकजुट होने की रणनीति जिस प्रकार पिछले दिनों गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर कामयाब हो गई थी, वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मुस्लिम बाहुल्य कैराना लोकसभा क्षेत्र में बिखराव की राह पर है, जहां बसपा के उप चुनाव न लड़ने के ऐलान के बाद सपा अपना प्रत्याशी तलाश रही है, वहीं रालोद ने जयंत चौधरी को प्रत्याशी बनाने पर ही गठबंधन में शामिल होने की शर्त पेश की है। गौरतलब है कि चुनाव आयोग द्वारा पश्चिमी उत्तर प्रदेश की रिक्त कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा सीट के लिए 28 मई को उप चुनाव कराने का ऐलान कर दिया है, जिसके बाद सियासी दलों की हलचल तेज हो गई है। कैराना लोकसभा सीट भाजपा के सांसद हुकुम सिंह के फरवरी में निधन के कारण रिक्त हुई थी और नूरपुर के भाजपा विधायक लोकेन्द्र की सड़क हादसे में मौत होने से रिक्त होने के कारण उपचुनाव हो रहा है।
बिगड़ सकता गठबंधन का खेल
पश्चिमी उत्तर प्रदेश रालोद का गढ़ माना जाता रहा है, भले ही 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के सामने वह ढ़ह गया हो। सूत्रों के अनुसार चौधरी अजित सिंह के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक दल ने सपा-बसपा-कांग्रेस के साथ इन उप चुनाव के लिए गठबंधन में शामिल होने की शर्त रखी है कि कैराना लोकसभा सीट पर रालोद के जयंत चौधरी को संयुक्त उम्मीदवार बनाया जाए, जिसके लिए सपा-बसपा द्वारा स्वीकार करने की संभावनाएं नजर नहीं आती। बसपा सुप्रीमो का मकसद भाजपा को सियासी झटका देना है और वह उप चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं है, जिसका मायावती पहले भी ऐलान कर चकी है कि वह उपचुनाव में अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगी। इसलिए मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र कैराना क्षेत्र में दलित-मुस्लिम वोट बैंक समीकरण साधते हुए सपा अपना प्रत्याशी उतार सकती है। हालांकि यदिस बसपा उपचुनाव में हिस्सा लेना चाहेगी तो सपा उसके लिए भी इसलिए तैयार है क्योंकि सपा ने गोरखपुर व फूलपुर में बसपा के सहारे उपचुनाव में जीत हासिल की थी और वह भविष्य की रणनीति के तहत बसपा के इस सियासी उधार को चूकता करने के प्रयास में है। लेकिन यदि रालोद ने गठबंधन से अलग होकर या फिर कांग्रेस के साथ तालमेल करके अपना प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा तो भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों के इस गठबंधन का सियासी खेल बिगड़ना तय है। जहां तक भाजपा के प्रत्याशी का सवाल है उसके लिए दिवंगत हुकुम सिंह की सुपुत्री मृगांका सिंह को उम्मीदवार बनाया जाना तय माना जा रहा है।
क्या है समीकरण
कैराना लोकसभा सीट भाजपा के कद्दावर नेता हुकुम सिंह के निधन के बाद रिक्त घोषित की गई है, जहां भाजपा उनकी सुपुत्री मृगांका सिंह को टिकट देकर सहानुभूति जीत हासिल करना चाहेगी। कैराना लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभाएं शामिल हैं, जहां हुकुम सिंह की सभी बिरादियों में अच्छी पकड़ रही है। यदि इस विपक्षी गठबंधन में दरार आई तो उप चुनाव में भाजपा के सामने दो गठबंधन यानि सपा-बसपा और रालोद-कांग्रेस होंगे, जिसके कारण इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बनने की संभावनाएं प्रबल हो जाएंगी। राजनीति के जानकारों की माने तो कैराना संसदीय क्षेत्र में जाट, गुर्जर, दलित, पिछड़े और मुस्लिम वोटरों का ध्रुवीकरण उपचुनाव में अहम भूमिका तय करेगा, जिसमें जाटों में रालोद की पैठ है और पिछले छह माह से रालोद प्रमुख पश्चिम यूपी के जिलों में सक्रिय होकर अपनी सियासी जमीन को हासिल करने में जुटे हुए हैं।
28Apr-2018


शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

मानव रहित फाटकों पर सुरक्षा पर गंभीर नहीं सरकार!



कैग और संसदीय समिति उठाती आर ही हैं सवाल
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में हो रहे रेल हादसों में मानव रहित फाटकों पर भी हर साल हजारों जाने चली जाती हैं। जबकि मानव रहित फाटकों पर होने वाले हादसों को लेकर सुरक्षा के उपायों के मुद्दे पर कैग और संसदीय समितियां भी अपनी रिपोर्टो में लगातार सरकार पर सवालिया निशान लगाती रही हैं, जिसमें यहां तक टिप्पणी की गई हैं कि सरकार दावों के बावजूद मानवरहित रेलवे क्रासिंग पर सुरक्षा उपाय करने के प्रति गंभीर नहीं हैं?
दरअसल यूपी के कुशीनगर में गुरुवार की सुबह एक मानव रहित फाटक पर ट्रेन की टक्कर से वैन के फरकच्चे उड गये, जिसमें सवार एक दर्जन से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई। इस हादसे को लेकर रेलवे की रेल संरक्षा और सुरक्षा के मुद्दे पर सियासत तो शुरू हो गई है, लेकिन पिछले एक दशक में मानव रहित फाटकों पर हुए हादसों में हो रही मौतों के लिए कैग ने भी रेल मंत्रालय के प्रति जिस तरह से टिप्पणियों के साथ सुरक्षा इंतजामों को लेकर सिफारिशें की थी, जिसमें पूर्ववर्ती सरकार ने 2015 तक तमाम मानवरहित फाटकों को बंद करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब मौजूदा केंद्र सरकार ने 2020 तक ऐसे मानवरित फाटकों को बंद करने का लक्ष्य तय करके योजना तैयार की है। इसी माह समाप्त हुए संसद के बजट सत्र में मानवरहित समपरों पर सुरक्षा प्रावधान संबन्धी लोकसभा सदस्य भर्तृहरि महताब की अध्यक्षता वाली संसदीय रेल अभिसमय समिति ने एक रिपोर्ट संसद में पेश करते हुए रेल मंत्रालय पर सवाल खड़े किये और रेल मंत्रालय के मानवरहित फाटकों पर सुरक्षा के उपायों के जवाबों पर असंतुष्टि जाहिर की है। गौरतलब है कि रेल संरक्षा और मानव रहित रेलवे फाटकों को पूरी तरह बंद करने के लक्ष्य को लेकर पिछले दिनों रेल मंत्री पीयूष गोयल ने देशभर के रेल मंडल स्तर के अधिकारियों के साथ बैठक करने व्यापक स्तर पर योजना को लागू करने के निर्देश दिये थे।
वर्ष 2020 तक बंद करने का लक्ष्य
रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने हरिभूमि को देश में मानव रहित फाटकों पर सुरक्षा के उपाय और हादसों को रोकने की योजना के बारे में बताया कि रेलवे 2014-2015 में 1148 और 2015-16 में 1253 मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग्स समाप्त कर चुका है। देश में फिलहाल ब्रॉड गेज पर 4943 मानव रहित समपारों यानि क्रासिंग को वर्ष 2020 तक पूरी तरह बंद करने की योजना चलाई जा रही है, जिसमें हर वर्ष 1500 ऐसे फाटकों को समाप्त करने हेतु निगरानी हो रही है। मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि जब तक इन फाटकों को समाप्त नहीं किया जाता, तब तक पिछले साल एक अप्रैल से रेलवे ने विभिन्न जोनल रेलवे के जरिए 3941 गेट मित्रों को तैनात करने की प्रक्रिया शुरू की है, जो मानव रहित फाटकों की निगरानी करने और सड़क वाहन उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित मानकों का पालन करने का परामर्श देने के साथ उन्हें अलर्ट भी करते आ रहे हैं। रेलवे का यह भी दावा है कि गेट मित्रों और परामर्शियों की तैनाती के बाद मानव रहित फाटकों पर हादसों में लगातार कमी आई है।
रेलवे सुरक्षा के उपाय
रेल मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि रेलवे ने मानव रहित समपारों को खत्म करने तक कई तकनीकी उपाय भी किये हैं। इनमें ट्रेन वाहन इकाई वाले मानव रहित समपारों को पूर्णतः बंद करने का निर्णय लिया गया है, तो कुछ विलय-मानव रहित क्रासिंग फाटक को मानवयुक्त बनाने तथा ऐसे फाटकों पर सडक मार्ग के लिए अंडर पास व ओवर ब्रिज बनाकर किया जा रहा है।
इसके अलावा सड़क का उपयोग करने वालों को अलर्ट करने के लिए कुछ तकनीकी उपाय भी किये गये हैं। इनमें जीपीएस आधारित अलार्म का पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया जा चुका है, ताकि अलर्ट प्रणाली के जरिए रेलवे क्रॉसिंग पर वाहन चालकों व अन्य लोगों को सचेत किया जा सके।
27Apr-2018
 


दक्षिण कोरिया की तर्ज पर होगी हाइवे की निगरानी



सड़क सुरक्षा सूचना प्रणाली पर भारत जल्द करेगा करार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में सड़क हादसों पर अंकुश लगाने की दिशा में उठाए जा रहे कदमों में भारत जल्द ही सड़क सुरक्षा सूचना प्रणाली को अपनाने के लिए दक्षिण कोरिया के साथ समझौता करेगा, ताकि नेशनल हाइवे पर दक्षिण कोरिया की तर्ज पर एकीकृत रूप में निगरानी की जा सके।
सोमवार को यहां नई दिल्ली में विज्ञान भवन में 29वें राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने यह संकेत देते हुए कहा कि केंद्र सरकार देश में सड़क हादसों को कम करने के लिए तकनीकियों और सुरक्षित सड़कों के निर्माण के लिए सुरक्षा मानकों का अनिवार्यता के साथ पालन करा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने राजमार्ग सूचना प्रणाली लागू करने के लिए दक्षिण कोरिया के साथ समझौते की संभावना तलाशी है और जल्द ही  दक्षिण कोरिया के एक्सप्रेस हाईवे इंफोरमेशन कॉरपोरेशन द्वारा चलाई जा रही प्रणाली का इस्तेमाल करने के लिए समझौता किया जाएगा, जिसमें केंद्रीकृत नियंत्रण कक्ष से एकीकृत रूप में राजमार्गों की निगरानी की जा सकेगी। गडकरी ने देश में सड़क का इस्तेमाल करने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्राथमिकताओं का जिक्र करते हुए कहा कि मंत्रालय ने 2020 तक देश में सड़क दुर्घटनाओं में हो रही लोगों की मौतों को 50 फीसदी कम करने का लक्ष्य तय किया है। गडकरी ने इस मौके पर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कॉमर्शियल वाहन चालकों को गुणवत्ता सम्पन्न प्रशिक्षण देने, सड़कों की दशा सुधारने तथा पर्यावरण सुरक्षा और सड़कों पर आवाजाही की स्थिति मजबूत बनाने के उद्देश्य से ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने के लिए एक योजना लांच की है।
नया कानून बनेगा सबब
समारोह में गडकरी ने लोकसभा द्वारा पारित मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक के राज्यसभा द्वारा पारित न होने पर चिंता जताते हुए कहा कि इस विधेयक के पारित होने से नये कानून व्यापक रूप से सड़क सुरक्षा को प्रोत्साहित करेंगे, जो विधेयक एक सक्षम, बाधा रहित और एकीकृत मल्टीमोड सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के विकास को भी बढ़ावा देगा। नया कानून आते ही देश की परिवहन प्रणाली में सुधार आना तय है। उन्होंने बताया कि उनके मंत्रालय ने देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गों पर 789 संभावित दुर्घटना स्थलों को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित कराकर उन्हें सुरक्षित डिजाइन में बदलने की मुहिम चलाई है, जिसमें अभी तक 139 स्थानों को ठीक किया जा चुका और 233 स्थानों को सुधारने का कार्य प्रगति पर है। वहीं सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सड़क सुरक्षा अभियान (आईआरएसी) द्वारा सड़क सुरक्षा पर तैयार पत्र को भी जारी किया, जो आईआरएसी युवा नेतृत्व वाला राष्ट्रीय मिशन है। इस अभियान का नेतृत्व आईआईटी, दिल्ली के विद्यार्थियों और पूर्ववर्ती छात्रों द्वारा किया जा रहा है। 
कॉमर्शियल वाहनों पर फोकस
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि सड़क परिवहन मंत्रालय सामान्य लोगों में जागरूपकता पैदा करने और सड़क इस्तेमाल करने वालों की सुरक्षा में सुधार के मकसद से ही हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह का आयोजन करता रहा है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में सरकार का फोकस खासकर स्कूलों तथा कॉमर्शियल वाहनों चालकों पर किया गया है। उन्होंने देश में वाहन सुरक्षा और संपूर्ण सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए उठाए गए कदमों की जिक्र करते हुए कहा कि 4ई-एजुकेशन (शिक्षा), इन्फोर्समेंट (लागू करना), इंजीनियरिंग तथा इमरजेंसी केयर (आपात देखभाल) के सिद्धातों को अपनाया जा है ताकि सड़क सुरक्षा की समस्या सुलझाई जा सके। वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बसों के मानकों को बढ़ाया गया, तो वहीं सभी कारों के लिए एयर बैग और गति सीमा सतर्कता उपकरण अनिवार्य किया गया है। इसके आलवा फिसलन से बचने के लिए सभी दो पहिया वाहनों में एबीएस की व्यवस्था की गई है।
स्कूली बच्चों का सम्मान
गड़करी ने विद्यार्थियों से अपने परिवार और समाज के लिए सड़क सुरक्षा का एम्बेसडर बनने का अनुरोध किया। वहीं उन्होंने सड़क सुरक्षा पर राष्ट्रीय स्तर की लेखन प्रतियोगिता के 15 विजेता स्कूली बच्चों को पुरस्कार प्रदान किया। शीर्ष तीन विजेताओं को क्रमशः 15 हजार रुपये, 10 हजार रुपये और 5 हजार रुपये का नकद पुरस्कार और प्रमाण-पत्र दिया गया। श्रीगड़करी ने इस अवसर पर लोगों की सड़क सुरक्षा की शपथ दिलाई।
24Apr-2018



सोमवार, 23 अप्रैल 2018

गन्ना किसानों के भुगतान पर मंत्रिसमूह करेगा फैसला


सोमवार को गडकरी की अध्यक्षता में होगी बैठक
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।   
केंद्र सरकार ने किसानों के बकाया गन्ना भुगतान करने के मामले पर सख्त कदम उठाया है, जिसके लिए गठित चार सदस्यीय मंत्रि समूह की सोमवार को होने वाली बैठक में महत्वपूर्ण फैसले किये जाएंगे।
केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री राम विलास पासवान ने गन्ना किसानों के भुगतान पर चिंता जताते हुए राज्यों की सरकारों से पत्र लिखकर आग्रह किया था कि वे चीनी मिलों को किसानों के गन्ने के भुगतान का बकाया करने के लिए सख्त निर्देश जारी करें। वहीं केंद्रीय स्तर पर किसानों के गन्ना बकाया भुगतान सुनिश्चित करने के लिए फैसले लेने के लिए पीएमओ ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में एक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर का गठन किया गया है। इस मंत्रिसमूह में गडकरी के अलावा केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, राधा मोहन सिंह, धर्मेन्द्र प्रधान शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार सोमवार 23 अप्रैल को इस मंत्रिसमूह की बैठक होगी जिसमें किसानों के गन्ना बकाया भुगतान का जल्द से जल्द भुगतान सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण फैसले लिये जाने की संभावना है। इन फैसलों में चीनी मिलों को गन्ना भुगतान की समय सीमा तय करने और भुगतान न करने वाली चीनी मिलों के खिलाफ कार्रवाही करने पर भी विचार विमर्श किया जाएगा। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 2022 तक किसानों की आय को दो गुना करने का लक्ष्य तय किया हुआ है ,जिसके लिए केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में किसानों के लिए विभिन्न योजनाओं को कार्यान्वित कराने और किसानों के बकाया भुगतान के प्रति गंभीर है।
15 हजार करोड़ से ज्यादा बकाया
केंद्र सरकार के अनुसार चीनी मिलों पर किसानों का बकाया बढ़कर लगभग 15,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। देश में इस बार अधिक चीनी उत्पादन हुआ है जिसके कारण बाजारा में चीनी के दामों में भी गिरावट देखी गई। अब तक करीब 300 लाख टन चीनी के उत्पादन होने का अनुमान है। सरकार के अनुसार चीनी के चालू सत्र में 21 मार्च तक किसानों का 13899 करोड़ रुपया बकाया था, जिसमें अधिकतम 5136 करोड़ रुपए देनदारी उत्तर प्रदेश में है। जबकि कर्नाटक राज्य में चीनी मिलों पर गन्ना उत्पादकों का 2539 करोड़ रुपया बकाया है तो वहीं महाराष्ट्र में किसानों का 2348 करोड़ रुपये बकाया थे। इसके बाद अब तक 15 हजार करोड़ रुपये बकाया हो चुका है। जबकि सरकार के दावों के विपरीत भाकियू आदि किसान संगठनों का दावा है कि चीनी मिलों पर अब तक गन्ना किसानों का 18000 करोड़ रुपये बकाया है, जिसके इस माह अप्रैल के अंत बढ़ कर 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
रिकार्ड चीनी उत्पादन
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के अनुसार ब्राजील के बाद दुनिया में चीनी के दूसरा सबसे बड़े उत्पादक देश भारत में चीनी उत्पादन, चालू विपणन वर्ष 2017-18 (अक्तूबर-सितंबर) में रिकॉर्ड 2.95 करोड़ टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष 2.03 करोड़ टन का हुआ था। भारत में चीनी की वार्षिक घरेलू मांग करीब 2.5 करोड़ टन होने का अनुमान लगाया गया है। अधिक उत्पादन होने के कारण घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में गिरावट आई है, और इस प्रकार चीनी मिलों के सामने नकदी प्रवाह की समस्या आई है और गन्ना किसानों का भुगतान करने की उनकी क्षमता प्रभावित हुई है।
22Apr-2018


शनिवार, 21 अप्रैल 2018

देश में वाहनों को मिल सकता है राष्ट्रीय परमिट!


एक राष्ट्र-एक कर की तर्ज पर एक होगा आरटीओ शुल्क
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में परिवहन प्रणाली को दुरस्त करने की दिशा में केंद्र सरकार के गठित परिवहन मंत्री समूह ने एक राष्ट्र-एक कर की तर्ज पर देश में वाहनों के लिए एक राष्ट्र-एक परमिट के प्रस्ताव पर सहमति जताई है। इसमें समूह ने केंद्र सरकार से बसों से लेकर टैक्सियों तक के लिए एक समान रोड टैक्स ढांचे और राष्ट्रीय परमिट की सिफारिश की है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मंत्रालय द्वारा राजस्थान के परिवहन मंत्री यूनुस खान की अध्‍यक्षता में गठित राज्यों के परिवहन मंत्रियों के समूह की दो दिन तक गुहावटी में चली बैठक में इस प्रस्ताव पर सहमित बनी है। मंत्री समूह (जीओएम) ने ‘एक राष्‍ट्र-एक कर और एक राष्‍ट्र-एक परमिट’ पर विचार-विमर्श करने के बाद केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि देश में बसों एवं टैक्सियों के लिए एक समान रोड टैक्स ढांचे और राष्‍ट्रीय परमिट की व्यवस्था को लागू करने से लोगों द्वारा कम टैक्स वाले राज्‍यों में अपने वाहनों का पंजीकरण कराने और उन्‍हें अन्य राज्‍यों में लाकर चलाने की प्रवृत्ति पर रोक लग सकेगी, जिससे वाहन मालिकों को वाहनों का स्‍थानांतरण कराने की अनिवार्यता से छुटकारा ही नहीं मिलेगा, बल्कि बड़ी राहत मिलेगी। यदि केंद्र सरकार जीओएम की सिफारिशों को स्वीकार करता है तो इस प्रस्ताव के तहत दोपहिया और चार पहिया वाहनों के एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरण करने पर किसी तरह का कोई रोड टैक्स नहीं वसूला जाएगा। अभी तक बस और टैक्सी जब एक राज्य से दूसरे राज्य में जाती हैं, तो उनको दूसरे राज्य का परमिट लेना होता है। इसमें लोगों का काफी पैसा और सम की भी बर्बादी होती है। जिन बसों और टैक्सियों के पास परमिट होता है, केवल उन्हीं को राज्यों में चलने की मंजूरी मिलती है।
सड़क सुरक्षा में होगा सुधार
मंत्रालय के अनुसार जीओएम की बैठक में आरटीओ में भी जीएसटी की तरह एक देश-एक टैक्स का सिद्धांत लागू करने पर सहमति जताई गई है, जिसके तहत देशभर में एक समान आरटीओ शुल्क लागू हो सकेगा। जीओएम ने विचार विमर्श के दौरान सभी राज्यों में वाहनों के लिए एक रोड टैक्स के ढांचे वाली प्रणाली के लागू होने के फायदों को लेकर केंद्र सरकार से की गई सिफारिशों में कहा है कि इससे राज्यों में अपने वाहनों का पंजीकरण कराने और उन्‍हें अन्य राज्‍यों में लाकर चलाने की प्रवृत्ति पर रोक भी लग सकेगी। देशभर में सड़क परिवहन क्षेत्र के विकास में बाधक विभिन समस्‍याओं का समाधान ढूंढने और सड़क सुरक्षा में सुधार लाने की दिशा में वाहनों की आवाजाही में और ज्‍यादा सहूलियते देने के इरादे से ‘एक राष्‍ट्र-एक कर और एक राष्‍ट्र-एक परमिट’ प्रस्‍ताव पर विचार-विमर्श करने के बाद सहमति बनाई गई।
यातायात में होगा बेहतर सुधार
केंद्र सरकार से की गई सिफारिशों में जीओएम ने माल परिवहन यानि भारी वाहनों को जारी होने वाले परमिट की तर्ज पर एक राष्‍ट्रीय बस एवं टैक्स परमिट की भी सिफारिश की है। देश में सार्वजनिक परिवहन में मात्र लगभग दो प्रतिशत की ही वार्षिक वृद्धि दर्ज की जा रही है, जबकि निजी परिवहन में 20 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की जा रही है। राष्‍ट्रीय परमिट से सार्वजनिक परिवहन को अपेक्षित बढ़ावा मिलेगा और सड़कों पर भीड़-भाड़ कम करने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि इससे पहले जीओएम ने वाहनों के लिए वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा देने के मकसद से विद्युत वाहनों के लिए परमिट प्रणाली के उदारीकरण की सिफारिश की थी।

देश में गहरा सकता है जल संकट



पिछले छह माह में 65 फिसदी गिरा जल स्तर
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
मौसम विभाग की इस साल सामान्य मानसून की भविष्यवाणी के बावजूद देश में जल संकट के गहराने की संभावनाएं बनी हुई हैं। इसका कारण देश में लगातार गिर रहे जल स्तर है, जिसमें पिछले छह माह के भीतर 65 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
केंद्रीय जल आयोग के आंकड़े ही इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि जल स्तर का आकलन करने वाले आंकड़ों में पिछले छह माह में 64.60 फीसदी की कमी आई है। इस माह 19 अप्रैल को एकत्र किये गये देश के प्रमुख आयोग के आंकड़ो के अनुसार देश के प्रमुख 91 जलाशयों में 38.989 बीसीएम यानि अरब घन मीटर जल का संग्रहण आंका गया है, जो छह माह पहले 18 अक्टूबर 2017 को इन जलाशयों में जल संग्रहण 110.012 बीसीएम यानि अरब घन मीटर था। आयोग के ये आंकड़े इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि इन छह माह में जलाशयों में 71.131 अरब घन मीटर यानि करीब 65 फीसदी पानी की कमी दर्ज की गई है। आयोग के आंकड़ो मुताबिक पिछले साल 18 अक्टूबर को इन जलाशयों का जलस्तर उच्चतर था, जिसके बाद लगातार गिरते हुए 19 अप्रैल को 38.989 बीसीएम तक पहुंच गया है।
एक सप्ताह में एक प्रतिशत की कमी
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने केंद्रीय जल आयोग के जलाशयों में जल स्तर के आकलन की जानकारी देते हुए बताया कि मौजूदा जल संग्रहण 38.989 बीसीएम इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 24 प्रतिशत है। जबकि एक सप्ताह पहले यानि  12 अप्रैल 25 प्रतिशत के स्तर पर था। इसके अलावा मौजूदा जल स्तर पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 84 प्रतिशत तथा पिछले एक दशक के औसत जल संग्रहण का 90 प्रतिशत है। मंत्रालय के अनुसार इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 161.993 बीसीएम है, जो समग्र रूप से देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 257.812 बीसीएम का लगभग 63 प्रतिशत है। मंत्रालय के अनुसार इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली संबंधी लाभ देते हैं।
राज्यों में जल स्तर की स्थिति
मंत्रालय के अनुसार पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों राजस्थान, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु जल संग्रहण बेहतर आंका गया है। जबकि हिमाचल प्रदेश, पंजाब, झारखंड, ओडिशा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना इसी अवधि के लिए पिछले वर्ष की तुलना में कम संग्रहण करने वाले राज्यों में शामिल हैं।
सैकड़ो गांव सूखे की जद में
यदि मौसम विभाग के आंकड़ो को ही माना जाए तो उत्तर प्रदेश, बिहार का उत्तर-पश्चिम हिस्सा, लद्दाख, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वी राजस्थान, झारखंड और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाके सूखा पड़ने की जद में शामिल हैं। जबकि मौसम विभाग के पूर्वानुमान से पहले ही देश के 153 जिले इस साल गर्मियों का सीजन शुरू होने से पहले ही सूखे के दायरे में नजर आ रहें हैं। भारतीय मौसम विभाग के आंकड़ो पर गौर करें तो अक्टूबर 2017 से देश के 404 जिलों में बहुत ही कम बारिश होने के कारण कम से कम 140 जिलों की हालत खराब है। इसका कारण यही है कि अक्टूबर 2017 से मार्च 2018 के बीच न होने के बराबर रही। इस रिपोर्ट के अनुसार 109 जिलों में की हालत थोड़ी सही है, लेकिन 156 जिले सूखे की जद से बाहर हैं।
21Apr-2018

बुधवार, 18 अप्रैल 2018

इस साल बनेंगे 20 हजार किमी नेशनल हाईव



नितिन गडकरी ने निर्माण करने का तय किया लक्ष्य
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले यानि चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में 20 हजार किमी लंबे राष्‍ट्रीय राजमार्गों के विभिन्न कार्यो और ठेके देने के लक्ष्य को निर्धारित किया है, जिसमें 16 हजार से ज्यादा लंबे राष्‍ट्रीय राजमार्गों का विस्तार के निर्माण भी शामिल है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मंगलवार को मंत्रालय के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में सड़क परियोजनाओं की राज्यवार स्थिति की समीक्षा की गई। परियोजनाओं की समीक्षा के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने देश के बुनियादी ढांचों को मजबूत करने और सड़क परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिए लक्ष्य तय किये हैं। इन लक्ष्यों में चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में 16,420 किलोमीटर से भी ज्‍यादा लंबे राष्‍ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया जाएगा और इस वर्ष 25 प्रतिशत अधिक नेशनल हाइवे संबंधी काम किये जाएंगे। मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष के दौरान करीब 20 हजार किलोमीटर लंबे राष्‍ट्रीय राजमार्गों के लिए विभिन्न कार्यों के ठेके देने का लक्ष्य रखा है। मंत्रालय के अनुसार यह लक्ष्य बीते वित्तीय वर्ष के दौरान 17055 किलोमीटर लंबे राष्‍ट्रीय राजमार्गों के लिए दिए गए कार्यों की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत अधिक है। बीते साल इनमें से 8652 किलोमीटर, 7397 किलोमीटर एनएचएआई और 1006 किलोमीटर के लिए एनएचआईडीसीएल ने ठेके दिये।
छत्तीसगढ़ में 600 व मप्र में 700 किमी का लक्ष्य
केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के लक्ष्य में छत्तीसगढ़ राज्य में 33 सड़क परियोजनाओं में 600 किमी लंबी सड़क का निर्माण करने का लक्ष्य रखा है। जबकि मध्य प्रदेश में 39 परियोजनाओं को कार्यान्वित किया जाएगा, जिसमें 700 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने का प्रस्ताव है। इसी प्रकार हरियाणा में 11 परियोजनाओं के तहत 55 किमी नेशनल हाइवे का निर्माण किया जाएगा।
47 किमी प्रतिदिन निर्माण का लक्ष्य
मंत्रालय के अनुसार नए वित्तीय वर्ष में नितिन गडकरी ने सड़क परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए प्रतिदिन 47 किमी सड़क निर्माण करने का लक्ष्य तय किया है, जो बीते साल 27 किमी प्रतिदिन था। मंत्रालय के वर्ष 2018-19 के निर्धारित लक्ष्य के अनुसार 16,420 किलोमीटर लंबे राष्‍ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के लक्ष्य में 9700 किलोमीटर का निर्माण सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, 6000 किलोमीटर का निर्माण एनएचएआई और 720 किलोमीटर का निर्माण एनएचआईडीसीएल द्वारा कराया जाएगा। पिछले वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 9829 किलोमीटर लंबे राष्‍ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया गया था।
डीपीआर पर फोकस
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने स्पष्ट किया है कि इस वर्ष और ज्‍यादा निर्माण करने की दिशा में पिछले वर्ष की तुलना में ज्‍यादा कार्यों के लिए ठेके दिए जाएंगे। इसी तरह ‘सैद्धांतिक रूप से’ घोषित समस्त राष्‍ट्रीय राजमार्गों की विस्‍तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) पूरी करने पर भी फोकस किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय देश में राजमार्गों के नेटवर्क को बेहतर बनाने के साथ-साथ इसे सुदृढ़ करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है।
समूह करेगा निगरानी
गडकरी ने कहा कि वार्षिक लक्ष्‍यों को तिमाही लक्ष्यों में विभाजित कर दिया जाना चाहिए, ताकि वर्ष के आखिर में कोई दबाव न रहे। एनएचएआई के चेयरमैन ने वर्तमान में जारी परियोजनाएं पूरी करने के लिए अपने अधीन एक निगरानी समूह गठित किया है। मंत्रालय में इसी तरह का एक समूह गठित किया जा रहा है।
18Apr-2018