गुरुवार, 12 अप्रैल 2018

एक दशक में सबसे हंगामेदार रहा बजट सत्र

372 करोड़ से ज्यादा की रकम स्वाह, कुछ खास नहीं हुआ काम
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के बजट सत्र के हंगामे की भेंट चढ़ने का यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी संसद के कुछ सत्र बिना कामकाज के हंगामे का शिकार हुए है, हालांकि पिछले एक दशक में संसद का मौजूदा सत्र सबसे हंगामेदार साबित हुआ। इस हंगामे के कारण बजट सत्र के दौरान 372 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम स्वाह हो गई है।
संसद में शुक्रवार को संपन्न हुए बजट सत्र जिस प्रकार से हंगामे की भेंट चढ़ा है वह पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा हंगामेदार सत्र के रिकार्ड पर आ गया है। इससे पहले वर्ष 2012 के मॉनसून सत्र को संसदीय इतिहास का सबसे हंगामेदार सत्र माना गया था। तत्कालीन यूपीए सरकार कोयला घोटाले के आरोपों से घिरी थी और विपक्षी दल सरकार पर लगातार हमले कर रही थी। इसके बाद टूजी मामले और नोटबंदी लागू किए जाने के बाद भी संसद का सत्र हंगामेदार रहा था, लेकिन इस बार का बजट सत्र बीते सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए कामकाज के लिहाज से संसद का सबसे ज्यादा हंगामे दार सत्र साबित हो रहा है। लोकसभा सचिवालय के अनुसार इसी प्रकार वर्ष 2013 में बजट सत्र और मानसून सत्र तेलंगाना को पृथक राज्य बनाने की मांग पर हंगामे दार रहा। जबकि वर्ष 2011 में विकलिस के मुद्दे पर बजट सत्र और वर्ष 2010 में 2जी स्पेक्ट‍्म मुद्दे पर पूरा शीतकालीन सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया था। इसे पहले भी संसद सत्रों में विभिन्न मुद्दो को लेकर सरकार ओर विपक्ष में तकरार के कारण हंगामे हुए हैं जिसके कारण हर सत्र में करोड़ो रुपये की बर्बादी होती रही है।
बीते साल बना था रकॉर्ड
पूरे बजट सत्र के दौरान लोकसभा की कुल 29 बैठकों में करीब 23 फीसदी कामकाज हुआ, जबकि राज्यसभा की 30 बैठकों में 28 फीसदी कामकाज हो सका। कामकाज के मामले में बीते साल दोनों सदनों ने रिकॉर्ड बनाया था, जब बजट सत्र के दौरान लोकसभा में 108 फीसदी और राज्यसभा में 86 फीसदी कामकाज हुआ था। इस सत्र को चलाने में अब तक 372 करोड़ से ज्यादा रुपये खर्च हुए हैं। इसमें सांसदों के वेतन-भत्तों, अन्य सुविधाओं और कार्यवाही से संबंधित इंतजाम पर खर्च शामिल है, लेकिन इतनी भारी-भरकम राशि खर्च होने के बावजूद संसद को सुचारू रूप से नहीं चलाया जा सका।
संसद चलाने में करोड़ो का खर्च व्यर्थ
संसद के सूत्रों के अनुसार संसद के मौजूदा सत्र को चलाने में 372 करोड़ से भी ज्यादा रुपये का खर्च आया है, जिसमें सांसदों के वेतन-भत्तों, अन्य सुविधाओं और कार्यवाही से संबंधित इंतजाम पर खर्च शामिल है, लेकिन इतनी भारी-भरकम राशि खर्च होने के बावजूद संसद को सुचारू रूप से नहीं चलाया जा सका। पीआरएस लेजिस्लेटिव के डाटा के अनुसार एक घंटे की कार्यवाही में संसद में करीब 1.50 करोड़ का खर्च आता है, ऐसे में 22 बजट सत्र के दौरान दोनों सदनों में हंगामे के कारण बर्बाद हुए 348 घंटों से ज्यादा कार्यवाही पर 372 करोड़ रुपये स्वाह हो गये हैं। हालांकि इस सत्र में भाजपा ने ऐलान किया है कि राजग के सांसद 23 दिनों का वेतन भत्ता नहीं लेंगे, लेकिन इसके बावजूद संसद में हंगामे के कारण जनता के धन की बर्बादी को लेकर विशेषज्ञ भी चिंता जताते रहे हैं।
07Apr-2018


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