केंद्र ने
शुरू की नए नियम लागू करने की तैयारी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में
सड़क हादसों को रोकने की कवायद में जुटी केंद्र सरकार जल्द ही ऐसे नियम लागू करने
की तैयारी में हैं, जिससे सड़कों पर उतरने के बाद खासकर कारें 80 किमी प्रतिघंटा
की गति से नहीं दौड़ सकेंगी।
केंद्रीय
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार सरकार हर हालत में देश में होने वाले
सड़क हादसों को 2020 तक 50 फीसदी कम करने के लक्ष्य को हासिल करना चाहती है। इसी
दिशा में कराए गये अध्ययन में सड़क हादसों में ज्यादातर कार सवारों की मौतें होती
देखी गई हैं। मंत्रालय के सूत्रों की माने तो मंत्रालय में खासतौर पर कारों की गति
को नियंत्रित करने की दिशा में नए नियम का मसौदा तैयार किया जा रहा है, जिसमें
वाहन निर्माताओं के लिए ऐसे दिशानिर्देश शामिल किये जा रहे हैं कि कारो के निर्माण
में सुरक्षा मानकों के मद्देनजर ऐसी प्रणाली को भी शामिल किया जाए, जिसमें हाइवे
पर दौड़ने वाले वाहनों जिनमें खासतौर से कारों की गति यदि 80 किमी प्रतिघंटा से
तेज तो कार में लगा ऑटोमैटिक अलार्म बजने लगे। मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है
कि अगले दो-तीन माह में सरकार इन नियमों को लागू करने की तैयारी में हैं। मंत्रालय
में नए नियमों का मसौदा लगभग तैयार किया जा चुका है, जिसके लिए मंत्रालय ने अतिरिक्त
सुरक्षा मानकों को अंतिम रूप देने से पहले 19 अप्रैल तक विशेषज्ञों और आम जानकारों
के सुझाव मांगे हैं। मंत्रालय के अनुसार इन नियमों का खासतौर से वाहन निर्माताओं
को पालन करना अनिवार्य होगा। सरकार का नए नियम लागू करने का मकसद सड़क हादसों में
हो रही मौतों पर अंकुश लगाना है। हालांकि पुलिस वाहनों और एंबुलैंस जैसे आपातकालीन
वाहनों को इन नए नियमों के दायरे से बाहर रखा जा रहा है।
नियमों में क्या होंगे प्रावधान
मंत्रालय
के अनुसार आटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड की दिशा में नए नियमों का मसौदा लगभग
तैयार है, जिसमें कारों के लिए नए सुरक्षा मानकों में कैटेगिरी एम यानि कम से कम चार
पहिया पैसेंजर वाहन और एन कैटेगिरी यानि चार पहिया कॉमर्शियल वाहन के लिए नए सुरक्षा
फीचर्स जोड़े जा रहे हैं। स्पीड़ अलर्ट सिस्टम में एम-1 कैटेगिरी यानी आठ सीट से
ज्यादा एसयूवी, कार, वैन, जीप जैसे यात्री वाहनों में स्पीड अलर्ट सिस्टम लगाया जाएगा,
तेज गति होने पर चालक को अलर्ट करेगा। चालक या उसके साथ सीट पर आगे बैठने वाले ने
भी यदि सीट बैल्ट नहीं लगाई तो भी अलार्म के जरिए अलर्ट किया जाएगा। वाहनों में यह
चेतावनी लाइटिंग, ब्लिंकिंग या विजुअल डिस्प्ले के रूप में भी की जा सकती है। इसके
अलावा सेकेंड लेवल वॉर्निंग के तौर पर ऑडियों अलर्ट की व्यवस्था करने का भी
प्रावधान किया जा रहा है। यही नहीं वाहन निर्माता कंपनियों को सभी वाहनों में व्हील
रिवर्स पार्किंग अलर्ट सिस्टम भी लगाना जरूरी होगा, जबकि तमाम कारों में कम से कम ड्राइवर
एयरबैग लगाने पर पहले से ही जोर दिया गया है।
17Apr-2018
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