सोमवार, 14 जनवरी 2019

चार दशक बाद सिरे चढ़ी रेणुकाजी बांध परियोजना



समझौता कर छह राज्यों ने कार्यान्वयन पर लगाई मुहर
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
यमुना नदी बेसिन राज्यों की पिछले चार दशक से ज्यादा समय से लंबित पड़ी तीन बहुउद्देय बांध परियोजनाओं में से लखवाड़ के बाद रेणुकाजी बांध परियोजना को शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है। हिमाचल प्रदेश की इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड व राजस्थान के मुख्यमंत्रियों ने एक समझौता हस्ताक्षर कर दिये हैं। इन परियोजनाओं से सभी छह राज्यों को जल संकट से राहत मिलेगी।
नई दिल्ली में शुक्रवार को आयोजित एक समझौता कार्यक्रम के दौरान केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गड़करी और जल संसाधन राज्य मंत्रियों सत्यपाल सिंह व अर्जुनराम मेघवाल की मौजूदगी में हिमाचल प्रदेश के मुख्यंत्री जयराम ठाकुर, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल व राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उत्तर भारत की उपरी यमुना बेसिन पर यमुना नदी की सहायक गिरी नदी पर रेणुकाजी बहुउद्देशीय बांध परियोजना के निर्माण के लिए एक समझौता-पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं। इस परियोजना पर 4596.76 करोड़ रुपये लागत का अनुमान लगाया गया है, जिसका 90 प्रतिशत केंद्र सरकार वहन करेगी और बाकी दस प्रतिशत का खर्च जल उपलब्धता के आधार पर इन सभी छह राज्यों को करना होगा। इस समझौते का मकसद रेणुकाजी बहुउद्देशीय बांध परियोजना की भंडारण क्षमता 0.404 एमएएफ करना है, जिससे 23 क्यूमेक जल बेसिन राज्यों को आपूर्ति किया जा सकेगा। वहीं रेणुकाजी बहुद्देशीय बांध परियोजना के निर्माण के उपरांत यमुना की सहायक नदी गिरी की बहाव क्षमता में 110 प्रतिशत की वृद्धि होगी। रेणुकाजी बहुद्देशीय बांध परियोजना से उच्चतम बहाव के दौरान 40 मेगावाट तक विद्युत उत्पादन भी होगा, जिसका 90 फीसदी खर्च राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली द्वारा किया जाएगा।
केंद्र करेगा 90 फीसदी खर्च
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल रेणुका के निकट ददाहू नामक कस्बे के किनारे गिरि नदी कुल 1508 हैक्टेयर में 148 मीटर उंची रेणुकाजी बहुद्देशीय बांध परियोजना कार्यान्वित होगी और 24 किमी लंबी झील बनेगी।  रेणुकाजी बहुद्देशीय बांध परियोजना की कुल 4596.76 करोड़ रुपये लागत में सिंचाई व पेयजल का घटक 4325.43 करोड़ रूपये तथा विद्युत उत्पादन का घटक 277.33 करोड़ रूपये है। रेणुकाजी बहुद्देशीय बांध परियोजना के सिंचाई व पेयजल घटक का 90 प्रतिशत यानि 3892,83 करोड़ रूपये का खर्च केंद्र सरकार तथा शेष 10 प्रतिशत यानि 432.54 करोड़ रुपये का खर्च यमुना बेसिन राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली द्वारा वहन किया जाएगा।
हरियाणा को मिलेगा सर्वाधिक जल
रेणुकाजी बहुद्देशीय बांध परियोजना से 498 मीलियन घन मीटर जल का उपयोगी भंडारण करने की योजना है, जिसमें प्रतिदिन 525 मिलियन गेलन पेयजल उपलब्ध हो सकेगा। परियोजना पूरी होने पर बेसिन राज्यों हरियाणा को 47.82 प्रतिशत,उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड को 33.65 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश को 03.15 प्रतिशत, राजस्थान को 09.34 प्रतिशत व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 06.04 प्रतिशत जल मुहैया कराया जाएगा।  रेणुकाजी परियोजना पूरी होने पर संग्रहित जल का गर्मियों में अतिरिक्त प्रवाह की आपूर्ति प्राथमिकता के साथ ऊपरी यमुना बोर्ड द्वारा निर्धारित मात्रा के आधार पर दिल्ली को की जाएगी। रेणुका बांध परियोजना में संग्रहित जल को हरियणा के हथीनीकुंड बैराज से राजस्थान, यूपी एवं दिल्ली के वजीराबाद बैराज से दिल्ली और ओखला बैराज से हरियाणा, यूपी व राजस्थान को मुहैया कराने का प्रस्ताव है।
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यमुना नदी की बढ़ेगी क्षमता: गडकरी
केंद्रीय जलसंसाधन मंत्री नीतिन जयराम गडकरी ने कहा कि देश में पर्याप्त जल संसाधन हैं। राज्यों की आवश्यकता अनुसार जल उपयोग के लिए प्रस्तावित परियोजनाओं को क्रियान्वित किया जाना ही केंद्र सरकार की प्राथमिकता है। उपरी यमुना बेसिन पर यमुना व उसकी सहायक नदियों पर निर्मित की जाने वाली तीन जल भंडारण बांध परियोजनाओं के परिणामस्वरूप हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में पर्याप्त सिचाई व पेयजल उपलब्ध हो सकेगा। यमुना नदी की क्षमता में 160 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
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हरियाणा को सर्वाधिक लाभ: मनोहर लाल
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि उपरी यमुना बेसिन पर यमुना व उसकी सहायक नदियों पर निर्मित की जाने वाली तीन जल भंडारण बांध परियोजनाओं लखवाड, रेणुकाजी व किशाऊ बहुद्देशीय बांध परियोजना का 47.82 प्रतिशत जल हरियाणा प्रदेश को मिलेगा। उन्होंने कहा कि रेणुकाजी परियोजना के लिए राज्य सरकार अपने हिस्से में से 25 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि रेणुकाजी बहुउद्देशीय बांध परियोजना से हरियाणा राज्य को 47.82 प्रतिशत पानी मिलेगा।
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उत्तराखंड में बढ़ेगी जल क्षमता: रावत
रेणुका जी परियोजना के निर्माण के बाद उत्तराखण्ड राज्य को 19.72 एमसीएम (कुल जल का 3.81 प्रतिशत) जल सिंचाई, घरेलू व औद्योगिक उपयोग हेतु प्राप्त होगा, जिसके आधार उत्तराखण्ड राज्य द्वारा जल घटक के सापेक्ष कुल 16.50 करोड़ की धनराशि को दो किश्तों में खर्च करेगा। 
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किसाऊ परियोजना पर आज समझौता
यमुना नदी बेसिन राज्यों की पिछले चार दशक से विकास की बाट जो रही तीन बहुउद्देय बांध परियोजनाओं में लखवाड़ व रेणुकाजी के बाद 11550 करोड़ रूपए लागत वाली तीसरी किशाऊ बहुउद्देश्य बांध परियोजना के कार्यान्वयन पर भी कल शनिवार 12 जनवरी को इन सभी छह राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान व हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के मध्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये जाएंगे। यह परियोजना उत्तराखंड के देहरादून में टोंस नदी पर निर्मित होगी, जिससे 660 मेगावाट जलविद्युत उत्पादन के साथ ही 617 एमसीएम पानी की उपलब्धता हासिल होगी। यह फैसला केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी के साथ इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ हुए विचार विमर्श के बाद लिया गया है।
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प्रयागराज में 908.16 करोड़ की दो परियोजनाएं मंजूर
नमामि गंगे: केंद्र का यूपी जल निगम के साथ हुआ करार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में ट्रांस गंगा व यमुना क्षेत्रों में 908.16 करोड रुपये की लागत वाली दो परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इसके लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की मौजूदगी में एनएमसीजी के साथ      यूपी जल निगम और प्रयागराज वाटर लि. के बीच एक करार पर हस्ताक्षर किये गये हैं।
नई दिल्ली में शुक्रवार को हिमाचल की रेणुकाजी बहुउद्देशीय बांध परियोजना के कार्यान्वयन हेतु आयोजित एक समझौता कार्यक्रम के दौरान केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गड़करी और जल संसाधन राज्य मंत्रियों सत्यपाल सिंह व अर्जुनराम मेघवाल और मौजूदगी में छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों हिमाचल प्रदेश के जयराम ठाकुर, हरियाणा के मनोहरलाल, उत्तराखंड के त्रिवेंद्र रावत, उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ, दिल्ली के अरविंद केजरीवाल व राजस्थान के अशोक गहलोत ने एक करार पर हस्ताक्षर किये। इसी दौरान उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 908.16 करोड़ रुपये की लागत वाली दो परियोजनाओं को भी मंजूरी दी। इन परियोजनाओं में 72 एमएलडी कुल क्षमता के तीन नये एसटीपी का निर्माण, 80एमएलडी का सुदृढ़ीकरण तथा मौजूदा 254 एमएलडी क्षमता के एसटीपी का संचालन व रखरखाव शामिल है। इस अवसर पर केन्द्रीय जल संसाधन सचिव उपेन्द्र प्रताप सिंह सहित केन्द्र व राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारीगण आदि उपस्थित थे।
ये हैं प्रयागराज की परियोजनाएं
नमामि गंगे परियोजना के तहत प्रयागराज में ट्रान्स गंगा व यमुना क्षेत्र में सीवेज प्रबधंन के लिए दो परियोजनाओं और मौजूदा सीवरेज परिसंपत्तियों के आपरेशन व रखरखाव के लिए 908.16 करोड़ रुपये की इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन के फलस्वरूप आई.एण्ड.डी. नेटवर्क के साथ 72 एमएलडी क्षमता के तीन नये एसटीपी का निर्माण, 80 एमएलडी का सुदृढीकरण, 254 एमएलडी के मौजूदा क्षमता केएसटीपी का बेहतर संचालन व रखरखाव के अलावा 10 नये पम्पिंग स्टेशन का निर्माण किया जाएगा। वहीं नैनी में 42 एमएलडी, फाफामऊ में 14 एमएलडी तथा झूंसी में 16 एमएलडी के एसटीपी तैयार होंगे। वहीं सभी सीवरेज परिसंपत्तियों के आपरेशन व रखरखाव का कार्य 15 वर्ष के लिए होगा। मसलन ये दोनों परियोजनायें प्रयागराज शहर के सीवरेज प्रबंधन के लिए टिकाऊ व जवाबदेह तरीके से हाइब्रिड वार्षिकी आधारित पीपीपी मोड पर तथा कार्यान्वयन के लिए एक शहर-एक संचालक अवधारणा पर आधारित है।
12Jan-2019



संसद सत्र:पांच विधेयकों पर ही संसद लगा सका मुहर



संसद सत्र में कामकाज पर हावी रहा हंगामा 
आरक्षण संशोधन विधेयक रही सरकार की बड़ी उपलब्धि
फिर अधर में लटके रहे तीन तलाक व मोटर वाहन जैसे अहम बिल 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। 
संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार के कामकाज पर विपक्षी दलों का हंगामा भले ही हावी रहा हो, लेकिन अंतिम दिनों में मोदी सरकार ने संसद में सवर्णो के गरीब लोगों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण देने वाले संविधान संशोधन विधेयक पर संसद की मुहर लगवाकर कई दशकों से दबी आ रही आवाज को बुलंद करके बड़ी उपलब्धि हासिल की है। नतीजन हंगामे के कारण होम होती दोनों सदनों की कार्यवाही के दौरान सरकार केवल पांच विधेयक पर ही संसद की मुहर लगवा सकी है। 
संसद में 11 दिसंबर से शुरू हुए शीतकालीन सत्र के दौरान राफेल, राम मंदिर, आंध्र, कावेरी जैसे विभिन्न मुद्दों पर घिरी रही सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों के हंगामें के कारण लोकसभा में 47 और राज्यसभा में 27 फीसदी ही कामकाज हो सका। यानि 50 फीसदी कामकाज पर हंगामे ने ग्रहण लगाए रखा। लोकसभा में हंगामे के बीच ही 14 विधेयक पास हुए, जबकि उनमें से पांच विधेयक ही ऐसे रहे जिन पर राज्यसभा में भी मुहर लगी। यानि राज्यसभा ने संविधान (124वां संशोधन) विधेयक के अलावा बच्चों की नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा (संशोधन) विधेयक, शिक्षा शिक्षक के लिए राष्ट्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक,  दिव्यांगों से जुड़ा राष्ट्रीय स्वपरायणता प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता और बहु-निशक्तता ग्रस्त कल्याण न्यास (संशोधन) विधेयक पर भी मुहर लगाई। जबकि राज्यसभा से पहले से ही पारित विनियोग (संख्या 6) विधेयक को लोकसभा ने पास किया।
लोकसभा में पास हुए 14 बिल
संसदीय कार्य मामलों के मंत्रालय के अनुसार शीतकालीन सत्र के लिए सरकार के एजेंडे में संविधान (संशोधन) विधेयक के अलावा सात नए विधेयकों समेत 46 बिल शामिल थे, लेकिन लोकसभा में तीन अध्यादेश और 12 विधेयकों के अलावा राज्यसभा में पांच विधेयकों को पेश किया जा सका। लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिकार) अध्यादेश, भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) अध्यादेश तथा कंपनी संशोधन अध्यादेशों को विधेयक के रूप में कुल 14 विधेयकों को पारित कराया सका, लेकिन राज्यसभा में तीनों अध्यादेश वाले विधेयक समेत कई महत्वपूर्ण विधेयक लटके रह गये। राज्यसभा में देश में सड़क सुरक्षा संबन्धी नए मोटर वाहन समेत महत्वपूर्ण बिलों के अटकने के कारण वे कानून का रूप नहीं ले सके।
चार विधेयक हुए वापस
सरकार ने दोनों सदनों में पुराने चार विधेयकों नालंदा विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक, होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक-2005 तथा केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक-2015 को वापस लिया है।
समय की बर्बादी
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में 17 बैठकों के दौरान 46.48 घंटे कामकाज किया गया। लोकसभा में हंगामें के कारण बर्बाद हुए समय की पूर्ति के लिए सदन की कार्यवाही को 48 घंटे से जयादा अतिरकक्त समय तक चलाया गया। लोकसभा में 88 गैर सरकारी विधेयक भी पेश किये गये। दूसरी ओर राज्यसभा में शीतकालीन सत्र में 11 दिसंबर 2018 से नौ जनवरी 2019 के बीच केवल 18 बैठकों के दौरान केवल चार विधेयक पारित कराए गये। जबकि उच्च सदन में तीन दिन की कार्यवाही निरस्त हुई, तो एक दिन की बैठक को बढ़ाया गया। राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान केवल 27 घंटे ही काम हो सका, जबकि 78 घंटे हंगामे के कारण बर्बाद हुए। हालांकि समय की पूर्ति करने के मकसद से छह घंटे अतिरक्त समय के लिए कार्यवाही भी चलाई गई।
सरकार ने ठोकी अपनी पीठ
संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बृहस्पतिवार को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने संबंधी 124वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित कराने को मोदी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि करार दिया। उन्होंने कहा कि यह करोड़ों वंचित भारतीय नागरिकों की अकांक्षा को पूरा करेगा। सरकार का यह ऐसा दांव रहा कि विपक्षी दल भी इसका चाहते हुए भी विरोध नहीं कर सके।
11Jan-2019

राज्यसभा: संविधान संशोधन विधेयक पारित


संविधान संशोधन विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की उठाई मांग
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
लोकसभा में 3 के मुकाबले 323 मतों से कोटा बिल पारित होने के बाद राज्यसभा ने इस बिल पर मुहर लगा दी है। राज्यसभा ने 7 के मुकाबले 165 मतों से इस बिल को पारित कर दिया। अब इस बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सरकारी नौकरियों एवं शिक्षण संस्थाओं में 10 फीसदी आरक्षण देने के प्रावधान वाले संविधान संशोधन विधेयक पर राज्सभा में जोरदार बहस हुई थी। सत्ता पक्ष और विपक्ष अकाट्य तर्कों के जरिए अपनी बात सदन के सामने रखा था। यह विधेयक लोकसभा में मंगलवार को पारित हुआ था । लोकसभा में इस विधेयक के पक्ष में 323 वोट और विरोध में मात्र तीन वोट पड़े। 
सत्तापक्ष पर सवालों पर सदन में कई बार हुई झड़पें 
राज्यसभा में सवर्णो वर्ग के गरीबों को शिक्षा एवं रोजगार में दस प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी संविधान (संशोधन) विधेयक पर राज्यसभा में हुई जोरदार बहस के दौरान कुछ दलों को छोड़कर विपक्षीर दलों ने इस विधेयक का समर्थन तो किया, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले इस विधेयक को लेकर मोदी सरकार पर सियासी टिप्पणियां भी की, जिसके कारण सत्तापक्ष और विपक्षी दलों के सदस्यों के बीच कई बार तीखी झडपें भी हुई।
संसद के शीतकालीन सत्र में राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन बुधवार को बढ़ाए जाने पर भी सदन में विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किये और सवर्णजाति वर्ग के लोगों को दस प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी संविधान (124वें संशोधन) विधेयक पर चर्चा शुरू होने से पहले ही द्रमुक जैसे कुछ दलों ने इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग उठाई, जिसका कांग्रेस ने भी समर्थन किया। वहीं बैठक शुरू होने पर नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर पूर्वोत्तर राज्यों में हिंसा के मुद्दे को उठाते हुए विपक्षी दलों ने हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी, जिसके बाद पुन: शुरू हुई कार्यवाही के दौरान केंद्रीय सामाजिक अधिकारिता एवं न्याय मंत्री थांवरचंद गहलौत को उपसभापति हरिवंश ने संविधान (संशोधन) विधेयक पेश करने की अनुमति दी। इस दौरान कांग्रेस और अन्य दलों ने इस विधेयक को लेकर सवाल खड़े करने शुरू किये और सदन में हंगामे का माहौल बनता नजर आने लगा तो सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। दो बजे फिर शुरू हुई कार्यवाही के दौरान पहले विपक्ष की मांग पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में पहुंचे गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नागरिकता संबन्धी विधेयक पर अपना वक्तव्य दिया। उसके बाद आरक्षण संबन्धी विधेयक पर चर्चा को आगे बढ़ाया गया। उच्च सदन में आरक्षण संबंधी विधेयक पर चर्चा के दौरान भाजपा के प्रभात झा, कांग्रेस के आनंद शर्मा व कपिल सिबबल, सपा के प्रो. रामगोपाल यादव, माकपा के टीके रंगराजन, राजद के मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक अब्राईन, भाजपा के डी राजा, तेदेपा के वाई एस चैधरी, टीआरएस के बंदा प्रकाश, बसपा के सतीश मिश्रा, माकपा के ई करीम, मनोनीत सदस्य नरेंद्र जाधव, आदि ने भी हिस्सा लिया, जहां राजद व अन्नाद्रमुक ने इस विधेयक का विरोध किया। समचार लिखे जाने तक सदन में चर्चा जारी थी।
शाह व रामगोपाल में झडपें
समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा में सवर्ण आरक्षण बिल का समर्थन किया, लेकिन सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कई सवाल उठाते हुए निचली जातियों के साथ भेदभाव का जिक्र करते हुए कहा कि यूपी में सरकार बदलने के बाद मुख्यमंत्री का बंगला भी धुलवाया क्यों धुलवाया गया। ऐसे कुछ सवालों पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तथा रामगोपाल यादव के बीच नोंकझोंक भी हुई। रामगोपाल का सवाल था कि क्या यह सरकार हमारी सरकार नहीं है? अगर हम इस बिल का समर्थन कर रहे हैं तो क्या इसमें हमारा योगदान नहीं है।
सबरीमाला मंदिर का मामला
सवर्णो को आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा की मंजूरी मिलने के बाद उच्च सदन में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान बीजद सांसद प्रसन्न आचार्य ने बिल का समर्थन करते हुए कई सवाल खड़े किए। इस दौरान उन्होंने आचार्य ने सबरीमाला मंदिर का मामला भी उठाया, जहां महिलाओं को प्रवेश से रोका जा रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार की 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के नारे पर सवाल उठाते हुए सवाल दागा कि यह केवल दिखावा है और सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को रोकर उनकी आजादी छिनी जा रही है? जबकि एक ओर केंद्र सरकार तीन तलाक को लेकर सक्रिय दिखती है, तो ठीक उसका उल्टा सबरीमाला मामले से मुंह क्यों फेर रही है।
राजद ने लहराया झुनझुना
राज्यसभा में संविधान संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान राजद सांसद मनोज झा ने चर्चा में हिस्सा लेने के दौरान सदन में एक झुनझुना लहराया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिये सवर्णो को महज ऐसा ही एक झुनझुना दिखाया जा रहा है। इस झुनझुने को उन्होंने लहराते हुए तंज कसा कि यह बजता भी है, लेकिन सरकार के आरक्षण वाला यह झुनझुना केवल हिलता है बजे का नहीं। ऐसे में झा ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे संविधान के बुनियादी ढांचे से छेड़छाड़ करके सियासत करने का भी आरोप लगाया।
सत्तापक्ष पर सवालों पर सदन में कई बार हुई झड़पें 
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राज्यसभा में सवर्णो वर्ग के गरीबों को शिक्षा एवं रोजगार में दस प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी संविधान (संशोधन) विधेयक पर राज्यसभा में हुई जोरदार बहस के दौरान कुछ दलों को छोड़कर विपक्षीर दलों ने इस विधेयक का समर्थन तो किया, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले इस विधेयक को लेकर मोदी सरकार पर सियासी टिप्पणियां भी की, जिसके कारण सत्तापक्ष और विपक्षी दलों के सदस्यों के बीच कई बार तीखी झडपें भी हुई।
संसद के शीतकालीन सत्र में राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन बुधवार को बढ़ाए जाने पर भी सदन में विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किये और सवर्णजाति वर्ग के लोगों को दस प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी संविधान (124वें संशोधन) विधेयक पर चर्चा शुरू होने से पहले ही द्रमुक जैसे कुछ दलों ने इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग उठाई, जिसका कांग्रेस ने भी समर्थन किया। वहीं बैठक शुरू होने पर नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर पूर्वोत्तर राज्यों में हिंसा के मुद्दे को उठाते हुए विपक्षी दलों ने हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी, जिसके बाद पुन: शुरू हुई कार्यवाही के दौरान केंद्रीय सामाजिक अधिकारिता एवं न्याय मंत्री थांवरचंद गहलौत को उपसभापति हरिवंश ने संविधान (संशोधन) विधेयक पेश करने की अनुमति दी। इस दौरान कांग्रेस और अन्य दलों ने इस विधेयक को लेकर सवाल खड़े करने शुरू किये और सदन में हंगामे का माहौल बनता नजर आने लगा तो सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। दो बजे फिर शुरू हुई कार्यवाही के दौरान पहले विपक्ष की मांग पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में पहुंचे गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नागरिकता संबन्धी विधेयक पर अपना वक्तव्य दिया। उसके बाद आरक्षण संबन्धी विधेयक पर चर्चा को आगे बढ़ाया गया। उच्च सदन में आरक्षण संबंधी विधेयक पर चर्चा के दौरान भाजपा के प्रभात झा, कांग्रेस के आनंद शर्मा व कपिल सिबबल, सपा के प्रो. रामगोपाल यादव, माकपा के टीके रंगराजन, राजद के मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक अब्राईन, भाजपा के डी राजा, तेदेपा के वाई एस चैधरी, टीआरएस के बंदा प्रकाश, बसपा के सतीश मिश्रा, माकपा के ई करीम, मनोनीत सदस्य नरेंद्र जाधव, आदि ने भी हिस्सा लिया, जहां राजद व अन्नाद्रमुक ने इस विधेयक का विरोध किया। समचार लिखे जाने तक सदन में चर्चा जारी थी।
शाह व रामगोपाल में झडपें
समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा में सवर्ण आरक्षण बिल का समर्थन किया, लेकिन सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कई सवाल उठाते हुए निचली जातियों के साथ भेदभाव का जिक्र करते हुए कहा कि यूपी में सरकार बदलने के बाद मुख्यमंत्री का बंगला भी धुलवाया क्यों धुलवाया गया। ऐसे कुछ सवालों पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तथा रामगोपाल यादव के बीच नोंकझोंक भी हुई। रामगोपाल का सवाल था कि क्या यह सरकार हमारी सरकार नहीं है? अगर हम इस बिल का समर्थन कर रहे हैं तो क्या इसमें हमारा योगदान नहीं है।
सबरीमाला मंदिर का मामला
सवर्णो को आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा की मंजूरी मिलने के बाद उच्च सदन में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान बीजद सांसद प्रसन्न आचार्य ने बिल का समर्थन करते हुए कई सवाल खड़े किए। इस दौरान उन्होंने आचार्य ने सबरीमाला मंदिर का मामला भी उठाया, जहां महिलाओं को प्रवेश से रोका जा रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार की 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के नारे पर सवाल उठाते हुए सवाल दागा कि यह केवल दिखावा है और सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को रोकर उनकी आजादी छिनी जा रही है? जबकि एक ओर केंद्र सरकार तीन तलाक को लेकर सक्रिय दिखती है, तो ठीक उसका उल्टा सबरीमाला मामले से मुंह क्यों फेर रही है।
राजद ने लहराया झुनझुना
राज्यसभा में संविधान संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान राजद सांसद मनोज झा ने चर्चा में हिस्सा लेने के दौरान सदन में एक झुनझुना लहराया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिये सवर्णो को महज ऐसा ही एक झुनझुना दिखाया जा रहा है। इस झुनझुने को उन्होंने लहराते हुए तंज कसा कि यह बजता भी है, लेकिन सरकार के आरक्षण वाला यह झुनझुना केवल हिलता है बजे का नहीं। ऐसे में झा ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे संविधान के बुनियादी ढांचे से छेड़छाड़ करके सियासत करने का भी आरोप लगाया।
10Jan-2019