सरकार
का दावा-पहले से ही पटरी पर हैं अनेक योजनाएं
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राज्यसभा
में शुक्रवार को देश में विधवाओं के कल्याण पर पेश गत मानसून सत्र में पेश किये
गये निजी संकल्प(रेजुलेशन) पर को चर्चा के लिए पेश किया, लेकिन सरकार की ओर से
विधवाओं के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं को व्यापक स्तर पर लागू करने के
दावे के बीच इस संकल्प को वापस लेने को कहा, लेकिन विपक्ष ने इस पर मत विभाजन
मांगा। मतविभाजन के बाद सदन में मौजूद 59 सांसदों में से सत्तापक्ष के 35 के
मुकाबले विपक्ष के 23 मतों के कारण यह संकल्प गिर गया।
संसद के
दोनों सदनों में शुक्रवार को भोजनावकाश के बाद गैर सरकारी विधेयक और संकल्प पेश
किये जाते हैं। इसी के तहत शुक्रवार को अन्नाद्रमुक सांसद तिरुचि शिवा ने इस निजी
सकंल्प पर बोलते हुए सदन को बताया कि 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में विधवाओं
की संख्या 4.33 करोड़ है जो देश की महिला आबादी का 7.37 फीसदी और विश्व में
विधवाओं की सर्वाधिक आबादी है। उन्होंने कहा कि देश में विधवाओं की स्थिति बेहद
खराब होती जा रही है। शिवा ने भारतीय समाज में अभी तक चल रहे पुरातन रूढ़ियों के
चलते पति की मृत्यु को सामाजिक कलंक समझा जाता है, जिसके कारण विधवाओं की आजीविका
बद से बदतर होती जा रही है। हालांकि सरकार द्वारा उनके लिए सेंटर होम बनाने की
योजना भी है। शिवा ने मथुरा के वृंदावन में
बनाए जा रहे एक हजार विधवाओं की क्षमता वाले सेंटर होम को नाकाफी बताते हुए केंद्र
सरकार से देश में विधवाओं के कल्याण के लिए एक ऐसा उपयुक्त कानून बनाने का अनुरोध
किया, जो उनकी सामाजिक सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम हो। इसके लिए
उन्होंने सरकार से निराश्रित विधवाओं को मौजूदा जीवन स्तर के बराबर पर्याप्त
वित्तीय सहायता प्रदान करने और ऐसी नीति तैयार करने पर बल दिया जिससे विधवाओं को
उचित कानूनी सहायता और स्वास्थ्य की देखभाल की सुविधा मुहैया हो सके।
सरकार का तर्क
सदन
में विधवाओं के कल्याण संबन्धी इस सकंल्प को वापस लेने का अनुरोध करते हुए सरकार ने
दावा किया कि केंद्र सरकार पहले से ही देश की विधवाओं के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता
के साथ अनेक योजनाएं लागू करती आ रही है। महिला एवं बाल कल्याण राज्यमंत्री चौधरी
वीरेन्द्र कुमार ने मथुरा-वृंदावन में विधवाओं के कल्याण के लिए बनवाए गये विधवा
बाल कल्याण गृह में दी जा रही सुविधाओं को प्रर्याप्त करार देत हुए कहा कि उसकी
क्षमता बढ़ाने के लिए भी उनका मंत्रालय तैयार है यदि राज्य सरकार ऐसा कोई प्रस्ताव
केंद्र सरकार को भेजे। संबन्धित मंत्री वीरेन्द्र कुमार के बाद संसदीय कार्य
मंत्री विजय गोयल ने तिरुचि शिवा से पूछा कि केंद्र सरकार की विधवाओं के कल्याण की
प्रतिबद्धता को देखते हुए क्या वह इस संकल्प को वापस लेना चाहेंगे, तो इस पर उप
सभापति ने सदन की राय ली, लेकिन विपक्ष संकल्प को पारित कराने की मांग करने लगा।
इस पर उपसभापति हरिवंश ने पहले सदन के
मौखिक मत विभाजन की परंपरा अपनाई, लेकिन इस पर राय नहीं, बनी तो फिर सदन में
संकल्प पर मतदान कराया गया। इस मतदान के दौरान सदन में मौजूद 59 सांसदों में से
संकल्प वापसी के लिए 35 वोट पड़े, जबकि पारित कराने के पक्ष में केवल 23 मत मिले
और इसे खारिज कर दिया गया।
-------------------------------------
आंकड़ो की सुरक्षा पर कानून
बनाने की योजना
राज्यसभा
में शुक्रवार को केंद्रीय आईटी एवं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रश्नकाल के
दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि एक लाख रूपए से कम राशि वाले आर्थिक फर्जीवाड़ों के
मामलों पर गौर करने के लिए सरकार रिजर्व बैंक के साथ मिलकर आंकड़ो की सुरक्षा के
लिए कानून बनाने का काम कर रही है। इसके लिए वित्तीय आंकड़ा सुरक्षा विधेयक तैयार
किया जा रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत की डिजिटल और आईटी ताकत इतनी
मजबूत है कि आंकड़ों को कोई नहीं चुरा सकता है और नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई
की जाएगी। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध से निबटने के लिए सुरक्षा अभ्यास के अलावा प्रशिक्षण
पर भी जोर दिया जा रहा है उन्होंने कहा कि पुलिस में अलग से आईटी सेल भी बनाया गया
है।
04Jan-2019
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें