रविवार, 6 जनवरी 2019

राज्यसभा: आखिर पटरी पर आई सदन की कार्यवाही


शीतकालीन सत्र में पहली बार चला शून्यकाल व प्रश्नकाल
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
आखिर संसद के शीतकालीन सत्र में अभी तक चल रहे हंगामे का कारण बने सरकार और विपक्ष के बीच चले आ रहे गतिरोध पर विराम लगता नजर आया। राज्यसभा में गुरुवार को इस सत्र में पहली बार शून्यकाल व प्रश्नकाल के अलावा जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर जोरदार व गरम चर्चा भी हुई।
संसद में 11 दिसंबर से शुरू हुए शीतकालीन सत्र के दौरान अभी तक हुई बैठकों में सरकार और विपक्ष के बीच राफेल, कावेरी, आंध्र प्रदेश और अन्य मुद्दों को लेकर जारी गतिरोध के कारण दोनों सदनों में कामकाज पटरी पर नहीं आ पा रहा था। खासतौर पर राज्यसभा में एक दर्जन से ज्यादा बैठकें हंगामे की भेंट चढ़ गई और कामकाज पूरी तरह से ठप रहा। राज्यसभा में कल बुधवार को आसन के करीब आकर कावेरी मुद्दे पर पहले दिन से ही नारेबाजी करने वाले अन्नाद्रमुक व द्रमुक सदस्यों के खिलाफ सभापति एम. वेंकैया नायडू की कार्यवाही करने और विपक्षी दलो के साथ चर्चा करने के बाद उच्च सदन में गुरुवार को माहौल बदला नजर आया। राज्यसभा में 12 दिसंबर को केवल दिव्यांगों से संबन्धित राष्ट्रीय स्वपरायणता प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता और बहु-निशक्तता ग्रस्त कल्याण न्यास (संशोधन) विधेयक पारित हुआ था, जिसके बाद उसे लोकसभा ने मंजूरी दी। मसलन अभी तक संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान यही विधेयक ऐसा है जिसे संसद की मंजूरी मिल चुकी है, अन्यथा लोकसभा में हंगामे के बीच मुस्लिम महिलाएं (विवाह अधिकारों संरक्षण) विधेयक समेत आधा दर्जन से ज्यादा विधेयक इस गतिरोध व हंगामे के कारण राज्यसभा में अटके हुए हैं। दरअसल उच्च सदन में गुरुवार को कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सबसे पहले सदन की कार्यवाही को शांतिपूर्ण चलाने में सभी दलों द्वारा दिये गये भरोसे की जानकारी दी और कहा कि सभी सदस्यों का दायित्व है कि संसद में जनता से जुड़े मुद्दों और राष्ट्रहित के कार्यो को आगे बढ़ाने में सहयोग दें। उन्होंने उम्मीद जताई कि सदस्य अगले तीन दिनों की कार्यवाही में भी सहयोग बनाकर सरकारी कामकाज में भी सार्थक भूमिका निभाएंगे।
शून्यकाल में उठे महत्वपूर्ण मुद्दे
राज्यसभा की गुरुवार को कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम. वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेजों को पटल पर रखवाया और उसके बाद शून्यकाल शुरू करने का ऐलान किया। हालांकि शुरू में हल्का शोर शराबा भी हुआ, लेकिन शून्यकाल सुचारू रूप से चला और विभिन्न दलों ने नवोदय स्कूलों में छात्रों की आत्महत्या, यूपीएससी और इसी प्रकार की परीक्षाओं में क्षेत्रीय भाषा, महिला आरक्षण, मेघालय खदान में फंसे मजदूरो, पुराने कर्मचारियों की पेंशन, नमामि गंगे मिशन में बांधों के निर्माण को रोकने, निजी क्षेत्र के बैंकों, कंप्यूटर व संचार प्रणाली में निगरानी से निजता, किसानों की भूमिअधिग्रहण के मुआवजे, महाराष्ट्र में धनगर शब्द को बिगाड़कर धनगड करने से जनजाति का दर्जा छीनने, देश में ब्लड बैंकों की खराब स्थिति तथा देश में फर्जी डाक्टरों व नकली दवाई के साथ रेल नेटवर्क को दुरस्त करने जैसे मुद्दे उठाए। खासबात यह रही कि समय की बचत के लिए इन मुद्दों पर एक सांसद का सभी दलों के सांसदों ने अपने आपको संबद्ध किया।
प्रश्नकाल में पूरे सवाल
राज्यसभा में भले ही शीतकालीन सत्र के दौरान पहली बार प्रश्नकाल शांतिपूर्ण ढंग से चला और सांसदों के सवालों व पूरक प्रश्नों के उत्तर पर भी संबन्धित मंत्रियों ने दिये। सदन में प्रश्नकाल में सभी 15 प्रश्नों को लिया गया। इनमें प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा, कार्मिक, लोकशिकायत और पेंशन संबन्धी सवालों के जवाब पीएमओ में राज्यमंत्री डा. जितेन्द्र सिंह ने दिये। दो बजे शुरू हुई सदन की कार्यवाही में सुषमा स्वराज ने वापस करने के लिए नालंदा विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक-2013 विधेयक पेश किया, जिसे समूचे सदन की मंजूरी मिली।
जम्मू-कश्मीर पर हुई जोरदार चर्चा
सदन में गृह मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा दो जनवरी को जम्मू-कश्मीर से संबन्धित उस संकल्प पर चर्चा को आगे बढ़ाया गया, जिसमें राष्ट्रपति द्वारा 19 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर राज्य के संबन्ध में भारत के संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत जारी हुई उद्घोषणा का अनुमोदन किया गया। दो घंटे से ज्यादा समय तक चली इस चर्चा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच गरमा गरमी भी हुई और यह चर्चा के दौरान खासकर सदन के नेता अरुण जेटली व नेता प्रतिपक्ष गुलामनबी आजाद के बीच तीखी झड़पे भी देखने को मिली।
04Jan-2019
 


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