संविधान संशोधन विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की उठाई मांग
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।

सत्तापक्ष पर सवालों पर सदन
में कई बार हुई झड़पें
राज्यसभा
में सवर्णो वर्ग के गरीबों को शिक्षा एवं रोजगार में दस प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी
संविधान (संशोधन) विधेयक पर राज्यसभा में हुई जोरदार बहस के दौरान कुछ दलों को
छोड़कर विपक्षीर दलों ने इस विधेयक का समर्थन तो किया, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले
इस विधेयक को लेकर मोदी सरकार पर सियासी टिप्पणियां भी की, जिसके कारण सत्तापक्ष
और विपक्षी दलों के सदस्यों के बीच कई बार तीखी झडपें भी हुई।
संसद
के शीतकालीन सत्र में राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन बुधवार को बढ़ाए जाने पर भी सदन
में विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किये और सवर्णजाति वर्ग के लोगों को दस प्रतिशत आरक्षण
देने संबंधी संविधान (124वें संशोधन) विधेयक पर चर्चा शुरू होने से पहले ही द्रमुक
जैसे कुछ दलों ने इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग उठाई, जिसका कांग्रेस ने भी
समर्थन किया। वहीं बैठक शुरू होने पर नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर पूर्वोत्तर
राज्यों में हिंसा के मुद्दे को उठाते हुए विपक्षी दलों ने हंगामा किया, जिसके
कारण सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी, जिसके बाद पुन: शुरू हुई
कार्यवाही के दौरान केंद्रीय सामाजिक अधिकारिता एवं न्याय मंत्री थांवरचंद गहलौत
को उपसभापति हरिवंश ने संविधान (संशोधन) विधेयक पेश करने की अनुमति दी। इस दौरान
कांग्रेस और अन्य दलों ने इस विधेयक को लेकर सवाल खड़े करने शुरू किये और सदन में
हंगामे का माहौल बनता नजर आने लगा तो सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित
करनी पड़ी। दो बजे फिर शुरू हुई कार्यवाही के दौरान पहले विपक्ष की मांग पर
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में पहुंचे गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नागरिकता संबन्धी
विधेयक पर अपना वक्तव्य दिया। उसके बाद आरक्षण संबन्धी विधेयक पर चर्चा को आगे
बढ़ाया गया। उच्च सदन में आरक्षण संबंधी विधेयक पर चर्चा के दौरान भाजपा के प्रभात
झा, कांग्रेस के आनंद शर्मा व कपिल सिबबल, सपा के प्रो. रामगोपाल यादव, माकपा के टीके
रंगराजन, राजद के मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक अब्राईन, भाजपा के डी राजा, तेदेपा
के वाई एस चैधरी, टीआरएस के बंदा प्रकाश, बसपा के सतीश मिश्रा, माकपा के ई करीम, मनोनीत
सदस्य नरेंद्र जाधव, आदि ने भी हिस्सा लिया, जहां राजद व अन्नाद्रमुक ने इस विधेयक
का विरोध किया। समचार लिखे जाने तक सदन में चर्चा जारी थी।
शाह व रामगोपाल में झडपें
समाजवादी
पार्टी ने राज्यसभा में सवर्ण आरक्षण बिल का समर्थन किया, लेकिन सपा सांसद रामगोपाल
यादव ने कई सवाल उठाते हुए निचली जातियों के साथ भेदभाव का जिक्र करते हुए कहा कि यूपी
में सरकार बदलने के बाद मुख्यमंत्री का बंगला भी धुलवाया क्यों धुलवाया गया। ऐसे
कुछ सवालों पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तथा रामगोपाल यादव के बीच नोंकझोंक भी हुई। रामगोपाल
का सवाल था कि क्या यह सरकार हमारी सरकार नहीं है? अगर हम इस बिल का समर्थन कर रहे
हैं तो क्या इसमें हमारा योगदान नहीं है।
सबरीमाला मंदिर का मामला
सवर्णो
को आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले संविधान संशोधन विधेयक
को लोकसभा की मंजूरी मिलने के बाद उच्च सदन में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान बीजद
सांसद प्रसन्न आचार्य ने बिल का समर्थन करते हुए कई सवाल खड़े किए। इस दौरान उन्होंने
आचार्य ने सबरीमाला मंदिर का मामला भी उठाया, जहां महिलाओं को प्रवेश से रोका जा रहा
है। उन्होंने केंद्र सरकार की 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के नारे पर सवाल उठाते हुए
सवाल दागा कि यह केवल दिखावा है और सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को रोकर
उनकी आजादी छिनी जा रही है? जबकि एक ओर केंद्र सरकार तीन तलाक को लेकर सक्रिय दिखती
है, तो ठीक उसका उल्टा सबरीमाला मामले से मुंह क्यों फेर रही है।
राजद ने लहराया झुनझुना
राज्यसभा
में संविधान संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान राजद सांसद मनोज झा ने चर्चा में
हिस्सा लेने के दौरान सदन में एक झुनझुना लहराया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिये
सवर्णो को महज ऐसा ही एक झुनझुना दिखाया जा रहा है। इस झुनझुने को उन्होंने लहराते
हुए तंज कसा कि यह बजता भी है, लेकिन सरकार के आरक्षण वाला यह झुनझुना केवल हिलता
है बजे का नहीं। ऐसे में झा ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे संविधान के बुनियादी
ढांचे से छेड़छाड़ करके सियासत करने का भी आरोप लगाया।
सत्तापक्ष
पर सवालों पर सदन में कई बार हुई झड़पें
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राज्यसभा
में सवर्णो वर्ग के गरीबों को शिक्षा एवं रोजगार में दस प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी
संविधान (संशोधन) विधेयक पर राज्यसभा में हुई जोरदार बहस के दौरान कुछ दलों को
छोड़कर विपक्षीर दलों ने इस विधेयक का समर्थन तो किया, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले
इस विधेयक को लेकर मोदी सरकार पर सियासी टिप्पणियां भी की, जिसके कारण सत्तापक्ष
और विपक्षी दलों के सदस्यों के बीच कई बार तीखी झडपें भी हुई।
संसद
के शीतकालीन सत्र में राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन बुधवार को बढ़ाए जाने पर भी सदन
में विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किये और सवर्णजाति वर्ग के लोगों को दस प्रतिशत आरक्षण
देने संबंधी संविधान (124वें संशोधन) विधेयक पर चर्चा शुरू होने से पहले ही द्रमुक
जैसे कुछ दलों ने इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग उठाई, जिसका कांग्रेस ने भी
समर्थन किया। वहीं बैठक शुरू होने पर नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर पूर्वोत्तर
राज्यों में हिंसा के मुद्दे को उठाते हुए विपक्षी दलों ने हंगामा किया, जिसके
कारण सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी, जिसके बाद पुन: शुरू हुई
कार्यवाही के दौरान केंद्रीय सामाजिक अधिकारिता एवं न्याय मंत्री थांवरचंद गहलौत
को उपसभापति हरिवंश ने संविधान (संशोधन) विधेयक पेश करने की अनुमति दी। इस दौरान
कांग्रेस और अन्य दलों ने इस विधेयक को लेकर सवाल खड़े करने शुरू किये और सदन में
हंगामे का माहौल बनता नजर आने लगा तो सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित
करनी पड़ी। दो बजे फिर शुरू हुई कार्यवाही के दौरान पहले विपक्ष की मांग पर
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में पहुंचे गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नागरिकता संबन्धी
विधेयक पर अपना वक्तव्य दिया। उसके बाद आरक्षण संबन्धी विधेयक पर चर्चा को आगे
बढ़ाया गया। उच्च सदन में आरक्षण संबंधी विधेयक पर चर्चा के दौरान भाजपा के प्रभात
झा, कांग्रेस के आनंद शर्मा व कपिल सिबबल, सपा के प्रो. रामगोपाल यादव, माकपा के टीके
रंगराजन, राजद के मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक अब्राईन, भाजपा के डी राजा, तेदेपा
के वाई एस चैधरी, टीआरएस के बंदा प्रकाश, बसपा के सतीश मिश्रा, माकपा के ई करीम, मनोनीत
सदस्य नरेंद्र जाधव, आदि ने भी हिस्सा लिया, जहां राजद व अन्नाद्रमुक ने इस विधेयक
का विरोध किया। समचार लिखे जाने तक सदन में चर्चा जारी थी।
शाह व रामगोपाल में झडपें
समाजवादी
पार्टी ने राज्यसभा में सवर्ण आरक्षण बिल का समर्थन किया, लेकिन सपा सांसद रामगोपाल
यादव ने कई सवाल उठाते हुए निचली जातियों के साथ भेदभाव का जिक्र करते हुए कहा कि यूपी
में सरकार बदलने के बाद मुख्यमंत्री का बंगला भी धुलवाया क्यों धुलवाया गया। ऐसे
कुछ सवालों पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तथा रामगोपाल यादव के बीच नोंकझोंक भी हुई। रामगोपाल
का सवाल था कि क्या यह सरकार हमारी सरकार नहीं है? अगर हम इस बिल का समर्थन कर रहे
हैं तो क्या इसमें हमारा योगदान नहीं है।
सबरीमाला मंदिर का मामला
सवर्णो
को आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले संविधान संशोधन विधेयक
को लोकसभा की मंजूरी मिलने के बाद उच्च सदन में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान बीजद
सांसद प्रसन्न आचार्य ने बिल का समर्थन करते हुए कई सवाल खड़े किए। इस दौरान उन्होंने
आचार्य ने सबरीमाला मंदिर का मामला भी उठाया, जहां महिलाओं को प्रवेश से रोका जा रहा
है। उन्होंने केंद्र सरकार की 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के नारे पर सवाल उठाते हुए
सवाल दागा कि यह केवल दिखावा है और सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को रोकर
उनकी आजादी छिनी जा रही है? जबकि एक ओर केंद्र सरकार तीन तलाक को लेकर सक्रिय दिखती
है, तो ठीक उसका उल्टा सबरीमाला मामले से मुंह क्यों फेर रही है।
राजद ने लहराया झुनझुना
राज्यसभा
में संविधान संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान राजद सांसद मनोज झा ने चर्चा में
हिस्सा लेने के दौरान सदन में एक झुनझुना लहराया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिये
सवर्णो को महज ऐसा ही एक झुनझुना दिखाया जा रहा है। इस झुनझुने को उन्होंने लहराते
हुए तंज कसा कि यह बजता भी है, लेकिन सरकार के आरक्षण वाला यह झुनझुना केवल हिलता
है बजे का नहीं। ऐसे में झा ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे संविधान के बुनियादी
ढांचे से छेड़छाड़ करके सियासत करने का भी आरोप लगाया।
10Jan-2019
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