बुधवार, 31 जनवरी 2018

कॉमर्शियल वाहनों पर फास्टैग का शिकंजा



केंद्र का फरमान-फास्टैग के बिना की नहीं होगी रजिस्ट्रेशन
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गो पर तमाम टोल प्लाजाओं पर एक दिसंबर से शुरू हो चुकी ई-टोल संग्रहण प्रणाली के तहत केंद्र सरकार ने कार्मिशियल वाहनों के पंजीकरण के लिए फास्टैग की अनिवार्य कर दिया है। मसलन अब बिना फास्टैग के कार्मिशियल वाहनों का पंजीकरण नहीं हो सकेगा।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र की जारी अधिसूचना के तहत गत एक दिसंबर से हरेक वाहन निर्माण कंपनी के लिए इस बात की अनिवार्यता लागू कर दी गई है कि वह चार पहिया और कार्मिशियल वाहनों को फास्टैग के साथ बाजार में उतारे। फास्टैग को टोल प्लाजाओं पर ई-टोल संग्रहण के तहत अनिवार्य करने के साथ हाल ही में मंत्रालय की ओर से देशभर में सभी संभागीय परिवहन कार्यालयों के लिए एक दिशानिर्देश जारी किया गया है कि एक दिसंबर के बाद खरीदे गये चार पहिया खासकर कार्मिशियल वाहन का पंजीकरण उसी स्थिति में किया जाए, जिसमें फास्टैग लगा हो। मसलन अब फास्टैग कार्ड के बिना कॉमर्शियल वाहनों का पंजीकरण नहीं हो सकेगा। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने इस संबन्ध में सभी राज्य सरकारों के परिवहन विभागों को भी एआरटीओ कार्यालयों में ऐसे वाहनों के पंजीकरण पर रोक लगाने की सुनिश्चिता करने का आग्रह किया है, जो बिना फास्टैग के पंजीकरण के लिए आवेदन करते हैं। इस संबन्ध में सभी संभागीय परिवहन कार्यालयों ने अपने अपने क्षेत्रों में वाहन विक्रेता एजेंसियों व शोरूम मालिकों को भी इन आदेशों को सख्ती से पालन करने का फरमान देना शुरू कर दिया है।
सड़क हादसों पर लगाम प्राथमिकता
मंत्रालय के एक अधिकारी ने हरिभूमि को बताया कि सरकार की ओर से जारी अधिसूचना का उद्देश्य सवारी वाहन, मालवाहक वाहनों के अलावा ऑल इंडिया परमिट पर चलने वाले भारी वाहनों को पूरी तरह से फास्टैगयुक्त बनाना है। ऐसे वाहनों के कारण हो रहे सड़क हादसों को रोकने की कवायद के तहत ही केंद्र सरकार ने देशभर के सभी 370 टोल प्लाजाओं पर ई-टोल संग्रहण प्रणाली को अनिवार्य करने और एक दिसंबर से वाहन कपंनियों को फास्टैगयुक्त चार पहिया वाहन बेचने की अनिवार्यता के लिए गत पहले ही दो नवंबर को एक अधिसूचना के साथ दिशानिर्देश जारी कर दिये थे। इसके लिए मंत्रालय के जारी इस राजपत्र अधिसूचना के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 की संशोधित किया गया, जिसमें जारी दिशानिर्देशों में धारा 138ए का हवाले से वाहन निर्माता कंपनियों को स्पष्ट आदेश हैं, वे नए वाहनों को कंपनी से बाहर निकलने से पहले ही फास्टैग से लैस करें।
ऐसे करेगा फास्टैग काम
मंत्रालय के अनुसार फास्टैग रेडियो फ्रिक्वेंसी टैग की तरह है, जिसे वाहन की स्क्रीन यानि अगले शीशे पर लगाया जाता है। फास्टैग जैसे उपकरण में रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान आरएफआईडी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक टोल वसूलने की दिशा में नेशनल हाइवे के प्रत्येक टोल प्लाजा पर ‘फास्टैग लेन’ बनना अनिवार्य है। टोल प्लाजा की इस लेन से केवल उन्हीं वाहनों को जाने की अनुमति होगी, जिन पर इलेक्ट्रॉनिक टोलिंग के लिए स्मार्ट टैग ‘फास्टैग’ लगा होगा। ऐसे वाहन जब फास्टैग लेन से गुजरेंगे तो उनके खाते से टोल की राशि का स्वत: ही भुगतान होकर पहले टोल संचालक और बाद में रोड डेवलपर के खाते में चली जाएगी।  जिसके जरिए टोल प्लाजा पर फास्टैग लेन में घुसते ही फास्टैग लेग वाहन के टोल टैक्स का भुगतान प्रीपेड या संबंध बचत खाते से स्वत: ही कट जाएगा। यानि ऐसे वाहनों को टोल देने के लिए ठहरने की जरूरत नहीं होगी।
31Jan-2018


नमामि गंगे: बिहार में 20 परियोजनाओं को मंजूरी



60 हजार करोड़ की लागत से होगा नेशनल हाइवे का निर्माण
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पटना के दौरे पर बिहार को कई हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात दी, जिसमें नमामि गंगे की 4166 करोड़ रुपये की लागत की 20 परियोजनाओं के अलावा केंद्र सरकार ने 60 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली नेशनल हाइवे की कई सड़क परियोजनाओं पर मुहर लगाई।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार के साथ हुई केंद्रीय जल संसाधन एवं सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के साथ हुई महत्वपूर्ण बैठक में नमामि गंगे के तहत पटना, बक्सर, बेगूसराय, मुंगेर, हाजीपुर, मोकामा, सुल्तानगंज, नौगछिया, बाढ़ व भागलपुर में 20 सीवेज प्लांट परियोजनाओं की मंजूरी दी गई। इन परियोजनाओं पर 4166 करोड़ रुपये की लागत आएगी। जिसके पूरा होने पर 1681 किमी का सीवरेज नेटवर्क बढ़ेगा और 535 एमएलडी जलशोधन होगा। पटना में पांच सीवेज परियोजनाओं के साथ बक्सर, मुंगेर, बेगुसराय व हाजीपुर में दस परियोजनाओं पर काम भी शुरू हो गया है।  मंत्रालय के अनुसार दस परियोजनाआं का टेंडर निकाला जा चुका है। ये सभी परियोजनाएं हाईब्रिड एन्यूटी मोड पर चलाई जा रही हैं। पटना में 243 करोड़ रुपये की लागत से गंगा नदी विकास कोष का चल रहा काम 82 प्रतिशत पूरा हो गया है और बाकी जून तक पूरा करने का लक्ष्य है।                                                                                              
दो साल में पूरा होगा गांधी सेतु पुनरुद्धार
पटना में प्रधानमंत्री पैकेज में 55 हजार करोड़ रुपये की लागत से 36 परियोजनाओं के तहत गंगा पर महात्मा गांधी सेतु पुनुरूद्धार का काम भी जारी है। जबकि 22 योजना का 17 हजार करोड़ का डीपीआर मार्च तक तैयार होगा और महात्मा गांधी सेतु के  पुनरूद्धार का काम दो साल में पूरा कर लिया जाएगा। विक्रमशीला से पटना तक वर्तमान पुल के समानांतर नया पुल के अलावा महात्मा गांधी सेतु के समानांतर नये पुल, कोसी नदी पर फोर लेन पुल का निर्माण के अलावा पीपरा कोठी-रक्सौल में तांत्या  कंस्ट्रक्क्शन कंपनी को टर्मिनेट कर दिया गया है। 
हाइवे परियोजनाओं पर भी होगा काम
केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सीएम के साथ हुई बैठक में कहा कि बिहार में नेशनल हाईवे निर्माण पर 60 हजार करोड़ खर्च किये जाएंगे। इल सड़क परियोजनाओं में विक्रमशीला से पटना तक वर्तमान पुल के समानांतर नया पुल बनेगा.महात्मा गांधी सेतु के समानांतर नये पुल, कोसी नदी पर फोर लेन पुल का निर्माण होगा. पीपरा कोठी-रक्सौल में सड़क मरम्मत व निर्माण का कार्य किया जाएगा। वहीं लंबित परियोजनाओं में एनएच-19 छपरा-हाजीपुर खंड, एनएच-28 गोरखपुर से गोपालगंज तक का काम पुन: प्रारंभ कर दिया गया है। सड़क परियोजनाओं में जमीन अधिग्रहण मद में केंद्र की ओर से राज्य सरकार को 11 हजार करोड़ दिया गया है।
राजमार्गो पर 40 एंबुलैंस की मंजूरी
मंत्रालय के अनुसार बिहार के राष्ट्रीय राजमार्गों पर आपात व दुर्घटना वाली स्थिति में सहायता के लिए 40 एंबुलेंस तैनात करने की मंजूरी भी दी गई है, जिसका ऑपरेशनल खर्च केंद्रीय राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय खुद वहन करेगा। इसके लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय व राज्य के स्वास्थ्य विभाग के बीच एमओयू पर भी हस्ताक्षर किये गये। समझौता के तहत स्वास्थ्य विभाग ने  राष्ट्रीय राजमार्ग पर दुर्घटना की स्थिति में मरीजों को समय पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने और अस्पताल पहुंचाने के लिए एनएचआइ को 50 जगहों पर एंबुलेंस तैनात करने का प्रस्ताव दिया था, जिसमें एनएचएआई ने 40 जगहों पर अपनी स्वीकृति दी है।
कई प्रस्ताव पर बनी सहमति
मंत्रालय के अनुसर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बैठक हुई, जिसमें उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, परिवहन मंत्री नंद किशोर यादव और मंगल पांडेय जैसे कई वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए। बैठक में कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर मुहर लगाई गई और कई प्रस्तावों पर केन्द्र ने अपनी सहमति व्यक्त की है। इस बैठक में अनिसाबाद से पुलवारीशरीफ होते हुए पटना एम्स तक नए एलिवेटेड रोड का निर्माण करने का निर्णय लिया गया, वहीं गडकरी ने तीन महीने में देश भर में सी प्लेन का कानून लागू करने के प्रस्ताव की भी जानकारी दी।
31Jan-2018

मंगलवार, 30 जनवरी 2018

चुनावी ट्रस्टी चंदे में भाजपा ने कांग्रेस को पछाड़ा



क्षेत्रीय दलों में अकाली दल सबसे अव्वल
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश के राजनीतिक दलों को चुनावी चंदा देने वाले ट्रस्टों से सबसे ज्यादा चंदा राष्ट्रीय दलों में भाजपा के हिस्से में गया है, जबकि क्षेत्रीय दल में शिरोमणि अकाली दल को मिला है।
चुनाव आयोग को इलेक्ट्रोल ट्रस्टों द्वारा दी गई जानकारी चुनाव सुधार के लिए कार्य कर रही गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रैटिक रिफॉर्म्स ने बताया कि वर्ष 2016-17 में इलेक्टोरल ट्रस्ट को 325.27 करोड़ रुपये चंदे के रुप में मिले है, जिसमें से भाजपा को सर्वाधिक 290.22 करोड़ रुपये यानि 89 फीसदी दान भाजपा को दिया गया है। जबकि कांग्रेस के हिस्से में 16.5 करोड़ रुपये आई है। तीसरे पायदान पर नौ करोड़ रुपये राजग की सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल को चंदे के रूप में दी गई है। इसके अलावा सपा को 6.5 करोड़ रुपये को चंदा दिया गया है। एडीआर के अनुसार इस साल कुल 21 ट्रस्टों से दस राजनीतिक दलों को चंदा दिया गया है। एडीआर के अनुसार यदि पिछले चार साल के चंदे का अध्ययन करने से खुलासा हुआ है कि इन इलेक्टोरल ट्रस्टों को कुल 637.53 करोड़ रुपये चंदे के रूप में मिले है, जिनसे सबसे ज्यादा दान की रकम भाजपा के खाते में गई है। भाजपा को सर्वाधिक 488.94 करोड़ रुपये यानि 77 फीसदी दान दिया गया है। इन चार सालों में 86.65 करोड़ रुपये का चंदा लेने वाली पार्टी के रूप कांग्रेस दूसरे पायदान पर है। तीसरे पायदान पर 10.78 करोड़ का चंदा लेकर राकांपा ने अपना स्थान बनाया है। यदि पिछले चार साल में चंदा लेने वाले दलों की बात की जाए तो राष्ट्रीय दलों में भाजपा और क्षेत्रीय दलों में 11 करोड़ रुपये के चंदे के साथ शिरोमणि अकाली दल रहे हैं।
किस दल को कितना मिला
इन पिछले चार सालों में इन 21 इलेक्टोरल ट्रस्टों को कुल 637.53 करोड़ रुपये चंदे में राष्ट्रीय दलों में भाजपा को 488.94 करोड़ रुपये, कांग्रेस को 86.65 करोड़ रुपये, राकांपा को 10.78 करोड़ रुपये, तृणमूल कांग्रेस को 2.03 करोड़ रुपये तथा सीपीएम को 0.02 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। जबकि क्षेत्रीय दलों में अकाली दल को11 करोड़ रुपये, सपा को 8.17 करोड़ रुपये, बीजद को 5.50 करोड़ रुपये, इनेलो को 5 करोड़ रुपये, आप को चार करोड़ रुपये, शिवसेना को 3.31 करोड़ रुपये, जदयू को 3.09 करोड़ रपये तथा तेदपा को दो करोड़ रुपये का चंदा मिला है। जबकि झारखंड मुक्तिमोर्चा को 1.88 करोड़ रुपये, राजद को 1.5 करोड़ रुपये तथा लोजपा को एक करोड़ रुपये की रकम मिली है।
छह ट्रस्टो ने ही दी जानकारी
एडीआर के अध्ययन के अनुसार इस साल पिछले साल की तुलना में चुनावी ट्रस्टों को मिले चंदे में बेहद इजाफा हुआ है, जबकि चुनाव आयोग को इस साल राजनीतिक दलों को चंदा देने वाले 21 इलेक्टोरल ट्रस्टों में से केवल छह ट्रस्टों प्रूडंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 283.73 करोड़ रुपये, जन निर्वाचक चुनाव ट्रस्ट ने 25 करोड़ रुपये, न्यू डेमोक्रेटिक इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 12.03 करोड़ रुपये, समाज मतदाता ट्रस्ट ने 4.08 करोड़ रुपये, परिवर्पण चुनाव ट्रस्ट ने 0.51 करोड़ रुपये, ट्राइंफ इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 0.10 करोड़ रुपये का चंदा मिलने की जानकारी दी है। जबकि छह ट्रस्टों बजाज इलेक्टोरल ट्रस्ट, पीपुल्स इलेक्टोरल ट्रस्ट, प्रतिनिधि इलेक्टोरल ट्रस्ट, भारतीय समाजवादी रिपब्लिकन इलेक्टोरल ट्रस्ट एसोसिएशन, जयभारथ इलेक्टोरल ट्रस्ट, कल्याण इलेक्टोरल ट्रस्ट, जनशक्ति चुनाव ट्रस्ट ने अपना ब्यौरा चुनाव आयोग में जमा ही नहीं किया। इसके अलावा आठ ट्रस्टों प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट, जनप्रगति चुनाव ट्रस्ट, जनहित चुनाव ट्रस्ट, स्वदेशी चुनाव ट्रस्ट, जनकल्याण इलेक्टोरल ट्रस्ट, जयहिंद इलेक्टोरल ट्रस्ट, गौरी वेलफेयर एसोसिएशन इलेक्टोरल ट्रस्ट, हरमोनी इलेक्ट्रोल ट्रस्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि उन्हें कोई भी चंदा नहीं मिला है।
30Jan-2018

देश में लोस व विस एक साथ चुनाव कराने की वकालत




संसद: राष्ट्रपति अभिभाषण से शुरू हुआ बजट सत्र       
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के बजट सत्र की शुरूआत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण से हुई। अभिभाषण में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद केंद्र सरकार के कामकाजों को उजागर करते हुए कहा कि बार-बार चुनाव होने से देश की विकास प्रक्रिया बाधित होती है, इसलिए देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के मुद्दे पर चर्चा और संवाद को आगे बढ़ाते हुए राजनीतिक दलों के बीच सहमति बनाई जानी चाहिए।
संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में संयुक्त सदन की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि देश में गवर्नेंस के प्रति सजग लोगों में देश के किसी न किसी हिस्से में लगातार हो रहे चुनाव से अर्थव्यवस्था और विकास पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव को लेकर चिंता है। बार-बार चुनाव होने से मानव संसाधन पर बोझ तो बढ़ता ही है, आचार संहिता लागू होने से देश की विकास प्रक्रिया भी बाधित होती है। इसलिए एक साथ चुनाव कराने के विषय पर चर्चा और संवाद बढ़ना चाहिए तथा सभी राजनीतिक दलों के बीच सहमति बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार कमजोर वर्गों को समर्पित है और बजट भी उनके लिए हितकारी होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि इस वर्ष गणतंत्र दिवस के समारोह में 10 देशों के प्रतिनिधियों ने आकर वसुधैव कुटुंबकम की दृष्टि में नया आयाम जोड़ा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में जब हमारा देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा तब तक इन लक्ष्यों की प्राप्ति न सिर्फ स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्र निर्माताओं के सपने पूरा करेगी, बल्कि नए भारत का आधार भी मजबूत करेगी। कोविंद ने कहा कि डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने में ‘भीम एप’ और ‘उमंग एप’ जैसी 100 से ज्यादा जनसुविधाओं को मोबाइल पर उपलब्ध कराने का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान’ के अंतर्गत विश्व का सबसे बड़ा डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम चला रही है।
महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहन
राष्ट्रपति ने महिलाओं के सशक्तिकरण के मकसद से आजादी के बाद पहली बार पुरुष रिश्तेदारों के बिना 45 साल से ज्यादा आयु की महिलाओं के हज पर जाने की पाबंदी हटाने का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने कई दशकों तक राजनीतिक लाभ-हानि का बंधक रही मुस्लिम महिलाओं के सम्मान देने के मकसद से तीन तलाक से संबन्ध में एक विधेयक पेश किया है, जिसके कानून बनने के बाद मुस्लिम बहन-बेटियां भी आत्मसम्मान के साथ भयमुक्त जीवन जी सकेंगी।  उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपेक्षा की है कि संसद इस विधेयक को शीघ्र ही कानूनी रूप देगी। उन्होंने कहा कि बेटियों के साथ भेदभाव खत्म करने के लिए मेरी सरकार ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना शुरू की थी। इस योजना के सकारात्मक परिणाम को देखते हुए अब इसका दायरा 161 जिलों से बढ़ाकर 640 जिलों तक कर दिया गया है।
गरीबों व मध्यम वर्ग को सुविधाएं
संयुक्त सदन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश में गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को स्वास्थ्य की बेहतर और सस्ती सुविधा के लिए सरकार ने नई ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति’ बनाई है। ‘दीनदयाल अमृत योजना’ के तहत 111 आउटलेट के माध्यम से 5,200 से अधिक जीवन-रक्षक ब्रांडेड दवाओं तथा सर्जिकल इम्प्लांट्स पर 60 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक की रियायत दी जा रही है। इसी प्रकार सभी के सिर पर छत और उनकी पानी-बिजली-शौचालय की सुविधा देने की संवेदनशील सोच के साथ सरकार देश के हर आवासहीन गरीब परिवार को वर्ष 2022 तक घर उपलब्ध कराने के लक्ष्य पर काम कर रही है। पिछले साढ़े तीन वर्षों में शहरी और ग्रामीण इलाकों में 93 लाख से अधिक घरों का निर्माण किया गया है। जबकि हर गरीब को भरपेट भोजन मिले, इसके लिए कानून के उद्देश्य को प्रभावी बनाना अनिवार्य है। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत देश के सभी राज्यों में सस्ती दरों पर खाद्यान्न देने की व्यवस्था को पारदर्शी और लीकेज प्रूफ बनाया जा रहा है।
युवाओं को रोजगार के मौके
अभिभाषण में राष्ट्रपति ने भारत को दुनिया का सबसे युवा देश करार देते हुए कहा कि यहां युवा अपने सपने पूरे कर सकें, स्वरोजगार कर सकें, इसके लिए सरकार स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, स्किल इंडिया मिशन, मुद्रा योजना जैसे कार्यक्रम चला रही है। युवाओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए सक्रिय सरकार देश में 20 ‘इंस्टीट्यूट्स ऑफ एमिनेन्स’ बनाने पर काम कर रही है। इस मिशन के तहत चुने हुए शिक्षण संस्थानों को 10,000 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी। सरकार ने देश में उच्च शिक्षण संस्थाओं की समस्त परीक्षाओं के आयोजन के लिए एक स्वायत्त परीक्षा संगठन, ‘नेशनल टेस्टिंग एजेंसी’ के गठन को मंजूरी दी है। डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए एमबीबीएस की 13 हजार सीटें तथा पोस्ट ग्रैजुएट की 7,000 से अधिक सीटें मंजूर की गई हैं। चिकित्सा शिक्षा में गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने लोक सभा में ‘राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक’ भी प्रस्तुत किया है।
श्रमिकों की दशा में सुधार
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि सरकार ने श्रमिकों के न्यूनतम वेतन में 40 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी की है। श्रम कानूनों के पालन के लिए रजिस्टर की संख्या 56 से घटाकर 5 कर दी गयी है। अब श्रम सुविधा पोर्टल पर सभी रिटर्न ऑनलाइन भरे जाते हैं। जो उद्योग या कंपनियां नौकरियों के नए अवसर सृजित कर रही हैं उन्हें ‘प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना’ के तहत आर्थिक मदद दी जा रही है। 20 लाख से ज्यादा लाभार्थी इस योजना से सहायता प्राप्त कर चुके हैं।