स्वतंत्र
चुनाव की परंपरा को दिशा दे सुधार का होगा प्रयास
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश के नए
मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत ने कहा कि उनकी प्राथमिकता निष्पक्ष, स्वतंत्र और
पारदर्शी चुनाव कराने की आयोग की परंपरा को और मजबूत बनाना होगा। वहीं उन्होंने
चुनाव सुधार के लिए जारी चुनाव आयोग के उन प्रयासों को भी आगे बढ़ाने पर बल दिया
है, जिसका मकसद देश के हर मतदाता को चुनाव की प्रक्रिया से जोड़ना होगा।
केंद्रीय
चुनाव आयोग में नवनियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त ने मंगलवार को यहां निर्वाचन सदन में
अपने पद का कार्यभार ग्रहण किया है, जिनके साथ
चुनाव आयुक्त के पद पर पूर्व वित्त सचिव अशोक लवासा ने भी कार्यभार ग्रहण
किया। चुनाव आयुक्त रहे ओपी रावत ने मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार जोती की
सेवानिवृत्ति के बाद उनका स्थान लिया है, जबकि लवासा ने ओपी रावत के स्थान पर
चुनाव आयुक्त का कार्यभार ग्रहण किया है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत 1976 में
भारतीय वन सेवा में चुने गये और इसके बाद 1977 में वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में मध्यप्रदेश
कैडर के आईएएस अधिकारी के रूप में चयनित हुए।
निष्पक्ष व स्वतंत्र चुनाव कराना दायित्व
मुख्य
चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने अपना पदभार ग्रहण करने के बाद मीडिया से बात करते हुए
कहा कि चुनाव आयोग का दायित्व है कि देश में चुनाव निष्पक्ष, स्वतंत्र और पारदर्शी
हों और यही आयोग की परंपरा रही है कि चुनाव आयोग में इस परंपरा के तहत चुनाव सुधार
को आगे बढ़ाया जाए। लोकतंत्र की मजबूती की दिशा में देश के हर मतदाता को चुनाव की
प्रक्रिया से जोड़ने की प्राथमिकता के साथ आयोग इसी परंपरा को और मजबूत करने का प्रयास
करेगा। उनका मानना है कि भारत जैसे विशाल देश में हर मतदाता को चुनाव प्रक्रिया से
जोड़ना और मतदान में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना ही आयोग की पहली प्राथमिकता भी
होगी। इसका मकसद स्कूल, कॉलेज, आंगनवाड़ी, सामाजिक संस्थाएं सहित जहां से भी हो वह हर
मतदाताओं को चुनाव की प्रक्रिया से जोडना है। उन्होंने कहा कि हालांकि जब तक देश
में शतप्रतिशत मतदाता सूची में नहीं जुड़ जाते, तब तक यह कहना भी संभव नहीं है,
क्योंकि हर साल 18 साल के होने वाले महिला-पुरुष को जोड़ने की प्रक्रिया सतत चलती रहती
है।
केंद्र के साथ कई राज्यों से नाता
आईएएस
अधिकारी के रूप में ओपी रावत मध्य प्रदेश में इंदौर समेत अनेक जिलों में जिलाधिकारी,
आयुक्त और विभिन्न विभागों में प्रमुख सचिव रहे। केन्द्र में प्रतिनियुक्ति के दौरान
पर रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव भी रह चुके हैं। रावत केन्द्रीय भारी उद्योग एवं
लोक उपक्रम मंत्रालय में सचिव (लोक उपक्रम) के पद से 31 दिसंबर 2013 को सेवानिवृत्त
हुए थे। उन्हें अगस्त 2014 में चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था। गौरतलब है कि मध्य
प्रदेश में अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में उन्होंने आदिवासियों के वनाधिकार संबंधी
कानून के प्रभावी कायार्न्वयन किया जिसके लिए उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन
सिंह ने सर्वश्रेष्ठ लोकसेवक का पुरस्कार प्रदान किया था। मूलरूप से रावत उत्तर
प्रदेश के बुंदेलखंड में झांसी के निवासी हैं।
24Jan-2018
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