भारतीयों की निजता की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध सरकार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार देश में नागरिकों के निजता के अधिकार और डाटा की सुरक्षा के प्रति पूरी
तरह से प्रतिबद्ध है और डिजिटल सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगी।
वहीं यदि पड़ोसी देश,
आतंकवादी
या भ्रष्टाचारी लोग डिजिटल आधार पर देश को तोड़ने का प्रयास करेंगे तो उनके खिलाफ सख्ती से
निपटने के लिए भी सरकार सख्त कानून लाने की तैयारी कर रही है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर
प्रसाद ने बात गुरुवार को राज्यसभा में कांग्रेस सांसद दिग्विजय
सिंह के व्हाट्सएप के माध्यम से कुछ व्यक्तियों के फोन डाटा से खिलवाड़ करने के लिए
स्पाईवेयर पेगासस के कथित उपयोग मुद्दे पर पेश किये गये ध्यानाकर्षण
प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कही। इस चर्चा के दौरान कांग्रेस
समेत कई विपक्षी दलों ने पिछले दिनों भारतीय मीडिया में व्हाट्सएप के
जरिए नेताओं, पूर्व मंत्रियों, जजों, मानवाधिकार
कार्यकर्ताओं और मीडियाकर्मियों की जासूसी कराने और उनके फोन डाटा के
साथ छेड़छाड़ के लिए इजराईल द्वारा विकसित स्पाइवेयर पेगासस के
प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार का कटघरे में खड़ा करने का
प्रयास किया है। इस चर्चा के दौरान सरकार पर उठाए गये सवालों का करारा जवाब देते
हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने उच्च सदन में कहा कि ऐसी खबरों का संज्ञान
लेते हुए केंद्र सरकार ने दो नवंबर को व्हाट्सएप को एक मेल भेजा। उन्होंने
कहा कि इस संबन्ध में सरकार ने सभी पहलुओं को गंभीरता से लेते हुए कदम उठाए
हैं। दिग्विजय सिंह के सरकार द्वारा स्पईवेयर खरीदने के सवाल पर जवाब देते हुए कहा
कि सरकार की एक मानक परिचालन प्रकिया (एसओपी) होती है और सरकार उसी के
तहत काम करती है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यदि पड़ोसी देश, आतंकवादी या भ्रष्टाचारी लोग देश को डिजिटल
आधार पर तोड़ने की कोशिश करेंगे तो सरकार उनसे कड़ाई से निबटेगी। प्रसाद ने कहा कि
सरकार डाटा संप्रभुता के मामले में किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगी और अमेरिका सहित
किसी भी देश के दबाव में नहीं आयेगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए वह सरकार डाटा संरक्षण
विधेयक तैयार कर रही है। वह विधेयक जब संसद में आएगा।
रविशंकर को नहीं डिगा पाए दिग्विजय
दरअसल ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रखते हुए कांग्रेस
नेता दिग्विजय सिंह ने स्पष्टीकरण पूछते हुए मंत्री से जानना चाहा कि क्या सरकार ने
इजराइल से कोई स्पाईवेयर खरीदा है? इसके लिए उन्होंने दोहराया कि देश की
संभुता के लिए सरकार की एक मानक परिचालन प्रकिया (एसओपी) होती है और सरकार उसी
के तहत काम करती है। इस सवाल का जवाब देने के लिए दिग्विजय सिंह सीधा जवाब मांगते रहे और उन्होंने
यहां तक आरोप लगाया कि व्हाट्सएप के जरिए इस स्पाईवेयर का
इस्तेमाल कराकर सरकार या उनकी एसेंसियों ने देश के नागरिकों के डाटा की जासूसी
कराई है। ऐसे सवालों के जवाब को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रसाद और दिगविजय के बीच
झड़पे भी हुई, लेकिन केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद
कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह के झांसे में नहीं आए, जो उनसे घुमा फिराकर इन
सवालों का जवाब मांगने का प्रयास कर रहे थे। चर्चा में हिस्सा लेकर सरकार से जवाब
मांगने के लिए इसी तर्ज पर इस मामले में सरकार पर आरोप लगाते हुए पर
द्रमुक के एम शडमुगम, तृणमूल कांग्रेस के मोहम्मद नदीमुल हक, माकपा के के के रागेश, राजद के मनोज कुमार झा, बसपा के वीर सिंह, जदयू के कहकशां परवीन, वाईएसआर कांग्रेस के विजयसाई रेड्डी, द्रमुक के पी विल्सन, मनोनीत राकेश सिन्हा, कांग्रेस के पी भट्टाचार्य और सपा
के रविप्रकाश वर्मा ने भी स्पष्टीकरण मांगा, लेकिन
केंद्रीय मंत्री ने सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराने और मानक परिचालन की प्रक्रिया
का उल्लंघन पर कार्यवाही करने का भरोसा दिलाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गये कदमों
की जानकारी दी।
चिटफंड विधेयक को राज्यसभा ने
भी दी मंजूरी
शून्यकाल में सांसदों ने उठाए विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दे
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश
में चिटफंड के पैसे को सुरक्षित करने की दिशा में केंद्र सरकार द्वारा संसद में
लाए गये चिट फंड विधेयक को संसद की मंजूरी मिल गई है, जिसे लोकसभा के बाद गुरुवार को राज्यसभा ने भी
ध्वनिमत के साथ पारित कर दिया है।
राज्यसभा में गुरुवार को दोपहर तीन बजे बाद चिट
फंड (संशोधन) विधेयक की अधूरी
चर्चा को पूरा कराया गया। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा चर्चा
का जवाब देने के बाद इस विधेयक का ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई, जिसे लोकसभा में गत
20 नवंबर को पारित किया जा चुका है। अब राष्ट्रपति की मुहर लगते ही एक अधिसूचना के
जरिए इस विधेयक के प्रावधानों में किये गये संशोधन देशभर में लागू हो जाएंगे। चर्चा
के जवाब के दौरान अनुराग ठाकुर ने बताया कि चिट फंड क्षेत्र की
मौद्रिक सीमा को तीन गुना बढ़ाने तथा ‘फोरमैन’ के कमीशन को सात प्रतिशत करने के प्रावधान किये गये हैं। वहीं इस
विधेयक के जरिए अब गरीबों से जुड़ा पैसा सुरक्षित रहने के
कारण कोई अवरोध भी नहीं आएगा। वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि इसके तहत
व्यक्ति के रूप में चिट की मौद्रिक सीमा को एक लाख रूपये से बढ़ाकर तीन लाख रूपये किया
गया है जबकि फर्म के लिये इसे छह लाख रूपये से बढ़ाकर 18 लाख रूपये कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि चिट फंड सालों से छोटे कारोबारों और गरीब वर्ग के लोगों के लिए निवेश का प्रमुख
स्रोत रहा है, लेकिन इसमें अनियमितताओं के
कारण 1982 के मूल कानून को
चिट फंड के विनियमन का उपबंध करने का फैसला किया गया। इस विधेयक के संशोधनों पर
संसदीय समिति ने भी जांच की है जिसकी सिफारिश पर कानून में संशोधन
के लिए विधेयक को लाया गया है।
मध्याह्न भोजन योजना की
समीक्षा की मांग
राज्यसभा में गुरुवार को कांग्रेस की सांसद विप्लव ठाकुर ने मध्यान्ह
भोजन योजना का मुद्दा उठाते हुए कहा कि बच्चों को समुचित पोषण प्रदान
करना एवं स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ देने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने
के मकसद से इस योजना का संप्रग सरकार के कार्यकाल में लाया
गया था। लेकिन पिछले दिनों इस योजना में अनियमिताओं और अन्य गडबड़ी की देश के
विभिन्न क्षेत्रों से आ रही खबरो को देखते हुए इस योजना की समीक्षा करने की जरूरत
है। उन्होंने राज्यों से इस योजना की रिपोर्ट मंगाकर तथ्यों की जांच करने की भी
मांग की।
टाइगर रिजर्व में रोपवे बनाने की मांग
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान बीजू जनता दल
की सरोजिनी हेम्ब्रम ने ओडिशा के मयूरभंज में स्थित सिमलीपाल जंगल के टाइगर रिजर्व
में रोपवे बनाए जाने की मांग की। उन्होंने माना कि सिमलीपाल के
जंगल में बने टाइगर रिजर्व में ‘ऑल वेदर रोड’ बनाना संभव नहीं है, लेकिन टाइगर रिजर्व में रोपवे बनाया
जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से न केवल पर्यटन को बढ़ावा
मिलेगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी लोगों को मिलेंगे।
अंग्रेजी भाषा का विरोध
भाजपा के सांसद जीवीएल नरसिंह राव ने राज्यसभा
में शून्यकाल के दौरान आंध्रप्रदेश में छठवीं कक्षा तक की शिक्षा में अंग्रेजी भाषा को अनिवार्य
करने का विरोध करते हुए कहा कि राज्य सरकार के इस फैसले की समीक्षा की जानी चाहिए, चूंकि तेलुगु प्राचीन
भाषाओं में शामिल होने के बावजूद उपेक्षा का शिकार हो रही है। राव ने सरकारी स्कूलों में प्रादेशिक भाषा में पढ़ाई सुनिश्चित किए जाने की मांग करते
हुए कहा कि आंध्रप्रदेश का गठन ही भाषा के आधार पर हुआ था और संविधान में भी प्रादेशिक
भाषा का जिक्र है।
छात्रवृत्ति का मामला
शून्यकाल के दौरान माकपा सदस्य के सोमप्रसाद ने
मांग करते हुए अनुसूचित जाति जनजाति के छात्रों को छात्रवृत्ति
देने के लिए परिवार की आमदनी ढाई लाख रुपये सालाना होने की सीमा खत्म करने
की मांग की। उन्होंने कहा कि यह आय सीमा बेहद कम है और इस सीमा की वजह
से कई जरूरतमंद छात्र अपनी छात्रवृत्ति से वंचित रह जाते हैं।
29Nov-2019