रविवार, 3 नवंबर 2019

राग दरबार: क्षत्रपों को राहत


क्षेत्रीय दलों के माथे से हटी चिंता की लकीरें
देश में 17वीं लोकसभा के चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ दोबारा सत्ता में आई भाजपा विपक्षी खासकर क्षेत्रीय दलों के लिए फोबिया नजर आ रही थी और राजनीतिकार भी मानने लगे थे कि क्षेत्रीय दल यानि भारतीय राजनीति में छत्रपों का अस्तित्व खतरे में आ गया है। लेकिन हाल ही में संपन्न हुए महाराष्ट्र व हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने क्षेत्रीय दलों यानि क्षत्रपों के माथे से उन चिंताओं की लकीरों को काफी हद तक मिटा दिया है, जिसमें उनकी सियासत धर्मसंकट में फंसी थी। इन दोनों राज्यों के चुनाव के साथ करीब डेढ दर्जन राज्यों में उप चुनाव के नतीजों ने इन क्षेत्रीय दलों खासकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी राहत की सांस लेने का मौका मिला होगा। हरियाणा में तो दस माह पहले बनी जजपा जैसे दल को भाजपा के साथ सरकार में भी हिस्सेदारी मिल गई है। सियासी गलियारों में हो रही चर्चा पर गौर की जाए तो भाजपा ने इन चुनावों में स्थानीय मुद्दों के बजाए राष्ट्रीय मुद्दों के आधार पर अपना चुनावी मिशन चलाया, जो उसी सियासी रणनीति के सिरे नहीं चढ़ सका। राजनीतिकारों की माने तो इन दोनों राज्यों के चुनावी नतीजों ने भाजपा को भी सबक दिया है कि राज्य विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों के बजाए स्थानीय मुद्दों पर फोकस किया जाना चाहिए। यदि किसी तरह भाजपा अपनी सियासी रणनीति में सफल हो जाती तो आगामी राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा राष्ट्रीय मुद्दों के आधार पर ही चुनावी मैदान में आती।
प्रदूषण की सियासत
दिल्ली विधानसभा के चुनावों की उल्टी गिनती शुरू हो गई तो भला दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी की चुनावी मौसम वाली स्रक्रीय हुई सियासत उबाल क्यों न ले। मसलन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में प्रदूषण के खतरनाक हालातों पर दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को सियासी साजिश नजर आ रही है। दीवाली के बाद प्रदूषण के दिल्ली-एनसीआर में बद से बदतर होते हालातों के लिए वह अपनी सरकार की जिम्मेदारी का बोझ लेने के मूड में नहीं है। इसीलिए उन्होंने पडोसी राज्यों यूपी, हरियाणा व पंजाब सरकार पर दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का ठींकरा फोड़ने के प्रयास ही नहीं किया, बल्कि यहां तक चेतावनी दे डाली कि प्रदूषण के लिए विपक्षी दल दिल्ली वालों को गाली देना बंद करें, क्योंकि उनकी सरकार दिल्ली के लोगों के साथ मिलकर प्रदूषण कम करती आ रही है, लेकिन हरियाणा, पंजाब और यूपी की भाजपा-कांग्रेस की सरकारें आप की दिल्ली सरकार को घेरने की सियासत में प्रदूषण बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है? दरअसल दीवाली के बाद से दिल्ली एनसीआर में खतरनातक स्तर पर पहुंचे प्रदूषण ने राजधानी में लोगों का जीना मुहाल किया हुआ है। ऐसे में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल काफी सक्रिय शायद इसलिए भी नजर आ रहे हैं कि वह आगामी दिल्ली विधानसभा की तैयारी में दिल्लीवासियों को तरह तरह की घोषणाएं करके लुभाने की कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। सोशल मीडिया पर सवाल हो रहे हैं कि साढे चार साल केजरीवाल सरकार ने कुछ नहीं किया और अब रेवडियां बांटने में लगे हैं, भले ही सरकारी खजाना  खाली हो जाए!
03Nov-2019

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें