सोमवार, 25 नवंबर 2019

राज्यसभा के 67 साल के सफर में गवाह बने 2282 सांसद

5466 बैठकों में पारित किये 3817 विधेयक                    
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भारतीय संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा के 67 साल के ऐतिहासिक सफर में 250वें सत्र के पहले दिन उच्च सदन के देश के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन में योगदान के रूप में याद किया गया। इस 67 साल के दौरान राज्यसभा में अभी तक 2282 सदस्य आए हैं और 5466 बैठकों के दौरान 3817 विधेयक पारित कराने का यह सदन गवाह बना।
संसद के शीतकालीन सत्र में राज्यसभा के 250वें सत्र के पहले दिन की विशेष कार्यवाही के दौरान भारतीय शासन-व्यवस्था में सदन की भूमिका व सुधारों पर हुई विशेष चर्चा से पहले राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि 1952 में अपनी स्थापना के बाद से उच्च सदन ने देश के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन में योगदान करते हुए एक लंबा सफर तय किया है, लेकिन अभी भी सही कामकाज की दिशा में मीलों जाना बाकी है। उच्च सदन के इन 67 साल के सफरनामे का जिक्र करते हुए नायडू ने कहा कि राज्यसभा की स्थापना की पहली बैठक 13 मई 1952 को हुई तब से अब तक 5466 बैठकें आयोजित की गई हैं, जिनमें राज्यसभा ने 3837 विधेयकों को पारित किया। अब तक उच्च सदन में 2282 सदस्य इस सफर के साक्षी बने हैं, जिनमें 208 महिलाएं और 137 मनोनीत सदस्य भी शामिल हैं। सबसे लंबे समय सात साल तक महेंद्र प्रताप इस सदन के सदस्य रहे, जिसके बाद छह बार निर्वाचित होकर राज्यसभा के मौजूदा सदस्य एवं पूर्व पीएम मनमोहन सिंह हैं। उन्होंने बताया कि राज्यसभा में अभी तक 944 विधेयक पेश किये जा चुके हैं। राज्यसभा से पारित 60 विधेयक ऐसे हैं जो लोकसभा में लंबित हैं, जबकि राज्यसभा में फिलहाल लंबित विधेयकों की संख्या 38 है। इनके अलावा 120 विधेयक ऐसे रहे जिनमें लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा से संशोधित हुए।
धारा 370 संबन्धी पहले राज्यसभा ने पास किया
सभापति नायडू के अनुसार जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 34ए को हटाने संबन्धी महत्वपूर्ण विधेयक इसी साल अगस्त में लोकसभा से पहले राज्यसभा ने पारित किया। राज्यसभा 1952 में अस्तित्व में आने के बाद से हमारे देश के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का एक अभिन्न अंग रही है।
1952 में हिंदू विवाह और तलाक विधेयक से लेकर 2019 में मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक (तीन तलाक विधेयक) 1953 में धोतियों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाने से लेकर 2017 में जीएसटी लागू करने, 1954 में औद्योगिक विवाद (संशोधन) विधेयक पारित करने से लेकर 2019 में नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र विधेयक 1953 में आंध्र राज्य विधेयक पारित होने से लेकर 2019 में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 1955 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान विधेयक को मंजूरी देने से लेकर 2019 में राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद विधेयक, 1954 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना से लेकर 2009 में बच्चों को सशक्त बनाने  के लिए नि: शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार और 1952 में निवारक नजरबंदी (दूसरा संशोधन) गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) विधेयक पारित करने से, राज्यसभा ने समय-समय पर देश में उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने और जरूरतों को पूरा करने का एक लंबा सफर तय किया है। लेकिन हमें अभी भी छूटे हुए समय और अवसरों का लाभ उठाते हुए देश को उसकी पूरी संभावना का एहसास कराने के लिए कई मील जाना बाकी है।
पिछला सत्र बेहद उपयोगी रहा
राज्य सभा के 249वें सत्र को पिछले कई वर्षों में सबसे अधिक उपयोगी बताते हुए नायडू ने नेताओं से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि इस सत्र के दौरान वे इस सकारात्मक गति को बरकरार रखें ताकि कुछ और मील की दूरी को पूरा किया जा सके।
19Nov-2019

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