संसद से मिल गई ट्रांसजेंडर विधेयक को
मंजूरी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश
में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सामाज की मुख्यधारा में लाने और उनके सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक क्षेत्रों में सशक्तीकरण की दिशा में सरकार द्वारा लाए गये ट्रांसजेंडर
व्यक्ति (अधिकारों की सुरक्षा) विधेयक पर लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी
मंजूरी दे दी है। इस विधेयक पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद इन व्यक्तियों को
भी सामाजिक दायरे में सभी सुविधाएं देना शुरू हो जाएगा।
राज्यसभा की मंगलवार को दोपहर दो बजे शुरू हुई कार्यवाही के
दौरान ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों की सुरक्षा) विधेयक पर
अधूरी चर्चा को आगे बढ़ाया गया, जिसमें चर्चा करते हुए द्रमुक सांसद तिरुचि शिवा
ने इस महत्वपूर्ण विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि ट्रांसजेंडर समुदाय
के नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिये उन्होंने राज्यसभा में वर्ष 2004 में एक निजी विधेयक पेश किया था, लेकिन
दुर्भाग्य से वह लोकसभा में पारित नहीं हो सका था। अब सरकार द्वारा पेश
इस विधेयक में उन्होंने ‘ट्रांसजेंडर’ की परिभाषा,
ट्रांसजेंडर
होने का जिलाधिकारी से प्रमाणपत्र हासिल करने की प्रक्रिया, सार्वजनिक स्थलों पर इन्हें अपमानित करने और
इनके यौन शोषण संबंधी प्रावधानों को अपूर्ण बताते हुए उन्होंने ट्रांसजेंडर
लोगों के लिये शिक्षा और नौकरियों में दो प्रतिशत आरक्षण देने का सुझाव देने
के साथ इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की भी मांग की । शिवा की इस मांग का
समर्थन उच्च सदन में वाईएसआर कांग्रेस के विजयसाई रेड्डी, अन्नाद्रमुक के ए नवनीत कृष्णन और भाजपा की
रूपा गांगुली ने भी कहा कि इसके प्रावधान ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित
कर इनके साथ सदियों से हो रहे भेदभाव को खत्म करने के प्रावधान होना जरूरी
है। हालांकि विधेयक में ट्रांसजेंडरों को समाज की मुख्यधारा में लाने
और उनके सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक
सशक्तीकरण के लिए एक कार्यप्रणाली उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है। वहीं विधेयक
में ट्रांसजेंडर लोगों के खिलाफ अपराध करने वालों के लिए दंड का प्रावधान
भी किया गया है। वहीं ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को
पहचान प्रमाणपत्र जारी करने के साथ ही नियोजन, भर्ती, प्रोन्नति और अन्य संबंधित मुद्दों से जुड़े विषयों में किसी
ट्रांसजेंडर व्यक्ति के खिलाफ भेदभाव नहीं करने पर जोर दिया गया है। राज्यसभा में चर्चा के
बाद इस विधेयक को ध्वनिमत के साथ पारित कर दिया गया है।
अपराध के लिए दंड का प्रावधान
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 जुलाई को ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों की
सुरक्षा) विधेयक 2019 को मंजूरी दी थी।
गहलोत ने कहा कि इस विधेयक का मकसद हाशिए पर खड़े इस वर्ग के विरूद्ध भेदभाव और दुर्व्यवहार
खत्म करने के साथ ही इन्हें समाज की मुख्य धारा में लाने से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों
को लाभ पहुंचेगा। इससे समग्रता को बढ़ावा मिलेगा और ट्रांसजेंडर व्यक्ति समाज की मुख्यधारा
से जुड़ कर सामाजिक विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगे। सामाजिक न्याय एवं
अधिकारिता मंत्री ने कहा कि विधेयक के उद्देश्य एवं कारणों से ही स्पष्ट है कि ट्रांसजेंडर
समुदाय, समाज में हाशिये पर है, क्योंकि वे ‘पुरूष’ या ‘स्त्री’ लिंग समूह में फिट नहीं होते हैं । ट्रांसजेंडर समुदाय को सामाजिक
बहिष्कार से लेकर भेदभाव, शिक्षा सुविधाओं
की कमी, बेरोजगारी, चिकित्सा सुविधाओं की कमी जैसी समस्याओं का
सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण
बनाम भारत संघ के मामले में 15 अप्रैल 2014 को दिए अपने आदेश में अन्य बातों के साथ केंद्र
और राज्य सरकारों को उभयलिंगी समुदाय के कल्याण के लिये विभिन्न कदम उठाने का और संविधान
के अधीन एवं संसद तथा राज्य विधान मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों के अधीन उनके अधिकारों
की सुरक्षा के प्रयोजन में उन्हें तृतीय लिंग के रूप में मानने का निर्देश दिया । विधेयक
में ट्रांसजेंडर व्यक्ति को परिभाषित करने,
ट्रांसजेंडर
व्यक्ति के विरूद्ध विभेद का निषेध करने तथा ट्रांसजेंडर व्यक्ति को उसी के रूप में
मान्यता देने का अधिकार देने का प्रस्ताव किया गया है । इसमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों
को पहचान प्रमाणपत्र जारी करने के साथ ही जोर दिया गया है कि नियोजन, भर्ती, प्रोन्नति और अन्य संबंधित मुद्दों से संबंधित विषयों में किसी
ट्रांसजेंडर व्यक्ति के विरूद्ध विभेद नहीं किया जाएगा । प्रत्येक स्थापना में शिकायत
निवारण तंत्र स्थापित करने तथा ट्रांसजेंडर व्यक्ति परिषद स्थापित करने एवं उपबंधों
का उल्लंघन करने पर दंड देने का भी प्रावधान किया गया है । इससे पहले विधेयक पर चर्चा
में हिस्सा लेते हुये द्रमुक के तिरुचि शिवा ने ट्रांसजेंडर समुदाय के नागरिक अधिकारों
की रक्षा के लिये 2004 में पेश अपने निजी
विधेयक का हवाला देते हुये कहा कि उच्च सदन ने इस विधेयक को पारित किया था लेकिन लोकसभा
में यह पारित नहीं हो सका। उन्होंने सरकार द्वारा पेश विधेयक में ‘ट्रांसजेंडर’ की परिभाषा,
ट्रांसजेंडर
होने का जिलाधिकारी से प्रमाणपत्र हासिल करने की प्रक्रिया, सार्वजनिक स्थलों पर इन्हें अपमानित करने और
इनके यौन शोषण संबंधी प्रावधानों को अपूर्ण बताया। ट्रांसजेंडर लोगों के लिये शिक्षा
और नौकरियों में दो प्रतिशत आरक्षण देने का सुझाव देते हुए शिवा ने विधेयक को प्रवर
समिति के पास भेजने की मांग की। साथ ही उन्होंने ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों द्वारा
देशव्यापी आंदोलन चलाए जाने का जिक्र भी किया।
27Nov-2019
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