शनिवार, 30 नवंबर 2019

संसद में सुनाई दी महाराष्ट्र की सियासत की गूंज


हंगामे की भेंट चढ़ी राज्यसभा की कार्यवाही
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर गरमाई सियासत की गूंज संसद के दोनों सदनों में सुनाई दी। राज्यसभा में कांग्रेस के नेतृत्व में महाराष्ट्र के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग को लेकर विपक्ष ने हंगामा किया, जिसके कारण एक बार के स्थगन के बाद उच्च सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित हो गई। इस हंगामे के कारण प्रश्नकाल और शून्यकाल के बाद विधेयकों को भी पेश नहीं किया जा सका।
संसद के शीतकालीन सत्र की सोमवार को एक बार के स्थगन के बाद दोपहर बाद जब उच्च सदन की कार्यवाही फिर शुरू हुई तो उप सभापति हरिवंश ने उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक पर अधूरी चर्चा को आगे बढ़ाने को कहा, लेकिन कांग्रेस सांसदों ने अपनी सीटों पर खड़े होकर महाराष्ट्र में राज्यपाल पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। उप सभापति ने इस मुद्दे पर सभापति द्वारा स्थिति स्पष्ट करने का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में व्यवस्था का सवाल भी नहीं उठाया जा सकता। कांग्रेस के समर्थन में अन्य विपक्षी दलों ने सदन में हंगामा शुरू करना शुरू कर दिया तो सदन की कार्यवाही को मंगलवार दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
कार्यस्थगन के नोटिस खारिज
इससे पहले सुबह राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम. वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद शून्यकाल शुरू करने से पहले नायडू ने सदन को बताया कि महाराष्ट्र के घटनाक्रम पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत कांग्रेस के आनंद शर्मा, माकपा सदस्य के के रागेश तथा इलामारम करीम, सीपीआई के विनय विस्वम और डीएमके सदस्य तिरुचि शिवा की ओर से कार्यस्थगन नोटिस मिले हैं। उन्होंने इन नोटिसों के बारे में इस मुद्दे के सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होने के अलावा तर्क दिया कि उच्च पद पर आसीन किसी व्यक्ति के आचरण पर समुचित नोटिस के बिना चर्चा नहीं की जा सकती। इसलिए उन्होंने सदस्यों के नोटिस अस्वीकार कर दिये हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने के बारे में या राष्ट्रपति शासन हटाए जाने के बारे में नोटिस दिए जाने पर सदन में चर्चा की जा सकती है, लेकिन इस तरह का कोई नोटिस विचाराधीन नहीं है। नोटिस खारिज होने से खफा कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके और वामदलों के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। सदन में इस हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। इस कारण उच्च सदन में शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाए।
विपक्ष पर लोकतंत्र का अपहरण करने का आरोप
इसी हंगामे के बीच अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि राज्यपाल के फैसले पर विशेष नोटिस के माध्यम से ही चर्चा की जा सकती है और ऐसा कोई नोटिस विपक्षी सदस्यों की ओर से नहीं दिया गया है। नकवी ने आरोप लगाया कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना महाराष्ट्र में जुगाड़ के जरिए लोकतंत्र का अपहरण करने की कोशिश कर रही हैं। नकवी ने यह भी कहा कि जनतंत्र भाजपा के साथ है। उन्होंने कहा कि शरद पवार सदन के सम्मानित सदस्य हैं और बड़े खिलाड़ी भी हैं। नकवी ने कहा कि पवार को समझना चाहिए कि फिसलन भरी पिच पर क्रिकेट खेल रहे खिलाड़ियों के रन आउट होने का खतरा होता है। फिर भी वह ऐसी पिच पर दौड़ रहे हैं।
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पुरानी वर्दी में नजर आए मार्शल
संसद के शीतकालीन सत्र के आंरभ होने पर राज्यसभा में पिछले सप्ताह सेना जैसी वर्दी में नजर आए मार्शल आज सोमवार को अपनी पुरानी पारंपरिक वर्दी यानि बंद गले वाले जोधपुरी सूट में ही नजर आए। राज्यसभा के 250वें सत्र में मार्शल की वर्दी में बदलाव करने के लिए मार्शलों की वर्दी बदली गई थी, जिसमें वे मार्शनल कम सेना के अधिकारी ज्यादा नजर आ रहे थे। पहले दिन से इस सेना जैसी वर्दी को राजनीतिक दलों ने विरोध जताया, तो वहीं सेना के पूर्व अधिकारियों ने भी इस वर्दी पर आपत्ति जताई थी। इस पर सभापति वेंकैया नायडू ने राज्यसभा सचिवालय से मार्शल की वर्दी पर पुनर्विचार करने के आदेश दिये थे, जिसके एक सप्ताह बाद उच्च सदन सोमवार को मार्शल सेना जैसी वर्दी के बजाय सामान्य बंद गले वाले जोधपुरी सूट में नजर आए, लेकिन उनके सर पर पगड़ी नहीं थी। राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि मार्शलों की  यह नई वर्दी के डिजाइन को नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (एनआईडी) ने तैयार किया था।
26Nov-2019

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