शनिवार, 30 जून 2018

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून पर सख्त हुई सरकार

उत्पादों की गुणवत्ता व मात्रा से नहीं होगा समझौता
बढ़ती महंगाई को काबू करने पर राज्यों के साथ हुआ मंथन
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को सख्ती से लागू करने की दिशा में खाद्य उत्पादों गुणवत्ता और मात्रा सुनिश्चत करने की दिशा में राज्य सरकारों से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार करने का आग्रह किया। वहीं सरकार ने आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर काबू रखने के लिए केंद्र के साथ मिलकर काम करने की भी अपील की है, ताकि कालाबाजारी और जमाखोरी पर लगाम कसी जा सके।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान की अध्यक्षता में शुक्रवार को यहां विज्ञान भवन में आयोजित चौथी राष्ट्रीय परामर्श बैठक में राज्यों और केंद्र शासित राज्यों के खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्रियों एवं प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श किया। बैठक में राम विलास पासवान ने राज्यों से आवश्यक वस्तुओं की कीमत स्थिर रखने और मुद्रास्फीति नियंत्रित करने की दिशा में केंद्र के साथ मिलकर काम करके उचित हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। खासतौर से केंद्रीय मंत्री ने उपभोक्‍ता सशक्तिकरण, संरक्षण और कल्‍याण की प्रतिबद्धता के साथ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत खाद्य की अधिक प्रभावी, कुशल और लक्षित प्रदायगी से सम्‍बन्धित मुद्दों पर चर्चा की और कहा कि इस लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली को डिजीटल यानि कम्प्यूटरीकृत करने का काम वर्ष 2018 के अंत तक पूरा हो जाएगा। इस प्रणाली की सुनिश्चता की दिशा में लाभार्थियों की आधार सीडिंग तथा ई-पीओएस मशीनों की संस्थापना की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि राज्य डिजीटल प्रणाली के तहत स्कीम के लक्ष्य में पारदर्शिता ला सकें।
उपभोक्ता संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता
बैठक में राज्यों से चर्चा के दौरान उपभोक्ता के कल्याण और संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए पासवान ने कहा कि इसके लिए विभिन्न अधिनियम, कार्यक्रम, स्कीमों को राज्यों में अनेक सरकारी एजेंसियों द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है, जिसमें समुचित प्रवर्तन तंत्र के साथ एक सुसमन्वित और समेकित प्रशासनिक विभाग की स्थापना की गई है, ताकि उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण को मदद मिल सके। उन्होंने उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने और उपभोक्ताओं के लिए और अधिक अनुकूल व्यापार संपर्क के सृजन के लिए विभाग द्वारा राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन, भ्रामक विज्ञापनों के विरूद्ध शिकायतें (गामा) इत्यादि जैसी विभिन्न डिजीटल पहलों का भी जिक्र करते हुए कहा कि एमआरपी से ज्यादा मूल्य वसूलने और उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन करने वालों के खिलाफ कानून के तहत सख्त कार्रवाई जरूरी है।
यह स्कीम लागू कर सकेंगे राज्य
बैठक के दौरान पासवान ने कहा कि राज्‍यों/संघ शासित क्षेत्रों की सरकारें आवश्‍यकता पड़ने पर  राज्य स्तर पर मूल्य स्थिरीकरण कोष स्‍कीम को आरंभ कर सकती हैं, जिसके लिए स्‍कीम के दिशा-निर्देशों के अनुसार केन्‍द्र द्वारा भी अंशदान देने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने उपभोक्ताओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक जनवरी 2018 को विधिक मापविज्ञान (पैकबंद वस्‍तुएं) (संशोधन) नियमावली-2017 को  लागू किया था, ताकि ई-कॉमर्स मंच पर विधिक मापविज्ञान नियमों के तहत पैकबंद खाद्य या पेय उत्पादों पर कोई घोषणा या शब्दों व अंकों के आकार का बढ़ाने या पूर्व पैकबंद वस्‍तु पर अलग-अलग अधिकतम खुदरा मूल्य (दोहरा एमआरपी) अंकित न कर सके। जबकि इससे पहले 12 अक्टूबर2017 से लागू नए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) अधिनियम के जरिए उत्पाद के गुणवत्ता सुधार के लिए कदम उठाए गये हैं। यह नया भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, बाजार सर्वेक्षण करने, जागरूकता का सृजन करने, सुरक्षा में वृद्धि और भारतीय मानकों के उपयोग का संवर्धन करने के माध्यम से वस्तुओं की गुणवत्ता के संवर्धन, निगरानी और प्रबंधन की सुविधा प्रदान करेगा। नए अधिनियम में मूल्यवान धातु की वस्तुओं की हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने संबंधी समर्थकारी प्रावधान किए गए हैं। 
30June-2018

जमीनी स्तर पर हो योजनाओं का खर्च: तोमर



केंद्र ने ‘दिशा’ पहल पर राज्यों के साथ की चर्चा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
मोदी सरकार की देश के विकास के लिए की गई जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) के दो साल पूरे होने पर केंद्र सरकार ने राज्यों के विशेष सचिवों के साथ विचार-विमर्श किया। केंद्र ने योजनाओं को समयबद्ध ढंग से क्रियान्वित करने और योजनाओं के खर्च को जमीनी स्तर पर करने पर जोर दिया गया।
नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) के दो साल पूरे होने पर 25 जून से लेकर 29 जून तक आयोजित वर्तमान ‘दिशा’ सप्ताह के तहत गुरुवार को केंद्रीय ग्रामीण विकास, पंचायती राज एवं खान मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विशेष सचिवों के साथ विस्तारपूर्वक विचार-विमर्श किया। इस दौरान दिशा पहल से संबंधित विभिन्न विषयों पर भी चर्चा की गई। वहीं तोमर ने ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रामकृपाल यादव के साथ दिशा पहल को सहभागितापूर्ण गवर्नेंस का एक प्रभावशाली एवं प्रमुख साधन बनाने के तौर-तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया। इस दौरान  तोमर ने दिंदोरी, जोधपुर, जशपुर, सीकर, जालौन, जबलपुर और संभल जिलों में दिशा समिति की जिला स्तरीय बैठक के दौरान सात सांसदों के अलावा 36 राज्य ग्रामीण विकास विभाग सचिवों के साथ भी संवाद किया। उन्होंने सभी सांसदों और अन्य प्रतिनिधियों से अपनी भागीदारी के साथ-साथ बैठकों की संख्या बढ़ाने का भी अनुरोध किया, ताकि योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके और इसके साथ ही उन योजनाओं पर फोकस किया जा सके जो समय से पीछे चल रही हैं। उन्होंने यह सुझाव दिया कि बैठकों की संख्या को भी दिशा पुरस्कारों का एक पैमाना बनाया जाना चाहिए।
पेपरलेस प्रणाली शुरू
केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने इस मौके पर कागज रहित (पेपरलेस) बैठक के संपूर्ण समाधान के उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक ‘मीटिंग मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर’ भी लांच किया। इस सॉफ्टवेयर से बैठक का नोटिस तैयार करने, एजेंडा निर्धारित करने, सदस्यों के साथ संचार करने, एजेंडा एवं बैठक के विवरण को प्रसारित करने इत्यादि में मदद मिलेगी। वहीं ‘दिशा’ पर एक ई-बुक का भी विमोचन किया गया, जिसमें दिशा पहल की पृष्ठभूमि, सीखने संबंधी अनुभव, दिशा डैशबोर्ड की आवश्यकताएं, इसकी विशेषताएं और जिला एवं राज्यस्तरीय दिशा समितियों के दिशा-निर्देश शामिल हैं।
छग समेत पांच राज्यों को पुरस्कार
इस दौरान दिशा बैठकों के नियमित आयोजन की ‘दिशा’ कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य के लिये छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मिजोरम और उत्तराखंड को प्रशस्ति पुरस्कार दिये गए। ये पुरस्कार केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने वितरित किये। पुरस्कार देते हुए तोमर ने जानकारी दी कि ‘दिशा’ के अन्तर्गत जिलों में 4 बैठकों से अधिक बैठक करने वाले राज्य को पुरुस्कृत किया जायेगा। उत्तराखण्ड राज्य सरकार की ओर से यह पुरस्कार उत्तराखण्ड के ग्रामीण विकास अपर आयुक्त डा. आरएस पोखरिया द्वारा प्राप्त किया गया। 
29June-2018

सुरक्षा बलों के लिए ‘विशेष पदक’ सृजित




केंद्र ने दी ‘विशेष संचालन पदक’ गठित करने की मंजूरी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने सुरक्षा बलों को प्रोत्साहन देने के लिए ‘गृहमंत्री के विशेष संचालन पदक’ गठित करने की मंजूरी दी है। इसके दायरे में राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस अधिकारी, केन्द्रीय पुलिस संगठनों, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, तथा विशेष संचालनों में शामिल सुरक्षा संगठन के अधिकारी शामिल होंगे।
केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘गृह मंत्री के विशेष संचालन पदक’ गठित करने की स्वीकृति गुरुवार को दी है। इसके अलावा  केन्द्रीय गृहमंत्री ने वार्षिक रूप से प्रदान किए जाने वाले तीन और पदकों आंतरिक सुरक्षा पदक, असाधारण आसूचन पदक व उत्कृष्ट तथा अति-उत्कृष्ट सेवा पदक का भी गठन किया है। गृह मंत्री का यह विशेष संचालन पदक तथा असाधारण आसूचन पदक स्वतंत्रता दिवस यानि 15 अगस्त को दिया जाएगा। जबकि आंतरिक सुरक्षा पदक व उत्कृष्ट और अति-उत्कृष्ट सेवा पदक गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को घोषित किया जाएगा। मंत्रालय के अनुसार गृहमंत्री का विशेष संचालन पदक, आंतरिक सुरक्षा पदक और असाधारण आसूचन पदक देने के लिए कोई सीमा या कोटा नहीं होगा, लेकिन क्रमशः उत्कृष्ट तथा अति-उत्कृष्ट सेवा पदक के लिए पात्रता शर्तों के साथ रैंक के अनुसार (कांस्टेबल, हैड कांस्टेबल, एएसआई, एसआई, इंस्पेक्टर, डिप्टी एसपी, एसपी और उससे ऊपर स्वीकृत संख्या बल के एक प्रतिशत तथा 0.5 प्रतिशत की सीमा होगी। वहीं इसके लिए यह भी प्रावधान किया गया है कि निष्ठाहीनता का दोषी पाए जाने या बल के सम्मान को ठेस पहुंचाने पर धारक से पदक वापस ले लिया जाएगा।
इस आधार मिलेंगे पदक
गृह मंत्रालय के अनुसार असाधारण आसूचन पदक केन्द्र सरकार के गुप्तचर संगठन के अधिकारियों तथा राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के गुप्तचर विभाग, शाखा, विशेष शाखा, इकाइयों के अधिकारियों, सीपीओ, सीएपीएफ, असम राइफल्स (एआर) तथा राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के अधिकारियों को उनके असाधारण उत्साह और गुप्तचर सूचनाएं प्राप्त करने में कुशलता के लिए दिया जाएगा। इसी प्रकार आंतरिक सुरक्षा पदक राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के पुलिस कर्मियों, सीपीओ, सीएपीएफ तथा सुरक्षा संगठन कर्मियों को जम्मू और कश्मीर राज्य, वाम चरमपंथ क्षेत्र और पूर्वोत्तर क्षेत्रों की आंतरिक सुरक्षा में प्रत्येक दो वर्ष में संचालन कर्तव्य निभाने के लिए दिया जाएगा। इसके अलावा उत्कृष्ट तथा अति-उत्कृष्ट सेवा पदक सीएपीएफ, राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश के पुलिस बलों, सीपीओ, एआर, एनएसजी, होम गार्ड (एचजी) तथा केन्द्र सरकार, राज्य सरकार व सीएपीएफ के स्थायी पुलिस कर्मियों को 15 और 25 वर्षों की लंबी सेवा तथा उत्तम सेवा रिकॉर्ड को देखते हुए दिया जाएगा।
29June-2018

कालाबाजारी पर शिकंजा कसेगी सरकार

केंद्र का राज्यों के महंगाई जैसे मुद्दो पर आज होगा मंथन
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने देश में बढ़ती महंगाई पर काबू करने और आवश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी है। सरकार ने रोजमर्रा की जरूरत वाले खाद्य एवं अन्य उत्पादों आपूर्ति बढ़ाने और थोक व खुदरा मूल्य सूचकांक के मामले में रणनीति तैयार करने के लिए कल 29 जून को राज्यों के साथ बैठक बुलाई है।
केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजिनक मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में केंद्रीय उपभोक्ता मामले और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान की अध्यक्षता में चौथी राष्ट्रीय परामर्श बैठक आयोजित की गई है। इस बैठक में
खासतौर से केंद्रीय कृषिमंत्री राधामोहन सिंह, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु, रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी के अलावा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, बिहार और झारखंड समेत अन्य राज्यों के खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्री शिरकत करेंगे। इस बैठक में आवश्यक खाद्य वस्तुओं के दाम पर काबू रखने और कालाबाजारी को लेकर राज्यों के साथ विचार विमर्श करके केंद्र सरकार सख्त और समुचित नीति पर सहमति बनाने का प्रयास करेगा। इस परामर्श बैठक के दौरान स्थिर कीमतों के साथ ही आवश्यक खाद्य पदार्थों की उपलब्धता सहित उपभोक्ता संरक्षण एवं कल्याण, सार्वजनिक वितरण प्रणाली इत्यादि के विभिन्न पहलुओं को बेहतर करने के लिए आवश्यक उपायों पर चर्चा की जाएगी।
क्या होगा एजेंडा
इस बैठक के एजेंडे के तहत उपयुक्त नीतिगत उपायों के जरिये आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों को उचित स्तर पर बनाए रखने एवं उनके समुचित प्रबंधन के लिए आवश्यक उपायों पर प्रमुखता के साथ चर्चा की जाएगी। इस तरह के नीतिगत निर्णय और उपायों के लिए ठोस एवं नियमित मूल्य संबंधी सूचनाओं का उपलब्ध होना पहली आवश्यकता को देखते हुए मूल्य संबंधी सूचनाएं देने वाले उन केंद्रों के फैलाव एवं कवरेज को बढ़ाने पर विचार किया जाएगा, जो दैनिक उपयोग वाले 22 आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों के बारे में सूचनाएं उपलब्ध कराते हैं। इसी के तहत महत्वपूर्ण कृषि-बागवानी जिन्सों में महंगाई के रुख से निपटने के लिए एक साधन के रूप में उपयोग में लाए जाने वाले मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) और राज्य विशेष चिंताएं दूर करने के लिए राज्य स्तरीय पीएसएफ बनाने की जरूरत पर भी फोकस किया जाएगा।
कानूनी पहलुओं पर चर्चा
कानूनी पहलुओं की सख्ती करने और कई अन्य ऐसे मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी, जिनमें आवश्यक वस्तु अधिनियम के प्रावधानों पर अमल, कानूनी माप-पद्धति अधिनियम एवं नियमों के प्रभावकारी क्रियान्वयन के लिए राज्यों में स्थित कानूनी माप-पद्धति विभागों का आधुनिकीकरण एवं सुधार, राज्य आयोगों एवं उपभोक्ता फोरम के कामकाज में सहूलियत के लिए उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय समिति द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को दूर करना भी शामिल हैं। 
29June-2018

गुरुवार, 28 जून 2018

इंडोनेशिया की तकनीक से दुरस्त होगा रेलवे

दोनों देशों के बीच रेल क्षेत्र में हुए समझौता मंजूर


हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भारतीय रेलवे में  रॉलिंग स्टॉक के साथ सिग्नल और संचार प्रणालियों के आधुनिकीकरण और अन्य परिवहन के सुधार में अवसंरचना में तकनीकी सहयोग के लिए इंडोनेशिया के साथ किये गये समझौते का केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है।
पीएम मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में रेल क्षेत्र में तकनीकी सहयोग के लिए भारत और इंडोनेशिया के बीच इस समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी गई है। यह समझौता गत 29 मई 2018 को किया गया था। इस समझौते के तहत दोनों देश रेल क्षेत्र में ज्ञान, तकनीकी, क्षमता सृजन सहित संस्‍थागत सहयोग का आदान-प्रदान करेंगे। खासतौर से इंडोनेशिया भारतीय रेलवे में रॉलिंग स्‍टॉक के साथ सिग्नल और संचार प्रणालियों, रेल संचालन प्रबंधन तथा नियमन के आधुनिकीकरण में अपना तकनीकी सहयोग देगा। रेलवे के अनुसार इस करार के तहत इंडोनेशियाई तकनीक के इस्तेमाल से देश में अंतर मॉडल परिवहन, लॉजिस्टिक पार्क तथा माल-भाड़ा टर्मिनलों का विकास के आलावा रेलवे ट्रैक, पुल, सुरंग, ओवर हेड विद्युतीकरण तथा बिजली सप्‍लाई प्रणालियों समेत निर्धारित अवसंरचना के लिए रख-रखाव भी किया जाएगा। इस करार के तह त दोनों देशों द्वारा रेल क्षेत्र में संयुक्त रूप से सहमति बनाकर अन्य क्षेत्रों में सहयोगी होंगे।
कई देशों से हुए करार                                    
गौरतलब है कि रेल मंत्रालय ने विभिन्न देशों और राष्‍ट्रीय रेलवे के साथ तकनीकी क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्‍ताक्षर किए हैं। सहयोग के चिन्हित क्षेत्रों में उच्च गति के गलियारे, वर्तमान मार्गों की गति में वृद्धि, विश्‍वस्‍तरीय स्‍टेशनों का विकास, संचालन में भारी बदलाव तथा रेल अवसंरचना का आधुनिकीकरण शामिल है। रेल तकनीकी के क्षेत्र में विकास पर सूचना आदान-प्रदान, ज्ञान साझा करने, तकनीकी आवागमन, प्रशिक्षण तथा परस्पर हित के क्षेत्रों में सेमिनारों और कार्यशालाओं के जरिए सहयोग का आदान-प्रदान किया जा रहा है। 
28June-2018