विधवाओं की देखभाल करना
जरूरी: वेंकैया
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस पर उपराष्ट्रपति
एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि विधवाओं की देखरेख करना सभी की पावन जिम्मेवारी है।
नायडू
शनिवार को यहां विज्ञान भवन में इंटरनेशनल लूमबा फाउंडेशन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय विधवा
दिवस पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे। नायडू ने कहा एक समाज के रूप में हमें विधवाओं
के प्रति सामाजिक बर्ताव और विधवापन से जुड़े कलंक, अपमान एवं अलगाव को किस प्रकार
दूर किया जाए, इसे प्रतिबिंबित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी
चिंता की बात यह हे कि आज के डिजिटल युग में भी विधवाओं को निम्न रूप से देखा जाता
है और उनके साथ अन्यायपूर्ण बर्ताव किया जाता है। उन्होंने कहा कि विधवाओं के प्रति
लोगों की मानसिकता बदलने के लिए एक मजबूत सामाजिक आंदोलन की आवश्यकता है। उन्होंने
कहा कि निर्धन विधवाओं को स्व रोजगार के लिए बढ़ावा देने ऋण उपलब्ध कराने के द्वारा
आर्थिक रूप से सशक्त बनाये जाने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि मुद्रा ऋण वितरण के दौरान
विधवाओं को वरीयता दिया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि टेलरिंग, परिधान निर्माण
एवं पैकेजिंग सहित विभिन्न क्षेत्रों में स्वरोजगार के जरिये आजीविका अवसरों को सृजित
किए जाने की जरुरत है। विधवाओं को सशक्त बनाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति
ने कहा कि उनके बच्चों के लिए आजीविका कौशलों एवं शिक्षा उपलब्ध कराना सर्वाधिक महत्वपूर्ण
है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि नवीन भारत की संकल्पना में आर्थिक रूप से बंधनमुक्त महिलाएं
शामिल हैं और जब यह विजन साकार होगा, तो महिलाओं पर अत्याचार एवं विधवाओं की उपेक्षा
जैसी सामजिक बुराइयां खुद ही खत्म हो जाएंगी। समारोह में केंद्रीय कानून एवं विधि मंत्री
रवि शंकर प्रसाद और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी विचार प्रकट किये।
हरियाणा व राजस्थान से ले सबक
समारोह
में नायडू ने यह भी कहा कि हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्य प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं
के माध्यम से सरकारी नौकरियों की मांग करने वाली विधवाओं को प्राथमिकता दे रहे हैं।
इसका अनुसरण अन्य राज्यों को भी करने की आवश्यकता है। नायडू ने विधवाओं और उनके बच्चों
के उत्थान के लिए विशेष रूप से काम करने वाली संस्था लूमबा फाउंडेशन की तारीफ करते
हुए कहा कि दुनिया भर में कई मिलियन विधवाएं हैं, न केवल ऐसे अधिक धर्मार्थ संगठनों
की आवश्यकता है, बल्कि उनके कल्याण पर भी ध्यान केंद्रित करना जरूरी है। उन्होंने
जनगणना 2011 के आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में 4.3 करोड़ विधवाओं में
से 58 फिसदी 60 साल से ऊपर की हैं, जबकि 40 से 59 साल के बीच 32 प्रतिशत, 20-39 साल
के आयु वर्ग की नौ फीसदी हैं।
24June-2018
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