शुक्रवार, 15 जून 2018

दिल्ली में बनेगा राष्ट्रीय जनजातीय संग्रहालय




छग व मप्र समेत छह राज्यों में संग्रहालय अनुमोदित
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
मोदी सरकार द्वारा 1857 की क्रांति और आजादी के आंदोलन में कुर्बानी देने वाले देशभर के उन जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को पहचान देने के लिए जहां छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश समेत छह राज्यों में संग्रहालय बनाने की योजना को अनुमोदित किया है। वहीं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी एक राष्ट्रीय जनजातीय संग्रहालय स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है।
यह जानकारी गुरुवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में देते हुए केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम ने बताया कि देश 1857 की क्रांति और उसके बाद आजादी के आंदोलन में कुर्बानी देने वाले देशभर के उन जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को पहचान देने के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा दिल्ली में एक राष्ट्र स्तरीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान के साथ ही एक राष्ट्रीय जनजातीय संग्रहालय स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है। इस संग्रहालय में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते हुए समृद्ध जनजातीय संस्कृति और धरोहरों को प्रदर्शित किया जाएगा। संग्रहालय और जनजातीय अनुसंधान संस्थान की स्थापना करने का प्रस्ताव पहले ही नीति आयोग को भेजा जा चुका है। इससे पहले छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश समेत छह राज्यों में ऐसे आदिवासी व जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को पहचान दिलाने के लिए 254.29 करोड़ रुपये की लागत से छह संग्रहालय स्थापित करने का अनुमोदन किया जा चुका है। इन अनुमोदित संग्रहालयों में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 22.50 एकड़ भूमि में छत्तीसगढ़ में अंग्रेजों के दमन के खिलाफ शहीद वीर नारायण सिंह तथा अन्य जनजातीय नेताओं द्वारा चलाये गये आंदोलन की झलकियां और उनकी प्रतिमाएं स्थापित करने के 25.66 करोड़ रुपये की लागत से संग्राहलय की स्थापित किया जाएगा। इसी प्रकार मध्य प्रदेश के छिंदवाडा में 8.51 एकड़ भूमि में 38.26 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में संग्रहालय स्थापित होगा।  इसके अलावा झारखंड के रांची, गुजरात में गुरुदेश्वर, आंध्र प्रदेश के लाम्बासिंगी तथा केरल के कोझिकोड में इस प्रकार का संग्रालय स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
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आदिवासी छात्रों का बेहतर प्रदर्शन
जुएल ओराम ने कहा कि एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। चालू वर्ष में 146 छात्रों ने नीट (एनईईटी), 253 छात्रों ने जेईई मुख्य परीक्षा और 8 छात्रों ने सीएलएटी में सफलता प्राप्त की है। मंत्री महोदय ने खो-खो, कराटे, बैडमिंटन, वॉलीवॉल और बास्केट बाल समेत अन्य खेलों में एकलव्य स्कूल के छात्रों की उपलब्धियों को रेखांकित किया। महाराष्ट्र और आन्ध्रप्रदेश के आश्रम स्कूलों के छात्रों द्वारा माउंट एवरेस्ट पर्वतारोहण में भी परचम लहराया है। वहीं 1205 आश्रम स्कूलों की स्थापना के लिए राज्यों को अब तक प्रर्याप्त वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी गई है। इन विद्यालयों में कुल 1,15,500 सीटें हैं।
तीस लाख छात्रों को छात्रवृत्ति
केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम ने मोदी सरकार के चार साल के कार्यकाल के दौरान अपने मंत्रालय की उपलब्धियां बताते हुए कहा कि इन सालों के दौरान मैट्रिक के पूर्व और मैट्रिक के बाद दी जाने वाली छात्रवृत्ति के तहत अनुसूचित जनजाति के लगभग 30 लाख छात्रों को 5405 करोड़ रुपये मूल्य की छात्रवृत्तियों का वितरण किया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय विदेश छात्रवृत्ति योजना को छात्रों के अनुकूल बनाया गया है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था की गई है तथा पाठ्यक्रम के चयन व बदलावों में भी सरल बनाया गया है।
ट्राइफेड की ऊंची उडान
इस दौरान मंत्रालय के तहत ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक प्रवीर कृष्णा ने बताया कि ट्राइफेड वर्ष 2017-18 में 20 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की जो वर्ष 2016-17 में महज 11.37 करोड़ रुपये की बिक्री से काफी ऊंची छलांग है। उन्होंने प्रमुख ई-कॉमर्स पोर्टलों और एम-ट्राइब्स मोबाइल ऐप पर ट्राइब्स इंडिया बैनर लॉन्च करने के फायदे भी गिनाए। कृष्णा के अनुसार लगभग 70 हजार जनजातीय कारीगर उत्पादों की आपूर्ति के लिए ट्राइब्स इंडिया से जुड़ चुके हैं और जल्द ही इनकी संख्या 1.50 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। गौरतलब है कि वर्ष 2017 में व्यवसाय नियमों के आवंटन में किए गए संशोधनों के तहत जनजातीय कार्य मंत्रालय को केंद्रीय मंत्रालयों की एसटीसी राशि की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
15June-2018

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