शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

मैरी कॉम बनी ‘ट्राइब्स इंडिया’ की ब्रांड एंबेसडर



जनजाति मंत्रालय ने लांच किया पंचतंत्र संग्रह
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने जनजातीय उत्पादों को प्रोत्साहित करने की दिशा में ‘पंच तंत्र संग्रह’ जारी किया है। वहीं इन उत्पादों को बाजार मुहैया करा रही ट्राइब्स इंडिया ने विश्व मुक्केबाजी चैंपियन सुश्री मैरी कॉम को अपना ब्रांड एम्बेसड़र बनाया है।
नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में गुरुवार को केंद्रीय जनजतीय कार्य मंत्रालय के अधीन ट्राइब्स इंडिया और ट्राइफेड द्वारा आयोजित एक समारोह में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम ने दीपावली के लिए हथकरघा और दस्‍तकारी सहित जनजातीय उत्‍पादों की श्रेणी पेश करने के लिए ‘पंच तंत्र संग्रह’ जारी किया। ओराम ने इस मौके पर देश की विश्व चैंपियन महिला मुक्केबाज व राज्यसभा सांसद सुश्री मैरी कॉम को ट्राइब्स इंडिया का ब्रांड एम्‍बेसडर भी नियुक्त किया है। ओराम ने जनजातीय कार्य मंत्रालय के इन प्रयासों का समर्थन करने वाली सुश्री मैरी कॉम के ब्रांड एम्बेसडर बनने पर उम्मीद जताई कि सुश्री मैरी कॉम को इस अभियान में शामिल करने से ट्राइब्स इंडिया के उत्‍पादों की बिक्री नई ऊंचाईयां हासिल करेगी। इस अवसर पर एनएफडीसी द्वारा निर्मित चार वीडियो भी जारी किए गए, जिनमें ब्रांड एम्‍बेसडर सुश्री मैरी कॉम को ट्राइब्स इंडिया के जनजातीय उत्‍पादों को प्रोत्‍साहित करते हुए दिखाया गया है। इस मौके पर ट्राइफेड के अध्‍यक्ष आर.सी मीणा, जनजातीय कार्य सचिव दीपक खांडेकर और ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक प्रवीण कृष्ण भी मौजूद थे।
तीन सौ गुणा बढ़ा कारोबार
समारोह में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम ने कहा कि यदि ट्राइफेड का उपयोग उचित तरीके से किया जाए, तो सरकार के अन्य सार्वजनिक उपक्रमों की तुलना में इसमें अधिक क्षमता है। यह भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में प्रमुख भूमिका निभा सकता है। उन्‍होंने ट्राइब्स इंडिया शोरूम के विस्‍तृत नेटवर्क, आदि महोत्‍सवों और प्रदर्शनियों के अलावा अमेज़न, फ्लिपकार्ट, स्‍नैपडील जैसी विभिन्न ई-वाणिज्यक प्‍लेटफार्मों के जरिए जनजातीय उत्‍पादों को प्रोत्‍साहन देने के लिए ट्राइफेड के प्रयासों की सराहना की, जिसने देश भर में 103 बिक्री केन्‍द्र खोले हैं और उसका कारोबार 300 गुना बढ़ गया है। ओराम ने कहा कि हमारे यहां अत्‍यंत प्रतिभाशली जनजातीय कालाकार और उस्‍ताद दस्‍कार मौजूद हैं। 
28Sep-2018

अल्पसंख्यकों को जल्द मिलेगा पहला अंतर्राष्ट्रीय शिक्षण संस्थान



एक अक्टूबर को अलवर में किया जाएगा शिलान्यास
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
मोदी सरकार की अल्पसंख्यकों के लिये विश्व स्तरीय शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने की योजना के तहत पहले शिक्षण संस्थान की नीवं राजस्थान के अलवर में रखी जाएगी।
यह जानकारी मंगलवार को यहां नई दिल्ली में मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन की गवर्निंग बॉडी एवं जनरल बॉडी बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने देते हुए कहा कि केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों एवं गरीबों, पिछड़ो तथा कमजोर तबकों के सामाजिक एवं शैक्षणिक उत्थान की परियोजनाओं को लागू करके उन्हें लाभान्वित कर रही है। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने अलवर जिले के किशनगढ़ बास तहसील में कोहरापीपली गांव में 15 एकड़ जमीन दी है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध केंद्र, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, एवं प्राथमिक से उच्च शिक्षा के साथ खेलकूद जैसी आधुनिक सुविधाएं तैयार की जायेंगी। उन्होंने कहा कि अलवर के इस सस्थान के लिए 100 एकड़ जमीन की दरकार है जिसके लिए भूमि आवंटन की प्रक्रिया की जा रही है।
पांच अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थान खुलेंगे
नकवी ने कहा कि सरकार ने कमजोर, पिछड़े एवं अल्पसंख्यकों के लिये अंतरराष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना के लिये एक वर्ष पूर्व योजना बनाई थी और इसके लिये पूर्व सचिव अफजल अमानुल्लाह के नेतृत्व में 11 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। समिति की रिपोर्ट के बाद मंत्रालय ने राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पूर्वोत्तर में गुवाहाटी में अंतरराष्ट्रीय स्तर के पांच शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने की योजना का खाका तैयार किया है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के लिये ऐसे शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने के तहत तकनीकी, मेडिकल, आयुर्वेद, यूनानी सहित विश्वस्तरीय रोजगारपरक कौशल विकास की शिक्षा देने वाले संस्थान स्थापित किये जायेंगे। इसके अलावा मंत्रालय अल्पसंख्यक समुदायों के पिछड़े, कमजोर और गरीब वर्ग के विद्यार्थियों के लिये नवोदय विद्यालय की तर्ज पर 100 से अधिक स्कूल खोलने की योजना शुरू कर रहा है।
तीन सदस्य समिति का गठन
नकवी ने कहा कि अलवर में स्थापित किये जा रहे शैक्षणिक संस्थान की पूरी रुपरेखा तैयार करने के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधिकारियों एवं मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन के सदस्यों की एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। जल्द ही इस संस्थान के निर्माण आदि के सन्दर्भ में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जाएगी। 
26Sep-2018

सोमवार, 24 सितंबर 2018

ट्रेन में महिला से छेड़छाड़ पड़ सकती है महंगी!



आरपीएफ ने रखा तीन साल जेल की सजा का प्रस्ताव
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
रेलवे बोर्ड जल्द ही देश में ट्रेनों में बढ़ते आपराधिक गतिविधियों पर लगाम कसने की दिशा में रेलवे रेलवे अधिनियम में संशोधन करेगा, जिसमें यदि रेलवे सुरक्षा बल द्वारा दिये गये प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया जाता है, ट्रेनों में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करने वाले दोषियों को तीन साल जेल की सजा हो सकती है। इसी प्रकार अन्य अपराधिक गतिविधियों में सख्त प्रावधानों के अलावा आरपीएफ की शक्तियों में भी इजाफा हो सकता है।
रेलवे सुरक्षा बल के सूत्रों के अनुसार ट्रेनों में बढ़ते अपराधों को नियंत्रित करने की दिशा में भारतीय दंड़ संहिता (आईपीसी) के तहत दी जाने वाली सजा, जुर्माना या अन्य दंड नाकाफी है। शायद इसी कारण रेलवे सुरक्षा बल के डीआईजी धर्मेन्द्र कुमार ने रेलवे बोर्ड द्वारा रेलवे अधिनियम में किये जाने वाले संशोधन में कई ऐसे प्रस्ताव भेजे हैं, जिनके लागू होने के बाद जहां आरपीएफ की शक्तियां बढ़ जाएंगी और ट्रेनों में आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकेगा। आरपीएफ के उत्तरी क्षेत्र के आयुक्त संजय किशोर ने हरिभूमि को बताया कि रेलवे अधिनियम में संशोधन रेलवे बोर्ड करता है और रेल सुरक्षा व संरक्षा के अलावा यात्रियों की सुरक्षा को मजबूत बनाने की दिशा में डीआईजी की ओर से अपराधियों के खिलाफ सख्त प्रावधान करने के प्रस्ताव दिये गये हैं। इन प्रस्तावों में सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव ट्रेनों में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों से निपटने के लिए है, जिसके लिए आरपीएफ ने ट्रेनों में महिला के साथ छेड़छाड़ करने वाले दोषी को तीन साल की सजा का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा गया है। अभी तक आईपीसी के तहत इन मामलों में अधिकतम सजा एक साल है। आरपीएफ के एक अधिकारी का कहना है कि यदि आरपीएफ के प्रस्तावों को रेलवे अधिनियम के संशोधित प्रावधानों में शामिल किया जाता है तो ट्रेन में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करने वाले को तीन साल की सजा मिल सकती है और महिला आरक्षित कोच में सफर करने वाले को दो गुना जुर्माना अदा करना पड़ सकता है, जो फिलहाल 500 रुपये तक है। वहीं रेलवे बोर्ड को रेलवे अधिनियम संशोधन में नए प्रावधानों की मांग करते हुए आरपीएफ ने ई-टिकट में धोखाधड़ी करने वाले दोषियों के लिए भी तीन साल की जेल का प्रावधान करने और अधिकतम जुर्माना लागू करने का प्रस्ताव दिया है। रेलवे से जुड़े ऐसे आपराधिक मामलों को आरपीएफ और सतर्कता विभाग को निपटान करने का अधिकार लागू करने की भी मांग की गई है। यदि आरपीएफ के प्रस्ताव स्वीकार कर लिये जाते हैं तो ट्रेनों में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के मद्देनजर आरपीएफ को राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की मदद की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी।
24Sep-2018

इस तकनीक से दुरस्त होगी यातायात व्यवस्था!



पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जल्द लागू होगी तकनीकी प्रणाली
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में सड़क सुरक्षा की प्राथमिकता के साथ सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में यातायात जाम जैसी समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ चुनिंदा शहरों में इंटैलिजेंट ट्रांस्पोर्ट सिस्टम यानि आईटीएस लागू करने की तैयारी में है। इस प्रणाली से विदेशी तकनीक की तर्ज पर वाहनों की संख्या और पैदल यात्रियों की संख्या के मुताबिक ट्रैफिक लाइटें स्वत: ही व्यवस्थित हो जाएंगी।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ब्रिटेन व अमेरिका समेत कई देशों के भ्रमण के दौरान वहां की यातायात व्यवस्था का आकलन करने के बाद उसी तर्ज पर ऐसी यातायात व्यवस्था को भारत में लागू करने की योजना लागू करने का प्रयास कर रहे हैं। इस प्रणाली यानि आईटीएस लागू होने पर सार्वजनिक वाहनों की जीपीएस सिस्टम काम करने की स्थिति में न होने के बावजूद यातायात पुलिस खुद ही अलर्ट हो जाएगी। यातायात व्यवस्था को दुरस्त करने के अलावा सरकार का इस प्रणाली को लागू करने का मकसद सड़क सुरक्षा और वायु प्रदूषण की चुनौती से निपटना भी है। केंद्र सरकार देश में हो रहे सर्वाधिक सड़क हादसों पर अंकुश लगाने और यातायात व्यवस्था को सुधारने की दिशा में एक के बाद एक तकनीकी उपाय करने में जुटी हुई है, जिसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय के जरिए इंटैलिजेंट ट्रांसपोटेशन सिस्टम, ट्रैकिंग डिवाइस समेत अन्य उत्पाद तथा समाधान विकसित कराए जा रहे हैं। मंत्रालय के अनुसार परिवहन क्षेत्र में पैदल यात्रियों लिए भी सिग्नल कंट्रोलर, आपात सेवा वाहन प्राथमिकता तंत्र, यातायात निगरानी, प्रबंधन सॉफ्टवेयर जैसी तकनीक विकसित की जा रही है, ताकि इन तकनीकी तंत्र के जरिए सड़क सुरक्षा, यातायात व्यवस्था के दुरस्त होने के साथ वाहनों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन, जाम और सड़क दुर्घटना में कमी लायी जा सके। सरकार आईटीएस प्रणाली को जल्द ही देश के कुछ बड़े शहरों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू करेगी, जिसके बाद इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। 
ऐसे काम करेगी आईटीएस
मंत्रालय के अनुसार मंत्रालय ने यातायात व्यवस्था सुधारने की दिशा में विकसित की जा रही आईटीएस प्रणाली प्रदूषण से बचाव और लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर वरदान साबित हो सकती है। यह अहम होगा। इस प्रणाली से सार्वजनिक वाहनों की निगरानी भी की जा सकेगी। यह प्रणाली के लागू होने के बाद प्रमुख चौराहों पर यातायात पुलिस को भी यातायात लाइटों के समय बढ़ाने या घटाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वहीं लाल बत्ती का उल्लंघन करके भागने वाले वाहन का नंबर व मॉडल ऑटोमैटिक ट्रैक होने के आधार पर अगले यातायात पुलिस की पकड़ में आ जाएगा, जिसकी जानकारी अगले पड़ाव पर यातायात पुलिस को स्वत: ही मिल जाएगी। इस प्रणाली के जरिए वाहन चालकों को चलती गाड़ी में मोबाइल का प्रयोग करना भी महंगा पड़ने वाला है, जिसका पता भी आईटीएस के तहत लगेगा। मंत्रालय के मुताबिक मौजूदा व्यवस्था में वाहनों के लिए हरी बत्ती होने पर रास्ता पार करने वाले पैदल यात्रियों के लिए भी आईटीएस लागू होने से पैदल यातायात नियंत्रित होगा। यही नहीं आईटीएस पार्किंग में वाहनों की सुरक्षा के मद्देनजर निगरानी और सही तरीके से खड़ा करने की व्यवस्था को दुरस्त करने में कारगर साबित होगी।
23Sep-2018

यौन अपराधियों का ऑनलाइन राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार



महिला सुरक्षा की दिशा में राजनाथ ने लांच किये दो पोर्टल
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर केंद्र सरकार ने अन्य देशों की तर्ज पर यौन अपराधियों का राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन डाटाबेस तैयार किया है, जिसके लिए तीन श्रेणियों में अपराधियों को विभाजित किया गया है। महिलाओं और बच्चों के यौन शोषण के खिलाफ ऐसा डाटाबेस तैयार करके भारत उन देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जहां ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए इस प्रकार की व्यवस्था लागू है।  
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को यहां नई दिल्ली में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में देश में पहली बार तैयार किये गये यौन अपराधियों के राष्ट्रीय डेटाबेस 'नेशनल डाटाबेस ऑफ सेक्सुअल ऑफेंडर्स' (एनडीएसओ) का अनावरण किया, जो केवल कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए सुलभ है, यौन अपराधों के मामलों को प्रभावी ढंग से ट्रैक करने और जांचने में सहायता करेगा। । भारत ऐसा करने वाला दुनिया का नौवां देश बन गया है, जहां ऐसी व्यवस्था लागू होती है। इसके अलावा गृहमंत्री ने पोर्टल cybercrime.gov.in’ को भी लांच किया। इस पोर्टल को बाल अश्लीलता, बाल यौन दुर्व्यवहार सामग्री, यौन रूप से स्पष्ट सामग्री जैसे बलात्कार और गिरोह बलात्कार से संबंधित आपत्तिजनक ऑनलाइन सामग्री पर नागरिकों से शिकायतें प्राप्त होंगी। वहीं महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध निवारण (सीसीपीडब्ल्यूसी) पोर्टल सुविधाजनक और उपयोगकर्ता के अनुकूल है जो शिकायतकर्ताओं को उनकी पहचान का खुलासा किए बिना रिपोर्टिंग मामलों में सक्षम बनाएगा। इसके अलावा नागरिक समाज संगठनों और जिम्मेदार नागरिकों को बाल अश्लीलता, बाल यौन दुर्व्यवहार सामग्री या यौन रूप से स्पष्ट सामग्री जैसे बलात्कार और गिरोह बलात्कार से संबंधित शिकायतों की रिपोर्ट करने में भी मदद करेगा।
डाटाबेस की क्या होगी व्यवस्था
गृहमंत्रालय के अनुसार वर्तमान में तैयार डेटाबेस में 4.4 लाख प्रविष्टियां हैं। राज्य पुलिस से अनुरोध किया गया है कि 2005 से नियमित रूप से डेटाबेस अपडेट करें। डेटाबेस में प्रत्येक प्रविष्टि के लिए नाम, पता, फोटो और फिंगरप्रिंट विवरण शामिल हैं। हालांकि, डेटाबेस किसी भी व्यक्ति की गोपनीयता से समझौता नहीं करेगा। इस राष्ट्रीय डाटाबेस में ऐसे अपराधियों का फोटो, पता, डीएनए, आधार कार्ड, फिंगर प्रिंट और पैन कार्ड से जुड़ी जानकारी फीड की जाएगी। यह रिकॉर्ड देश भर की जेलों से जुटाया गया है। गृह मंत्रालय के अंतर्गत नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) इस डाटाबेस को तैयार कर रहा है। एनसीआरबी ही यह डाटा विभिन्न जांच एजेंसियों को मुहैया कराएगा। मंत्रालय के अनुसार इस डाटाबेस में अपराधियों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जिसमें एक श्रेणी में ऐसे अपराधियों के आंकड़े होंगे जिन्होंने पहली बार इस प्रकार का अपराध किया है, इसमें इस डाटा को 15 साल तक रखा जाएगा। जबकि दूसरी श्रेणी में शामिल अपराधियों का डाटा 25 साल तक संरक्षित होगा और तीसरी श्रेणी में बार-बार ऐसा अपराध करने वालों के डाटा को आजीवन रखा जाएगा।
चुनौतियों से निपटे राज्य: राजनाथ
इस मौके पर एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए राज्यों के अधिकारियों को संबोधित करते हुए राजनाथ ने कहा कि लॉन्च किए गए दोनों पोर्टल महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा की दिशा में सरकार द्वारा उठाए जा रहे ठोस कदम और प्रयासों का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि पीड़ितों को तेजी से न्याय सुनिश्चित करने के लिए जमीन स्तर पर पुलिस स्तर पर चुनौतियों को पार करना होगा। उन्होंने उनसे दो पोर्टलों की पूरी तरह से उपयोग करने और डेटाबेस को नियमित रूप से अधिक प्रभावशीलता के लिए अद्यतन करने का आग्रह किया। राजनाथ सिंह ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच के लिए कुछ राज्यों द्वारा पेश किए गए उपायों की सराहना की और उनसे दूसरों द्वारा गोद लेने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने का आग्रह किया। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध की जांच करने के अलावा अपराधियों के खिलाफ कठोर दंड के प्रावधान और जांच में सुधार के लिए आधुनिक फोरेंसिक सुविधाओं का भी विस्तार किया है।
21Sep-2018