भारतीय
जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों की भरमार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भले
ही केंद्र सरकार देश की जेलों की क्षमता को बढ़ाने की दिशा में आधुनिकीकरण की
योजनाओं पर काम कर रही हो, लेकिन अदालतों में लंबित मामलों के लगते अंबार के कारण
जेलों में क्षमता से कहीं अधिक कैदियों की संख्या बढ़ रही है, जिसमें मानसिक रूप
से बीमार कैदियों की रिहाई के बजाए उनकी संख्या में भी इजाफा हो रहा है।
गृह
मंत्रालय के ताजा आंकड़ों में दिसंबर 2016 तक की स्थिति ही स्पष्ट की गई है, जिसके
मुताबिक देश की 20 महिला जेलों समेत कुल 1412 जेलों में 380876 की क्षमता के
विपरीत कैदियों की संख्या 433003 है जो क्षमता से 113.70 फीसदी ज्यादा है। इनमें
18498 महिला कैदी भी शामिल हैं। देशभर की जेलों में बंद कैदियों की भीड़ में 6013
कैदी मानसिक रूप से बीमार है, जिनमें एचआईवी पोजिटिव और तपेदिक से ग्रस्त कैदी भी
शामिल है। मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि भारतीय जेलों में कैदियों की
संख्या इससे भी अधिक हो सकती है जिसमें मानसिक रूप से बीमार कैदियों में भी इजाफा
हो रहा है। इसका कारण जेलों के सुधार की योजनाओं में राज्य सरकारों द्वारा अपेक्षाकृत
कार्य न होना है तो वहीं अदालतों में लगे लंबित मामलों के ढेर के कारण निर्णय न
होने के कारण भी कैदियों की रिहाई में सालों तक का विलंब हो रहा है। गौरतलब है कि
देश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों की भरमार को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी पिछले
दिनों टिप्पणी करके केंद्र सरकार और राज्यों सरकारों को कैदियों के मानवाधिकारों
की रक्षा पर सवाल करते हुए दलील दे चुका है।
जेल सुधार राज्य का विषय
मंत्रालय
के अनुसार कारागार राज्य का विषय है, जिसमें कैदियों की क्षमता बढ़ाने और मानसिक
रूप से बीमार और महिला कैदियों की मूलभूत सुविधाओं के लिए राज्य सरकारों की
जिम्मेदारी है। गृह मंत्रालय केवल जेल सुधार और कैदियों की सुविधाओं के लिए
परामर्श जारी करता है। मंत्रालय ने आदर्श कारागार मैनुअल 2016 तैयार किया करके सभी
राज्यों में परिचालित किया है। इसके तहत केंद्र सरकार द्वारा जेलों के सुधार के अलावा
अदालतों में लंबित मामलों के निपटारे की दिशा में फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना और
जल्द न्याय मुहैया कराने के मकसद से कानूनी सुधार हेतु राष्ट्रीय मिशन भी शुरू किया
गया है, जिसके लिए केंद्र राज्यों से आने वाले प्रस्तावों के तहत राज्यों को
धनराशि भी मुहैया करा रहा है।
मध्य प्रदेश तीसरे पायदान पर
गृहमंत्रालय
के अनुसार देश की जेलों में बंद 6013 मानसिक कैदियों में 138 महिला कैदी भी हैं।
सर्वाधिक 835 ओडिशा में हैं,जिनमें 33 महिला शामिल हैं। मानसिक रूप से बीमार 757
कैदियों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे पायदान पर है। तीसरे स्थान पर मध्य प्रदेश में
24 महिलाओं समेत 546 कैदी विभिन्न बीमारियों के साथ मानसिक रूप से बीमार हैं।
पश्चिम बंगाल की जेलों में 461 मानसिक रूप से बीमार हैं। राजस्थान में मानसिक रूप
से बीमार कैदियों की संख्या 457 हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में 29 महिलाओं समेत
मानसिक रूप से बीमार कैदियों की संख्या 270 है, जबकि हरियाणा में यह संख्या 111 है
जिनमें पांच महिलाएं शामिल हैं। मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, दादरा एवं नगर हवेली
तथा दमनद्वीप ऐसे राज्य हैं जहां कैदियों को किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं है।
05Sep-2018
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