शनिवार, 1 सितंबर 2018

सर्वाधिक सांसद निधि खर्चने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़!

केवल आठ राज्यों में हुआ एमपीलैड का शतप्रतिशत इस्तेमाल
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में अपने संसदीय क्षेत्र के विकास और बुनियादी सुविधाओं के लिए प्रत्येक सांसद को सांसद स्‍थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत हर साल पांच करोड़ रुपये की धनराशि दी जाती है, लेकिन शायद देश और क्षेत्र के विकास की दुहाई देने वाले सांसद सांसद निधि की धनराशि करने के प्रति गंभीर नहीं है। मसलन देश में छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र समेत आठ राज्यों ने सांसद निधि का शतप्रतिशत या उससे ज्यादा इस्तेमाल किया है, जिसमें लक्षद्वीप सबसे अव्वल रहा।
देश इस साल सांसद स्‍थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड) की रजत जयंती मनाने की तैयारी में है, लेकिन 1993 में शुरू हुई इस योजना के 25 सालों के आंकड़ों पर गौर की जाए तो एमपीलैड कार्यक्रम के शुरू होने के बाद जुलाई 2018 तक योजना के तहत अब तक 47,922.75 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई, जिसमें से 45604.94 करोड रूपये यानि करीब 95 फीसदी का इस्‍तेमाल हुआ। यदि 16वीं लोकसभा के अप्रैल 2014 से जुलाई 2018 तक एमपीलैड के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाए तो मंत्रालय के आंकड़े इस बात का गवाही दे रहे हैं कि इस दौरान लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों द्वारा अपने संसदीय क्षेत्रों और राज्यों में 4,67,144 कामों की सिफारिश की, जिसमें सरकार ने 4,11,612 कामों को मंजूरी दी। इन कामों से गत 31 जुलाई 2018 तक 3,84,260 काम पूरे होने की पुष्टि हुई।
इन आठ राज्यों में सर्वाधिक इस्तेमाल
देश के 37 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में केवल आठ राज्य ही ऐसे हैं जिन्होंने इन 25 साल में सांसद निधि का 100 फीसदी या उससे ज्यादा इस्तेमाल किया गया है। इनमें छत्तीसगढ़ ने 100.05 फीसदी, केरल ने 102.51 फीसदी, लक्षद्वीप ने 106.61 फीसदी, अंडमान निकोबार ने 105.84 फीसदी, चंडीगढ़ ने 101.39 फीसदी, दिल्ली ने 102 फीसदी, पुडुचेरी ने 102.97 फीसदी तथा तेलंगाना ने 101.16 फीसदी सांसद निधि का इस्तेमाल किया है।  
छग में हुआ विकास
छत्तीसगढ़ के लोकसभा व राज्यसभा सांसदों को राज्य के गठन से अब तक स्वीकृत 1052.75 करोड़ रुपये की सांसद निधि में से 1116.71 करोड़ रुपये की धनराशि जारी हुई, जो ब्याज के साथ 1329.02 करोड़ रुपये होती है। इसमें से राज्य में 1053.32 करोड़ की धनराशि का विकास पर खर्च किया यानि स्वीकृत राशि के सापेक्ष 100.05 फीसदी सांसद निधि का इस्तेमाल हुआ है। इस प्रकार कुल राशि में से राज्य में अभी भी 63.39 करोड़ की राशि खर्च करने को बाकी है। जहां तक अप्रैल 2014 से जुलाई 2018 तक की अवधि का सवाल है उसमें दोनों सदनों के सांसदों को 559.70 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि के सापेक्ष 600.53 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई, जिसमें से 539.44 करोड़ रुपये का इस्तेमाल हुआ और अब खर्च के लिए 61.09 करोड़ रुपये की धनराशि बाकी बची हुई है।
मोती लाल वोरा ने किया खूब इस्तेमाल
छत्तीसगढ़ राज्य ने विकास के लिए सांसद निधि का जमकर इस्तेमाल किया, जिसमें सर्वाधिक राज्यसभा सांसद मोतीलाल वोरा ने 102 फीसदी सांसद निधि को राज्य के विकास के लिए खर्च किया। इस योजना के तहत अब तक मोतीलाल वोरा को 58 करोड़ रुपये सांसद निधि के रूप में स्वीकृत हुए, जिनमें से जारी 53 करोड़ रुपये ब्याज दर के साथ बढ़कर 55.96 करोड़ रुपये हुए, जिनमें से 54.14 करोड़ रुपये का मोतीलाल वोरा इस्तेमाल कर चुके हैं। मौजूदा राज्यसभा सांसदों में रणविजय जूदेव ने 89.76 फीसदी, छाया वर्मा ने 79.72 फीसदी और राम विचार नेताम ने 70.68 फीसदी सांसद निधि का इस्तेमाल किया है। जबकि नवनिर्वाचित सांसद सरोज पांडे को स्वीकृत 5 करोड़ में से 2.50 करोड़ रुपये की राशि हाल ही में जारी हुई है, जिसका इस्तेमाल होना बाकी है। 
01Sep-2018

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें