रविवार, 31 मई 2020

संसद भवन परिसर में मिले दो संक्रमितों के बाद चला व्यापक स्वच्छता अभियान

संसद भवन तक पहुंची कोरोना वायरस की आंच
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
संसद भवन तक पहुंची कोरोना वायरस की आंच के बाद एक बार फिर से संसद भवन परिसर में व्यापक स्तर पर साफ सफाई का अभियान तेजी के साथ शुरु किया गया।
लोकसभा सचिवालय के प्रवक्ता ने शनिवार को बताया कि केंद्रीय लोक निर्माण विभाग,नई दिल्ली नगर पालिका परिषद और अन्य एजेंसियों ने आज संसद भवन परिसर में स्थित सभी इमारतों में बड़े पैमाने पर स्वच्छता अभियान चलाया। इस वृहत अभियान में निजी कार्यालयों, शौचालयों और सभी सार्वजनिक क्षेत्रों सहित अंदर और बाहर सभी जगह साफ-सफाई की गई।
स्मरण रहे कि इससे पहले लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए संसद भवन परिसर में लोक सभा सचिवालय द्वारा की गई तैयारियों का निरीक्षण किया था जिसके बाद 21 मार्च को भी ऐसा ही अभियान चलाया गया। उस अवसर पर उन्होने कहा था कि कोविड-19 की रोकथाम के लिए जागरूकता और संयम बहुत जरूरी है । इसके बाद समय-समय पर अनेक बार साफ-सफाई की गई। शनिवार को चलाए गए अभियान में संसद में कार्यरत केलोनिवि, नदिनपा और अन्य सम्बद्ध एजेंसियों ने संसद भवन परिसर में और इसके आस-पास स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपकरणों और सोडियम हाइड्रोक्लोराइड जैसे कीटाणुनाशकों का इस्तेमाल किया गया। संसद भवन परिसर में एहतियाती कदम के रूप में और यहाँ कार्यरत अधिकारियों के रोगाणुओं के संपर्क में आने की संभावना को कम करने के लिए स्वच्छता अभियान सप्ताहांत चलाया गया। गौरतलब है कि संसद भवन परिसर के कार्यालयों में कार्य करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों में दो दिन पहले ही राज्यसभा सचिवालय के एक निदेशक स्तर के अधिकारी पत्नी व बच्चे समेत कोरोना संक्रमित पाया गया। इनके अलावा एक अन्य कर्मचारी के संक्रमित पाए जाने के कारण उनके साथ काम करने वाले दर्जनभर अधिकारी व कर्मचारी पृथकवास में स्वास्थ्य निगरानी में है।
31May-2020

छत्तीसगढ़ में ‘जल जीवन मिशन’ के लिए 445 करोड़ रुपये की मंजूरी



केंद्र को राज्य ने सौंपी 2020-21 की वार्षिक कार्य योजना

राज्य के 20 लाख घरों में नल कनेक्शन देने की योजना
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
केद्र सरकार के देश में प्रत्येक ग्रामीण घरों में नियमित और दीर्घकालिक आधार पर निर्धारित गुणवत्ता का पेय जल मुहैया कराने की दिशा में शुरु किए गए जल जीवन मिशनके तहत छत्‍तीसगढ़ को वर्ष 2020-21 में इसके कार्यान्वयन के लिए 445 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है। वर्ष 2024 तक हर घर को नल का पानी मुहैया कराने के मकसद से केंद्र सरकार की देशभर में जल जीवन मिशन की इस योजना के कार्यान्वयन हेतु 3.60 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य ने 2020-21 के लिए अपनी वार्षिक कार्य योजना जल शक्ति मंत्रालय के विचार और अनुमोदन के लिए प्रस्तुत की है। देश के प्रत्येक ग्रामीण घर में नियमित और दीर्घकालिक आधार पर निर्धारित गुणवत्ता का पेय जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराने के लिए जल शक्ति मंत्रालय के तहत शुरू किए गए जल जीवन मिशनका लक्ष्य 2024 तक पूरा करने का है। जीवन में परिवर्तन लाने वाले इस मिशन के तहत छत्तीसगढ़ राज्य ने 2023-24 तक 100 प्रतिशत फंक्‍शनल टैप वॉटर कनेक्शन (एफएचटीसी) की योजना बनाई है। राज्य के 45 लाख घरों में से 20 लाख घरों में नल कनेक्शन देने की योजना है। घरों के सम्‍पूर्ण कवरेज की योजना बनाते समय पानी के अभाव वाले क्षेत्रों, गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों, अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति के प्रभुत्‍व वाली बस्तियों,गांवों,महत्‍वाकांक्षी जिलों, सांसद आदर्श ग्रामीण योजना गांवों को प्राथमिकता दी जा रही है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2020-21 में छत्तीसगढ राज्य में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए 445 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है।
जल गुणवत्ता की निगरानी पर जोर
मंत्रालय के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य जल गुणवत्ता निगरानी और निरीक्षण पर जोर दे रहा है। छत्तीसगढ़ कई वर्षों से तेजी से घटते भूजल और पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड, आयरन आदि के रासायनिक संदूषण की समस्‍या से जूझ रहा है। इसलिए स्थिति का संज्ञान लेते हुए राज्य को इन बस्तियों में पीने योग्य पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने की सलाह दी गई। जल जीवन मिशन के तहत, समुदाय को शामिल करने के साथ-साथ अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से जल की गुणवत्ता पर नजर रखने पर जोर दिया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध कराए जा रहे पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए स्कूल और कॉलेज के छात्रों को फील्ड टेस्ट किट का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
समितियों का गठन
राज्य में ग्राम स्तर पर नियोजन के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में जीपी या उनकी उप-समिति यानी ग्राम जल और स्वच्छता समितियों का गठन किया गया है। गांवों के लिए ग्राम कार्य योजनाएं चलाई गई हैं, जिसके आधार पर कार्य योजना को अंतिम रूप दिया गया है। राज्य जल स्रोतों को मजबूत बनाने, जलभृत पुनर्भरण, अपशिष्‍ट जल प्रबंधन इत्यादि से संबंधित कार्य करने के लिए महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, 15वें वित्त आयोग के अनुदान से लेकर  ग्रामीण स्थानीय निकायों, एसबीएम आदि जैसे विभिन्न स्रोतों से धन जुटाना सुनिश्चित कर रहा है।
प्राथमिकता के आधार पर कनेक्शन
मंत्रालय के अनुसार मौजूदा कोरोना महामारी के दौरान सरकार का प्रयास है कि ग्रामीण घरों में प्राथमिकता के आधार पर नल कनेक्शन प्रदान किए जाएं, ताकि ग्रामीण लोगों को सार्वजनिक स्टैंड-पोस्टों से पानी लाने और लंबी कतार में खड़े होने की तकलीफे न उठानी पड़ें।  सरकार की मंशा है कि समाज के गरीब और हाशिए पर मौजूद लोगों को उनके घर के अंदर नल कनेक्शन के जरिए पानी मिले और वे स्टैंड-पोस्ट पर जाने से बचें और सामाजिक दूरी सुनिश्चित हो सके, जिससे ग्रामीण समुदायों को संक्रमित होने से बचाया जा सके।
प्रवासियों को मदद जरुरी
इस समय भीषण गर्मी पड़ रही है और मॉनसून निकट है तथा देश कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है, ऐसे में अपने पैतृक गांवों में लौटे प्रवासी कामगारों के लिए आजीविका उपलब्‍ध कराना और भी जरूरी हो गया है। ये प्रवासी कामगार मूल रूप से कुशल और अर्ध-कुशल हैं, उन्‍हें प्रत्‍येक गांव में जलापूर्ति, विशेष रूप से प्लंबिंग, फिटिंग, जल संरक्षण कार्य आदि से संबंधित रोजगार उपलब्‍ध करवाकर गांवों में उनकी सेवाओं का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है, ताकि गांवों में पर्याप्त मात्रा में भूजल उपलब्धता सुनिश्चित हो सके, जिससे जल सुरक्षा, कृषि के लिए पानी की उपलब्धता और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रत्‍येक ग्रामीण घर को पीने के पानी की आपूर्ति करने में मदद मिलेगी।
31May-2020

राग दरबार: एक अनार सौ बीमार\राहुल की मजबूरी!

सियासत का मुद्दा
देश में केंद्र सरकार द्वारा लॉकडाउन में फंसे प्रवासियों खासकर श्रमिकों को उनकी घर वापसी कराने की मुहिम शायद किसी भी विपक्षी दलों को रास नहीं आ रही है। मसलन विपक्षी दलों की सियासत का मुद्दा बने श्रमिकों को लेकर हरेक कांग्रेस ही नहीं बल्कि ज्यादातर विपक्षी दल मजदूरों को मजबून बनाने का प्रयास कर रहे हैं, जिसमें पहले उनके रेल किराए पर सवाल उठाए गये, फिर कांग्रेस ने बसों की सियासत शुरू कर दी। यही नहीं मजदूरों के इस मुद्दे को कई विपक्षी दल लपकने का प्रयास कर रहे हैं, जिसमें बसपा की मायावती ने श्रमिक ट्रेनों में अपने घर जाने वालें मजदूरों को पीडित करार देते हुए उस केंद्र सरकार पर श्रमिकों की उपेक्षा और तिरस्कार करने का आरोप लगाने से नहीं चूकी, जो इन परेशान प्रवासियों को उनके घर तक पहुंचाने के इंतजाम कर रहा है। कांग्रेस ने तो मजदूरों को अपनी सियासत का ऐसा मुद्दा बनाया जिसे वह अदालत तक ले गई, जिसने संज्ञान लेते हुए राज्य सरकारों को उनके लिए सुविधाएं जुटाने के आदेश दिये। सियासी गलियारों में हो रही चर्चा को माने तो कांग्रेस, बसपा व सपा खासतौर से मजदूरों की आड़ में उनकी हितैषी बनकर उत्तर प्रदेश की सियासी जमीन तलाशने का प्रयास कर रही हैं। बसपा मायावती के ताजा आरेप पर सोशल मीडिया में जिस प्रकार की टिप्पणियां सामने आ रही हैं, उसमें यहां तक कहा गया कि बहन जी मजदूरों की सियासत में पिछड गई, क्योंकि 90 फीसदी मजदूरों की घर वापसी हो चुकी है जब अदालत का फैसला आया, ऐसे में मजदूरों की मदद व सुविधाओं के लिए उनकी पार्टी आगे क्यों नहीं आ रही है, शायद ऐसे दलों के लिए मजदूर दलित राजनीति के लिए होते हैं मदद के लिए नहीं? कोरोना महामारी के बीच मजदूरों की सियासत को लेकर यह कहावत राजनीतिक दलों पर सटीक बैठ रही है कि एक अनार सौ बीमार..!
राहुल की मजबूरी!
देश की सियासत में वोट बैंक की वापसी के लिए जिस प्रकार कांग्रेस कोरोना संकट के बीच भी केंद्र सरकार को घेरने का प्रयास कर रही है उसमें कांग्रेस युवराज यानि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ऐसे बयान भी देते नजर आ रहे हैं, जिनके लिए उन्हें सफाई पेश करनी पड़ती है। ऐसा ही एक मौका उस समय आया, जब हाल ही में उन्होंने ने एक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रेस वार्ता के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि महाराष्ट्र में कांग्रेस न तो सरकार चला रही है और न ही नीतिगत फैसले कर रही है, बल्कि ठाकरे सरकार को समर्थन दे रही है। राहुल के इस बयान के बाद जिस प्रकार से सियासी हलचल तेज होना शुरू हुई और इस बयान के कई रूपों राजनीतिक व्याख्या होने लगी तो अपनी किरकिरी होते देख राहुल ने जिस प्रकार सफाई दी अपने बयान को तोडमरोड कर पेश करने के लिए उसका ठींकरा मीडिया पर ही फोड़ने का प्रयास किया। जबकि यह बयान वीडियो रिकार्डिंग में रिकार्ड पर है। बहरहाल राहुल को बाद में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को फोन के जरिए यह भरोसा दिलाना पड़ा कि कांग्रेस का उनकी सरकार को मजबूती देने के लिए समर्थन जारी रहेगा। जबकि कांग्रेस के नेताओं ने माना है कि राहुल जान बूझकर ऐसा बयान महाराष्ट्र सरकार और दिल्ली में बैठे कांग्रेस नेताओं के बीच मध्यस्थ बने लोगों को संदेश देने के मकसद से दिया है। कांग्रेस युवराज के लिए ऐसा पहली बार नहीं हुआ, जिसमें वे अपने बुने जाल में न फंसे हों। राजनीतिकारों की माने तो ऐसे बयान देना उनकी सियासी मजबूरी है।
31May-2020

कोई भी ट्रेन नहीं भटकी रास्ता, कुछ को डायवर्ट किया गया: रेलवे बोर्ड

30May-2020

रेलवे के आरक्षण नियम में बदलाव, तत्काल बुकिंग सेवा बहाल

30May-2020

रेलवे ने प्रवासी श्रमिको को वितरित किया 85 लाख से अधिक मुफ्त भोजन

29May-2020

अब महाराष्ट्र की सड़कों का तेजी से होगा सुधार

29May-2020

श्रमिकों का कल्याण करेगा केन्द्र सरकार का ट्विटर हैंडल

29May-2020

बरसात से पहले दुरुस्त होंगे देश के नेशनल हाईवे

28May-2020

पिछले 26 दिनों में 48 लाख से ज्यादा प्रवासियों की घर वापसी

28May-2020

लॉकडाउन 5.0 पर सरकार ने अभी नहीं लिया कोई निर्णय

28May-2020

केंद्र की चारधाम परियोजना की पहली सीढ़ी पार



गडकरी ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए किया चंबा सुरंग का उद्घाटन
लक्ष्य से तीन माह पहले अक्टूबर में आवागमन के लिए खुलेगी
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
केंद्र सरकार की बहुयामी चारधाम सड़क परियोजना के तहत उत्तराखंड में चंबा शहर के नीचे वाहनों की रवानगी के लिए 440 मीटर लंबी सुरंग को आवागमन के लिए आगामी अक्टूबर तक खोल दिया जाएगा। बीआरओ द्वारा तैयार की जा रही इस सुरंग को मंगलवार को केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने उद्घाटन किया है, जिसके जरिए चारधाम का सफर आसान हो जाएगा।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चारधाम परियोजना के तहत ऋषिकेश-धरासू राजमार्ग (एनएच 94) पर व्यस्तम चंबा शहर के नीचे 440 मीटर लंबी इस सुरंग का उद्घाटन किया। इस सुरंग के निर्माण का कार्य सीमा सड़क संगठन यानि बीआरओ को सौंपा गया था, जिसने निर्धारित समय से इस परियोजना को पूरा करके अक्टूबर 2020 तक इसे आवागामन के लिए खोलने का रास्ता तय किया है। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने समय से पहले परियोजना के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीआरओ की सराहना भी की है। गडकरी ने कहा कि कोरोना संकट के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच सुरंग खोदने और उसके निर्माण का कार्य पूरा करना इतना आसान नहीं था, जिसे बीआरओ ने अंजाम दिया है। दरअसल सुरंग का निर्माण कार्य कमजोर मिट्टी, पानी के निरंतर रिसने, शीर्ष पर भारी निर्मित क्षेत्र रहने के कारण मकानों के ढहने की आशंका, भूमि अधिग्रहण के मुद्दों के अलावा लॉकडाउन के दौरान लगाए गए विभिन्‍न तरह के प्रतिबंधों जैसी परिस्थितियों के मद्देनजर बेहद चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने कहा कि चारधाम परियोजना के इस हिस्से के तहत 88 करोड़ रुपये की लागत से छह किलोमीटर सड़क और 440 मीटर लंबी सुरंग बनाई जा रही है
समय और धन की होगी बचत
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उत्तराखंड में इस ऋषिकेश-धरासू-गंगोत्री मार्ग की सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक दृष्टि से अत्‍यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। क्योंकि अब इस सुरंग के खुलने पर चंबा शहर के रास्‍ते में भीड़-भाड़ कम हो जाएगी एवं एक किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी। मसलन जहां इस शहर से होकर गुजरने में पहले के तीस मिनट लगते थे, वहां अब केवल दस मिनट का ही समय लगेगा। उन्होंने बताया कि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की करीब 12 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली 889 किमी चारधाम परियोजना में से तीन हजार करोड़ की लागत वाली 251 किमी लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग खंड के निर्माण का कार्य सीमा सड़क संगठन को सौंपा गया है। जिसमें 440 किमी लंबी चंबा सुरंग भी शामिल है। इस सुरंग की मदद से सभी मौसम में चारधाम यानि गंगोत्री, केदारनाथ, यमुनोत्री और बद्रीनाथ तक की यात्रा बेहद आसान हो जाएगी।
कैसा है सुरंग का डिजाइन
मंत्रालय के अनुसार सीमा सड़क संगठन को सौंपी गई जिन दस परियोजनाओं को मंजूरी दी गई हैं उनमें से 440 मीटर लंबी सुरंग का निर्माण व्यस्त चंबा शहर में भीड़-भाड़ को कम करने के लिए हो रहा है। इस सुरंग का डिजाइन घोड़े की नाल जैसा है, जिसमें 10 मीटर चौड़ा कैरेजवे (गाड़ी का रास्‍ता) और 5.5 मीटर की ऊर्ध्वाधर निकासी (क्‍लीयरेंस) है। इस सुरंग की स्वीकृत लागत 107.07 करोड़ रुपये है। ठेके पर दी गई लागत 86 करोड़ रुपये है, जिसमें सुरंग के लिए 43 करोड़ रुपये और सुरंग तक जाने वाले 4.2 किलोमीटर लंबे पहुंच-मार्गों के लिए 43 करोड़ रुपये शामिल हैं।
ऑस्ट्रियाई तकनीक का इस्तेमाल  
चारधाम परियोजना के पहले कदम को अंजाम देने वाले सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने इस मौके पर कहा कि बीआरओ ने इस सुरंग के उत्तर पोर्टल पर काम जनवरी 2019 में ही शुरू कर दिया था, लेकिन सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं और मुआवजे के मुद्दे के कारण स्थानीय लोगों की ओर से किए गए व्‍यापक प्रतिरोध की वजह से दक्षिण पोर्टल पर काम अक्टूबर 2019 के बाद ही शुरू करना संभव हो पाया था। इस सुरंग के निर्माण में नवीनतम ऑस्ट्रियाई प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है। यह सुरंग पूर्ण होने की निर्धारित तिथि से लगभग तीन महीने पहले ही इस साल अक्टूबर तक यातायात के लिए खोल दी जाएगी।
27May-2020