रविवार, 10 मई 2020

राग दरबार: मजदूरों की सियासत


कांग्रेस की पारंपरिक रणनीति
दुनियाभर के देशमें जब कोरोना महामारी की चुनौती से निपटने में लगे हैं तो ऐसे में भारत जैसे लोकतांत्रिक  देश में सियासत का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। मसलन पूरे देश में लॉकडाउन के कारण देश में जगहजगह फंसे लाखों मजदूरों, छात्रों एवं अन्य लोगों के अपने अपने घर वापसी करने की ललक सामने आई तो कांग्रेस जैसे प्रमुख दलों ने कोरोना के खलाफ जंग में सहयोग देने के बहाने केंद्र सरकार पर उनके वापस घर जाने के इंतजाम करने को क मुद्दा बनाकर राजनीति शुरु कर दी। जब केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों का घर वापसी के लिए विशेष ट्रेनें चलाकर उन्हें घर वापस भेजना शुरु किया तो प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे भी अपनी राजनीति के लिए इस्तेमाल करते हुए सरकार पर मजबूर मजदूरों से रेल किराया वसूलने का आरोप लगाया, जिसके लिए रेलवे ने स्पष्ट किया कि मजदूरों से कोई किराया नहीं लिया जा रहा है बल्कि उन्हें खनपान जैसी कई सुविधाएं दी जा रही हैं, तो भी कांग्रेस का केंद्र सरकार पर हमला कने का सिलसिला नही थमा। सियासी गलियारों में हो रही चर्चाओं और सोशल मीडिया पर मजदूरों पर हो रही सियासत पर टिप्पणियों में कांग्रेस अपने ही बुने जाल में उस समय खुद फंसती नजर आई जब इस बात का खुलासा हुआ कि ट्रेनें में सफर करने के लिए कांग्रेस शासित राज्य ही किराए की वसूली कर रहें हैं। ऐसे में मजदूरो पर राजनीति कर रही कांग्रेस के उस दोहरे चरित्र का भंडाफोड होता नजर आया जिसमें एक तरफ कांग्रेस प्रमुख ने मजदूरों का किराया वहन करने का ऐलान किया और दूसरी और कांग्रेस शासित राज्य ही मजदूरों से किराए की वसूली करने के लिए सामने आए। राजनीतिकार की माने तो कोरोना संकट से लड़ने के बजाए सरकार से लड़ रही कांग्रेस जैसे प्रमुख दल खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसी कहावत चरितार्थ कर रहे है। कोरोना संकट में भी यही कांग्रेस की पारंपरिक रणनीति में ही शुमार है मजदूरों की सियासत...!
अर्थव्यवस्था का सवाल
देश में कोरोना संकट की वजह से लॉकडाउन के पहले चरण में किसी सरकारी और निजी कार्यालयों में कामकाज और अन्य सभी प्रकार की गतिविधियां लगभग ठप सी रही हैं, लेकिन दूसरे और तीसरे चरण के लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार के जारी दिशानिर्देशों में कर्मचारियों को कार्यालयों में लॉकडाउन के नियमों के पालन करते हुए कार्यालयों में कामकाज करने की अनुमति दी गई। सरकारी सूत्रों की माने तो पीएमओ ने लॉकडाउन के दौरान देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे विपरीत प्रभाव से निपटने और आर्थिक गतिविधियों को धीरे-धीरे शुरू करने जैसी रणनीतियों को आगे बढ़ाने के लिए सभी मंत्रालयों को दिशानिर्देश जारी किये हैं। यही कारण है कि मोदी सरकार के ज्यादातर मंत्रालयों में आर्थिक सुधार को जीवित रखने की दिशा में नीतियां तैयार हो रही है। मसलन हर दिन ऐसे मंत्रालयों के केंद्रीय मंत्री वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हितधारकों मसलन अर्थव्यवस्था में सुधार करने वाले कारक साबित होने वाले क्षेत्रों से जुडी संस्थाओं और लोगों से चर्चा कर रहे हैं, जिसके लिए एक तरह से केंद्रीय मंत्रियों की इस प्रकार की वेबिनार बैठकें करने की होड सी लगी हुई है। एक केंद्रीय मंत्री की माने तो केंद्र सरकार की प्राथमिकता है कि लॉकडाउन के कारण विपरीत दिशा की तरफ जाती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए देश के उद्योगपतियों, कारोबारियों, निर्माण क्षेत्र, तकनीकी क्षेत्र या अन्य सभी क्षेत्रों के प्रतिनिधियों से चर्चा करके सुझाव लेकर सरकार एक मेगा प्लान तैयार करेगी, जिसमें हरेक सेक्टर को उबरने के लिए मदद मिल सके।
10May-2020

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