शनिवार, 16 मई 2020

प्रवासी श्रमिकों के आवागमन में रेलवे का सहयोग करें राज्य


कैबिनेट सचिव ने की राज्यों के मुख्य सचिवों व स्वास्थ्य सचिवों से चर्चा
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश में कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ी जा रही जंग के बीच प्रवासी मजदूरों को लेकर तेज हो रही सियासत के बीच केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि वे केंद्र सरकार द्वारा प्रवासियों के घर वापसी के लिए किये जा रहे इंतजामों में रेलवे का सहयोग करें। वहीं केंद्र सरकार ने राज्यों से लॉकडाउन के उपायों का पालन करने और उसमें दी गई जरुरी और गैर-जरूरी क्षेत्रों की छूट में नियमों को पालन कराने पर बल दिया।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक रविवार सुबह कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों व स्वास्थ्य सचिवों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक की। इस बैठक में उन्होंने राज्यों में कोविड-19 के इंतजामों की समीक्षा करने की सलाह दी। बैठक की शुरुआत में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने कहा कि देश में जगह-जगह फंसे एक राज्य से अपने राज्य के लिए पलायन करने वाले श्रमिकों समेत तमाम प्रवासियों के लिए के लिए अब तक रेलवे ने 350 से भी ज्यादा श्रमिक विशेष ट्रेनें चलाकर 3.5 लाख से अधिक श्रमिकों को उनके गंतव्‍य स्‍थान तक पहुंचाया है। प्रवासी श्रमिकों को हो रही सियासत का जिक्र किये बिना उन्होंने इशारा जरुर किया। शायद इसी के मद्देनजर गौबा ने राज्यों की सरकारों से अनुरोध किया है कि ऐसे प्रवासियों के आवागमन को आसान बनाने के लिए वे रेलवे का सहयोग करें, ताकि अधिक से अधिक पलायन करने वाले श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए और भी श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा सकें। उन्होंने देश  में कोरोना संकट के कारण लॉकडाउन के बीच ऐसे मजबूर लोगों की मदद के लिए केंद्र सरकार इंतजाम कर रही है। इस बैठक में उन्होंने वंदे भारत मिशन के अंतर्गत विदेशों से भारतीयों की वापसी के लिए भी इसी तरह के सहयोग की अपेक्षा की है। बातचीत के दौरान लॉकडाउन के नियमों को आसान बनाने पर राज्यों के विचार और कंटेनमेंट जोन में रोकथाम को लेकर भी चर्चा की गई। राज्‍य के मुख्‍य सचिवों ने अपने-अपने राज्यों की स्थिति की जानकारी दी और कहा हांलाकि कोविड से सुरक्षा की आवश्यकता है, लेकिन साथ ही आर्थिक गतिविधियों में भी सुविचारित तरीके से तेजी लाना जरूरी है।
चिकित्साकर्मियों की सुरक्षा पर बल
कैबिनेट सचिव गौबा ने राज्यों के मुख्य सचिवों और स्वास्थ्य सचिवों के साथ कोरोना महामारी की समीक्षा करने के साथ इस बात पर भी जोर दिया है कि सभी राज्यों में डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स का आना-जाना बेरोकटोक होना चाहिए और कोरोना योद्धाओं की मदद करने और उन्‍हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए सभी कदम उठाए जाने के लिए एक सुनिश्चित तरीके से रणनीति को अपनाना चाहिए। राज्‍य के मुख्‍य सचिवों ने अपने-अपने राज्यों की स्थिति की जानकारी दी और कहा हांलाकि कोविड से सुरक्षा की आवश्यकता है, लेकिन साथ ही आर्थिक गतिविधियों में भी सुविचारित तरीके से तेजी लाना जरूरी है। गौबा ने लॉकडाउन के उपायों का पालन सुनिश्चित करने के साथ जरुरी और गैर जरूरी कई गतिविधियों में दी गई छूट में गृह मंत्रालय के जारी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन कराने को भी कहा है, ताकि देश में कोरोना महामारी से निपटने में मदद मिल सके।
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देशभर में अब तक रेलवे ने चलाई 366 ‘श्रमिक विशेष ट्रेने’
पौने चार लाख से जयादा प्रवासी अपने गंतव्य तक पहुंचे
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश में कोरोना संकट के कारण लॉकडाउन में जगह-जगह फंसे प्रवासी श्रमिकों, छात्रों, पर्यटकों व अन्य लोगों को उनके घर वापसी के लिए भारतीय रेलवे ने श्रम दिवस यानि एक मई को शुरू की ‘श्रमिक विशेष ट्रेनों’ के जरिए अब तक 3.75 लाख से भी ज्यादा प्रवासियों को उनके गंतव्य यानि उनके गृह राज्य तक पहुंचाया है, जिसके लिए 366 विशेष ट्रनों का संचालन किया गया।
रेल मंत्रालय ने रविवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय रेलवे देश भर में एक मई से अब तक यानि रविवार 10 मई तीन बजे तक 366 ‘श्रमिक स्पेशल ट्रेनोंका परिचालन किया है। गृह मंत्रालय के आदेश के बाद एक मई से देश में लॉकडाउन के कारण विभिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासी श्रमिकों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य व्यक्तियों की आवाजाही के लिए भारतीय रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों’ का संचालन करने का निर्णय लिया था। पहले ही दिन छह रेल मार्ग पर छह विशेष ट्रेनें चलाने के बाद अब तक चलाई गई 366 श्रमिक ट्रेनों में से 287 के जरिए प्रवासी अपने गंतव्य तक पहुंच चुके हैं, जबकि 79 विशेष ट्रेने रविवार को ही रेल पटरियों पर प्रवासियों को लेकर दौड़ रही है, जो विभिन्न राज्यों में तय रेलवे स्टेशनों पर पहुंच जाएंगी। रेलवे के अनुसार अब तक प्रवासियों को लेकर अपना सफर तय कर चुकी 287 श्रमिक विशेष ट्रेनों में आंध्र प्रदेश में एक, बिहार में 87 ट्रेनें, हिमाचल प्रदेश में 1 ट्रेन, झारखंड में 16 ट्रेनें, मध्य प्रदेश में 24 ट्रेनें, महाराष्ट्र में 3 ट्रेनें, ओडिशा में 20 ट्रेनें, राजस्थान में 4 ट्रेनें, तेलंगाना में 2 ट्रेनें, उत्तर प्रदेश में 127 ट्रेनें, पश्चिम बंगाल में 2 ट्रेनें जा चुकी हैं।  रेलवे ने बताया कि इन ट्रेनों ने तिरुचिरापल्ली, टिटलागढ़, बरौनी, खंडवा, जगन्नाथपुर, खुर्दा रोड, प्रयागराज, छपरा, बलिया, गया, पूर्णिया, सहरसा, वाराणसी, दरभंगा, गोरखपुर, लखनऊ, जौनपुर, हटिया, बस्ती, कटिहार, दानापुर, दानापुर, दानापुर जैसे शहरों में प्रवासियों की घर वापसी कराई है।
एक ट्रेन में 1200 तक यात्रियों को अनुमति
रेल मंत्रालय के अनुसार भारतीय रेलवे द्वारा चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में कोरोना वायरस महामारी के बचाव और सुरक्षा के उपायों का पालन करने के लिए सभी प्रक्रिया अपना रहा है। रेलवे के अनुसार ट्रेन के एक कोच की क्षमता 72 सीटों की है, लेकिन उसमें सुरक्षा मानकों के तहत घटाकर 54 किया गया है, जिसमें एक सीट के अंतर से यात्री को सीट दी जा रही है ताकि सामाजिक दूरी कायम रह सके। मसलन 22 से 24 कोच वाली ट्रेनों में एक हजार से 1200 तक के यात्रियों को ही सफर कराया जा रहा है। मसलन भारतीय रेलवे गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार यात्रा करने से पहले श्रमिकों व अन्य लोगों की जाचं की जा रही है और उन्हें सामाजिक दूरी तथा अन्य बचाव के लिए जागरुक भी किया जा रहा है, ताकि लॉकडाउन के नियमों को अनुपालन किया जा सके।
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रेलवे नहीं वसूल रहा किराया
श्रमिकों के रेल किराया वसूली को लेकर हो रही राजनीति के बीच भारतीय रेलवे में कार्यकारी निदेशक आर.डी. वाजपेयी ने हरिभूमि संवाददाता को बताया कि गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के बाद रेलवे विशेष श्रमिक ट्रेनों का संचालन करते हुए लॉकडाउन में फंसे प्रवासी श्रमिकों, छात्रों व अन्य परेशान लोगों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचा रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रेलवे जिस राज्य से ट्रेन को चलाया जा रहा है उसे ट्रेन के टिकट सौंप रही है, जिनका कोई शुल्क नहीं है, बल्कि उसी टिकट के आधार पर श्रमिक यात्रियों को ट्रेन में खाना-पीना और पानी की बोतले तथा अन्य सुविधाएं भी मुफ्त प्रदान की जा रही है। उन्होंने बताया कि कोरोना जैसे संकट को देखते हुए संबन्धित ट्रेन को पूरी तरह से सैनिटाइज किया जाता है और और उसमें यात्रियों के बचाव के लिए उनकी जांच, साबुन, मास्क के अलावा रेलवे स्टाफ पर जो खर्च आना है उसकी कुल लागत का 85 फीसदी खर्च खुद रेलवे वहन करेगा। जबकि श्रमिकों की यात्रा और टिकट समेत उन्हें दी जाने वाली सभी सुविधएं पूरी तरह से मुफ्त दी जा रही है। उन्होंने जानकारी दी कि इन विशेष ट्रेनों को चलाने के लिए भारतीय रेलवे और राज्यों के बीच आंतरिक रूप से तय हुआ है कि श्रमिकों की यात्रा के लिए एक ट्रेन पर जो खर्च आएगा, राज्य उसकी लागत का 15 फीसदी खर्च वहन करेंगी,  जबकि  85 फीसदी रेलवे खर्च करेगा। हालांकि इस करार की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
11May-2020

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