उत्सर्जन एवं ध्वनि मानक अनिवार्य करने का
प्रस्ताव
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने पर्यावरण
संरक्षण की दिशा में उत्सर्जन एवं ध्वनि प्रदूषण के मानकों को अनिवार्य करने की
दिशा में मोटर वाहन नियमों में संशोधन करने का निर्णय लिया है। इसके लिए आम लोगों
से सुझाव मांगे गये हैं।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय
के
अनुसार सरकार ने मोटर वाहन नियमों में उत्सर्जन एवं ध्वनि मानकों के अनुपालन के संबंध में प्रस्तावित
संशोधन करने
का निर्णय लिया है। इसके लिए मंत्रालय में तैयार किये गये मसौदे में आम लोगों समेत देश में सभी हितधारकों से सुझाव और
टिप्पणी आमंत्रित की गई है, जिसके लिए मंत्रालय की और से अधिसूचना भी जारी की गई। मंत्रालय के
अनुसार जारी की गई अधिसूचना के अनुसार पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उत्सर्जन एवं ध्वनि मानकों
के अनुपालन के लिए सड़क पात्रता प्रमाण पत्र की समीक्षा के संबंध में यह मसौदा तैयार किया गया है। इसे विनिर्माता या निर्यातक
या पंजीकृत ई-रिक्शा या ई-रिक्शा या ई-वाहन के मामले में ई-वाहन संघ द्वारा जारी किया
गया है। इस मसौदे में मौजूदा
दो सारणियों को सहजता के लिए मिलाकर एक सारणी कर दिया गया है। इसमें उत्सर्जन मानकों
के अगले चरण के अनुरूप कुछ प्रदूषक मानदंड भी शामिल किए गए हैं। इस मसौदे के लिए
मंत्रालय ने आम लोगों से 10 जून तक अपने सुझाव भेजने का आमंत्रण दिया है।
लॉकडाउन में ईपीएफओ ने दी
लाखों प्रतिष्ठानों को दी राहत
ईपीएफ में योगदान के भुगतान पर
नहीं वसूला जाएगा हर्जाना
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश में कोरोना वायरस महामारी
के कारण लॉकडाउन के कारण सरकार ने प्रतिष्ठानों को ईपीएफओ में अंशदान जैसे शुल्क
जमा ने करने पर किसी प्रकार का हर्जाना वसूल न करने का निर्णय लिया है। ईपीएफओ के
इस फैसले से देश के 6.5 लाख प्रतिष्ठानों को मानदंडों
के अनुपालन के तहत राहत मिलेगा।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार
मंत्रालय के अनुसार कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए सरकार द्वारा लंबे समय तक घोषित
लॉकडाउन के कारण उत्पन्न अन्य व्यवधानों के कारण ईपीएफ और एमपी अधिनियम-1952 के तहत कवर होने वाले प्रतिष्ठान
परेशानी
और संकट के दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे हालातों में सामान्य रूप से कार्य करने तथा वैधानिक
योगदानों का समय पर भुगतान कर पाने में असमर्थ हैं। ऐसी कठिनाईयों को देखते हुए
ईपीएफओ ने निर्णय लिया है कि लॉकडाउन के दौरान किसी भी अवधि के लिए पीएफ केयोगदान या प्रशासनिक शुल्क जमा करने
में परिचालन या आर्थिक कारणों से होने वाले विलम्ब को दोष नहीं माना जाएगा और विलम्ब भुगतान के लिए किसी
प्रकार का दंडात्मक
हर्जाना नहीं नहीं वसूला जाएगा। इसके लिए ईपीएफओ के फील्ड कार्यालयों
को दिशानिर्देश
जारी किये गये हें। इन दिशानिर्देशों में निर्देश दिये गये हैं कि ऐसे मामलों में दंडात्मक हर्जाना
वसूली के लिए कोई कार्यवाही शुरू नहीं होगी। मंत्रालय ने यह भी जानकारी दी है कि यह दिशानिर्देश ईपीएफओ की वेबसाइट के होम
पेज पर टैब कोविड-19 के अंतर्गत
उपलब्ध कराया
गया है। मंत्रालय के अनुसार
ईपीएफओ के इस फैसले से ईपीएफ के तहत कवर होने वाले 6.5 लाख प्रतिष्ठानों
के लिए मानदंडों के अनुपालन को आसान बनाएगा और उन्हें दंडात्मक हर्जाने के कारण होने
वाली देयता से बचाएगा।
16May-2020
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