हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश में कोरोना संकट के कारण
लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों खासकर प्रवासी श्रमिकों के रोजगार को लेकर आ रही
समस्याओं को लेकर केंद्र सरकार गंभीर है, जिससे निपटने के लिए सरकार कई उपायों के
साथ योजनाओं पर काम कर रही है।
यहां नई दिल्ली स्थित श्रमशक्ति
भवन में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने वीडियो कांफ्रेंस के
जरिए केंद्रीय
ट्रेड यूनियन संगठनों व अन्य संबन्धित प्रतिनिधियों के साथ बैठक करके विचार विमर्श करने के बाद यह
भरोसा दिया है। इस बैठक की जानकारी देते हुए मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि इस
दौरान केंद्रीय
संतोष कुमार गंगवार ने कोविड-19 महामारी
से उत्पन्न मौजूदा स्थिति और श्रमिकों तथा अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे विपरीत प्रभाव को कम करने जैसे मुद्दों श्रमिक
संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की गयी। इस बैठक में प्रमुख रुप से कोरोना संकट के मद्देनजर श्रमिकों और प्रवासी श्रमिकों
के हितों का संरक्षण, रोजगार
सृजन के उपाय, आर्थिक
गतिविधियों को फिर से पटरी पर लाने के उपायों और एमएसएमई की स्थिति में सुधार को लेकर गंभीरता से चर्चा की गई, ताकि श्रमिक श्रम कानूनों के तहत अपनी
देनदारियों को पूरा करने में सक्षम हो सकें। गंगवार ने कहा कि कोरोना संकट
में लॉकडाउन के कारण श्रमिकों की समस्याओं के समाधान के लिए सरकार गंभीरता के साथ
काम कर रही है, इसके लिए उनके मंत्रालय द्वारा उठाए जा रहे कदमों और उपायों की भी
श्रमिक संगठनों को जानकारी दी। खासकर लॉकडाउन के कारण श्रमिकों के सामने आई चुनौतियों
का समाधान ढूंढने की
आवश्यकता पर बल
देते हुए गंगवार ने कहा कि इसके लिए केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों के सुझाव भी अपेक्षित है, ताकि श्रमिकों के सामने पैदा मौजूदा
हालातों से निपटा जा
सके और उनकी
रोजगार के जरिए जिंदगी फिर से पटरी पर आ सके। गंगवार ने संगठनों को भरोसा दिया कि श्रम और रोजगार मंत्रालय श्रमिकों
के सामने आने वाली किसी भी समस्या में सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
ट्रेड यूनियन की सुझाव के साथ मांग
केंद्रीय मंत्री गंगवार के साथ चर्चा
के दौरान केंद्रीय
ट्रेड यूनियन संगठनों के प्रतिनिधियों ने सुझाव दिये कि देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों
की घर
वापसी के लिए ज्यादा से ज्यादा उपलब्ध कराई जाएं। वहीं ऐसे श्रमिकों को अपने परिवार का भरण-पोषण
करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने का सुझाव दिया। वहीं प्रवासी श्रमिकों के साथ असंगठित श्रमिकों को रोजगार व अन्य मदद के लिए पोर्टेबिलिटी और डेटा
हस्तांतरण की सुविधाओं के साथ एक राष्ट्रीय रजिस्टर बनाने की मांग की गई।
इसके अलावा एमएसएमई, विशेष रूप से छोटे और सूक्ष्म उद्योगों
को ब्याज पर छूट, ऋणों के
पुनर्गठन, बिजली में सब्सिडी आदि उपायों
लागू
करने, लॉकडाउन
के कारण गंभीर रूप से प्रभावित होटल, सिनेमा, खेल, ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों के लिए
सरकार को रणनीति बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया। लॉकडाउन अवधि में सभी श्रमिकों को पूर्ण पारिश्रमिक
देने में नियोक्ताओं
को सक्षम करने की दिशा में छोटे और सूक्ष्म उद्योगों
को पारिश्रमिक घटक में सब्सिडी प्रदान करने की भी मांग की गई। लॉकडाउन के कारण नौकरी गंवाने
वाले श्रमिकों को भी नकद प्रोत्साहन राशि प्रदान करने और इस दौरान श्रमिकों के लिए काम के
घंटे बढ़ाने पर
प्रतिबंध लगाने के अलावा श्रम कानूनों का सख्ती से पालन कराते हुए वेतन के भुगतान और वेतन में
कटौती पर
रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की मांग की गई। इसके अलावा श्रमिकों
को नकद मदद, निशुल्क राशन व चिकित्सा सुविधा देने, कृषि श्रमिकों के भुगतान की
दिशा में कृषि उपज की खरीद को बढ़ाने जैसे कई मुद्दो पर सकारात्मक सुझाव दिये गये।
आज नियोक्तओं से होगी चर्चा
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के
अनुसार कल 8 मई शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार वीडियो कांफ्रेंस के
जरिए संगठित और असंगठित प्रतिष्ठानों, फैक्ट्रियों तथा अन्य संस्थाओं के
नियोक्ताओं के साथ श्रमिकों की समस्याओं के साथ उनके सामने आ रही कठिनाईयों के साथ
अन्य संबन्धित मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। श्रम और रोजगार सचिव ने कहा कि विभिन्न
राज्यों में प्रवासी श्रमिकों की स्थिति की निगरानी के लिए एक डेटाबेस तैयार किया जा
रहा है और इसके लिए राज्यों के साथ समन्वय किया जा रहा है। वहीं इसके लिए 20 हेल्पलाइन और नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं ताकि कोविड-19 के कारण भोजन, श्रमिकों को पारिश्रमिक के भुगतान
या श्रमिकों से जुड़े किसी भी अन्य मुद्दे को हल किया जा सके। 08May-2020
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