मंगलवार, 5 मई 2020

किसानों को चाहिए 1.50 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज


कोरोना महामारी और बेमौसम बारिश से किसानों को भारी नुकसान: भाकियू
भाकियू ने नुकसान की भरपाई करने की मांग को लेकर पीएम मोदी को लिखा पत्र
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश में कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण लॉकडाउन और फिर बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से देशभर में किसानों की रबी की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है, जिसके कारण किसान आर्थिक रूप से तंगी झेलने को मजबूर है। भारतीय किसान यूनिनयन ने किसानों को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए मोदी सरकार से 1.50 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज जारी करने की मांग की है।
भारतीय किसान यूनियन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बेमौसम बारिश और लॉकडाउन के कारण किसानों की फसलों की बर्बादी और प्रभावित हो रही खरीफ की बुआई के कारण हो रहे नुकसान की भरपाई करने हेतु 1.50 लाख करोड़ के पैकेज जारी करने के संबन्ध में एक पत्र लिखा है। इसकी जानकारी देते हुए बुधवार को भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि देश में कोरोना वायरस के संकट में लॉकडाउन के कारण आर्थिक तंगी में आए किसानों और दूसरी ओर बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से रबी की खड़ी फसल की बर्बादी से किसानों आर्थिक कमर तोड़ दी। टिकैत ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन ऐसे समय लगा जब जब किसान रबी की कटाई एवं खरीफ की बुवाई की तैयारी कर रहा था। वहीं बेमौसम बारिश के कारण किसानों की फसलों की कटाई 15 दिन विलंब हो चुकी थी। किसानों को लॉकडाउन के कारण फसल की कटाई के लिए श्रमिकों का मिलना भी मुश्किल हो गया। ऐसे हालातों में किसानों के सामने चौतरफा संकट के बादल मंडराने पर परिवहन के साधन बन्द होने के कारण किसानों की फल, सब्जी या तो खेत में सड़ गयी, जिन्हें फेंकने के या नष्ट करने के अलावा किसानों के सामने कोई विकल्प नहीं था।
खरीफ की बुआई पर संकट
पीएम मोदी को लिखे गये पत्र में भाकियू ने कहा कि देश के तमाम हिस्सों से टमाटर, लौकी, तुरई, खीरा, अंगूर, सन्तरा, लोकाट, लीची को फेंकने की खबरें आ रही हैं, जिसके चलते किसानों के सामने रबी की बची फसल काटने और खरीफ की बुवाई का संकट मुहं बाए खड़ा है। इसी कारण चौतरफा पड़ी मार के सामने किसान असमंजस में है कि आखिर उनकी समस्या सुलझाने के लिए सरकार द्वारा आवश्यक कदम क्यों नहीं उठा रही है। पत्र में कहा गया कि लॉकडाउन के कारण न के चलते सब्जियों व फल के किसानों को 80 प्रतिशत, फूल की किसान को 100 प्रतिशत व दूध के किसान को 50 प्रतिशत नुकसान हुआ है। इस संकट की घड़ी में भी वही किसान जोखिम उठाते हुए खेत में कार्य कर रहा है, जिसके दम पर देश कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है। यदि देश में खाद्य सुरक्षा न होती, तो कोरोना से ज्यादा भूख से मौतें हो चुकी होती।
केंद्र सरकार से की सात मांगे
भाकियू ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में किसानों को आर्थिक संकट से निकालने के लिए सात मांगे की है, जिसमें लॉकडाउन के दौरान फल, सब्जी, दूध, पोल्ट्री, फिशरीज, मधुमक्खी पालक, फूल उत्पादक किसानों के नुकसान की भरपाई हेतु अविलम्ब 1.5 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज देने के साथ किसान सम्मान निधि का लाभ देने के लिए इस योजना की राशि को 6 हजार रुपये से बढ़ाकर 24 हजार रुपये करने की मांग की गई है। वहीं कहा गया कि किसानों की सभी तरह की फसलें कपास, गेंहू, चना, सरसों, सब्जियों की खरीद करने के साथ लम्बे समय से मौसम की मार झेल रहे किसानों को गेंहू पर 200 रुपये कुन्तल बोनस दिया जाए। भाकियू ने किसानों के सभी तरह के कर्ज के ब्याज पर एक साल की छूट व खरीफ की बुवाई में खाद, बीच की उपलब्धता सुनिश्चित करने और फल, सब्जी, फूल उत्पादक किसानों की फसली ऋण माफ करने की मांग भी की है। भाकियू ने केंद्र सरकार से देश में अन्न की तर्ज पर दलहन व खाद्य तेल में भी देश को आत्मनिर्भर बनाने की योजना लागू करने पर बल दिया है। सरकार से मांग की है कि कृषि आयात की निर्भरता को समाप्त करने हेतु खाद्य तेल व दलहन उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर उनकी फसलों की सरकारी खरीद की जाए।
30Apr-2020
 



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