सोमवार, 25 मई 2020

प्रवासियों श्रमिकों के हित में सख्त हुआ रेलवे, राज्यों की अनुमति जरुरी नहीं



श्रमिकों के आंदोलन पर जारी किया मानक संचालन प्रोटोकॉल
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश में प्रवासी श्रमिकों के सड़कों पर आंदोलन के कारण लॉकडाउन उपायों की उड़ रही धज्जियों को लेकर केंद्र सरकार खासा नाराज है। श्रमिक विशेष ट्रेनों के जरिए लाखों श्रमिकों के अपने गृह राज्य पहुंचने के बावजूद देश के विभिन्न स्थानों पर हजारों की संख्या में आंदोलनरत श्रमिकों को लेकर गृह मंत्रालय ने राज्यों को लॉकडाउन के समेकित दिशानिर्देशों के तहत संशोधित मानक संचालन प्रोटोकॉल यानि एसओपी जारी किया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय में गृह सचिव अजय भल्ला ने मंगलवार को राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजे एक पत्र में गत 17 मई को जारी दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए सड़कों पर आंदोलन कर रहे श्रमिकों को लेकर संशोधित मानक संचालन प्रोटोकॉल यानि एसओपी जारी किया है। इसमें कहा गया है कि राज्यों के अनुरोध पर रेल मंत्रालय एमएसए के परामर्श से श्रमिक विशेष ट्रेनों के आवागमन की अनुमति देगा। इसके लिए सभी राज्यों केंद्र शासित प्रदेशों को नोडल अधिकारियों को नामित करना चाहिए और ऐसे फंसे व्यक्तियों के आवागमन के लिए आवश्यक व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि प्रवासी श्रमिकों को परेशानी का सामना न करना पड़े। राज्यों की आवश्यकताओं के अनुसार रेलवे ट्रेनों की समय सारिणी और गंतव्य सहित ट्रनों की संख्या को अंतिम रुप देगा। गृह मंत्रालय ने राज्यों को यह भी निर्देश दिये हैं कि ऐसे असहाय श्रमिकों की घर वापसी की व्यवस्था करने के लिए राज्यों को रेल मंत्रालय के साथ समन्वय बनाकर सूचना देना अनिवार्य है और राज्यों को जारी एसओपी में कहा गया कि ट्रेन अनुसूची, यात्रियों के प्रवेश और आवाजाही के लिए प्रोटोकॉल, कोचों में प्रदान की जाने वाली सेवाओं और टिकटों की बुकिंग की व्यवस्था राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के साथ रेल मंत्रालय द्वारा की जाएगी। इसमें सभी यात्रियों की स्वास्थ्य जांच होना जरुरी है इसके बाद ही ट्रेन में प्रवेश की अनुमति दी जाए।
रेलवे व राज्यों में समन्वय का अभाव
गृह सचिव अजय भल्ला ने श्रमिकों के सड़कों पर आंदोलन के पीछे उस अभवा को महसूस किया है जिसमें राज्यों और रेलवे के बीच समन्वय की कमी के कारण श्रमिकों को श्रमिक विशेष ट्रेनों के संचालन के स्थान या समय की जानकारी नहीं मिल रही है। मसलन बसों एवं ट्रेनों के प्रस्थान के बारे में और अधिक स्पष्टता होनी चाहिए, क्योंकि स्पष्टता के अभाव में और अफवाहों के चलते श्रमिकों में बेचैनी देखी गई है। इन प्रवासी श्रमिकों के बीच महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों की खास जरूरतों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना जरुरी है। इसलिए सुझाव दिया गया है कि राज्यों को रेल मंत्रालय के बीच सक्रिय समन्वय के माध्यम से और विशेष रेलगाड़ियों का प्रबंध करने के लिए सक्रिय रहना चाहिए। गृह सचिव ने कहा कि इसके अलावा अंतरराज्यीय सीमा पर प्रवासी मजदूरों को ले जा रही बसों को जाने की अनुमति दी जाए अन्यथा राज्यों को चाहिए कि प्रवासी श्रमिकों के आवागमन की व्यवस्था न होने तक उनके आश्रयों में ठहरने और खाने पीने की व्यवस्था करें, बेशर्ते वहां साफ-सफाई, भोजन एवं स्वास्थ्य की जरूरत जैसी सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएं। गृह सचिव ने कहा कि इसके अलावा अंतरराज्यीय सीमा पर प्रवासी मजदूरों को ले जा रही बसों को जाने की अनुमति दी जाए, श्रमिक जहां हैं उन्हें वहीं रोकने के लिए खाने, स्वास्थ्य सुविधाओं व काउंसलिंग की व्यवस्था की जाए।
जिला प्रशासन की अहम भूमिका
गृह सचिव ने राज्यों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में कहा कि जिला प्रशासन के अधिकारी पैदल चल रहे मजदूरों को ठहरने के निर्धारित स्थानों पर या परिवहन के माध्यम उपलब्ध कराकर पास के बस अड्डे या रेलवे स्टेशन तक भेज सकते हैं, प्रवासियों के पते एवं फोन नंबर लिखें जो आगे संपर्कों का पता लगाने में मददगार साबित हो सकते हैं। इसके लिए ठहरने के स्थानों पर एनजीओ के प्रतिनिधियों का मदद के लिए सहयोग लिया जा सकता है। भल्ला ने इस बात पर बल दिया कि प्रशासनिक अधिकारियों या एनजीओ द्वारा ठहरने के स्थान पर लंबे समय तक पृथकवास के लिए रोके जाने संबंधी धारणा को खत्म करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।

राज्यों की बेरुखी के बाद रेलवे ने श्रमिक विशेष ट्रेनों पर बदला रुख
प्रवासियों श्रमिकों के हित में सख्त हुआ रेलवे, राज्यों की अनुमति जरुरी नहीं
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश में जगह-जगह फंसे प्रवासी श्रमिकों, छात्रों, पर्यटकों और अन्य लोगों की घर वापसी के लिए केंद्र सरकार के लगातार जारी दिशानिर्देशों के बावजूद कई राज्यों ने जब श्रमिक विशेष ट्रेने चलाने की अनुमति नहीं दी तो भारतीय रेलवे ने इन ट्रेनों के संचालन के नियमों में बदलाव करने का फैसला किया है। इस बदलाव के जरिए अब जिन राज्यों से प्रवासियों को जिस गंतव्य राज्य में जाना होगा उसके लिए ट्रेनें चलाई जाएगी।
रेल मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय रेलवे द्वारा बार-बार राज्यों से श्रमिक विशेष ट्रेनें चलाने की अनुमति देने का अनुरोध किया, ताकि ज्यादा से ज्यादा प्रवासियों की घर वापसी कराई जा सके। इसके लिए खुद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने जिलाधिकारियों से भी उनके जिलों में फंसे प्रवासियों की सूची और उनके गंतव्य स्थान की सूची नोडल अधिकारियों के माध्यम से भेजने का अनुरोध किया है, लेकिन राज्यों की ओर से जब कोई दिलचस्पी और ट्रेनों की मांग नहीं की गई तो रेलवे को इन विशेष ट्रेनों को चलाने के लिए नियमों को बदलना पड़ा, ताकि     ज्यादा से ज्यादा प्रवासियों की घर वापसी कराई जा सके। रेलवे के अनुसार इन बदलाव के बाद अब श्रमिक विशेष ट्रेनों के संचालन में किसी राज्य की अनुमति की जरुरत नहीं पड़ेगी। रेल मंत्री गोयल पहले भी कई बार कह चुके हैं  कि रेलवे प्रवासियों की घर वापसी सुनिश्चित करने के लिए रेलवे से जुड़े जिलों या अन्य स्थानों के लिए भी ऐसी ट्रेने चलाने के लिए तैयार है, लेकिन कई राज्य श्रमिक विशेष ट्रेने चलाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं, जिसकी वजह से रेलवे इन ट्रेनों को ऐसे राज्यों में परिचालन नहीं कर पा रहा है। रेल मंत्रालय ने कहा कि अब भारतीय रेलवे श्रमिक विशेष ट्रेनों के परिचालन के लिए किसी राज्य के अनुरोध पत्र का इंतजार नहीं करेगा और नियमित ट्रेनों के नियमों के तहत प्रवासियों की जिस राज्य के रेलवे से जुड़ी जगह तक पहुंचना होगा वहां तक रेलवे इन ट्रेनों का संचालन करने का प्रयास करेगा। रेलवे ने राज्यों की अनेदेखी करने के कारण सड़कों पर उतरे प्रवासी श्रमिकों को ध्यान में रखते हुए उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाने की दिशा में यह निर्णय लिया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा प्रवासी अपने गंतव्य तक पहुंच सकें।
अब तक 18 लाख से ज्यादा की घर वापसी
रेलवे ने मंगलवार को यह भी दावा किया है कि प्रवासियों की देश के विभिन्न राज्यों से श्रमिक विशेष ट्रेने चलाकर भारतीय रेलवे अब तक 1500 से ज्यादा ट्रेनों का संचालन करके 18 लाख से ज्यादा लोगों की उनके राज्यों में घर वापसी करा चुका है, जिसमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश व बिहार के प्रवासी शामिल रहे,जिनके लिए सबसे ज्यादा श्रमिक विशेष ट्रेनों का परिचालन किया जा चुका है। रेलवे ने यह भी कहा कि कोरोना महामारी के बचाव के लिए रेलवे सभी सुरक्षा उपायों का पालन कराने के साथ यात्रियों को ट्रेनों में निशुल्क भोजन व पानी और अन्य सुविधाएं भी मुहैया करा रहा है।
20May-2020


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