सोमवार, 26 अप्रैल 2021

मंडे स्पेशल: हरियाणा में अजीबो गरीब तरीके से बढ़ रही हैं महिला हिंसा

कोरोना काल में लॉकडाउन के बाद बढ़ी घरेलू हिंसाएं हर दो घंटे मे दहेज प्रताड़ता की शिकार महिलाएं रोजाना सात महिलाओं का अपहरण और छह से छेड़खानी ओ.पी. पाल, रोहतक। हरियाणा में महिलाओं के खिलाफ अपराधों का रिकार्ड अच्छा नहीं कहा जा सकता, जहां अजीब तरह के मामलों यानि जरा सी बात पर महिलाओं को हिंसा और अपराधों को शिकार होना पड़ है। खासकर कोरोना काल में लॉकडाउन और उसके बाद महिलाओं के खिलाफ अपराधों ने ज्यादा गति पकड़ी है,उसकी गवाही आंकड़ दे रहे हैं। शायद यही वजह है कि प्रदेश में बढ़ते महिला हिंसा के मामलों में सबसे ज्यादा महिलाओं को दहेज की खातिर प्रताड़ना का शिकार बनाया गया है। मसलन यानि हर दो घंटे में एक महिला दहेज प्रताड़ना की शिकार हो रही है। यही नहीं राज्य में हर दिन सात महिलाओं का अपहरण और छह के साथ छेड़छाड़ की वारदात हो रही हैं। जबकि कम से कम हर दिन चार महिलाओं को बलात्कार का शिकार बनाया जा रहा है। महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों की वजह से न जाने राज्य में कितने रिश्ते बिखरकर तार तार हुए और और कितनों का विश्वास टूटा है? हरियाणा राज्य में किसी खास वजह से नहीं, बल्कि बिना किसी आधार के जरा सी बात पर कलह के चलते महिलाओं को हिंसा का शिकार बनाया जा रहा है। जैसे सब्जी में नमक मिर्च का कम या ज्यादा होना, बासमती चावल न बनाना, प्याज-लहुसन का सेवन न करना, ससुराल से शगुन में दस रुपये न मिलना, सास ससुर का कहना न मानना, मोबाइल पर बातें करना, पति का पत्नी और पत्नी का पति पर अन्य के साथ अवैध संबन्धों का शक करना, शराब या नशा करने का विरोध करना, प्रेम प्रसंग में धोखा देना, वीडियो बनाकर यौन शोषण करने जैसे अजीबो गरीब महिला अपराध दर्ज हो रहे हैं। राज्य में बलात्कार और यौन शोषण के मामलों में बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक शिकार बनाया गया है। जबकि आंकड़ो के मुताबिक राज्य में ऐसे मामलों से बढ़ते गृह कलेस में दहेज उत्पीड़न के मामलों ने ज्यादा रफ्तार पकड़ी है। ------------------------------ लॉकडाउन बना मुसीबत का सबब देशभर में कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन के दौरान 'वर्क फ्राम होम' के तहत नौकरी पेशे वालों के घरों में कैद रहे, तो इस दौरान महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसाओं में हुई बढ़ोतरी की पुष्टि राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने शिकायतों के आधार पर की थी। मसलन वर्ष 2020 के पहले छह महीने में आयोग को महिालाओं के प्रति घरेलू हिंसा की 23,722 शिकायतों में हरियाणा भी अछूता नहीं रहा और महिलाओं के प्रति अपराधों के 10,978 मामलों के साथ हरियाणा देश में तीसरे स्थान पर नजर आया। हरियाणा पुलिस ने राज्य में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों पर अंकुश लगाने का दावा किया और वर्ष 2020 में महिला अपराधों से संबंधित मामलों को सुलझाने सक्रीयता दिखाई है। पुलिस के जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में दुष्कर्म, छेड़छाड़ व दहेज हत्या के 96-96 प्रतिशत तो महिला अपहरण के 87 प्रतिशत केस सुलझाने का दावा किया है। हरियाण में वर्ष 2020 के दौरान महिलाओं के प्रति अपराधों के 10,978 मामले सामने आए हैं, जो अपराधों में गत वर्ष के मुकाबले बहुत कम हैं। ------------------ ऐसे मामलों ने चौंकाया हिसार जिले में दर्ज मामलों में ससुराल से शगुन के दस रुपये न देने और बासमती चावल नहीं बनाने पर तलाक मांगा गया। वहीं प्याज लहुसन खाने का एक मामला अदालत तक तक जा पहुंचा। वहीं पत्नी की हत्या में मासूम बच्चे ने सिपाही पिता के खिलाफ चश्मदीद गवाह बनने का मामला भी सामने आया। भिवानी जिले में एक घर में दोनों बहनों में एक से बिगड़ी, तो दूसरी से भी तलाक की नौबत आई, कांउसलिंग के बाद बाममुश्किल बसे दोनों घर। अंबाला जिले में तो हद हो गई, जहां एक मामला 85 साल की बुजुर्ग महिला से बलात्कार का दर्ज हुआ। ------------------------ दहेज उत्पीड़न के रिकार्ड मामले हरियाणा पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 के दौरान महिलाओं के प्रति अपराध के दर्ज मामलो में बलात्कार के 1511, महिला अपहरण के 2697, छेड़छाड़ के 2396, दहेज हत्या के 252 और दहेज उत्पीड़न के 4122 सामने आए हैं। जबकि इससे पहले हरियाणा में वर्ष 2019 में महिलाओं के प्रति अपराध के 14683 मामले दर्ज हुए थे। इसके अलावा एक मामला अनुसूचित जाति के तहत दर्ज हुआ था। ---------------------- दलित महिलाओं के दुष्कर्म राज्य में वर्ष 2019 में 120 बलात्कार के दर्ज ऐसे मामले सामने आए, जो अनुसूचित जाति की महिलाओं से संबन्धित थे, जो वर्ष 2018 में 99 मामलों की तुलना में ज्यादा हैं। अनुसूचित जाति की नाबालिग लड़कियों यानि 18 साल से कम बच्चों के बलात्कार के मामले वर्ष 2019 में 101 और 2018 में 72 मामले सामने आए। इन मामलों को पॉस्को अधिनियम की धारा 4 व 6 की आईपीसी की धारा 376 के तहत दर्ज किया गया है। ---------------- महिला सुरक्षा के लिए केंद्रीय वित्तीय मदद केंद्रीय गृहमंत्रालय से महिलाओं की सुरक्षा संबन्धी परियोजनाओं के लिए लिए निर्भया कोष का इस्तेमाल करने के लिए हरियाणा के लिए वर्ष 2015-16 में 22.23 करोड़ रुपये की धनराशि का अनुमोदन किया गया था। इसमें वर्ष 2019-20 में 5.52 करोड़ दी गई। जबिक वर्ष 2018-19 में इस मद में कोई राशि नहीं दी गई। हालांकि इससे पहले राज्य को वर्ष 2017-18 में 2.53 करोड़ और वर्ष 2016-17 के दौरान 14.19 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। इसी प्रकार महिला सशक्तिकरण के लिए चलाई जा रही प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना के लिए भी राज्य सरकार को धनराशि का आवंटन किया गया है, जिसमें वर्ष 2020-21 में 13.39 लाख रुपये, वर्ष 2019-20 में 94.57 लाख रुपये तथा वर्ष 2018-19 में 6.91 लाख रुपये केंद्र सरकार से जारी किये गये। --------------------------------------------- हरियाणा में पिछले सात साल में महिला अपराध के मामले ----------------------------------------- वर्ष दर्ज मामले लंबित मामले दोषसिद्ध दर 2014 9010 ------ ------ 2015 9511 15197 18.1% 2016 9839 16440 13.4% 2017 11370 18148 15.4% 2018 14326 20580 17.1% 2019 14683 23456 16.1% 2020 10,978 ------ ------ ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ उपहास का शिकार को मजबूर बलात्कार पीडि़ताएं भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में ज्यादातर मामले ऐसे हैं जहां पीड़ितों ने किसी बड़ी घटना से पहले ही पुलिस से संपर्क किया जाता है और छेड़छाड़ या पीछा करने की शिकायत दर्ज कराई जाती है, लेकिन अक्सर इन शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जाता है और फिर यही आगे चलकर किसी बड़े अपराध का रूप ले लेता है। बलात्कार के मामलों में तो ऐसी स्थिति बहुत ही ज्यादा खराब है। मसलन जब वे पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने के लिए पुलिस से संपर्क करते हैं, तो उन्हें उपहास और अपमान का सामना करना पड़ता है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के 2019 में आए आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि बलात्कार के मामलों के लिए सजा की दर 27.8 फीसदी है। दूसरे शब्दों में प्रत्येक 100 आरोपियों में से केवल 28 ही दोषी पाए जाते हैं। पुलिस द्वारा बलात्कार के मामलों में महत्वपूर्ण फोरेंसिक सबूतों का संग्रह, परिवहन और भंडारण अक्सर खराब तरीके से संचालित किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप कुछ अपराधी भी बचकर निकल जाते हैं। ---------------------------- सुप्रीम कोर्ट के निर्देश नजरअंदाज राष्ट्रमंडल मानवाधिकार पहल 2020 की रिपोर्ट के अनुसार एक भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश ऐसा नहीं है, जो शीर्ष अदालत के निर्देशों का पूरी तरह से पालन कर रहा हो। यानी अधिकांश राज्य ऐसे हैं जो इनमें से ज्यादातर निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। विशेषज्ञों की माने तो ये सुधार बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये पुलिस की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करते हैं, बोर्ड को स्थानांतरण और पोस्टिंग तय करने का अधिकार देते हैं, और वहीं ये उचित प्रशिक्षण मॉड्यूल परिवर्तन को भी सुनिश्चित करते हैं। अगर हम वास्तविक बदलाव चाहते हैं तो हमें सुधारों के साथ-साथ मानसिकता को भी बदलना होगा। ----------------------------- पुलिस में पर्याप्त नहीं महिलाओं की भागीदारी स्टेटस ऑफ़ पोलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट-2019 के मुताबिक भारत के पुलिस बल में महिलाओं की भागीदारी केवल 7.28 प्रतिशत है। इन महिलाओं में से 90 फीसदी कांस्टेबल हैं, जबकि एक फीसदी से कम ही पर्यवेक्षी जैसे उच्च पदों पर हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर महिला पुलिसकर्मी रजिस्टरों को मेंटेन करने, एफआईआर दर्ज करने और अन्य छोटे काम करते हैं, जबकि उनके समकक्ष के पुरुष पुलिसकर्मी इनवेस्टिगेशन करने, गश्त करने व वीआईपी सुरक्षा प्रदान करने जैसा कार्य करते हैं। इस प्रकार की कार्यप्रणाली खासतौर पर महिलाओं से संबंधित अपराधों के प्रति भी ऐसे अपराधों को नियंत्रित करने में उचित नहीं है। ----------------- पुलिस बल की कमी गृह मंत्रालय से संबद्ध ब्यूरो पुलिस अनुसंधान एवं विकास के अनुसार साल 2019 में देश में प्रति लाख आबादी पर 198 पुलिस अधिकारी हैं, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनुशंसित 222 पुलिस अधिकारी प्रति लाख जनसंख्या के पैमाने के मुकाबले काफी कम है। इसके परिणामस्वरूप पुलिस कर्मियों पर काम का बोझ बढ़ने के कारण उनकी दक्षता में कमी देखी गई है और इसका मनोवैज्ञानिक दबाव भी होता है। इसलिए पुलिस संगठन के प्रभावी कामकाज के लिए एक अच्छा विश्वसनीय संचार प्रणाली महत्वपूर्ण है। -------------------------- महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराधों की रोकथाम केंद्रीय गृह मंत्रालय का महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम पर मुख्य जोर है। इस पहले के तहत हरियाणा समेत 14 राज्यों ने साइबर फॉरेंसिक ट्रेनिंग लैबोरेटरी की स्थापना कर ली है। इन राज्यों में 13295 पुलिस कर्मचारियों, अधिवक्ताओं और न्यायिक अधिकारियों को महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों की पहचान, पता लगाने और समाधान में प्रशिक्षण दिया गया है। वहीं गृह मंत्रालय द्वारा शुरू किये गये पोर्टल www.cybercrime.gov.in पर नागरिक अश्लील कंटेंट की सूचना देने की सुविधा शुरू की गई है, जिसे 72 घंटों के भीतर ब्लॉक कराया जा सकता है। ------------------- बलात्कार के मामले में सख्त प्रावधान केंद्र सरकार ने बीते 7 साल के दौरान महिलाओं के सशक्तिकरण और उनकी सुरक्षा की दिशा में कई कदम उठाने का दावा किया है। यौन हमलों के घृणित मामलों के खिलाफ आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम-2018 के जरिए बलात्कार की सजा को ज्यादा कठोर बनाया गया है। कानून में संशोधन को प्रभावी रूप से जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए राज्यों में यौन अपराधों के लिए जांच निगरानी प्रणाली, यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डाटाबेस, सीआरआई-एमएसी (क्राइम मल्टी-एजेंसी केन्द्र) और नई नागरिक सेवाएं शुरू की गई हैं। आईटी से जुड़ी इन पहलों से समयबद्ध और प्रभावी जांच में सहायता मिलती है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों व संघ शासित क्षेत्रों से इन ऑनलाइन टूल्स के प्रभावी उपयोग के लिए बलपूर्वक सिफारिश की है। वहीं पुलिस थानों में महिला सहायता डेस्क की स्थापना और देश के सभी जिलों में मानव तस्करी रोधी इकाइयों की स्थापना के मजबूती के उद्देश्य से राज्यों के लिए 200 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है। ------------------------------- लंबित मामलों का ग्राफ बढ़ा हरियाणा में महिला अपराधों के निपटान न होने के कारण लंबित मामलों का अंबार खड़ा होता जा रहा है। वर्ष 2019 में प्रदेश में 23456 मामले लंबित थे, जबकि वर्ष 2018 में विचारण के लिए ऐसे लंबित मामलों की संख्या 20580 थी। इससे पहले 2017 में 11370, 2016 में 9839, 2015 में 9511 और 2014 में 9010 मामले लंबित थे। ------------------- आरोप सिद्ध की दर बेहद कम हरियाणा में महिला अपराधों के आरोपियों में 20 फीसदी से कम ही दोषी करार दिये जाते हैं। यानि पिछले पांच साल के आंकड़ों पर गौर की जाए तो वर्ष 2019 में 16.1 प्रतिशत, 2018 में 17.1 प्रतिशत, 2017 में 15.4 प्रतिशत, 2016 में 13.4 प्रतिशत और 2015 प्रतिशत 18.1 आरोपियों पर ही अपराध सिद्ध हुआ है। मसलन ज्यादात आरोपी साक्ष्य या अन्य सबूतों के अभाव मामलों से बाहर निकल जाते हैं। 22Mar-2021

साक्षात्कार: रोजगार सृजन से पुनर्जीवित होगी साहित्य और संस्कृति : रामफल चहल

लोक साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में एक बड़ा नाम
व्यक्तिगत परिचय
नाम: रामफल चहल
जन्म: एक दिसम्बर 1946
जन्म स्थान: गांव निमणी, जिला भिवानी 
शिक्षा: विद्या वाचस्पति (पीएचडी) और विद्यासागर (डी.लिट्) 
संप्रत्ति:सेवानिवृत्त अधीक्षक, आकाशवाणी केंद्र रोहतक 
साक्षात्कार-ओ.पी. पाल
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पंडित माधव प्रसाद मिश्र पुरस्कार के लिए रोहतक शहर के विकास नगर निवासी प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. रामफल चहल का चयन किया गया है। डॉ. चहल लोक साहित्य, लोक संस्कृति, लोकगीत, लोकनाट्य, काव्य, सांग, कथाओं, कहानियों के लेखन, मंचन और कलाओं के जरिए अपने हुनर रुपी अध्ययन में तेजी से विलुप्त होती हरियाणावी सभ्यता, संस्कृति, बोली (भाषा), सामाजिक रीति रिवाज और परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए लोक साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में एक बड़ा नाम अर्जित कर चुके हैं। इस साहित्यक मुहिम का फल ही है कि उन्हें इससे पहले 2004 में साहित्य के लिए पं. लखमी चंद और 2010 में कला साहित्य के लिए देवीशंकर प्रभाकर सम्मान के अलावा उन्हें राज्य स्तर पर कृषि क्षेत्र के लिए भी पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। यही नहीं डॉ. चहल को साहित्यिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संस्थाओं द्वारा 150 से भी ज्यादा पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी हैं। इस वैज्ञानिक और भौतिकवादी युग के बढ़ते प्रभाव से विलुप्त हो रही हरियाणवी साहित्य, सभ्यता और संस्कृति को पुनर्जीवित खासतौर से युवा पीढ़ी में किस प्रकार से प्रासांगिक और प्रेरणा दायक मुहाने पर लाया जाए, ऐसे अनुछुए पहलुओं को लेकर हरिभूमि संवाददाता से खास बातचीत में डा. रामफल चहल ने कहा कि प्रकृति के बजाए मशीनीकरण के साए में जाते समाज को आर्थिक रुप से मजबूत करने के लिए साहित्य और संस्कृति क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर बढ़ाने की जरुरत है। वेशभूषा, बोली, खानपान, आचार विचार सभ्यता के विकास का द्योतक है, जिसके कारण संस्कार और संवेदनाए खत्म होती जा रही हैं, तो ऐसे में साहित्य और संस्कृति के ह्रास होना सबसे बड़ा कारण है। 
विभिन्न विधाओं के साहित्यकार 
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्याय हिसार के सामुदायिक रेडियों में सलाहकार के पद पर तैनात प्रख्यात साहित्यकार डॉ. रामफल चहल एक ऐसी पहचान हैं जिन्होंने साहित्य और संस्कृति जगत में पद्य और गद्य में ही नहीं, बल्कि एक मीडियाकर्मी और एक मंजे हुए अभिनेता के रूप में भी हरियाणवी लोकसाहित्य व संस्कृति में अपना अहम योगदान दिया हैं। साहित्य व संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए विक्रमशिला विद्यापीठ द्वारा विद्या वाचस्पति (पीएचडी) और विद्यासागर (डी.लिट्) की उपाधि से सम्मानित डॉ. रामफल चहल अब तक हरियाणवी संस्कृति पर 20 पुस्तकें लिख चुके हैं। संस्कृति के क्षेत्र में उन्हें हरियाणा सरकार द्वारा श्री देवी शंकर प्रभाकर पुरस्कार तथा पंजाब साहित्य एवं कला विशेष पुरस्कार दिया जा चुका है। यही नहीं आकाशवाणी के हरियाणवी श्रेष्ठ कृति अवार्ड समेत बाजे भगत व फौजी मेहर समेत उनकी तीन पुस्तकों को हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है। डॉ. रामफल चहल लम्बे समय तक आकाशवाणी रोहतक तथा कुरूक्षेत्र से किशन भाई के रूप में कार्यक्रमों का प्रसारण करते रहे हैं। हरियाणा सांस्कृतिक अकादमी के सबसे पहले निदेशक रह चुके हैं डॉ. चहल वर्ष 2016 में आकाशवाणी के रोहतक केंद्र के अधीक्षक पद से सेवानिृत्त हुए। काव्य मंचों के अलावा नाटक मंचन करते आ रहे डा. चहल हरियाणवी फिल्मों पनघट व खानदानी सरपंच में मुख्य अभिनेता के तौर पर अभिनय कर चुके हैं। हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा उन्हें एक प्रतिष्ठित कवि के रूप में आमंत्रित किया जाता रहा है। 
प्राचीन संस्कृति की जीवंत परंपरा उकेरी 
साहित्यकार डॉ. रामफल चहल की इस क्षेत्र में हरफनमौला भूमिकाओं की अनेक उपलब्धियां हासिल करना उनकी विशेषताओं में शामिल है, जिन्होंने घर-घर जाकर हरियाणवी संस्कृति की जीवंत परंपराओं को बटोरा है। यानि महिलाओं के 600 से ज्यादा लोक और सांस्कारिक गीतों का संकलन करके उन्हें हिंदी और अंग्रेजी भाषा में अनुवादित करने के साथ उनका म्यूजिकल नोटेशन तैयार कराया है। इनकी एक विशेषता यह भी रही कि राज्य में वंचित समाज की हस्तियों को चुनकर उन्हें भी साहित्य और संस्कृति के पन्नों में स्थान दिया है। इन सबसे हटके डा. चहल ने जिस प्रकार इतिहासिक धरोहर के रूप में लोक संस्कृति से जुड़े प्राचीन वस्त्राभूषण संकलन करने पर भी अहम भूमिका निभाई है। वहीं 150 साल पुरानी हस्तलिखित पौथी का हिंदी अनुवाद करने में जुटे जिला दादरी के गांव नीमड़ी गांव के मूल निवासी डा़ चहल विभिन्न विधाओं में यहां साहित्य लेखन करने में माहिर हैं, जो बोलचाल में मिट्टी की खुशबू के साथ-साथ अपनी मूल जड़ो से भी दूर नहीं है और खुद प्रकृति की गोद में अजमेर के निकट पहाड़ी वादियों के बीच खेती कर रहे हैं। 
प्रमुख पुस्तकें 
भिवानी जिले के निमणी गांव निवासी रामफल वर्ष 1983 से आकाशवाणी में कार्यरत हैं। अब तक हरियाणवी लोक साहित्य में प्रकाशित 20 पुस्तकों में स्वतंत्रता सेनानी एवं लोककवि फौजी मेहर सिंह, व्यक्तित्व व कृतित्व, शेष रचनावली, बाजे भगत व्यक्तित्व व कृतित्व, बाजे भगत ग्रंथावली व बाजे भगत रचनावली, रामकृष्ण व्यास व्यक्तित्व व कृतित्व, नौ नाटकों का संग्रह, विघ्न की जड़, हास्य व्यंग्य लोक विनोद, हरियाणवी संस्कृति की जीवंत परंपराएं, कृष्णचंद नादान ग्रंथावली जैसी उत्कृष्ट रचनाएं लोक साहित्य की धरोहर हैं। 
रचना संग्रह 
प्रमुख रचना संग्रह पलपोट्‌ण के अलावा डा. चहल की रचनाओं में हरियाणवी कुण्डलियां, हरियाणा नाटक-साझा सीर, जहर का प्याला, फागण आग्या, कृषि व संस्कृति, आया सै बसंत, गर्भस्थ कन्या की पुकार, हरियाणवी बारा-कड़ी,अचूक निशाना, ऋृतु राज बसंत, कित टोहूं, कव्वाली, दर्पण कुछ ना बौल्लै, आदमी नाम ना धरियो और गाम सांझला कुआ शामिल हैं। 22Mar-2021

आजकल: ममता के सामने भाजपा की चुनौती

-नीरजा चौधरी, राजनीतिक विशेषज्ञ देश के पांच राज्यों असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल व पुडुचेरी में में विधानसभा चुनावों में तमाम सियासी दल रणभूमि में हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल के चुनाव सबसे महत्वपूर्ण हैं, जहां तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने लंबे सियासी संघर्ष करने के बाद 2011 में वाममोर्चा की 34 साल की सत्ता से बेदखल कर जनादेश हासिल किया। लगातार दस साल के शासन में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने सत्ता की तिगड़ी बनाने की चुनौती है। इसलिए वह यहां वर्चस्व की लड़ाई में एक तरह से अकेली हैं, लेकिन लगातार दो बार से शासन करने वाली तृणमूल कांग्रेस की सत्ता परिवर्तन करने के इरादे को लेकर भाजपा की चुनावी जंग में जो चुनौती है उसे मामूली या सामान्य नहीं कहा जा सकता। इसका कारण साफ है कि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की राजनीतक में एक सबसे पुराना और संघर्षशील चेहरा है, जिसका बंगाल की मानष माटी से जो नाता है उसके सामने भाजपा की तुलना करना बेमाने होगा। वैसे भी कांग्रेस की नेता के रूप में अपना सियासी जीवन शुरू करने के बाद ममता बनर्जी से बहुत संघर्ष किये और कांग्रेस से अलग होने के अपनी अलग पार्टी बनाकर इस मुकाम तक पहुंची की आज पश्चिम बंगाल में शासक के रूप में काबिज है। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस की सियासी जमीन पर किसी अन्य दल को काबिज होने से रोकने की ताकत भी ममता जैसी नेता में है। हालांकि पश्चिम बंगाल में ममता की इस सियासी ताकत और राजनीतिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए ही भाजपा भी सभी संसाधनों के साथ चुनावी संग्राम में उतरी है। ममता को चुनौती देना भाजपा या अन्य किसी दल के लिए इतना आसान भी नहीं है। पश्चिम बंगाल के चुनाव में सत्ता परिवर्तन की लड़ाई में भारतीय जनता पार्टी ने तृणमूल कांग्रेस में सेधमारी करके ममता के बेहद विश्वसनीय और कदावर नेताओं को तोड़ा है और फिर चुनाव में पूरी ताकत झौंक रही भाजपा का मकसद है कि किसी तरह से पश्चिम बंगाल में भाजपा की सत्ता हासिल की जाए। इसी उम्मीद में राज्य के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 20 और भाजपा के राजनीतिक व रणनीतिक चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह की 30 के अलावा पार्टी के तमाम बड़े नेताओं की रैलियां इस बात का संकेत है कि भाजपा पश्चिम बंगाल में सत्ता हासिल करने के लिए साम दंड रही हैं। भाजपा के खिलाफ समूचा विपक्ष हमेशा एकजुट होने का दम भरता रहा है और मौजूदा पश्चिम बंगाल के चुनाव में जब ममता के करीबी लोग उनका साथ छोड़ गये हों। भाजपा के सत्ता में आने के इरादों को रोकने के लिए वे सभी विपक्षी दल आप, सपा और अन्य राज्य में क्षेत्रीय दल ममता को ऐसे समय भी समर्थन दे रहे हैं, जिनकी पश्चिम बंगाल में कोई हैसियत नहीं है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पांच चुनावी राज्यों में पश्चिम बंगाल के चुनाव में जिस प्रकार की सियासत चल रही है उससे पश्चिम बंगाल की सियासत में नया अध्याय की शुरूआत नजर आ रही है, जहां विपक्षीदलों की एकजुटता के बावजू बिखराव की राजनीति भी है। मसलन कांग्रेस, वामदल और अन्य छोटे दल अलग अलग चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन मुख्य चुनावी जंग में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस की राजनीतिक तस्वीर सामने है। यदि ये कहा जाए कि इस चुनाव का केंद्र बिंदु ममता बनर्जी है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। ममता ने अपने करीबियों का साथ छुटने के बावजूद हौंसला नहीं खोया और उसी तरह अपने प्रतिद्वंद्वियों पर गरजने की राजनीति कर रही है यानि अपने राजनीतिक वर्चस्व को बचाने का चुनाव मानकर धुआंधार तरीके से चुनाव लड़ रही हैं। हालांकि विभिन्न चुनावी सर्वेक्षणों में भी पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी व भाजपा के बीच ही चुनाव मुकाबला बताया जा रहा है। राज्य की सियासत का रुख भविष्य के गर्भ में हैं है जो चुनावी नतीजो के बाद सामने आए, लेकिन यदि तृणमूल कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की तो वह उनकी भविष्य की राजनीति को तय करेगी। दूसरी ओर भाजपा सत्ता परिवर्तन कर सत्ता हासिल करती है तो भाजपा का मनोबल बढ़ेगा और उसकी राष्ट्रीय राजनीतिक वजूद बढ़ेगा। -(ओ.पी. पाल से बातचीत के आधार पर) 21Mar-2021

आजकल: पश्चिम बंगाल: ममता और मोदी के बीच वर्चस्व का संघर्ष

-धीरेन्द्र पुंडीर, राजनीतिक विश्लेषक पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की शतरंज पर मुख्य मुकाबले में पीएम मोदी और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी है, बाकी सियासी दल या नेता तो इस सियासी शतरंज की मोहरे हैं। मसलन बंगाल चुनाव में मां माटी मानुष के नारे के साथ बंगाली लोगों में लोकप्रिय रहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने राजनीतिक वजूद को बचाने के लिए वर्चस्व के लिए संघर्ष कर रही है। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों से भाजपा राज्य में सत्ता हासिल करने के इरादे से सभी दांवपेंच के साथ पूरी ताकत झोंकें हुए है। तृणमूल कांग्रेस के वे ज्यादातर नेता ममता को अकेले छोड़कर भाजपा के साथ चले गये हैं, जिन्हें ममता ने सियासी ताकत देने का काम किया। इससे ममता को अपना सियासी किला दरकता तो नजर आ रहा है, लेकिन वह भाजपा के हिंदुत्व की राजनीति का अनुसरण करने के साथ मंचों पर कलमा भी पढ़ने से पीछे नहीं है। इसका कारण यह भी है कि ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टिकरण जैसे आरोप भी लगते रहे हैं। बंगाल के चढ़ते चुनावी पारे में जिस प्रकार के आरोप प्रत्यारोपों का दौर चल रहा है उसमें ममता जिस प्रकार भाजपा के खिलाफ दंगा कराने, झूठे वायदे करने और महंगाई जैसे मुद्दों को जनता के सामने ले जा रही है। ममता बनर्जी ने अपने आपको बंगाल की बेटी बताते हुए भाजपा को बाहरी करार देकर भाषाई और हिंदुत्व के मुद्दे को भी छूने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पश्चिम बंगाल के लिए इस समय ममता एक बड़ा चेहरा है, जिसने अपने सियासी संघर्ष के सहारे 34 साल के वाममोर्चा के शासन को ध्वस्त करके दस साल तक अपना शासन चलया, जो इस समय अपनी सत्ता की हैट्रिक बनाने के लिए हर सियासी मोहरे व रणनीति का सहारा ले रही हैं। लोकसभा में जिन नतीजों से भाजपा उत्साहित है उसमें कांग्रेस और वामदलों के हिंदुत्व वोट के सहारे भाजपा का ही नहीं, बल्कि तृणमूल कांग्रेस के वोट बैंक में अच्छा इजाफा हुआ था। हालांकि भाजपा ने भी बंगाल में जनमानस में तेजी से अपनी पैठ बनाई। इसी पैठ का नतीजा है कि सियासी हवा के रूख को देख तृणमूल कांग्रेस के ज्यादातर बड़े नेताओं ने पाला बदल कर भाजपा का दामन थामा है, जिसे ममता के लिए किसी झटकों से कम नहीं है। लेकिन ममता भी सियासत की बड़ी खिलाड़ी हैं, जिसके अनुभव से घायल होने के बावजूद चुनावी रण में पार्टी की कमजोर नब्ज को मजबूती देकर किसी तरह सत्ता में वापसी के लिए संघर्ष करने में धुंआधार तरीके से आगे बढ़ रही हैं। फिलहाल पश्चिम बंगाल के चुनावी सुर्खियों में ममता बनर्जी की तृणमूल और भाजपा ही केंद्र बिंदु हैं। बाकी कांग्रेस के आईएसएफ गठबंधन से हिंदुत्व वोट झिटक रहा है तो वहीं वामदलों की भी कमोबेस ऐसी ही स्थिति कही जा सकती है। इसलिए माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच ही चुनावी संघर्ष होने की संभावना है। राज्य में कांग्रेस या वामदलों के झंडे व बैनर और जनसभाओं में भीड़ का भी टोटा है। जहां तक पश्चिम बंगाल के चुनाव में किसान आंदोलन भाजपा के लिए कोई मुश्किल पैदा करेगा ऐसा कहीं दूर तक भी नहीं है। इस चुनाव में पीएम मोदी राज्य की महिलाओं को ज्यादा कनेक्ट कर रहे हैं जिस प्रकार से उनकी सभा में उमड़ी भीड़ में महिलाओं की तादाद नजर आई, उससे ममता बनर्जी के सामने अपने किले को बचाने की चुनौती जरुर होगी। हालांकि राज्य में ममता के वजूद के सामने भाजपा के सामने भी पश्चिम बंगाल को फतेह करना इतना आसान नहीं कहा जा सकता। --(ओ.पी. पाल से बातचीत पर आधारित) 21Mar-2021

हरियाणा: कैसे टूटेगा सड़कों पर मौतों का चक्रव्यूह!

--राज्य में सड़क हादसों और जवान मौतों सड़क हादसों के लिए जिम्मेदार कौन?-- --नए कानून के आधार पर सरकार का सड़क हादसों में कमी का दावा-- --सड़क सुरक्षा को दुरुरस्त करने की चुनौती अभी कोसों दूर-- ओ.पी. पाल, रोहतक देश में सड़क हादसों और बेहताशा असामयिक मौतों पर अंकुश लगाने के प्रयास में राष्ट्रीय स्तर पर बड़े हाईटेक उपाय किये जा रहे हैं, जिनमें सख्त प्रावधान वाले नया मोटर कानून लागू करने के साथ सुरक्षित सड़कों का डिजायन तैयार कर परिवहन व्यवस्था तथा यातायात विभागों को तकनीक से लैस करने जैसी योजनाएं भी शामिल हैं। इसके बावजूद सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौतों के आंकड़े अपेक्षाकृत कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। देश में लगातार सड़कों पर बढ़ते मौतों के इस तांडव को लेकर सवाल उठते हैं कि इनके लिए जिम्मेदार कौन है? खराब सड़के, यातायाता नियमों में खामियां, पुलिस और परिवहन विभाग या सड़क निर्माण में तकनीकी अभाव अथवा वाहन चालकों में कौशल विकास जैसी खामियां भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं हो सकता। मसलन कोई भी जिम्मेदारी अपने सिर नहीं लेता। सरकार संशोधित नए मोटर वाहन कानून के सख्त प्रावधान और यातायात नियमों को लागू करके उनका सख्ती से पालन करना चाहती है, तो शायद वाहन चलाने वालों पर इसका कोई असर हो रहा हो ऐसा भी नहीं लगता? ऐसे हालातों में सड़क हादसों की जो बार बार तस्वीर सामने आ रही है उसमें 70 से 75 फीसदी सड़क हादसों में सर्वाधिक मौते तेज गति या ओवर स्पीड़ से वाहन चलाने यानि चालकों की लापरवाही के रूप में बड़ा कारण बनता दिख रहा है, जो सड़क सुरक्षा के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। ----------------------------------------- हरियाणा में भयावह है सड़क हादसों की तस्वीर हरियाणा राज्य में नया मोटर कानून लागू होने के बाद लगातार सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौतों में कमी के दावे तो किये जा रहे हैं, लेकिन बीते वर्ष 2020 के मुकाबले 2019 के आंकड़े बेहद दर्दनाक और दहलाने वाले हैं, जहां 10,944 सड़क हादसों में 7224 यानि 71 फीसदी से ज्यादा हादसे तेज गति यानि ओवर स्पीड़ से वाहन चलाने के कारण हुए और कुल 5057 मौतों में से सर्वाधिक 3640 यानि 72 फीसदी से ज्यादा मौतें सामने आई हैं। इससे भी ज्यादा दर्दनाक आंकड़े झकझौर करने वाले हैं, जिनमें मौत का काल बनने वाले 55 फीसदी से भी ज्यादा 18 से 45 साल तक के आयुवर्ग यानि युवा वर्ग के लाल हैं। हालांकि यदि अलग-अलग राहगीरों के हिसाब से देखा जाए तो सबसे ज्यादा 1673 पैदल चलने वाले सड़क हादसों में मौत के मुंह में समाए हैं, जिनका किसी वाहन चलाने से दूर तक ताल्लुक नहीं है। ------------------------------ 2020 में 13.82 फीसदी कमी का दावा हरियाणा में सड़क हादसों और उनमें हो रही असामयिक मौतों में कमी का दावा करने के लिए राज्य पुलिस ने वर्ष 2020 के दौरान आई कमी का हवाला दिया, जिसमें 9431 सड़क हादसे पिछले साल 2019 के 10944 हादसों की तुलना में 13.82 प्रतिशत कम हैं। 2019 के सड़क हादसों में हुई 5057 लोगों की मौतों की तुलना में वर्ष 2020 में 4507 का आंकड़ा 10.87 प्रतिशत गिरावट बता रहा है। इसी प्रकार 2019 की तुलना में 2020 के दौरान घायलों की संख्या में भी 18.19 प्रतिशत कमी का दावा किया गया है। जबकि 2019 के हादसो में 2899 गंभीर समेत 9362 लोग घायल हुए थे। हरियाणा पुलिस प्रशासन इस गिरावट को भले ही राज्य में बेहतर यातायात प्रबंधन, सुरक्षा मानकों में विस्तार, यातायात नियमों का बेहतर प्रवर्तन जैसे सड़क एवं यातायात सुरक्षा व्यवस्था बता रहे हों, लेकिन विशेषज्ञों की माने तो कोरोना महामारी में लॉकडाउन और विभिन्न गतिविधियों के साथ अवाजाही पर के प्रतिबंध भी वजह से साल 2020 में यह कमी आना तय था। इस प्रकार देखा जाए तो पिछले छह साल में सड़क हादसों व मौतों में कमी आई है। इनसे पहले वर्ष 2018 में हुए 11,238 हादसों के मुकाबले यह संख्या 294 यानि 2.6 फीसदी गिरावट दर्ज कराती है। जबकि 2019 में 5057 मौतें 2018 के मुकाबले 61 यानि 1.2 फीसदी की कमी दर्ज कर रही है। -------------------------------- हरियाणा में युवा लालों की ज्याद गई जान हरियाणा राज्य में वर्ष 2019 में सड़क हादसों और उनके कारण हुई मौतों में कमी तो दर्ज की गई है, लेकिन आंकड़े झकझौर करने वाले इसलिए भी हैं कि इन हादसों में मौत का ग्रास बने 55 फीसदी से भी ज्यादा 18 से 45 साल तक की आयु वर्ग यानि युवा वर्ग के लाल हैं। वर्ष 2019 के दौरान हरियाणा की सड़कों पर हुए 10,944 सड़क हादसों में 579 महिलाओं और 4478 पुरुषों समेत 5057 लोगों को असामियक जान गंवानी पड़ी और 6463 लोग घायल हुए, जिनमें 2899 गंभीर चोटों की वजह से शारीरिक रूप से विकलांगता की जिंदगी के सफर पर हैं। हालांकि राज्य मे पिछले एक साल वर्ष 2018 में 474 के मुकाबले वर्ष 2019 में शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले 299 हादसों के सथ कमी देखी गई। -------------------------------- सबसे ज्यादा पैदल चलने वालों की मौत हरियाणा में वर्ष 2019 के दौरान अकेले 3131 सड़क हादसों में 185 महिलाओं समेत सर्वाधिक 1673 ऐसे लोगों जान से हाथ धो चुके, जिनका किसी वाहन के इस्तेमाल से दूर तक का वास्ता नहीं यानि ऐसे ये लोग पैदल राहगीर हैं। ऐसे पैदल मारे गये लोगों में भी 734 युवा वर्ग यानि 18-45 साल वालों की संख्या ज्यादा रही। 466 लोग तो इतने घातक तरीके से मारे गये, जिनकी आयु का भी अंदाजा नहीं लगाया जा सका। यही नहीं पैदल चलते हुए 1432 से 739 लोग अपाहिज की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। इसी प्रकार राज्य में 103 साइकिल सवार के अलावा बिना मोटर चालित वाहन चालक या उसमें सवार 105 लोगों की भी मौत के मुहं में समा गये। राज्य अन्य तरीकों से हुई दुर्घटनाओं में भी 419 लोगों की गई है। ---------------------------- दो पहिया वाहनों के ज्यादा हादसे राज्य में हालांकि सर्वाधिक 3322 मोटर साइकिल जैसे दुपहिया वाहनों के सड़क हादसे सामने आए। इसमें चालकों समेत 1614 मौतों में 1261 यानि 75 फीसदी से भी ज्यादा युवा वर्ग शामिल रहा। हरियाणा में कार, जीप या टैक्सी हादसों में 589, ट्रक या लॉरी में 320 लोगों, बस दुर्घटनाओं में 135 लोगों की जाने गई। जबकि ऑटो रिक्शा के हादसों 242 दुर्घटनाओं में 99 मौते सामने आई हैं। -------------------------------- ग्रामीण इलाकों में ज्यादा दर्दनाक मामले हरियाणा में 2019 के दौरान सड़क हादसों में से शहरी क्षेत्र में 3711 हादसे हुए, जिनमें 1662 मौतें और 3389 घायल हुए। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 7233 हादसों में 3425 लोगों की असामयिक मौत और 5973 घायल हुए। -------------------------------- यातायात नियमों का उल्लंघन भी खूब राज्य में यातायात नियमों को दरकिनार कर सुरक्षा के बिना वाहन चलाने के कारण भी में 2019 के दौरान 268 चालकों और 210 सवारियों की मौत हुई। बिना हैलमेट के दुपहिया वाहन चलाने वाले 371 चालक और उनके साथ बैठी 183 सवारियां काल का ग्रास बनी। इसी प्रकार रेड लाइट जंपिंग करने के कारण हुए हादसों में 142, वाहन चलाते समय मोबाइल का इस्तेमाल के कारण 243 और अन्य यातायात नियमों को नजरंदाज करने की कीमत 482 मौत का शिकार बने। इसके अलावा राज्य में ओवर स्पीड़ से वाहन चलाने के कारण सर्वाधिक 7224 हादसों में 3640 मौतें हुई। जबकि 5949 लोग घायल हुए, जिनमें 1604 गंभीर चोटों के कारण अपाहिज जीवन जीने को मजबूर हैं। राज्य में शराब पीकर या नशे में 299 हादसों में 132 मौत तथा गलत साइड से वाहन चलाने के कारण हुए 959 हादसों में 418 लोगों की मौत हुई है। ---------------------------- 13वें पायदान पर हरियाणा टॉप 15 राज्यों में देश में कुल 2019-1,51,113 मौतों में 1,34,109 यानि 88.6 प्रतिशत मौतें जिन टॉप 15 राज्यों में हुई, उनमें 5,057 मौतों यानि 3.3 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ 13वें पायदान पर रहा। ---------------------- देश के नक्शे पर फरीदाबाद हरियाणा राज्य का फरीदाबाद जिला ऐसा है, जो सड़क हादसों के मामलों में देश के उन राज्यों में शामिल है, जो हरियाणा में सर्वाधिक सड़क हादसों के रूप में सामने रहा है। मसलन फरीदाबाद में जहां 2018 में 702 हादसों में 254 मौत और 649 घायल हुए थे, तो वहीं वर्ष 2019 में हरियाणा में यह जिला हरियाणा में सर्वाधिक 689 हादसों के लिए सामने आया। हालांकि हादसों में कमी आई, लेकिन पिछले साल की तुलना में इस साल दस ज्यादा यानि 264 मौत होने की पुष्टि की गई है। ----------------- 'अकेली सरकार दोषी नहीं' सड़क सुरक्षा के लिए कार्य करने वाली संस्था कंज्यूमर वॉयस के सीईओ अशीम सान्याल का कहना है कि देश में सड़क दुर्घटनाओं के लिए सरकार और खराब सड़कों को देाष देना तो आसान है, लेकिन लोग इस मामले में अपनी जिम्मेदारी से साफ बच निकलते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार भारत में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में शहरीकरण की तीव्र दर, सुरक्षा के पर्याप्त उपायों का अभाव, यातायात नियमों का सख्ती से पालन न होना, नशीली दवाओं एवं शराब का सेवन कर वाहन चलाना, तेज गति से वाहन चलाते समय हेलट और सीट-बेल्ट न पहनकर सुरक्षा को खतरे में डालना प्रमुख कारण है। सरकार के स्तर पर हर साल की तरह पिछले महीने ही सप्ताह की जगह पहली बार सड़क सुरक्षा माह के दौरान स्कूल से लेकर गोष्ठियों तक यातायात नियमों और सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक किया गया, लेकिन वही ढाक के तीन पात वाली कहावत नजर आ रही है। ----------------------------------------- राज्यों की पुलिस व परिवहन विभाग होंगे हाईटेक केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक मंत्रालय राज्यों की पुलिस व परिवहन अधिकारियों को हाईटेक बनाने के लिए उनके वाहनों के डैशबोर्ड पर सीसीटीवी कैमरे, हाईवे-जंक्शन पर स्पीड कैमरे आदि डिजिटल उपकरणों को लगाने की योजना तैयार कर रहा है। इसके लिए मंत्रालय ने हाल ही में 25 फरवरी को सड़क सुरक्षा, प्रबंधन की निगरानी व प्रवर्तन संबंधी मसौदा नियम हितधारों से सुझाव-आपत्ति भी आमंत्रित किये हैं। इस निगरानी व प्रवर्तन व्यवस्था का मकसद ट्रैफिक नियमों को तोड़ने की घटना की वीडियो-ऑडियो रिकॉर्डिंग करना है। इससे जहां वाहन चालक नियमों का उल्लघंन करने वाले इनकार नहीं कर सकेंगे, तो वहीं यातायात पुलिस अनावश्यक वाहन चालक को पेरशान नहीं कर पाएंगे। 15Mar-2021

हरियाणा के पिंजोर पहुंचे चार देशों के राजदूत

खूबसूरत कारीगरी का नमूना है पिंजौर गार्डन हरिभूमि न्यूज.रोहतक। भारत के धर्म ग्रंथों व पर्यटक स्थलों की भारत ही नहीं विदेशों में भी अलग पहचान है। जिस तरह से रामायण के पात्रों को भारत में पूजा जाता है वैसे रामायण व गीता का विदेशों में भी महत्व है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से पीएचडी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित दसवें अंतरराष्ट्रीय हैरिटेज टूरिज्म कॉन्क्लेव के तहत शनिवार को चैक गणराज्य के दूतावास के ऐम्बेसेडर महामहिम मिलन होवोरका, सैशिल्स गणराज्य के राजदूत थामस सिलबे पिल्ले, स्लोवाक गणराज्य के राजदूत ईवान लनकेरिक, स्लोवेनिया गणराज्य के राजदूत डाक्टर मरजन केनकन, इंडोनेश्यिा गणराज्य के चार्जडीएफेयर्स फ्रेडी पेई हैरीटेज वॉक पर हरियणा के पंचकूला के पिंजौर गार्डन पहुंचे। यहां पहुंचे सभी मेहमानों ने कहा कि पिंजौर गार्डन न केवल खूबसूरत कारीगरी का नमूना है बल्कि यह स्थान शहरी भीड़भाड़ से दूर सुकून देने वाली जगह है। उन्होंने कहा कि भारत जहां विशाल एवं अर्थपूर्ण संस्कृति वाला देश है वहीं यहां के पर्यटक स्थल ऐसे हैं जो लोगों का मनोरंजन करने के साथ-साथ कोई न कोई शिक्षा अथवा संदेश देते हैं। इस मौके पर पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के निदेशक डॉक्टर जतिंदर सिंह ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कान्क्लेव के में शामिल हुए देश-विदेश के प्रतिनिधियों ने पर्यटन के क्षेत्र को बढ़ावा देने तथा कोरोना के बाद विदेशी पर्यटकों को भारत की तरफ आकर्षित करना है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के निर्देश पर व हरियाणा सरकार के सहयोग से हुए इस आयोजन में सैकड़ों प्रतिनिधियों ने मंथन करते हुए भविष्य की रणनीति तय की है। इस अवसर पर हरियाणा पर्यटन विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक चंद्रकांत कटारिया, पिंजौर गार्डन के टूरिस्ट ऑफिसर अनिल कुमार के अलावा पीएचडी चैंबर में टूरिज्म कमेटी के चैयरमेन अनिल पराशर, ऐसोसियेशन आफ डोमेस्टिक टूर आपरेटर्स आफ इंडिया के प्रेजीडेंट पीपी खन्ना, इंडियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एंड कल्चरल हैरिटेज इनटैच की हरियाणा चैप्टर कन्वीनर डा. शिखा जैन, यूनाइटेड नेशन ग्लोबल कोम्पैक्ट नैटवर्क इंडिया की कार्यकारी बिदेशक शबनम सिद्दिकी, इंडियन हैरिटेज होटल्स ऐसोसियेशन के वरिष्ठ सदस्य जगदीप सिंह चंदेल, इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर पंकज पराशर समेत कई गणमान्यों ने अपने विचार व्यक्त किए। 14Mar-2021

आजकल: क्वाड के बाद ब्रिक्स सम्मेलन से नया अध्याय की उम्मीद

-डॉ. स्वर्ण सिंह, प्रोफेसर जेएनयू आज विश्व में भारत के लिए अमेरिका, रुस और चीन, तीनों से तालमेल बनाए रखने के लिए इनके त्रिकोणीय समीकरण को समझना होगा और उसे अपनी विदेश नीति में सर्वाच्च प्राथमिकता देनी होगी। चार देशों के क्वाड सुरक्षा सम्मेलन में इस समूह का हिस्सा न होते हुए भी, चीन का हिंद प्रशांत क्षेत्र में प्रभाव हमेशा चर्चा का विषय बना रहता है। गत शुक्रवार को हए पहले क्वाड शिखर सम्मेलन मैं भी चीन की चुनौती छायी नज़र आयी। हालाँकि क्वाड के चारों देशों को चीन की निरंकुश उत्थान को लेकर चिंता बनी रहती है लेकिन न रूस और न ही अमेरिका सीधा चीन से भीड़ना चाहते हैं। भारत की भी यही नीति होनी चाहिए कि उसका सब देशों से तालमेल बना रहे और उसे किसी एक शक्ति पर निर्भर न होना पड़े।ऐसा होने पर भारत को फ़ायदा कम और नुक़सान ज़्यादा हो सकता है। इसीलिए, क्वाड शिखर वार्ता के बाद अब ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजवानी में भारत को रूस और चीन के साथ तालमेल सुधारने का अबसर मिलने जा रहा हैं। भारत के लिए यह दोनों सम्मेलन विदेश नीति में पारम्परिक संतुलन बनाए रखने में सहायक होंगे। ख़ासकर, हाल ही में तनाव की शिकार भारत-चीन स्मवंधों में इसका अच्छा योंगदान हो सकता है ताकि भारत अपनी कूटनीति से अपने राष्ट्र हितों को साध सके। और शायद चीन भी भारत को अमेरिका की पाले में पूरा धकेलना नहीं चाहेगा। जहां तक चीन का सवाल है उसको लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन भले ही कड़ा संदेश देने का प्रयास किया हो, लेकिन अमेरिका के हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सभी मित्र देश चीन से लगातार जज नज़र आते हैं। इसीलिए बाइडन बार बार सभी देशों को साथ लेकर चीन की चुनौती को सुलझाना चाहते हैं और क्वाड शिकार वार्ता में भी उन्होंने अपने सहयोगियों और साझेदारों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्धता को दोहराया। इसलिए यह साफ है कि भारत के लिए अमेरिका कभी चीन से नहीं भिड़ेगा। इतिहास भी यही बताता है। भारत का नेतृत्व इन जटिल सामरिक समीकरणो को खूब अच्छे से समझता हैं। इसीलिए पिछले साल भारत और चीन के बीच बढ़े तनाव के कारण भारत ने जो कई कठोर फैसलों के साथ चीन से आयात पर प्रतिबंध लगाए थे और अमेरिका से सैन्य सहयोग भी बढ़ाया उनमें परिवर्तन होता नज़र आता है। पिछले साल यह भारत और चीन के रक्षा व विदेश मंत्रियों की वार्ता-जो रूस में हुईं थी- से आगे चलकर सीमा के तनाव में स्थिरता आने से चीन की राष्ट्रपति शी चिन्फ़िंग के ब्रिक शिखर सम्मेलन में भारत आने की उम्मीद हैं। सीमा को लेकर पिछले कुछ सालों में तनाव की बबजूद चीन लतगार भारत की आयात का सबसे बड़ा स्रोत बना रहा हैं। इंहिं सालों में जब भारत को ‘फ़र्मएसी ओफ द वर्ल्ड’ का ख़िताब मिला हैं तो भारत मैं बन्ने वाली दवायीयों में इस्तेमाल होने वाले कचे माल का चीन से आयात लगातार वड़ा है। आप चीन विश्व का सबसे वड़ा व्यापारी देश हैं लेकिन भारत की विदेश और रक्षा नीति स्पष्ट रही है और इसे चीन के साथ पिछली सभी शिखर वार्ताओं में भारत रेखांकित करता रहा है। यानि बेहतर संबंध कायम करने और भारत-चीन संबंधों की पूरी संभावनाओं को मूर्त रूप देने के लिए सीमा पर शांति बनाए रखना एक पूर्वापेक्षा है, जिसमें चीन की और से विश्वाास की कमी विवादों का प्रमुख कारण रहा है। उधर चीन की तरह रुस भी भले की क्वाड का हिस्सा न हो पर उसकी इस क्षेत्र के वड़ी शक्तियों-जैसे भारत, इंडोनेशिया, वियतनाम के साथ गहरी हिस्सेदारी रही है। तो रूस की चीन से बढ़ती दोस्ती के बबजूद उसको भी एशिया प्रशांत में बने रहने के लिए भारत की नजदीकी की ज़रूरत हैं। रूस ज़ाहिर हैं की चीन के छोटे भाई की भूमिका में रहने के पक्ष में कतई नहीं है। रुस एक हद तक चीन से दोस्ती जरुर बढ़ा रहा है, लेकिन भारत भी उसके लिए उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है। लेकिन युद्ध जैसी स्थिति में रुस भी भारत के लिए चीन से भिड़ने वाला नहीं है। रुस हमेशा भारत और चीन के साथ बेहतर रिश्तों को दोहराता रहा है। ऐसे में भारत के लिए जरुरी है कि वह मौजूदा समय में अपनी शक्ति को बनाए रखने के लिए संयम और कूटनीतिक तरीके से संतुलन को कायम रखे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2018 में ही हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर सिंगापुर में अपने भाषण में भारत के दृष्टिकोण स्पष्ट किया था, उसमें रुस के अलावा चीन हिंद प्रशांत के साथ जोड़ने की प्रतिबद्धता शामिल थी। और इसका महत्व आज भी बरकरार है। भारत के लिए सबसे बेहतर स्थिति यही होगी, कि वह इस अमेरिका-चीन-रूस के त्रिकोणीय सामरिक समीकरण में अपनी भूमिका को लगातार मजवूत कारक रहे। एक भारत ही है सो इन तीनो में स्थिरता बनाय रखने हेतु एक सेतु की भूमिका निभा सकता कि और यही भारत की संस्कृति भी है। आज ऐसा कर देखने में भारत की ‘वैक्सीन मैत्री’ उसकी सबसे बड़ी ताक़त होगी। पहले ही भारत विश्व के ६० प्रतिशत वैक्सीन बना रहा हैं और अब रूस के स्पुतनिक वैक्सीन का उत्पाद भी भारत करने जा रहा है। भारत को इस त्रिकोणिये सामरिक समीकरण में अपनी भूमिका बड़ी ही सावधानी से उसे गढनी होगी। मसलन बिना किसी आक्रोश के कूटनीति तरीके से चीन को साधना होगा। क्वाड सम्मेलन हो या प्रस्तावित व्रिक्स सम्मेलन इन सभी शिखर वार्ताओं में भारत को दुश्मनी के बजाए संतुलन बनाए रखने की जरुरत है और इसमें क्वाड शिखर वार्ता के बाद अब आने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में चीन से भी आपसी संतुलन को सुधार जा सकता हैं। -(ओ.पी. पाल से बातचीत पर आधारित) 14Mar-2021

बजट: हरियाणा में मजबूत होगा बुनियादी ढांचा

सरकार ने बजट में खोले विकास के रास्ते हरिभूमि न्यूज.रोहतक। हरियाणा के वर्ष 2021-22 के बजट में सरकार ने राज्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए इंफ्राटक्चर के लिए बजट आवंटन में अपना खजाना खोल दिया है। इसमें रेल, सड़क व हवाई परिवहन के अलावा पर्यटन के साथ कला व संस्कृति को भी प्रोत्साहन देने की घोषणाएं की गई हैं। ---5618 करोड़ से बनेगा हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर--- हरियाणा में रेल संपर्क को बढ़ाने और गैर-सेवारत क्षेत्रों में रेल अवसंरचना के संवर्धन के लिए 5618 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे 'हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर' को गति देने के लिए यह 122 किलोमीटर लंबी विद्युतीकृत दोहरी रेलवे लाइन सोहना-मानेसर-खरखौदा-दिल्ली को बाईपास करेगी और पलवल को हरसाना कलां से जोड़ेगी। यह लाइन डीएफसी के लिए फीडर लाइन के रूप में कार्य करेगी और हरियाणा के औद्योगिक विकास में योगदान देगी। कुरुक्षेत्र शहर में 5.5 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड रेलवे लाइन का कार्य सौंपा गया है, जिससे नरवाना-कुरुक्षेत्र रेलवे लाइन पर पांच रेलवे क्रॉसिंग्स समाप्त होंगे। कैथल शहर के लिए 4.5 किलोमीटर लंबे एलिवेटेड रेलवे ट्रैक की एक परियोजना तैयार की गई है और स्वीकृति के लिए रेल मंत्रालय को भेजी गई है। ---राष्ट्रीय राजमार्गो का विस्तार--- हरियाणा के बजट में सरकार ने सड़क एवं भवन निर्माण के लिए 2985 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है। सरकार ने पटौदी बाईपास सहित गुरुग्राम-पटौदी-रेवाड़ी सड़क के चारमार्गीय का कार्य भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2021-22 के दौरान करने का ऐलान किया है। इसके अलावा केंद्रीय सड़क परिवरहन द्वारा हिसार-तोशाम-बाढ़ड़ा-सतनाली-महेंद्रगढ़-रेवाड़ी सड़क को सैद्धांतिक रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में सैद्धांतिक मंजूरी दे चुका है। वहीं राखीगढ़ी ऐतिहासिक स्थल के साथ बेहतर संयोजिता प्रदान करने के लिए भारत सरकार को कैथल-जींद-हांसी सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने और भारत माला परियोजना के तहत इस सड़क को चारमार्गीय बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है। वहीं परिवहन क्षेत्र में अगले जून 2021 तक राज्य परिवहन में मैनुअल टिकट प्रणाली के स्थान पर ओपन लूप टिकटिंग सिस्टम और जीपीएस सिस्टम शुरू किया जाएगा। 124 इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी। कैथल जींद हांसी सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करके 4 मार्गीय बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके अलवा सरकार ने परिवहन विभाग के लिए 2408 करोड़ का आवंटन किया है। ---नौ ड्राइविंग प्रशिक्षण संस्थान खुलेंगे--- सरकार ने बजट में भारी मोटर वाहन चलाने के लिए आवेदकों को अत्याधुनिक प्रशिक्षण सुविधा प्रदान करने के लिए कैथल, बहादुरगढ़ और रोहतक में तीन ड्राइविंग प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान संचालित किए गए हैं। फरीदाबाद, नूंह, भिवानी, करनाल, रेवाड़ी, सोनीपत, जींद, पलवल और यमुनानगर में नौ और ऐसे संस्थान स्थापित किए जा रहे हैं। इसके अलावा, गुरुग्राम में एक क्षेत्रीय ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जा रहा है। ---वाहनों फिटनेस केंद्रों का ऐलान--- रोहतक जिले के कन्हेली गांव में पहले से ही एक निरीक्षण और प्रमाणन केंद्र कार्यरत है। यह केंद्र जींद, रोहतक, पानीपत, सोनीपत और झज्जर जिलों के परिवहन वाहनों की फिटनेस आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहा है। इस तरह के 6 और केंद्र अंबाला, करनाल, हिसार, रेवाड़ी, फरीदाबाद और गुरुग्राम में स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है। मसूदपुर, खेड़ी लोहचब और धर्म खेड़ी में तीन नए हर्बल पार्क बनेंगे। ---हिसार एयरर्ग्ट हवाई अड्डों पर नाइट लैंडिंग की सुविधा--- मनोहरलाल ने कहा कि भिवानी में एक अन्य फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल स्थापित करने की योजना है। 2021-22 में चार हवाई अड्डों हिसार, पिंजौर, करनाल और नारनौल में नाइट लैंडिंग की सुविधा प्रदान की जाएगी। ---पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा--- हरियाणा के बजट में राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 113 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव किया गया है। इसके तहत राज्य सरकार जिला भिवानी के लोहारू किला और तिगड़ाना (हड़प्पा स्थल), जिला फतेहाबाद में कर्णकोट (भट्टू), जिला फरीदाबाद में बल्लभगढ़ में रानी की छत्तरी, जिला नूंह में पुराना तहसील भवन नूंह, मकबरा परिसर तावडू और चुहीमल की छत्तरी, जिला जींद में किला जफरगढ़, जिला झज्जर में दुजाना में लाल मस्जिद और बाघवाली कोठी, जिला कैथल में कैथल किला को पंजाब पुरातन ऐतिहासिक स्मारक एवं पुरातात्विक स्थल तथा अवशेष अधिनियम 1964 के अंतर्गत राज्य के संरक्षण में लेगी। सरकार ने इसके अलावा पुरातत्व व अभिलेखागार को 143 करोड़ तथा कला व संस्कृति के लिए 19 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रावधान किया गया है। इस क्षेत्र में राखीगढ़ी में विवेचन केंद्र के स्थल संग्रहालय का निर्माण कार्य जारी है। फतेहाबाद में कर्णकोट के पूर्व-हड़प्पा स्थल पर स्थल संग्रहालय स्थापित करने की परियोजना शुरू की गई है। पंचकूला में राज्य पुरातत्व संग्रहालय स्थापित किया जा रहा है। ---विकसित होगा दिव्य कुरुक्षेत्र--- केंद्रीय पर्यटन मत्रांलय के सहयोग से तीर्थस्थलों का जीर्णोद्धार एवं आध्यात्मिक संवर्धन अभियान के तहत कुरुक्षेत्र में कृष्णा सर्किट, रेवाड़ी-महेंद्रगढ़-माधौगढ़-नारनौल हेरिटेज सर्किट, पंचकूला में श्री नाडा साहिब गुरुद्वारा एवं माता मनसा देवी मंदिर और आदि-बद्री को विकसित किया जाएगा। हरियाणा सरकार कुरुक्षेत्र जिले में 134 स्थलों के साथ 40 कोस में दिव्य कुरुक्षेत्र विकसित करेगी। इस प्रतिष्ठित पर्यटन गंतव्य को कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड विकसित करेगा। इसके लिए बजट में 50 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव रखा गया है। ---विकसित होंगे दो फिल्म सिटी--- सरकार का सिनेमा जगत को प्रोत्साहित करने और राज्यभर में फिल्म बनाने की सुविधाएं उपलब्ध करवाने का लक्ष्य है। हरियाणा में मनोरम, ऐतिहासिक स्थल हैं। सरकार का पिंजौर और गुरुग्राम को फिल्म सिटी के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव है। एक ही संस्थान में केजी से पीजी तक शिक्षा प्रदान करने की योजना है। एकीकृत विमानन हब की स्थापना के लिए मौजूदा हवाई पट्टी के साथ लगती 4200 एकड़ भूमि की व्यवस्था। इसके लिए भूमि हस्तांतरण बढ़ाकर 7200 करोड़ रुपये किया जाएगा। ---मानेसर के निकट ग्लोबल सिटी---- मानेसर के निकट एक ग्लोबल सिटी विकसित कर रहे हैं जोकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट होगी। पट्टे पर दी गई दुकानों और दूसरी परिसंपत्तियों, जो 20 वर्ष या इससे अधिक समय से पट्टेदार के स्वामित्व में हैं, उनकी बिक्री के लिए एक नीति प्रस्तावित की गई है। इससे शहरी निकायों की वित्तीय स्थिति बढ़ेगी। पंचकूला, हिसार, कुरुक्षेत्र में आइएएस व एचसीएस काडर के पालिका आयुक्त के पद सृजित किए गए हैं। ---औद्योगिक एवं वाणिज्यिक टाउनशिप--- मनोहरलाल ने कहा कि सोनीपत में खरखौदा के निकट लगभग 3,300 एकड़ भूमि पर एक अत्याधुनिक औद्योगिक एवं वाणिज्यिक टाउनशिप और सोहना में लगभग 1400 एकड़ भूमि पर औद्योगिक मॉडल टाउनशिप विकसित किए जा रहे हैं। ये टाउनशिप गुरुग्राम-सोहना-अलवर राजमार्ग को जोड़ने वाले केएमपी एक्सप्रेसवे के निकट होंगे। नंगल चौधरी, नारनौल में 886.78 एकड़ क्षेत्र पर 4000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ एक इंटीग्रेटिड मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक हब को पीपीपी मोड में उत्तर भारत के सबसे बड़े लॉजिस्टिक हब के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसमें माल की आवाजाही के समय को 14 दिन से कम करके 14 घंटे करने की क्षमता है। ---सिरसा, यमुनानगर व कैथल को मिले मेडिकल कालेज--- हरियाणा के बजट में यमुनानगर, कैथल और सिरसा जिलों में मेडिकल कालेज स्थापित करने का ऐलान किया गया। सरकार ने कहा कि हर सिविल अस्पताल में न्यूनतम 200 बेड उपलब्ध होंगे। उन्होंधने कहा कि पांच लाख रुपये तक की आय वाले परिवारों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिलेगा। वहीं प्रत्येक जिला अस्पताल में आइसीयू व प्राइवेट रूम स्थापित होंगे। ---सरस्वाती नदी पुनरोद्धार योजना---- सीएम ने बजट भाषण में कहा कि सरस्वती नदी के पुनरोद्धार के लिए मानसून के दौरान 1680 हेक्टेयर मीटर की शुद्ध गतिशील भंडारण क्षमता के साथ आदीबद्री बांध, सोम सरस्वती बैराज और सोम सरस्वती जलाशय के निर्माण की परियोजना तैयार की जा रही है। पांवटा साहिब से कलेसर तक यमुना नदी के प्रवाह क्षेत्र पर हथनीकुंड बैराज की अपस्ट्रीम में एक बांध बनाने का प्रस्ताव है। 13Mar-2021

कृषि बजट: किसानों की आय बढ़ाने की परिकल्पना

किसानों के लिए की गई कई घोषणाएं रोहतक। हरियाणा के बजट में सरकार ने वर्ष 2021-22 के दौरान 2998 करोड़ रुपये के आंवटन का प्रावधान किया है। वित्तमंत्री के तौर पर बजट भाषण में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य का जिक्र करते हुए कहा कि कृषि अर्थव्यवस्था का आधार है। सरकार उसी के लिए किसानों के लिए ज्यादा से ज्चाद सुविधाएं देने का काम कर रही है। इसी दिशा में बजट में उन्होंने किसान मित्र योजना शुरू करने की घोषणा की। इस योजना के तहत किसानों को कई सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी। इस योजना में विभिन्न बैंकों की साझेदारी में राज्य में 1000 किसान एटीएम स्थापित करने की परिकल्पना की गई है। कृषि क्षेत्र में सिंचाई के लिए 5081 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। सरकार ने पशुपालन डेयरी के लिए 1225 करोड़ रुपये और मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए 125 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए ही एसवाईएल नहर के निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपये के बजट का आवंटन करने का प्रस्ताव किया गया है। किसानों की सुविधा के लिए सरकार ने बजट में 125 नई मृदा जांच प्रयोगशाला स्थापित करने की घोषणा की। वहीं घर घर जाकर मृदा जांच करने की योजना तैयार की गई है। इसके अलावा बागवानी के लिए 498 करोड़ रुपये का आवंटन करने का प्रस्ताव किया गया है। इसके तहत ही बजट में सोनीपत में बागवानी मंडी स्थापित करने का भी ऐलान किया। ---बायो गैस व बायो मास प्लांलट स्थापित होंगे--- फसल अवेशेषों के उपयोग के लिए हरियाणा में पेट्रोलियम मंत्रालय के सहयोग से 100 कंप्रेस्ड बायो गैस तथा बायो मास प्लांट स्थापित होंगे। वर्ष 2021-22 में धान के अधीन क्षेत्र का क्षेत्रफल दो लाख एकड़ कम करने की योजना है। जीरो बजट खेती पद्धति के तहत हरियाणा में तीन साल में एक लाख एकड़ क्षेत्र को कवर करने की योजना है। ----किसान मित्र योजना शुरू होगी--- उन्हों ने हरियाणा में किसान मित्र योजना शुरू करने की घोषणा की। उन्होंजने कहा कि बैंकों की साझेदारी से राज्य में एक हजार किसान एटीएम स्थापित करने की परिकल्पना तैयार की गई है। कानूनी सहायता योजना के तहत अनुसूचित जाति के लोगों को अदालतों में संपत्ति, कृषि, भूमि, किराया और आरक्षण से संबंधित मामलों की पैरवी के लिए अब 11000 की जगह मिलेंगे 22000 रुपये मिलेंगे। हरियाणा सरकार के पैकेज्ड उत्पादों की बिक्री के लिए 22 जिलों में दो हजार रिटेल आउटलेट खोलने की योजना है। भंडारण गृहों में सीसीटीवी कैमरे लगेंगे। ---हर खेत-स्वस्थ्य खेत योजना--- बजट में सीएम ने 'हर खेत-स्वस्थ खेत योजना' शुरू करने की घोषणा की। इस अभियान के तहत मृदा स्वास्थ्य और मृदा की गुणवत्ता के आधार पर फसल चयन की सुविधा उपलब्ध कराने पर बल दिया जाएगा। अप्रैल 2021 से प्रत्येक एकड़ के मृदा नमूनों के संग्रहण और जांच का काम बड़े पैमाने पर शुरू होगा। अगले तीन सालों में राज्य के पूरे क्षेत्र को कवर करने की योजना है। हरियाणा के स्कूलों, कालेजों, तकनीकी विश्वरविद्यालयों व संस्थानों में 125 मृदा जांच प्रयोगशालाएं स्थापित होंगी। 2021-22 में कम से कम एक लाख एकड़ भूमि सुधार का प्रस्ताव है कि मार्च 2022 तक एक हजार किसान उत्पादक संगठन स्थापित होंगे। ----आम, अमरूद सहित सिट्रस फलों पर सब्सिडी बढ़ाई---- मुख्यिमंत्री ने कहा कि आम, अमरूद और सिट्रस फलों के बागों पर सब्सिडी की सीमा 16 हजार रुपये से बढ़ाकर 20 हजार रुपये प्रति एकड़ की गई है। उन्होंनने कहा कि अमरूद के लिए एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की योजना है। 70 लाख पशुधन के लिए पंडितम दीनदयाल उपाध्याय सामूहिक पशुधन बीमा योजना होगी। ----फसल अवशेष प्रबंधन पर अभियान---- इस बजट भाषण के दौरान मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हमारी सरकार ने फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए एक अभियान शुरू किया है। किसानों को सब्सिडी के आधार पर 10,042 मशीनें प्रदान की गईं और 1,345 कस्टम हायरिंग सेंटर खोले गए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों से 29,950 करोड़ 2020-21 के दरम्यान खरीद एमएसपी के आधार पर की। अन्य हितधारकों के लिए 1800 करोड़ रु. दिए। रबी सीजन में यानी कि 2021-22 में गेहूं का लगभग 81.00 लाख मीट्रिक टन और सरसों का 7 लाख मीट्रिक टन और बाजरा की 7 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद होगी। 13Mar-2021

कई माह बाद बहाल हुआ अमृतसर-जंडियाला-ब्यास-सनेहवाल रेल मार्ग

सभी रद्द, निरस्त या मार्ग परिवर्तन वाली ट्रेने तय मार्ग व समय से चलेगी हरिभूमि न्यूज.रोहतक। किसानों के आंदोलन के कारण पिछले कई माह से हरियाणा व पंजाब के रास्ते चलने वाली सभी रद्द, अल्पावधि, डायवर्ट की गई ट्रेनें अब अमृतसर-जंडियाला-ब्यास-सनेहवाल रेल खंड पर अपने निर्धारित मार्ग और समय पर चलाई जाएंगी। यह जानकारी गुरुवार की देर शाम को उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार ने बताया कि कि अमृतसर-जंडियाला-ब्यास-सनेहवाल रेल खंड पर किसान आंदोलन की मंजूरी के बाद रेलवे ने सभी रद्द, अल्पावधि, डायवर्ट ट्रेनों को अपने निर्धारित मार्ग और समय से चलेगी, जिन्हें बहाल कर दिया गया है। ----ये ट्रेने थी कई माह से रद्द--- उत्तर रेलवे के अनुसार किसान आंदोलन के कारण रद्द चल रही ट्रेनों में दरभंगा-अमृतसर एक्सप्रेस, अमृतसर-सियालदह एक्सप्रेस शामिल हैं। जबकि शॉर्ट टर्मिनेशन वाली ट्रेनों में नांदेड़-अमृतसर एक्स. चंडीगढ़ से अमृतसर तक चल रही थी। इसी श्रेणी में इंदौर-अमृतसर एक्स.,कोरबा-अमृतसर एक्स. अंबाला से अंबाला-अमृतसर के बीच चलाई जा रही थी। ----मार्ग बदल कर चल रही थी 14 जोडी ट्रेने----- रेलवे के अनुसार मुंबई सेंट्रल-अमृतसर एक्सप्रेस स्पेशल, बांद्रा टर्मिनस-अमृतसर एक्सप्रेस स्पेशल, जयनगर-अमृतसर एक्सप्रेस स्पेशल, न्यूजलपाइगुड़ी-अमृतसर एक्सप्रेस, अमृतसर-नवजलपाईगुड़ी एक्सप्रेस स्पेशल, हरिद्वार-अमृतसर एक्सप्रेस स्पेशल, अमृतसर-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस स्पेशल को ब्यास-तरनतारन-अमृतसर के रास्ते मार्ग परिवर्तन कर चलाया जा रहा था। जबकि अमृतसर-मुंबई सेंट्रल एक्सप्रेस स्पेशल, अमृतसर-जयनगर एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेनें अमृतसर-तरनतारन-मटर के रास्ते चल रही थी। इनके अलावा जम्मूतवी-संभलपुर एक्सप्रेस स्पेशल को पठानकोट कैंट-जालंधर कैंट के रास्ते चलाया जा रहा था। अब अमृतसर-जंडियाला-ब्यास-सनेहवाल रेल खंड पर सभी ट्रेनों को बहाल कर दिया गया है। 12Mar-2021

चंडीगढ़ से अम्बाला छावनी के बीच 130 किमी गति से दौड़ेगी ट्रेन

सोमवार को किया गया ट्रायल-रन, उरे महाप्रबंधक ने चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर किया निरीक्षण हरिभूमि न्यूज.रोहतक। भारतीय रेलवे की ट्रेनों की गति सीमा बढ़ाने के लिए चलाई जा रही योजनाओं के तहत सोमवार को चंड़ीगढ़ और अंबाला छावनी के बीच रेलवे ट्रेक की क्षमता का आकलन करने के लिए 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति का ट्रायल-रन किया गया। उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने इस ट्रायल-रन के बाद चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पहुंचकर वहां यात्री सुविधाओं और यार्ड का भी निरीक्षण किया। उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिाकरी दीपक कुमार ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने आज अम्ब अंदौरा-चंडीगढ़ रेल सेक्शन का गहन निरीक्षण किया। इस दौरान चंडीगढ़ से अम्बाला छावनी के बीच 130 किलोमीटर प्रति घंटा की गति के ट्रायल-रन के बाद चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पहुंचे महाप्रबंधक गंगल ने चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर चंडीगढ़ यार्ड में प्वाइंट संख्या 129-बी के अलावा यहां एसएंडटी, डब्ल्यूएसओ क्लास रूम, पावर केबिन, रनिंग रूम, लॉबी, सर्कुलेटिंग एरिया और मेन पोर्च का निरीक्षण किया। इसके बाद उन्होंने कार्मिक विभाग द्वारा लगाए गए एचआरएमएस और आरईएसएस क्योस्क का उदघाटन और एचआरएमएस पुस्तिका का वितरण किया। उन्होंने स्टेशन अधीक्षक कार्यालय के निकट वीआईपी लाउंज में स्टेशन रि-लोकेशन प्लान पर चर्चा की। वहीं गंगल ने अम्बाला स्टेशन पर रेलवे यूनियनों और एसोसिएशनों तथा रेलयात्रियों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर उनकी समस्याएं सुनी। रेलवे के प्रवक्ता के मुताबिक उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल के सोमवार को अम्ब अंदौरा-चंडीगढ़ रेल सेक्शन के निरीक्षण करने के अभियान के दौरान उनके साथ अम्बाला मंडल के मंडल रेल प्रबंधक जी.एम.सिंह तथा मंडल के अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। महाप्रबंधक ने अम्ब अंदौरा रेलवे स्टेशन, सर्कुलेटिंग एरिया और यात्री सुविधाओं का भी निरीक्षण किया। ------------------ महाप्रबंधक ने अपने अगले पडाव पर महाप्रबंधक ने ऊना हिमाचल और नंगलडैम स्टेशनों का निरीक्षण किया। उन्होंने कैरिज एंव वैगन डिपो, रनिंग रूम, रेलवे कालोनी, सहायक स्टेशन मास्टर कार्यालय और सर्कुलेटिंग एरिया का निरीक्षण किया। उन्होंने वहां नवनीकरण किए गए प्रतीक्षालय का भी निरीक्षण किया। नंगलडैम से प्रस्थान के बाद महाप्रबंधक ने नंगलडैम-आनंदपुर साहिब के बीच 96/5-4 किलोमीटर पर कर्मचारी युक्त समपार संख्या सी-79 का निरीक्षण किया । इसके बाद उन्होंने आनंदपुर साहिब 84/01-83/17 और एसईजैड नं0-17 किलोमीटर पर प्वाइंट संख्या के-4 पर स्टेशन यार्ड का और इसके सर्कुलेटिंग एरिया का निरीक्षण किया । इसके बाद भरतगढ़ और घनौली के बीच 60/04-59/11 किलोमीटर पर पुल संख्या 140 का निरीक्षण किया। अगले पड़ाव रूप नगर स्टेशन पर महाप्रबंधक ने पूरे रेलवे स्टेशन परिसर और सर्कुलेटिंग एरिया का निरीक्षण किया। उन्होंने 34/11-3 किलोमीटर पर घुमाव संख्या 12 और उस के बाद मियांपुर कुराली के बीच 34/04-02 किलोमीटर पर गैंग नम्बर 5 (1+1+15) का निरीक्षण किया और कार्मिक विभाग द्वारा कर्मचारियों के लाभ के जारी पुस्तिका का वितरण किया । अगले पड़ाव स्टेशन साहबज़ादा अजीत सिंह नगर पर महाप्रबंधक ने स्टेशन, रेलवे कॉलोनी, यूएसएफडी और स्मॉल ट्रैक मशीन का निरीक्षण किया। 09Mar-2021

हरियाणा के लोगों के लिए अनाराक्षित ट्रेनें शुरू

रेवाड़ी-बठिंडा और अम्बाला-श्रीगंगानगर के बीच लोगों ने की यात्रा रेवाड़ी-फ़ाजिल्काल और दौलतपुर चौक-दिल्ली के बीच कल से चलेगी ट्रेनें हरिभूमि न्यूज.रोहतक। पिछले साल कोरोना महामारी के कारण रद्द हुई यात्री रेल सेवाओं को बहाल करने के सिलसिले में रेलवे ने पांच अनारक्षित ट्रेने चलाने का निर्णय लिया है, जिनमें हरियाणा के आम यात्रियों के लिए चार अनारक्षित विशेष ट्रेनों में यात्रा करने की सुविधा मिल सकेगी। यह जानकारी शुक्रवार को उत्तर रेलवे के मुख्य जनसपंर्क अधिकारी दीपक कुमार ने देते हुए बताया कि शुक्रवार को अग्रिम सूचना तक हरियाणा के रेवाड़ी से रेवाड़ी-बठिंडा-रेवाड़ी दैनिक अनारक्षित स्पेशल ने सुबह 09.15 बजे प्रस्थान किया, जो शुक्रवार को ही सांय 04.45 बजे बठिंडा पहुँची। वापसी दिशा में यह रेलगाड़ी बठिंडा से सांय 05.10 बजे प्रस्थान कर मध्यरात्रि 01.05 बजे रेवाड़ी पहुँचेगी। मार्ग में यह रेलगाड़ी किशगनढ बालावास, जाटूसाना, नागल पठानी हाल्ट, कोसली, सुधर्ना, अमरिली, झरिता, पतुवाश कहराणा, चारखी दादरी, फतेहगढ हरियाणा, मनहेस, धना लांदनपुर, भिवानी, सुई, बवानी खेडा, जीताखेडी, औरगाबाद, हांसी, भयोर, सतरोड, हिसार, नयौली कलां, जारबोज खेडा, मंडी आदमपुर, खतरांकला, भटटु, मेहरनवाला हॉल्ट, डिंग, जोधका, सूचनकोहली, बाजेकल, सिरसा, बारागुडा, सुखचेन, कोलीनगर, रतनगढ संकगल, रमण, बागी निहाभासई, मतवाला कोट बखतु, शेरगढ और गहरीमाग स्टेशनों पर दोनों दिशाओं में ठहरेगी। ----अम्बाला-श्रीगंगानगर के बीच सेवा शुरू----- रेलवे के अनुसार श्रीगंगानगर-अम्बाला अनारक्षित दैनिक स्पेशल तत्काल प्रभाव से शुरु कर दी गई है, जो पांच मार्च यानि शुक्रवार को श्रीगंगानगर से पूर्वाह्न 11.10 बजे प्रस्थान करके सांय 07.30 बजे अम्बाला पहुँची। वापसी दिशा में अम्बाला- श्रीगंगानगर अनारक्षित दैनिक स्पेशल रेलगाड़ी कल शनिवार 06 मार्च से अम्बाला से सुबह 06.35 बजे प्रस्थान करेगी, जो उसी दिन दोपहर 03.10 बजे श्रीगंगानगर पहुँचेगी। रास्ते में दोनों दिशाओं में यह स्पेशल रेलगाड़ी हिंदुमल कोट, कोठा पक्की, बकयान वाला, पंज कोसी, किला वाली पंजाब, अबोहर, बहावल वसी, पक्की, मलोट, फकरसर, दिडवाहा, बुलुमाना, बहमन सीवाना, बठिंडा, बठिंडा कैंट, भुच्चु, लहरा मोहब्बत, रामपुरा फूल, जेतुक, तपा, धूनस, हरियाअया, बरनाला, सेखा, अलाल, धुरी, कुलसेरी, छिनतनवाला, ककराला, लाभा, धबलान, पटियाला कैंट, पटियाला, डाउन कलां, कौली, राजपुरा, संभु और अम्बाला सिटी स्टेशनों पर दोनों दिशाओं में ठहरेगी । ----कल से रेवाड़ी व फ़ाजिल्का, के बीच अनारक्षित सेवा----- इसी प्रकार फ़ाजिलका-रेवाड़ी अनारक्षित दैनिक स्पेशल 07 मार्च से आगामी सूचना तक चलेगी, जो रेवाड़ी से सुबह 04.40 बजे प्रस्थान कर उसी दिन सांय 04.00 बजे फ़ाजिल्कार पहुँचेगी। वापसी दिशा में यह रेलगाड़ी फ़ाज़िल्का-रेवाड़ी अनारक्षित दैनिक स्पेशल 08 मार्च से फ़ाज़िल्का से सुबह 08.45 बजे प्रस्थान कर उसी दिन रात्रि 08.40 बजे रेवाड़ी पहुँचेगी। रास्ते में दोनों दिशाओं के दौरान यह रेलगाड़ी किशगनढ बालावास, जाटूसाना, नागल पठानी हाल्ट, कोसली, सुधर्ना, अमरिली, झरिता, पतुवाश कहराणा, चारखी दादरी, फतेहगढ हरियाणा, मनहेस, धना लांदनपुर, भिवानी, सुई, बवानी खेडा, जीताखेडी, औरगाबाद, हांसी, भयोर, सतरोड, हिसार, नयौली कलां, जारबोज खेडा, मंडी आदमपुर, खतरांकला, भटटु, मेहरनवाला हॉल्ट, डिंग, जोधका, सूचनकोहली, बाजेकल, सिरसा, बारागुडा, सुखचेन, कोलीनगर, रतनगढ संकगल, रमण, बागी निहाभासई, मतवाला कोट बखतु, शेरगढ, गहरीमाग, बठिंडा, चंद भान, गंगसर जैतू, अजीतगिल मट्टा, रोमाना अलबेल सिंह, कोटकपूरा, वॉन्डर जाताना, बरीवाला, नभावल वाली, चारवान, मुक्तसर, बधाई बालमगढ़, भागसर, लखेवाली, शेरनवाला, चाक पाखेवाला और चाक बनवाला स्टेशनों पर ठहरेगी। ----दौलतपुर चौक-दिल्ली जं. दैनिक स्पेशल---- 04554 दौलतपुर चौक-दिल्ली जं. दैनिक स्पेशल 07 मार्च से अग्रिम दौलतपुर चौक से रात्रि 08.20 बजे प्रस्थान करके अगले दिन सुबह 05.00 बजे दिल्ली जं. पहुँचेगी। वापसी दिशा में दिल्ली जं.-दौलतपुर चौक अनारक्षित दैनिक स्पेशल 08 मार्च से दिल्ली जं. से रात्रि 10.50 बजे प्रस्थान करके अगले दिन सुबह 08.20 बजे दौलतपुर चौक पहुँचेगी। मार्ग में यह दैनिक स्पेशल रेलगाड़ी ऊना हिमाचल, नंगलडैम, आनंदपुर साहिब, कीरतपुर साहिब, रूपनगर, कुराली, मोरिंडा, बस्सी पठाना,फतेहगढ़ साहिब, सरहिंद, राजपुरा, अम्बाला सिटी, अम्बाला कैंट, कुरूक्षेत्र, करनाल, पानीपत, समालखा, गन्नौर, सोनीपत, नरेली, बादली, और सब्जी मंडी स्टेशनों पर दोनों दिशओं में ठहरेगी। ------------------------------------------ ----नंगलडैम-दौलतपुर चौक-नंगलडैम दैनिक स्पेशल-- इसके अलावा नंगलडैम-दौलतपुर चौक दैनिक स्पेशल 07 मार्च नंगलडैम से सांय 06.00 बजे प्रस्थान करके उसी दिन सांय 07.25 बजे दौलतपुर चौक पहुँचेगी। वापसी दिशा में दौलतपुर चौक-नंगलडैम दैनिक स्पेशल रेलगाड़ी 09 मार्च से दौलतपुर चौक से सुबह 09.15 बजे प्रस्थान कर उसी दिन पूर्वाह्न 10.40 बजे नंगलडैम पहुँचेगी। मार्ग में यह विशेष रेलगाड़ी रहमतपुर, ऊना हिमाचल, हनरयापीएच, चुरारू टकराला, अम्ब अंदौरा तथा चिंतपूर्णी मार्ग स्टेशनों पर दोनों दिशाओं में ठहरेगी। 06Mar-2021

आजकल- सोशल मीडिया व ओटीटी प्लेटफार्म पर कानूनी शिकंजा

नए नियमों से बढ़ेगी ऑनलाइन कंपनियों की जवाबदेही व पारदर्शिता -पवन दुग्गल, सोशलमीडिया विशेषज्ञ भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जिस प्रकार से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर सोशल मीडया के बेजा दुरुपयोग और ओटीटी प्लेटफार्म पर उपभोगक्ताओं के साथ डिजिटल चिटिंग जैसे गतिविधियों पर शिकंजा कसना उसी तरह आवश्यक है, जिस प्रकर इलेक्ट्रिक और प्रिंट मीडिया कानूनी दायरे में शामिल है। केंद्र सरकार द्वारा और ओटीटी प्लेटफार्म के लिए नए दिशानिर्देश या नियमों को जारी करने से निश्चित रूप से देश डिजिटल के क्षेत्र में बहुत ही बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। ऐसा भी विश्वास है कि डिजिटल क्षेत्र में पारदर्शिता, उत्तरदायी, विश्वसनीयता और भी कई मौके देने के कारण बड़ा असर देखने को मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट की हिदायत के बाद ही सही, लेकिन देश को डिजिटल की दुनिया में ले जाने के लिए फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया और नेटफ्लिक्स-अमेजन या यूट्यूब, हॉट्स्टार जैसे ओटीटी जैसे प्लेटफार्मो को अब अपने अपनी साइटों पर मौजूद सभी कंटेंट को खुद से क्लासीफिकेशन करना जरुरी होगा। वहीं डिजिटल मीडिया को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरह सेल्फ रेगुलेशन करना होगा। केंद्र सरकार द्वारा इन दिशानिर्देशों में नए नियमों को डिजिटल उपयोगकर्ताओं के दृष्टिकोण से देखा जाए, तो उपयोगकर्ता अपने अकाउंट्स के वाल्यूंटरी सेल्फ वेरिफिकेशन का विकल्प, रिमूवल या एक्सेस न होने की स्थिति में वजह जानने का अधिकार और इंटरमीडियरीज की किसी भी कार्रवाई के विरुद्ध समाधान खोजने का अधिकार मिलना बेहद उपयोगी हो सकता है और इससे भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी को मजबूती मिलेगी। वहीं नियमों के तहत शिकायतों के समाधान, फर्जी खबरों की रोकथाम और ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करने के मकसद से कंपनियों या यूजर्स को आपत्तिजनक कंटेंट 24 घंटे में हटाना या डिलीट करना अनिवार्य होगा। यानि अब कंपनियां अपनी मनमर्जी से कोई आपत्तिजनक सामग्री अपने प्लेटफार्म पर नहीं डाल सकेगी। देश में सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्म पर पहली बार देश में कानूनी कार्रवाई करने के लिए नए दिशानिर्देशों में नियमों का मसौदा लागू किया जा रहा है, उससे ऑनलाइन कारोबार करने वाली कंपनियों को रुल एवं रेगुलेशन करने का प्रयास करना होगा अन्यथा कानूनी प्रावधानों के लिए उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। हालांकि सरकार के नियमों में सभी ऑनलाइन कंपनियों को अपने विभिन्न प्लेटफॉर्म को रेगुलेट करने की भी बात कही गई है। फिर भी सरकार इन दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जल्द ही आईटी-एक्ट के सेक्शन-79 में संशोधन कर सकती है, जिसमें आईटी एक्ट इंटरमीडियटरी रुल्स-2021 भी आना तय माना जा रहा है। भारत के दृष्टकोण से सरकार की 2015 से सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने के लिए चली आ रही इस लंबी कवायद की जा रही थी। अब सुप्रीम कोर्ट के सोशल मीडिया के जरिए भड़काऊ या आपत्तिजनक सामग्री, हेट स्पीच, फर्जी अकाउंट, नफरत भरे संदेश या फर्जी खबरों से नाराज सुप्रीम कोर्ट की कई बार नाराजगी के बाद केंद्र सरकार का यह फैसला देश की एकता और अखंडता की दृष्टि से भी सुरक्षित साबित होगा। वहीं डिजिटल प्लेटफार्म से भी देश को सुरक्षित रखने का नियंत्रण सरकार के हाथ में होगा। मसलन भारत में रहकर डिजिटल रहना होगा तो उसके कानून का पालन करना भी जरुरी होगा। केंद्र सरकार की के लिए जो कदम उठाया है वह इसके नकारात्मक प्रभाव को रोकने के इस पर नियंत्रण होना भी चाहिए, क्योंकि बिना नियंत्रण के देश मे देश और समाज में बढ़ते नकारात्मक खतरे की चुनौतियों से निपटा जा सके। सबसे खासबात ये है कि सरकार ने चीफ कंप्लायंस ऑफिसर, चीफ नोडल ऑफिसर, चीफ ग्रीवांस ऑफिसर की नियुक्ति करने का प्रस्ताव रखा है जो इस क्षेत्र मंर निगरानी करके डिजिटल प्लेटफार्म की गतिविधियों और काम पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे। -(ओ.पी. पाल से बातचीत पर आधारित) ---- प्रतिक्रिया ''सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्म के लिए जो गाइडलाइन जारी की गई है, उनकी सख्त जरुरत थी। आजकल सोशाल मीडिया पर बहुत झूठी खबरे फैलती है, जिनका लोगों पर गल असर पड़ता है। इसी प्रकार ओटीटी प्लेटफार्म पर भी सेंसरशिप न होने की वजह से लोग नायजाज फायदा उठा जाते हैं और घटिया काम कर जाते हैं, जो देश व समाज के लिए सही नहीं हैं। ऐसे में कड़े नियम जरुरी थे। मैं समझता हूं इन गाइडलाइन के बाद बेहतर स्थिति होगी और डिजिटल इंडिया और सशक्त बन सकेगा। सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल से जो लोग भी प्रोपेगंडा करते हैं तो अब सोशल और इन प्लेटफार्म पर उन्हें पकड़ा जा सकेगा और उन पर नकेल कसी जा सकेगी।'' -सानंद वर्मा 27Feb2021

मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

स्वच्छ पर्यटक के रूप में विकसित होगा चंडीगढ़ का रॉक गार्डन स्वच्छ

केंद्र सरकार ने देशभर में किया 2 स्थलों के चयन नई दिल्ली। केंद्र सरकार की योजना के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आइकॉनिक (प्रतिष्ठित) धरोहरों, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक स्थलों को स्वच्छ पर्यटन स्थलों में बदलने के विजन के तीन चरण पूरे हो गये हैं। अब केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण को के तहत स्वच्छ आइकॉनिक स्थल उपक्रम के चौथे चरण में देश के 12 प्रतिष्ठित आइकॉनिक स्थलों के चयन किया है, जिसमें चंडीगढ़ का चंडीगढ़ का रॉक गार्डन भी शामिल है। केंद्र्रीय जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग ने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के अंतर्गत स्वच्छ आइकॉनिक स्थल उपक्रम के चौथे चरण में चंडीगढ़ के रॉक गार्डन के अलावा जिन पर्यटकों को प्रतिष्ठित आइकॉनिक स्थलों का चयन किया है, उनमें मध्य प्रदेश में सांची स्तूप, महाराष्ट में अजंता गुफाएं, राजस्थान में कुंभलगढ़ किला, जैसलमेर किला, जैसलमेर में रामदेवरा, तेलंगाना के हैदराबाद का गोलकुंडा किला, ओडिशा के कोणार्क में सूर्य मंदिर, जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में डल झील, उत्तर प्रदेश में आगरा का किला और पश्चिम बंगाल का कालीघाट मंदिर शामिल है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने सरकार की इस योजना का लक्ष्य बताते हुए कहा कि इन स्थलों और उनके आसपास स्वच्छता और सफाई के मानकों में सुधार कर यहां पहुंचने वाले घरेलू और विदेशी पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं और अनुभव प्रदान करना है। स्वच्छ आइकॉनिक स्थल योजना का उद्देश्य इन स्थानों पर स्वच्छता यानि साफ-सफाई के उच्च स्तर को हासिल करना है। जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग द्वारा आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और संबंधित राज्य/केंद्र शासित क्षेत्र की सरकारों के सहयोग से इस परियोजना का संचालन किया जा रहा है। 26Feb-2021

पीएम किसान निधि कार्यान्वयन में कुरुक्षेत्र जिले को पुरस्कार

िसानों के आधार प्रमाणीकरण व किसानों के बैंक खातों में पहुंची लाभ राशि हरिभूमि न्यूज.रोहतक। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधी योजना के सफल कार्यान्वयन के मामले में हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में दो साल में किसानों के आधार प्रमाणीकरण व लाभपात्र किसानों को उनकी लाभ राशि सीधे उनके बैंक खातों में भुगतान करने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया गया है। इसके लिए केंद्र सरकार ने कुरुक्षेत्र जिला को पुरस्कृत किया है। यह सम्मान हरियाणा के कृषि व किसान कल्याण मंत्री जयप्रकाश दलाल ने ग्रहण किया। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली स्थित पूसा में बुध्वार को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधी योजना के सफल कार्यान्वयन के दो वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिला को यह सम्मान दिया गया। कुरुक्षेत्र जिला के लिए यह पुरस्कार केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने समारोह में मौजूद रहे हरियाणा के कृषि व किसान कल्याण मंत्री जयप्रकाश दलाल को प्रदान किया। पुरस्कार वितरण समारोह में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री कैलाश चौधरी भी मौजूद रहे। गौरतलब है कि कृषि क्षेत्र के विकास व किसान कल्याण की दिशा में विभिन्न योजनाओं के सफल कार्यान्वयन में उल्लेखनीय कार्यों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधी योजना के सफल कार्यान्वयन के दो वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा विभिन्न श्रेणी के पुरस्कारों में पांच राज्यों व 15 जिलों को पुरस्कृत किया गया, जिनमें हरियाणा का कुरुक्षेत्र जिला भी इस उपलब्धि की फेहरिस्त में शामिल है। किसानों के आधार प्रमाणीकरण व लाभपात्र किसानों को उनकी लाभ राशि सीधे उनके बैंक खातों में भुगतान किए जाने के लिए उल्लेखनीय कार्यों के लिए हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिला के अलावा पंजाब राज्य के रूपनगर जिला व हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला को पुरस्कृत किया गया। ---हिमाचल को मिले पांच पुरस्कार--- इस योजना के तहत पूर्वोत्तर और पहाडों राज्यों की श्रेणी में प्रत्यक्ष प्रमाणिकरण कार्य में 75 प्रतिशत तक उपलब्धि व शिकायत निवारण में 56 प्रतिशत तक उपलब्धि के लिए हिमाचल प्रदेश को सम्मानित किया गया। हिमाचल प्रदेश को मिले चार पुरस्कारों में आधार प्रमाणीकरण व लाभपात्र किसानों को उनकी लाभ राशि सीधे उनके बैंक खातों में भुगतान करने के लिए बिलासपुर, लाहौर व स्पीती जिलों को को पुरस्कृत किया गया है। जबकि किसानों की शिकायतों के निपटान व समस्याओं के समाधान की दिशा में उल्लेखनीय कार्यो के लिए सिरमौर जिला को पुरस्कृत किया गया। जबकि शिकायतों के निपटान में उत्तराखंड के नैनिताल आधार प्रमाणीकरण व बैंक खातों में भुगतान के लिए उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिला को पुरस्कृत किया गया। प्रत्यक्ष प्रमाणिकरण की दिशा में उल्लेखनीय कार्यों के लिए पूर्वोत्तर व पहाडी क्षेत्र राज्यों की श्रेणी में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला व उत्तराखण्ड राज्य के देहरादून जिला को भी पुरस्कृत किया गया। 25Feb-2021

पहले दिन किताब से ज्यादा पढ़ा कोरोना बचाव का पाठ

हरियाणा में 11 माह बाद खुले प्राथमिक स्कूल हरिभूमि न्यूज. रोहतक। हरियाणा में कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन के कारण बंद प्राथमिक विद्यालय करीब 11 माह बाद खुलने पर स्कूलों में एक अलग तरह का माहौल नजर आया। सरकार के निर्णय पर कोरोना दिशानिर्देशों के अनुपालन के साथ कक्षा तीन से पांच तक के विद्यार्थियों का सभी स्कूलों में बच्चों का थर्मल स्क्रीनिंग, सैनेटाइजर, मास्क और सामाजिक दूरी का पालन कराने की मुहिम भी चली, जिसके बाद ही बच्चों को कक्षाओं में बैठने की अनुमति दी गई। राज्य के जिलों और शहरों में लंबे अंतराल के बाद बुधवार को खुले प्राथमिक स्कूलों में अध्यापकों और बच्चों के बीच सरकार के दिशानिर्देशों के तहत जिस प्रकार का माहौल देखा गया है, उसमें जाहिर है कि पहले दिन पढ़ाई को प्राथमिकता देने का सवाल न तो अध्यापकों और न ही बच्चों के साथ अभिभावकों में रहा होगा। इसलिए स्कूल आने वाले अध्यापकों और फिर विद्यार्थियों के लिए कोरोना संक्रमण के बचाव पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करना था, जो सरकार के कोरोना महामारी के दिशानिर्देशों के अनुपालन कराने का अहम हिस्सा भी रहा। इसलिए राज्यभर में खुले प्राथमिक विद्यालयों में सबसे पहले बच्चों का तापमान नापने के लिए स्क्रीनिंग, सैनेटाइजर, मास्क और फिर सामाजिक दूरी बनाने पर ज्यादा जोर रहा। इस प्रक्रिया में अध्यापकों की अनुमति मिलने के बाद ही बच्चों को कक्षा में दो गज की दूरी पर बैठाने के लिए अध्यापकों को मशक्कत करना स्वाभाविक ही था। अध्यापकों ने बच्चों को कोरोना बचाव के लिए मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाने के साथ सैनेटाइजर के लिए शपथ भी दिलाए जाने की खबरे हैं, ताकि कोरोना के खिलाफ लड़ी जा रही जंग पर विजय हासिल की जा सके। ---बच्चों में नजर आया उत्साह--- प्राथमिक विद्यालय खुलने में पर बच्चों को लंबे समय बाद पाठशालाओं के माहौल में पहुंचने पर जिस प्रकार का उत्साह देखा गया है, उतना ही अध्यापकों और स्कूल स्टाफ में भी देखने को मिला। राज्य सरकार के निर्देशानुसार शिक्षा विभाग से स्कूलों को जारी आदेश के तहत स्टाफ और अध्यापकों ने भी बच्चों को किसी भी परेशानी से दूर रखने के मकसद से उन्हें खुशनुमा माहौल देने का प्रयास किया। हालांकि जो बच्चें बिना मास्क के पहुंच रहे थे, उन्हें स्कूलों में अध्यापकों की तरफ से संक्रमण से बचाव के मद्देनजर मास्क मुहैया कराने तथा अन्य कोरोना दिशानिर्देशों के अनुपालन के लिए सभी व्यवस्था पहले से तैयार की जा चुकी थी। ऐसा भी नहीं था कि स्कूल आने वाले बच्चों को अभिभावकों ने कोरोना संक्रमण से बचाव की व्यवस्था के बिना ही घर से भेजा, बल्कि ज्यादातर बच्चों के चहरे पर मास्क, हाथों में सैनाइटर और तापमाक तक के देखे गये। मसलन स्कूली बच्चों को शिक्षा विभाग, स्कूल संचालकों, अध्यापकों और अभिभावकों ने कोरोना महामारी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित कराने में बखूबी अपने काम को अंजाम दिया। ---बदला बदला नजर आया माहौल--- राज्य के स्कूलों में 11 माह के अंतराल के बाद प्रवेश करने वाले स्कूली बच्चों को अध्यापकों का साथ मिलने से जिस प्रकार से अध्यापकों ने विद्यार्थियों का तिलक लगाकर या अन्य खुशनुमा माहौल दिया उसमें स्कूलों का माहौल बदला हुआ नजर आना तय था। वहीं स्कूल में बदली व्यवस्थाओं के बीच बच्चों की कक्षाओं का संचालन यानि सामाजिक दूरी के नियमों के अनुसार बैंचों पर सामाजिक दूरी के तहत बैठाया गया। बताया गया है कि शिक्षा विभाग से जारी गाइडलाइन के तहत कक्षा में एक बैंच पर एक ही बच्चें को बैठाने की व्यवस्था की गई। हालांकि ज्यादातर बच्चों ने कोरोना काल में पाठ्यक्रम का ऑनलाइन अध्ययन के रूप में कवर कर लिया है, जिन्हें अब ऑफलाइन इसके अध्ययन को दोहराने का मौका मिलेगा। लेकिन स्कूली बच्चों में अपने बैचमेट या कक्षा मित्रों से मुलाकात की चाहत आज से शुरू होकर बच्चें बेहद उत्साहित रहे। राज्य के कुछ स्कूलों में बच्चों को एक बेहतर माहौल देने के लिए अध्यापकों ने कुछ प्रतियोगिताएं और खेल कूद भी कराए हैं। 25Feb-2021

हरियाणा के रेल यात्रियों को मिलेगी सुविधा

एक मार्च विशेष रेलगाड़ियां राज्य के स्टेशनों पर रुककर चलेगी हरिभूमि न्यूज. रोहतक। रेल यात्रियों की सुविधा को देखते हुए रेलवे ने एक मार्च से कुछ और विशेष रेलगाड़ियां चलाने का ऐलान किया है। पांच जोड़ी विशेष ट्रेनों में से तीन जोड़ी यानि जोधुपर-दिल्ली-जोधपुर, अहमदाबाद-श्री माता वैष्णोंा देवी कटड़ा और लखनऊ-चंडीगढ दैनिक सुपर फास्ट एक्सप्रेस विशेष ट्रेनें हरियाणा के विभिन्न शहरों के स्टेशनों पर ठहरकर चलेगी, जिससे हरियाणा के लोगों को रेल यात्रा करने की सुविधा मिल सकेगी। उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार के अनुसार एक मार्च से दैनिक सुपर फास्ट स्पेशल रेलगाड़ी को दिल्ली और जोधपुर के बीच शुरू किया जा रहा है। एक मार्च से जोधपुर से रात्रि 08.10 बजे प्रस्थान करके जोधुपर-दिल्ली दैनिक सुपर फास्ट स्पेशल रेलगाड़ी अगले दिन सुबह 06.30 बजे दिल्ली पहुँचेगी। वापसी दिशा में दिल्ली-जोधपुर दैनिक सुपर फास्ट स्पेशल रेलगाड़ी 02 मार्च से प्रतिदिन दिल्ली से रात्रि 09.20 बजे प्रस्थान कर अगले दिन सुबह 07.50 बजे जोधपुर पहुँचेगी। दोनो दिशाओं में यह स्पेशल रेलगाड़ी गोटन, मेडता रोड, डेगाना, मकराना, कूचामन सिटी, जयपुर, दौसा, बांदीकुई, अलवर के बाद हरियाणा के रेवाड़ी, पटौदी रोड, गढ़ी हरसरू तथा गुडगाँव स्टेशनों पर भी दोनों दिशाओं में ठहरेगी। ----चंडीगढ़-लखनऊ स्पेशल ट्रेन--- इसी प्रकार लखनऊ-चंडीगढ-लखनऊ दैनिक सुपर फास्ट एक्सप्रेस स्पेशल रेलगाड़ी एक मार्च से लखनऊ से रात्रि 11.55 बजे प्रस्था्न करके अगले दिन दोपहर 03.00 बजे चंडीगढ़ पहुँचेगी। वापसी दिशा में चंडीगढ-लखनऊ दैनिक सुपर फास्ट एक्सप्रेस स्पेशल रेलगाड़ी 02 मार्च को चंडीगढ़ से सांय 05.15 बजे प्रस्थाहन करके अगले दिन सुबह 09.10 बजे लखनऊ पहुँचेगी। रास्ते में दोनों दिशाओं में यह स्पेशल रेलगाड़ी हरियाणा के अम्बाला छावनी, जगाधरी कारखाना, यमुनानगर जगाधरी के अलावा सहारनपुर, रूड़की, मौजम्मपुर नारायण, बासी किरतपुर, बिजनौर, हलदौर, चांद सियाऊ, मंडी धनौरा, गजरौला, अमरोहा, मुरादाबाद, चंदौसी, शाहजहांपुर और हरदोई स्टेशनों पर दोनों दिशाओं में ठहरेगी। ----श्री माता वैष्णोंर देवी कटरा-अहमदाबाद साप्ताहिक स्पेशल---- रेलवे के अनुसार अहमदाबाद-श्री माता वैष्णोंे देवी कटरा-अहमदाबाद साप्ताहिक एक्सप्रेस स्पेचशल रेलगाड़ी दो मार्च से अहमदाबाद से प्रत्येेक रविवार को रात्रि 08.20 बजे प्रस्थारन करके तीसरे दिन सुबह 06.35 बजे श्री माता वैष्णोंि देवी कटरा पहुँचेगी। वापसी दिशा में श्री माता वैष्णोंा देवी कटड़ा-अहमदाबाद एक्सप्रेस स्पे0शल नौ मार्च से श्रीमाता वैष्णों देवी कटरा से प्रत्येदक मंगलवार को सुबह 10.40 बजे प्रस्थासन करके दूसरे दिन रात्रि 10.00 बजे अहमदाबाद पहुँचेगी। रास्ते में यह रेलगाड़ी दोनों दिशाओं में साबरमती, महेसाणा, पालनपुर, आबू रोड, फालना, रानी, मारवाड, ब्यावर, अजमेर, किशनगढ, फुलेरा, जयपुर, गांधीनगर जयपुर, दौसा, बांदीकुई, अलवर, खैरथल के बाद रेवाडी, भिवानी, हिसार, सिरसा स्टेशनों के अलावा बठिंडा, फिरोजपुर, जलंधर सिटी, ब्यास, अमृतसर, बटाला, जम्मूतवी और ऊधमपुर स्टेशनों पर दोनों दिशाओं में ठहरेगी। 24Feb-2021

इजराइल कृषि परियोजना के तहत चल रहा ये केंद्र

ब्रिक्स सीसीआई ने किया सब्जियों के उत्कृष्टता केंद्र घरौंडा का दौरा हरियाणा के करनाल जिले में घरौंडा में उत्कृष्ट सब्जियों के उत्पादन के लिए चल रहे सब्जियों के लिए उत्कृष्टता केंद्र का ब्रिक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, नई दिल्ली के प्रतिनिधिमंडल ने दौरा किया है। देश में पहले इजराइल कृषि परियोजना के तहत घरौंडा में स्थापित सब्जियों के लिए उत्कृष्टता केंद्र सोमवार को इस दौरान ब्रिक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. बीबीएल मधुकर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने इकोनॉमिक मिशन और माशव के सहयोग से इजराइल के एग्रो-टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस एवं उत्कृष्ट सब्जियों के उत्पादन के इजराइली बिधि की जानकारी हासिल की। इस प्रतिनिधिमंडल में ब्रिक्स सीसीआई प्रतिनिधिमंडल में कृषि क्षेत्र के शीर्ष विशेषज्ञ और तकनीशियन शामिल रहे। इस दौरान यहां इजराइली कृषि प्रौद्योगिकी और विधि के इस्तेमाल से किये जा रहे सब्जी उत्पादन के बारे में उत्कृष्टता केंद्र द्र के प्रभारी दीपक कुमार ने प्रस्तुतियां देते हुए उत्पादन और तकनीकी के बारे में प्रतिनिधिमंडल को विस्तृत जानकारी दी। केंद्र प्रभारी ने इसके बाद प्रतिनिधिमंड में शामिल सदस्यों को खुले खेतों का परिभ्रमण कराया, इजरायल की तकनीक से सब्जियों को उगाने की तकनीकों से अवगत कराया। वहीं प्रतिनिधिमंडल ने हाई-टेक नर्सरी का दौरा किया, जहां उन्हें बीजों से पौधे उगाने की तकनीक दिखाई गई। प्रतिनिधिमंडल हजेरा सीड्स द्वारा दिए गए बीजों से उगाई गई सब्जियों की किस्मों को देखा, जिसका उत्पादन इजरायली तकनीकी से किया गया है। उन्हें उर्वरक इकाई के साथ-साथ प्राकृतिक उर्वरक बनाने का तरीका भी दिखाया गया। गौरतलब है कि हरियाणा के करनाल जिले के घरौंडा में सब्जियों के लिए उत्कृष्टता केंद्र, देश में पहली इजराइल कृषि परियोजना है। संरक्षित खेती उच्च गुणवत्ता वाली सब्जियां जैसे चेरी टमाटर, ककड़ी, बैंगन, मिर्च, रंग शिमला मिर्च, हरी शिमला मिर्च आदि यहां पर सालभर उगाई जाती है। वे उच्च तकनीक वाले पॉलीहाउस, प्राकृतिक रूप से हवादार पॉलीहाउस, नियंत्रित जलवायु वाली वॉक-इन सुरंगों और सूक्ष्म सिंचाई के लिए प्रावधानों के साथ-साथ बेमौसम फसल की खेती और उच्च पैदावार के लिए ड्रिप इरीगेशन से खेती करते हैं। ब्रिक्स सीसीआई के महानिदेशक डॉ. बीबीएल मधुकर ने कहा,कृषक समुदाय के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक पानी की उपलब्धता है। भारत-इजराइल कृषि परियोजना के तहत भारत में खेती बिरादरी को सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली जैसी नवीनतम तकनीकों को अपनाने में मदद करने के लिए विभिन्न राज्यों में उत्कृष्टता केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था। ब्रिक्स सीसीआई के उपाध्यक्ष समीप शास्त्री ने कहा कि ब्रिक्स सीसीआई ने हमेशा ब्रिक्स एंड बियोंड ’दृष्टिकोण का पालन किया है। ये प्रतिनिधिमंडल भारत और इजरायल के एक-दूसरे के साथ मजबूत संबंधों का एक प्रतीक हैं। हम अपने युवाओं को अपने देश की प्रगति के लिए एक फोकस क्षेत्र के रूप में कृषि के साथ निवेश करने, समझने और संलग्न करने के लिए इस तरह के और अधिक यात्राओं का आयोजन करने की उम्मीद करते हैं। 23Feb2021