सोमवार, 26 अप्रैल 2021

साक्षात्कार: रोजगार सृजन से पुनर्जीवित होगी साहित्य और संस्कृति : रामफल चहल

लोक साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में एक बड़ा नाम
व्यक्तिगत परिचय
नाम: रामफल चहल
जन्म: एक दिसम्बर 1946
जन्म स्थान: गांव निमणी, जिला भिवानी 
शिक्षा: विद्या वाचस्पति (पीएचडी) और विद्यासागर (डी.लिट्) 
संप्रत्ति:सेवानिवृत्त अधीक्षक, आकाशवाणी केंद्र रोहतक 
साक्षात्कार-ओ.पी. पाल
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पंडित माधव प्रसाद मिश्र पुरस्कार के लिए रोहतक शहर के विकास नगर निवासी प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. रामफल चहल का चयन किया गया है। डॉ. चहल लोक साहित्य, लोक संस्कृति, लोकगीत, लोकनाट्य, काव्य, सांग, कथाओं, कहानियों के लेखन, मंचन और कलाओं के जरिए अपने हुनर रुपी अध्ययन में तेजी से विलुप्त होती हरियाणावी सभ्यता, संस्कृति, बोली (भाषा), सामाजिक रीति रिवाज और परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए लोक साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में एक बड़ा नाम अर्जित कर चुके हैं। इस साहित्यक मुहिम का फल ही है कि उन्हें इससे पहले 2004 में साहित्य के लिए पं. लखमी चंद और 2010 में कला साहित्य के लिए देवीशंकर प्रभाकर सम्मान के अलावा उन्हें राज्य स्तर पर कृषि क्षेत्र के लिए भी पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। यही नहीं डॉ. चहल को साहित्यिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संस्थाओं द्वारा 150 से भी ज्यादा पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी हैं। इस वैज्ञानिक और भौतिकवादी युग के बढ़ते प्रभाव से विलुप्त हो रही हरियाणवी साहित्य, सभ्यता और संस्कृति को पुनर्जीवित खासतौर से युवा पीढ़ी में किस प्रकार से प्रासांगिक और प्रेरणा दायक मुहाने पर लाया जाए, ऐसे अनुछुए पहलुओं को लेकर हरिभूमि संवाददाता से खास बातचीत में डा. रामफल चहल ने कहा कि प्रकृति के बजाए मशीनीकरण के साए में जाते समाज को आर्थिक रुप से मजबूत करने के लिए साहित्य और संस्कृति क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर बढ़ाने की जरुरत है। वेशभूषा, बोली, खानपान, आचार विचार सभ्यता के विकास का द्योतक है, जिसके कारण संस्कार और संवेदनाए खत्म होती जा रही हैं, तो ऐसे में साहित्य और संस्कृति के ह्रास होना सबसे बड़ा कारण है। 
विभिन्न विधाओं के साहित्यकार 
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्याय हिसार के सामुदायिक रेडियों में सलाहकार के पद पर तैनात प्रख्यात साहित्यकार डॉ. रामफल चहल एक ऐसी पहचान हैं जिन्होंने साहित्य और संस्कृति जगत में पद्य और गद्य में ही नहीं, बल्कि एक मीडियाकर्मी और एक मंजे हुए अभिनेता के रूप में भी हरियाणवी लोकसाहित्य व संस्कृति में अपना अहम योगदान दिया हैं। साहित्य व संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए विक्रमशिला विद्यापीठ द्वारा विद्या वाचस्पति (पीएचडी) और विद्यासागर (डी.लिट्) की उपाधि से सम्मानित डॉ. रामफल चहल अब तक हरियाणवी संस्कृति पर 20 पुस्तकें लिख चुके हैं। संस्कृति के क्षेत्र में उन्हें हरियाणा सरकार द्वारा श्री देवी शंकर प्रभाकर पुरस्कार तथा पंजाब साहित्य एवं कला विशेष पुरस्कार दिया जा चुका है। यही नहीं आकाशवाणी के हरियाणवी श्रेष्ठ कृति अवार्ड समेत बाजे भगत व फौजी मेहर समेत उनकी तीन पुस्तकों को हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है। डॉ. रामफल चहल लम्बे समय तक आकाशवाणी रोहतक तथा कुरूक्षेत्र से किशन भाई के रूप में कार्यक्रमों का प्रसारण करते रहे हैं। हरियाणा सांस्कृतिक अकादमी के सबसे पहले निदेशक रह चुके हैं डॉ. चहल वर्ष 2016 में आकाशवाणी के रोहतक केंद्र के अधीक्षक पद से सेवानिृत्त हुए। काव्य मंचों के अलावा नाटक मंचन करते आ रहे डा. चहल हरियाणवी फिल्मों पनघट व खानदानी सरपंच में मुख्य अभिनेता के तौर पर अभिनय कर चुके हैं। हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा उन्हें एक प्रतिष्ठित कवि के रूप में आमंत्रित किया जाता रहा है। 
प्राचीन संस्कृति की जीवंत परंपरा उकेरी 
साहित्यकार डॉ. रामफल चहल की इस क्षेत्र में हरफनमौला भूमिकाओं की अनेक उपलब्धियां हासिल करना उनकी विशेषताओं में शामिल है, जिन्होंने घर-घर जाकर हरियाणवी संस्कृति की जीवंत परंपराओं को बटोरा है। यानि महिलाओं के 600 से ज्यादा लोक और सांस्कारिक गीतों का संकलन करके उन्हें हिंदी और अंग्रेजी भाषा में अनुवादित करने के साथ उनका म्यूजिकल नोटेशन तैयार कराया है। इनकी एक विशेषता यह भी रही कि राज्य में वंचित समाज की हस्तियों को चुनकर उन्हें भी साहित्य और संस्कृति के पन्नों में स्थान दिया है। इन सबसे हटके डा. चहल ने जिस प्रकार इतिहासिक धरोहर के रूप में लोक संस्कृति से जुड़े प्राचीन वस्त्राभूषण संकलन करने पर भी अहम भूमिका निभाई है। वहीं 150 साल पुरानी हस्तलिखित पौथी का हिंदी अनुवाद करने में जुटे जिला दादरी के गांव नीमड़ी गांव के मूल निवासी डा़ चहल विभिन्न विधाओं में यहां साहित्य लेखन करने में माहिर हैं, जो बोलचाल में मिट्टी की खुशबू के साथ-साथ अपनी मूल जड़ो से भी दूर नहीं है और खुद प्रकृति की गोद में अजमेर के निकट पहाड़ी वादियों के बीच खेती कर रहे हैं। 
प्रमुख पुस्तकें 
भिवानी जिले के निमणी गांव निवासी रामफल वर्ष 1983 से आकाशवाणी में कार्यरत हैं। अब तक हरियाणवी लोक साहित्य में प्रकाशित 20 पुस्तकों में स्वतंत्रता सेनानी एवं लोककवि फौजी मेहर सिंह, व्यक्तित्व व कृतित्व, शेष रचनावली, बाजे भगत व्यक्तित्व व कृतित्व, बाजे भगत ग्रंथावली व बाजे भगत रचनावली, रामकृष्ण व्यास व्यक्तित्व व कृतित्व, नौ नाटकों का संग्रह, विघ्न की जड़, हास्य व्यंग्य लोक विनोद, हरियाणवी संस्कृति की जीवंत परंपराएं, कृष्णचंद नादान ग्रंथावली जैसी उत्कृष्ट रचनाएं लोक साहित्य की धरोहर हैं। 
रचना संग्रह 
प्रमुख रचना संग्रह पलपोट्‌ण के अलावा डा. चहल की रचनाओं में हरियाणवी कुण्डलियां, हरियाणा नाटक-साझा सीर, जहर का प्याला, फागण आग्या, कृषि व संस्कृति, आया सै बसंत, गर्भस्थ कन्या की पुकार, हरियाणवी बारा-कड़ी,अचूक निशाना, ऋृतु राज बसंत, कित टोहूं, कव्वाली, दर्पण कुछ ना बौल्लै, आदमी नाम ना धरियो और गाम सांझला कुआ शामिल हैं। 22Mar-2021

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