मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

पहले दिन किताब से ज्यादा पढ़ा कोरोना बचाव का पाठ

हरियाणा में 11 माह बाद खुले प्राथमिक स्कूल हरिभूमि न्यूज. रोहतक। हरियाणा में कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन के कारण बंद प्राथमिक विद्यालय करीब 11 माह बाद खुलने पर स्कूलों में एक अलग तरह का माहौल नजर आया। सरकार के निर्णय पर कोरोना दिशानिर्देशों के अनुपालन के साथ कक्षा तीन से पांच तक के विद्यार्थियों का सभी स्कूलों में बच्चों का थर्मल स्क्रीनिंग, सैनेटाइजर, मास्क और सामाजिक दूरी का पालन कराने की मुहिम भी चली, जिसके बाद ही बच्चों को कक्षाओं में बैठने की अनुमति दी गई। राज्य के जिलों और शहरों में लंबे अंतराल के बाद बुधवार को खुले प्राथमिक स्कूलों में अध्यापकों और बच्चों के बीच सरकार के दिशानिर्देशों के तहत जिस प्रकार का माहौल देखा गया है, उसमें जाहिर है कि पहले दिन पढ़ाई को प्राथमिकता देने का सवाल न तो अध्यापकों और न ही बच्चों के साथ अभिभावकों में रहा होगा। इसलिए स्कूल आने वाले अध्यापकों और फिर विद्यार्थियों के लिए कोरोना संक्रमण के बचाव पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करना था, जो सरकार के कोरोना महामारी के दिशानिर्देशों के अनुपालन कराने का अहम हिस्सा भी रहा। इसलिए राज्यभर में खुले प्राथमिक विद्यालयों में सबसे पहले बच्चों का तापमान नापने के लिए स्क्रीनिंग, सैनेटाइजर, मास्क और फिर सामाजिक दूरी बनाने पर ज्यादा जोर रहा। इस प्रक्रिया में अध्यापकों की अनुमति मिलने के बाद ही बच्चों को कक्षा में दो गज की दूरी पर बैठाने के लिए अध्यापकों को मशक्कत करना स्वाभाविक ही था। अध्यापकों ने बच्चों को कोरोना बचाव के लिए मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाने के साथ सैनेटाइजर के लिए शपथ भी दिलाए जाने की खबरे हैं, ताकि कोरोना के खिलाफ लड़ी जा रही जंग पर विजय हासिल की जा सके। ---बच्चों में नजर आया उत्साह--- प्राथमिक विद्यालय खुलने में पर बच्चों को लंबे समय बाद पाठशालाओं के माहौल में पहुंचने पर जिस प्रकार का उत्साह देखा गया है, उतना ही अध्यापकों और स्कूल स्टाफ में भी देखने को मिला। राज्य सरकार के निर्देशानुसार शिक्षा विभाग से स्कूलों को जारी आदेश के तहत स्टाफ और अध्यापकों ने भी बच्चों को किसी भी परेशानी से दूर रखने के मकसद से उन्हें खुशनुमा माहौल देने का प्रयास किया। हालांकि जो बच्चें बिना मास्क के पहुंच रहे थे, उन्हें स्कूलों में अध्यापकों की तरफ से संक्रमण से बचाव के मद्देनजर मास्क मुहैया कराने तथा अन्य कोरोना दिशानिर्देशों के अनुपालन के लिए सभी व्यवस्था पहले से तैयार की जा चुकी थी। ऐसा भी नहीं था कि स्कूल आने वाले बच्चों को अभिभावकों ने कोरोना संक्रमण से बचाव की व्यवस्था के बिना ही घर से भेजा, बल्कि ज्यादातर बच्चों के चहरे पर मास्क, हाथों में सैनाइटर और तापमाक तक के देखे गये। मसलन स्कूली बच्चों को शिक्षा विभाग, स्कूल संचालकों, अध्यापकों और अभिभावकों ने कोरोना महामारी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित कराने में बखूबी अपने काम को अंजाम दिया। ---बदला बदला नजर आया माहौल--- राज्य के स्कूलों में 11 माह के अंतराल के बाद प्रवेश करने वाले स्कूली बच्चों को अध्यापकों का साथ मिलने से जिस प्रकार से अध्यापकों ने विद्यार्थियों का तिलक लगाकर या अन्य खुशनुमा माहौल दिया उसमें स्कूलों का माहौल बदला हुआ नजर आना तय था। वहीं स्कूल में बदली व्यवस्थाओं के बीच बच्चों की कक्षाओं का संचालन यानि सामाजिक दूरी के नियमों के अनुसार बैंचों पर सामाजिक दूरी के तहत बैठाया गया। बताया गया है कि शिक्षा विभाग से जारी गाइडलाइन के तहत कक्षा में एक बैंच पर एक ही बच्चें को बैठाने की व्यवस्था की गई। हालांकि ज्यादातर बच्चों ने कोरोना काल में पाठ्यक्रम का ऑनलाइन अध्ययन के रूप में कवर कर लिया है, जिन्हें अब ऑफलाइन इसके अध्ययन को दोहराने का मौका मिलेगा। लेकिन स्कूली बच्चों में अपने बैचमेट या कक्षा मित्रों से मुलाकात की चाहत आज से शुरू होकर बच्चें बेहद उत्साहित रहे। राज्य के कुछ स्कूलों में बच्चों को एक बेहतर माहौल देने के लिए अध्यापकों ने कुछ प्रतियोगिताएं और खेल कूद भी कराए हैं। 25Feb-2021

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