सोमवार, 26 अप्रैल 2021

आजकल- सोशल मीडिया व ओटीटी प्लेटफार्म पर कानूनी शिकंजा

नए नियमों से बढ़ेगी ऑनलाइन कंपनियों की जवाबदेही व पारदर्शिता -पवन दुग्गल, सोशलमीडिया विशेषज्ञ भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जिस प्रकार से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर सोशल मीडया के बेजा दुरुपयोग और ओटीटी प्लेटफार्म पर उपभोगक्ताओं के साथ डिजिटल चिटिंग जैसे गतिविधियों पर शिकंजा कसना उसी तरह आवश्यक है, जिस प्रकर इलेक्ट्रिक और प्रिंट मीडिया कानूनी दायरे में शामिल है। केंद्र सरकार द्वारा और ओटीटी प्लेटफार्म के लिए नए दिशानिर्देश या नियमों को जारी करने से निश्चित रूप से देश डिजिटल के क्षेत्र में बहुत ही बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। ऐसा भी विश्वास है कि डिजिटल क्षेत्र में पारदर्शिता, उत्तरदायी, विश्वसनीयता और भी कई मौके देने के कारण बड़ा असर देखने को मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट की हिदायत के बाद ही सही, लेकिन देश को डिजिटल की दुनिया में ले जाने के लिए फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया और नेटफ्लिक्स-अमेजन या यूट्यूब, हॉट्स्टार जैसे ओटीटी जैसे प्लेटफार्मो को अब अपने अपनी साइटों पर मौजूद सभी कंटेंट को खुद से क्लासीफिकेशन करना जरुरी होगा। वहीं डिजिटल मीडिया को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरह सेल्फ रेगुलेशन करना होगा। केंद्र सरकार द्वारा इन दिशानिर्देशों में नए नियमों को डिजिटल उपयोगकर्ताओं के दृष्टिकोण से देखा जाए, तो उपयोगकर्ता अपने अकाउंट्स के वाल्यूंटरी सेल्फ वेरिफिकेशन का विकल्प, रिमूवल या एक्सेस न होने की स्थिति में वजह जानने का अधिकार और इंटरमीडियरीज की किसी भी कार्रवाई के विरुद्ध समाधान खोजने का अधिकार मिलना बेहद उपयोगी हो सकता है और इससे भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी को मजबूती मिलेगी। वहीं नियमों के तहत शिकायतों के समाधान, फर्जी खबरों की रोकथाम और ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करने के मकसद से कंपनियों या यूजर्स को आपत्तिजनक कंटेंट 24 घंटे में हटाना या डिलीट करना अनिवार्य होगा। यानि अब कंपनियां अपनी मनमर्जी से कोई आपत्तिजनक सामग्री अपने प्लेटफार्म पर नहीं डाल सकेगी। देश में सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्म पर पहली बार देश में कानूनी कार्रवाई करने के लिए नए दिशानिर्देशों में नियमों का मसौदा लागू किया जा रहा है, उससे ऑनलाइन कारोबार करने वाली कंपनियों को रुल एवं रेगुलेशन करने का प्रयास करना होगा अन्यथा कानूनी प्रावधानों के लिए उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। हालांकि सरकार के नियमों में सभी ऑनलाइन कंपनियों को अपने विभिन्न प्लेटफॉर्म को रेगुलेट करने की भी बात कही गई है। फिर भी सरकार इन दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जल्द ही आईटी-एक्ट के सेक्शन-79 में संशोधन कर सकती है, जिसमें आईटी एक्ट इंटरमीडियटरी रुल्स-2021 भी आना तय माना जा रहा है। भारत के दृष्टकोण से सरकार की 2015 से सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने के लिए चली आ रही इस लंबी कवायद की जा रही थी। अब सुप्रीम कोर्ट के सोशल मीडिया के जरिए भड़काऊ या आपत्तिजनक सामग्री, हेट स्पीच, फर्जी अकाउंट, नफरत भरे संदेश या फर्जी खबरों से नाराज सुप्रीम कोर्ट की कई बार नाराजगी के बाद केंद्र सरकार का यह फैसला देश की एकता और अखंडता की दृष्टि से भी सुरक्षित साबित होगा। वहीं डिजिटल प्लेटफार्म से भी देश को सुरक्षित रखने का नियंत्रण सरकार के हाथ में होगा। मसलन भारत में रहकर डिजिटल रहना होगा तो उसके कानून का पालन करना भी जरुरी होगा। केंद्र सरकार की के लिए जो कदम उठाया है वह इसके नकारात्मक प्रभाव को रोकने के इस पर नियंत्रण होना भी चाहिए, क्योंकि बिना नियंत्रण के देश मे देश और समाज में बढ़ते नकारात्मक खतरे की चुनौतियों से निपटा जा सके। सबसे खासबात ये है कि सरकार ने चीफ कंप्लायंस ऑफिसर, चीफ नोडल ऑफिसर, चीफ ग्रीवांस ऑफिसर की नियुक्ति करने का प्रस्ताव रखा है जो इस क्षेत्र मंर निगरानी करके डिजिटल प्लेटफार्म की गतिविधियों और काम पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे। -(ओ.पी. पाल से बातचीत पर आधारित) ---- प्रतिक्रिया ''सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्म के लिए जो गाइडलाइन जारी की गई है, उनकी सख्त जरुरत थी। आजकल सोशाल मीडिया पर बहुत झूठी खबरे फैलती है, जिनका लोगों पर गल असर पड़ता है। इसी प्रकार ओटीटी प्लेटफार्म पर भी सेंसरशिप न होने की वजह से लोग नायजाज फायदा उठा जाते हैं और घटिया काम कर जाते हैं, जो देश व समाज के लिए सही नहीं हैं। ऐसे में कड़े नियम जरुरी थे। मैं समझता हूं इन गाइडलाइन के बाद बेहतर स्थिति होगी और डिजिटल इंडिया और सशक्त बन सकेगा। सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल से जो लोग भी प्रोपेगंडा करते हैं तो अब सोशल और इन प्लेटफार्म पर उन्हें पकड़ा जा सकेगा और उन पर नकेल कसी जा सकेगी।'' -सानंद वर्मा 27Feb2021

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