गुरुवार, 30 नवंबर 2017

नमामि गंगे: घाटो के निर्माण पर ब्रैक?



एसटीपी व सीवरेज पर होगा ज्यादा फोकस
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने गंगा एवं सहायक नदियों की स्वच्छता के लिए नमामि गंगे मिशन के तहत चल रही परियोजनाओं में घाटों के निर्माण को रोकने की योजना बनाई है यानि अब कोई नया घाट नहीं बनेगा। जबकि इसके लिए सीवरेज और एसटीपी की स्थापनाओं पर फोकस किया जाएगा।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि एक अध्ययन रिपोर्ट को आधार मानते हुए अब घाटों के निर्माण को रोकने की योजना पर विचार विमर्श हो रहा है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया है कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने माना है कि सबसे ज्यादा गंदगी घाटों पर होती है जो नदियों में बहते हुए आगे जाती है। इसलिए अभी तक जो जिन घाटों को विकसित करने की योजना को स्थगित करने की सलाह दी गई है। मसलन जिन घाटों का आधुनिकीकरण और विकास के लिए निर्माण हो चुका है उसके अलावा शायद ही अब घाटों को विकसित करने की योजना को आगे बढ़ाया जा सके। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि गंगा समेत तमाम नदियों पर आम लोगों का आवागमन घाटों और उसके आसपास ही होता है, जहां गंदगी का आलम इतना भयंकर होता है कि वही गंदगी नदी में गिरकर आगे जल प्रवाह के साथ बहकर नदियों को गंदा और प्रदूषित करती हैं। दूसरा पहलू ये है कि नदियों के आसपास की आबादी के कारण भी नदियों की सफाई करना आसान नहीं है।
‘जल क्रांति अभियान’
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने जल संरक्षण और प्रबंधन की दिशा में जन जागरूकता के तहत एक महत्वकांक्षी योजना के रूप में ‘जल क्रांति अभियान’ पहले ही शुरू किया हुआ है, ताकि नदियों के बहाव की निगरानी करने और प्रदूषण को दूर करने में नदियों खासकर गंगा के किनारे बसे ग्रामीणों की भागीदारी तय की जा सके। इसके लिए इस योजना के तहत देश के 674 जिलों में 1348 जल ग्रामों का चयन किया गया है। मंत्रालय के अधिकारी की माने तो इस योजना के तहत देश के 674 जिलों में जल की कमी वाले दो गांवों प्रति जिले के हिसाब से चुने जाने का प्रावधान है, जहां जल का सही इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सके।

युवा वोटर तय करेंगे गुजरात चुनाव का भविष्य!

पहले चरण में 57 महिलाओं समेत 977 प्रत्याशी                      
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
चुनाव आयोग द्वारा गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से नौ दिसंबर को 89 सीटो पर होने वाले चुनाव की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। पहले चरण के चुनाव में करीब 2.13 करोड़ मतदाताओं में करीब 54 फीसदी युवा मतदाता हैं, जो 57 महिलाओं समेत 977 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करने के लिए मतदान करेंगे।
केंद्रीय चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा के लिए नौ दिसंबर को पहले चरण में 89 विधानसभा सीटों पर मतदान कराया जाएगा। इस चुनाव में भाजपा, कांग्रेस, बसपा, राकांपा के अलावा गैर मान्यता प्राप्त दलों समेत 50 सियासी दलों ने अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं। जबकि इस चरण में कोई भी मान्यता प्राप्त राज्यस्तरीय दल चुनाव में हिस्सा नहीं ले रहा है। पहले चरण के चुनाव में 57 महिला उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आजमा रही है। कुल 977 उम्मीदवारों में एक मात्र भाजपा के उम्मीदवार सभी 89 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि कांग्रेस के 87, बसपा के 64, राकांपा के 30 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। सर्वाधिक 443 प्रत्याशी निर्दलीय रूप से भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
मतदाताओं का चक्रव्यूह
गुजरात की पहले चरण के चुनाव वाली 89 सीटों पर 977 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करने के लिए एक करोड़ एक लाख 25 हजार 472 महिलाओं समेत कुल दो करोड़ 12 लाख 31 हजार 652 मतदाताओं का चक्रव्यूह बना है, जिसमें चुनाव फोटो पहचान पत्र के आधार पर कुल दो करोड़ 12 लाख 29 हजार 941 मतदाता हैं। आयोग के अनुसार इन मतदाताओं में 978 महिलाओं समेत 1711 मतदाता ऐसे हैं जिनके पास मतदाता फोटो पहचान पत्र नहीं है, जिनका मतदान आधार या अन्य दस्तावेज के आधार पर कराया जाएगा। कुल मतदाताओं में 52 लाख 57 हजार 951 महिलाओं समेत एक करोड़ 13 लाख 98 हजार 239 युवा मतदाता हैं, जो इस चुनाव में प्रत्याशियों का फैसला करने में अहम भूमिका निभाएंगे। इसके अलावा 247 मतदाताओं को ‘अन्य’ वर्ग में रखा गया है। प्रवासी मतदाताओं की संख्या 29 और सैन्य सेवाओं से जुड़े मतदाताओं की संख्या 6,014 है। गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के चुनाव में 24, 689 मतदान केंद्र बनाएं गये हैं, जहां कुल 27,158 ईवीएम का प्रयोग किया जाएगा। 
सबसे छोटा बड़ा विधानसभा क्षेत्र
आयोग के अनुसार विधानसभा सीट के लिहाज से सबसे छोटा विधानसभा क्षेत्र करंज (4 वर्ग किलोमीटर) और सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र अबदासा (6,278 वर्ग किलोमीटर) है। जबकि मतदाता संख्या के आधार पर सबसे छोटा विधानसभा क्षेत्र सूरत उत्तरी है, जहां 1,57,250 मतदाता हैं। इसी तरह सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र कामरेज है, जहां कुल 4,28,695 मतदाता हैं।

बुधवार, 29 नवंबर 2017

‘गोल्डन नेक्लेस’ पर होगा पहला हाईवे विलेज!

 


देशभर में एक हजार हाईवे विलेज बनाने की योजना                         
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार की देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गो के किनारे वाहनों के चालकों और यात्रियों को आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराने की दिशा में एक हजार हाईवे विलेज और हाइवे नेस्ट विकसित करने की योजना को अंतिम रूप दे दिया है। इस योजना के तहत सबसे पहला हाईवे विलेज ईस्टर्न पैरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर बनकर तैयार होगा। ऐसी सुविधाओं के लिए केंद्र सरकार ने हाइवे विलेज और हाइवे नेस्ट को विकसित करने के लिए 183 जगहों पर काम शुरू होने का भी दावा किया है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय राजमार्गो के किनारे हाईवे विलेज विकसित करने की योजना में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के चारो और ‘गोल्डन नेक्सलेस’ का रूप लेने वाले ईस्टर्न पैरिफेरल एक्सप्रेस-वे और वेस्टर्न ईस्टर्न पैरिफेरल एक्सप्रेस-वे को भी इस हाइवे विलेज योजना के दायरे में प्रमुखता से शामिल किया गया है। मंत्रालय के अनुसार इस योजना के तहत पहला हाईवे विलेज ईस्टर्न पैरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर गौतमबुद्धनगर स्थित बिल ऑॅपरेट और ट्रांसफर मोड पर बनकर तैयार होगा। इसके लिए एनएचएआई ने टेंडर जारी कर दिये हैं जो 30 नवंबर को खोला जाएगा। मसलन इस पहले हाइवे विलेज का निर्माण कार्य दिसंबर के अंतिम सप्ताह या जनवरी में शुरू हो जाएगा। एनएचएआई का मानना है करीब 29 करोड़ रुपये की लागत वाले इस पहले हाइवे विलेज बनाने के दौरान लाखों लोगों को रोजगार मुहैया होगा। मंत्रालय के अनुसार इस योजना के तहत अभी तक 183 जगहों को चिन्हित करके एनएचएआई ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर ली है।
सुविधाएं मुहैया करना प्रमुख मकसद
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानि एनएचएआई ने देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गो पर हर 50 किमी के अंतराल पर एक हजार हाईवे विलेज और हाइवे नेस्ट बनाने की योजना को अंतिम रूप दे दिया है। केंद्र सरकार की हाइवे पर सफर करने वाले वाहन चालकों और उनमें सवार लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए बड़ी जगहों पर हाइवे विलेज और छोटी जगहों पर हाइवे नेस्ट विकसित करने की योजना है। एनएचएआई चेयरमैन दीपक कुमार का कहना है कि इस परियोजना में नीजी भागीदारी के साथ एनएचएआई द्वारा तय मानकों के अनुरूप अलग-अलग तरह की सुविधाएं तीन श्रेणियों में विकसित होंगी। पहली श्रेणी के तहत यात्री और भारी वाहन चालकों के लिए समर्ग सुविधाएं, दूसरी श्रेणी में केवल यात्रियों के अनुरूप सुविधाएं और तीसरी श्रेणी में ट्रक चालकों को ध्यान में रखकर सुविधाएं विकसित करने का खाका तैयार किया गया है।
हाइवे नेस्ट निजी भागीदारी
मंत्रालय के अनुसार एनएचएआई की फ्रैंचाइज़ आधार पर निजी सहभागिता के लिए ऐसे किसानों या अन्य लोगों या एजेंसियों को प्राथमिकता देने की योजना है। यानि जिनके पास राष्ट्रीय राजमार्गों पर न्यूनतम एक एकड़ से अधिक निजी भूमि है और वे राजमार्गों पर आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराने दिशा में ‘हाइवे नेस्ट’ ब्रांड नाम के तहत एनएचएआई के साथ जुड़ सकते हैं। मसलन निजी संस्थाओं को ब्रांडिंग, लोगो और संकेतकों के साथ-साथ सुविधा, सहायता और भूमि उपयोग रूपांतरण आदि सुविधाएं निःशुल्क आधार पर मुहैया कराने की प्रक्रिया में एनएचआई द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी। इसके लिए निजी संस्था को इस संबंध में एनएचएआई के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने होंगे।

संसद में सड़क सुरक्षा विधेयक पारित होना जरूरी


राष्ट्रीय परामर्श कार्यशाला में उठा सड़क हादसों का मुद्दा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार के नए ‘मोटर वाहन संशोधन विधेयक’ के प्रावधानों का समर्थन कर रही संस्था कंज्यूमर वॉयस ने देश में सड़क सुरक्षा को लेकर जागरुकता पैदा करने पर बल दिया। वहीं राजनीतिक दलों से आव्हान किया है कि संसद में लंबित इस विधेयक को शीतकालीन सत्र में पारित कराया जाए, ताकि देश में परिवहन व्यवस्था दुरस्त हो सके।
देश में सड़क सुरक्षा को लेकर आम जनता को जागरूक करने के लिए काम कर रही स्वयंसेवी संस्था कंज्यूमर वॉयस ने यहां हितधारकों के साथ इस मुद्दे पर एक राष्ट्रीय परामर्श कार्यशाला आयोजित की, जिसमें संस्था के मुख्य परिचालन अधिकारी अशीम सान्याल ने देश में तेजी से बढ़ रहे सड़क हादसों पर चिंता जाहिर की और इन हादसों को रोकने और परिवहन व्यवस्था को व्यवस्थित करने की दिशा में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित मोटर वाहन संशोधन विधेयक का समर्थन किया। सान्याल ने राज्यसभा में लंबित इस विधेयक को संसद में शीघ्र पारित कराने के लिए सभी राजनीतिक दलों से अपील भी की है। उन्होंने कहा कि यह कानून केन्द्रीय और राज्य स्तर पर एक मजबूत विधायी उपाय स्थापित करेगा, बल्कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर कई सहयोगी राज्यों के साथ कार्य करने के लिए इसे नीति निर्माताओं अथवा सांसदों से संसद के शीतकालीन सत्र यह मुद्दा उठाकर इसे पारित किया जाना जरूरी है। कार्यशाला में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सलाहकार वीरेंद्र राठोड ने सड़क सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिकोण के बारे कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए सीएसओ को बताया कि कैसे प्रभावी ढंग से कैसे काम किया जा सकता हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा द्वारा पारित मोटर वाहन संशोधन विधेयक मुख्य रूप से भारत में सड़क सुरक्षा को मजबूत करने के लिए है और जल्द ही इसे राज्यसभा द्वारा पारित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका जैसे देशों की तर्ज पर सड़क दुर्घटनाओं के कारणों की जांच करने के लिए सभी पुलिस थानों में दुर्घटना जांच इकाई बनायी जानी चाहिए।    

राज्यों के मुद्दे सुलझाने की केंद्र सरकार की प्राथमिकता



अंतरराज्यीय परिषद की स्थायी समिति में बोले राजनाथ
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार राज्यों के साथ सुसंगत संबंध बनाने की प्राथमिकता के साथ काम कर रही है। इसी मकसद से मोदी सरकार ने हाल के सालों में सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। केंद्र व राज्यों के संबन्धों पर पंछी आयोग की सिफारिशों पर भी मंथन किया गया।
यह बात यहां विज्ञान भवन में आयोजित अंतरराज्यीय परिषद की स्थायी समिति की 12वीं बैठक की अध्यक्ष्ता करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कही हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि हाल ही के वर्षों में केंद्र सरकार ने सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने 11 साल के अंतराल से ठप पड़ी अंतर्राज्यीय परिषद की स्थायी समिति की बैठक बुलाने की परंपरा को भी फिर से शुरू किया है, ताकि केंद्र व राज्यों के बीच समन्वय कायम रहे। राजनाथ सिंह ने कहा कि अंतर्राज्यीय परिषद की स्थायी समिति का उद्देश्य ही केंद्र व राज्य के संबंधों को सुसंगत बनाने की प्रक्रिया में गति देना है। उन्होंने इस तथ्य पर संतोष व्यक्त किया कि क्षेत्रीय परिषदों की बैठकें नियमित और नियमित हो गई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार का प्रयास है कि हर क्षेत्रीय परिषदों की कम से कम एक बैठक सालाना बुलाई जाती रहें और इन बैठकों के दौरान उठाए जाने वाले मुद्दों पर विचार विमर्श के जरिए राज्य-से-राज्य और केंद्र-राज्य के मुद्दों के समाधान करने का संकल्प होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में राज्यों से संबन्धित ऐसे 82 मुद्दों का समाधान किया गया है तो वहीं अगले साल यानि 2016 में ऐसे 140 मुद्दे सुलझाए गये। बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली, केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, न्याय एव आधिकारिता मंत्री थांवरचंद गहलौत के अलावा केन्द्रीय आवास व शहरी विकास राज्य मंत्री हरदीप एस पुरी ने विशेष आमंत्रित के रूप में हिस्सा लिया, जबकि समिति के सदस्य सभी सातों राज्यों के मुख्मंत्रियों ने भी प्रतिनिधितव किया।
पंछी आयोग की सिफारिशों पर मंथन
राजनाथ सिंह के साथ इस बैठक के प्रमुख एजेंडे पंछी आयोग की सिफारिशों पर राज्यों ने कुछ जटिल मुद्दों पर सहमति के लिए सामंजस्यपूर्ण और अनुकूल माहौल में विचार-विमर्श किया। स्थायी समिति की बैठक में आयोग की रिपोर्ट के खंड-3, 4 और 5 में निहित 118 सिफारिशों को समिति ने स्वीकार करते हुए उन्हें अंतिम रूप दिया गया। जबकि पंछी आयोग की रिपोर्ट के खंड एक व दो पर भी मंथन तो हुआ, लेकिन सहमति नहीं बनी। जबकि रिपोर्ट के खंड-6 व सात पर समिति की अगली बैठक में विचार विमर्श करने पर सहमति बनी। राजनाथ ने कहा कि इन सिफारिशों को अगली बैठक में अंतिम रूप दे दिया जाएगा, जिसके बाद समिति अपने निष्कर्ष के साथ आयोग की इन सिफारिशों को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली अंतर्राज्यीय परिषद के समक्ष भेजेगी। हालांकि उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की राज्यों आयोग की सिफारिशों को लागू करने की प्राथमिकता है।
इन मुद्दो पर भी हुई चर्चा
परिषद की स्थायी समिति की बैठक में पंछी आयोग की रिपोर्ट के अलावा केंद्र से राज्यों तक वित्तीय स्थानान्तरण से जुड़े मामलों, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), संरचनाओं और स्थानीय निकायों के कार्यों के वितरण, जिला योजना, पांचवीं और छठे अनुसूचित क्षेत्र के लिए विशेष प्रावधान, सांप्रदायिक सद्भाव का रखरखाव, केन्द्रीय बलों की तैनाती, प्रवासन मुद्दे, पुलिस सुधार, आपराधिक न्याय प्रणाली और अन्य आंतरिक सुरक्षा मुद्दों पर भी चर्चा की गई।
क्या है पंछी आयोग की रिपोर्ट
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मदन मोहन पंछी की अध्यक्षता में वर्ष 2005 में गठित आयोग ने वर्ष 2010 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें 7 खंडों में 273 सिफारिशें शामिल हैं। आयोग की सिफारिशों पर विभिन्न राज्यों की गवर्नर्स, अंतर्राज्यीय परिषद, विधायी विधान सभा आदि द्वारा पारित किए गए बिलों का अनुसमर्थन किया गया। केंद्रीय गृहमंत्री की अध्यक्षता वाली इस स्थायी समिति में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के अलावा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह, राजस्थान, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंन्द्रबाबू नायडू और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार इसके सदस्य हैं।
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राज्यों में केंद्रीय राशि समय से मिले, तो होगा विकास: डा. रमन सिंह
अन्तर्राज्यीय परिषद की स्थायी समिति में छग के मुख्यमंत्री ने की मांग
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॅ. रमन सिंह ने कहा कि केन्द्रीय योजनाओं में तय वित्तीय अनुपात के अनुरूप राज्यों को उनके हिस्से की धनराशि समय पर प्राप्त होना चाहिए, तभी सर्व शिक्षा अभियान जैसी योजनाओं में केन्द्र से प्राप्त राशि से राज्यों का विकास हो सकेगा।
शनिवार को यहां नई दिल्ली के विज्ञान भवन में गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित अन्तर्राज्यीय परिषद की स्थायी समिति की बारहवीं बैठक में बोलते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि बाह्य वित्त पोषित परियोजनाओं में गरीब राज्यों को ज्यादा से ज्यादा हिस्सा मिलना चाहिए। इससे उनके सर्वागींण विकास में मदद मिलेगी। उन्होंने नीति आयोग की प्रशंसा करते हुए कहा कि पूर्व के योजना आयोग के विपरीत नीति आयोग राज्यों में जाकर राज्य शासन से चर्चा कर मैदानी परिस्थितियों से रूबरू हो रहा है इससे नीति निर्माण का कार्य बेहतर हो सकेगा, जो एक अच्छा प्रयोग है।
उन्होंने सहकारी संघवाद की अवधारणा के अनुरूप राज्यों को सम्मान, सहयोग और सुदृढ़ आर्थिक आधार प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि चैदहवें वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुरूप राज्यों को हिस्सा 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने का निर्णय हो या जीएसटी, नई खनिज नीति, नीति आयोग, प्रगति जैसी क्रान्तिकारी पहल, इन सबसे केन्द्र-राज्य संबंधों को नया आयाम मिला है। उन्होंने अनुसूचित क्षेत्रों के विकास के लिए केन्द्र द्वारा आर्थिक सहायता देने के लिए धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जनधन योजना के तहत बैंको में खाते खोलने और सीधे बैंक ट्रांसफर की जनहितकारी पहल का अच्छा परिणाम निकला है। उन्होंने कहा कि इसे और प्रभावी बनाने के लिए नक्सल प्रभावित अंचलों में बैंक शाखायंे खोली जाना चाहिए। बैठक में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली, राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे सिंधिया, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मानिक सरकार, केन्द्रीय मंत्रीगण और अन्य राज्यों के मंत्रियों ने पंछी आयोग की सिफारिशों पर विचार विमर्श किया। बैठक में मुख्य सचिव विवेक ढांड, मुख्यमंत्री के सचिव सुबोध कुमार सिंह, आवासीय आयुक्त संजय ओझा और विशेष कत्र्तव्यस्था अधिकारी विक्रम सिसोदिया भी उपस्थित थे।
26Nov-2017

तीन अध्यादेशों को कानून में बदलेगी सरकार


शीतकालीन सत्र: महत्वपूर्ण विधेयको को पेश करने की तैयारी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
आगामी 15 दिसंबर से पांच जनवरी तक चलने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में तीन अध्यादेशों को कानून में बदलने के लिए पेश किया जाएगा। वहीं सरकार संसद में लंबित कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों के साथ नए विधेयक भी पेश करने की तैयारी कर रही है।
केद्रीय संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने शुक्रवार को बताया कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में संसदीय मामलों की                                                                         कैबिनेट समिति की बैठक में लिए गये निर्णय के अनुसार शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से 5 जनवरी तक चलेगा। इस दौरान  निर्णय लिया गया। इस शीतकालीन सत्र में कुल 14 बैठकें होंगी। इस दौरान सत्र के लिए विधायी कार्यसूची को अंतिम रूप दिया जा रहा है, जिसमें गत दो सितंबर को जारी तीन अध्यादेशों को भी विधेयक में बदलने के लिए पेश किया जाएगा। इन अध्यादेशें में वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को मुआवजा) अध्यादेश, ऋण शोधन और दिवाला संहिता (संशोधन) अध्यादेश तथा भारतीय वन (संशोधन) अध्यादेश शामिल है। उन्होंने कहा कि संसद शीतकालीन सत्र में जहां पूरक अनुदान मांगों पर भी विचार किया जाएगा, वहीं महत्वपूर्ण विधेयकों को भी पेश किया जाएगा। अनंत कुमार ने राजनीतिक दलों से अपील करते हुए कहा कि वे महत्वपूर्ण विधेयकों पर उपयोगी और रचनात्मक बहस में सहयोग करें और संसद के दोनो सदनों की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने में  विपक्ष सकारात्मक भूमिका निभाए। सरकार विपक्ष के हरेक मुद्दे पर चर्चा कराने को भी तैयार है। उनका तीन तलाक और राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग से संबन्धित विधेयको के बारे में कहा कि देश की जनता की यह प्रबल इच्छा है कि इन दोनों महत्वपूर्ण मुद्दों पर संसद कानून बनाए जाए और सरकार लोगों की इच्छा पूरी करने के प्रति वचनबद्ध है। गौरतलब है कि संसद के शीत सत्र में देरी को लेकर मोदी सरकार को कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। आमतौर पर संसद का शीतकालीन सत्र नवंबर के तीसरे सप्ताह में बुलाया जाता है जो दिसंबर की तीसरे सप्ताह तक चलता है।
26Nov-2017

पीएफ खातों में आएगी शेयरों की कमाई

सीबीटी ने दी ईपीएफओ के अहम प्रस्तावों को मंजूरी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने ईपीएफओ के अंशधारकों के लिए एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की कमाई के धन को पीएफ खातों में डालने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। ऐसे ही एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत एनपीसीआई के जरिए पीएफ फंड को अंशधाराकें के खाते में हस्तांतरित किया जा सकेगा।
यहां नई दिल्ली में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार की अध्यक्षता में ईपीएफओ के केंद्रीय न्सासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक में सबसे महत्वपूर्ण निर्णय ईपीएफओ के लिए केंद्रीय भुगतान व्यवस्था के तहत उस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई, जिसमें ईपीएफओ नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के साथ करार करेगा। इसके लिए अब पीएफ भुगतान हेतु एक केंद्रीय व्यवस्था तय की जाएगी, ताकि ईपीएफओ एक ही दिन में एनपीसीआई के जरिये पीएफ फंड को अपने अशंधारका को ट्रांसफर कर सके। मंत्रालय के अनुसार अभी तक ईपीएफओ विकेंद्रीकृत व्यवस्था पर काम करता है। इस व्यवस्था के कारण लेनदेन के लिए संगठन को ज्यादा खर्चा वहन करने के अलावा इसमें लेनदेन संबंधी तमाम कठिनाईया आ रही हैं। ईपीएफओ की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था सीबीटी की बैठक में इक्विटी निवेश के मूल्यांकन और लेखे के लिए लेखा नीति को मंजूरी दी है। इसके लिए भारतीय प्रबंधन संस्थान, बेंगलुरु (आईआईएम-बेंगलुरु) के साथ विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया था। वहीं नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के निष्कर्ष को भी इस लेखा नीति में शामिल किया गया है।
पीएफ के अब दो खाते होंगे
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार इस मंजूरी के तहत ईपीएफओ के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) यूनिट्स को भविष्य निधि (पीएफ) खातों में डालने कर रास्ता साफ हो गया है, जिसका ईपीएफओ के देशभर में करीब 4.50 करोड़ अंशधारकों को होगा, जो ईटीएफ यूनिट्स को अपने पीएफ खातों में अगले साल मार्च अंत तक देख पाएंगे। मंत्रालय के अनुसार इस प्रस्ताव में नए नियमों के तहत अब अंशधारकों के लिए पीएफ के दो अकाउंट होंगे, जिसमें एक कैश अकाउंट और दूसरा ईटीएफ अकाउंट होगा। कैश अकाउंट में आपके पीएफ की 85 फीसदी रकम होगी, जबकि ईटीएफ अकाउंट में शेयर बाजार में निवेश होने वाली 15 फीसदी राशि होगी। ईपीएफओ ने केन्‍द्रीकृत भुगतान प्रणाली को अपनाने का यह प्रस्ताव इसलिए किया है ताकि भारतीय राष्‍ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) प्‍लेटफॉर्म का इस्‍तेमाल किया जा सके। क्योंकि ईपीएफओ की मौजूदा विकेन्‍द्रीकृत प्रणाली में लेनदेन की अधिक लागत आने के अलावा ‘आधार’ के स्तर पर भुगतान की सुविधा नहीं है। मंत्रालय के अनुसार ईपीएफओ ई-शासन प्रणाली को मजबूत बनाने के वास्‍ते प्रतिबद्ध है। ईपीएफओ ने कई ई-शासन पहलों की शुरूआत की है, जिनमें इलेक्‍ट्रोनिक चालान एवं रिटर्न, सदस्‍य ई-पासबुक, राष्‍ट्रीय इलेक्‍ट्रोनिक निधि अंतरण के जरिये भुगतान, प्रतिष्‍ठानों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण, मोबाइल गवर्नेंस, दावों की ऑनलाइन रसीद, खातों का स्‍वमेव अंतरण इत्‍यादि शामिल हैं।
26Nov-2017

शुक्रवार, 24 नवंबर 2017

अब सरकार जाएगी खिलाड़ियों के नजदीक

जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम परिसर में जाएगा खेल मंत्रालय
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
मोदी सरकार की खेलों और खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन देने और इनके बीच नौकरशाही व राजनीति न आने के इरादे से खेल मंत्रालय को शास्त्री भवन से हटाकर जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम परिसर में ले जाने का फैसला किया है। यानि अब खिलाड़ियों को सरकार के पास नहीं, बल्कि सरकार खिलाड़ियों के पास जाएगी।
केंद्र सरकार ने आगामी 2020 के टोक्यो ओलंपिक में पदकों के लिए खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए हरेक कदम पर योजनाओं को कार्यान्वित किया है, वहीं खेलों के राजनीतिकरण और नौकरशाहों की अड़चनों को भी हटाने की मुहिम शुरू की है,ताकि अगले ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ी दुनिया में देश के लिए अधिक से अधिक पदक लेकर देश की शान बढ़ाए। विदेशों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को मोदी सरकार जिस प्रकार से सम्मान दे रही है उसमें देखा गया है कि खिलाड़ियों और खेल संघों को सरकार के पास यानि खेल मंत्रालय तक पहुंच बनाने के लिए सरकार के अधिकारियों व कर्मचारियों की अड़चनों का सामना करना पड़ता है। शायद इसी स्थिति में सुधार लाने की दिशा में मोदी सरकार ने भारतीय खेल प्राधिकरण, भारतीय ओलंपिक संघ को ऐसी बाधाओं से छुटकारा दिलाने की दिशा में केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय को खेल प्राधिकरण व ओलंपिक और अन्य खेलों की संस्थाओं के साथ जोड़ने का फैसला किया है। मसलन सरकार की इस तैयारियों के तहत नई दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में ही खेल मंत्रालय के लिए नई तकनीक और डिजाइन के साथ कार्यालय बनाया जा रहा है। 
खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ेगा
सूत्रों के अनुसार खेल मंत्रालय के लिए बनाए जा रहे भवन में खिलाड़ियों के लिए अलग से लांज और अन्य सुविधाएं भी खिलाड़ियों को मुहैया कराई जाएंगी। सूत्रों के अनुसार इस नई परंपरा में मंत्रालय का स्वागत अधिकारी खिलाड़ियों के अनुरोध पर संबन्धित अधिकारी को सूचना देगा और वह अधिकारी लांज में खिलाड़ियों से मिलने स्वयं आएगा। सरकार ने खिलाड़ियों को सम्मान और उनके मनोबल को बढ़ाने की दिशा में इस नई परंपरा को नई व्यवस्था में बदलने की योजना बनाई है। मसलन अभी तक शास्त्री भवन स्थित खेल मंत्रालय में आने वाले खिलाड़ियों को संबन्धित अधिकारियों तक पहंचने में बेहद मशक्कत करनी पड़ती है और इन्हीं परेशानियों का समाधान करने के लिए केंद्र सरकार ने खेल मंत्रालय को भारतीय खेल प्राधिकरण के निकट ही स्थानांतरित करने का फैसला किया है।
क्या रही सबसे बड़ी अड़चन
सूत्रों के अनुसार विदेश में भारत के लिए पदक लेकर आने वाले खिलाड़ियों को सीआईएसएफ के सुरक्षा के घेरे में शास्त्री भवन में बने खेल मंत्रालय तक पहुंचने में कई औपचारिकताएं पूरी करने के लिए विवश होना पड़ता है। इसके लिए मंत्रालय में जाने के लिए बनाए जाने वाले प्रवेश पत्र के लिए सर्वप्रथम मंत्रालय के संबन्धित अधिकारी की अनुमति स्वागत कक्ष तक आने में समय की भी बर्बादी मानी जाती है। इससे बड़ी समस्या मंत्रालय में पहुंचने के बाद भी खिलाड़ियों को अधिकारी से मिलने के लिए इंतजार करना पड़ता है और उनके लिए यहां मंत्रालय में बैठने के लिए कोई विशेष आगंतुक कक्ष भी नहीं है। बहरहाल सरकार ने इसके समाधान के लिए सरकार को ही खेल और खिलाड़ियों के नजदीक लाने का निर्णय लिया है।
24Nov-2017

सरकार ने दी पेंशनधारियों को बड़ी राहत

ईपीएफओ ने किया मोबाइल एप ‘उमंग’ लांच
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने कर्मचारी पेंशन  योजना के नियमों में बदलाव करते हुए अब जीवन प्रमाणपत्र को डिजिटल व्यवस्था के जरिए जमा कराने के लिए ईपीएफओ के ‘उमंग’ नाम से एक मोबाईल ऐप शुरू किया है, जिसके तहत अब बुजुर्ग पेंशनरों को हर साल नवंबर में पहचान पत्र के सत्यापन के लिए जीवन प्रमाण पत्र जमा कराने के लिए किसी कार्यालय में नहीं जाना पड़ेगा।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार कर्मचारी पेंशन योजना-1995 के प्रावधान के तहत कर्मचारियों को प्रत्येक वर्ष नवंबर माह में जीवन प्रमाण को जमा करना होता है। मोदी सरकार ने इसके लिए वर्ष 2016 से पेंशनरों के लिए व्यक्तिगत रूप से पहचान प्रमाण के सत्यापन के बजाए जीवन प्रमाण को डिजिटली जमा करने की सुविधा शुरू की थी, जिसे गुरुवार को ईपीएफओ ने पेंशनरों की राह आसान बनाने के लिए यूएमएएनजी ‘उमंग’ ऐप को लांच किया गया है। सरकार ने जीवन प्रमाण पत्र जमा करने में आने वाली मुश्किलों को दूर करने के लिए यह निर्णय लिया है। ईपीएफओ के मोबाइल ऐप ‘उमंग’ से पेंशनरों का जीवन प्रमाण को ऑनलाइन अपलोड किया जा सकेगा।
बुजुर्ग पेंशनरों को मिलेगी राहत
डिजिटल जीवन प्रमाण जमा करने की यह सुविधा ईपीएफओ, पेंशन संवितरित बैंक और सार्वजनिक सेवा केन्द्र के सभी कार्यालयों में लागू कर दी गई है। वहीं जिन पेंशनरों ने पिछले वर्ष जीवन प्रमाण डिजिटली जमा किया है उन्हें चालू वर्ष में इसे जमा करना आवश्यक नहीं है। यदि उन्हें इसे जमा करने में किसी परेशानी का सामना करना पड़ता है तो वो भरा हुआ जीवन प्रमाण पत्र फोर्म उस बैंक में जमा किया जा सकता है, जहां से वे पेंशन प्राप्त कर रहे है अथवा अपनी सुविधानुसार डिजिटल रूप में भी भर सकते हैं। ईपीएफओ ने ऐसे निर्देश संबंधित जानकारी के अनुपालन के लिए इसे क्षेत्रीय कार्यालयों में पहले से ही भेज दिए गए ह, ताकि किसी भी पेंशनभोगी को इस संबंध में कोई परेशानी न हो।
उमंग से ये काम भी होंगे आसान
केंद्र सरकार की पहल पर ईपीएफओ के शुरू हुए मोबाइल ऐप’ उमंग’ के जिरए जहां पीएफ की राशि निकाली जा सकेगी, वहीं कोई भी घर बैठे ही पासपोर्ट, पैन और आधार का आवेदन करने जैसी कई सरकारी सेवाएं मुहैया कराएगा। केंद्र सरकार ने इस ऐप को देश की जनता के लिए डिज़ाइन कराया है, जिसके जरिए केंद्र, राज्य, स्थानीय निकायों और ऐप, वेब, एसएमएस तथा आईवीआर चैनल पर सरकार की सेवाओं तक पहुंच प्रदान की जा सकेगी। सरकार अपने इस ऐप के जरिए पूरे देश में लोगों को सेवाएं मुहैया कराने के मकसद से देशभर में में उन्नत कंप्यूटिंग के विकास के लिए केंद्र की इकाइयों के साथ-साथ सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में 1500 एप्लिकेशन शुरू की हैं।
24Nov-2017