
राष्ट्रीय परामर्श कार्यशाला में उठा सड़क हादसों का मुद्दा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार के नए ‘मोटर वाहन संशोधन विधेयक’ के प्रावधानों का समर्थन कर रही संस्था कंज्यूमर
वॉयस ने देश में सड़क सुरक्षा को लेकर जागरुकता पैदा करने पर बल दिया। वहीं
राजनीतिक दलों से आव्हान किया है कि संसद में लंबित इस विधेयक को शीतकालीन सत्र
में पारित कराया जाए, ताकि देश में परिवहन व्यवस्था दुरस्त हो सके।
देश में
सड़क सुरक्षा को लेकर आम जनता को जागरूक करने के लिए काम कर रही स्वयंसेवी संस्था कंज्यूमर
वॉयस ने यहां हितधारकों के साथ इस मुद्दे पर एक राष्ट्रीय परामर्श कार्यशाला
आयोजित की, जिसमें संस्था के मुख्य परिचालन अधिकारी अशीम सान्याल ने देश में तेजी
से बढ़ रहे सड़क हादसों पर चिंता जाहिर की और इन हादसों को रोकने और परिवहन
व्यवस्था को व्यवस्थित करने की दिशा में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित मोटर वाहन
संशोधन विधेयक का समर्थन किया। सान्याल ने राज्यसभा में लंबित इस विधेयक को संसद में
शीघ्र पारित कराने के लिए सभी राजनीतिक दलों से अपील भी की है। उन्होंने कहा कि यह
कानून केन्द्रीय और राज्य स्तर पर एक मजबूत विधायी उपाय स्थापित करेगा, बल्कि इस महत्वपूर्ण
मुद्दे पर कई सहयोगी राज्यों के साथ कार्य करने के लिए इसे नीति निर्माताओं अथवा सांसदों
से संसद के शीतकालीन सत्र यह मुद्दा उठाकर इसे पारित किया जाना जरूरी है।
कार्यशाला में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सलाहकार वीरेंद्र राठोड ने सड़क सुरक्षा
व्यवस्था के दृष्टिकोण के बारे कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए सीएसओ को बताया
कि कैसे प्रभावी ढंग से कैसे काम किया जा सकता हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा द्वारा
पारित मोटर वाहन संशोधन विधेयक मुख्य रूप से भारत में सड़क सुरक्षा को मजबूत करने के
लिए है और जल्द ही इसे राज्यसभा द्वारा पारित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका
जैसे देशों की तर्ज पर सड़क दुर्घटनाओं के कारणों की जांच करने के लिए सभी पुलिस थानों
में दुर्घटना जांच इकाई बनायी जानी चाहिए।
सड़क हादसों पर प्रस्तुति
कार्यशाला
के दौरान ग्लोबल हेल्थ एडवोकेसी इन्क्यूबेटर (जीएआईएआई) के भारत में प्रतिनिधि नलिन
सिन्हा ने सड़क मार्ग दुर्घटना के आंकड़ों पर प्रकाश डालने वाली एक प्रस्तुति दी, इस
दौरान उन्होंने सड़क दुर्घटना के मुख्य कारण और सड़क सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आवश्यक
कदम उठाने के उपायों पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं
में 413 लोग रोजाना मर रहे हैं। उन्होंने कहा कि परिवहन व्यवस्था को विकसित करने के
लिए सबसे पहले बूढ़ों, महिलाओं और बच्चों जैसे कमजोर सड़क उपयोगकर्ताओं को ध्यान में
रखते विकसित किया जाना चाहिए। कार्यशाला ने विभिन्न उपभोक्ता मुद्दें जैसे कि सड़क सुरक्षा,
खाद्य सुरक्षा, तंबाकू नियंत्रण, डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता आदि पर पिछले दशक
में केज्यूमर वाॅयस द्वारा किए गए कार्य के बारे में भी बात की गई। कार्यशाला में
10 अलग-अलग राज्यों के 16 राज्य पार्टनर्स और सड़क सुरक्षा के मुद्दों पर सक्रिय कई
हितधारकों ने भी भाग लिया।
26Nov-2017
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