बुधवार, 22 नवंबर 2017

अगले महीने होगी राहुल गांधी की ताजपोशी!



16 दिसंबर को होगा कांग्रेस अध्यक्ष का औपचारिक चुनाव
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सर्वसम्मिति से राहुल गांधी को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित हो गया है, जिसके लिए औपचारिकता के लिए 16 दिसंबर को चुनाव कराया जाएगा, लेकिन ऐसी संभावना है कि चुनाव की प्रक्रिया मतदान तक नहीं पहुंच पाएगी और दिसंबर के पहले सप्ताह में राहुल गांधी की पार्टी के शीर्ष पद पर ताजपोशी हो जाएगी?
सोमवार को यहां कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के 10 जनपथ स्थित आवास पर आयोजित कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक आयोजित         की गई, जिसमें सोनिया गांधी के अलावा राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। बैठक में राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के प्रस्ताव को पास कर दिया गया और इसके लिए चुनाव की औपचारिकता पूरी करने के लिए चुनाव कार्यक्रम भी तय किया गया। हालांकि सूत्रों की माने तो पार्टी अध्यक्ष बनाने के लिए राहुल गांधी के लिए प्रस्ताव पास होने के बाद चुनाव की महज औपचारिकता ही रह जाएगी और राहुल गांधी का निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है। इसके लिए कार्यसमिति की बैठक में शायद राहुल गांधी की ताजपोशी के लिए रोडमैप की घोषणा की गई है, जिसके तहत दिसंबर के पहले सप्ताह में ही कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी और राहुल गांधी की ताजपोशी हो जाएगी।
चुनाव प्रक्रिया की मंजूरी
केंद्रीय चुनाव समिति के चेयरमैन के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए समिति द्वारा दी गई मंजूरी के तहत एक दिसंबर को अधिसूचना जारी होगी यानि अध्यक्ष पद के लिए नामांकन पत्र दाखिल होना शुरू होंगे, जो चार दिसंबर तक भरे जा सकेंगे। पांच दिसंबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी और 11 दिसंबर तक नामांकन वापस लिये जा सकेंगे और इसी दिन अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों की सूची जारी होगी। यदि आवश्यकता हुई तो 16 दिसंबर को मतदान कराया जाएगा जिसकी मतगणना 19 दिसंबर को होगी।
महज औपचारिकता ही बाकी
कांग्रेस में राहुल के युग का औपचारिक आगाज भले ही उनके अध्यक्ष बनने के बाद से माना जाएगा, लेकिन व्यावहारिक तौर पर पार्टी की कमान बीते कुछ साल से बतौर उपाध्यक्ष उनके हाथों में ही है। पार्टी के भीतर भी कभी उनके नेतृत्व को लेकर असहज महसूस कर अंदरुनी तौर पर सवाल उठाने वाले कांग्रेस नेता भी अब उनका नेतृत्व स्वीकार कर चुके हैं। गौरतलब है कि साल 2004 में राहुल ने उत्तर प्रदेश के अमेठी से लोकसभा चुनाव जीता था और यहीं से उनकी राजनीतिक पारी का आगाज हो गया था। साल 2007 में उन्होंने कांग्रेस महासचिव के तौर पर संगठन में नई जिम्मेदारी संभाली। संप्रग की दस साल की सत्ता के दौरान उन्हें कई बार मनमोहन सिंह ने अपने कैबिनेट में शामिल करने का प्रस्ताव दिया, मगर राहुल ने इनकार कर दिया। जयपुर में जनवरी 2013 में राहुल को औपचारिक रूप से सोनिया गांधी का उत्तराधिकारी बनाते हुए उन्हें कांग्रेस उपाध्यक्ष के तौर पर आगे बढ़ाया गया था।  
21Nov-2017

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