एसटीपी व
सीवरेज पर होगा ज्यादा फोकस
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार ने गंगा एवं सहायक नदियों की स्वच्छता के लिए नमामि गंगे मिशन के तहत चल रही
परियोजनाओं में घाटों के निर्माण को रोकने की योजना बनाई है यानि अब कोई नया घाट
नहीं बनेगा। जबकि इसके लिए सीवरेज और एसटीपी की स्थापनाओं पर फोकस किया जाएगा।
केंद्रीय
जल संसाधन मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि एक अध्ययन रिपोर्ट को आधार
मानते हुए अब घाटों के निर्माण को रोकने की योजना पर विचार विमर्श हो रहा है।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया है कि स्वयं
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने माना है कि सबसे ज्यादा गंदगी घाटों पर होती है जो
नदियों में बहते हुए आगे जाती है। इसलिए अभी तक जो जिन घाटों को विकसित करने की
योजना को स्थगित करने की सलाह दी गई है। मसलन जिन घाटों का आधुनिकीकरण और विकास के
लिए निर्माण हो चुका है उसके अलावा शायद ही अब घाटों को विकसित करने की योजना को
आगे बढ़ाया जा सके। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि गंगा समेत तमाम नदियों पर आम लोगों
का आवागमन घाटों और उसके आसपास ही होता है, जहां गंदगी का आलम इतना भयंकर होता है
कि वही गंदगी नदी में गिरकर आगे जल प्रवाह के साथ बहकर नदियों को गंदा और प्रदूषित
करती हैं। दूसरा पहलू ये है कि नदियों के आसपास की आबादी के कारण भी नदियों की
सफाई करना आसान नहीं है।
‘जल क्रांति अभियान’
केंद्रीय
जल संसाधन मंत्रालय ने जल संरक्षण और प्रबंधन की दिशा में जन जागरूकता के तहत एक
महत्वकांक्षी योजना के रूप में ‘जल क्रांति अभियान’ पहले ही शुरू किया हुआ है, ताकि
नदियों के बहाव की निगरानी करने और प्रदूषण को दूर करने में नदियों खासकर गंगा के
किनारे बसे ग्रामीणों की भागीदारी तय की जा सके। इसके लिए इस योजना के तहत देश के
674 जिलों में 1348 जल ग्रामों का चयन किया गया है। मंत्रालय के अधिकारी की माने
तो इस योजना के तहत देश के 674 जिलों में जल की कमी वाले दो गांवों प्रति जिले के हिसाब
से चुने जाने का प्रावधान है, जहां जल का सही इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सके।
जल शोधान संयंत्र व सीवेज परियोजन
मंत्रालय
के सूत्रों के अनुसार नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने
जल शोधन संयंत्र और सीवेज की करोड़ो रुपये की लागत वाली परियोजनाएं मंजूरी की जा चुकी है, जिनमें गंगा
प्रवाह वाले प्रदेशों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में
ऐसी परियोजनाओं को लागू किया जा रहा है। इसके अलावा इसी साल मिशन ने 2154.28 करोड़
रुपये की अनुमानित लागत से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड एवं दिल्ली राज्यों
के लिए 26 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी, जिसके तहत इन राज्यों में प्रति दिन 188 मिलियन
लीटर (एमएलडी) की नई सीवेज उपचार क्षमता के सृजन, वर्तमान एसटीपी क्षमता के 596 एमएलडी
का पुनर्वास, वर्तमान एसटीपी क्षमता के 30 एमएलडी का उन्नयन, अवरोधन एवं डायवर्जन कार्यों
तथा 145.05 किलोमीटर सीवरेज नेटवर्क तैयार की जा रही है।
30Nov-2017
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