शनिवार, 11 नवंबर 2017

राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग के गठन को मिली मंजूरी



न्यायाधीशों के वेतन वृद्धि पर बड़ा फैसला
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद केंद्र सरकार ने निचली अदालत के जजों के वेतन के बारे में महत्वपूर्ण फैसला लिया है, जिसमें निचली अदालत के न्यायाधीशों के वेतनमान में वृद्धि के लिए दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है, जो 18 महीने की अवधि के भीतर राज्य सरकारों को अपनी सिफारिशें भेजेगा।
शुक्रवार को यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में कानून मंत्रालय के इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। कानून मंत्रालय ने निचली अदालतों के करीब 21 हजार न्यायाधीशों व न्यायिक अधिकारियों के वेतनमान में वृद्धि की सिफारिश करने के लिए दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग के गठन का प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष रखा। इस मंजूरी के तहत सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जे.पी. वेंकटराम रेड्डी की अध्यक्षता में गठित किये गये राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग में केरल उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के.बसंत आयोग के सदस्य हैं। यह आयोग 18 माह की अविधि के भीतर राज्य सरकारों को अपनी सिफारिशें देगा। गौरतलब है कि इस संबन्ध में सुप्रीम कोर्ट ने गत मई माह में केंद्र सरकार को निर्देश जारी किया था। इससे पहले देशभर में अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों के वेतन में 2010 में वृद्धि हुई थी। उस समय 1999 में निर्धारित वेतन में तीन गुनी वृद्धि की गई थी। यह वृद्धि एक जनवरी 2006 से प्रभावी मानी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने एक सदस्यीय समिति गठित की थी। समिति ने जुलाई 2009 में सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में तीन गुनी वेतन वृद्धि की सिफारिश की थी। जिसके तहत देशभर में अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों के वेतन में 2010 में वृद्धि हुई थी। इसके तहत वर्तमान में कनिष्ठ सिविल न्यायाधीश का प्रारंभिक वेतन 45000 रुपये है, जबकि वरिष्ठ न्यायाधीश को करीब 80,000 रुपये मिलते हैं।
आयोग करेगा वेतन ढांचे की जांच
केंद्र सरकार की मंजूरी के तहत आयोग राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में न्यायिक अधिकारियों की सेवा की शर्तों और शर्तों के वर्तमान ढांचे की जांच करेगा। आयोग का उद्देश्य उन सिद्धांतों को विकसित करना होगा, जो देश के अधीनस्थ न्यायपालिका से संबंधित न्यायिक अधिकारियों के वेतन संरचना और अन्य उपायों को नियंत्रित करेगा। यह कार्य के तरीकों और काम के माहौल की जांच करेगा और साथ ही विभिन्न प्रकार के भत्ता और लाभों की जांच करेगा, जो कि न्यायिक अधिकारियों को भुगतान के अलावा उपलब्ध हैं। वहीं उनके लिए तर्कसंगत और सरलीकरण का सुझाव भी देगा।
11Nov-2017

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